नारद भक्ति सूत्र कलयुग मे भगवान मिलन का श्रेष्ठ साधन: आचार्य विद्याभाष्कर महराज
अमेठी। श्रीमत परमहंस आश्रम टीकर माफी में नारद भक्ति सूत्र कथा " के पहले दिन रविवार को कथा व्यास जगत गुरु रामानुजाचारय स्वामी वासुदेवाचारय महराज विद्याभाष्कर ने कहा कि जगत के भूत भवन भोलेनाथ महराज ने ध्यान योग के रूप मे आपके समाने विद्यमान है ।
गिरि से पैदा हुई पर्बती जी सदैव लोगों को पालन करते है। गायत्री मंत्र पिता देता है। पन्द्रहवे साल के बाद ब्रह्ममण का यज्ञोपवीत हो जाए। भगवान ब्रह्म,विष्णु,महेश जो जगत के पलनहार है। व्याकरण की दृष्टि से चिन्तन करने की जरूरत है। ब्रह्म में भी दो गुरु हुए!बिष्णु मे भी दो गुरु है। महेश में भी दो गुरु है ।चार ब्रह्ममण के घरो मे सुदामा की पत्नी सुशीला ने चावल दिये। चार मुटठी चावल मे प्रबेश करते है। कि शास्त्र कहता है कि सनातन धर्म मे भगवान श्रीकृष्ण के नारायण के स्वरूप है। आदि काल से अन्त काल तक पालन करने वाले सनातन धर्म कहते है। चार धर्म है।
इस लिए चार मुटठी चावल लेकर सुदामा ले गये। चार बेद,चार धर्म,चार जाति,चार युग है। इस चार को पन्द्रह अबरती को जोडगे। तो एक पक्ष हुआ। पन्द्रह को चार बार करते है तो साठ होता है। जो इस से युक्त चार मुटठी चावल लेकर सुदामा गये। लेकिन मित्र से मित्र से झूठ नही बोलते है। श्रीकृष्ण ने सुदामा से पूछा कि अपने लायक पत्नी लाये ।श्रीकृष्ण कहते है कि कंटइन तो नही मिल गयी। यह चावल हमे ही नही पूरे विश्व को यह चावल तृप्त कर रहे है। हम विश्व के कल्याण की कामना करते है।
विश्व की शन्ति,विश्व परेशान हो जायेगा। बृक्ष कटान से पर्यावरण बिद परेशान है। पीपल का बृक्ष ब्रह्म,विष्णु,महेश तीनो देवता रहते है। ह्दय को तिल बना देते है। लाल पान बना देते है। पीपल का पत्ता जब पैदा होता है। तब लाल रंग का पत्ता होगा। भक्त और समर्पण होगा। तभी लाल रंग का पीपल का पत्ता रहेगा। पत्ता,सुपडी अपने अभिमान का समर्पण कर देगा। ह्दय मे भगवान निवास करते है। अनुराग का रंग मे आ जाते है। भक्त भगवान को स्नान कराने और भोग लगाओ
देर हो रही है।
मिटटी की पालिका मे चन्दन और सालिगराम को डाल देते है कि शीतल प्रदान करे। वेद व्यास पितामह ने भी पर्वत दिखाई दे। तो हडडिया है। अनुराग पूर्ण देखेंगे। तो कुल भगवान नजर आने लगता है।घास हरी होती है। सफेद रंग मिला दे!तो श्याम वर्ण हो जाएगा। भगवान हमारे है। वो ख्याल रखेंगे। वह उनका स्वरूप है। विधि और विधान नही रह जाता है। अत्यन्त प्रीती होती है। इस तरह सेवा की भावना होती है। ऐसी भक्ति को नारद भक्ति सूत्र है। एक ही भक्ति है। जो ब्रह्म से भक्ति को जोड दे। ऐसी भक्ति की आप ही हमारे है। तन्मयता हो। सुखमय हो, तत् और अत् का शब्द आता है। पिता ही बेटे का नाम दसवे दिन रख दे। नामकरण संस्कार है। भू परमात्मा की नाभि है। ऐसा प्रजापति भगवान स्वयं ब्रह्म है। कोई सरकार नही आयी। तो आजादी के बाद अयोध्या का बिकास करे। जो बिकास कर रहे है अयोध्या को बनर बना दे। अयोध्या को बचाना है। मै आपको बता रहा हूं। चित्रकूट पथ बन रहा है। जिस सड़क से जा रहा थे। जगह-जगह मोड देगे। इतिहास को बिकृत कर दिया जाय। इसलिए सहयोग करते है। मुख्य मंत्री से बात की। लेकिन कैसे बिकास होगा। नौकरी शाही और अफसर शाही पर अंकुश लगाए। बेल्डर,इंजीनियर से समन्वय स्थापित करे। अयोध्या के जानकर से सरकार चिन्तन करे। ब्रह्म जी ने जैसे किये थे। तप करते है। तभी अयोध्या का बिकास सम्भव होगा। श्रेष्ठ लोग जो अचारण करते है। उसी का फल मिलता है। भक्ति माता के रूप मे है। कलयुग भक्ति से भगवान से मिलाने वाली है। मधुसूदन सरस्वती ने भी जान लिया था। मैने नन्द बाबा के आगन मे देखा की कि गोधूर उड रही है। भगवान श्रीकृष्ण का धूल से धूसित ही वेदान्त है। बदामी रंग का गोबर गाय के चलने से धूल ब्राउन रूप का हो जाता है। श्याम वर्ण मे चमक रहा है। मनुष्य का शरीर दे दिए। भगवान इससे और क्या दे। एक आदमी पीपल के नीचे बैठे तप कर रहे थे ।नारद से कहा जा रहे है। भगवान से मिलने जा रहे है। एक आदमी केला के नीचे बैठा तप कर रहा था। नारद से पूछा कहा जा रहे। भगवान से मिलने जा रहे है। दोनो के प्रश्न एक है
दो अक्षर का नाम,चार अक्षर का नाम पिता रखे। शत्रु के नाम ना रखे। नर से नारक,नरि ना प्रतिष्ठा ना हो। नर से भिन्न ईश्वर है। तीन पीढी की छाया नाम मे आये। आपके बाप के नाम का नाम रखे। समाज को जोडने की व्यवस्था है। भगवान की सिर्फ नारद भगवान सुनते थे। कहानी सुनने से एकाग्रता आती है। यही भारतीय संस्कृति रही। ज्वार,बाजरा,मक्का की खेती होती थी। आचार्य ने आराधना बताए। इसलिए इस बनाया गया। तुलसी कडवी होती है। सालिगराम भगवान को तुलसी का भोग लगाये। पहली भक्त सन्त की संगति करे। जिस पेड मे जितने पत्ता है उतने दिन बात भगवान मिलेगे। नारद जी लौटे। केला के पेड के वाले भक्त ने पूछा। नारद जी ने कहा कि जितने पेड के पत्ते उतने वर्ष बाद मिलेगे। भक्त भडक गया। दौडा भक्त तो नारद जी ने कहा कि पीपल के पेड के नीचे वाले भक्त से मिले की नही। सूत्र से जुड गये तो जुड गये। पीपल मे जितने पत्ते है। उतने जन्म बाद मिलेगे। भगवान हमे दर्शन देगे। भगवान हमे दर्शन देगे। मेरे पाप पाप हर लेगे। भगवान हमे दर्शन देगे। नारद जी बीणा बजाने लगे। भगवान दर्शन देगे। भक्त भी नाच रहा है। भक्त मस्त हो गए। नारद जी आचार्य हो गए। चतुर्भुज स्वरूप मे भगवान विष्णु दर्शन दिए। नारद जी नाराज हो गए। दर्शन देने की बात कहे थे। आज ही दर्शन देगे। नारद की भक्ति भी लग गई। मेरे सकल पाप हर लेगे। भगवान हमे दर्शन देगे। महा विश्वास है कि दर्शन देगे। भक्ति महतारी की देन है। भगवान दर्शन देगे। ब्रह्म का दर्शन करने वाले है। नामो नारायण! नामो नारायण! नाम,वर्ण,गोत्र का स्मरण करे। भगवात भगदौड की कथा है। भगाती रहती है। नारद भगवान ज्यदा समय नही देगे। "देवर्षि नारद भक्त सुत्र कथा "का लोगो ने खूब आनंद उठाया।
इस अवसर स्वामी 1008 श्री हरि चैतन्य ब्रह्मचारी महराज,स्वामी हर्ष चैतन्य महराज,स्वामी कटटर चैतन्य महराज,मुख्य यजमान पंडित अवधेश नारायण पाण्डेय, पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी डा यू के पाण्डेय,प्रधानाचार्य हरि देव शास्त्री, उद्योग पति कपिल जी पर्यावरण बिद प्रोफेसर डा अर्जुन पाण्डेय,अधिवक्ता भाष्कर पाण्डेय ,जिला पंचायत सदस्य जगन्नाथ पाण्डेय,जिला पंचायत अध्यक्ष राजेशकुमारअग्रहरि, चेयरमैन हरीश चंद्र मिश्र(मुम्बई),प्रधान अशोक कुमार उपाध्याय उर्फ रज्जू उपाध्याय,पूर्व जिला पंचायत सदस्य बलराम यादव, सन्त कुमार सिंह,प्रधान संजय सिंह,अशोक कुमार तिवारी, अजय कुमार पाण्डेय शिवम पाण्डेय,सोमेश पाण्डेय,सौरभ पाण्डेय, हरि नाथ पाण्डेय,दिनेश शुक्ल,सुधीर कुमार तिवारी,राधेश्याम तिवारी, गुलाब सिंह आदि हजारो लोग कथा की अमृत वर्षा का श्रवण किये।
इस अवसर पर भव्य कलश यात्रा निकाली। जिसमे भारी भीड उमड पडी।सुरक्षा मे पुलिस चौकी टीकर माफी उप निरीक्षक तनुज कुमार पाल के साथ उप निरीक्षक आरक्षी का अतुलनीय सहयोग रहा।
Apr 20 2023, 18:41