बेगूसराय में भूमिहार नहीं पिछड़ा-अति पिछड़ा की भूमिका अहम : गिरिराज के बाहरी होने का मुद्दा भी गरम, भीतरघात भी कर सकता है खेल
बेगूसराय : राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय के सियासी घमासान के कारण देशभर में चर्चित हो चुके बेगूसराय लोकसभा सीट पर चौथे चरण के तहत 13 मई को चुनाव होना है। यहां से दस प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें आमने-सामने का मुकाबला बीजेपी के गिरिराज सिंह और सीपीआई के अवधेश कुमार राय के बीच है।
एक दूसरे पर हमला जोरदार किया गया। बड़े-बड़े नेताओं का रोज कार्यक्रम हुआ, लेकिन इन सबके बीच मतदाताओं की चुप्पी क्या गुल खिलाएगी कहना मुश्किल है। मतदाताओं की चुप्पी और दलों में भीतरघात के कारण यहां की स्थिति और दिलचस्प होती जा रही है।
पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के वोटर अभी पूरी तरह से मौन हैं, बेगूसराय में भूमिहारों की संख्या ज्यादा है लेकिन इस बार दिल्ली कौन जाएगा यह तय करने में भूमिहार नहीं, बल्कि पिछड़ा और अति पिछड़ों की अहम भूमिका मानी जा रही है।
एनडीए के प्रत्याशी गिरिराज सिंह के पक्ष में गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, असम के सीएम हिमंत विस्वा शर्मा, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा, लोजपा (आर.) सुप्रीमो चिराग पासवान ने सभा की। इसके अलावा गिरिराज सिंह एवं सहयोगी दलों के कुछ प्रमुख कार्यकर्ता और जनसंपर्क में लगे रहे। इस बार बेगूसराय में दल, जाति और धर्म-सम्प्रदाय के सारे बंधन टूट रहे हैं।
एनडीए में जबरदस्त भीतर घात है, कई खंड में बंटी बेगूसराय भाजपा अखंड होकर गिरिराज सिंह को वोटिंग करेंगे, इस पर संशय का बादल घिरा हुआ है। वहीं, कुछ कार्यकर्ता इंडिया के रंग में रंग गए हैं। जिससे भीतर घात की पूरी संभावना है।
बड़हिया के रहने वाले गिरिराज सिंह को बाहरी घोषित कर खारिज करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह कितना संभव हो सकेगा यह चुनाव परिणाम ही बताएगा। गिरिराज सिंह का बचपन और राजनीतिक जीवन का अधिकांश हिस्सा बेगूसराय में गुजरा। यहां उनके कई रिश्तेदार हैं, पुराने समय से आरएसएस में सक्रियता के कारण उनकी पहचान है। भाजपा के सैकड़ों नेताओं से उनके पुराने संबंध भी हैं। यहां गिरिराज सिंह नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक हनुमान के रूप में उन्हें देखा जा रहा है।
दूसरे प्रमुख प्रत्याशी हैं इंडिया गठबंधन के अवधेश कुमार राय। अवधेश कुमार राय अस्ताचलगामी हो चुके वामपंथ को यहां स्थापित कर फिर से उदयाचल की ओर ले जाने के लिए जी जान से लगे हुए हैं। उनके समर्थन में सभी सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं ने दिन रात एक कर दिया है। उनके प्रचार के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एवं वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी सभा कर चुके हैं। अवधेश राय ने खुद धुआंधार संवाद किया है।
बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में अवधेश राय के पक्ष में मतदाताओं के हवा का रुख तेजी से बदला भी। बीजेपी के टिकट लेने के लिए प्रयासरत रहे राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा के समर्थक भी अवधेश राय की चर्चा करने लगे हैं। वहीं, कर्पूरी जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. रामवदन राय के नामांकन बाद चल रहे धुआंधार प्रचार से भी फायदा अवधेश राय को ही दिख रहा है। भूमिहारों का विरोध करने वाले रामवदन राय के पक्ष में पचपनिया वोटर का कुछ रुझान है। लेकिन, पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के वोटर अभी पूरी तरह से मौन हैं, भूमिहार बहुल्य माने जाने वाले बेगूसराय में इस बार भूमिहार नहीं, बल्कि पिछड़ा और अति पिछड़ा तय करेंगे कि कौन जाएगा दिल्ली।
फिलहाल चुनाव प्रचार समाप्त हो गया और देखना है कि बेगूसराय के 21 लाख 94 हजार 833 में से कितने मतदाता किस प्रत्याशी के पक्ष में ईवीएम का बटन दबाकर दिल्ली भेजने की राह तय करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक बेगूसराय में करीब चार लाख भूमिहार, एक लाख 94 हजार यादव, तीन लाख चार हजार मुस्लिम, 45 हजार राजपूत, 73 हजार ब्राह्मण, 82 हजार कोईरी, एक लाख 60 हजार कुर्मी, एक लाख 20 हजार मोची, एक लाख 75 हजार पासवान एवं दो लाख 28 हजार बनिया वोटर हैं।
इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए एनडीए जहां पिछले 10 सालों के विकास, राष्ट्रवाद और आतंकवाद पर प्रहार को मुद्दा बनाया। वहीं, महागठबंधन ने सामाजिक न्याय, स्थानीय मुद्दों, केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों और राजद के साथ चले बिहार सरकार के 17 महीने के कार्यकाल को बताने में दिन-रात एक कर दिया। लेकिन खामोश मतदाता क्या गुल खिला सकते हैं, यह कहना किसी के लिए बहुत ही मुश्किल है। जिसको लेकर सभी प्रत्याशी की धड़कनें बढ़ती जा रही है। राजनीति के जानकार भी किसी एक प्रत्याशी के जीतने के गणित का सशक्त दावेदारी नहीं कर पा रहे हैं। जिससे स्पष्ट है कि आमने-सामने के मुकाबला में कोई भी जीत का सेहरा पहन सकता है।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
May 12 2024, 18:26