वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

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वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

बंगाल में एंटी-रेप बिल पास, ऐसा करने वाला बंगाल बना पहला राज्य, बलात्कारियों को 10 दिन में सजा का प्रावधान

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार (3 सितंबर) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पेश किए गए बलात्कार विरोधी 'अपराजिता' विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित केंद्रीय कानूनों में संशोधन लाने वाला पहला राज्य बन गया है।

इस विधेयक को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे 'ऐतिहासिक' और 'आदर्श' बताते हुए कहा कि यह विधेयक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि है, जिसकी पिछले महीने सरकारी आरजी कर मेडिकल सेंटर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024' में बलात्कार और यौन अपराधों के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इसके अलावा, इसमें बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान, ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से आग्रह किया कि वे राज्यपाल से विधेयक पर सहमति देने की अपील करें। ममता ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है और बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार की आवश्यकता है। ममता ने यह भी कहा कि विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, ताकि इसे लागू किया जा सके। ममता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर असामान्य रूप से अधिक है, जबकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं को अदालतों में न्याय मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि BNS पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया, और उन्होंने केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद इस पर चर्चा की इच्छा व्यक्त की। भाजपा ने विधेयक का स्वागत किया, लेकिन भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए पहले से ही कड़े प्रावधान होने की बात कही। पार्टी के नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में सात संशोधनों की मांग की और इसका तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की बात की।

अधिकारी ने कहा कि इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और उन्होंने इस पर परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि विपक्ष समर्थन देगा, लेकिन विधेयक को तुरंत लागू करने की गारंटी दी जानी चाहिए। यह विशेष सत्र कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बुलाया गया था।

बता दें कि, इस बिल में दोषियों के लिए दस दिन में फांसी का प्रावधान है। लेकिन इसपर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर 10 दिन के अंदर किसी को दोषी कैसे साबित किया जाएगा ? संदेशखाली का TMC नेता शेख शाहजहां, जो कई महीनों से जेल के अंदर है, अब तक उस पर दोष साबित नहीं हो पाया है, जबकि उस पर कई महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन, अब ममता सरकार दावा कर रही है कि वो 10 दिन में बलात्कारियों को फांसी देगी, जबकि शेख शाहजहां को पकड़ने में ही बंगाल पुलिस को 50 दिन से अधिक लग गए थे, वो भी कोलकाता हाई कोर्ट की फटकार के बाद पकड़ा गया था। मौजूदा कोलकाता के मामले में भी बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं, सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं, CBI ने कोर्ट में खुद कहा है कि अपराध के 5 दिन बाद जब जांच उनके हाथ में आई, तब तक सबकुछ बदल गया था, सैकड़ों लोगों की भीड़ क्राइम सीन तक घुस आई थी, हॉस्पिटल में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था, यहाँ तक कि मृतका की डायरी के पन्ने भी फ़टे हुए मिले हैं, जिनमे अहम सुराग हो सकते थे। ऐसे में ये तो वक़्त ही बताएगा कि ममता सरकार बलात्कारियों को 10 दिन में फांसी दिलवा पाती है या नहीं ? या फिर ये कानून सिर्फ मौजूदा मामले में अपनी सरकार को डिफेंड करने का एक शिगूफा साबित होता है।

ममता के यूपी-बिहार-असम भी जलेंगे वाले बयान पर मचा सियासी घमासान, भाजपा नेताओं ने साधा निशाना*
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद के विरोध में ऐसा बयान दे दिया है कि सियासी तूफान खड़ा हो गया है।ममता ने 28 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे।उनके इस बयान पर भाजपा नेताओं ने आपत्ति जताई है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के भाषण पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने जोरदार हमला बोला है। पूनावाला ने ममता बनर्जी के साथ कांग्रेस, समा और आप नेताओं को भी घेरा है। बीजेपी नेता ने कहा हैं, ''140 करोड़ भारतीय पश्चिम बंगाल की बेटी के लिए न्याय मांग रहे हैं। ममता बनर्जी की प्राथमिकता न्याय नहीं बल्कि बदला है। जब एक सीएम कहतीं हैं, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पूर्वोत्तर और ओडिशा जलेंगे, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, आप या गौरव गोगोई इस बयान का समर्थन करते हैं? क्या जो लोग न्याय की मांग कर रहे हैं वे अशांति पैदा कर रहे हैं? यह प्रदर्शनकारियों और डॉक्टरों का अपमान है जब ममता बनर्जी का कहना है कि न्याय की मांग करना अशांति पैदा करने जैसा है। वह संविधान विरोधी बयान दे रही हैं और राहुल गांधी, जो संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, इस पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।'' *सरमा ने पूछा- आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की?* ममता के इस बयान को लेकर असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि दीदी, आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की? हमें लाल आंखें मत दिखाइए। आपकी असफलता की राजनीति से भारत को जलाने की कोशिश भी मत कीजिए। आपको विभाजनकारी भाषा बोलना शोभा नहीं देता। *बंगाल भाजपा अध्यक्ष का गृह मंत्री को लिखा पत्र* सुकांत ने अमित शाह के नाम पत्र में लिखा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कोलकाता में TMC के छात्र विंग को संबोधित करते हुए भीड़ को उकसाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 'मैंने कभी बदला नहीं चाहा, लेकिन अब, जो करना है वह करो।' ममता का यह बयान राज्य के सर्वोच्च पद से बदले की राजनीति का स्पष्ट समर्थन है। उन्होंने बेशर्मी से राष्ट्र-विरोधी बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि 'याद रखें, अगर बंगाल जलता है, तो असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, और दिल्ली भी जलेंगे।' यह संवैधानिक पद पर बैठने वाले व्यक्ति की आवाज नहीं हो सकती है, यह राष्ट्र-विरोधी की आवाज है। उनका बयान स्पष्ट रूप से धमकाने, हिंसा भड़काने और लोगों के बीच नफरत फैलाने का प्रयास है। अब वे इतने महत्वपूर्ण पद पर बने रहने की हकदार नहीं हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। जनता के हर सेवक का, खासतौर से ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति का मौलिक कर्तव्य है कि वह शांति को बढ़ावा दे और किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ने से रोके। ममता के विचार चिंताजनक हैं और यह पश्चिम बंगाल के नागरिकों की सुरक्षा और राज्य की अखंडता को कमजोर करता है। मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि आप इस गंभीर मामले पर संज्ञान लें और स्थिति को संबोधित करने और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करें। मैं पश्चिम बंगाल के नागरिकों के हितों की रक्षा करने और हमारे राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए आपकी तरफ से तुरंत और निर्णायक कार्रवाई का इंतजार कर रहा हूं। *ममता ने क्या कहा* ममता ने कहा था, "कुछ लोगों को लगता है कि यह बांग्लादेश है। वे हमारी तरह बात करते हैं और हमारी संस्कृति भी एक जैसी है, लेकिन याद रखिए कि बांग्लादेश अलग देश है और भारत अलग देश है। मोदी बाबू कोलकाता के मामले में अपनी पार्टी का इस्तेमाल करके बंगाल में आग लगवा रहे हैं। अगर आपने बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे। हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।" दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेड में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के विरोध में छात्र संगठनों ने 27 अगस्त को 'नबन्ना अभियान' विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था।इस दौरान छात्र सचिवालय तक रैली निकाल रहे थे, जहां प्रदर्शन हिंसक हो गया और पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना के विरोध में भाजपा ने 28 अगस्त को 12 घंटे बंद का ऐलान किया था।ममता ने इसी बंद को लेकर भाजपा पर निशाना साधा था।
अपने ही राज्य में हुए लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर के खिलाफ मार्च निकालेंगी ममता बनर्जी, क्या खुद ही करेंगी विपक्ष का भी काम ?

किसी राज्य में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उस राज्य का विपक्ष सड़कों पर उतरता है, और प्रदर्शन-रैली आदि करके उस प्रदेश की सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाता है और राज्य के कानून व्यवस्था पर सवाल उठता है। मगर, पश्चिम बंगाल में उलटा होने जा रहा है। यहाँ 13 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन ममता बनर्जी खुद कोलकता में लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले के खिलाफ रैली निकालने वाली हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि सीएम ममता बनर्जी 17 अगस्त को कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले के खिलाफ एक रैली आयोजित करेंगी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इसकी जांच में तेजी लाने की मांग करेंगी। TMC सांसद ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि "कोलकाता में एक युवती की हत्या और बलात्कार की घटना से अधिक क्रूर और जघन्य अपराध की कल्पना करना कठिन है।" मुख्यमंत्री की निर्धारित रैली के पीछे के कारणों को गिनाते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मामले को अपने हाथ में लेने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को जांच पर रोजाना अपडेट देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि CBI को शनिवार तक जांच पूरी करने के लिए कोलकाता पुलिस को मुख्यमंत्री द्वारा दी गई समयसीमा का पालन करना चाहिए। बता दें कि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपी है, इससे पहले कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी। वहीं, TMC सांसद ने आगे कहा कि, "कोलकाता पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। न्याय तभी होगा जब CBI सभी संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करेगी और मामले को फास्ट ट्रैक अदालत में भेजेगी।" TMC नेता ने कहा कि, "CBI द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने से यह मामला चुपचाप दब नहीं जाना चाहिए। समय की मांग है कि त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस बर्बर कृत्य को अंजाम देने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।" इस बीच, TMC नेता के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने राष्ट्रव्यापी 'रिक्लेम द नाइट' विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ करने के आरोप में 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि, "अस्पताल पर हमला करने और तोड़फोड़ करने वालों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।" पुलिस के अनुसार, बुधवार देर रात 40 से 50 लोगों के एक समूह ने प्रदर्शन की आड़ में अस्पताल परिसर में घुसकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
केजरीवाल के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा INDIA गठबंधन, दिल्ली CM की शिकायत करने वाली कांग्रेस भी होगी शामिल !

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित विपक्षी गठबंधन आज यानी मंगलवार (30 जुलाई) को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर इंडिया ब्लॉक की एक रैली निकालने वाले हैं। जिसमें न्यायिक हिरासत में AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की बिगड़ती सेहत पर आवाज़ उठाई जाएगी। आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को इसका ऐलान किया था। बता दें कि, AAP लगातार केंद्र की भाजपा पर जेल में केजरीवाल की 'हत्या की साजिश' रचने का इल्जाम लगा रही है। इसके लिए AAP ने केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि तीन जून से सात जुलाई के बीच मुख्यमंत्री का शुगर लेवल 34 बार गिरा है। एक प्रेस वार्ता में संजय सिंह से मंगलवार की रैली में शामिल होने वाले दलों के बारे में बताते हुए कहा कि, 'कांग्रेस, सपा, TMC, DMK, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार), शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ये साड़ी पार्टियां केजरीवाल के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाएंगी।' उन्होंने कहा कि हम दो-तीन और दलों के साथ चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जंतर-मंतर में होने वाली रैली में शामिल होने वाले नेताओं का नाम मंगलवार को मालूम चलेगा। बता दें कि दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलेमें ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को अरेस्ट किया था। मजे की बात ये है कि, शराब घोटाले में केजरीवाल की लिखित शिकायत कांग्रेस ने ही की थी, लेकिन तब उनका गठबंधन नहीं था, अब दोनों INDIA ब्लॉक के सदस्य हैं, तो जाहिर है कांग्रेस केजरीवाल के पीछे खड़े होकर केंद्र पर निशाना साधेगी। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित शराब घोटाले से जुड़े CBI मामले में AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। CBI ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए केजरीवाल को मामले का सूत्रधार करार दिया था। CBI ने कहा था कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो वह गवाहों के प्रभावित कर सकते हैं। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। जांच एजेंसी की तरफ से पेश अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा 'उनकी (केजरीवाल) गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं की जा सकती थी। हमने एक महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद हमें सबूत मिले। उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता खुद जवाब देने के लिए आगे आए।' इससे पहले दिन में सीबीआई ने मुख्यमंत्री और आप विधायक दुर्गेश पाठक समेत पांच अन्य के खिलाफ निचली अदालत में अपना अंतिम चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमे केजरीवाल को घोटाले का किंगपिन बताया गया था।
बंगाल में जांच नहीं कर सकती CBI..', सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार तो SC ने कहा - यह मामला सुनवाई योग्य

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI की सामान्य सहमति निरस्त करने के बावजूद एजेंसी द्वारा पश्चिम बंगाल में FIR दर्ज करने को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुनवाई योग्य है। इस मामले में ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसका केंद्र सरकार ने विरोध किया था।

हालाँकि, केंद्र द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियों को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि बंगाल सरकार की शिकायत में कार्रवाई की वजह बताई गई है। अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई इस दलील को भी मानने से इंकार कर दिया कि राज्य ने शिकायत में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। बता दें कि, यह मामला साल 2018 का है। उस दौरान ममता बनर्जी सरकार ने CBI जाँच के लिए दी गई सामान्य सहमति रद्द कर दी थी। इसके बाद भी CBI कभी हाई कोर्ट के आदेश पर, तो कभी किन्ही और कारणों से पश्चिम बंगाल में अपराधों के खिलाफ FIR दर्ज करना जारी रखी, जबकि ममता सरकार ऐसा नहीं चाहती थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य सहमति रद्द करने के बाद एजेंसी जाँच जारी नहीं रख सकती थी।

वहीं, ममता सरकार ने कहा कि CBI केंद्र सरकार के अधीन काम कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए कि यह केस सुनवाई योग्य है। अदालत ने कहा कि, “मौजूदा मुकदमा कानूनी मुद्दा उठा रहा है कि क्या सामान्य सहमति वापस लेने के बाद CBI का कस दर्ज करना और DSPE Act की धारा 6 का उल्लंघन करने वाले मामलों की छानबीन करना जारी रख सकती है।”

बता दें कि यह मुकदमा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र सरकार के खिलाफ दाखिल किया गया था। इसमें राज्य सरकार ने कहा है कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत CBI का गठन हुआ है। राज्य ने कहा कि आम सहमति वापस लेने के बावजूद CBI ने राज्य में हुए अपराधों के संबंध में केस करना जारी रखा। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 131 संघ और राज्यों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए है। लेकिन, यह अनुच्छेद CBI पर ये लागू नहीं होता है, क्योंकि यह एजेंसी केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं है। इसलिए यह मुकदमा केंद्र सरकार के खिलाफ है।

बता दें कि, बंगाल में CBI , शिक्षक भर्ती घोटाला, राशन वितरण घोटाला, नगर निगम भर्ती घोटाला, गौवंश तस्करी, संदेशखाली जमीन हड़पना और यौन शोषण जैसे जैसे कई आपराधिक मामलों की जांच कर रही है, जिसमे सत्ताधारी TMC के कई नेता गिरफ्तार हुए हैं। ताजा मामले की बात करें तो, कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले की जांच CBI को सौंपी थी, जिसमे TMC नेता शाहजहां शेख मुख्य आरोपी है। ये जांच रुकवाने ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए CBI जांच रोकने से इंकार कर दिया था कि, आखिर राज्य साकार किसी (अपराधी) को बचाने कि कोशिश क्यों कर रही है ? यहां से तो ममता सरकार को झटका मिला, अब उन्होंने कह दिया है कि, CBI उनके राज्य में जांच कर ही नहीं सकती, क्योंकि उसके पास राज्य सरकार की सहमति नहीं है। इस मुक़दमे पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी राजी हो गया है, अब देखना ये है कि, ये मामला कहाँ तक जाता है।

bharathnews

West Bengal Horror Continues... A close aid of TMC MLA with his rowdy friends beating a girl like animals. This brutally is the reality of West Bengal. Few days back JCB and now this. Shameful !!

West Bengal Horror Continues...
West Bengal Horror Continues... A close aid of TMC MLA with his rowdy friends beating a girl like animals. This brutally is the reality of West Bengal. Few days back JCB and now this. Shameful !!
किसी को क्यों बचा रहे ? संदेशखाली में CBI जांच रुकवाने पहुंचे ममता सरकार और कांग्रेस नेता को SC का दो टूक जवाब


आज सोमवार (8 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने आज संदेशखली हिंसा की CBI जांच के निर्देश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार,, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित सदस्य शाहजहां शेख और उनके अनुयायियों द्वारा संदेशखली में भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच CBI से कराने का आदेश दिया गया था। यही जांच रुकवाने ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमे वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका पक्ष रखा, हालाँकि शीर्ष अदालत ने याचिका ठुकरा दी, जिससे CBI जांच का रास्ता साफ़ हो गया। 

यह मामला इससे पहले 29 अप्रैल को आया था, जब जस्टिस गवई ने कहा था कि, "किसी (अपराधी) को बचाने में राज्य को इतनी दिलचस्पी क्यों ? जवाब में, ममता सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा था कि राज्य सरकार के बारे में टिप्पणियां थीं, जबकि उसने पूरी कार्रवाई की थी। इसके बाद बंगाल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी गई, इस शर्त के साथ कि याचिका के लंबित रहने का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए आधार के रूप में नहीं किया जाएगा।


आज सोमवार को, सिंघवी ने तर्क दिया कि आरोपित निर्देशों में न केवल यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की घटनाओं को शामिल किया गया है, बल्कि अन्य मामलों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि कथित राशन घोटाला जिसके लिए 43 FIR दर्ज किए गए थे। कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि, "CBI को दूरगामी निर्देश अधिकतम दो FIR तक सीमित हो सकते हैं, जो ED अधिकारियों से संबंधित हैं। अब आरोपित निर्देश सभी चीजों (जैसे राशन घोटाला) को कवर करते हैं।"

हालांकि, अदालत सिंघवी की इस बात से सहमत नहीं थी, क्योंकि उसका मानना था कि सभी FIR संदेशखली से संबंधित थीं और इस तरह, आरोपित आदेश एक सर्वव्यापी आदेश नहीं था। न्यायमूर्ति गवई ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार ने कई महीनों तक कुछ नहीं किया, और फिर से एक पुराना सवाल उठाया यानी राज्य को किसी को क्यों बचा रहा है ? इस पर कांग्रेस नेता और वकील सिंघवी ने स्पष्ट किया कि विवादित आदेश में सामूहिक रूप से टिप्पणियां की गई थीं, भले ही कथित राशन घोटाले के संबंध में बहुत काम किया गया था।

याचिका को स्वीकार करने के लिए राजी न होने पर पीठ ने अपना आदेश पारित कर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों से CBI को निष्पक्ष रूप से अपनी जांच करने में कोई बाधा नहीं आएगी। बता दें कि, संदेशखली में अशांति तब शुरू हुई जब ED अधिकारियों पर स्थानीय 'बाहुबली' शाहजहां शेख के अनुयायियों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की व्यापक रिपोर्टें शाहजहां और उसके अनुयायियों को जिम्मेदार ठहराया गया, जो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल TMC से जुड़े हुए थे।


13 फरवरी, 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न और जबरन कब्जा की गई आदिवासी भूमि पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की "लुका-छिपी" रणनीति पर चिंता जताई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाले की निष्पक्ष जांच की बात कही, जिसमें TMC नेता शाहजहां शेख एक प्रमुख आरोपी था। हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश पारित किए और निर्देश दिया कि राज्य सरकार उन लोगों की भूमि वापस करने के लिए एक आयोग का गठन करे, जिनकी भूमि हड़पी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह पीड़ितों को मुआवजा दे, क्योंकि सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था कि भूमि वास्तव में हड़पी गई थी।

उत्तर 24 परगना के जिला परिषद के कर्माध्यक्ष के रूप में चुने गए शाहजहां शेख संदेशखली से उत्पन्न लगभग 42 आपराधिक मामलों में मुख्य आरोपी थे। लंबे समय तक फरार रहने के बाद हाई कोर्ट में मामला पहुँचने के बाद लगभग 50 दिनों के बाद उन्हें बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

क्या है संदेशखाली विवाद

बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थी। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है।

जब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी थी। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा था। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया गया था।
हमारे मुस्लिम राष्ट्र में..! सरेआम महिला की पिटाई पर बोले TMC विधायक हमीदुल रहमान, बंगाल की शासन व्यवस्था पर उठे सवाल

पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा में बाहुबली TMC नेता तजीमुल हक़ द्वारा एक महिला को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने के कुछ घंटों बाद, राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हमीदुल रहमान ने एक ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी हंगामा मच गया और बंगाल की शासन व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। दरअसल, TMC विधायक ने रविवार (30 जून) को हुई तालिबान शैली की दरिंदगी को जायज ठहराया और इसे 'मुस्लिम राष्ट्र' करार दिया। बताया जा रहा है कि, आरोपी तजीमुल, इन्ही TMC विधायक का खास है। 

मीडिया के समक्ष हमीदुल रहमान ने दावा किया कि, महिला ने तो कोई (पिटाई की) शिकायत नहीं की है, लेकिन आप लोग (मीडियाकर्मी) अभी भी इसे लगातार उठा रहे हैं। यही नहीं TMC विधायक ने सरेआम मार खाने वाली महिला को ही चरित्रहीन बता दिया, उन्होंने कहा कि, महिला अपने पति की अनुपस्थिति में असामाजिक कार्य कर रही थी। उसकी गतिविधियों को लेकर गांव वालों ने एक बैठक की और सामूहिक निर्णय लिया गया। हमीदुर रहमान ने महिला की पिटाई को कम आंकते हुए कहा कि, हां। उन्होंने (आरोपी ने) कुछ हद तक गलत किया है। हम मानते हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। लेकिन, महिला या उसके पति ने मामले में शिकायत नहीं की है। उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध मजबूर नहीं किया गया है। रहमान ने आगे कहा कि, महिला समाज को खराब कर रही थी और इसलिए ग्रामीणों ने एक्शन लिया। उन्होंने जो किया वह थोड़ा ज़्यादा है और हम निराश हैं। अब हम ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे ऐसी घटनाएं आगे न हों। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरोपी जेसीबी (तजीमुल हक़) टीएमसी का सदस्य है, हमीदुल रहमान ने कहा कि, केवल वो ही क्यों? हमें चोपड़ा में 1 लाख से ज़्यादा वोटों की बढ़त मिली है। इसलिए, वहाँ मौजूद हर कोई हमारा समर्थक है। कोई नुकसान नहीं है। TMC विधायक ने पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि, हम सभी स्वीकार कर रहे हैं कि गांव वालों ने गलत किया है। महिला ने भी गलत किया है। उसने अपने पति और बच्चों को छोड़ दिया और वह एक बदचलन महिला बन गई। यही नहीं TMC विधायक हमीदुल रहमान ने यहाँ तक कह दिया कि चोपड़ा, जहां यह घटना हुई, वह 'मुस्लिम राष्ट्र' है। उन्होंने कहा कि, हमारे मुस्लिम राष्ट्र में आचरण और दंड के कुछ नियम कानून हैं। 

 

बता दें कि, इस साल लोकसभा चुनाव में TMC नेता हामिदुल रहमान ने लोगों को भाजपा को वोट न देने की धमकी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के उत्तर दिनाजपुर जिले के माझियाली गांव में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि, केंद्रीय अर्धसैनिक बल 26 तारीख तक यहां रहेंगे। उसके बाद, आपको हमारे बल (TMC गुंडों का जिक्र करते हुए) के साथ ही रहना होगा। हमीदुर ने आगे कहा था कि, अपना वोट बर्बाद करने और शरारत करने की जुर्रत मत करना। केंद्रीय बल 26 तारीख को चले जाएंगे और आप हमारे बलों के साथ यहां रह जाएंगे। 

 

यही नहीं TMC नेता ने धमकी देते हुए कहा था कि, उस समय, अपने भाग्य पर आने वाली त्रासदी के बारे में शिकायत मत करना। हमीदुल रहमान ने मतदाताओं को 2021 के विधानसभा चुनावों और 2023 के पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा के TMC के खेला के बारे में याद दिलाया था, जब भाजपा समर्थकों पर जमकर हिंसा हुई थी। इससे पहले मार्च 2021 में इसी TMC नेता ने भाजपा समर्थकों को 'नमकहराम' कहा था और घोषणा की थी कि चुनाव के बाद उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि, हमारे पूर्वजों ने कहा है कि जो आपको खिलाते हैं, उनके साथ धोखा मत करो, चुनाव के बाद, हमें उनसे मिलना होगा जो हमें धोखा देंगे। बेईमान लोगों के साथ खेला होबे (हिंसा का खेल खेला जाएगा)। हम चाहते हैं कि दीदी (ममता बनर्जी) ही सीएम बनें।

In Our Muslim Rashtra there are certain rules, the woman is treated following same way"- Chopra MLA Hamidul Rahman on Chopra Assault Video
Since when India or WB has been declared as Muslim state? Is TMC now openly working for fulfilli
वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

#tmc_bjp_mp_fight_in_waqf_board_meeting

वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

बंगाल में एंटी-रेप बिल पास, ऐसा करने वाला बंगाल बना पहला राज्य, बलात्कारियों को 10 दिन में सजा का प्रावधान

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार (3 सितंबर) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पेश किए गए बलात्कार विरोधी 'अपराजिता' विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित केंद्रीय कानूनों में संशोधन लाने वाला पहला राज्य बन गया है।

इस विधेयक को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे 'ऐतिहासिक' और 'आदर्श' बताते हुए कहा कि यह विधेयक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि है, जिसकी पिछले महीने सरकारी आरजी कर मेडिकल सेंटर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024' में बलात्कार और यौन अपराधों के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इसके अलावा, इसमें बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान, ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से आग्रह किया कि वे राज्यपाल से विधेयक पर सहमति देने की अपील करें। ममता ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है और बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार की आवश्यकता है। ममता ने यह भी कहा कि विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, ताकि इसे लागू किया जा सके। ममता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर असामान्य रूप से अधिक है, जबकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं को अदालतों में न्याय मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि BNS पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया, और उन्होंने केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद इस पर चर्चा की इच्छा व्यक्त की। भाजपा ने विधेयक का स्वागत किया, लेकिन भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए पहले से ही कड़े प्रावधान होने की बात कही। पार्टी के नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में सात संशोधनों की मांग की और इसका तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की बात की।

अधिकारी ने कहा कि इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और उन्होंने इस पर परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि विपक्ष समर्थन देगा, लेकिन विधेयक को तुरंत लागू करने की गारंटी दी जानी चाहिए। यह विशेष सत्र कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बुलाया गया था।

बता दें कि, इस बिल में दोषियों के लिए दस दिन में फांसी का प्रावधान है। लेकिन इसपर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर 10 दिन के अंदर किसी को दोषी कैसे साबित किया जाएगा ? संदेशखाली का TMC नेता शेख शाहजहां, जो कई महीनों से जेल के अंदर है, अब तक उस पर दोष साबित नहीं हो पाया है, जबकि उस पर कई महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन, अब ममता सरकार दावा कर रही है कि वो 10 दिन में बलात्कारियों को फांसी देगी, जबकि शेख शाहजहां को पकड़ने में ही बंगाल पुलिस को 50 दिन से अधिक लग गए थे, वो भी कोलकाता हाई कोर्ट की फटकार के बाद पकड़ा गया था। मौजूदा कोलकाता के मामले में भी बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं, सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं, CBI ने कोर्ट में खुद कहा है कि अपराध के 5 दिन बाद जब जांच उनके हाथ में आई, तब तक सबकुछ बदल गया था, सैकड़ों लोगों की भीड़ क्राइम सीन तक घुस आई थी, हॉस्पिटल में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था, यहाँ तक कि मृतका की डायरी के पन्ने भी फ़टे हुए मिले हैं, जिनमे अहम सुराग हो सकते थे। ऐसे में ये तो वक़्त ही बताएगा कि ममता सरकार बलात्कारियों को 10 दिन में फांसी दिलवा पाती है या नहीं ? या फिर ये कानून सिर्फ मौजूदा मामले में अपनी सरकार को डिफेंड करने का एक शिगूफा साबित होता है।

ममता के यूपी-बिहार-असम भी जलेंगे वाले बयान पर मचा सियासी घमासान, भाजपा नेताओं ने साधा निशाना*
#political_stir_over_mamata_benerjee_s_assam_delhi_will_burn_remark
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद के विरोध में ऐसा बयान दे दिया है कि सियासी तूफान खड़ा हो गया है।ममता ने 28 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे।उनके इस बयान पर भाजपा नेताओं ने आपत्ति जताई है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के भाषण पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने जोरदार हमला बोला है। पूनावाला ने ममता बनर्जी के साथ कांग्रेस, समा और आप नेताओं को भी घेरा है। बीजेपी नेता ने कहा हैं, ''140 करोड़ भारतीय पश्चिम बंगाल की बेटी के लिए न्याय मांग रहे हैं। ममता बनर्जी की प्राथमिकता न्याय नहीं बल्कि बदला है। जब एक सीएम कहतीं हैं, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पूर्वोत्तर और ओडिशा जलेंगे, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, आप या गौरव गोगोई इस बयान का समर्थन करते हैं? क्या जो लोग न्याय की मांग कर रहे हैं वे अशांति पैदा कर रहे हैं? यह प्रदर्शनकारियों और डॉक्टरों का अपमान है जब ममता बनर्जी का कहना है कि न्याय की मांग करना अशांति पैदा करने जैसा है। वह संविधान विरोधी बयान दे रही हैं और राहुल गांधी, जो संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, इस पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।'' *सरमा ने पूछा- आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की?* ममता के इस बयान को लेकर असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि दीदी, आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की? हमें लाल आंखें मत दिखाइए। आपकी असफलता की राजनीति से भारत को जलाने की कोशिश भी मत कीजिए। आपको विभाजनकारी भाषा बोलना शोभा नहीं देता। *बंगाल भाजपा अध्यक्ष का गृह मंत्री को लिखा पत्र* सुकांत ने अमित शाह के नाम पत्र में लिखा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कोलकाता में TMC के छात्र विंग को संबोधित करते हुए भीड़ को उकसाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 'मैंने कभी बदला नहीं चाहा, लेकिन अब, जो करना है वह करो।' ममता का यह बयान राज्य के सर्वोच्च पद से बदले की राजनीति का स्पष्ट समर्थन है। उन्होंने बेशर्मी से राष्ट्र-विरोधी बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि 'याद रखें, अगर बंगाल जलता है, तो असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, और दिल्ली भी जलेंगे।' यह संवैधानिक पद पर बैठने वाले व्यक्ति की आवाज नहीं हो सकती है, यह राष्ट्र-विरोधी की आवाज है। उनका बयान स्पष्ट रूप से धमकाने, हिंसा भड़काने और लोगों के बीच नफरत फैलाने का प्रयास है। अब वे इतने महत्वपूर्ण पद पर बने रहने की हकदार नहीं हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। जनता के हर सेवक का, खासतौर से ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति का मौलिक कर्तव्य है कि वह शांति को बढ़ावा दे और किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ने से रोके। ममता के विचार चिंताजनक हैं और यह पश्चिम बंगाल के नागरिकों की सुरक्षा और राज्य की अखंडता को कमजोर करता है। मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि आप इस गंभीर मामले पर संज्ञान लें और स्थिति को संबोधित करने और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करें। मैं पश्चिम बंगाल के नागरिकों के हितों की रक्षा करने और हमारे राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए आपकी तरफ से तुरंत और निर्णायक कार्रवाई का इंतजार कर रहा हूं। *ममता ने क्या कहा* ममता ने कहा था, "कुछ लोगों को लगता है कि यह बांग्लादेश है। वे हमारी तरह बात करते हैं और हमारी संस्कृति भी एक जैसी है, लेकिन याद रखिए कि बांग्लादेश अलग देश है और भारत अलग देश है। मोदी बाबू कोलकाता के मामले में अपनी पार्टी का इस्तेमाल करके बंगाल में आग लगवा रहे हैं। अगर आपने बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे। हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।" दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेड में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के विरोध में छात्र संगठनों ने 27 अगस्त को 'नबन्ना अभियान' विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था।इस दौरान छात्र सचिवालय तक रैली निकाल रहे थे, जहां प्रदर्शन हिंसक हो गया और पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना के विरोध में भाजपा ने 28 अगस्त को 12 घंटे बंद का ऐलान किया था।ममता ने इसी बंद को लेकर भाजपा पर निशाना साधा था।
अपने ही राज्य में हुए लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर के खिलाफ मार्च निकालेंगी ममता बनर्जी, क्या खुद ही करेंगी विपक्ष का भी काम ?

किसी राज्य में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उस राज्य का विपक्ष सड़कों पर उतरता है, और प्रदर्शन-रैली आदि करके उस प्रदेश की सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाता है और राज्य के कानून व्यवस्था पर सवाल उठता है। मगर, पश्चिम बंगाल में उलटा होने जा रहा है। यहाँ 13 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन ममता बनर्जी खुद कोलकता में लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले के खिलाफ रैली निकालने वाली हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि सीएम ममता बनर्जी 17 अगस्त को कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले के खिलाफ एक रैली आयोजित करेंगी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इसकी जांच में तेजी लाने की मांग करेंगी। TMC सांसद ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि "कोलकाता में एक युवती की हत्या और बलात्कार की घटना से अधिक क्रूर और जघन्य अपराध की कल्पना करना कठिन है।" मुख्यमंत्री की निर्धारित रैली के पीछे के कारणों को गिनाते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मामले को अपने हाथ में लेने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को जांच पर रोजाना अपडेट देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि CBI को शनिवार तक जांच पूरी करने के लिए कोलकाता पुलिस को मुख्यमंत्री द्वारा दी गई समयसीमा का पालन करना चाहिए। बता दें कि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपी है, इससे पहले कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी। वहीं, TMC सांसद ने आगे कहा कि, "कोलकाता पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। न्याय तभी होगा जब CBI सभी संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करेगी और मामले को फास्ट ट्रैक अदालत में भेजेगी।" TMC नेता ने कहा कि, "CBI द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने से यह मामला चुपचाप दब नहीं जाना चाहिए। समय की मांग है कि त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस बर्बर कृत्य को अंजाम देने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।" इस बीच, TMC नेता के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने राष्ट्रव्यापी 'रिक्लेम द नाइट' विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ करने के आरोप में 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि, "अस्पताल पर हमला करने और तोड़फोड़ करने वालों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।" पुलिस के अनुसार, बुधवार देर रात 40 से 50 लोगों के एक समूह ने प्रदर्शन की आड़ में अस्पताल परिसर में घुसकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
केजरीवाल के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा INDIA गठबंधन, दिल्ली CM की शिकायत करने वाली कांग्रेस भी होगी शामिल !

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित विपक्षी गठबंधन आज यानी मंगलवार (30 जुलाई) को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर इंडिया ब्लॉक की एक रैली निकालने वाले हैं। जिसमें न्यायिक हिरासत में AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की बिगड़ती सेहत पर आवाज़ उठाई जाएगी। आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को इसका ऐलान किया था। बता दें कि, AAP लगातार केंद्र की भाजपा पर जेल में केजरीवाल की 'हत्या की साजिश' रचने का इल्जाम लगा रही है। इसके लिए AAP ने केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि तीन जून से सात जुलाई के बीच मुख्यमंत्री का शुगर लेवल 34 बार गिरा है। एक प्रेस वार्ता में संजय सिंह से मंगलवार की रैली में शामिल होने वाले दलों के बारे में बताते हुए कहा कि, 'कांग्रेस, सपा, TMC, DMK, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार), शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ये साड़ी पार्टियां केजरीवाल के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाएंगी।' उन्होंने कहा कि हम दो-तीन और दलों के साथ चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जंतर-मंतर में होने वाली रैली में शामिल होने वाले नेताओं का नाम मंगलवार को मालूम चलेगा। बता दें कि दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलेमें ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को अरेस्ट किया था। मजे की बात ये है कि, शराब घोटाले में केजरीवाल की लिखित शिकायत कांग्रेस ने ही की थी, लेकिन तब उनका गठबंधन नहीं था, अब दोनों INDIA ब्लॉक के सदस्य हैं, तो जाहिर है कांग्रेस केजरीवाल के पीछे खड़े होकर केंद्र पर निशाना साधेगी। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित शराब घोटाले से जुड़े CBI मामले में AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। CBI ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए केजरीवाल को मामले का सूत्रधार करार दिया था। CBI ने कहा था कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो वह गवाहों के प्रभावित कर सकते हैं। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। जांच एजेंसी की तरफ से पेश अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा 'उनकी (केजरीवाल) गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं की जा सकती थी। हमने एक महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद हमें सबूत मिले। उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता खुद जवाब देने के लिए आगे आए।' इससे पहले दिन में सीबीआई ने मुख्यमंत्री और आप विधायक दुर्गेश पाठक समेत पांच अन्य के खिलाफ निचली अदालत में अपना अंतिम चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमे केजरीवाल को घोटाले का किंगपिन बताया गया था।
बंगाल में जांच नहीं कर सकती CBI..', सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार तो SC ने कहा - यह मामला सुनवाई योग्य

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI की सामान्य सहमति निरस्त करने के बावजूद एजेंसी द्वारा पश्चिम बंगाल में FIR दर्ज करने को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुनवाई योग्य है। इस मामले में ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसका केंद्र सरकार ने विरोध किया था।

हालाँकि, केंद्र द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियों को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि बंगाल सरकार की शिकायत में कार्रवाई की वजह बताई गई है। अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई इस दलील को भी मानने से इंकार कर दिया कि राज्य ने शिकायत में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। बता दें कि, यह मामला साल 2018 का है। उस दौरान ममता बनर्जी सरकार ने CBI जाँच के लिए दी गई सामान्य सहमति रद्द कर दी थी। इसके बाद भी CBI कभी हाई कोर्ट के आदेश पर, तो कभी किन्ही और कारणों से पश्चिम बंगाल में अपराधों के खिलाफ FIR दर्ज करना जारी रखी, जबकि ममता सरकार ऐसा नहीं चाहती थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य सहमति रद्द करने के बाद एजेंसी जाँच जारी नहीं रख सकती थी।

वहीं, ममता सरकार ने कहा कि CBI केंद्र सरकार के अधीन काम कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए कि यह केस सुनवाई योग्य है। अदालत ने कहा कि, “मौजूदा मुकदमा कानूनी मुद्दा उठा रहा है कि क्या सामान्य सहमति वापस लेने के बाद CBI का कस दर्ज करना और DSPE Act की धारा 6 का उल्लंघन करने वाले मामलों की छानबीन करना जारी रख सकती है।”

बता दें कि यह मुकदमा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र सरकार के खिलाफ दाखिल किया गया था। इसमें राज्य सरकार ने कहा है कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत CBI का गठन हुआ है। राज्य ने कहा कि आम सहमति वापस लेने के बावजूद CBI ने राज्य में हुए अपराधों के संबंध में केस करना जारी रखा। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 131 संघ और राज्यों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए है। लेकिन, यह अनुच्छेद CBI पर ये लागू नहीं होता है, क्योंकि यह एजेंसी केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं है। इसलिए यह मुकदमा केंद्र सरकार के खिलाफ है।

बता दें कि, बंगाल में CBI , शिक्षक भर्ती घोटाला, राशन वितरण घोटाला, नगर निगम भर्ती घोटाला, गौवंश तस्करी, संदेशखाली जमीन हड़पना और यौन शोषण जैसे जैसे कई आपराधिक मामलों की जांच कर रही है, जिसमे सत्ताधारी TMC के कई नेता गिरफ्तार हुए हैं। ताजा मामले की बात करें तो, कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले की जांच CBI को सौंपी थी, जिसमे TMC नेता शाहजहां शेख मुख्य आरोपी है। ये जांच रुकवाने ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए CBI जांच रोकने से इंकार कर दिया था कि, आखिर राज्य साकार किसी (अपराधी) को बचाने कि कोशिश क्यों कर रही है ? यहां से तो ममता सरकार को झटका मिला, अब उन्होंने कह दिया है कि, CBI उनके राज्य में जांच कर ही नहीं सकती, क्योंकि उसके पास राज्य सरकार की सहमति नहीं है। इस मुक़दमे पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी राजी हो गया है, अब देखना ये है कि, ये मामला कहाँ तक जाता है।

bharathnews

West Bengal Horror Continues... A close aid of TMC MLA with his rowdy friends beating a girl like animals. This brutally is the reality of West Bengal. Few days back JCB and now this. Shameful !!

West Bengal Horror Continues...
West Bengal Horror Continues... A close aid of TMC MLA with his rowdy friends beating a girl like animals. This brutally is the reality of West Bengal. Few days back JCB and now this. Shameful !!
किसी को क्यों बचा रहे ? संदेशखाली में CBI जांच रुकवाने पहुंचे ममता सरकार और कांग्रेस नेता को SC का दो टूक जवाब


आज सोमवार (8 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने आज संदेशखली हिंसा की CBI जांच के निर्देश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार,, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित सदस्य शाहजहां शेख और उनके अनुयायियों द्वारा संदेशखली में भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच CBI से कराने का आदेश दिया गया था। यही जांच रुकवाने ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमे वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका पक्ष रखा, हालाँकि शीर्ष अदालत ने याचिका ठुकरा दी, जिससे CBI जांच का रास्ता साफ़ हो गया। 

यह मामला इससे पहले 29 अप्रैल को आया था, जब जस्टिस गवई ने कहा था कि, "किसी (अपराधी) को बचाने में राज्य को इतनी दिलचस्पी क्यों ? जवाब में, ममता सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा था कि राज्य सरकार के बारे में टिप्पणियां थीं, जबकि उसने पूरी कार्रवाई की थी। इसके बाद बंगाल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी गई, इस शर्त के साथ कि याचिका के लंबित रहने का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए आधार के रूप में नहीं किया जाएगा।


आज सोमवार को, सिंघवी ने तर्क दिया कि आरोपित निर्देशों में न केवल यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की घटनाओं को शामिल किया गया है, बल्कि अन्य मामलों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि कथित राशन घोटाला जिसके लिए 43 FIR दर्ज किए गए थे। कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि, "CBI को दूरगामी निर्देश अधिकतम दो FIR तक सीमित हो सकते हैं, जो ED अधिकारियों से संबंधित हैं। अब आरोपित निर्देश सभी चीजों (जैसे राशन घोटाला) को कवर करते हैं।"

हालांकि, अदालत सिंघवी की इस बात से सहमत नहीं थी, क्योंकि उसका मानना था कि सभी FIR संदेशखली से संबंधित थीं और इस तरह, आरोपित आदेश एक सर्वव्यापी आदेश नहीं था। न्यायमूर्ति गवई ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार ने कई महीनों तक कुछ नहीं किया, और फिर से एक पुराना सवाल उठाया यानी राज्य को किसी को क्यों बचा रहा है ? इस पर कांग्रेस नेता और वकील सिंघवी ने स्पष्ट किया कि विवादित आदेश में सामूहिक रूप से टिप्पणियां की गई थीं, भले ही कथित राशन घोटाले के संबंध में बहुत काम किया गया था।

याचिका को स्वीकार करने के लिए राजी न होने पर पीठ ने अपना आदेश पारित कर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों से CBI को निष्पक्ष रूप से अपनी जांच करने में कोई बाधा नहीं आएगी। बता दें कि, संदेशखली में अशांति तब शुरू हुई जब ED अधिकारियों पर स्थानीय 'बाहुबली' शाहजहां शेख के अनुयायियों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की व्यापक रिपोर्टें शाहजहां और उसके अनुयायियों को जिम्मेदार ठहराया गया, जो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल TMC से जुड़े हुए थे।


13 फरवरी, 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न और जबरन कब्जा की गई आदिवासी भूमि पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की "लुका-छिपी" रणनीति पर चिंता जताई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाले की निष्पक्ष जांच की बात कही, जिसमें TMC नेता शाहजहां शेख एक प्रमुख आरोपी था। हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश पारित किए और निर्देश दिया कि राज्य सरकार उन लोगों की भूमि वापस करने के लिए एक आयोग का गठन करे, जिनकी भूमि हड़पी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह पीड़ितों को मुआवजा दे, क्योंकि सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था कि भूमि वास्तव में हड़पी गई थी।

उत्तर 24 परगना के जिला परिषद के कर्माध्यक्ष के रूप में चुने गए शाहजहां शेख संदेशखली से उत्पन्न लगभग 42 आपराधिक मामलों में मुख्य आरोपी थे। लंबे समय तक फरार रहने के बाद हाई कोर्ट में मामला पहुँचने के बाद लगभग 50 दिनों के बाद उन्हें बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

क्या है संदेशखाली विवाद

बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थी। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है।

जब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी थी। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा था। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया गया था।
हमारे मुस्लिम राष्ट्र में..! सरेआम महिला की पिटाई पर बोले TMC विधायक हमीदुल रहमान, बंगाल की शासन व्यवस्था पर उठे सवाल

पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा में बाहुबली TMC नेता तजीमुल हक़ द्वारा एक महिला को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने के कुछ घंटों बाद, राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हमीदुल रहमान ने एक ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी हंगामा मच गया और बंगाल की शासन व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। दरअसल, TMC विधायक ने रविवार (30 जून) को हुई तालिबान शैली की दरिंदगी को जायज ठहराया और इसे 'मुस्लिम राष्ट्र' करार दिया। बताया जा रहा है कि, आरोपी तजीमुल, इन्ही TMC विधायक का खास है। 

मीडिया के समक्ष हमीदुल रहमान ने दावा किया कि, महिला ने तो कोई (पिटाई की) शिकायत नहीं की है, लेकिन आप लोग (मीडियाकर्मी) अभी भी इसे लगातार उठा रहे हैं। यही नहीं TMC विधायक ने सरेआम मार खाने वाली महिला को ही चरित्रहीन बता दिया, उन्होंने कहा कि, महिला अपने पति की अनुपस्थिति में असामाजिक कार्य कर रही थी। उसकी गतिविधियों को लेकर गांव वालों ने एक बैठक की और सामूहिक निर्णय लिया गया। हमीदुर रहमान ने महिला की पिटाई को कम आंकते हुए कहा कि, हां। उन्होंने (आरोपी ने) कुछ हद तक गलत किया है। हम मानते हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। लेकिन, महिला या उसके पति ने मामले में शिकायत नहीं की है। उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध मजबूर नहीं किया गया है। रहमान ने आगे कहा कि, महिला समाज को खराब कर रही थी और इसलिए ग्रामीणों ने एक्शन लिया। उन्होंने जो किया वह थोड़ा ज़्यादा है और हम निराश हैं। अब हम ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे ऐसी घटनाएं आगे न हों। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरोपी जेसीबी (तजीमुल हक़) टीएमसी का सदस्य है, हमीदुल रहमान ने कहा कि, केवल वो ही क्यों? हमें चोपड़ा में 1 लाख से ज़्यादा वोटों की बढ़त मिली है। इसलिए, वहाँ मौजूद हर कोई हमारा समर्थक है। कोई नुकसान नहीं है। TMC विधायक ने पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि, हम सभी स्वीकार कर रहे हैं कि गांव वालों ने गलत किया है। महिला ने भी गलत किया है। उसने अपने पति और बच्चों को छोड़ दिया और वह एक बदचलन महिला बन गई। यही नहीं TMC विधायक हमीदुल रहमान ने यहाँ तक कह दिया कि चोपड़ा, जहां यह घटना हुई, वह 'मुस्लिम राष्ट्र' है। उन्होंने कहा कि, हमारे मुस्लिम राष्ट्र में आचरण और दंड के कुछ नियम कानून हैं। 

 

बता दें कि, इस साल लोकसभा चुनाव में TMC नेता हामिदुल रहमान ने लोगों को भाजपा को वोट न देने की धमकी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के उत्तर दिनाजपुर जिले के माझियाली गांव में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि, केंद्रीय अर्धसैनिक बल 26 तारीख तक यहां रहेंगे। उसके बाद, आपको हमारे बल (TMC गुंडों का जिक्र करते हुए) के साथ ही रहना होगा। हमीदुर ने आगे कहा था कि, अपना वोट बर्बाद करने और शरारत करने की जुर्रत मत करना। केंद्रीय बल 26 तारीख को चले जाएंगे और आप हमारे बलों के साथ यहां रह जाएंगे। 

 

यही नहीं TMC नेता ने धमकी देते हुए कहा था कि, उस समय, अपने भाग्य पर आने वाली त्रासदी के बारे में शिकायत मत करना। हमीदुल रहमान ने मतदाताओं को 2021 के विधानसभा चुनावों और 2023 के पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा के TMC के खेला के बारे में याद दिलाया था, जब भाजपा समर्थकों पर जमकर हिंसा हुई थी। इससे पहले मार्च 2021 में इसी TMC नेता ने भाजपा समर्थकों को 'नमकहराम' कहा था और घोषणा की थी कि चुनाव के बाद उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि, हमारे पूर्वजों ने कहा है कि जो आपको खिलाते हैं, उनके साथ धोखा मत करो, चुनाव के बाद, हमें उनसे मिलना होगा जो हमें धोखा देंगे। बेईमान लोगों के साथ खेला होबे (हिंसा का खेल खेला जाएगा)। हम चाहते हैं कि दीदी (ममता बनर्जी) ही सीएम बनें।

In Our Muslim Rashtra there are certain rules, the woman is treated following same way"- Chopra MLA Hamidul Rahman on Chopra Assault Video
Since when India or WB has been declared as Muslim state? Is TMC now openly working for fulfilli