राजघाट होने के बाद वियतनाम रवाना हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, G20 के मंच से दे गए चीन को बड़ा सदमा

डेस्क: भारत में जी-20 के सफल आयोजन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज रविवार को राजघाट पर महात्मा गांधी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह वियतनाम की यात्रा के लिए रवाना हो गए। 

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के तहत बाइडेन दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे और उन्होंने उसी दिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। अपनी 50 मिनट से अधिक की बातचीत में मोदी और बाइडन ने द्विपक्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी को ‘‘और गहरा एवं विविध’’ बनाने का संकल्प लिया।

बाइडेन ने भारत द्वारा 31 ड्रोन की खरीद और जेट इंजन को मिलकर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत किया। बाइडेन ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख सत्रों में भी भाग लिया। इसके बाद वह वियतनाम के लिए रवाना हो गए।

 इससे पहले शनिवार को जो बाइडेन ने जी-20 के मंच से "इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर" का ऐलान करके चीन के वन रोड वन बेल्ट परियोजना (बीआरआइ) की हवा निकाल दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर को दुनिया के 8 देश मिलकर बनाएंगे। यह भारत से इजरायल और यूरोप तक जाएगा। पीएम मोदी और जो बाइडेन के इस दांव से चीन के बाजार में भूचाल आ सकता है।

भारत के व्यापार को लगेंगे पंख

अमेरिकी राष्ट्रपति और पीएम मोदी की इस परियोजना के साकार होने के बाद मध्य एशिया से यूरोप तक भारत को व्यापार करना आसान हो जाएगा। साथ ही भारत-अमेरिका की साझेदारी नए मुकाम तक पहुंचेगी। बता दें कि इस ऐतिहासिक इकोनॉमिक कोरिडोर में भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, यूएई और यूरोपीय यूनियन शामिल होंगे। यह कोरिडोर भारत से जोर्डन और इजरायल तक जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि चीन ने इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की शुरुआत की थी। जिसका मकसद मिडिल ईस्ट के बाजार पर दबदबा कायम करना था। हालांकि चीन की यह परियोजना पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच भारत से यूरोप तक जाने वाले इन नए कोरिडोर के ऐलान से चीन को बड़ा सदमा लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस इकोनॉमिक कोरिडोर का ऐलान करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी।

ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर ने खुद को किया दिवालिया घोषित, 114 नोटिस जारी, सभी जरूरी खर्चों पर रोक

डेस्क: विकसित देश की कैटेगरी वाले ब्रिटेन से एक हैरान करने वाली खबर आई है। वहां के दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम ने खुद को दिवालिया घोषित कर लिया है. इस खबर से पूरे शहर में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने ऐसे हालात में 114 नोटिस जारी किए हैं और सभी जरूरी खर्चों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। ऐसा क्यों हुआ, इस पर लगातार चर्चा हो रही है। खबर के मुताबिक, एक समान वेतन का दावा इसके पीछे एक बड़ी वजह है. गार्डियन के हवाले से एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, नगर परिषद के पास वैसी महिला सरकारी कर्मचारियों के समान वेतन दावों के लिए 760 मिलियन पाउंड ($955 मिलियन) का पेमेंट करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है, जिन्हें पहले पुरुषों के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था।

87 मिलियन पाउंड का हो सकता है घाटा

खबर के मुताबिक,बीते जून में, नगर परिषद ने यह बताया कि उसने महिला श्रमिकों को 1.1 बिलियन पाउंड का पेमेंट किया था, लेकिन अभी भी 650-750 मिलियन पाउंड की मौजूदा देनदारी थी, जो हर महीने 5 मिलियन पाउंड से 14 मिलियन पाउंड की दर से जमा हो रही थी। लेटेस्ट आंकड़े बताते हैं कि बर्मिंघम को अब वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 87 मिलियन पाउंड का घाटा हो सकता है। समान वेतन के भार को कम या खत्म करने के लिए फिलहाल कोई साधन नहीं आ रहा है। प्रशासन की तरफ से जारी नोटिस का मतलब है कि कमजोर लोगों और वैधानिक सेवाओं की सुरक्षा के अलावा सभी नए खर्च तुरंत बंद होने चाहिए।

पुरुषों के समान लाभ और पेमेंट करने में विफल रहा प्रशासन 

बर्मिंघम के दिवालियेपन के पीछे कई साल लग गए थे। बीबीसी का कहना है कि, ये दावे 2012 के हैं, जब 170 महिलाओं के एक ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में परिषद के खिलाफ समान वेतन के दावे के साथ आगे बढ़ने का अधिकार जीता था। दावा किया कि परिषद उन्हें समान कार्य करने वाले पुरुषों के समान लाभ और पेमेंट करने में विफल रही। महिलाओं के इस ग्रुप में टीचिंग असिस्टेंट, सफाईकर्मी और खानपान कर्मचारी शामिल थे। बताया जा रहा है कि परिषद ने अपनी वित्तीय परेशानियों के लिए ओरेकल द्वारा नए क्लाउड-आधारित आईटी सिस्टम के खर्च और सरकारों द्वारा सालों की फंडिंग में कटौती भी बड़ी वजह है।

आईटी सिस्टम की लागत लगातार बढ़ना भी कारण

रिपोर्ट के मुताबिक, आईटी सिस्टम की लागत 19 मिलियन पाउंड होनी थी, लेकिन इसे सेट अप करने में तीन साल और लग गए. स्थापित होने के बाद समस्याओं के चलते अब इसकी लागत बढ़कर 100 मिलियन पाउंड होने की उम्मीद है। अन्य कारणों में महंगाई, सामाजिक देखभाल की बढ़ती मांग, इसके अलावा, मुद्रास्फीति, वयस्क सामाजिक देखभाल की बढ़ती मांग और बिजनेस टैक्स इनकम में भारी कटौती भी प्रमुख हैं.

भयंकर तूफान का सामना कर रही स्थानीय सरकार

 

Birmingham काउंसिल के उपनेता शेरोन थॉम्पसन का कहना है कि स्थानीय सरकार भयंकर तूफान का सामना कर रही है। सरकार ने मुद्रास्फीति को देखते हुए पहले ही परिषद के लिए उसके बजट का लगभग 10 प्रतिशत अतिरिक्त धन मुहैया करा दिया था, लेकिन, यह स्थानीय रूप से निर्वाचित परिषदों के लिए है कि वे अपने स्वयं के बजट का प्रबंधन करें। बर्मिंघम सिटी काउंसिल के एक पूर्व सलाहकार ने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी बर्मिंघम के दिवालियापन के कारणों में से एक थी।

कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देने का भी हक

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि अगर कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देने का पूरा हक है। एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आम तौर पर माना जाता है कि शीर्ष कोर्ट चुनाव या उससे जुड़ी प्रक्रिया में दखल नहीं देती। लेकिन ये अंतिम सत्य नहीं है। कोर्ट ने बताया कि दखल कब हो सकता है।

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि अगर कोई अफसर गलत करता दिखता है तो कोर्ट का दायित्व है कि वो ऐसे मामले में दखल दे। बेंच ने कहा कि लोकतंत्र को बहाल रखने के लिए सबसे जरूरी प्रक्रिया चुनाव होती है। चुनाव के जरिये ही जन प्रतिनिधि चुने जाते हैं। उनके जरिये एक सरकार बनती है जो देश या किसी सूबे को चलाती है। इस सारे मसले में सबसे अहम चीज चुनाव है। चुनाव अगर निष्पक्ष तरीके से होते हैं तो जनता के जरिये चुना हुआ प्रतिनिधि संसद या विधानसभा में पहुंचता है। लेकिन अगर चुनावी प्रक्रिया को आधिकारिक स्तर पर प्रभावित करने की कोशिश की जाती है तो कोर्ट मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकती। ऐसे में उसे चुनावी प्रक्रिया में दखल देना ही होगा।

नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव चिन्ह से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव चिन्ह से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही। डबल बेंच ने नेकां को हल निशान के लिए हकदार बताया था। कोर्ट ने नेकां को यह निशान आवंटित करने का विरोध कर रहे लद्दाख प्रशासन की याचिका बुधवार को खारिज कर दी थी। उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 51 पन्नों के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वो चुनावी प्रक्रिया में दखल दे सकता है।

टॉप कोर्ट की टिप्पणी के बाद लद्दाख चुनाव विभाग ने करगिल में स्थानीय निकाय चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को हल निशान देते हुए नई अधिसूचना जारी की। नए आदेश के मुताबिक कारगिल में स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर में कराया जाएगा। शीर्ष अदालत की नाखुशी के बाद ही ये फैसला आया

राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, आरपार के मूड में सीजेआई

सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा। ये याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मई को आई थीं। अदालत ने केंद्र के यह कहने पर सुनवाई टाल दी थी कि दंडात्मक प्रावधान की समीक्षा पर सरकार परामर्श लेने के अंतिम चरण में है।

केन्द्र सरकार ने 11 अगस्त को एक बड़ा कदम उठाते हुए ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन नये विधेयक पेश किये थे तथा कहा कि अब राजद्रोह कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 12 सितंबर के लिए अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगी। अदालत ने एक मई को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की इन दलीलों पर गौर किया था कि सरकार ने आईपीसी की धारा 124ए की पुन: पड़ताल की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

पिछले साल 11 मई को एक ऐतिहासिक आदेश में शीर्ष न्यायालय ने राजद्रोह संबंधी औपनिवेशिक काल के दंडात्मक कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि "उपयुक्त" सरकारी मंच इसकी समीक्षा नहीं करता। इसने केंद्र और राज्यों को इस कानून के तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने व्यवस्था दी थी कि देशभर में राजद्रोह कानून के तहत जारी जांच, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाही पर भी रोक रहेगी। राजद्रोह कानून के तहत अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इसे देश की आजादी से 57 साल पहले और आईपीसी के अस्तित्व में आने के लगभग 30 साल बाद 1890 में लाया गया था।

जी 20 की दिल्ली में बैठक में पाकिस्तान को नहीं बुलाने पर शर्मिंदा महसूस कर रहे पाकिस्तान के लोग, पढ़िए, कैसी कैसी अा रही प्रतिक्रिया

जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। इस वक्त सारी दुनिया की नजरें देश में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन पर टिकी हुई है, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर देश के नेता का एक जगह पर शामिल हुए है। जी 20 शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित किए जाएगा।

इस सम्मेलन में उपस्थित सारे देश आर्थिक मुद्दों से लेकर सामाजिक और पर्यावरण से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं। हालांकि, इसी बीच पाकिस्तान के लोगों को इस बात का अफसोस हो रहा है कि भारत ने उन्हें जी 20 शिखर सम्मेलन में बतौर अतिथि भी शामिल होने का न्योता नहीं दिया।

बता दें कि जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। बांग्लादेश भी शामिल है, जो पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था। इन्हीं बातों को लेकर पाकिस्तानी लोगों को बहुत शर्म आ रही है कि बांग्लादेश एक न्यूक्लियर देश न होकर भी जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जा रहा है और वहीं पाकिस्तान को न्यूक्लियर देश होने के बावजूद नहीं बुलाया गया।

पाकिस्तानियों को महसूस हो रही शर्मिंदगी

पाकिस्तानी यूट्यूबर शोएब चौधरी ने आवाम के बीच जाकर भारत में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन को लेकर राय जाननी चाही। इस पर पाकिस्तानियों ने कहा कि हमे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस हो रही है। भारत ने हमे शिखर सम्मेलन में न्योता नहीं दिया है।

जी 20 समूह में शामिल देशों के अलावा और भी 9 देशों को विशेष आमंत्रण पर शामिल होने के न्योता दिया गया है। इन देशों में बांग्लादेश, ईजिप्ट, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है।

पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह

भारत का पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह ये है कि भारत के रिश्ते पाकिस्तान के साथ सही नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है। इसके अलावा पड़ोसी मुल्क आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश भी करता है और कई बार अपने नापाक मसूंबों में सफल भी हुआ है, जिसमें साल 2008 में हुआ मुंबई हमला एक उदाहरण है। इसके अलावा देश के जवानों को अपना निशाना बनाता रहता है। पुलवामा अटैक और उरी हमला इसका उदाहरण है।

दिल्ली में G20 सम्मेलन के पहले दिन लिए गए पांच बड़े फैसले, यहां डिटेल में पढ़िए, कैसे पहले ही दिन भारत को मिली बड़ी कामयाबी

दिल्ली में G20 सम्मेलन के पहले दिन कई बड़े फैसले लिए गए। भारत को जहां पहले दिन दिल्ली घोषणापत्र को एडॉप्ट कराने में सफलता मिली। वहीं पहले दिन ही अफ्रीकन यूनियन को G20 की स्थायी सदस्यता भी दी गई। 

G20 सम्मेलन की शुरुआत के कुछ घंटे के बाद ही सभी देशों ने एक बड़ा फैसला किया। इसके तहत अफ्रीकन यूनियन को G20 का स्थाई सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया। इस फैसले के बाद कहा गया कि यह एक प्रयास है विकासशील देशों को मुख्यधारा से जोड़ने का।

अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और खाड़ी और अरब देशों और यूरोपीय संघ को जोड़ने वाले व्यापक रेल और शिपिंग कनेक्टिविटी नेटवर्क की घोषणा की गई।

चीन और रूस की सहमति के बाद दिल्ली घोषणापत्र को सभी की सहमति के बाद पास कराया गया। पीएम मोदी ने कहा कि इस घोषणापत्र को लेकर 100 फीसदी सहमति बन गई है।

पीएम मोदी ने स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने की घोषणा की। यह पुष्टि की गई कि यह गठबंधन पौधों और जानवरों के अपशिष्ट सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जैव ईंधन में व्यापार को सुविधाजनक बनाकर शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के वैश्विक प्रयासों को गति देगा।

सम्मेलन के दौरान कोरोना के बाद विश्व में देशों के बीच मौजूद अविश्वास की स्थिति पर भी चर्चा हुई। सभी देशों ने तय किया कि इस अविश्वास को G20 के सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग से दूर किया जाएगा।

अगर हम सत्ता में आए तो...',कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को G20 डिनर का न्योता नहीं देने पर संजय राउत का बड़ा बयान



जी20 समिट में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं दिए जाने पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा ने कहा कि जब मन किसी राजा का छोटा होता है, तो ऐसी हरकत होती है। आप देवगौड़ा और मनमोहन सिंह को बोलते हैं जो चल भी नहीं सकते हैं, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे को नहीं बुला रहे इससे उनका डर झलकता है। राउत ने कहा कि आपने इंडिया को लेकर The Mother of Democracy बुक जारी की है, लेकिन अगर आप विपक्ष को इसमें जगह नहीं देते हैं, तो यह लोकतंत्र नहीं है।  

"हम परंपरा को फॉलो करेंगे, उन्हें न्योता देंगे"

संजय राउत ने कहा, "अगर इन इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन सत्ता में आए और मोदी विपक्ष के नेता हुए, तो हम परंपरा को फॉलो करेंगे और उन्हें न्योता देंगे। दुनियाभर के नेता एक साथ आ रहे हैं, लेकिन आप विपक्ष के सबसे बड़े नेता को जगह नहीं देते, तो यह दुखद है।" इस मुद्दे पर बेल्जियम में राहुल गांधी के दिए बयान का समर्थन करते हुए राउत ने कहा कि राहुल गांधी ने अगर यूरोप में कहा है, तो वो सच कहा, उसमें गलत क्या है। वो कुछ गलत नहीं कह रहे। आप जब मल्लिकार्जुन खरगे को डिनर पर न्योता नहीं देते तो क्या यह लोकतंत्र है, क्या यह सही है, राहुल बिल्कुल सही कह रहे हैं, मोदी खुद पीएम रहते भी विदेशों में देश की आलोचना कर चुके हैं।

ए राजा की टिप्पणी पर संजय राउत का बयान

सनातन धर्म पर ए राजा के दिए बयान को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, "हमने कल अपने सामना के जरिए अपनी नाराजगी जताई है। ए राजा ने जो कहा उस पर हम फिर से चर्चा अगली बैठक में करेंगे। जो लोग सनातन या दूसरे धर्म के बारे में बोलते हैं उन्हें पहले जानना चाहिए, बिना सोचे-समझे न बोले। जिस नेता का आप नाम ले रहे (ए राजा) उनकी पार्टी आज कहा है। सनातन धर्म पर बोलने वालों के कितने विधायक या सांसद हैं। सनातन धर्म के बारे में जिन्हें जानकारी नहीं उन्हें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हम सामना के जरिए फिर से लेख लिखेंगे।"

ओबीसी नेताओं की सीएम शिंदे के साथ आज बैठक 

मराठा आरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि आज ओबीसी नेताओं की सीएम शिंदे के साथ बैठक होने वाली है। उसके बाद देखेंगे। ये मुद्दा बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार जल्द मराठों को आरक्षण देने का काम करे, ताकि मनोज जारांगे पाटिल अपना अनशन तोड़े, क्योंकि यह मामला जितना लंबा खींचेगा उतनी मुश्किल सरकार को होगी। बिना किसी के साथ अन्याय किए मराठों को न्याय राज्य सरकार दे।

राधाकृष विखे पाटिल के विरोध पर क्या बोले?

धनगर कार्यकर्ता पर राधा कृष्ण विखे पाटिल के विरोध को लेकर उन्होंने कहा, ओबीसी के जो धनगर समाज नाराज हैं और कल उनके एक नेता ने भगवान को चढ़ाने वाली हल्दी मंत्री राधाकृष विखे पाटिल पर फेंकी तो वो इतने नाराज़ हो गए और उनके बॉडीगार्ड ने उस शख्स को इतना मारा कि वो बेहोश हो गए और मंत्री हंस रहे थे। यह बहुत ही दुखद बात है। भगवान की हल्दी अगर मंत्री पर किसी ने विरोध के चलते डाल भी दी, तो इतना नाराज होने की क्या जरूरत थी?

जी 20 में ऐतिहासिक ऐलान, भारत से दुबई होते हुए यूरोप तक बनेगा रेल कॉरिडोर, चीन की बीआरआई को लगा बड़ा झटका

#historicdecisioning20railcorridortobebuiltfromindiatoeurope

जी समिट में इंटरनेशनल लेवल के बड़े प्रोजेक्ट्स के बारे में बड़ा ऐलान किया गया है। अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और यूएई के साथ कई देश मिलकर आपसी कनेक्टिविटी को बेहतर करना चाहते हैं। इसके लिए भारत मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया है।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को इस आर्थिक कॉरिडोर का एलान किया। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और मिडिल ईस्ट के देशों से होते हुए यूरोप को भी कनेक्ट किया जाएगा। मिडल ईस्ट देशों के बीच रेल लाइन बनाई जाएगी और फिर पोर्ट के जरिए इसे भारत से जोड़ा जाएगा। इस बड़े ऐलान से चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई को तगड़ा झटका लगा है।

बाइडन ने आर्थिक कॉरिडोर के लिए पीएम मोदी को दी बधाई

भारत में जी-20 समिट में हिस्सा लेने आए जो बाइडन ने आर्थिक कॉरिडोर की घोषणा करते हुए कहा कि, "यह वास्तव में एक बड़ी बात है। मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहना चाहता हूं। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य जो इस जी 20 शिखर सम्मेलन का फोकस है, पर ही आधारित है। यह कई मायनों में, उस साझेदारी का भी प्रतीक है जिसके बारे में हम आज बात कर रहे हैं। टिकाऊ, लचीला बुनियादी ढांचे का निर्माण, गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे में निवेश करना और एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए हम इकोनॉमिक कॉरिडोर तैयार करेंगे। पिछले साल, हम इसके लिए प्रतिबद्ध होकर एक साथ आए थे।"

पीएम मोदी ने कहा-भारत और यूरोप के बीच व्यापार करना आसान हो

वहीं, इस उपलब्धि पर मुहर लगने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह रेल और शिपिंग कॉरिडोर मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास का आधार होगा। भारत ने अपनी विकास यात्रा में इसे प्राथमिकता दी है। पीएम मोदी ने कहा कि शिपिंग और रेल कॉरिडोर बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ- साथ मध्य पूर्व व दक्षिण एशिया से यूरोप तक वाणिज्य, ऊर्जा और डेटा के प्रवाह में सहायता प्रदान करना है। वहीं, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस रेल कॉरिडोर बनने से भारत और यूरोप के बीच व्यापार करना आसान हो जाएगा। उनकी माने तो यूरोप और भारत के बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी। खास बात यह है कि इस शिपिंग और रेल कॉरिडोर परियोजना के समझौते ज्ञापन पर सभी देशों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।

8 देश मिलकर बनाएंगे रेल कॉरिडोर

खास बात यह है कि भारत, अमेरिका और सऊदी अरब सहित कुल 8 देश मिलकर इस रेल कॉरिडोर को बनाएंगे। इन देशों ने मिलकर मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और यूरोप के देशों को जोड़ने वाले एक रेल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है। इसके अलावा इन देशों ने एक शिपिंग गलियारे के निर्माण पर भी मुहर लगाई है।

चीन के लिए बड़ा सदमा

बता दें कि चीन ने इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की शुरुआत की थी। जिसका मकसद मिडिल ईस्ट के बाजार पर दबदबा कायम करना था। हालांकि चीन की यह परियोजना पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच भारत से यूरोप तक जाने वाले इन नए कोरिडोर के ऐलान से चीन को बड़ा सदमा लगा है। इसे भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस कोरिडोर का सबसे बड़ा फायदा भारत को होने वाला है।

क्या है जी20 घोषणापत्र? मानी जा रही भारत की बड़ी कामयाबी, आतंकवाद, महंगाई, यूक्रेन युद्ध समेत कुल 112 मुद्दे हैं शामिल

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राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक जारी है। इस बीच भारत को इस शिखर सम्मेलन मे बड़ी कामयाबी मिली है। सम्मेलन के दूसरे सत्र में साझा घोषणा-पत्र पर सहमति बन गई है।घोषणापत्र को जी20 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से मंजूरी भी दे दी है जो कि भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी है।इस घोषणापत्र में आतंकवाद, महंगाई, यूक्रेन युद्ध समेत कुल 112 मुद्दे शामिल हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारत मंडपम' में जी-20 समिट के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए ये ऐलान किया कि संयुक्त घोषणा पत्र पर सबकी सहमति बन गई है। 37 पेजों के घोषणा पत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई है।

जी20 नेताओं के घोषणा-पत्र में क्या?

-घोषणापत्र में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या धमकी को अस्वीकार्य बताया गया है। यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए देश के रुख और प्रस्तावों को दोहराया गया है।

-घोषणापत्र में कहा गया है कि हम सभी देशों से अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धातों को बनाए रखने और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।

-घोषणापत्र में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया गया है। इसके साथ-साथ इसका मुकाबला करने और किसी भी रूपों में इसकी निंदा की गई है।

-जी20 घोषणापत्र मजबूत सतत समावेशी विकास पर केंद्रित है। इसमें हरित मार्ग की परिकल्पना की गई है। जी20 की अध्यक्षता का संदेश एक पृथ्वी है, एक कुटुम्ब है और एक भविष्य बताया गया है।

-घोषणापत्र में लैंगिक अंतर को कम करने के साथ-साथ फैसले लेने वालों के रूप में अर्थव्यवस्था में महिलाओं की पूर्ण और समान भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाइ गई है।

-घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है कि इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध का पूरी दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव का भी उल्लेख किया गया है।

-विवादित मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान करने की अपील की गई है। आतंकी समूहों को पनाह देने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बात कही गई है।

-यह मानते हुए कि जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।

-सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल के इस्तेमाल या धमकी देने से बचना चाहिए।

-इसके अलावा एफएटीएफ के बढ़ते संसाधन आवश्यकताओं के समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। विवादों का कूटनीति और संवाद के जरिए शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की गई है।

-जी20 समिट के दौरान तीन एफ-फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर के मुद्दे विशेष चिंता की श्रेणी में शामिल थे। जी20 सदस्य देशों ने कारोबार की सुगमता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।–

-जी20 देशों से कहा गया है कि हमारे पास बेहतर भविष्य बनाने का अवसर है। ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए कि किसी भी देश को गरीबी से लड़ने और प्लेनेट के लिए लड़ने के बीच चयन करना पड़ा।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह मेरा प्रस्ताव है कि इस जी20 घोषणापत्र को अपनाया जाए।’ सदस्यों की मंजूरी के बाद पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं इस घोषणापत्र को अपनाने की घोषणा करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘इस अवसर पर मैं अपने मंत्रियों, शेरपा और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसे संभव बनाया।’ 

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण, भारत ने शुक्रवार को सकारात्मक परिणाम निकालने के प्रयास में भू-राजनीतिक संबंधी पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन घोषणापत्र का मसौदा वितरित किया था।

भारत को बड़ी सफलता, नई दिल्ली साझा घोषणा पत्र को जी 20 देशों की मंजूरी, पीएम मोदी ने कहा- मेरी टीम की मेहनत रंग लाई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन एलान किया कि संगठन के सभी सदस्य देशों ने नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी दे दी है। पीएम मोदी ने इस संयुक्त घोषणापत्र को मंजूरी मिलने के पीछे जी20 शेरपा, मंत्रियों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और उनके कठिन परिश्रम के लिए उनकी तारीफ की। जी20 का संयुक्त घोषणा पत्र कल यानी रविवार को जारी होगा। रविवार को भी जी20 सदस्य देशों की बैठक होनी है। इस बैठक में भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणापत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं, हालांकि बाद में भारत ने घोषणापत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई।

भारत ने यूक्रेन संकट पर नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया

भारत ने शनिवार को जी20 देशों के बीच समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत में जारी होने वाले नेताओं के घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करने के लिए एक नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया। राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण भारत ने शुक्रवार को भू-राजनीतिक मुद्दे से संबंधित पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र का एक मसौदा साझा किया था ताकि सकारात्मक परिणाम निकल सके। यूक्रेन पर भारत की ओर से घोषणापत्र में नया पाठ तब साझा किया गया जब जी20 नेताओं ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन गंभीर वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श शुरू किया।

जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र

दिल्ली घोषणापत्र में कुल 112 मुद्दों को शामिल किया गया है। यह जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र है। इस बार की बैठक में पिछले घोषणापत्रों से ज्यादा मुद्दों पर सहमति बनी है।