RCB की लगातार हार के बीच दिग्गज क्रिकेटर ने कर दिया बड़ा ऐलान, कहा- यह मेरा लास्ट IPL है, क्रिकेटर जगत में मची खलबली!


आईपीएल 2024 का आगाज आरसीबी के लिए काफी खराब रहा है। विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु इस आईपीएल सीजन अभी तक कुल 5 मुकाबले खेल चुकी है, लेकिन सिर्फ एक मैच में जीत दर्ज कर पाई है। ऐसे में एक बार फिर से बेंगलुरु का पत्ता प्लेऑफ से कटता दिख रहा है। बेंगलुरु फिलहाल 5 में से एक जीत के साथ प्वाइंट्स टेबल में 9वें स्थान पर है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो अगले एक-दो मैचों में ही बेंगलुरु को बाहर का रास्ता देखना पड़ जाएगा।

आरसीबी के करोड़ों फैंस 16 साल से इंतजार कर रहे हैं कि वह अपनी फेवरेट टीम को आईपीएल ट्रॉफी उठाते देख सके, लेकिन फैंस को आज तक सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। फैंस को उम्मीद थी कि आईपीएल 2024 आरसीबी के लिए कुछ तो बेहतर होगा, लेकिन बेंगलुरु के लिए यह आईपीएल सीजन भी अभी तक काफी खराब रहा है। इस कड़ी में बेंगलुरु के एक दिग्गज खिलाड़ी ने अपने फैंस को दोहरा झटका दे दिया है। खिलाड़ी ने ऐलान कर दिया है कि यह उनका आखिरी आईपीएल सीजन है।

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के दिग्गज खिलाड़ी ने अपने बयान से सभी को हैरान कर दिया है। अभी भी जब बेंगलुरु को रनों की जरूरत पड़ती है, तो फैंस को इस दिग्गज की याद आती है। लेकिन अब दिग्गज ने आईपीएल से संन्यास लेने का फैसला किया है। इससे फ्रेंचाइजी को तो झटका लगा ही है, इसके साथ उनके करोड़ों फैंस भी सदमे में पड़ गए हैं।

बता दें कि दिग्गज खिलाड़ी ने यह बयान स्टार स्पोर्ट्स पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन से बात करते हुए दिया है। यह बयान आरसीबी के लिए खेलने वाले भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर दिनेश कार्तिक ने दिया है। खिलाड़ी ने अपने बयान से आरसीबी फैंस में हलचल मचा दी है। आरसीबी की टीम जब भी मुश्किल में पड़ती है, दिनेश कार्तिक बतौर फिनिशर मैदान पर आते हैं और बल्ले तूफानी पारी खेलते हैं, इस कारण से दिनेश कार्तिक के बयान पर फैंस में हलचल मची हुई है।

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने इस सीजन आईपीएल का ओपनिंग मैच चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ खेला था। साल 2024 में आरसीबी की टीम डब्ल्यूपीएल ट्रॉफी जीत चुकी है, ऐसे में फैंस को उम्मीद थी कि आरसीबी की मेंस टीम भी इस साल आईपीएल ट्रॉफी जरूर जीतेगी, लेकिन अभी तक खेले गए कुल 5 मुकाबलों में आरसीबी का लक्षण जीतने वाला नहीं लग रहा है। ऐसे में फैंस को एक बार फिर से निराशा ही हाथ लगेगी। आरसीबी की टीम सिर्फ एक मैच पंजाब किंग्स के खिलाफ जीत पाई है, इस मैच में दिनेश कार्तिक का अहम योगदान रहा था। बेंगलुरु की टीम फिलहाल प्वाइंट्स टेबल में 9वें स्थान पर है।

हमारी जमीन में घुसकर आतंकियों को मार रहा भारत..', पाकिस्तान के आरोप पर अमेरिका बोला- हम बीच में नहीं पड़ेंगे

पाकिस्तान के इस आरोप पर कि भारत सरकार ने उसके देश में घुसकर कई लोगों की हत्या की है, अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति के बीच में नहीं आएगा। हालांकि, अमेरिका ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को तनाव बढ़ने से बचना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर की प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे द गार्जियन की उस रिपोर्ट पर वाशिंगटन के रुख के बारे में पूछा गया, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारियों का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया था कि भारत ने पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद और उग्रवाद से जुड़े कई लोगों को मार डाला है। मिलर ने कहा कि, "इसलिए, हम इस मुद्दे के बारे में मीडिया रिपोर्टों का अनुसरण कर रहे हैं। अंतर्निहित आरोपों पर हमारी कोई टिप्पणी नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से, हम इस स्थिति के बीच में नहीं आएंगे।" उन्होंने कहा, "हम दोनों पक्षों को तनाव से बचने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।" उल्लेखनीय है कि, इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के खुफिया कार्यकर्ताओं के हवाले से दावा किया गया था कि भारत का कदम विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था। रिपोर्ट को कनाडा के हालिया दावों द्वारा समर्थित किया गया था, जिसमें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता का आरोप लगाया गया था, जिनकी 18 जून, 2023 को सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाद में रिपोर्ट के जवाब में विदेश मंत्रालय ने ऐसे सभी आरोपों का खंडन किया और इन्हें "झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार" बताया. विदेश मंत्रालय ने द गार्जियन को बताया कि ये आरोप "झूठे और दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी प्रचार" हैं। इसने विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिछले बयान को भी रेखांकित किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अन्य देशों में लक्षित हत्याएं "भारत सरकार की नीति नहीं" थीं।
शराब घोटाला: 23 अप्रैल तक जेल में ही रहेंगी BRS नेता कविता, कोर्ट ने बढ़ाई हिरासत, पढ़िए, इडी ने कोर्ट में क्या दी दलील

राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने आज मंगलवार को दिल्ली शराब घोटाला मामले में भारत राष्ट्र समिति (BRS) एमएलसी के कविता की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल, 2024 तक बढ़ा दी। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें कहा गया कि उसने गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है और इसलिए उसकी न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ाई जानी चाहिए। वकील नितेश राणा के कविता की ओर से पेश हुए और EDडी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी के बाद से कुछ भी नया नहीं है, कोई नया आधार नहीं है। एप्लिकेशन में कुछ भी उल्लेख नहीं है। इस बीच, अदालत ने के कविता को व्यक्तिगत/मौखिक रूप से संबोधित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह अपनी दलीलें लिखित रूप में दे सकती हैं। नवीन कुमार मट्टा और साइमन बेंजामिन के साथ अधिवक्ता ज़ोहेब हुसैन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए, जबकि अधिवक्ता नितेश राणा, दीपक राणा और मोहित राव आरोपी के कविता की ओर से पेश हुए। हाल ही में, उसी अदालत ने आने वाले सप्ताह के किसी भी दिन तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत के दौरान के कविता से पूछताछ करने की सीबीआई की याचिका को अनुमति दे दी थी। आवेदन के माध्यम से, सीबीआई ने बुच्ची बाबू के फोन से बरामद व्हाट्सएप चैट और भूमि सौदे के दस्तावेजों के बारे में बीआरएस नेता के कविता से पूछताछ करने, पूछताछ करने और बयान दर्ज करने की अदालत से अनुमति मांगी, जिसमें कथित तौर पर आम आदमी पार्टी को किकबैक में 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली शराब नीति घोटाले के मामले में 15 मार्च 2024 को तेलंगाना विधान परिषद की एमएलसी के कविता को गिरफ्तार कर लिया था। 15 मार्च, 2024 को हैदराबाद में के. कविता के आवास पर भी तलाशी ली गई। ईडी ने एक बयान के माध्यम से कहा, तलाशी कार्यवाही के दौरान, ईडी अधिकारियों को के. कविता के रिश्तेदारों और सहयोगियों द्वारा बाधित किया गया था। ईडी की जांच से पता चला है कि के कविता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में लाभ पाने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित AAP के शीर्ष नेताओं के साथ साजिश रची थी। इन एहसानों के बदले में वह आप के नेताओं को 100 करोड़ रुपये देने में शामिल थी। ईडी ने कहा था कि, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार और साजिश के कृत्यों के माध्यम से, AAP के लिए थोक विक्रेताओं से रिश्वत के रूप में अवैध धन का एक निरंतर प्रवाह उत्पन्न किया गया था। इसके अलावा, के. कविता और उसके सहयोगियों को आप को अग्रिम भुगतान की गई अपराध की आय की वसूली करनी थी और इस पूरी साजिश से लाभ या अपराध की आय उत्पन्न करनी थी। आज तक, ईडी ने दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई और अन्य स्थानों सहित देश भर में 245 स्थानों पर तलाशी ली है। मामले में अब तक आप के मनीष सिसौदिया, संजय सिंह और विजय नायर समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ईडी ने मामले में अब तक 1 अभियोजन शिकायत और 5 पूरक शिकायतें दर्ज की हैं। इसके अलावा, अपराध से प्राप्त आय में से, अब तक 128.79 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता लगाया गया है और 24 जनवरी, 2023 और 3 जुलाई, 2023 के अनंतिम कुर्की आदेशों के माध्यम से संलग्न किया गया है। ईडी ने मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है. एजेंसी ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश पर दर्ज किए गए सीबीआई मामले का संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उसने अब तक इस मामले में लगभग 200 तलाशी अभियान चलाए हैं।
अभी तिहाड़ जेल में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, गिरफ्तारी को बताया सही*
#delhi_liquor_scam_case_high_court_decision_on_plea_against_arvind_kejriwal_arrest दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से राहत नहीं मिली है। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि याचिका जमानत के लिए नहीं है। याचिका में याचिकाकर्ता ने हिरासत को गलत बताया है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल के खिलाफ ईडी के आरोपों को अदालत ने दोहराया। कोर्ट ने कहा की ईडी ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता भी लग रही है।ईडी ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल व्यक्तिगत और ‘आप’ संयोजक दोनों तौर पर शराब घोटाले की साजिश में शामिल थे। अदालत ने कहा कि मैंने अपने फैसले में पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सीआरपीसी के तहत 164 के दर्ज अप्रूवर के बयानों में अंतर बताया है। स्वर्ण कांता शर्मा ने यह भी कहा कि केजरीवाल गवाह के बयानों को खारिज नहीं कर सकते है, लेकिन उसे क्रॉस एग्जामिन जरूर कर सकते हैं। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि ईडी ने पर्याप्त सुबूत के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया है। बहस के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया था। केजरीवाल ने कोर्ट में दावा किया था कि बीजेपी उन्हें जेल में डालकर चुनाव को फिक्सड मैच की तरह खेलना चाहती है। जिसपर जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि कोर्ट नहीं मानता कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है। कानून सीएम और आम आदमी के लिए बराबर हैं।अदालत ने कहा कि कानून पर किसी सरकार का और न ही किसी जांच एजेंसी का नियंत्रण होता है।
क्या संजय दत्त रखेंगे राजनीति में कदम! इस पार्टी से लड़ने वाले हैं लोकसभा चुनाव, जानिए, क्या है सच्चाई

लोकसभा चुनाव में कई नए चेहरे देखने को मिल रहे है. राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव में बॉलीवुड कलाकारों से लेकर स्पोर्ट्स मेन तक सभी को टिकट दिया है. बता दें कि, इस लिस्ट में कंगना रनौत और अरुण गोविल जैस बड़े एक्टर्स शामिल हैं. इसी लिस्ट में संजय दत्त का नाम भी जुड़ने की बात कही जा रही थी. ऐसी खबरें थीं कि वो कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं. पर ऐसा नहीं हो रहा है. संजय दत्त ने इन सभी बातों को अफवाह करार दिया है. उनके अनुसार वो राजनीति में नहीं आ रहे हैं. उनकी कोई इच्छा होगी, तो खुद इसका अनाउंसमेंट करेंगे. संजय दत्त ने X पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, मैं अपने राजनीति में शामिल होने की सभी अफवाहों पर ब्रेक लगाना चाहता हूं. मैं किसी पार्टी में शामिल नहीं हो रहा हूं, न ही चुनाव लड़ रहा हूं. अगर मुझे पॉलिटिकल फील्ड में उतरना होगा, तो इसकी घोषणा करने वाला मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा. इसलिए मेरे बारे में अभी तक जो भी खबरें चल रही हैं, उन पर कतई भरोसा न करें. गौरतलब है कि, संजय दत्त 2009 में भी समाजवादी पार्टी का हिस्सा थे. पर उन्हें लग रहा था कि वो कुछ खास कर नहीं पा रहे, इसलिए जनरल सेक्रेटरी के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
अरुणचल भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा..', चीन को पीएम मोदी ने दिया दो टूक जवाब

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर चीन के क्षेत्रीय दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। एक इंटरव्यू में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने के संबंध में, पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से जोर दिया, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा"। इन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने के लिए "अरुणाचल प्रदेश में कई क्षेत्रों का नाम बदलने" के लिए चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने और भारत सरकार द्वारा राज्य की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था। "क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है?" के संदेह को खारिज करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि अरुणाचल की क्षेत्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में किसी भारतीय को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है, प्रधान मंत्री ने कहा, “आज, विकास कार्य अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक सूरज की पहली किरण की तरह, पहले से कहीं अधिक तेजी से पहुंच रहे हैं।”
अरुणचल भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा..', चीन को पीएम मोदी ने दिया दो टूक जवाब

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर चीन के क्षेत्रीय दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। एक इंटरव्यू में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने के संबंध में, पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से जोर दिया, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा"। इन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने के लिए "अरुणाचल प्रदेश में कई क्षेत्रों का नाम बदलने" के लिए चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने और भारत सरकार द्वारा राज्य की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था। "क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है?" के संदेह को खारिज करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि अरुणाचल की क्षेत्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में किसी भारतीय को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है, प्रधान मंत्री ने कहा, “आज, विकास कार्य अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक सूरज की पहली किरण की तरह, पहले से कहीं अधिक तेजी से पहुंच रहे हैं।”
मुख्य चुनाव आयुक्त को दी गई 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा, आईबी की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने लिया फैससा*
#chief_election_commissioner_rajeev_kumar_got_z_category_security लोकसभा चुनाव से पहले गृह मंत्रालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की सुरक्षा को बढ़ाने का फैसला लिया है। गृह मंत्रालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त को 'जेड'श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। म‍िन‍िस्‍ट्री ने यह सुरक्षा आईबी की रिपोर्ट के आधार पर दी है।दरअसल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियां का चुनाव आयोग के दफ्तर में हंगामा हुआ था। ज‍िसके बाद आईबी की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट आई थी। इस आधार पर होम म‍िन‍िस्‍ट्री ने चीफ इलेक्‍शन कम‍िश्‍नर पर सुरक्षा दी है। यह कदम लोकसभा चुनाव के शुरू होने से पहले उठाया गया है। दरअसल, देशभर में सात चरणों में 19 अप्रैल से मतदान शुरू होगा। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की ओर तैयार की गई रिपोर्ट में सीईसी को खतरा बताया गया और रिपोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए कड़ी सुरक्षा की सिफारिश की गई थी। अब सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद देशभर में यात्रा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा घेरे में रहेंगे। *क्या होती है 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा* मुख्य चुनाव आयुक्त को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा दी है। 'जेड'+ के बाद सबसे सुरक्षित सिक्योरिटी में 'जेड' सुरक्षा का नाम आता है। ये 'जेड'+ से थोड़ी अलग है। इसमें संबंधित व्यक्ति के आसपास 6 से 6 एनएसजी कमांडो और पुलिस कर्मियों समेत 22 जवान तैनात रहते हैं। ये सुरक्षा दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दी जाती है। भारत में बाबा रामदेव समेत कई अभिनेताओं और नेताओं के पास है।
*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।