बीमार धरती मां की रक्षा समझ एवं संवेदना द्वारा ही संभव: डॉ अर्जुन पाण्डेय
अमेठी । अप्रैल नगर स्थित ओम् नगर में अमेठी जलबिरादरी की ओर से विश्व पृथ्वी दिवस, अक्षय तृतीया एवं भगवान परसुराम जयन्ती का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर पूजा अर्चना के साथ हुआ।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष अमेठी जल बिरादरी पर्यावरणविद् डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि हरियाली धरती का श्रृंगार है। धरती बचेगी तभी जीवन रहेगा। सृष्टि एवं प्रलय प्रकृति का नियम है।आज तक पृथ्वी पांच बार प्रलय देख चुकी है। वर्तमान में हिमानियों का तेजी से पिघलना एवं समुद्री तापमान का 6-8डिग्री बढ़ना के साथ तेजी से हो रहा व्यापक जलवायु परिवर्तन आदि दुनिया के सबसे बड़े खतरे हैं।उद्दाम भोगवाद एवं आधुनिक विकास का मॉडल धरती को विनाश की ओर ले जाने की ओर अग्रसर है।
अब तो बीमार धरती मां की रक्षा समझ एवं संवेदना ही कर सकती है। मुख्य अतिथि अधिवक्ता हाईकोर्ट हिमांशु पाण्डेय प्रखर ने अपने उद्बोधन में कहा कि धरती भोग की वस्तु नही है। प्रकृति आवश्यकता की पूर्ति तो कर सकती है लोभ-लालच की नही। विशिष्ट अतिथि श्री नाथ शुक्ल ने कहा कि धरती पर बढ़ती चुनौतियां का समाधान अथर्ववेद के सूक्त माता भूमि पुत्रोउहं पृथिव्या: की भावना से जीवन यापन करके ही संभव है।
ललित कुमार ने कहा कि धरती पर हरियाली कायम रहे इसके लिए वृक्षारोपण के साथ उनका रखरखाव ज्यादा जरूरी है। डॉ अभिमन्यु पाण्डेय ने कहा कि पृथ्वी पर संतुलन हेतु प्रकृति की सुरक्षा एवं सेहद को समझना आज की पीढ़ी के लिए अनिवार्य है। विवेक मिश्र ने कहा कि पृथ्वी दिवस की सार्थकता के लिए आर्थिक एवं विकास में सन्तुलन अपरिहार्य है। विकास शुक्ल ने कहा कि धरती की सभी वस्तुओं को का उपयोग विरासत के बजाय धरोहर के रूप में करें।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कैलाश नाथ शर्मा ने कहा कि धरती का अस्तित्व तभी होगा जब जीवन होगा। धरती का इतिहास अरबों वर्ष पुराना है। धरती को बीरान होने से बचाना हम-सब की नैतिक जिम्मेदारी है। संगोष्ठी का समापन धरती मां की रक्षा संकल्प के साथ हुआ।
Apr 24 2023, 10:17