राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के 45 फीसदी पद खाली
भदोही- राजकीय माध्यमिक एवं इंटर कॉलेजों में शैक्षिक व्यवस्था में सुधार की कवायद धरातल पर फेल हो गई है। शिक्षकों और प्रवक्ताओं की कमी के कारण छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। तीन से चार शिक्षकों के भरोसे आठ से नौ विषयों की जिम्मेदारी है। जिससे साल दर साल छात्र-छात्राओं की संख्या कम होती जा रही है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित स्कूलों की दिशा और दशा बदलने के लिए वर्ष 2009-10 में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी। जिसमें 33 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को उच्चीकृत कर राजकीय हाईस्कूल का दर्जा दिया गया। स्कूल में कक्षाएं तो शुरू हो गई, लेकिन 13 साल बाद भी शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो पाई। इससे विद्यालयों में पठन-पाठन लगातार प्रभावित हो रहा है। स्थिति यह है कि किसी स्कूल में तीन तो किसी में चार के भरोसे ही स्कूल की कक्षाएं चलाई जा रही है। जिसका असर पढ़ाई पर भी दिख रहा है। स्कूलों में प्रवेश के लिए उत्साहित होने वाले छात्र-छात्राएं अब दूसरे विद्यालयों की तरफ रूख
कर रही हैं।
कितने शिक्षकों की होनी थी तैनाती
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद शिक्षकों की तैनाती के गाइडलाइन भी जारी कर दिए गए थे। गाइड लाइन के अनुसार प्रत्येक स्कूलों में प्रधानाध्यापक सहित आठ शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की तैनाती किए जाने की योजना थी, हालांकि कहीं भी इसे पूरा नहीं किया जा सका।
शिक्षकों की स्थिति
विद्यालय का नाम स्वीकृत पद तैनाती
33 राजकीय हाईस्कूल 264 142
राजकीय इंका महराजगंज 18 09
राजकीय इंका जगन्नाथपुर 17 05
राजकीय इंका ज्ञानपुर 85 28
राजकीय हाईस्कूल में वर्षवार छात्र संख्या
वर्ष छात्र संख्या
2023 3950
2022 4122
2021 4426
राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी कई साल से चली आ रही है। पूर्व की अपेक्षा सहायक अध्यापकों की संख्या बढ़ी है। शिक्षकों की कमी के बारे में हर साल लिखकर भेजा जाता है।
Dec 09 2023, 17:11