पाकिस्तान में 'टारगेट किलिंग' में भारत की भूमिका पर अमेरिका को दो टूक, कहा-हम बीच में नहीं आने वाले
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ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान में ‘टारगेट किलिंग’ के पीछे भारत का हाथ है। 'द गार्जियन' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने भी आरोपों को दोहराया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारतीय एजेंट्स ने उसके देश में दो नागरिकों की हत्या की है। इसे लेकर अब अमेरिका की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अमेरिका ने इन आरोपों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।इसके अलावा अमेरिका ने कहा कि दोनों पक्षों को तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए।
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भारत पर पाकिस्तान में टारगेट किलिंग के आरोपों पर जब मीडिया ने अमेरिका से उसका पक्ष जानना चाहा तो विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम इस मुद्दे को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स का अनुसरण कर रहे हैं। इन आरोपों पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन निश्चित रूप से, हम इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वो तनाव से बचें और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजें।
वहीं, जब मिलर से राजनाथ सिंह की ओर से घर में घुसकर मारने वाले बयान पर सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने बातचीत के जरिए समाधान निकालने को कहा। बता दें कि'द गार्जियन' की रिपोर्ट पर भारतीय रक्षामंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर आतंकी भारत से भागकर पाकिस्तान में भी जाता है तो हम घर में घुसकर मारेंगे।
दरअसल, ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही एक खबर छापी थी। इसमें बताया गया कि साल 2021 से लेकर साल 2024 के बीच 20 आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर भारत ने मारा है। इस रिपोर्ट में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पर इन हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। ब्रिटिश अखबार ने दावा किया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का इसके पीछे हाथ है। साथ ही कहा कि यह पूरा काम प्रधानमंत्री ऑफिस से हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके ऑर्डर दे रहे हैं क्योंकि रॉ का कंट्रोल उन्ही के पास होता है। सरकार उन दुश्मनों का विदेशों में खात्मा कर रही है जो भारत के लिए खतरा है। 2019 के बाद से यह सिलसिला जारी है।
द गार्जियन की रिपोर्ट के पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी भारत पर आरोप लगाया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सियालकोट में शाहिद लतीफ और रियालकोट में मोहम्मद रियाज की हत्याएं भारतीय एजेंट्स योगेश कुमार और अशोक कुमार के द्वारा की गई। अभी तक पाकिस्तान में हुई हत्याओं में साफतौर पर आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, इन हत्याओं में अज्ञात हमलावरों पर ही आरोप लग रहे हैं। लेकिन इन अज्ञात हमलावरों का पाकिस्तान के आतंकियों में इस कदर खौफ है कि कोई भी आंतकी सामने नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के सभी आंतकी इस समय अंडरग्राउंड हो गए हैं।






अमेरिका में भारतीय छात्रों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।अमेरिका में एक और भारतीय छात्र की मौत का मामला सामने आया है। दरअसल बीते महीने लापता हुए भारतीय छात्र मोहम्मद अब्दुल अरफात का शव मिला है। अब्दुल अराफात वर्ष 2023 में क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गया था। अब अमेरिका के क्लीवलैंड में मृत पाया गया है। एक हफ्ते के अंदर ऐसी दूसरी घटना सामने आई है, जबकि इस साल अभी तक 11 भारतीय छात्रों के साथ ऐसी घटना हुई है। न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि लगभग तीन हफ्ते तक लापता रहे इस छात्र की लाश मिली है। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह जानकर दुख हुआ कि मोहम्मद अब्दुल अरफात, जिनके लिए खोज अभियान चल रहा था, क्लीवलैंड, ओहियो में मृत पाए गए। मोहम्मद अरफ़ात के परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। मोहम्मद अब्दुल अरफात की मौत की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास स्थानीय एजेंसियों के संपर्क में है। हम उनके पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए शोक संतप्त परिवार को हर संभव सहायता दे रहे हैं। मोहम्मद अब्दुल अरफात भारत के हैदराबाद के नचारम का निवासी था और वह बीते साल मई में क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई करने अमेरिका आया था। अरफात के पिता मोहम्मद सलीम ने बताया कि अरफात से उनकी आखिरी बार 7 मार्च को बात हुई थी, उसके बाद से परिवार के साथ उसका कोई संपर्क नहीं था। उसका मोबाइल फोन भी बंद था। अरफात के साथ रह रहे युवक ने अरफात के पिता को बताया था कि उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। 19 मार्च को अरफात के परिवार को एक अज्ञात कॉल आया, जिसमें कहा गया कि अरफात का ड्रग्स बेचने वाले गैंग ने अपहरण कर लिया है और उन्होंने उसे छोड़ने के एवज में 1200 अमेरिकी डॉलर की मांग की। अरफात के पिता ने बताया कि कॉल करने वाले व्यक्ति ने धमकी दी थी कि अगर फिरौती की रकम नहीं दी गई तो वे अरफात की किडनी बेच देंगे। अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की मौत का यह पहला या दूसरा मामला नहीं है। ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। 6 अप्रैल को भी उमा सत्य साईं गड्डे नाम के एक भारतीय छात्र की मौत का मामला सामने आया था। वह ओहियो के क्लीवलैंड से पढ़ाई कर रहा था। इस साल अब तक अमेरिका में 11 भारतीय और भारतीय मूल के छात्रों की मौतें हो चुकी हैं। पिछले महीने (मार्च) में अमेरिका में 20 साल के भारतीय छात्र अभिजीत पारुचुरू की हत्या कर दी गई थी। वह आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के बुर्रिपालेम का रहने वाला था। इससे पहले पर्ड्यू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय मूल के छात्र नील आचार्य की भी हत्या की गई थी। इसके अलावा श्रेयस रेड्डी और विवेक सैनी भी मृत पाए गए थे। इसके अलावा नील आचार्य पर्ड्यू यूनिवर्सिटी कैंपस में मृत मिला था। नील आचार्य की मां ने उनके लापता होने की शिकायत की थी, जिसके कुछ दिनों बाद उनकी लाश मिली। वहीं भारतीय अमेरिकी मूल के अकुल धवन का मृत शरीर यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के बाहर मिला था। वहीं भारतीय अमेरिकी छात्र समीर कामथ का मृत शरीर एक नेचर प्रीजर्व से मिला था। कामथ पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे थे।



Apr 09 2024, 13:56
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