फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

महाराष्ट्र में अब मंत्रालय के बंटवारे को लेकर फंस गया पेंच, गृह मंत्रालय को लेकर हो रही खींचतान!

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। विधानसभा चुनाव के बाद महायुति की सरकार बन चुकी है। सीएम और दो डिप्टी सीएम ने शपथ भी ले ली है। इसके बाद अब सबकी नजरें इस महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी हुई हैं। मंत्रिमंडल को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने के बीच खबरें आ रही हैं कि सीएम पद पर एकमत होने के बाद गृह विभाग को लेकर अब भी महायुति में जंग जारी है।शिवसेवा कई बार साफ तौर पर कह चुकी है कि उसे गृह विभाग चाहिए, लेकिन भाजपा उसे अपने पास ही रखना चाहती है।

पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शिवसेना नेता उदय सामंत ने मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं और उन्हें सभी राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार है। जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायकों को मंजूर होगा। मंत्रिमंडल के बंटवारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय सामंत ने कहा कि किसे मंत्री बनाया जाएगा और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री का निर्णय होगा। उन्होंने आगे कहा, "सीएम दोनों डिप्टी सीएम के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे। यह कौन कह रहा है कि हमें गृह मंत्रालय चाहिए? सीएम और डिप्टी सीए विभागों पर फैसला करेंगे।"

क्या है विभागों का गणित

बता दें कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 43 है। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित 21, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

किस पार्टी के खाते में कौन सा विभाग

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास गृह, विधि एवं न्याय, गृहमंत्री निर्माण, ऊर्जा, राज शिष्टाचार, सिंचाई, ग्राम विकास, पर्यटन, राजस्व, कौशल विकास, सामान्य प्रशासन और आदिवासी विभाग रह सकते हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे) को शहरी विकास, आबकारी, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, माइनिंग, जल आपूर्ति, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्यूडी विभाग दिए जा सकते हैं। इसके अलावा एनसीपी (अजित पवार) को वित्त एवं नियोजन, खाद्य एवं आपूर्ति, एफडीए, कृषि, महिला एवं बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और मदद एवं पुनर्वास विभाग मिल सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया जा सकता है। वहीं अजित पवार वित्त विभाग मांग रहे हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस गृह के साथ वित्त विभाग भी रखना चाहते हैं। इस विभाग पर अजित पवार से चर्चा होगी। इसके बदले बीजेपी अजित पवार को ऊर्जा या हाउसिंग विभाग देना चाहती है। इसके अलावा शहरी विकास, राजस्व, आदिवासी, कृषि, ग्राम विकास, मेडिकल एजुकेशन, महिला एवं बाल विकास विभाग पर अभी चर्चा जारी है। कुछ विभाग आपस में ऐक्सचेंज किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार में कैसा था हाल?

दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।

समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

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महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

महाराष्ट्र को आज मिल सकता है मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला संभव

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महाराष्‍ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न पर से आज यानी बुधवार को पर्दा हट सकता है। आज महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक अपना नेता चुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ उनके समर्थन पत्र लेकर 3.30 बजे राज्यपाल के पास जाएगी। इसमें महायुति के नेता भी होंगे। राज्यपाल से मिलकर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मुंबई पहुंच गए हैं जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह मुंबई पहुंच जाएंगी। जिसके बाद विधान भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। चर्चा है कि नेता चुने जाने के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री से पर्दा उठ सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री बीजेपी का बनेगा इसलिए रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे चल रहे हैं। बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक होगी जिसमें नेता चुना जाएगा। फिर महायुति के नेता राजभवन जाएंगे, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

मंत्री पद के बंटवारे के लिए फॉर्मूला तैयार

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के बंटवारे के लिए एक फॉर्मूला तैयार हो गया है। सत्ता का बंटवारा 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा यानी पार्टी के हर छह विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत 132 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे। इसके दो सहयोगी दलों - एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुट के लिए भी यह फायदे का सौदा है। संख्या के हिसाब से भाजपा को 20 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।

नई सरकार का पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को महाराष्ट्र की नई सरकार में शामिल नहीं करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं और महायुति के अन्य सहयोगियों के बीच व्यापक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को भाजपा विधायकों द्वारा अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करने के बाद ही विभागों के आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नई सरकार पांच दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी।

మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎం ఎంపిక

గత కొన్ని రోజులుగా ఆసక్తిరేపిన మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎం పేరు దాదాపు ఖరారైంది. మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎంగా దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ఎన్నికయ్యారు. ఇంకా ప్రకటన వెలువడనప్పటికీ, ఆయా వర్గాల నుంచి వచ్చిన సమాచారం ప్రకారం, దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ పేరుపై ఏకాభిప్రాయం కుదిరింది.

మహారాష్ట్ర కొత్త ముఖ్యమంత్రి (Maharashtra CM) పేరు దాదాపు ఖరారైనట్లు తెలిసింది. మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎంగా దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ (Devendra Fadnavis) ఎన్నికైనట్లు సమాచారం. ఆయా వర్గాల నుంచి వచ్చిన సమాచారం ప్రకారం తెలిసింది. ఏక్‌నాథ్ షిండే, అజిత్ పవార్‌లను ఉప ముఖ్యమంత్రులు చేయనున్నట్లు తెలుస్తోంది.

ఈ విషయంపై చర్చించేందుకు గురువారం రాత్రి మహాయుతి నేతలు దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్, ఏక్నాథ్ షిండే, అజిత్ పవార్ హోంమంత్రి అమిత్ షాను కలిసేందుకు ఢిల్లీ చేరుకున్నారు. ఈ సమావేశంలోనే ఈ సమీకరణ ఖరారైనట్లు సమాచారం.

బీజేపీ నేత ముఖ్యమంత్రి అయితే ఇరు పార్టీలకు ఎలాంటి అభ్యంతరం ఉండదని సమావేశంలో ఇరు పక్షాలు అంగీకరించాయి. ఢిల్లీలోని తన నివాసంలో మంత్రి అమిత్ షా అధ్యక్షతన జరిగిన రెండు గంటల సుదీర్ఘ సమావేశం అర్ధరాత్రి ముగిసింది.

देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे...महाराष्ट्र सीएम पर सस्पेंस बरकरार, कब होगा पटाक्षेप?

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महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की। 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम भी आ गया लेकिन आज 28 नवंबर तक मुख्यमंत्री के नाम का पटाक्षेप नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन होगा? सस्पेंस अब भी बरकरार है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के तहत गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े के बीच अहम बैठक हुई। वहीं, आज महायुति के तीनों शीर्ष नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एलान हो सकता है।

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और राकांपा के महायुति गठबंधन ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। हालांकि, इन सभी दलों में भाजपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहा और वह अकेले ही बहुमत के करीब का आंकड़ा जुटाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद से ही भाजपा के कई नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री पद पार्टी के पास रखने की मांग उठने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना(शिंदे) के कुछ नेताओं ने भी एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाने की मांग तेज कर दी। कई बार शिवसेना की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाया गया।हालांकि, एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री सीएम की रेस से हट गए हैं।

देवेंद्र फडणवीस के नाम पर पेच फंस

एकनाथ शिंदे के बयान के बाद ऐसा लगा जैसे देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की रेस में बाजी मार चुके हैं। मगर ताजा घटनाक्रम सामने आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस पर फिर पेच फंस गया है। अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच बुधवार की रात को लंबी बातचीत हुई। विनोद तावड़े ने महाराष्ट्र का जो फीडबैक दिया है, उससे ही फडणवीस के नाम पर पेच फंसता दिख रहा है। बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर चर्चा की गई। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री नहीं रहने पर सूबे के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा हुई. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र के मराठा वोटरों पर पड़ने वाले असर को लेकर लगातार मंथन कर रहा है। तावड़े से बैठक से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर फीडबैक लिया।

एकनाथ शिंदे बता चुके हैं अपनी राय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। सरकार बनाते समय मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं आएगी। मैं चट्टान की तरह साथ खड़ा हूं। भाजपा की बैठक में जो भी निर्णय लिया जाएगा, हमें मान्य होगा। भाजपा का सीएम मुझे मंजूर है।

शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया।

पिक्चर अभी बाकी है...

महाराष्ट्र की जनता नए मुख्यमंत्री के नाम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। देखना होगा कि आखिरकार किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजता है। क्या फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या शिंदे को यह जिम्मेदारी मिलेगी? या फिर कोई और चेहरा सामने आएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

महाराष्ट्र में अब मंत्रालय के बंटवारे को लेकर फंस गया पेंच, गृह मंत्रालय को लेकर हो रही खींचतान!

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। विधानसभा चुनाव के बाद महायुति की सरकार बन चुकी है। सीएम और दो डिप्टी सीएम ने शपथ भी ले ली है। इसके बाद अब सबकी नजरें इस महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी हुई हैं। मंत्रिमंडल को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने के बीच खबरें आ रही हैं कि सीएम पद पर एकमत होने के बाद गृह विभाग को लेकर अब भी महायुति में जंग जारी है।शिवसेवा कई बार साफ तौर पर कह चुकी है कि उसे गृह विभाग चाहिए, लेकिन भाजपा उसे अपने पास ही रखना चाहती है।

पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शिवसेना नेता उदय सामंत ने मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं और उन्हें सभी राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार है। जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायकों को मंजूर होगा। मंत्रिमंडल के बंटवारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय सामंत ने कहा कि किसे मंत्री बनाया जाएगा और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री का निर्णय होगा। उन्होंने आगे कहा, "सीएम दोनों डिप्टी सीएम के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे। यह कौन कह रहा है कि हमें गृह मंत्रालय चाहिए? सीएम और डिप्टी सीए विभागों पर फैसला करेंगे।"

क्या है विभागों का गणित

बता दें कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 43 है। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित 21, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

किस पार्टी के खाते में कौन सा विभाग

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास गृह, विधि एवं न्याय, गृहमंत्री निर्माण, ऊर्जा, राज शिष्टाचार, सिंचाई, ग्राम विकास, पर्यटन, राजस्व, कौशल विकास, सामान्य प्रशासन और आदिवासी विभाग रह सकते हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे) को शहरी विकास, आबकारी, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, माइनिंग, जल आपूर्ति, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्यूडी विभाग दिए जा सकते हैं। इसके अलावा एनसीपी (अजित पवार) को वित्त एवं नियोजन, खाद्य एवं आपूर्ति, एफडीए, कृषि, महिला एवं बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और मदद एवं पुनर्वास विभाग मिल सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया जा सकता है। वहीं अजित पवार वित्त विभाग मांग रहे हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस गृह के साथ वित्त विभाग भी रखना चाहते हैं। इस विभाग पर अजित पवार से चर्चा होगी। इसके बदले बीजेपी अजित पवार को ऊर्जा या हाउसिंग विभाग देना चाहती है। इसके अलावा शहरी विकास, राजस्व, आदिवासी, कृषि, ग्राम विकास, मेडिकल एजुकेशन, महिला एवं बाल विकास विभाग पर अभी चर्चा जारी है। कुछ विभाग आपस में ऐक्सचेंज किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार में कैसा था हाल?

दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।

समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

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महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

महाराष्ट्र को आज मिल सकता है मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला संभव

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महाराष्‍ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न पर से आज यानी बुधवार को पर्दा हट सकता है। आज महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक अपना नेता चुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ उनके समर्थन पत्र लेकर 3.30 बजे राज्यपाल के पास जाएगी। इसमें महायुति के नेता भी होंगे। राज्यपाल से मिलकर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मुंबई पहुंच गए हैं जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह मुंबई पहुंच जाएंगी। जिसके बाद विधान भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। चर्चा है कि नेता चुने जाने के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री से पर्दा उठ सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री बीजेपी का बनेगा इसलिए रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे चल रहे हैं। बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक होगी जिसमें नेता चुना जाएगा। फिर महायुति के नेता राजभवन जाएंगे, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

मंत्री पद के बंटवारे के लिए फॉर्मूला तैयार

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के बंटवारे के लिए एक फॉर्मूला तैयार हो गया है। सत्ता का बंटवारा 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा यानी पार्टी के हर छह विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत 132 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे। इसके दो सहयोगी दलों - एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुट के लिए भी यह फायदे का सौदा है। संख्या के हिसाब से भाजपा को 20 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।

नई सरकार का पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को महाराष्ट्र की नई सरकार में शामिल नहीं करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं और महायुति के अन्य सहयोगियों के बीच व्यापक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को भाजपा विधायकों द्वारा अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करने के बाद ही विभागों के आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नई सरकार पांच दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी।

మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎం ఎంపిక

గత కొన్ని రోజులుగా ఆసక్తిరేపిన మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎం పేరు దాదాపు ఖరారైంది. మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎంగా దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ఎన్నికయ్యారు. ఇంకా ప్రకటన వెలువడనప్పటికీ, ఆయా వర్గాల నుంచి వచ్చిన సమాచారం ప్రకారం, దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ పేరుపై ఏకాభిప్రాయం కుదిరింది.

మహారాష్ట్ర కొత్త ముఖ్యమంత్రి (Maharashtra CM) పేరు దాదాపు ఖరారైనట్లు తెలిసింది. మహారాష్ట్ర కొత్త సీఎంగా దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ (Devendra Fadnavis) ఎన్నికైనట్లు సమాచారం. ఆయా వర్గాల నుంచి వచ్చిన సమాచారం ప్రకారం తెలిసింది. ఏక్‌నాథ్ షిండే, అజిత్ పవార్‌లను ఉప ముఖ్యమంత్రులు చేయనున్నట్లు తెలుస్తోంది.

ఈ విషయంపై చర్చించేందుకు గురువారం రాత్రి మహాయుతి నేతలు దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్, ఏక్నాథ్ షిండే, అజిత్ పవార్ హోంమంత్రి అమిత్ షాను కలిసేందుకు ఢిల్లీ చేరుకున్నారు. ఈ సమావేశంలోనే ఈ సమీకరణ ఖరారైనట్లు సమాచారం.

బీజేపీ నేత ముఖ్యమంత్రి అయితే ఇరు పార్టీలకు ఎలాంటి అభ్యంతరం ఉండదని సమావేశంలో ఇరు పక్షాలు అంగీకరించాయి. ఢిల్లీలోని తన నివాసంలో మంత్రి అమిత్ షా అధ్యక్షతన జరిగిన రెండు గంటల సుదీర్ఘ సమావేశం అర్ధరాత్రి ముగిసింది.

देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे...महाराष्ट्र सीएम पर सस्पेंस बरकरार, कब होगा पटाक्षेप?

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महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की। 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम भी आ गया लेकिन आज 28 नवंबर तक मुख्यमंत्री के नाम का पटाक्षेप नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन होगा? सस्पेंस अब भी बरकरार है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के तहत गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े के बीच अहम बैठक हुई। वहीं, आज महायुति के तीनों शीर्ष नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एलान हो सकता है।

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और राकांपा के महायुति गठबंधन ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। हालांकि, इन सभी दलों में भाजपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहा और वह अकेले ही बहुमत के करीब का आंकड़ा जुटाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद से ही भाजपा के कई नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री पद पार्टी के पास रखने की मांग उठने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना(शिंदे) के कुछ नेताओं ने भी एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाने की मांग तेज कर दी। कई बार शिवसेना की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाया गया।हालांकि, एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री सीएम की रेस से हट गए हैं।

देवेंद्र फडणवीस के नाम पर पेच फंस

एकनाथ शिंदे के बयान के बाद ऐसा लगा जैसे देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की रेस में बाजी मार चुके हैं। मगर ताजा घटनाक्रम सामने आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस पर फिर पेच फंस गया है। अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच बुधवार की रात को लंबी बातचीत हुई। विनोद तावड़े ने महाराष्ट्र का जो फीडबैक दिया है, उससे ही फडणवीस के नाम पर पेच फंसता दिख रहा है। बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर चर्चा की गई। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री नहीं रहने पर सूबे के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा हुई. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र के मराठा वोटरों पर पड़ने वाले असर को लेकर लगातार मंथन कर रहा है। तावड़े से बैठक से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर फीडबैक लिया।

एकनाथ शिंदे बता चुके हैं अपनी राय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। सरकार बनाते समय मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं आएगी। मैं चट्टान की तरह साथ खड़ा हूं। भाजपा की बैठक में जो भी निर्णय लिया जाएगा, हमें मान्य होगा। भाजपा का सीएम मुझे मंजूर है।

शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया।

पिक्चर अभी बाकी है...

महाराष्ट्र की जनता नए मुख्यमंत्री के नाम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। देखना होगा कि आखिरकार किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजता है। क्या फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या शिंदे को यह जिम्मेदारी मिलेगी? या फिर कोई और चेहरा सामने आएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।