*The Hidden Price of Convenience: How Quick Meals Are Quietly Raising Your Blood Pressure*

Health

Dr Satrajit Samanta , Consultant, Interventional Cardiologist, Narayana Hospital, Barasat.

In today’s busy world, convenience foods have become a trusted ally. Ready-to-eat meals,

frozen dinners, packaged snacks, and fast-food options are designed to fit into our fast-paced lives. But behind their appeal lies a hidden threat, excessive sodium, which is a major driver of

hypertension, or high blood pressure. Hypertension is often called the ‘silent killer’ because it can develop without warning signs, quietly

damaging the heart, brain and kidneys. What many people do not realise is the extent to which convenience foods contribute to this growing health issue.Manufacturers pack processed foods with large amounts of sodium to enhance flavour, preserve freshness and extend shelf life. While salt makes these foods taste good and seem

more satisfying, it comes at a serious cost to our health. More than 70 per cent of the sodium.we consume is not from the salt we sprinkle on our meals, it is already hidden inside the foods we buy. This means even those who think they are eating ‘normally’ may unknowingly consume

two or three times above the recommended daily limit of sodium, setting the stage for high blood pressure to develop.

How Sodium Quietly Raises Blood Pressure Excessive sodium intake causes the body to retain water, which increases the volume of blood flowing through blood vessels. This added volume puts extra strain on the heart and arteries, forcing them to work harder and harder. Over time, the walls of the blood vessels stiffen and narrow, leading to persistently high blood pressure. Left unchecked, hypertension increases the

risk of heart attacks, strokes, kidney disease, and other serious conditions. What's alarming is that many people may be undermining their health without any clear symptoms, one salty meal

at a time.

Alarmingly, sodium often hides where we least expect it to. Foods like breads, cereals, canned vegetables, deli meats, and even some so-called ‘health foods’ can be packed with sodium, even if they don’t taste particularly salty. This stealthy presence makes it even harder for individuals to gauge how much sodium they are consuming.

Reclaiming Control Over Your Plate.The good news is that small, conscious changes can have a powerful impact on our health.

Choosing fresh fruits, vegetables, and minimally processed foods over packaged meals helps

limit sodium intake naturally. Cooking meals at home whenever possible gives you full control over what goes into your food. Learning to read nutrition labels can open your eyes to hidden sodium content, while using herbs, spices, lemon, or vinegar can bring out natural flavours.

without relying on salt. Even when dining out, small choices, like asking for dressings and

sauces on the side or opting for grilled instead of fried items, can make a big difference.

Hypertension does not develop overnight. It is the result of years of small, repeated exposure to

excess sodium and other lifestyle risks. But just as it builds gradually, it can also be prevented, or even reversed, through steady, mindful changes. Convenience has its place in modern life, but it should not come at the cost of our long-term health. By making informed choices today,

you can protect your blood pressure and your heart for years to come.

Convenience foods offer short-term ease, but when it comes to your health, they may carry a hidden, long-term cost. Choosing fresh, wholesome options more often isn't about sacrificing convenience; it's about valuing your life and your future just as much as your time.

भू-जल संवर्धन मिशन कार्यशाला में डिप्टी सीएम अरुण साव ने दिया प्रेरक संदेश, कहा- जल को सिर्फ संसाधन नहीं, संस्कार के रूप में अपनाएं

रायपुर- उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) के शुभारंभ पर आयोजित कार्यशाला में ‘जल संरक्षण की प्राचीन परंपरा और वर्तमान में इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत’ पर पीपीटी के माध्यम से अपनी बातें रखीं। उन्होंने रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, अभियंताओं, स्वयंसेवी और गैर-सरकारी संगठनों से कहा कि इस गर्मी में सभी लोगों ने महसूस किया होगा कि जल संरक्षण क्यों जरूरी है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भी गंभीरता से इसे महसूस कर वर्षा जल और भू-जल संवर्धन का अभियान मिशन मोड पर शुरू कर रही है। इसमें सभी शहरवासियों की सहभागिता जरूरी है। कार्यशाला में हाइड्रोलॉजिस्ट्स, कॉलोनाइजर्स, उद्योग समूह और राज्य शासन के विभिन्न विभागों ने भू-जल और वर्षा जल के प्रभावी संवर्धन पर चार घंटे तक संवाद किया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव और भारत के वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह ने ओपन सेशन (Open Session) में प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए जल को सहेजकर रखना हमारा सामाजिक दायित्व है। हमारे पूर्वजों ने भावी पीढ़ियों के लिए तालाब, कुएं और बावली बनाकर जल संरक्षित किया था। बाद की पीढ़ियों ने इनके संरक्षण-संवर्धन पर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, आज बड़ी संख्या में ये पट गए हैं या अतिक्रमण का शिकार हो गए हैं। जलस्रोतों के प्रति हमारी उदासीनता ने आज हमें जल संकट की ओर धकेल दिया है। श्री साव ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उल्लेखित जल के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल न सिर्फ प्यास बुझाता है, अपितु यह संस्कृति, आस्था और जीवन का संगम है। जल संरक्षण जरूरत नहीं, हमारा सामाजिक दायित्व है।

उप मुख्यमंत्री साव ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हमने नए तालाब और नए कुएं खोदने बंद कर दिए हैं। जल की हमारी सभी जरूरतों के लिए हम सरकार पर आश्रित हो गए हैं। हमने पूर्वजों के दिए स्रोतों को भी संरक्षित नहीं किया। इसने एक बड़ी विसंगति को जन्म दिया है। एक ओर गर्मी में बूंद-बूंद के लिए संघर्ष करते हैं तो दूसरी ओर बरसात में बाढ़ झेलते हैं। डिप्टी सीएम साव ने कार्यशाला में शहरों में जल संकट की प्रमुख चुनौतियों को सामने रखते हुए भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के विभिन्न तरीकों को प्रभावी रूप से अमल में लाने पर जोर दिया।

भारत के वाटरमैन के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह ने कार्यशाला में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने शहरी जल के पुनर्भरण का जिम्मा लिया है। इसके लिए मैं उप मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री अरुण साव को बधाई देता हूं। समाज को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए राज्य के साथ मिलकर जल संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि हम पानी का अनुशासित उपयोग करेंगे तो पेयजल, निस्तारी, सिंचाई, खेती और उद्योग सभी के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा। हम जलस्रोतों के रिचार्ज की तुलना में डिस्चार्ज ज्यादा कर रहे हैं। इससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। उन्होंने भारतीय ग्रंथों में जल के महत्व और इसके संयमित उपयोग का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान, तकनीक, अभियांत्रिकी, संस्कृति और संस्कार धरती की पोषक हैं, शोषक नहीं। हमें धरती के पर्याप्त पोषण पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा।

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने खेती के चक्र को वर्षा के चक्र के साथ जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरों के चारों ओर की खेती को शहरों में पानी की जरूरत के अनुकूल करना होगा। शिक्षा के पाठ्यक्रम में पानी की पढ़ाई शामिल करना चाहिए। विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए जल साक्षरता का अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धरती के पोषण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जल, जंगल और जमीन के रिश्ते को समझना जरूरी है। भावी पीढ़ी को जल, जंगल और जमीन के रक्षण, संरक्षण और पोषण का महत्व समझाना होगा। वाटरमैन सिंह ने कार्यशाला में सर्वसम्मति से गंदे पानी को साफ पानी के साथ नहीं मिलने देने का संकल्प पारित करने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी शहरों में वाटर-बॉडीज (Water-bodies) की पहचान और सीमांकन कर उन्हें अधिसूचित करने का भी सुझाव दिया, जिससे इन पर अतिक्रमण को रोकने स्थानीय शासन द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा सके।

भू-वैज्ञानिक डॉ. विपिन दुबे ने कार्यशाला में रायपुर शहरी क्षेत्र के भूगर्भीय जलस्रोतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम बारिश के पानी को व्यर्थ बहने देते हैं, जबकि इसका उपयोग जलस्तर को रिचार्ज करने में किया जाना चाहिए। उन्होंने उपयोग किए हुए पानी के रिसायकल और रियूज पर भी जोर दिया। भू-वैज्ञानिक डॉ. के. पाणिग्रही ने कार्यशाला में कहा कि यदि हम 30 प्रतिशत वर्षा जल को भी हार्वेस्ट कर लें तो रायपुर में पानी की दिक्कत नहीं होगी।

कार्यशाला में गुजरात के सूरत म्युनिसिपल कार्पोरेशन के पर्यावरण अभियंता शरद काक्लोतर और सहायक अभियंता भरत चौधरी ने वहां भू-जल और वर्षा जल के संवर्धन के लिए किए जा रहे नवाचारों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भू-जल को रिचार्ज करने के विभिन्न तरीकों को अमल में लाने के साथ ही वहां जल संरक्षण के लिए उद्यान विकास, सरोवर पुनरोत्थान (Lake Rejuvenation), प्रभावी सीवेज प्रबंधन और उपयोग किए हुए जल के उपचार के बाद दोबारा उपयोग में लाने जैसे काम प्राथमिकता से किए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ क्रेडाई (CREDAI) के अध्यक्ष मृणाल गोलछा, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के जयशंकर गिरी, वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय, जल संसाधन विभाग के उप अभियंता जयंत कुमार बिसेन, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता विशाल द्विवेदी तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता ए.के. मालवे और कार्यपालन अभियंता आशालता गुप्ता ने अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में जल संरक्षण-संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., संचालक आर. एक्का और राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) के सीईओ शशांक पाण्डेय सहित सभी नगर निगमों के महापौर, सभापति और आयुक्त, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्ष एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगरीय निकायों के अभियंता, जल विशेषज्ञ, समाजसेवी, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, नगरीय प्रशासन विभाग और सुडा के अधिकारी बड़ी संख्या में कार्यशाला में शामिल हुए।

रक्तपात से अभी नहीं भरा पाकिस्तान का मन, बिलावल ने जहर उगला, कहा-सिंधु में या तो पानी बहेगा या खून

#bilawalbhuttoinduswatertreatyallegationon_india

खून-खराबे और हिंसा से पाकिस्तान का मन अभी भरा नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से बिगड़े बोल बोले जा रहे हैं। भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इन कदमों में सबसे तगड़ा रहा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का फैसला। इससे पाकिस्तान बुरी तरह बौखला उठा है और उसके नेता गीदड़ भभकियां देने लगे हैं। अब बिलावल भुट्टो का बयान सामने आया है। बिलावल ने सिंधु नदी में भारत के लोगों का खून बहाने की बात कह दी है।

...तो उसका खून बहेगा-बिलावल

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा है कि सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान का है और अगर कोई इसे छीनने की कोशिश करेगा तो उसका खून बहेगा। एक रैली में बिलावल ने कहा, ‘सिंधु दरिया हमारा है और हमारा ही रहेगा। या तो इस नदी से हमारा पानी बहेगा, या फिर उसका खून।

पाकिस्तान की फौज हर हमले का जवाब देने को तैयार-बिलावल

बिलावल युद्ध की गीदड़भभकी देने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ इस आधार पर सिंधु के पानी की मिल्कियत नहीं तय कर सकता कि उसकी आबादी ज्यादा है। भुट्टो ने कहा कि हर पाकिस्तानी सिंधु का पैगाम लेकर दुनिया को बताएगा कि दरिया पर डाका मंजूर नहीं। दुश्मन की नजरें हमारे पानी पर हैं। बिलावल भुट्टो ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की फौज हर हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि देश के चारों प्रांत एकजुट होकर भारत के हर मंसूबे का करारा जवाब देंगे। बिलावल के मुताबिक, चार प्रांत चार भाइयों जैसे हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मामला उठाएंगे

बिलावल ने भारत की घोषणाओं, खासकर आईडब्ल्यूटी के बारे में, की भी कड़ी निंदा की और कहा कि वे न केवल अवैध हैं बल्कि मानवता के खिलाफ हैं। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, हम आपके साथ खड़े होंगे और न केवल सड़कों पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का मामला उठाएंगे और भारत के फैसले का मुंहतोड़ जवाब देंगे।

सिंधु सर्जिकल स्ट्राइक", अब पानी की बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान!

#whatwillbetheeffectofstoppingtheinduswatertreaty

भारत ने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया है। पहलगाम में हुए टेरर अटैक बाद बुधवार को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी की बैठक हुई। इस बैठक में पहलगाम आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं। तमाम फैसलों में एक बड़ा फैसला भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता 1960 के निलंबन का है।

पाकिस्तान में खेती हो या पीने का पानी या फिर बिजली उत्पादन, जिसका बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान में 47 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई इन नदियों पर निर्भर है। पानी की आपूर्ति रोकने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में कृषि उत्पादन, विशेष रूप से गेहूं और चावल, पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। यही वजह है कि भारत का यह कदम "पानी की सर्जिकल स्ट्राइक" के रूप में देखा जा रहा है।

सिंधु जल संधि क्या है?

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के दौरान जब पंजाब को विभाजित किया गया तो इसका पूर्वी भाग भारत के पास और पश्चिमी भाग पाकिस्तान के पास गया। बंटवारे के दौरान ही सिंधु नदी घाटी और इसकी विशाल नहरों को भी विभाजित किया गया। लेकिन इससे होकर मिलने वाले पानी के लिए पाकिस्तान पूरी तरह भारत पर निर्भर था। आजादी के बाद से ही सिंधु जल बंटवारे को लेकर दोनों मुल्कों में कई तरह की दुविधापूर्ण स्थिति पैदा होने लगी थी। इसे दूर करने के लिए 65 साल पूर्व 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ।

इस संधि में विश्व बैंक मध्यस्थ था। इस संधि पर कराची में 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि ने निर्धारित किया कि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के जल को भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे साझा किया जाएगा।

क्या है संधि का प्रावधान

संधि के मुताबिक, सिंधु, झेलम और चिनाब को पश्चिमी नदियां बताते हुए इनका पानी पाकिस्तान के लिए तय किया गया। जबकि रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां बताते हुए इनका पानी भारत के लिए तय किया गया। इसके मुताबिक, भारत पूर्वी नदियों के पानी का, कुछ अपवादों को छोड़कर, बेरोकटोक इस्तेमाल कर सकता है। वहीं पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल का कुछ सीमित अधिकार भारत को भी दिया गया था। जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी। इस संधि में दोनों देशों के बीच समझौते को लेकर बातचीत करने और साइट के मुआयना आदि का प्रावधान भी था। इसी संधि में सिंधु आयोग भी स्थापित किया गया। इस आयोग के तहत दोनों देशों के कमिश्नरों के मिलने का प्रस्ताव था। संधि में दोनों कमिश्नरों के बीच किसी भी विवादित मुद्दे पर बातचीत का प्रावधान है।

पाकिस्तान ने तोड़ा भारत का सब्र

1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। जिस समय यह संधि हुई थी, उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नहीं हुआ था। उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी, पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा, जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा। फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा, जिसमें उसको अपना एक हिस्सा खोना पड़ा, जो बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। तब से अब तक भारत के खिलाफ पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है। मगर भारत ने फिर भी इन नदियों का पानी कभी नहीं रोका।

पाकिस्तान की लाइफलाइन है सिंधु नदी

सिंधु नदी पाकिस्तान की लाइफलाइन है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब जलधारा को माना जाता है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है। नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है। इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है। साथ ही, घरों में पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए इस नदी का अधिकांश पानी ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं। ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है। अब आप समझ लीजिए कि अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो क्या होगा? पाकिस्तान पानी की बूंद-बूंद के लिए तड़पेगा।

Alt Beauty Is Changing the Way India Does Skincare, One Smart Product at a Time

If you’ve ever stood in front of your mirror, wondering why your skincare routine takes longer than your actual breakfast, you’re not alone. Most of us are tired of long 10-step routines, layering serum over serum, and still not seeing the glow we were promised. Skincare has somehow become more stressful than soothing. But now, a new Indian brand is here to change that—say hello to altBeauty.

Alt Beauty isn’t just another skincare label. It was created by someone who knows skin inside out. Dr. Pallavi Ahire-Shelke, an award-winning dermatologist, saw how her busy clients were constantly overwhelmed by confusing ingredients and product overload. That’s why she decided to flip the script. Her idea was simple: why not make skincare smart and simple, not complicated?

What makes Alt Beauty different is how practical and science-backed it is. These are multi-tasking products designed to save you time without cutting corners. Every formula is packed with dermatologist-approved ingredients, safe for Indian skin and the daily lifestyle challenges we all face—like sun, stress, screen-time and pollution.

Let’s talk about the product that’s winning hearts already: the Smart Sunscreen. It’s not your average SPF. This one is completely mineral-based, so it’s gentle and non-toxic. It’s packed with SPF 60 and protects not just against UV rays, but also blue light from screens, IR radiations and harmful pollution. It also has niacinamide, vitamin C and hyaluronic acid built in, so you don’t need a separate moisturizer. Basically, it replaces your sunscreen, moisturizer, antioxidant serum and makeup base—all in one tube. It’s even safe for pregnant women. No white cast, no greasiness, complete daytime skin protection.

Then there’s the Smart Night Gel—a power-packed overnight repair cream that does the work while you sleep. It’s got plant-based retinol, glutathione, peptides, ceramides, AHA-BHA, and more to fight signs of aging, boost hydration, and leave your skin brighter by morning. And if you’re starting your routine, the Clean-n-Tone Cleanser is a game changer. It cleanses, tones and removes makeup in one step. You can even use it without water. Super handy on the go usage.

Alt Beauty products aren’t just multi-purpose—they’re made to be kind to your skin and kind to your time. That’s why more than 1,000 people tried the brand in its very first month. And many of them are already coming back for more. Real customers are saying they’ve finally found skincare that actually fits into their lives—and works.

What’s even more refreshing is the brand’s belief that beauty starts from within. Alt Beauty doesn’t sell filters or perfection. It’s about helping you feel confident, creative and comfortable in your skin. They have a vibrant community which guides skin health with focusing on lifestyle, nutrition, mind and soul and art forms related guidance which could help everyone. Whether you’re someone who’s just starting out or someone who’s tried every product under the sun, Alt Beauty is here to simplify the way you care for your skin.

If you’re tired of spending too much time and money on too many skincare products, this might just be the solution you’ve been waiting for. Smart, efficient, and designed for modern Indian lifestyles—Alt Beauty is the skincare shortcut your busy life needs.

Check it out for yourself at Website and Instagram

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विश्व मौसम विज्ञान दिवस आज! जानिए इस दिवस का इतिहास, महत्व और थीम

हर साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में मौसम, जलवायु और वातावरण के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस खास मौके पर मौसम विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों पर चर्चा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और 2025 की थीम।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का इतिहास

विश्व मौसम विज्ञान दिवस की शुरुआत 1950 में हुई, जब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना हुई थी। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक अहम एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम, जलवायु और जल संसाधनों पर नजर रखता है।

WMO का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच मौसम से जुड़ी जानकारी का आदान-प्रदान करना और मौसम आपदाओं से निपटने में सहयोग बढ़ाना है। 1961 से हर साल 23 मार्च को इस दिवस को आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा।

इस दिन का महत्व

मौसम और जलवायु पर जागरूकता:

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है।

आपदा प्रबंधन में मदद:

सटीक मौसम पूर्वानुमान बाढ़, चक्रवात, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मदद करता है। इससे जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।

कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव:

मौसम का सीधा असर खेती और जल संसाधनों पर पड़ता है। सही मौसम जानकारी से किसानों को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण:

मौसम विज्ञान हमें वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र स्तर में बढ़ोतरी जैसी समस्याओं को समझने में मदद करता है। इससे पर्यावरण संरक्षण के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 की थीम

हर साल WMO एक नई थीम जारी करता है, जो जलवायु और मौसम से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित होती है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले सालों की थीम को देखते हुए यह पर्यावरणीय बदलावों, आपदा प्रबंधन या जलवायु संरक्षण पर आधारित हो सकती है।

2024 की थीम थी "पृथ्वी की जलवायु का भविष्य (The Future of Weather, Climate, and Water across Generations)", जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जलवायु संरक्षण पर केंद्रित थी।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस हमें याद दिलाता है कि मौसम और जलवायु का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। बदलते मौसम के साथ हम सभी को सतर्क और जागरूक रहना जरूरी है। इस दिन का उद्देश्य न सिर्फ वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों तक सीमित है, बल्कि आम नागरिकों को भी पर्यावरण संरक्षण और मौसम से जुड़ी जानकारी का महत्व समझाने का है।

केंद्र सरकार ने 3 राज्यों के ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान किया जारी

केंद्र सरकार ने देश के 3 राज्यों (पंजाब, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़) के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान जारी कर दिया है. पंजाब को इस बार 225 करोड़ रुपये से अधिक दिए गए हैं जबकि छत्तीसगढ़ को 244 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को ग्रामीण शासन को मजबूत करने के लिए 93 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई है.

पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions, PRI) या ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies, RLB) को दिए जाने वाले ये अनुदान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.

स्थानीय निकायों के लिए पहली किस्त

पंजाब के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, 225.1707 करोड़ रुपये की अनटाइड ग्रांट की पहली किस्त जारी की गई है. ये फंड राज्य की पात्र 13,144 ग्राम पंचायतों, पात्र 146 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 22 जिला पंचायतों के लिए जारी की गई हैं.

जबकि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान के जरिए 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अनटाइड अनुदानों की दूसरी किस्त 237.1393 करोड़ रुपये के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त की रोकी गई राशि 6.9714 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.

ये धनराशि छत्तीसगढ़ की 11,548 पात्र ग्राम पंचायतों, सभी पात्र 146 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 27 जिला पंचायतों के लिए है. इसी तरह उत्तराखंड में भी ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त जारी की गई है.

उत्तराखंड को 93 करोड़ से अधिक की राशि

उत्तराखंड को इसके लिए 93.9643 करोड़ रुपये जारी की गई है. ये धनराशि राज्य की पात्र 7,769 ग्राम पंचायतों, सभी पात्र 995 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 13 जिला पंचायतों के लिए है.

भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग अनुदान दिए जाने की सिफारिश करती है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किया जाता है. आवंटित अनुदानों की सिफारिश की जाती है और इसे एक वित्तीय वर्ष में 2 किस्तों में जारी किया जाता है.

सैलरी और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों के तहत स्थान-विशिष्ट महसूस की जाने वाली जरूरतों के लिए पंचायती राज संस्थाओं या ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा अनबंधित अनुदानों का उपयोग किया जाएगा. इन तय अनुदानों का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, साथ ही विशेष रूप से घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, के साथ-साथ मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन के लिए करना है. इसके अलावा पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) भी इसमें शामिल होना चाहिए.

चुनाव आयोग की नोटिस पर केजरीवाल का 6 पन्नों में जवाब, चुनाव आयुक्त पर जमकर साधा निशाना

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच यमुना के पानी पर बवाल मचा हुआ है। इस बीच चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यमुना को जहरीला बनाने के आरोप पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और आरोपों के तथ्यात्मक सबूत की मांग की थी। अरविंद केजरीवाल ने यमुना के पानी को लेकर पर दिए अपने बयान पर चुनाव आयोग की दूसरी नोटिस का जवाब सौंपा। केजरीवाल ने अपने बयान के समर्थन में छह पन्नों का जवाब दाखिल किया है। केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में सीईओ राजीव कुमार पर सत्ता पक्ष का साथ देने का आरोप लगाया है।

केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा, दिसंबर के आखिरी हफ्ते में दिल्ली की मुख्यमंत्री ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से अमोनिया का स्तर कम करने या अतिरिक्त पानी देने का अनुरोध किया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कई बार फोन किया, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कॉल उठाना बंद कर दिया। अमोनिया का स्तर बढ़ता रहा। पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी हरियाणा के मुख्यमंत्री से दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दिल्ली के मुख्य सचिव ने भी हरियाणा के मुख्य सचिव से कई बार बात की।

चुनाव आयुक्त के लिए जन हित से ऊपर सत्तारूढ़ पार्टी का हित-केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा कि हैरान हूं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव से ठीक पहले हरियाणा के सीएम को दिल्ली के पानी को प्रदूषित करने से रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने मुझे परेशान करना चुना। केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा, अगर हरियाणा सरकार और भ्रष्ट आचरण में शामिल भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह सभी के लिए स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त जनता के हित से ऊपर सत्तारूढ़ पार्टी के हित को रखते हैं।

दिल्ली में जहरीला पानी भेजना बंद हो गया-केजरीवाल

आप संयोजक ने आगे कहा कि मेरी एकमात्र चिंता दिल्ली के लोगों का स्वास्थ्य और सुरक्षा है और मैं हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए लड़ूंगा। भाजपा के निर्देश पर आप मुझे जो भी अवैध सजा देना चाहते हैं, वह इसके लिए चुकाई जाने वाली एक छोटी सी कीमत है, और मैं इसका खुले दिल से स्वागत करता हूं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में जो जहरीला पानी भेजा जा रहा था, वो अब बंद हो गया। दिल्ली में आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा 7 पीपीएम से घटकर 2 पीपीएम हो गई है। अगर हम आवाज नहीं उठाते और संघर्ष नहीं करते, तो आज दिल्ली की आधी आबादी को पानी नहीं मिल रहा होता। हमने दिल्ली को बहुत बड़े पानी के संकट से बचा लिया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इससे पहले चुनाव आयोग ने केजरीवाल से 31 जनवरी को सुबह 11 बजे तक यमुना में जहर के प्रकार, मात्रा, प्रकृति और तरीके के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों द्वारा जहर का पता लगाने की विधि और स्थान के बारे में तथ्यात्मक साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग की थी। आयोग ने कहा कि अगर केजरीवाल साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो मामले में उचित निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि पर्याप्त और स्वच्छ पानी की उपलब्धता एक शासन का मुद्दा है और सभी संबंधित सरकारों को हमेशा इसे सभी लोगों के लिए सुरक्षित करने में संलग्न होना चाहिए।

चुनाव आयोग ने कहा कि वह लंबे समय से चले आ रहे जल-साझाकरण और प्रदूषण के मुद्दों पर संक्षिप्त चुनाव अवधि के दौरान मध्यस्थता से परहेज करेगा और इसे सरकारों और एजेंसियों की क्षमता और विवेक पर छोड़ देगा।

केजरीवाल ने क्या कहा था?

गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले, केजरीवाल ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी की जल आपूर्ति में “जहर मिलाने” का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली के लोग हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पीने का पानी प्राप्त करते हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने यमुना से दिल्ली आने वाले पानी में जहर मिला दिया और इसे यहां भेज दिया। यह केवल हमारे दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों की सतर्कता के कारण था कि इस पानी को रोका गया।

जहरीली यमुना” पर थम नहीं रही तकरार, आज जवाब दाखिल करने चुनाव आयोग जाएंगे केजरीवाल

#arvindkejirwalyamunapoisonouswaterdisputeelection_commission

दिल्ली चुनावी रण में चुनाव प्रचार का आखिरी चरण चल रहा है। 5 जनवरी को दि्ल्ली विधानसभा चुनाव होने वाला है। 8 को इसके नतीजे आएंगे। इससे पहले केजरीवाल के “जहरीली युमना” वाले बयान ने सियासी पारे को और बढ़ा दिया है। चुनाव ने केजरीवाल के इस बयान पर जवाब तलब किया है। चुनाव आयोग ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन आरोपों का सबूत सौंपने को कहा है, जो उन्होंने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर लगाए हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में ज़हर मिलाने का आरोप लगाया है। अरविंद केजरीवाल आज जहरीली यमुना वाले बयान पर जवाब देने चुनाव आयोग जाएंगे। बताया जा रहा है केजरीवाल सुबह 11 बजे चुनाव आयोग जाएंगे। इस दौरान उनके साथ दिल्ली की सीएम आतिशी और पंजाब सीएम भगवंत मान भी होंगे।

केजरीवाल ने शाह, राहुल, सचदेवा और सैनी के घर भेजा यमुना का पानी

इधर, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अमोनिया युक्त पानी की बोतलें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा व हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के घर भेजने का दावा किया। उन्होंने कहा कि चारों नेता सार्वजनिक तौर पर ये पानी पीकर दिखाएं। भाजपा यमुना के पानी में मिलावट कर जहर बना रही है। सैनी पल्ला जाकर एक घूंट पानी तक नहीं पी सके और दिल्ली के लोगों को यही पानी पिलाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री आतिशी ने कई बार उन्हें फोन कर जहरीले पानी को नहीं भेजने को कहा, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं किया।

तीनों चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इस पानी को पीकर दिखाएं- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग को 7 पीपीएम अमोनिया वाले पानी की बोतलें भेज देंगे। तीनों चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इस पानी को पीकर दिखा दें, तो हम मान जाएंगे कि हमने गलती की है। मुझे यह भी पता है कि ये लोग मुझे दो दिन में जेल में डालेंगे, डाल दें।

केजरीवाल के आरोपों को बीजेपी ने बनाया “हथियार”

बता दें कि दिल्ली में चल रहे चुनाव प्रचार के बीच अरविंद केजरीवाल के आरोपों ने एक तरह का सियासी भूचाल ला दिया है। इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक केजरीवाल की शिकायत करने चुनाव आयोग पहुंच गए। आम बजट की तैयारियों के बीच निर्मला सीतारमण का चुनाव आयोग पहुंचना बताता है कि बीजेपी ने इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लिया है। केजरीवाल के बयान के ख़िलाफ मिली शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने चिंता जताई है कि 'केजरीवाल के आरोपों से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इनमें क्षेत्रीय समूहों के बीच दुश्मनी, पड़ोसी राज्यों के निवासियों के बीच तनाव और पानी की कमी के कारण कानून-व्यवस्था की समस्याएं शामिल हैं।

*The Hidden Price of Convenience: How Quick Meals Are Quietly Raising Your Blood Pressure*

Health

Dr Satrajit Samanta , Consultant, Interventional Cardiologist, Narayana Hospital, Barasat.

In today’s busy world, convenience foods have become a trusted ally. Ready-to-eat meals,

frozen dinners, packaged snacks, and fast-food options are designed to fit into our fast-paced lives. But behind their appeal lies a hidden threat, excessive sodium, which is a major driver of

hypertension, or high blood pressure. Hypertension is often called the ‘silent killer’ because it can develop without warning signs, quietly

damaging the heart, brain and kidneys. What many people do not realise is the extent to which convenience foods contribute to this growing health issue.Manufacturers pack processed foods with large amounts of sodium to enhance flavour, preserve freshness and extend shelf life. While salt makes these foods taste good and seem

more satisfying, it comes at a serious cost to our health. More than 70 per cent of the sodium.we consume is not from the salt we sprinkle on our meals, it is already hidden inside the foods we buy. This means even those who think they are eating ‘normally’ may unknowingly consume

two or three times above the recommended daily limit of sodium, setting the stage for high blood pressure to develop.

How Sodium Quietly Raises Blood Pressure Excessive sodium intake causes the body to retain water, which increases the volume of blood flowing through blood vessels. This added volume puts extra strain on the heart and arteries, forcing them to work harder and harder. Over time, the walls of the blood vessels stiffen and narrow, leading to persistently high blood pressure. Left unchecked, hypertension increases the

risk of heart attacks, strokes, kidney disease, and other serious conditions. What's alarming is that many people may be undermining their health without any clear symptoms, one salty meal

at a time.

Alarmingly, sodium often hides where we least expect it to. Foods like breads, cereals, canned vegetables, deli meats, and even some so-called ‘health foods’ can be packed with sodium, even if they don’t taste particularly salty. This stealthy presence makes it even harder for individuals to gauge how much sodium they are consuming.

Reclaiming Control Over Your Plate.The good news is that small, conscious changes can have a powerful impact on our health.

Choosing fresh fruits, vegetables, and minimally processed foods over packaged meals helps

limit sodium intake naturally. Cooking meals at home whenever possible gives you full control over what goes into your food. Learning to read nutrition labels can open your eyes to hidden sodium content, while using herbs, spices, lemon, or vinegar can bring out natural flavours.

without relying on salt. Even when dining out, small choices, like asking for dressings and

sauces on the side or opting for grilled instead of fried items, can make a big difference.

Hypertension does not develop overnight. It is the result of years of small, repeated exposure to

excess sodium and other lifestyle risks. But just as it builds gradually, it can also be prevented, or even reversed, through steady, mindful changes. Convenience has its place in modern life, but it should not come at the cost of our long-term health. By making informed choices today,

you can protect your blood pressure and your heart for years to come.

Convenience foods offer short-term ease, but when it comes to your health, they may carry a hidden, long-term cost. Choosing fresh, wholesome options more often isn't about sacrificing convenience; it's about valuing your life and your future just as much as your time.

भू-जल संवर्धन मिशन कार्यशाला में डिप्टी सीएम अरुण साव ने दिया प्रेरक संदेश, कहा- जल को सिर्फ संसाधन नहीं, संस्कार के रूप में अपनाएं

रायपुर- उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) के शुभारंभ पर आयोजित कार्यशाला में ‘जल संरक्षण की प्राचीन परंपरा और वर्तमान में इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत’ पर पीपीटी के माध्यम से अपनी बातें रखीं। उन्होंने रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, अभियंताओं, स्वयंसेवी और गैर-सरकारी संगठनों से कहा कि इस गर्मी में सभी लोगों ने महसूस किया होगा कि जल संरक्षण क्यों जरूरी है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भी गंभीरता से इसे महसूस कर वर्षा जल और भू-जल संवर्धन का अभियान मिशन मोड पर शुरू कर रही है। इसमें सभी शहरवासियों की सहभागिता जरूरी है। कार्यशाला में हाइड्रोलॉजिस्ट्स, कॉलोनाइजर्स, उद्योग समूह और राज्य शासन के विभिन्न विभागों ने भू-जल और वर्षा जल के प्रभावी संवर्धन पर चार घंटे तक संवाद किया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव और भारत के वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह ने ओपन सेशन (Open Session) में प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए जल को सहेजकर रखना हमारा सामाजिक दायित्व है। हमारे पूर्वजों ने भावी पीढ़ियों के लिए तालाब, कुएं और बावली बनाकर जल संरक्षित किया था। बाद की पीढ़ियों ने इनके संरक्षण-संवर्धन पर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, आज बड़ी संख्या में ये पट गए हैं या अतिक्रमण का शिकार हो गए हैं। जलस्रोतों के प्रति हमारी उदासीनता ने आज हमें जल संकट की ओर धकेल दिया है। श्री साव ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उल्लेखित जल के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल न सिर्फ प्यास बुझाता है, अपितु यह संस्कृति, आस्था और जीवन का संगम है। जल संरक्षण जरूरत नहीं, हमारा सामाजिक दायित्व है।

उप मुख्यमंत्री साव ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हमने नए तालाब और नए कुएं खोदने बंद कर दिए हैं। जल की हमारी सभी जरूरतों के लिए हम सरकार पर आश्रित हो गए हैं। हमने पूर्वजों के दिए स्रोतों को भी संरक्षित नहीं किया। इसने एक बड़ी विसंगति को जन्म दिया है। एक ओर गर्मी में बूंद-बूंद के लिए संघर्ष करते हैं तो दूसरी ओर बरसात में बाढ़ झेलते हैं। डिप्टी सीएम साव ने कार्यशाला में शहरों में जल संकट की प्रमुख चुनौतियों को सामने रखते हुए भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के विभिन्न तरीकों को प्रभावी रूप से अमल में लाने पर जोर दिया।

भारत के वाटरमैन के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह ने कार्यशाला में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने शहरी जल के पुनर्भरण का जिम्मा लिया है। इसके लिए मैं उप मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री अरुण साव को बधाई देता हूं। समाज को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए राज्य के साथ मिलकर जल संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि हम पानी का अनुशासित उपयोग करेंगे तो पेयजल, निस्तारी, सिंचाई, खेती और उद्योग सभी के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा। हम जलस्रोतों के रिचार्ज की तुलना में डिस्चार्ज ज्यादा कर रहे हैं। इससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। उन्होंने भारतीय ग्रंथों में जल के महत्व और इसके संयमित उपयोग का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान, तकनीक, अभियांत्रिकी, संस्कृति और संस्कार धरती की पोषक हैं, शोषक नहीं। हमें धरती के पर्याप्त पोषण पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा।

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने खेती के चक्र को वर्षा के चक्र के साथ जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरों के चारों ओर की खेती को शहरों में पानी की जरूरत के अनुकूल करना होगा। शिक्षा के पाठ्यक्रम में पानी की पढ़ाई शामिल करना चाहिए। विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए जल साक्षरता का अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धरती के पोषण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जल, जंगल और जमीन के रिश्ते को समझना जरूरी है। भावी पीढ़ी को जल, जंगल और जमीन के रक्षण, संरक्षण और पोषण का महत्व समझाना होगा। वाटरमैन सिंह ने कार्यशाला में सर्वसम्मति से गंदे पानी को साफ पानी के साथ नहीं मिलने देने का संकल्प पारित करने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी शहरों में वाटर-बॉडीज (Water-bodies) की पहचान और सीमांकन कर उन्हें अधिसूचित करने का भी सुझाव दिया, जिससे इन पर अतिक्रमण को रोकने स्थानीय शासन द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा सके।

भू-वैज्ञानिक डॉ. विपिन दुबे ने कार्यशाला में रायपुर शहरी क्षेत्र के भूगर्भीय जलस्रोतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम बारिश के पानी को व्यर्थ बहने देते हैं, जबकि इसका उपयोग जलस्तर को रिचार्ज करने में किया जाना चाहिए। उन्होंने उपयोग किए हुए पानी के रिसायकल और रियूज पर भी जोर दिया। भू-वैज्ञानिक डॉ. के. पाणिग्रही ने कार्यशाला में कहा कि यदि हम 30 प्रतिशत वर्षा जल को भी हार्वेस्ट कर लें तो रायपुर में पानी की दिक्कत नहीं होगी।

कार्यशाला में गुजरात के सूरत म्युनिसिपल कार्पोरेशन के पर्यावरण अभियंता शरद काक्लोतर और सहायक अभियंता भरत चौधरी ने वहां भू-जल और वर्षा जल के संवर्धन के लिए किए जा रहे नवाचारों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भू-जल को रिचार्ज करने के विभिन्न तरीकों को अमल में लाने के साथ ही वहां जल संरक्षण के लिए उद्यान विकास, सरोवर पुनरोत्थान (Lake Rejuvenation), प्रभावी सीवेज प्रबंधन और उपयोग किए हुए जल के उपचार के बाद दोबारा उपयोग में लाने जैसे काम प्राथमिकता से किए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ क्रेडाई (CREDAI) के अध्यक्ष मृणाल गोलछा, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के जयशंकर गिरी, वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय, जल संसाधन विभाग के उप अभियंता जयंत कुमार बिसेन, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता विशाल द्विवेदी तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता ए.के. मालवे और कार्यपालन अभियंता आशालता गुप्ता ने अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में जल संरक्षण-संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., संचालक आर. एक्का और राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) के सीईओ शशांक पाण्डेय सहित सभी नगर निगमों के महापौर, सभापति और आयुक्त, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्ष एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगरीय निकायों के अभियंता, जल विशेषज्ञ, समाजसेवी, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, नगरीय प्रशासन विभाग और सुडा के अधिकारी बड़ी संख्या में कार्यशाला में शामिल हुए।

रक्तपात से अभी नहीं भरा पाकिस्तान का मन, बिलावल ने जहर उगला, कहा-सिंधु में या तो पानी बहेगा या खून

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खून-खराबे और हिंसा से पाकिस्तान का मन अभी भरा नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से बिगड़े बोल बोले जा रहे हैं। भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इन कदमों में सबसे तगड़ा रहा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का फैसला। इससे पाकिस्तान बुरी तरह बौखला उठा है और उसके नेता गीदड़ भभकियां देने लगे हैं। अब बिलावल भुट्टो का बयान सामने आया है। बिलावल ने सिंधु नदी में भारत के लोगों का खून बहाने की बात कह दी है।

...तो उसका खून बहेगा-बिलावल

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा है कि सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान का है और अगर कोई इसे छीनने की कोशिश करेगा तो उसका खून बहेगा। एक रैली में बिलावल ने कहा, ‘सिंधु दरिया हमारा है और हमारा ही रहेगा। या तो इस नदी से हमारा पानी बहेगा, या फिर उसका खून।

पाकिस्तान की फौज हर हमले का जवाब देने को तैयार-बिलावल

बिलावल युद्ध की गीदड़भभकी देने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ इस आधार पर सिंधु के पानी की मिल्कियत नहीं तय कर सकता कि उसकी आबादी ज्यादा है। भुट्टो ने कहा कि हर पाकिस्तानी सिंधु का पैगाम लेकर दुनिया को बताएगा कि दरिया पर डाका मंजूर नहीं। दुश्मन की नजरें हमारे पानी पर हैं। बिलावल भुट्टो ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की फौज हर हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि देश के चारों प्रांत एकजुट होकर भारत के हर मंसूबे का करारा जवाब देंगे। बिलावल के मुताबिक, चार प्रांत चार भाइयों जैसे हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मामला उठाएंगे

बिलावल ने भारत की घोषणाओं, खासकर आईडब्ल्यूटी के बारे में, की भी कड़ी निंदा की और कहा कि वे न केवल अवैध हैं बल्कि मानवता के खिलाफ हैं। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, हम आपके साथ खड़े होंगे और न केवल सड़कों पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का मामला उठाएंगे और भारत के फैसले का मुंहतोड़ जवाब देंगे।

सिंधु सर्जिकल स्ट्राइक", अब पानी की बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान!

#whatwillbetheeffectofstoppingtheinduswatertreaty

भारत ने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया है। पहलगाम में हुए टेरर अटैक बाद बुधवार को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी की बैठक हुई। इस बैठक में पहलगाम आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं। तमाम फैसलों में एक बड़ा फैसला भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता 1960 के निलंबन का है।

पाकिस्तान में खेती हो या पीने का पानी या फिर बिजली उत्पादन, जिसका बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान में 47 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई इन नदियों पर निर्भर है। पानी की आपूर्ति रोकने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में कृषि उत्पादन, विशेष रूप से गेहूं और चावल, पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। यही वजह है कि भारत का यह कदम "पानी की सर्जिकल स्ट्राइक" के रूप में देखा जा रहा है।

सिंधु जल संधि क्या है?

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के दौरान जब पंजाब को विभाजित किया गया तो इसका पूर्वी भाग भारत के पास और पश्चिमी भाग पाकिस्तान के पास गया। बंटवारे के दौरान ही सिंधु नदी घाटी और इसकी विशाल नहरों को भी विभाजित किया गया। लेकिन इससे होकर मिलने वाले पानी के लिए पाकिस्तान पूरी तरह भारत पर निर्भर था। आजादी के बाद से ही सिंधु जल बंटवारे को लेकर दोनों मुल्कों में कई तरह की दुविधापूर्ण स्थिति पैदा होने लगी थी। इसे दूर करने के लिए 65 साल पूर्व 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ।

इस संधि में विश्व बैंक मध्यस्थ था। इस संधि पर कराची में 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि ने निर्धारित किया कि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के जल को भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे साझा किया जाएगा।

क्या है संधि का प्रावधान

संधि के मुताबिक, सिंधु, झेलम और चिनाब को पश्चिमी नदियां बताते हुए इनका पानी पाकिस्तान के लिए तय किया गया। जबकि रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां बताते हुए इनका पानी भारत के लिए तय किया गया। इसके मुताबिक, भारत पूर्वी नदियों के पानी का, कुछ अपवादों को छोड़कर, बेरोकटोक इस्तेमाल कर सकता है। वहीं पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल का कुछ सीमित अधिकार भारत को भी दिया गया था। जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी। इस संधि में दोनों देशों के बीच समझौते को लेकर बातचीत करने और साइट के मुआयना आदि का प्रावधान भी था। इसी संधि में सिंधु आयोग भी स्थापित किया गया। इस आयोग के तहत दोनों देशों के कमिश्नरों के मिलने का प्रस्ताव था। संधि में दोनों कमिश्नरों के बीच किसी भी विवादित मुद्दे पर बातचीत का प्रावधान है।

पाकिस्तान ने तोड़ा भारत का सब्र

1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। जिस समय यह संधि हुई थी, उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नहीं हुआ था। उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी, पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा, जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा। फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा, जिसमें उसको अपना एक हिस्सा खोना पड़ा, जो बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। तब से अब तक भारत के खिलाफ पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है। मगर भारत ने फिर भी इन नदियों का पानी कभी नहीं रोका।

पाकिस्तान की लाइफलाइन है सिंधु नदी

सिंधु नदी पाकिस्तान की लाइफलाइन है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब जलधारा को माना जाता है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है। नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है। इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है। साथ ही, घरों में पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए इस नदी का अधिकांश पानी ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं। ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है। अब आप समझ लीजिए कि अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो क्या होगा? पाकिस्तान पानी की बूंद-बूंद के लिए तड़पेगा।

Alt Beauty Is Changing the Way India Does Skincare, One Smart Product at a Time

If you’ve ever stood in front of your mirror, wondering why your skincare routine takes longer than your actual breakfast, you’re not alone. Most of us are tired of long 10-step routines, layering serum over serum, and still not seeing the glow we were promised. Skincare has somehow become more stressful than soothing. But now, a new Indian brand is here to change that—say hello to altBeauty.

Alt Beauty isn’t just another skincare label. It was created by someone who knows skin inside out. Dr. Pallavi Ahire-Shelke, an award-winning dermatologist, saw how her busy clients were constantly overwhelmed by confusing ingredients and product overload. That’s why she decided to flip the script. Her idea was simple: why not make skincare smart and simple, not complicated?

What makes Alt Beauty different is how practical and science-backed it is. These are multi-tasking products designed to save you time without cutting corners. Every formula is packed with dermatologist-approved ingredients, safe for Indian skin and the daily lifestyle challenges we all face—like sun, stress, screen-time and pollution.

Let’s talk about the product that’s winning hearts already: the Smart Sunscreen. It’s not your average SPF. This one is completely mineral-based, so it’s gentle and non-toxic. It’s packed with SPF 60 and protects not just against UV rays, but also blue light from screens, IR radiations and harmful pollution. It also has niacinamide, vitamin C and hyaluronic acid built in, so you don’t need a separate moisturizer. Basically, it replaces your sunscreen, moisturizer, antioxidant serum and makeup base—all in one tube. It’s even safe for pregnant women. No white cast, no greasiness, complete daytime skin protection.

Then there’s the Smart Night Gel—a power-packed overnight repair cream that does the work while you sleep. It’s got plant-based retinol, glutathione, peptides, ceramides, AHA-BHA, and more to fight signs of aging, boost hydration, and leave your skin brighter by morning. And if you’re starting your routine, the Clean-n-Tone Cleanser is a game changer. It cleanses, tones and removes makeup in one step. You can even use it without water. Super handy on the go usage.

Alt Beauty products aren’t just multi-purpose—they’re made to be kind to your skin and kind to your time. That’s why more than 1,000 people tried the brand in its very first month. And many of them are already coming back for more. Real customers are saying they’ve finally found skincare that actually fits into their lives—and works.

What’s even more refreshing is the brand’s belief that beauty starts from within. Alt Beauty doesn’t sell filters or perfection. It’s about helping you feel confident, creative and comfortable in your skin. They have a vibrant community which guides skin health with focusing on lifestyle, nutrition, mind and soul and art forms related guidance which could help everyone. Whether you’re someone who’s just starting out or someone who’s tried every product under the sun, Alt Beauty is here to simplify the way you care for your skin.

If you’re tired of spending too much time and money on too many skincare products, this might just be the solution you’ve been waiting for. Smart, efficient, and designed for modern Indian lifestyles—Alt Beauty is the skincare shortcut your busy life needs.

Check it out for yourself at Website and Instagram

Alt Beauty Is Changing the Way India Does Skincare, One Smart Product at a Time

If you’ve ever stood in front of your mirror, wondering why your skincare routine takes longer than your actual breakfast, you’re not alone. Most of us are tired of long 10-step routines, layering serum over serum, and still not seeing the glow we were promised. Skincare has somehow become more stressful than soothing. But now, a new Indian brand is here to change that—say hello to altBeauty.

Alt Beauty isn’t just another skincare label. It was created by someone who knows skin inside out. Dr. Pallavi Ahire-Shelke, an award-winning dermatologist, saw how her busy clients were constantly overwhelmed by confusing ingredients and product overload. That’s why she decided to flip the script. Her idea was simple: why not make skincare smart and simple, not complicated?

What makes Alt Beauty different is how practical and science-backed it is. These are multi-tasking products designed to save you time without cutting corners. Every formula is packed with dermatologist-approved ingredients, safe for Indian skin and the daily lifestyle challenges we all face—like sun, stress, screen-time and pollution.

Let’s talk about the product that’s winning hearts already: the Smart Sunscreen. It’s not your average SPF. This one is completely mineral-based, so it’s gentle and non-toxic. It’s packed with SPF 60 and protects not just against UV rays, but also blue light from screens, IR radiations and harmful pollution. It also has niacinamide, vitamin C and hyaluronic acid built in, so you don’t need a separate moisturizer. Basically, it replaces your sunscreen, moisturizer, antioxidant serum and makeup base—all in one tube. It’s even safe for pregnant women. No white cast, no greasiness, complete daytime skin protection.

Then there’s the Smart Night Gel—a power-packed overnight repair cream that does the work while you sleep. It’s got plant-based retinol, glutathione, peptides, ceramides, AHA-BHA, and more to fight signs of aging, boost hydration, and leave your skin brighter by morning. And if you’re starting your routine, the Clean-n-Tone Cleanser is a game changer. It cleanses, tones and removes makeup in one step. You can even use it without water. Super handy on the go usage.

Alt Beauty products aren’t just multi-purpose—they’re made to be kind to your skin and kind to your time. That’s why more than 1,000 people tried the brand in its very first month. And many of them are already coming back for more. Real customers are saying they’ve finally found skincare that actually fits into their lives—and works.

What’s even more refreshing is the brand’s belief that beauty starts from within. Alt Beauty doesn’t sell filters or perfection. It’s about helping you feel confident, creative and comfortable in your skin. They have a vibrant community which guides skin health with focusing on lifestyle, nutrition, mind and soul and art forms related guidance which could help everyone. Whether you’re someone who’s just starting out or someone who’s tried every product under the sun, Alt Beauty is here to simplify the way you care for your skin.

If you’re tired of spending too much time and money on too many skincare products, this might just be the solution you’ve been waiting for. Smart, efficient, and designed for modern Indian lifestyles—Alt Beauty is the skincare shortcut your busy life needs.

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विश्व मौसम विज्ञान दिवस आज! जानिए इस दिवस का इतिहास, महत्व और थीम

हर साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में मौसम, जलवायु और वातावरण के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस खास मौके पर मौसम विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों पर चर्चा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और 2025 की थीम।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का इतिहास

विश्व मौसम विज्ञान दिवस की शुरुआत 1950 में हुई, जब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना हुई थी। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक अहम एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम, जलवायु और जल संसाधनों पर नजर रखता है।

WMO का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच मौसम से जुड़ी जानकारी का आदान-प्रदान करना और मौसम आपदाओं से निपटने में सहयोग बढ़ाना है। 1961 से हर साल 23 मार्च को इस दिवस को आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा।

इस दिन का महत्व

मौसम और जलवायु पर जागरूकता:

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है।

आपदा प्रबंधन में मदद:

सटीक मौसम पूर्वानुमान बाढ़, चक्रवात, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मदद करता है। इससे जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।

कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव:

मौसम का सीधा असर खेती और जल संसाधनों पर पड़ता है। सही मौसम जानकारी से किसानों को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण:

मौसम विज्ञान हमें वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र स्तर में बढ़ोतरी जैसी समस्याओं को समझने में मदद करता है। इससे पर्यावरण संरक्षण के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 की थीम

हर साल WMO एक नई थीम जारी करता है, जो जलवायु और मौसम से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित होती है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले सालों की थीम को देखते हुए यह पर्यावरणीय बदलावों, आपदा प्रबंधन या जलवायु संरक्षण पर आधारित हो सकती है।

2024 की थीम थी "पृथ्वी की जलवायु का भविष्य (The Future of Weather, Climate, and Water across Generations)", जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जलवायु संरक्षण पर केंद्रित थी।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस हमें याद दिलाता है कि मौसम और जलवायु का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। बदलते मौसम के साथ हम सभी को सतर्क और जागरूक रहना जरूरी है। इस दिन का उद्देश्य न सिर्फ वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों तक सीमित है, बल्कि आम नागरिकों को भी पर्यावरण संरक्षण और मौसम से जुड़ी जानकारी का महत्व समझाने का है।

केंद्र सरकार ने 3 राज्यों के ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान किया जारी

केंद्र सरकार ने देश के 3 राज्यों (पंजाब, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़) के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान जारी कर दिया है. पंजाब को इस बार 225 करोड़ रुपये से अधिक दिए गए हैं जबकि छत्तीसगढ़ को 244 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को ग्रामीण शासन को मजबूत करने के लिए 93 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई है.

पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions, PRI) या ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies, RLB) को दिए जाने वाले ये अनुदान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.

स्थानीय निकायों के लिए पहली किस्त

पंजाब के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, 225.1707 करोड़ रुपये की अनटाइड ग्रांट की पहली किस्त जारी की गई है. ये फंड राज्य की पात्र 13,144 ग्राम पंचायतों, पात्र 146 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 22 जिला पंचायतों के लिए जारी की गई हैं.

जबकि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान के जरिए 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अनटाइड अनुदानों की दूसरी किस्त 237.1393 करोड़ रुपये के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त की रोकी गई राशि 6.9714 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.

ये धनराशि छत्तीसगढ़ की 11,548 पात्र ग्राम पंचायतों, सभी पात्र 146 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 27 जिला पंचायतों के लिए है. इसी तरह उत्तराखंड में भी ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त जारी की गई है.

उत्तराखंड को 93 करोड़ से अधिक की राशि

उत्तराखंड को इसके लिए 93.9643 करोड़ रुपये जारी की गई है. ये धनराशि राज्य की पात्र 7,769 ग्राम पंचायतों, सभी पात्र 995 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 13 जिला पंचायतों के लिए है.

भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग अनुदान दिए जाने की सिफारिश करती है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किया जाता है. आवंटित अनुदानों की सिफारिश की जाती है और इसे एक वित्तीय वर्ष में 2 किस्तों में जारी किया जाता है.

सैलरी और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों के तहत स्थान-विशिष्ट महसूस की जाने वाली जरूरतों के लिए पंचायती राज संस्थाओं या ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा अनबंधित अनुदानों का उपयोग किया जाएगा. इन तय अनुदानों का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, साथ ही विशेष रूप से घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, के साथ-साथ मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन के लिए करना है. इसके अलावा पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) भी इसमें शामिल होना चाहिए.

चुनाव आयोग की नोटिस पर केजरीवाल का 6 पन्नों में जवाब, चुनाव आयुक्त पर जमकर साधा निशाना

#kejriwalrepliedelectioncommissionontheissueofpoisonouswatercomingintoyamuna

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच यमुना के पानी पर बवाल मचा हुआ है। इस बीच चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यमुना को जहरीला बनाने के आरोप पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और आरोपों के तथ्यात्मक सबूत की मांग की थी। अरविंद केजरीवाल ने यमुना के पानी को लेकर पर दिए अपने बयान पर चुनाव आयोग की दूसरी नोटिस का जवाब सौंपा। केजरीवाल ने अपने बयान के समर्थन में छह पन्नों का जवाब दाखिल किया है। केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में सीईओ राजीव कुमार पर सत्ता पक्ष का साथ देने का आरोप लगाया है।

केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा, दिसंबर के आखिरी हफ्ते में दिल्ली की मुख्यमंत्री ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से अमोनिया का स्तर कम करने या अतिरिक्त पानी देने का अनुरोध किया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कई बार फोन किया, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कॉल उठाना बंद कर दिया। अमोनिया का स्तर बढ़ता रहा। पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी हरियाणा के मुख्यमंत्री से दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दिल्ली के मुख्य सचिव ने भी हरियाणा के मुख्य सचिव से कई बार बात की।

चुनाव आयुक्त के लिए जन हित से ऊपर सत्तारूढ़ पार्टी का हित-केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा कि हैरान हूं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव से ठीक पहले हरियाणा के सीएम को दिल्ली के पानी को प्रदूषित करने से रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने मुझे परेशान करना चुना। केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा, अगर हरियाणा सरकार और भ्रष्ट आचरण में शामिल भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह सभी के लिए स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त जनता के हित से ऊपर सत्तारूढ़ पार्टी के हित को रखते हैं।

दिल्ली में जहरीला पानी भेजना बंद हो गया-केजरीवाल

आप संयोजक ने आगे कहा कि मेरी एकमात्र चिंता दिल्ली के लोगों का स्वास्थ्य और सुरक्षा है और मैं हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए लड़ूंगा। भाजपा के निर्देश पर आप मुझे जो भी अवैध सजा देना चाहते हैं, वह इसके लिए चुकाई जाने वाली एक छोटी सी कीमत है, और मैं इसका खुले दिल से स्वागत करता हूं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में जो जहरीला पानी भेजा जा रहा था, वो अब बंद हो गया। दिल्ली में आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा 7 पीपीएम से घटकर 2 पीपीएम हो गई है। अगर हम आवाज नहीं उठाते और संघर्ष नहीं करते, तो आज दिल्ली की आधी आबादी को पानी नहीं मिल रहा होता। हमने दिल्ली को बहुत बड़े पानी के संकट से बचा लिया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इससे पहले चुनाव आयोग ने केजरीवाल से 31 जनवरी को सुबह 11 बजे तक यमुना में जहर के प्रकार, मात्रा, प्रकृति और तरीके के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों द्वारा जहर का पता लगाने की विधि और स्थान के बारे में तथ्यात्मक साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग की थी। आयोग ने कहा कि अगर केजरीवाल साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो मामले में उचित निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि पर्याप्त और स्वच्छ पानी की उपलब्धता एक शासन का मुद्दा है और सभी संबंधित सरकारों को हमेशा इसे सभी लोगों के लिए सुरक्षित करने में संलग्न होना चाहिए।

चुनाव आयोग ने कहा कि वह लंबे समय से चले आ रहे जल-साझाकरण और प्रदूषण के मुद्दों पर संक्षिप्त चुनाव अवधि के दौरान मध्यस्थता से परहेज करेगा और इसे सरकारों और एजेंसियों की क्षमता और विवेक पर छोड़ देगा।

केजरीवाल ने क्या कहा था?

गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले, केजरीवाल ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी की जल आपूर्ति में “जहर मिलाने” का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली के लोग हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पीने का पानी प्राप्त करते हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने यमुना से दिल्ली आने वाले पानी में जहर मिला दिया और इसे यहां भेज दिया। यह केवल हमारे दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों की सतर्कता के कारण था कि इस पानी को रोका गया।

जहरीली यमुना” पर थम नहीं रही तकरार, आज जवाब दाखिल करने चुनाव आयोग जाएंगे केजरीवाल

#arvindkejirwalyamunapoisonouswaterdisputeelection_commission

दिल्ली चुनावी रण में चुनाव प्रचार का आखिरी चरण चल रहा है। 5 जनवरी को दि्ल्ली विधानसभा चुनाव होने वाला है। 8 को इसके नतीजे आएंगे। इससे पहले केजरीवाल के “जहरीली युमना” वाले बयान ने सियासी पारे को और बढ़ा दिया है। चुनाव ने केजरीवाल के इस बयान पर जवाब तलब किया है। चुनाव आयोग ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन आरोपों का सबूत सौंपने को कहा है, जो उन्होंने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर लगाए हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में ज़हर मिलाने का आरोप लगाया है। अरविंद केजरीवाल आज जहरीली यमुना वाले बयान पर जवाब देने चुनाव आयोग जाएंगे। बताया जा रहा है केजरीवाल सुबह 11 बजे चुनाव आयोग जाएंगे। इस दौरान उनके साथ दिल्ली की सीएम आतिशी और पंजाब सीएम भगवंत मान भी होंगे।

केजरीवाल ने शाह, राहुल, सचदेवा और सैनी के घर भेजा यमुना का पानी

इधर, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अमोनिया युक्त पानी की बोतलें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा व हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के घर भेजने का दावा किया। उन्होंने कहा कि चारों नेता सार्वजनिक तौर पर ये पानी पीकर दिखाएं। भाजपा यमुना के पानी में मिलावट कर जहर बना रही है। सैनी पल्ला जाकर एक घूंट पानी तक नहीं पी सके और दिल्ली के लोगों को यही पानी पिलाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री आतिशी ने कई बार उन्हें फोन कर जहरीले पानी को नहीं भेजने को कहा, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं किया।

तीनों चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इस पानी को पीकर दिखाएं- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग को 7 पीपीएम अमोनिया वाले पानी की बोतलें भेज देंगे। तीनों चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इस पानी को पीकर दिखा दें, तो हम मान जाएंगे कि हमने गलती की है। मुझे यह भी पता है कि ये लोग मुझे दो दिन में जेल में डालेंगे, डाल दें।

केजरीवाल के आरोपों को बीजेपी ने बनाया “हथियार”

बता दें कि दिल्ली में चल रहे चुनाव प्रचार के बीच अरविंद केजरीवाल के आरोपों ने एक तरह का सियासी भूचाल ला दिया है। इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक केजरीवाल की शिकायत करने चुनाव आयोग पहुंच गए। आम बजट की तैयारियों के बीच निर्मला सीतारमण का चुनाव आयोग पहुंचना बताता है कि बीजेपी ने इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लिया है। केजरीवाल के बयान के ख़िलाफ मिली शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने चिंता जताई है कि 'केजरीवाल के आरोपों से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इनमें क्षेत्रीय समूहों के बीच दुश्मनी, पड़ोसी राज्यों के निवासियों के बीच तनाव और पानी की कमी के कारण कानून-व्यवस्था की समस्याएं शामिल हैं।