खूंखार हुए कुत्ते, छह माह में पांच हजार को बनाया शिकार
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कुत्ते खूंखार हो गए हैं। उन पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है, जिसके चलते कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पिछले छह महीने में 4992 लोगों को कुत्तों ने निशाना बनाया है।
इससे 25 लाख रुपये से ज्यादा की एंटी रैबीज वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग को खरीदनी पड़ी जबकि जिनकों कुत्ते के काटा उनके काम पर नहीं जाने से एक करोड़ रुपये से ज्यादा की श्रम शक्ति का नुकसान हुआ। इसके बावजूद गली के कुत्तों पर नियंत्रण के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।जिले में कुत्तों की आबादी बढ़ती ही जा रही है।
भोजन की तलाश में गली के कुत्ते इधर-उधर भटकते रहते हैं। भोजन नहीं मिले पर आक्रामक होकर लोगों को निशाना बनाते हैं। मौसम के बदलाव का भी कुत्तों के व्यवहार पर असर पड़ता है। जाड़े में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। कुत्ते अकेले व्यक्ति को देखकर हमला कर देते हैं।जिला चिकित्सालय में हर दिन 40 से 50 लोगों को एंटी रैबिज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं।
इसके अलावा दूसरे केंद्रों पर भी वैक्सीन लगाई जाती है। स्वस्थ्य विभाग का दावा है कि एआरबी उसके पास पर्याप्त है। पूरे जिले की बात करें तो छह माह में 4992 लोगों पर कुत्तों ने काटा है। गोपीगंज में बंदरों और डीघ के इलाकों में सियारों के भी हमले बढ़े हैं। छह महीने में 70 लोगों को सियारों ने भी निशान बनाया है। गोपीगंज, औराई और सीतामढ़ी क्षेत्र में 35 लोगों को बंदर काट चुके हैं।
कुत्ता, सियार या बंदर काटने पर लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने सरकारी अस्पतालों में पहुंचे हैं क्योंकि वहां निशुल्क इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। एक व्यक्ति को पांच एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने लगवाने की जरूरत पड़ती है। कुत्ता काटने के पहले दिन, तीसरे, सातवें, 14 वें, 18वें दिन एंटी रैबिज वैक्सीन लगाई जाती है। साधारण स्थितियों में तीन डोज से भी काम चलाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक छह महीने में लगभग 25 लाख रुपये खर्च करने पड़े हैं। इस बोझ के कम होने पर दूसरी दवाएं मंगाई जा सकती थीं। अब भारत सरकार ने पांच से कम करके चार डोज कर दिया है।
जिला अस्पताल में 500 और औराई, डीघ, गोपीगंज, सुरियावां, भदोही व दुर्गागंज सीएचसी पर 200 से 250 से डोज एंटी रैबिज वैक्सीन उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर कहीं भी कुत्ते झुंड में दिखे या फिर आक्रामक दिखें तो बचने की कोशिश करनी चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर होती हैं आक्रामक
उप पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विनोद कुमार यादव ने बताया कि कुत्तों के आक्रामक होने का प्रमुख कारण बच्चों की सुरक्षा भी है। इन दिनों बच्चे देने का समय है। ऐसे में कुतिया अपने बच्चों के पास किसी को फटकने नहीं देती है। जब कोई उसके फिर कोई उधर से गुजरता है और उसे खतरे का अंदेशा होता तो वह आक्रामक हो जाती है। मौसम का भी असर पशुओं के व्यवहार पर पड़ता है।
कुत्ते काटने के मामले
महीना शिकार हुए
मई- 670
जून- 703
जुलाई- 470
अगस्त- 519
सितंबर 668
अक्तूबर- 886
नवंबर- 1076
केस वन: 26 अक्तूबर, 2022 में भदोही में एक मासूम पर आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे 35 टांके लगाने पड़े।
केस दो- 22 दिसंबर, 2022 को मिश्रीपुर गांव में एक बच्ची पर आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया। जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया। उसे 13 टांके लगाने पड़े।
चिकित्सालय में पर्याप्त मात्रा में एंटी रैबिज वैक्सीन उपलब्ध है। कुत्ता काटने से पीड़ित हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाती है। कोई भी मरीज बिना इंजेक्शन लगवाए वापस नहीं जाता है।- डाॅ. राजेंद्र कुमार, सीएमएस जिला चिकित्सालय
Dec 10 2023, 18:29