*भावनाओं को समझना शब्दों से ज्यादा जरूरी: प्रोफेसर सीमा सिंह*
लखनऊ । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के मानविकी विद्या शाखा के तत्वावधान में सोमवार को महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया। सरस्वती परिसर स्थित लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में इस अवसर पर संगोष्ठी एवं गीत गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा से सिंह ने कहा कि अशाब्दिक सम्प्रेषण शाब्दिक सम्प्रेषण से ज्यादा असर डालता है। भावनाओं को समझना शब्दों से ज्यादा जरूरी है।प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है एवं किसी वाक्य को बोलते समय भाव उस वाक्य का अर्थ बदल देता है।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि मॉ और भाषा का गहरा रिश्ता है। जिसे हम मातृ भाषा कहते हैं। इसी मातृ भाषा से हम बचपन से जुड़ते हैं और बड़े होने के बाद हमारी भाषा में विभिन्न भाषाओं के शब्द समावेशित हो जाते हैं। शिक्षक का कर्तव्य है कि वह अध्ययन सामग्री को जटिल शब्दों की अपेक्षा सरल शब्दों में प्रस्तुत करें। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि भाषा में टोन का बहुत बड़ा महत्व होता है। भाषा में लयबद्धता का होना व्यक्तित्व का परिचायक है। भाषा ऐसी होनी चाहिए जिससे सम्प्रेषण आसानी से हो जाए।
प्रारंभ में समारोह के समन्वयक और मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने वाचिक स्वागत किया। संयोजक प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता ने विषय प्रवर्तन किया। समारोह का संचालन डॉक्टर अब्दुल रहमान तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर एस पी तिवारी, प्रोफेसर रुचि बाजपेई, प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता, डॉ साधना श्रीवास्तव, डॉ अतुल कुमार मिश्रा, डॉ अब्दुर्रहमान फैसल, डॉ सफीना समावी आदि ने विचार, गीत एवं नज्म प्रस्तुत किया। समारोह में विश्वविद्यालय के निदेशकगण, आचार्यगण, सह-आचार्य, सहायक आचार्य एवं शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया।
Dec 11 2023, 18:35