ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की सुगबुगाहट, ईरानी सेना ने कब्जे में लिया भारत आ रहा जहाज, सवार हैं 17 भारतीय, सुरक्षित वापसी की कोशिश में भारत
ईरान-इजराइल में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस्राइल और ईरान के बीच बढ़े तनाव के बाद पश्चिमी एशिया में एक और युद्ध की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस बीच, ईरान की नौसेना ने इस्राइल के अरबपति इयाल ओफर का मालवाहक जहाज अपने कब्जे में कर लिया है। अब इस जहाज को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि इस जहाज पर सत्रह भारतीय सवार हैं। सूत्रों ने बताया कि जहाज पर मौजूद भारतीयों की सुरक्षित रिहाई के लिए भारत राजधानी दिल्ली और तेहरान में राजनयिक चैनलों के जरिए ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है।
मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि यह जहाज भारत की ओर आ रहा था और इसमें कुल 25 क्रू मेंबर मौजूद हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान की नौसेना ने होर्मुज जलडमरूमध्य के पास ओमान की खाड़ी में भारत की ओर आ रहे इस्राइली अरबपति के इस जहाज को अपने कब्जे में लिया। सबसे पहले हेलीकॉप्टर से इस्राइली जहाज पर हमला किया गया और इसके बाद ईरान की नौसेना ने इस पर कब्जा कर लिया। इस जहाज का नाम एमएससी एरीज है और उसे आखिरी बार शुक्रवार को दुबई से होर्मुज की ओर जाते हुए देखा गया था। बताया गया है कि जहाज ने अपना ट्रैकिंग डेटा बंद किया हुआ था। इस्राइल के जहाजों द्वारा इस क्षेत्र से गुजरते समय अक्सर ट्रैकिंग डेटा बंद कर दिया जाता है।
ईरान की नौसेना ने ये कार्रवाई तब की है जब 12 दिन पहले सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इस्राइल की ओर से हमला किया गया था। 1 अप्रैल को युद्धक विमानों से सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया था। हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के अल-कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। ये सभी दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे। हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया गया, जिसने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। इस हमले के बाद से ही ईरान बौखलाया हुआ है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इसकी कड़ी आलोचना की थी और इसे ईरानी धरती पर हुए हमले के बराबर बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस्राइल को उसके ऑपरेशन के लिए दंडित किया जाना चाहिए और किया भी जाएगा।
इसके अलावा, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी ईरान द्वारा इस्राइल के भीतर हमले की चेतावनी दी है। खुफिया एजेंसियों ने यह भी कहा है कि इस्राइल के अंदर सैन्य और सरकार से जुड़े कई ठिकानों को ईरान अपना निशाना बना सकता है। अमेरिकी खुफिया आंकलन के हवाले से आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि ईरान इस्राइल के अंदर बैलिस्टिक मिसाइलों या ड्रोन का इस्तेमाल करके हमले शुरू कर सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान सीधे कार्रवाई करेगा या अपने प्रॉक्सी नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा।









2014 के बाद भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आया है। फिर चाहे चीन के साथ सीमा विवाद हो या फिर पाकिस्तान में आतंकवाद की बात हो, भारत ने हमेशा से अपना रूख साफ रखा है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी स्पष्ट बात कहने के लिए जानें जाते हैं। अब एस जयशंकर ने आतंकवाद पर दो टूक बात कही है।आतंकवाद से लेकर विदेश नीति में हुए बदलाव पर जयशंकर ने युवाओं से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवादी सोचते हैं कि वे सीमा पार है, वे किसी नियम को नहीं मानते। हमारा मानना है कि अगर वे नियम नहीं मानते तो उन्हें खत्म करने के लिए भी हमें नियम नहीं मानना चाहिए। जयशंकर ने ये टिप्पणी शुक्रवार (12 अप्रैल) को महाराष्ट्र के पुणे में अपनी किताब ‘व्हाई भारत मैटर्स’ के मराठी अनुवाद के लॉन्च के मौके पर कहीं। यहाँ वह एक बातचीत कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे।विदेश मंत्री जयशंकर से कार्यक्रम के दौरान पूछा गया कि भारत को किन देशों के साथ संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है? जयशंकर ने कहा कि एक, पाकिस्तान, पड़ोस में है और इसके लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं। 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था। देश के विदेश मंत्री ने बताया कि 1947 में, पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था। भारतीय सेना ने उनका मुकाबला किया और राज्य का भारत में विलय हो गया। उन्होंने आगे कहा कि जब भारतीय सेना कार्रवाई कर रही थी, तब हम रुक गए और संयुक्त राष्ट्र (UN) में गए और हमलावरों को आतंकवादियों के बजाय कबायली घुसपैठिए बताया। अगर हम शुरू से ही यह स्पष्ट कर देते कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है, तो हमारी नीति बहुत अलग होती। उन्होंने यह भी कहा कि, किसी भी हालत में आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारत की विदेश नीति में निरंतरता के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि मेरा जवाब हां है। 50 प्रतिशत निरंतरता है और 50 प्रतिशत परिवर्तन है। वह एक बदलाव आतंकवाद पर है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के बाद, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसे लगा कि हमें जवाब नहीं देना चाहिए था। लेकिन उस समय यह सोचा गया था कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला नहीं करने से ज्यादा है। जयशंकर ने कहा कि अगर मुंबई (26/11) जैसा कुछ होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो कोई अगले हमले को कैसे रोक सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, कोई उन्हें छू नहीं सकता। आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते हैं इसलिए आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकते। विदेश मंत्री जयशंकर ने इसी कार्यक्रम में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर सवाल उठाए। जयशंकर ने कहा कि जब चीन ने 1950 में तिब्बत कब्जाया था, तब नेहरू को सरदार वल्लभ भाई पटेल चेताया था और कहा था कि उन्हें चीन की मंशा ठीक नहीं लगती। जयशंकर ने कहा कि नेहरू ने इन चिंताओं को दरकिनार कर दिया और कहा कि चीनी लोग भी एशियाई हैं और हमारे भाई है इसलिए वह भारत पर हमला नहीं करेंगे।जयशंकर ने कहा कि चीन को लेकर जहाँ सरकार वल्लभभाई पटेल की सोच एकदम धरातल से मेल खाती हुई और यथार्थवादी थी तो नेहरू एक वामपंथी और आदर्शवादी थे।
Apr 14 2024, 13:19
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
3.6k