संदेशखाली मामलाः सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी सरकार को राहत, संसद की विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही पर लगाई रोक
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इन दिनों पश्चिम बंगाल में संदेशखाली मामले को लेकर सियासत गर्म है। इस बीच संदेशखली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर रोक लगा दी है।दरअसल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वो घायल हो गए। इसी मामले में संसद की प्रिविलेज कमेटी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन की कार्रवाई करने का फैसला लिया था।ममता बनर्जी सरकार के सांसदों ने प्रिविलेज कमेटी की कार्रवाई को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी।
पिछले हफ्ते सभी भाजपा सांसदों को संदेशखाली जाने से रोका जा रहा था, तभी सुकांत मजूमदार पुलिस से भिड़ गए। इस दौरान उन्हें चोटें भी आईं। सांसदों से दुर्व्यवहार के मामले में शिकायत मिलने पर लोकसभा सचिवालय की विशेषाधिकार समिति ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और संबंधित जिले के डीएम एसपी और थानाध्यक्ष को समन जारी कर 19 फरवरी को पेश होने का आदेश दिया था।
इस नोटिस को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से याचिका दायर की गई थी। पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने यह मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने उठाया। सिब्बल ने कहा, ‘संदेशखाली में धारा 144 लगी हुई थी। ऐसे में धारा-144 का उल्लंघन करके की गई राजनीतिक गतिविधि विशेषाधिकार का हनन नहीं हो सकती।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों का संज्ञान लिया और सोमवार सुबह साढ़े दस बजे पेश होने के लिए जारी नोटिसों पर रोक लगा दी।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के 24 उत्तरी परगना जिले में स्थित संदेशखाली लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। यहां कई महिलाओं ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके करीबी शिबू हजारा एवं उत्तम सरकार पर यौन शोषण और उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करने का इल्जाम लगाया है। यहां के प्रदर्शनकारी लगातार प्रशासन से इनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। संदेशखाली के महिलाओं ने मीडिया को बताया कि शाहजहां शेख के लोगों ने न सिर्फ उनके साथ अत्याचार किया, बल्कि उनके मछली पालन वाली जमीन भी कब्जा ली थी। इसके साथ ही यह भी बताया कि शाहजहां शेख, शिबू हजारा और उत्तम सरकार के लोग नाबालिग बच्चों को नहीं छोड़ते थे। उन्हें शराब के साथ हथियार थमा देते थे। हालांकि राज्य सरकार ने इस मामले में बीजेपी पर तिल का ताड़ बनाने का आरोप लगाया है।






Feb 19 2024, 14:55
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