बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में हुई धर्म संसद, जंतर-मंतर पर जुटे समर्थकों ने की भड़काऊ बयानबाजी

डेस्क: बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों काफी सुर्खियों में बने हुए हैं। वह खुद को सनातनी योद्धा बताते हैं। इस बीच उनके समर्थन में दिल्ली के जंतर मंतर पर साधु-संतों ने आज धर्म संसद की है। ये धर्म संसद बागेश्वर धाम सरकार की सुरक्षा के लिए बुलाई गई थी, लेकिन इस मंच से कई विवादित और भड़काऊ बयान भी दिए गए हैं। मंच से ऐसी बयानबाजी की गई है, जिसे बताया तो नहीं जा सकता लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि ये काफी आपत्तिजनक है। 

महामंडेलश्वर स्वामी भक्त हरी ने दिया भड़काऊ बयान

ये भड़काऊ बयान ऋषिकेश से आए महामंडेलश्वर स्वामी भक्त हरी ने दिए हैं। हिंदू समुदाय को जगाने की बात करने के साथ स्वामी भक्त हरी ने दूसरे समुदाय के खिलाफ काफी आपत्तिजनक बातें बोली हैं। 

बाबा बागेश्वर के समर्थकों का कहना है कि सनातन धर्म और हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले बाबा बागेश्वर की जान को खतरा है। उनके पीछे धर्मद्रोही हाथ धोकर पड़े हैं। बाबा के समर्थकों की मांग है कि सरकार उन्हें Z+ सिक्योरिटी दे। 

महामंडलेश्वर स्वामी भक्त हरी अपनी बात पर कायम हैं। वो कह रहे हैं कि उन्होंने जो कहा सोच-समझकर कहा। वहीं बाबा बागेश्वर के समर्थक सड़क पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की बड़ी कार्रवाई, चीन से लिंक रखने वाले 200 से ज्यादा ऐप पर बैन लगाने की प्रक्रिया शुरू

डेस्क: चीन से लिंक रखने वाले ऐप्स पर बड़ी कार्रवाई हुई है। केंद्र सरकार ने 138 सट्टेबाजी ऐप्स और 94 लोन देने वाले ऐप्स को बैन और ब्लॉक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये कार्रवाई गृह मंत्रालय से बातचीत के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने की है। 

मिली जानकारी के मुताबिक, छह महीने पहले 28 चीनी लोन देने वाले ऐप्स की केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जांच शुरू की थी, जिसमें ये पाया गया कि ऐसे 90 से ज्यादा ऐप ई-स्टोर पर मौजूद हैं और किसी तीसरे लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। ये ऐप्स लोगों को ज्यादा कर्ज के जाल में फंसाते थे और इनके इस्तेमाल से भारतीय नागरिकों के डाटा को भी हानि पहुंच सकती थी। 

खबर ये भी है कि जांच में पाया गया है कि इन ऐप्स के जरिए सिक्योरिटी का दुरुपयोग किया जा सकता था और इनके द्वारा आसानी से भारतीयों के डाटा तक पहुंचा जा सकता था। जिन ऐप्स को बैन किया गया है, उनमें से ज्यादातर को चीनी नागरिकों ने बनाया था। इन लोगों ने भारतीयों को काम पर रखकर उन्हें अपना कामकाज सौंपा और अहम जिम्मेदारी सौंपी।