India

11 hours ago

जम्मू-कश्मीर को वापस से राज्य का दर्जा मिलेगा, पीएम मोदी ने किया वादा

#jkassemblyelectionpmmoditoaddress_rally

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह की तारीफ की। साथ ही पीएम मोदी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कहा, हमने देश की संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलाएंगे। भाजपा ही इसे पूरा करेगी। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। वहीं, उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर जमकर प्रहार किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को श्रीनगर में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जम्हूरियत का त्यौहार चल रहा है। लोग इतनी बड़ी तादाद में घर से वोट करने के लिए निकले। सभी ने खुले मन से वोट भी दिया। कई सीटों पर वोटिंग के रिकॉर्ड टूट गए। आप लोगों ने एक नया इतिहास रचा है। एक नया इतिहास जम्मू कश्मीर के लोगों ने रचा है। उन्होंने आगे कहा कि कल ही यहां 7 जिलों में पहले दौर की वोटिंग हुई। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना ये वोटिंग हुई। हम सभी के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर आया था तो कहा था कि यहां की बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार हैं। तब से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ये लोग बोखलाए हुए हैं। तीन खानदानों को लगता है कि इनपर कोई कैसे सवाल उठा सकता है। इन्हें लगता है जैसे तैसे कुर्सी पर कब्जा करना और लोगों को लूटना इनका पैदायशी हक है। जम्मू कश्मीर की आवाम को जायज हक से अलग रखना ही इनका सियासी एजेंडा रहा है। इन्होंने जम्मू कश्मीर को केवल डर और अराजकता ही दी है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीन खानदानों के राज में जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने जो भोगा है जो तकलीफ सही वो अक्सर बाहर नहीं पाती है।

बच्चों का भविष्य बर्बाद किया गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज वादी में जो नौजवान 30 साल का है उनमें से कई पढ़ाई लिखाई से महरूम रह गए। बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें 10वीं-12वीं या कॉलेज पहुंचने में देश के बाकी बच्चों से देर लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदान फेल हुए है। इन्होंने दशकों तक नफरत का सामान बेचा। कश्मीर में जो स्कूल जलाए गए वो आग भी इनके नफरत के बाजार में बिकती थी। इन्होंने नए स्कूल नहीं बनाए लेकिन स्कूल को आग के हवाले करने वालों को शह देते थे। जो स्कूल कॉलेज बच गए वहां भी कई महीनों तक पढाई नहीं हो पाती थी। हमारे नौजवान पढ़ाई से दूर थे और ये तीन खानदान उनके हाथों में पत्थर थमा कर महफूज रहते थे। इन्होंने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है।

बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है। हमारी एक और पीढ़ी-नस्ल को इन तीन खानदानों के हाथों में तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए मौके मिले।

एक और पीढ़ी बर्बाद होने नहीं दूं- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टेरर से, दहशतगर्दी से आजाद कराना, जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वाली हर ताकत को हराना, यहां के नौजवानों को, यहीं पर रोजगार के मौके दिलाना है. ये मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है। अमन की बहाली की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी एक और पीढ़ी को मैं इन 3 खानदानों के हाथों तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी ईमानदारी से जुटा हूं। बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, बल्कि पेन और किताबे हैं, लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती हैं। आज यहां नए स्कूल, नए कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी ये बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़े-लिखें और ज्यादा काबिल बनें, उनके लिए यहीं पर नए मौके बने।

जम्मू-कश्मीर में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बोले

पीएम मोदी ने कहा, मैं सिर्फ बीते 5 साल का हिसाब आपको देता हूं। यहां करीब 50 हजार बच्चे ऐसे थे, जिनका स्कूल छूट गया था। जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, उन बच्चों का क्या कसूर था। मोदी ने इन 50 हजार बच्चों का फिर से स्कूल में दाखिला कराया। यहां 15 हजार स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेस शुरू की गईं, इनमें आज डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। आज यहां करीब 250 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल्स में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अनेक डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज बने हैं।

राज्य में रोजगार के अवसरों पर क्या कहा

यहां मेडिकल की करीब 1100 नई सीटें जोड़ी गई हैं। नर्सिंग में 1500, पैरामेडिकल में 1600 से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। जम्मू-कश्मीर का नौजवान मजबूर नहीं रहा, वो मोदी सरकार में मजबूत हो रहा है। भाजपा ने भी नौजवानों के रोजगार के लिए बड़े ऐलान किए हैं। स्किल डेवलपमेंट हो, बिना धांधली काबिल लोगों को सरकारी नौकरी मिले, ये सारे काम भाजपा यहां पूरे करके दिखाएगी।

Streetbuzznews

Sep 18 2024, 14:22

बैलून फिएस्टा 2024: दिल्ली में होने वाला भारत का पहला एयरो-स्पोर्ट्स इवेंट।

 

भारत मंच ट्रस्ट, पर्यटन मंत्रालय के एक अभियान - अतुल्य भारत के सहयोग से, एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जो भारत के इतिहास में पहले एयरो-स्पोर्ट्स इवेंट के रूप में दर्ज होगा। यह कार्यक्रम अतुल्य भारत के विजन के तहत दिल्ली के आसमान में आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश में विभिन्न पर्यटन अनुभवों को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम न केवल भारत को एयरो-स्पोर्ट्स के लिए विश्व मानचित्र पर स्थान दिलाएगा, बल्कि 2030 तक इसे ऐसे खेलों के लिए एक जीवंत केंद्र बनाने के लक्ष्य में भी योगदान देगा। जबकि विस्तृत कार्यक्रम अभी भी प्रतीक्षित है, यह कई दिनों तक भावना, उत्साह और खोज का वादा करता है क्योंकि देश और दुनिया भर से एयरो-स्पोर्ट्स के प्रति उत्साही एक साथ आते हैं।

भारत मंच ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत बैलून फिएस्टा 2024, इसके अध्यक्ष डॉ. प्रशांत द्विवेदी, एक बहुमुखी सांस्कृतिक दिग्गज, और मुख्य संरक्षक डॉ. ज्ञानेश्वर मनोहर मुले, जिन्हें भारत के पासपोर्ट मैन के रूप में जाना जाता है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं, के मार्गदर्शन में, भारत को एयरो-स्पोर्ट्स के लिए एक जीवंत वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। डॉ. द्विवेदी साहसिक पर्यटन के एक अंतर्निहित हिस्से के रूप में एयरो-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देते हुए भारत की जीवंत विरासत को प्रदर्शित करने के लिए उत्साहित हैं। यह आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा, पर्यटन के इर्द-गिर्द व्यावसायिक अवसर पैदा करेगा और विभिन्न एयरो-स्पोर्ट्स क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार प्रदान करेगा, जो एक सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ एयरो-स्पोर्ट पारिस्थितिकी तंत्र के उच्च दृष्टिकोण के साथ संरेखित होगा।

बैलून फिएस्टा 2024 विजय रथ फाउंडेशन और उत्सव इवेंट्स के सहयोग से 18 से 24 अक्टूबर 2024 तक भलस्वा झील, आउटर रिंग रोड, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व उप महापौर और विजय रथ फाउंडेशन के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार भगत और उत्सव इवेंट्स की निदेशक मनीषा धैया का समर्थन प्राप्त है।

भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त हॉट एयर बैलून पायलट, कैप्टन इमो चाओबा द्वारा निर्देशित ये सवारी, बैलून फिएस्टा 2024 के दौरान प्रमुख आकर्षणों में से एक होगी। कैप्टन चाओबा और उनकी टीम ने भारतीय सेना के साथ बैलूनिंग का काफी अनुभव प्राप्त किया है, जो उपस्थित लोगों को एक अविस्मरणीय सवारी का आश्वासन देता है, जिसमें गुब्बारे दिल्ली के प्रतिष्ठित क्षितिज पर उड़ान भरते हैं। यह शहर और इसके आसपास के शानदार दृश्यों का वादा करता है। हर शाम, सूर्यास्त के समय, एक नाइट ग्लो स्पेक्टेकल होगा, जहाँ हॉट एयर बैलून संगीत की लय के साथ चमकेंगे, जो दर्शकों को एक सौंदर्य अपील प्रदान करेगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो प्रकाश और ध्वनि का एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला संयोजन प्रस्तुत करता है जो सभी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।

हॉट एयर बैलून राइड के साथ-साथ, बैलून फिएस्टा 2024 के लिए निर्धारित अन्य कार्यक्रमों में संगीत, फैशन, मौज-मस्ती, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से रोमांच चाहने वालों और जिज्ञासु शिक्षार्थियों के लिए गतिविधियाँ शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, बैलून फुलाना और बैलूनिंग, पैराग्लाइडिंग सिमुलेशन और ड्रोन रेसिंग प्रतियोगिताओं पर इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ और शैक्षिक शो होंगे। युवाओं को जोड़ने के लिए सत्र एयरो-स्पोर्ट्स में पेशेवर सलाह प्रदान करेंगे, साथ ही पर्यटन और विमानन में कैरियर के अवसरों पर भी प्रकाश डालेंगे। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, और कैप्टन इमो चाओबा की सलाह के अनुसार सख्त उपाय किए जाएंगे। सभी गतिविधियाँ बेहद ज़िम्मेदारी भरे तरीके से की जाएँगी, जिसमें कार्यशालाओं में प्रतिभागियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा पर ज़ोर दिया जाएगा।

इस कार्यक्रम में भारत और दुनिया भर के विभिन्न व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाला एक खाद्य उत्सव बाज़ार होगा, साथ ही एक उत्सव खरीदारी बाज़ार भी होगा जिसमें स्मृति चिन्ह, हस्तशिल्प, जातीय लेबल और आभूषण वस्तुओं सहित सहायक उपकरण प्रदर्शित किए जाएँगे, ताकि आगंतुकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया जा सके।

भारत मंच ट्रस्ट बैलून फिएस्टा 2024 के साथ न केवल एक कार्यक्रम बल्कि एक आंदोलन बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। रोमांच, संस्कृति और सीखने के तत्वों से भरपूर यह कार्यक्रम अपने प्रतिभागियों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ेगा। यह भारत के एयरो-स्पोर्ट्स में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए भी मंच तैयार करता है।

Mane Praveen

Sep 10 2024, 22:25

TG: ముఖ్యమంత్రి సహాయ నిధికి రూ.50 లక్షలు విరాళం ఇచ్చిన యార్లగడ్డ సుప్రియ
HYD: వరద బాధితుల సహాయార్థం ప్రముఖ నిర్మాత, నటి యార్లగడ్డ సుప్రియ మంగళవారం ముఖ్యమంత్రి సహాయ నిధికి రూ.50 లక్షలు విరాళం ఇచ్చారు. అన్నపూర్ణ స్టూడియోస్ తరఫున ఆమె ముఖ్యమంత్రి ఎ. రేవంత్ రెడ్డిని కలిసి ఈ మేరకు విరాళం చెక్కును అందజేశారు.

బాధితులను ఆదుకోవడంలో ప్రభుత్వానికి అండగా నిలుస్తున్నందుకు వారిని సీఎం అభినందించారు.

saraikela

Sep 08 2024, 19:47

दुर्गा पूजा की तैयारी को लेकर की गई ग्राम सभा,


Ayodhya

Sep 03 2024, 18:56

रालोद अवध प्रांत अध्यक्ष चौधरी राम सिंह पटेल के नेतृत्व में दिया गया ज्ञापन

Ayodhya

Sep 03 2024, 18:54

अयोध्या मंडल के अधिकारियों को कमिश्नर गौरव दयाल ने शुरू किया अभियान

Streetbuzznews

Aug 26 2024, 17:19

Defrauded Investors Urge Authorities to Act Against NSEL Brokers

Thousands of Investors Still Waiting for Justice Years After NSEL CrisisNew Delhi,

Thousands of investors who lost their hard-earned money due to the fallout of the National Spot Exchange Limited (NSEL) crisis are still waiting for justice and the return of their funds. Their prolonged wait is eroding trust in the system. The crisis, which began over a decade ago, involved brokers misleading investors with false promises of safe and assured returns, leaving them in financial turmoil. Despite clear court directives and the stringent provisions of the MPID Act, many brokers have yet to face the necessary legal action, and justice continues to be delayed. 

The National Spot Exchange Limited (NSEL) case stems from a payment default that occurred in 2013. The crisis was triggered when the Forward Markets Commission (FMC), the commodities market regulator, directed NSEL to halt the launch of new contracts, leading to the abrupt closure of the Exchange in July 2013. This event marked the beginning of a major financial crisis, leaving thousands of investors facing significant losses and sparking ongoing legal battles to recover the funds. 


The NSEL provided a platform for buyers and sellers to trade in commodities, involving clients, traders, and investors registered through their respective brokers. These brokers, in turn, were registered on the NSEL exchange. However, investigations have revealed that brokers exploited this system, engaging in fraudulent activities that defrauded thousands of investors.

The investigation uncovered several key findings that highlight the fraudulent activities of the brokers involved in the NSEL crisis. Brokers took Power of Attorney from their clients and executed trades on the NSEL on their behalf. They misrepresented NSEL contracts as fixed return products, luring traders into investments with promises of risk-free returns. Furthermore, brokers funded their clients beyond their repayment capacity and conducted trades without proper authority, sometimes using clients' names and PAN details for benami transactions. To conceal these illicit activities, brokers also engaged in rampant client code modifications.

Courts have ruled that brokers are to be considered as financial institutions under the Maharashtra Protection of Interest of Depositors (MPID) Act. The Court also upheld the attachment of assets, including bank accounts and properties, under this Act. This decision reinforces the legal framework aimed at protecting investors' interests and recovering their lost funds, providing renewed hope for justice to the thousands of affected investors. However, authorities have yet to take the necessary actions to implement this ruling effectively.

In March 2015, the Economic Offences Wing (EOW) of Mumbai Police arrested directors of three major brokerage firms. By December 2018, these brokers and their directors were charge-sheeted under various charges, including being declared Financial Establishments under the MPID Act. In December 2022, the EOW filed a final charge sheet against 16 additional brokers and their directors.

Despite these actions, significant delays in attaching the brokers' assets have frustrated investors. The MPID Act allows for the attachment of properties of entities declared as Financial Establishments to protect depositors' interests. However, the assets of brokers who accepted deposits from investors and failed to repay them remain largely unattached.

In May 2023, the MPID Court ordered the attachment of properties belonging to one prominent broker. However, authorities have only attached a fraction of the required assets. The High Court upheld the MPID Court's directive, emphasizing that inaction should not hinder the attachment process.

Investors, frustrated by the lack of progress, have taken legal action to expedite the attachment of assets. An application filed by an investor led to a court hearing where the Competent Authority confirmed that brokers had induced investors with false promises of guaranteed returns. The court ordered the attachment of properties, but significant progress is still lacking.

Public Outcry and Social Media Campaign:

The ongoing delays and perceived favoritism towards certain brokers have sparked a public outcry. A social media campaign under the hashtag has gained momentum, demanding swift justice and accountability. Prominent figures and social media influencers have joined the call for justice, amplifying the voices of affected investors.

Thousands of investors are still waiting for justice years after the NSEL crisis. They were promised safe returns by their brokers but are left empty-handed.  

The NSEL crisis has left a lasting impact on investor confidence and financial stability. As the call for justice grows louder, it is imperative for the concerned authorities to act promptly. Investors are demanding that the government attach the assets of all brokers involved, ensure accountability, and restore public faith in the financial system.

---------- Ends

Swarup

Aug 24 2024, 12:06

आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली पॉलिटिकल पार्टी कौन सी थी
कश्मीर की पहली राजनीतिक पार्टी 1932 में बनी थी। उसका नाम था – ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस। बाद में इसका नाम नेशनल कॉन्फ्रेंस कर दिया गया और यह आज भी कश्मीर में एक प्रमुख राजनीतिक दल बनी हुई है।

किस घटना के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव पड़ी?

शेख अब्दुल्ला ने मीरवाइज यूसुफ शाह और चौधरी गुलाम अब्बास के सात मिलकर ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की थी। पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का जन्म 5 दिसंबर 1905 को कश्मीर के श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक गांव में हुआ था। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक भागीदारी जुलाई 1931 में हुई थी। दरअसल, उस समय पुलिस गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया था। अपनी रिहाई के तुरंत बाद, उन्होंने अक्टूबर 1932 में ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की स्थापना की।

नाम बदलने पर दो हिस्सों में टूट गई पार्टी

शेख अब्दुल्ला को जल्द ही एहसास हुआ कि कश्मीरी राजनीति को खुद को धर्मनिरपेक्ष के सिद्धांत पर स्थापित करने की जरूरत है। इस सोच के साथ उन्होंने 1939 में पार्टी का नाम ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ से बदलकर ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ कर दिया।लेकिन इस फैसले से कई नेता खुश नहीं थे। उन असंतुष्ट नेताओं ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर ‘मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की। दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर के अल्पसंख्यक नेताओं और कांग्रेस नेतृत्व दोनों के साथ संबंध स्थापित किए। जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी साझा विचारधारा ने इसमें सहायक स्थापित हुई।

भारत में कश्मीर के विलय को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस की क्या राय थी?

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सत्तारूढ़ डोगरा राजवंश के खिलाफ बड़े पैमाने पर ‘कश्मीर छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था. एक समय पर कश्मीर महाराजा ने अब्दुल्ला को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। पंडित नेहरू ने इस दमन का विरोध किया था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर के भारत में विलय के पक्ष में थी। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से भेजे आदिवासी हमलावरों के खिलाफ कश्मीर की रक्षा के लिए लोगों को संगठित किया था।पार्टी ने महाराजा से भारत में विलय स्वीकार करने का आग्रह किया।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस का इतिहास

पंडित नेहरू की अंतरिम सरकार ने 5 मार्च 1948 को शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।इसके बाद जब सितंबर 1951 में चुनाव हुए , तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा की सभी 75 सीटें जीतीं।

हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख शेख अब्दुल्ला को देश के खिलाफ साजिश करने के आधार पर अगस्त 1953 में प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। 1965 में, नेशनल कॉन्फ्रेंस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) में विलय हो गया. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जम्मू और कश्मीर शाखा बन गई।शेख अब्दुल्ला को राज्य के खिलाफ साजिश के आरोप में 1965 से 1968 तक फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।

केंद्र सरकार के साथ एक समझौते के बाद फरवरी 1975 में अब्दुल्ला को सत्ता में लौटने की अनुमति मिल गई गई और 1977 में वो फिर से भारी बहुमत से राज्य विधानसभा चुनाव जीत गए।शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। 8 सितंबर 1982 को उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। जून 1983 के चुनावों में, फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) ने फिर से बहुमत हासिल किया।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आखिरी बार दस साल पहले 2014 में हुए थे।  तब कांग्रेस ने JKNC के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। JKNC ने सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 15 सीटें जीतीं, यानी बहुमत से 13 सीट कम। PDP ने 28 सीटें जीतीं और विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई।इस चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था. इसके बाद पीडीपी-भाजपा ने गठबंधन कर प्रदेश सरकार बनाई थी।


नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

India

Aug 24 2024, 11:43

कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन के बाद भी सीट बंटवारें पर फंसा पेंच, जानें कहां अटक रही बात

#jkassemblyelectionseatsharingformulabetweennccongress 

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अक्टूबर में चुनाव होने हैं।इस चुनाव में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने 22 अगस्त को सभी 90 सीटों पर गठबंधन का ऐलान किया। सीट बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है।

सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 52 और कांग्रेस 38 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। दोनों पार्टियों के बीच अभी भी कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इन सीटों में नगरोटा, विजयपुर और हब्बा कदल की सीटें शामिल हैं। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के बीच चर्चा चल रही है।

सीटों के बंटवारे पर एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि "ज्यादातर सीटों पर हम सर्वसम्मति बना चुके हैं।कुछ सीटों पर हम अड़े हुए हैं और कुछ सीटों पर कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता अड़े हुए हैं। आज हम फिर चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे कि जहां तक हो सके बाकी सीटों को गठबंधन की सीमा में लाकर अपने उम्मीदवारों का एलान करें।

पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें लड़ेगी

फिलहाल पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें पर लड़ेगी, जिसमें वो घाटी की 4 सीटों पर दावा ठोक रही है। इसमें दो सीटें देवसर और शांगस पर कांग्रेस ने 2014 में जीत हासिल की थी। तीसरी दुरु विधानसभा सीट है, जहां गुलाम अहमद मीर 161 वोट के करीबी मार्जिन से पीडीपी के उम्मीदवार सैयद फारूक अहमद अंदराबी से हार गए थे। वहीं चौथी कोकर नाग विधानसभा सीट है, जहां से कांग्रेस के सीनियर लीडर पीरजादा मोहम्मद सैयद आते हैं। इसलिए यह सीट कांग्रेस मांग रही है। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां से पीडीपी जीत गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिला जबकि पीडीपी को 42 प्रतिशत वोट मिला था। पीडीपी के अब्दुल रहीम राथर चुनाव जीत गए थे।कुल मिलाकर कांग्रेस अपनी सिटिंग सीट और पीडीपी की सीटें मांग रही है, जहां से उसके उम्मीदवार रनर अप रहे थे।

आज जारी हो सकती है कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट

वहीं, खबर है कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन के कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट शनिवार (24 अगस्त) को जारी होगी। सूत्रों के मुताबिक, पहली लिस्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 13 से 17 और कांग्रेस के 7 से 10 कैंडिडेट के नामों की घोषणा हो सकती है।

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव

आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

Nisthawrites

Aug 23 2024, 19:22

जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन पर अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, राहुल गांधी से पूछे 10 सवाल

#amit_shah_targets_congress_on_jk_elections

Union Minister(PTI)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और नेकां के चुनाव घोषणापत्र में उल्लिखित प्रमुख मुद्दों पर उसके रुख पर सवाल उठाया। कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को पूरा करने के लिए देश की एकता और सुरक्षा को बार-बार खतरे में डाला है, ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके एक बार फिर अपने गुप्त उद्देश्यों को उजागर किया है,'' शाह ने एक्स पर कहा। 

सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर निर्देशित दस तीखे सवालों की सूची भी साझा किए।

1. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?” वरिष्ठ भाजपा नेता ने पूछा।

2. शाह की प्राथमिक चिंताओं में से एक अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिज्ञा थी, जो प्रावधान जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है, यह सुझाव देते हुए कि यह क्षेत्र को "अशांति और आतंकवाद के युग" में वापस धकेल देगा।

3. 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसे शाह ने अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और एकीकरण के लिए आवश्यक बताते हुए बचाव किया है।

4. शाह ने पाकिस्तान के साथ बातचीत पर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के रुख पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ है कि इस तरह की बातचीत क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे सकती है।

5. "क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ 'एलओसी ट्रेड' शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा?" 

6. शाह ने कांग्रेस पर "आरक्षण विरोधी रुख" रखने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि एनसी के वादों से दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा।

7. गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य हिल और हरि हिल जैसे प्रमुख स्थानों का नाम बदलकर इस्लामिक अर्थ वाले नामों पर रखने पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाया।

8. क्या कांग्रेस चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?' उन्होंने भाजपा द्वारा अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली कहानी का उपयोग करते हुए लिखा, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों पर "तुष्टिकरण की राजनीति" में शामिल होने का आरोप लगाती है।

9. राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच चर्चा के बाद घोषित कांग्रेस-एनसी गठबंधन, उस क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे का प्रतिनिधित्व करता है जो लंबे समय से भारत की सबसे अधिक सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में रहा है।

10. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या है?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की अधिकांश विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में संवाददाताओं से कहा, "काफी हद तक सहमति बन गई है। मैं आपको बता सकता हूं कि हम 90 में से अधिकतम सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।"

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों - 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

India

11 hours ago

जम्मू-कश्मीर को वापस से राज्य का दर्जा मिलेगा, पीएम मोदी ने किया वादा

#jkassemblyelectionpmmoditoaddress_rally

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह की तारीफ की। साथ ही पीएम मोदी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कहा, हमने देश की संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलाएंगे। भाजपा ही इसे पूरा करेगी। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। वहीं, उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर जमकर प्रहार किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को श्रीनगर में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जम्हूरियत का त्यौहार चल रहा है। लोग इतनी बड़ी तादाद में घर से वोट करने के लिए निकले। सभी ने खुले मन से वोट भी दिया। कई सीटों पर वोटिंग के रिकॉर्ड टूट गए। आप लोगों ने एक नया इतिहास रचा है। एक नया इतिहास जम्मू कश्मीर के लोगों ने रचा है। उन्होंने आगे कहा कि कल ही यहां 7 जिलों में पहले दौर की वोटिंग हुई। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना ये वोटिंग हुई। हम सभी के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर आया था तो कहा था कि यहां की बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार हैं। तब से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ये लोग बोखलाए हुए हैं। तीन खानदानों को लगता है कि इनपर कोई कैसे सवाल उठा सकता है। इन्हें लगता है जैसे तैसे कुर्सी पर कब्जा करना और लोगों को लूटना इनका पैदायशी हक है। जम्मू कश्मीर की आवाम को जायज हक से अलग रखना ही इनका सियासी एजेंडा रहा है। इन्होंने जम्मू कश्मीर को केवल डर और अराजकता ही दी है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीन खानदानों के राज में जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने जो भोगा है जो तकलीफ सही वो अक्सर बाहर नहीं पाती है।

बच्चों का भविष्य बर्बाद किया गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज वादी में जो नौजवान 30 साल का है उनमें से कई पढ़ाई लिखाई से महरूम रह गए। बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें 10वीं-12वीं या कॉलेज पहुंचने में देश के बाकी बच्चों से देर लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदान फेल हुए है। इन्होंने दशकों तक नफरत का सामान बेचा। कश्मीर में जो स्कूल जलाए गए वो आग भी इनके नफरत के बाजार में बिकती थी। इन्होंने नए स्कूल नहीं बनाए लेकिन स्कूल को आग के हवाले करने वालों को शह देते थे। जो स्कूल कॉलेज बच गए वहां भी कई महीनों तक पढाई नहीं हो पाती थी। हमारे नौजवान पढ़ाई से दूर थे और ये तीन खानदान उनके हाथों में पत्थर थमा कर महफूज रहते थे। इन्होंने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है।

बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है। हमारी एक और पीढ़ी-नस्ल को इन तीन खानदानों के हाथों में तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए मौके मिले।

एक और पीढ़ी बर्बाद होने नहीं दूं- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टेरर से, दहशतगर्दी से आजाद कराना, जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वाली हर ताकत को हराना, यहां के नौजवानों को, यहीं पर रोजगार के मौके दिलाना है. ये मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है। अमन की बहाली की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी एक और पीढ़ी को मैं इन 3 खानदानों के हाथों तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी ईमानदारी से जुटा हूं। बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, बल्कि पेन और किताबे हैं, लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती हैं। आज यहां नए स्कूल, नए कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी ये बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़े-लिखें और ज्यादा काबिल बनें, उनके लिए यहीं पर नए मौके बने।

जम्मू-कश्मीर में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बोले

पीएम मोदी ने कहा, मैं सिर्फ बीते 5 साल का हिसाब आपको देता हूं। यहां करीब 50 हजार बच्चे ऐसे थे, जिनका स्कूल छूट गया था। जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, उन बच्चों का क्या कसूर था। मोदी ने इन 50 हजार बच्चों का फिर से स्कूल में दाखिला कराया। यहां 15 हजार स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेस शुरू की गईं, इनमें आज डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। आज यहां करीब 250 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल्स में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अनेक डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज बने हैं।

राज्य में रोजगार के अवसरों पर क्या कहा

यहां मेडिकल की करीब 1100 नई सीटें जोड़ी गई हैं। नर्सिंग में 1500, पैरामेडिकल में 1600 से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। जम्मू-कश्मीर का नौजवान मजबूर नहीं रहा, वो मोदी सरकार में मजबूत हो रहा है। भाजपा ने भी नौजवानों के रोजगार के लिए बड़े ऐलान किए हैं। स्किल डेवलपमेंट हो, बिना धांधली काबिल लोगों को सरकारी नौकरी मिले, ये सारे काम भाजपा यहां पूरे करके दिखाएगी।

Streetbuzznews

Sep 18 2024, 14:22

बैलून फिएस्टा 2024: दिल्ली में होने वाला भारत का पहला एयरो-स्पोर्ट्स इवेंट।

 

भारत मंच ट्रस्ट, पर्यटन मंत्रालय के एक अभियान - अतुल्य भारत के सहयोग से, एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जो भारत के इतिहास में पहले एयरो-स्पोर्ट्स इवेंट के रूप में दर्ज होगा। यह कार्यक्रम अतुल्य भारत के विजन के तहत दिल्ली के आसमान में आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश में विभिन्न पर्यटन अनुभवों को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम न केवल भारत को एयरो-स्पोर्ट्स के लिए विश्व मानचित्र पर स्थान दिलाएगा, बल्कि 2030 तक इसे ऐसे खेलों के लिए एक जीवंत केंद्र बनाने के लक्ष्य में भी योगदान देगा। जबकि विस्तृत कार्यक्रम अभी भी प्रतीक्षित है, यह कई दिनों तक भावना, उत्साह और खोज का वादा करता है क्योंकि देश और दुनिया भर से एयरो-स्पोर्ट्स के प्रति उत्साही एक साथ आते हैं।

भारत मंच ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत बैलून फिएस्टा 2024, इसके अध्यक्ष डॉ. प्रशांत द्विवेदी, एक बहुमुखी सांस्कृतिक दिग्गज, और मुख्य संरक्षक डॉ. ज्ञानेश्वर मनोहर मुले, जिन्हें भारत के पासपोर्ट मैन के रूप में जाना जाता है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं, के मार्गदर्शन में, भारत को एयरो-स्पोर्ट्स के लिए एक जीवंत वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। डॉ. द्विवेदी साहसिक पर्यटन के एक अंतर्निहित हिस्से के रूप में एयरो-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देते हुए भारत की जीवंत विरासत को प्रदर्शित करने के लिए उत्साहित हैं। यह आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा, पर्यटन के इर्द-गिर्द व्यावसायिक अवसर पैदा करेगा और विभिन्न एयरो-स्पोर्ट्स क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार प्रदान करेगा, जो एक सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ एयरो-स्पोर्ट पारिस्थितिकी तंत्र के उच्च दृष्टिकोण के साथ संरेखित होगा।

बैलून फिएस्टा 2024 विजय रथ फाउंडेशन और उत्सव इवेंट्स के सहयोग से 18 से 24 अक्टूबर 2024 तक भलस्वा झील, आउटर रिंग रोड, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व उप महापौर और विजय रथ फाउंडेशन के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार भगत और उत्सव इवेंट्स की निदेशक मनीषा धैया का समर्थन प्राप्त है।

भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त हॉट एयर बैलून पायलट, कैप्टन इमो चाओबा द्वारा निर्देशित ये सवारी, बैलून फिएस्टा 2024 के दौरान प्रमुख आकर्षणों में से एक होगी। कैप्टन चाओबा और उनकी टीम ने भारतीय सेना के साथ बैलूनिंग का काफी अनुभव प्राप्त किया है, जो उपस्थित लोगों को एक अविस्मरणीय सवारी का आश्वासन देता है, जिसमें गुब्बारे दिल्ली के प्रतिष्ठित क्षितिज पर उड़ान भरते हैं। यह शहर और इसके आसपास के शानदार दृश्यों का वादा करता है। हर शाम, सूर्यास्त के समय, एक नाइट ग्लो स्पेक्टेकल होगा, जहाँ हॉट एयर बैलून संगीत की लय के साथ चमकेंगे, जो दर्शकों को एक सौंदर्य अपील प्रदान करेगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो प्रकाश और ध्वनि का एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला संयोजन प्रस्तुत करता है जो सभी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।

हॉट एयर बैलून राइड के साथ-साथ, बैलून फिएस्टा 2024 के लिए निर्धारित अन्य कार्यक्रमों में संगीत, फैशन, मौज-मस्ती, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से रोमांच चाहने वालों और जिज्ञासु शिक्षार्थियों के लिए गतिविधियाँ शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, बैलून फुलाना और बैलूनिंग, पैराग्लाइडिंग सिमुलेशन और ड्रोन रेसिंग प्रतियोगिताओं पर इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ और शैक्षिक शो होंगे। युवाओं को जोड़ने के लिए सत्र एयरो-स्पोर्ट्स में पेशेवर सलाह प्रदान करेंगे, साथ ही पर्यटन और विमानन में कैरियर के अवसरों पर भी प्रकाश डालेंगे। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, और कैप्टन इमो चाओबा की सलाह के अनुसार सख्त उपाय किए जाएंगे। सभी गतिविधियाँ बेहद ज़िम्मेदारी भरे तरीके से की जाएँगी, जिसमें कार्यशालाओं में प्रतिभागियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा पर ज़ोर दिया जाएगा।

इस कार्यक्रम में भारत और दुनिया भर के विभिन्न व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाला एक खाद्य उत्सव बाज़ार होगा, साथ ही एक उत्सव खरीदारी बाज़ार भी होगा जिसमें स्मृति चिन्ह, हस्तशिल्प, जातीय लेबल और आभूषण वस्तुओं सहित सहायक उपकरण प्रदर्शित किए जाएँगे, ताकि आगंतुकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया जा सके।

भारत मंच ट्रस्ट बैलून फिएस्टा 2024 के साथ न केवल एक कार्यक्रम बल्कि एक आंदोलन बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। रोमांच, संस्कृति और सीखने के तत्वों से भरपूर यह कार्यक्रम अपने प्रतिभागियों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ेगा। यह भारत के एयरो-स्पोर्ट्स में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए भी मंच तैयार करता है।

Mane Praveen

Sep 10 2024, 22:25

TG: ముఖ్యమంత్రి సహాయ నిధికి రూ.50 లక్షలు విరాళం ఇచ్చిన యార్లగడ్డ సుప్రియ
HYD: వరద బాధితుల సహాయార్థం ప్రముఖ నిర్మాత, నటి యార్లగడ్డ సుప్రియ మంగళవారం ముఖ్యమంత్రి సహాయ నిధికి రూ.50 లక్షలు విరాళం ఇచ్చారు. అన్నపూర్ణ స్టూడియోస్ తరఫున ఆమె ముఖ్యమంత్రి ఎ. రేవంత్ రెడ్డిని కలిసి ఈ మేరకు విరాళం చెక్కును అందజేశారు.

బాధితులను ఆదుకోవడంలో ప్రభుత్వానికి అండగా నిలుస్తున్నందుకు వారిని సీఎం అభినందించారు.

saraikela

Sep 08 2024, 19:47

दुर्गा पूजा की तैयारी को लेकर की गई ग्राम सभा,


Ayodhya

Sep 03 2024, 18:56

रालोद अवध प्रांत अध्यक्ष चौधरी राम सिंह पटेल के नेतृत्व में दिया गया ज्ञापन

Ayodhya

Sep 03 2024, 18:54

अयोध्या मंडल के अधिकारियों को कमिश्नर गौरव दयाल ने शुरू किया अभियान

Streetbuzznews

Aug 26 2024, 17:19

Defrauded Investors Urge Authorities to Act Against NSEL Brokers

Thousands of Investors Still Waiting for Justice Years After NSEL CrisisNew Delhi,

Thousands of investors who lost their hard-earned money due to the fallout of the National Spot Exchange Limited (NSEL) crisis are still waiting for justice and the return of their funds. Their prolonged wait is eroding trust in the system. The crisis, which began over a decade ago, involved brokers misleading investors with false promises of safe and assured returns, leaving them in financial turmoil. Despite clear court directives and the stringent provisions of the MPID Act, many brokers have yet to face the necessary legal action, and justice continues to be delayed. 

The National Spot Exchange Limited (NSEL) case stems from a payment default that occurred in 2013. The crisis was triggered when the Forward Markets Commission (FMC), the commodities market regulator, directed NSEL to halt the launch of new contracts, leading to the abrupt closure of the Exchange in July 2013. This event marked the beginning of a major financial crisis, leaving thousands of investors facing significant losses and sparking ongoing legal battles to recover the funds. 


The NSEL provided a platform for buyers and sellers to trade in commodities, involving clients, traders, and investors registered through their respective brokers. These brokers, in turn, were registered on the NSEL exchange. However, investigations have revealed that brokers exploited this system, engaging in fraudulent activities that defrauded thousands of investors.

The investigation uncovered several key findings that highlight the fraudulent activities of the brokers involved in the NSEL crisis. Brokers took Power of Attorney from their clients and executed trades on the NSEL on their behalf. They misrepresented NSEL contracts as fixed return products, luring traders into investments with promises of risk-free returns. Furthermore, brokers funded their clients beyond their repayment capacity and conducted trades without proper authority, sometimes using clients' names and PAN details for benami transactions. To conceal these illicit activities, brokers also engaged in rampant client code modifications.

Courts have ruled that brokers are to be considered as financial institutions under the Maharashtra Protection of Interest of Depositors (MPID) Act. The Court also upheld the attachment of assets, including bank accounts and properties, under this Act. This decision reinforces the legal framework aimed at protecting investors' interests and recovering their lost funds, providing renewed hope for justice to the thousands of affected investors. However, authorities have yet to take the necessary actions to implement this ruling effectively.

In March 2015, the Economic Offences Wing (EOW) of Mumbai Police arrested directors of three major brokerage firms. By December 2018, these brokers and their directors were charge-sheeted under various charges, including being declared Financial Establishments under the MPID Act. In December 2022, the EOW filed a final charge sheet against 16 additional brokers and their directors.

Despite these actions, significant delays in attaching the brokers' assets have frustrated investors. The MPID Act allows for the attachment of properties of entities declared as Financial Establishments to protect depositors' interests. However, the assets of brokers who accepted deposits from investors and failed to repay them remain largely unattached.

In May 2023, the MPID Court ordered the attachment of properties belonging to one prominent broker. However, authorities have only attached a fraction of the required assets. The High Court upheld the MPID Court's directive, emphasizing that inaction should not hinder the attachment process.

Investors, frustrated by the lack of progress, have taken legal action to expedite the attachment of assets. An application filed by an investor led to a court hearing where the Competent Authority confirmed that brokers had induced investors with false promises of guaranteed returns. The court ordered the attachment of properties, but significant progress is still lacking.

Public Outcry and Social Media Campaign:

The ongoing delays and perceived favoritism towards certain brokers have sparked a public outcry. A social media campaign under the hashtag has gained momentum, demanding swift justice and accountability. Prominent figures and social media influencers have joined the call for justice, amplifying the voices of affected investors.

Thousands of investors are still waiting for justice years after the NSEL crisis. They were promised safe returns by their brokers but are left empty-handed.  

The NSEL crisis has left a lasting impact on investor confidence and financial stability. As the call for justice grows louder, it is imperative for the concerned authorities to act promptly. Investors are demanding that the government attach the assets of all brokers involved, ensure accountability, and restore public faith in the financial system.

---------- Ends

Swarup

Aug 24 2024, 12:06

आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली पॉलिटिकल पार्टी कौन सी थी
कश्मीर की पहली राजनीतिक पार्टी 1932 में बनी थी। उसका नाम था – ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस। बाद में इसका नाम नेशनल कॉन्फ्रेंस कर दिया गया और यह आज भी कश्मीर में एक प्रमुख राजनीतिक दल बनी हुई है।

किस घटना के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव पड़ी?

शेख अब्दुल्ला ने मीरवाइज यूसुफ शाह और चौधरी गुलाम अब्बास के सात मिलकर ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की थी। पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का जन्म 5 दिसंबर 1905 को कश्मीर के श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक गांव में हुआ था। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक भागीदारी जुलाई 1931 में हुई थी। दरअसल, उस समय पुलिस गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया था। अपनी रिहाई के तुरंत बाद, उन्होंने अक्टूबर 1932 में ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की स्थापना की।

नाम बदलने पर दो हिस्सों में टूट गई पार्टी

शेख अब्दुल्ला को जल्द ही एहसास हुआ कि कश्मीरी राजनीति को खुद को धर्मनिरपेक्ष के सिद्धांत पर स्थापित करने की जरूरत है। इस सोच के साथ उन्होंने 1939 में पार्टी का नाम ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ से बदलकर ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ कर दिया।लेकिन इस फैसले से कई नेता खुश नहीं थे। उन असंतुष्ट नेताओं ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर ‘मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की। दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर के अल्पसंख्यक नेताओं और कांग्रेस नेतृत्व दोनों के साथ संबंध स्थापित किए। जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी साझा विचारधारा ने इसमें सहायक स्थापित हुई।

भारत में कश्मीर के विलय को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस की क्या राय थी?

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सत्तारूढ़ डोगरा राजवंश के खिलाफ बड़े पैमाने पर ‘कश्मीर छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था. एक समय पर कश्मीर महाराजा ने अब्दुल्ला को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। पंडित नेहरू ने इस दमन का विरोध किया था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर के भारत में विलय के पक्ष में थी। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से भेजे आदिवासी हमलावरों के खिलाफ कश्मीर की रक्षा के लिए लोगों को संगठित किया था।पार्टी ने महाराजा से भारत में विलय स्वीकार करने का आग्रह किया।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस का इतिहास

पंडित नेहरू की अंतरिम सरकार ने 5 मार्च 1948 को शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।इसके बाद जब सितंबर 1951 में चुनाव हुए , तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा की सभी 75 सीटें जीतीं।

हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख शेख अब्दुल्ला को देश के खिलाफ साजिश करने के आधार पर अगस्त 1953 में प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। 1965 में, नेशनल कॉन्फ्रेंस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) में विलय हो गया. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जम्मू और कश्मीर शाखा बन गई।शेख अब्दुल्ला को राज्य के खिलाफ साजिश के आरोप में 1965 से 1968 तक फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।

केंद्र सरकार के साथ एक समझौते के बाद फरवरी 1975 में अब्दुल्ला को सत्ता में लौटने की अनुमति मिल गई गई और 1977 में वो फिर से भारी बहुमत से राज्य विधानसभा चुनाव जीत गए।शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। 8 सितंबर 1982 को उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। जून 1983 के चुनावों में, फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) ने फिर से बहुमत हासिल किया।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आखिरी बार दस साल पहले 2014 में हुए थे।  तब कांग्रेस ने JKNC के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। JKNC ने सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 15 सीटें जीतीं, यानी बहुमत से 13 सीट कम। PDP ने 28 सीटें जीतीं और विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई।इस चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था. इसके बाद पीडीपी-भाजपा ने गठबंधन कर प्रदेश सरकार बनाई थी।


नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

India

Aug 24 2024, 11:43

कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन के बाद भी सीट बंटवारें पर फंसा पेंच, जानें कहां अटक रही बात

#jkassemblyelectionseatsharingformulabetweennccongress 

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अक्टूबर में चुनाव होने हैं।इस चुनाव में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने 22 अगस्त को सभी 90 सीटों पर गठबंधन का ऐलान किया। सीट बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है।

सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 52 और कांग्रेस 38 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। दोनों पार्टियों के बीच अभी भी कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इन सीटों में नगरोटा, विजयपुर और हब्बा कदल की सीटें शामिल हैं। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के बीच चर्चा चल रही है।

सीटों के बंटवारे पर एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि "ज्यादातर सीटों पर हम सर्वसम्मति बना चुके हैं।कुछ सीटों पर हम अड़े हुए हैं और कुछ सीटों पर कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता अड़े हुए हैं। आज हम फिर चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे कि जहां तक हो सके बाकी सीटों को गठबंधन की सीमा में लाकर अपने उम्मीदवारों का एलान करें।

पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें लड़ेगी

फिलहाल पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें पर लड़ेगी, जिसमें वो घाटी की 4 सीटों पर दावा ठोक रही है। इसमें दो सीटें देवसर और शांगस पर कांग्रेस ने 2014 में जीत हासिल की थी। तीसरी दुरु विधानसभा सीट है, जहां गुलाम अहमद मीर 161 वोट के करीबी मार्जिन से पीडीपी के उम्मीदवार सैयद फारूक अहमद अंदराबी से हार गए थे। वहीं चौथी कोकर नाग विधानसभा सीट है, जहां से कांग्रेस के सीनियर लीडर पीरजादा मोहम्मद सैयद आते हैं। इसलिए यह सीट कांग्रेस मांग रही है। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां से पीडीपी जीत गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिला जबकि पीडीपी को 42 प्रतिशत वोट मिला था। पीडीपी के अब्दुल रहीम राथर चुनाव जीत गए थे।कुल मिलाकर कांग्रेस अपनी सिटिंग सीट और पीडीपी की सीटें मांग रही है, जहां से उसके उम्मीदवार रनर अप रहे थे।

आज जारी हो सकती है कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट

वहीं, खबर है कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन के कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट शनिवार (24 अगस्त) को जारी होगी। सूत्रों के मुताबिक, पहली लिस्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 13 से 17 और कांग्रेस के 7 से 10 कैंडिडेट के नामों की घोषणा हो सकती है।

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव

आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

Nisthawrites

Aug 23 2024, 19:22

जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन पर अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, राहुल गांधी से पूछे 10 सवाल

#amit_shah_targets_congress_on_jk_elections

Union Minister(PTI)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और नेकां के चुनाव घोषणापत्र में उल्लिखित प्रमुख मुद्दों पर उसके रुख पर सवाल उठाया। कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को पूरा करने के लिए देश की एकता और सुरक्षा को बार-बार खतरे में डाला है, ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके एक बार फिर अपने गुप्त उद्देश्यों को उजागर किया है,'' शाह ने एक्स पर कहा। 

सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर निर्देशित दस तीखे सवालों की सूची भी साझा किए।

1. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?” वरिष्ठ भाजपा नेता ने पूछा।

2. शाह की प्राथमिक चिंताओं में से एक अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिज्ञा थी, जो प्रावधान जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है, यह सुझाव देते हुए कि यह क्षेत्र को "अशांति और आतंकवाद के युग" में वापस धकेल देगा।

3. 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसे शाह ने अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और एकीकरण के लिए आवश्यक बताते हुए बचाव किया है।

4. शाह ने पाकिस्तान के साथ बातचीत पर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के रुख पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ है कि इस तरह की बातचीत क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे सकती है।

5. "क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ 'एलओसी ट्रेड' शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा?" 

6. शाह ने कांग्रेस पर "आरक्षण विरोधी रुख" रखने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि एनसी के वादों से दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा।

7. गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य हिल और हरि हिल जैसे प्रमुख स्थानों का नाम बदलकर इस्लामिक अर्थ वाले नामों पर रखने पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाया।

8. क्या कांग्रेस चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?' उन्होंने भाजपा द्वारा अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली कहानी का उपयोग करते हुए लिखा, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों पर "तुष्टिकरण की राजनीति" में शामिल होने का आरोप लगाती है।

9. राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच चर्चा के बाद घोषित कांग्रेस-एनसी गठबंधन, उस क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे का प्रतिनिधित्व करता है जो लंबे समय से भारत की सबसे अधिक सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में रहा है।

10. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या है?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की अधिकांश विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में संवाददाताओं से कहा, "काफी हद तक सहमति बन गई है। मैं आपको बता सकता हूं कि हम 90 में से अधिकतम सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।"

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों - 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।