मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, भारत भी अलर्ट मोड में, पीएम मोदी ने बुलाई CCS की बैठक

#iran_israel_war_pm_narendra_modi_chaired_ccs_meeting

पश्चिम एशिया में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। ईरान के इजराइल पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जिसका असर पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है। इसी बीच PM मोदी ने पश्चिम एशिया में नए सिरे से पैदा हुए तनाव के बीच बृहस्पतिवार (3 अक्टूबर) को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भारत ने पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति बिगड़ने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि संघर्ष को व्यापक रूप नहीं लेना चाहिए। भारत ने सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाने का भी आह्वान किया है।

पीएम मोदी की अगुवाई में हुई बैठक में पश्चिम एशिया में गहराते संकट और उसके भारत पर संभावित असर को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान पश्चिम एशिया में तनाव और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार एवं आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा की गई। दरअसल, पश्चिम एशिया के संकट के कारण भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर असर पड़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इससे भारत से होने वाले व्यापार पर भी असर पड़ सकता।

दरअसल, अगर पश्चिम एशिया में तनाव और ज्यादा बढ़ता है तो इसका असर सिर्फ उस क्षेत्र पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के आयात-निर्यात पर इसका असर पड़ेगा। इस संघर्ष से कार्गो माल ढुलाई शुल्क में काफी वृद्धि हो सकती है क्योंकि लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आतंकवादियों के यमन में हूती विद्रोहियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के माध्यम से माल ले जाने वाले व्यापारी जहाजों पर लगातार हमलें कर रहे हैं।

हूती विद्रोहियों ने पिछले साल अक्टूबर में लाल सागर से होकर जाने वाले व्यापारी जहाजों पर हमला करना शुरू किया था, जिसका असर पूरी दुनिया के व्यापार पर पड़ा था। भारत के भी पेट्रोलियम निर्यात में कमी आई थी। यह आयात अगस्त में 37.56 प्रतिशत गिरकर 5.96 अरब डॉलर रह गया था, जो पिछले साल के इसी महीने में 9.54 अरब डॉलर था। ऐसे में भारत के लिए मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती है।

बता दें कि ईरान के हमले के बाद इजराइल ने भी बदला लेने की बात कही है। इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी जवाबी कार्रवाई करने का संकल्प लिया। फिलहाल इजराइल दो मोर्चों पर आतंकवादियों से जूझ रहा है। वह लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ जमीनी स्तर पर निपट रहा है तो गाजा पट्टी में भी लगातार हमले कर रहा है। गाजा में इजराइली हमले में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में बच्चे और औरतें भी शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

#israeliranwarwhoisbackingwhominmiddle_east

मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

क्या इजराइल से नसरल्लाह की मौत का बदला लेंगे ईरान समेत 57 देश, जंग में शामिल होंगे दूसरे इस्लामिक देश?

#irancalledoicmeetingafterdeathofhezbollahchiefhassannasrallah

इजराइल की ओर से लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी दुनिया इजराइल और लेबनान के युद्ध से हिल गई है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में बवाल मचा हुआ है। नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरान बौखलाया हुआ है। ईरान में इजराइल से बदले की मांग उठ रही है। ऐसे में ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक भी बुलाई। साथ ही इजरायल को बदला लेने की धमकी भी दी है।

ईरान ने लेबनान और फिलिस्तीन में इजरायल के हमलों से निपटने के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के नेताओं की तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया। शुक्रवार को OIC के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए ईरानी उप विदेश मंत्री (कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय मामलों) काज़ेम गरीबाबादी ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करने में इस्लामी देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि इस्लामी दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, विशेष रूप से फिलिस्तीनी मुद्दा, जो हमारी मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है।

ग़रीबाबादी ने दोहराया कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों, जो अपनी मातृभूमि में रह रहे हैं और जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उन्हें जनमत संग्रह के माध्यम से अपना भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तंत्र के माध्यम से, एक स्थायी शांति प्राप्त होगी जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन की आतंकवादी गतिविधियां फिलिस्तीन और लेबनान तक ही सीमित नहीं हैं, उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर आतंकवादी हमला किया है और ईरान में हमास के नेता को भी शहीद कर दिया है। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि इज़राइली शासन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, उन्होंने इसकी क्रूरता और अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया।

जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे?

अब सवाल उठता है कि क्या क्या इस जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे? नसरल्लाह के मारे जाने के बाद यह तय है कि इस जंग में और प्लेयर्स इन्वॉल्व होंगे- जैसे ईरान और सीरिया, लेकिन बड़े युद्ध की आशंका नहीं नजर आती है। अगर OIC मिलकर इजरायल के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं तो इसका मतलब है कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन इस लड़ाई में शामिल हो जाएंगे। तब समस्या और बड़ी हो जाएगी। 

हिज्बुल्लाह को लेकर इजरायल ने पहले ही और मुल्कों को आगाह किया था और सबको इसकी करतूतों के बारे में पता है। उसके समर्थन का मतलब है किसी इजरायल पर हमले का समर्थन करना, जो सऊदी जैसे देश कतई नहीं करेंगे। सऊदी को भी पता है कि अमेरिका और इजरायल जैसे देश उसके लिए आर्थिक तौर पर कितने जरूरी हैं। हां यह जरूर है कि OIC मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हमले की आलोचना कर सकता है। वो यह कहेगा कि हमले में आम लोग और बच्चे मारे जा रहे हैं पर मिलिट्री मोबिलाइजेशन की आशंका नहीं है।

क्या है OIC?

OIC का फुल फॉर्म है आर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कोऑपरेशन। इसे इस्लामिक सहयोग संगठन भी कहते हैं। OIC चार महाद्वीपों में फैले 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है। यूनाइटेड नेशन के बाद यह दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा संगठन है। एक तरीके से OIC को मुस्लिम और इस्लामी देशों की आवाज के तौर पर देखा जाता है। इस संगठन की स्थापना का कनेक्शन भी इजरायल से ही जुड़ा हुआ है।

कब और कैसे बना OIC

मक्का और मदीना के बाद इजरायल के यरूशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मस्जिद जहां है, उसको लेकर मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाईयों में सदियों से लड़ाई चलती आ रही है। 25 सितंबर 1969 को यरूशलम की अल अक्सा मस्जिद में आग लगा दी गई। तब मुफ्ती आमीन अल हुसैनी ने इस आगजनी के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया और एक सम्मेलन बुलाया।इसमें अल अक्सा मस्जिद पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही इस बात पर भी मंथन हुआ कि इस्लामिक देशों के बीच आपसी सहयोग और संबंधों को कैसे और मजबूत किया जाए। इसी सम्मेलन में तय किया गया कि इस्लामिक देश एक संगठन बनाएंगे, ताकि आपसी आर्थिक, सांस्कृतिक सहयोग को और बढ़ावा दे सकें।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

Furniture Fair & Thailand Fest Wow Crowds with Luxury, Global Products, and Top Creators

Furniture Fair & Thailand Shopping Festival Kick Off with a Grand Opening, Welcoming Over 10,000 Visitors on Day 1

The highly anticipated Furniture Fair and Thailand Shopping Festival commenced on 27th September 2024 at BKC, witnessing a grand start with over 10,000 visitors on the very first day. Organized by I Ads & Events, a renowned leader in event management, the exhibition has quickly become a highlight for attendees, featuring an impressive lineup of international brands and exhibitors.

The 6-day event, running from 27th September to 2nd October, showcases a diverse range of furniture for both domestic and commercial use, tailored to meet varying budgets and tastes. Visitors have the opportunity to explore everything from elegant sofa sets and modular kitchens to office furniture, carpets, antiques, and bespoke decor items. The event is a one-stop destination for new homebuyers or those looking to refurbish their living spaces with modern and traditional furniture alike.

In addition to the furniture, the Thailand Shopping Festival offers a unique shopping experience, featuring exhibitors from Thailand, Turkey, Iran, Afghanistan, and Korea. Visitors can indulge in an array of exclusive international products, such as Thailand's pearl jewellery, Turkish lights, Iranian silver jewellery, Afghan dry fruits, and Korean beauty products. This combination of local and global offerings has created an exciting marketplace for discerning shoppers.

As a testament to the event's wide appeal, top content creators were also spotted on the exhibition floor, capturing the experience and sharing it with their vast audiences. Their presence underscores the event's reach and influence, drawing both consumer attention and social media buzz.

I Ads & Events, with over two decades of experience in managing B2C exhibitions across India, has once again demonstrated its expertise in creating immersive and interactive experiences. The event highlights their dedication to connecting brands directly with consumers, ensuring not just a shopping experience but also meaningful engagement.

The exhibition, open daily from 10:00 AM to 8:30 PM, is easily accessible to the public with an entry ticket priced at just Rs. 50. This makes it a perfect family outing where visitors can discover the latest trends in furniture, indulge in global shopping, and enjoy exclusive deals.

With such a successful opening day and a diverse array of offerings, the Furniture Fair and Thailand Shopping Festival are set to be must-attend events for anyone looking to enhance their living spaces or find unique international products. 

For more details, visit https://www.iadsandevents.com, or Instagram: , contact num +919234712380

For media coverage on this platform call +917710030004

इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेगा ईरान, सुप्रीम लीडर खामनेई ने इजराइल पर सीधे हमले का जारी किया आदेश

#ayatollahalikhameneiordersiranattackon_israel

मध्य पूर्व एशिया एक बार फिर से भीषण युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ईरान को सीधे इजरायल पर हमला करने का आदेश दिया है। यह हमला तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हनिया की हत्या का बदला लेने के लिए किया जाएगा।बीते दिन ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई है। इसके बाद से ही इजरायल और ईरान में तनाव बढ़ गया है। 

आपात बैठक में हमले का आदेश

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेने के लिए ईरान को इजरायल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया है। खामेनेई ने ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में हमले का आदेश दिया है। खामेनेई ने सैन्य कमांडरों को निर्देश दिया है कि वे युद्ध की स्थिति में हमले और बचाव दोनों की योजना तैयार करें।

प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी

ईरान पहले भी इजराइल पर सीधे अटैक कर चुका है, लेकिन तब उसके सभी रॉकिट्स और ड्रोन इजराइल और उसकी एलायंस फोर्सिस ने रोक दिए थे। ईरान मिलिट्री कमांडर इसी तरह का दूसरा हमला करने की तैयारी में जुट गए हैं। खबर ये भी है कि मिलिट्री कमांडर हमले के उन तरीकों को तलाश कर रहे हैं, जिनमें आम नागरिकों की जान न जाए। ईरान इस बार अपने प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर

इधर, हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर है। हालांकि इजराइल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन ये बाद भी किसी से छिपी नहीं कि इजराइल का ऐसे ऑपरेशन्स को अंजाम देने का लंबा इतिहास रहा है।

अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर किया था बड़ा हमला

दशकों की शत्रुता के बीच अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर अपना सबसे बड़ा और सबसे खुला हमला किया था। सीरिया के दमिश्क में अपने दूतावास परिसर पर इजरायली हमले के जवाब में उसने सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन को लॉन्च किया। दमिश्क में हुए हमले में कई ईरानी सैन्य कमांडर मारे गए थे। लेकिन ताकत दिखाने के उस हमले की जानकारी भी पहले से ही इजरायल को हो गई थी। जिसके बाद लगभग सभी रॉकेटों और ड्रोन को इजरायल और उसके सहयोगियों ने हवा में ही मार गिराया था। ईरान के इस हमले में इजरायल को बहुत कम नुकसान हुआ था।

ईरान में मसूद पेजेश्कियान के आने के बाद भारत के साथ रिश्‍तों पर क्‍या होगा असर?

#indiairanrelationsafternewpresidentmasoud_pezeshkian 

इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान को नया राष्‍ट्रपति मिल गया है। ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने रूढ़िवादी सईद जलीली पर जीत दर्ज की है।मसूद अकेले सुधारवादी उम्मीदवार थे, जिनको चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी। हार्ट सर्जन से राजनीति में आए अनुभवी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेजेश्कियान ने आश्चर्यजनक रूप से विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की है। मसूद को ईरान के लॉ प्रोफोइल और चमक-दमक से दूर रहने वाले राजनेताओं में गिना जाता है।

ईरान-भारत के रिश्तों पर क्या होगा असर

69 साल के मसूद के चुनाव जीतने के बाद ये सवाल है कि क्या उनके आने से ईरान और भारत के रिश्तों में क्या कोई बदलाव देखने को मिल सकता है? ईरान की सत्ता संभालने वाले पेजेश्कियान की जीत भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है। रईसी के वक्त भी भारत और ईरान के बीच संबंध काफी अच्छे रहे। भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। अब जब ईरान की सत्ता पेजेश्कियान के हाथ में जा रही तो दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होने की संभावना है।

कहा जाता है कि ईरान और भारत के बीच संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा पर आधारित रहा है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर भी अहम डील हो चुकी है। चाबहार पोर्ट को ग्वादर पोर्ट के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है। इस पोर्ट के जरिए भारत-ईरान और अफगानिस्तान जुड़ेंगे। माना जा रहा है कि ईरान के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे। चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान की जो रणनीति रही है वो भी आगे बढ़ती रहेगी। चाबहार पोर्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जहां भारत ने बड़ा निवेश किया है। इस प्रोजेक्ट से भारत को जो फायदा होगा वो तो होगा ही, लेकिन ईरान को उससे कहीं ज्यादा लाभ मिलने वाला है। इसलिए नए राष्ट्रपति के आने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत ही होंगे।

ईरान के राजदूत पहले ही दे चुके हैं ये संदेश

इस पर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही पहले ही अपनी राय जता चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भारत और ईरान के रिश्ते मजबूत हैं और आगे इनको और भी बेहतर किया जाएगा। इलाही ने कहा कि किसी भी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।

ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर

#whateffectwillthewarbetweeniranandisraelhaveon_india

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्‍य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्‍लोबल शेयर बाजार और अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए अच्‍छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।

ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।

युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”

युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।

दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित

भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्‍यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्‍य चीजें आयात की। इनका मूल्‍य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।

सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका

ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।

ईरान से बदले की तैयारी में इजराइल, मिडिल ईस्ट में खुल सकता है एक और वॉर जोन

#israelretaliatetoiranattackwithinnext2448_hours

कभी यूक्रेन और रूस का युद्ध तो कभी इजरायल और हमास के बीच जंग और अब ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला है। जिसके बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान से बदला लेने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि अगले 24-48 घंटों में इजराइल कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। इस बीच ईरान के प्रमुख नेता खामेनेई ने अमेरिका को चुनौती दी है कि जंग और भीषण होगी। ऐसे में साफ है कि इजराइल ने हमला किया तो ईरान विध्वंसक बदले से भी पीछे नहीं हटेगा। ऐसे हालात में एक और मोर्चे पर युद्ध शुरू हो सकता है।

बता दे कि शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। अब ईरानी हमले के बाद इजरायल क्या प्रतिक्रिया देगा, सारी दुनिया की नजर इस पर है। इजरायल के प्रमुख राजनेताओं के बीच रविवार को इस बात पर चर्चा होती रही कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद इजरायल का अगला कदम क्या होना चाहिए।

कब और कैसे हमला करेगा इजराइल?

ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के बाद इजरायल अब जवाबी तैयारी कर रहा है। रविवार को इजराइल की वॉर कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में पीएम नेतन्याहु, रक्षा मंत्री गैलेंट, कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंज इस बात पर तो एकमत रहे कि ईरान को करारा जवाब दिया जाएगा।

यरूशलम पोस्ट की खबर के अनुसार, इजरायल की वार कैबिनेट के सदस्य और बिना पोर्टपोलियो वाले मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। एक वीडियो बयान में कहा कि इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का तुरंत जवाब नहीं देगा। गैंट्स ने कहा, ईरान के खिलाफ हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और अपने हिसाब से सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे। गैंट्ज से हमले को नाकाम करने को एक रणनीतिक उपलब्धि बताया जिसका इजरायल को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लाभ उठाना चाहिए।

बता दें कि वॉर कैबिनेट ने अटैक और डिफेंस के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ईरान पर इजराइल कब हमला करेगा? सीधा हमला करेगा या कुछ और तरकीब अपनाएगा। उधर, इजराइल के जवाबी हमले को लेकर ईरान अलर्ट पर है।

अमेरिका ने किया आगाह

बता दें कि अमेरिका के मनाही के बावजूद इजराइल ने ईरान के हमले का जवाब देने का फैसला किया है। दरअसल, ईरानी के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइली पीएम नेतन्याहू से बात की। इस दौरान बाइडेन ने इजराइल को सुरक्षा का भरोसा दिया।इजरायल को आगाह किया है कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल की अगली कार्रवाई में साथ नहीं देगा। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। ईरान के हमले को विफल कर दिया गया है। इजराइल की जीत हुई है। इसलिए ईरानी धरती पर सीधा सैन्य हमला करके इस और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।

मिडिल ईस्ट में जंग की आहट

इजरायल के सामने मुश्किल यह है कि एक तरफ उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उससे शांति की अपील कर रहा है, तो वहीं इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई हार्डलाइनर हैं जो ईरान पर मजबूती से हमला किए जाने पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गविर ने ईरान पर हमले में देरी को खोखला पश्चिमी विचार कहा है। तेल अवीव के नेताओं के बयानों से साफ है कि ईरान को इजरायल जवाब देगा। इसका मतलब है कि इजरायल का अगला कदम मध्य पूर्व में जंग शुरू कर देगा।

ईरान का पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक, आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त, इस्लामाबाद ने की कड़ी निंदा

#iranmissilesattackinpakistan

पाकिस्तान आतंकियों का पनाहगाह बना हुआ है। हालांकि, पाकिस्तान इन आरोपों का हमेशा बचाव करता है। ईरान ने जैश अल-अदल आतंकवादी समूह से जुड़े दो आतंकी ठिकानों पर बमबारी कर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। ईरान ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी संगठनों के कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है। ईरानी मीडिया के अनुसार ईरान के आईआरजीसी ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जैश-अल-अदल के दो आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर नष्ट कर दिया। इसमें 2 बच्चों की मौत हुई है और 3 बच्चियों के घायल होने की भी खबर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमले तुरबत और पंचकूर में स्थित आतंकवादी कैंपों पर किए गए। ये आतंकवादी कैंप बलूचिस्तान से 122 किलोमीटर पाकिस्तान की सीमा में हैं। ईरान ने मंगलवार देर रात इन आतंकी कैंपों पर कई रॉकेट हमले किए।रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी समूह ने पहले पाकिस्तान के साथ सीमा क्षेत्र में ईरानी सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। ईरान के सरकारी मीडिया कहा कि आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया गया।

इस्लामाबाद में कड़ी निंदा की

पाकिस्तान ने दावा किया है कि ईरान के अकारण हमले में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हुई हैं।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमलों की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान में कहा कि पाकिस्तान ईरान द्वारा उसके हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कड़ी निंदा करता है, जिसमें दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं। बयान में कहा गया है कि यह पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

ईरान के दूतावास को किया तलब

अपने हवाई क्षेत्र के अकारण उल्लंघन को पाकिस्तान ने अवैध कृत्य बताते हुए कहा कि उसने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष इसका कड़ा विरोध किया है और इस्लामाबाद ने इस घटना पर ईरान के दूतावास को भी तलब किया है

एक दिन पहले इराक-सीरिया पर भी हमला

इससे एक दिन पहले ईरान के विशिष्ट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से इराक और सीरिया में लक्ष्यों पर मिसाइल गिराई गई थीं। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इराक के उत्तरी शहर एरिबल के पास स्थित इस्राइल की मोसाद एजेंसी पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। साथ ही गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। आंतकी समूहों आईएस की सभाओं को तबाह करने के लिए भी ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। हमले के कारण चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए, जिन्हें पास के ही अस्पताल में ले जाया गया है।

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, भारत भी अलर्ट मोड में, पीएम मोदी ने बुलाई CCS की बैठक

#iran_israel_war_pm_narendra_modi_chaired_ccs_meeting

पश्चिम एशिया में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। ईरान के इजराइल पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जिसका असर पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है। इसी बीच PM मोदी ने पश्चिम एशिया में नए सिरे से पैदा हुए तनाव के बीच बृहस्पतिवार (3 अक्टूबर) को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भारत ने पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति बिगड़ने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि संघर्ष को व्यापक रूप नहीं लेना चाहिए। भारत ने सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाने का भी आह्वान किया है।

पीएम मोदी की अगुवाई में हुई बैठक में पश्चिम एशिया में गहराते संकट और उसके भारत पर संभावित असर को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान पश्चिम एशिया में तनाव और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार एवं आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा की गई। दरअसल, पश्चिम एशिया के संकट के कारण भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर असर पड़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इससे भारत से होने वाले व्यापार पर भी असर पड़ सकता।

दरअसल, अगर पश्चिम एशिया में तनाव और ज्यादा बढ़ता है तो इसका असर सिर्फ उस क्षेत्र पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के आयात-निर्यात पर इसका असर पड़ेगा। इस संघर्ष से कार्गो माल ढुलाई शुल्क में काफी वृद्धि हो सकती है क्योंकि लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आतंकवादियों के यमन में हूती विद्रोहियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के माध्यम से माल ले जाने वाले व्यापारी जहाजों पर लगातार हमलें कर रहे हैं।

हूती विद्रोहियों ने पिछले साल अक्टूबर में लाल सागर से होकर जाने वाले व्यापारी जहाजों पर हमला करना शुरू किया था, जिसका असर पूरी दुनिया के व्यापार पर पड़ा था। भारत के भी पेट्रोलियम निर्यात में कमी आई थी। यह आयात अगस्त में 37.56 प्रतिशत गिरकर 5.96 अरब डॉलर रह गया था, जो पिछले साल के इसी महीने में 9.54 अरब डॉलर था। ऐसे में भारत के लिए मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती है।

बता दें कि ईरान के हमले के बाद इजराइल ने भी बदला लेने की बात कही है। इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी जवाबी कार्रवाई करने का संकल्प लिया। फिलहाल इजराइल दो मोर्चों पर आतंकवादियों से जूझ रहा है। वह लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ जमीनी स्तर पर निपट रहा है तो गाजा पट्टी में भी लगातार हमले कर रहा है। गाजा में इजराइली हमले में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में बच्चे और औरतें भी शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

#israeliranwarwhoisbackingwhominmiddle_east

मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

क्या इजराइल से नसरल्लाह की मौत का बदला लेंगे ईरान समेत 57 देश, जंग में शामिल होंगे दूसरे इस्लामिक देश?

#irancalledoicmeetingafterdeathofhezbollahchiefhassannasrallah

इजराइल की ओर से लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी दुनिया इजराइल और लेबनान के युद्ध से हिल गई है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में बवाल मचा हुआ है। नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरान बौखलाया हुआ है। ईरान में इजराइल से बदले की मांग उठ रही है। ऐसे में ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक भी बुलाई। साथ ही इजरायल को बदला लेने की धमकी भी दी है।

ईरान ने लेबनान और फिलिस्तीन में इजरायल के हमलों से निपटने के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के नेताओं की तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया। शुक्रवार को OIC के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए ईरानी उप विदेश मंत्री (कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय मामलों) काज़ेम गरीबाबादी ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करने में इस्लामी देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि इस्लामी दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, विशेष रूप से फिलिस्तीनी मुद्दा, जो हमारी मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है।

ग़रीबाबादी ने दोहराया कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों, जो अपनी मातृभूमि में रह रहे हैं और जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उन्हें जनमत संग्रह के माध्यम से अपना भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तंत्र के माध्यम से, एक स्थायी शांति प्राप्त होगी जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन की आतंकवादी गतिविधियां फिलिस्तीन और लेबनान तक ही सीमित नहीं हैं, उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर आतंकवादी हमला किया है और ईरान में हमास के नेता को भी शहीद कर दिया है। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि इज़राइली शासन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, उन्होंने इसकी क्रूरता और अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया।

जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे?

अब सवाल उठता है कि क्या क्या इस जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे? नसरल्लाह के मारे जाने के बाद यह तय है कि इस जंग में और प्लेयर्स इन्वॉल्व होंगे- जैसे ईरान और सीरिया, लेकिन बड़े युद्ध की आशंका नहीं नजर आती है। अगर OIC मिलकर इजरायल के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं तो इसका मतलब है कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन इस लड़ाई में शामिल हो जाएंगे। तब समस्या और बड़ी हो जाएगी। 

हिज्बुल्लाह को लेकर इजरायल ने पहले ही और मुल्कों को आगाह किया था और सबको इसकी करतूतों के बारे में पता है। उसके समर्थन का मतलब है किसी इजरायल पर हमले का समर्थन करना, जो सऊदी जैसे देश कतई नहीं करेंगे। सऊदी को भी पता है कि अमेरिका और इजरायल जैसे देश उसके लिए आर्थिक तौर पर कितने जरूरी हैं। हां यह जरूर है कि OIC मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हमले की आलोचना कर सकता है। वो यह कहेगा कि हमले में आम लोग और बच्चे मारे जा रहे हैं पर मिलिट्री मोबिलाइजेशन की आशंका नहीं है।

क्या है OIC?

OIC का फुल फॉर्म है आर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कोऑपरेशन। इसे इस्लामिक सहयोग संगठन भी कहते हैं। OIC चार महाद्वीपों में फैले 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है। यूनाइटेड नेशन के बाद यह दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा संगठन है। एक तरीके से OIC को मुस्लिम और इस्लामी देशों की आवाज के तौर पर देखा जाता है। इस संगठन की स्थापना का कनेक्शन भी इजरायल से ही जुड़ा हुआ है।

कब और कैसे बना OIC

मक्का और मदीना के बाद इजरायल के यरूशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मस्जिद जहां है, उसको लेकर मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाईयों में सदियों से लड़ाई चलती आ रही है। 25 सितंबर 1969 को यरूशलम की अल अक्सा मस्जिद में आग लगा दी गई। तब मुफ्ती आमीन अल हुसैनी ने इस आगजनी के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया और एक सम्मेलन बुलाया।इसमें अल अक्सा मस्जिद पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही इस बात पर भी मंथन हुआ कि इस्लामिक देशों के बीच आपसी सहयोग और संबंधों को कैसे और मजबूत किया जाए। इसी सम्मेलन में तय किया गया कि इस्लामिक देश एक संगठन बनाएंगे, ताकि आपसी आर्थिक, सांस्कृतिक सहयोग को और बढ़ावा दे सकें।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

Furniture Fair & Thailand Fest Wow Crowds with Luxury, Global Products, and Top Creators

Furniture Fair & Thailand Shopping Festival Kick Off with a Grand Opening, Welcoming Over 10,000 Visitors on Day 1

The highly anticipated Furniture Fair and Thailand Shopping Festival commenced on 27th September 2024 at BKC, witnessing a grand start with over 10,000 visitors on the very first day. Organized by I Ads & Events, a renowned leader in event management, the exhibition has quickly become a highlight for attendees, featuring an impressive lineup of international brands and exhibitors.

The 6-day event, running from 27th September to 2nd October, showcases a diverse range of furniture for both domestic and commercial use, tailored to meet varying budgets and tastes. Visitors have the opportunity to explore everything from elegant sofa sets and modular kitchens to office furniture, carpets, antiques, and bespoke decor items. The event is a one-stop destination for new homebuyers or those looking to refurbish their living spaces with modern and traditional furniture alike.

In addition to the furniture, the Thailand Shopping Festival offers a unique shopping experience, featuring exhibitors from Thailand, Turkey, Iran, Afghanistan, and Korea. Visitors can indulge in an array of exclusive international products, such as Thailand's pearl jewellery, Turkish lights, Iranian silver jewellery, Afghan dry fruits, and Korean beauty products. This combination of local and global offerings has created an exciting marketplace for discerning shoppers.

As a testament to the event's wide appeal, top content creators were also spotted on the exhibition floor, capturing the experience and sharing it with their vast audiences. Their presence underscores the event's reach and influence, drawing both consumer attention and social media buzz.

I Ads & Events, with over two decades of experience in managing B2C exhibitions across India, has once again demonstrated its expertise in creating immersive and interactive experiences. The event highlights their dedication to connecting brands directly with consumers, ensuring not just a shopping experience but also meaningful engagement.

The exhibition, open daily from 10:00 AM to 8:30 PM, is easily accessible to the public with an entry ticket priced at just Rs. 50. This makes it a perfect family outing where visitors can discover the latest trends in furniture, indulge in global shopping, and enjoy exclusive deals.

With such a successful opening day and a diverse array of offerings, the Furniture Fair and Thailand Shopping Festival are set to be must-attend events for anyone looking to enhance their living spaces or find unique international products. 

For more details, visit https://www.iadsandevents.com, or Instagram: , contact num +919234712380

For media coverage on this platform call +917710030004

इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेगा ईरान, सुप्रीम लीडर खामनेई ने इजराइल पर सीधे हमले का जारी किया आदेश

#ayatollahalikhameneiordersiranattackon_israel

मध्य पूर्व एशिया एक बार फिर से भीषण युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ईरान को सीधे इजरायल पर हमला करने का आदेश दिया है। यह हमला तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हनिया की हत्या का बदला लेने के लिए किया जाएगा।बीते दिन ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई है। इसके बाद से ही इजरायल और ईरान में तनाव बढ़ गया है। 

आपात बैठक में हमले का आदेश

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेने के लिए ईरान को इजरायल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया है। खामेनेई ने ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में हमले का आदेश दिया है। खामेनेई ने सैन्य कमांडरों को निर्देश दिया है कि वे युद्ध की स्थिति में हमले और बचाव दोनों की योजना तैयार करें।

प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी

ईरान पहले भी इजराइल पर सीधे अटैक कर चुका है, लेकिन तब उसके सभी रॉकिट्स और ड्रोन इजराइल और उसकी एलायंस फोर्सिस ने रोक दिए थे। ईरान मिलिट्री कमांडर इसी तरह का दूसरा हमला करने की तैयारी में जुट गए हैं। खबर ये भी है कि मिलिट्री कमांडर हमले के उन तरीकों को तलाश कर रहे हैं, जिनमें आम नागरिकों की जान न जाए। ईरान इस बार अपने प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर

इधर, हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर है। हालांकि इजराइल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन ये बाद भी किसी से छिपी नहीं कि इजराइल का ऐसे ऑपरेशन्स को अंजाम देने का लंबा इतिहास रहा है।

अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर किया था बड़ा हमला

दशकों की शत्रुता के बीच अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर अपना सबसे बड़ा और सबसे खुला हमला किया था। सीरिया के दमिश्क में अपने दूतावास परिसर पर इजरायली हमले के जवाब में उसने सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन को लॉन्च किया। दमिश्क में हुए हमले में कई ईरानी सैन्य कमांडर मारे गए थे। लेकिन ताकत दिखाने के उस हमले की जानकारी भी पहले से ही इजरायल को हो गई थी। जिसके बाद लगभग सभी रॉकेटों और ड्रोन को इजरायल और उसके सहयोगियों ने हवा में ही मार गिराया था। ईरान के इस हमले में इजरायल को बहुत कम नुकसान हुआ था।

ईरान में मसूद पेजेश्कियान के आने के बाद भारत के साथ रिश्‍तों पर क्‍या होगा असर?

#indiairanrelationsafternewpresidentmasoud_pezeshkian 

इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान को नया राष्‍ट्रपति मिल गया है। ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने रूढ़िवादी सईद जलीली पर जीत दर्ज की है।मसूद अकेले सुधारवादी उम्मीदवार थे, जिनको चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी। हार्ट सर्जन से राजनीति में आए अनुभवी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेजेश्कियान ने आश्चर्यजनक रूप से विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की है। मसूद को ईरान के लॉ प्रोफोइल और चमक-दमक से दूर रहने वाले राजनेताओं में गिना जाता है।

ईरान-भारत के रिश्तों पर क्या होगा असर

69 साल के मसूद के चुनाव जीतने के बाद ये सवाल है कि क्या उनके आने से ईरान और भारत के रिश्तों में क्या कोई बदलाव देखने को मिल सकता है? ईरान की सत्ता संभालने वाले पेजेश्कियान की जीत भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है। रईसी के वक्त भी भारत और ईरान के बीच संबंध काफी अच्छे रहे। भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। अब जब ईरान की सत्ता पेजेश्कियान के हाथ में जा रही तो दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होने की संभावना है।

कहा जाता है कि ईरान और भारत के बीच संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा पर आधारित रहा है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर भी अहम डील हो चुकी है। चाबहार पोर्ट को ग्वादर पोर्ट के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है। इस पोर्ट के जरिए भारत-ईरान और अफगानिस्तान जुड़ेंगे। माना जा रहा है कि ईरान के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे। चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान की जो रणनीति रही है वो भी आगे बढ़ती रहेगी। चाबहार पोर्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जहां भारत ने बड़ा निवेश किया है। इस प्रोजेक्ट से भारत को जो फायदा होगा वो तो होगा ही, लेकिन ईरान को उससे कहीं ज्यादा लाभ मिलने वाला है। इसलिए नए राष्ट्रपति के आने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत ही होंगे।

ईरान के राजदूत पहले ही दे चुके हैं ये संदेश

इस पर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही पहले ही अपनी राय जता चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भारत और ईरान के रिश्ते मजबूत हैं और आगे इनको और भी बेहतर किया जाएगा। इलाही ने कहा कि किसी भी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।

ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर

#whateffectwillthewarbetweeniranandisraelhaveon_india

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्‍य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्‍लोबल शेयर बाजार और अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए अच्‍छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।

ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।

युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”

युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।

दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित

भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्‍यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्‍य चीजें आयात की। इनका मूल्‍य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।

सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका

ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।

ईरान से बदले की तैयारी में इजराइल, मिडिल ईस्ट में खुल सकता है एक और वॉर जोन

#israelretaliatetoiranattackwithinnext2448_hours

कभी यूक्रेन और रूस का युद्ध तो कभी इजरायल और हमास के बीच जंग और अब ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला है। जिसके बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान से बदला लेने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि अगले 24-48 घंटों में इजराइल कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। इस बीच ईरान के प्रमुख नेता खामेनेई ने अमेरिका को चुनौती दी है कि जंग और भीषण होगी। ऐसे में साफ है कि इजराइल ने हमला किया तो ईरान विध्वंसक बदले से भी पीछे नहीं हटेगा। ऐसे हालात में एक और मोर्चे पर युद्ध शुरू हो सकता है।

बता दे कि शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। अब ईरानी हमले के बाद इजरायल क्या प्रतिक्रिया देगा, सारी दुनिया की नजर इस पर है। इजरायल के प्रमुख राजनेताओं के बीच रविवार को इस बात पर चर्चा होती रही कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद इजरायल का अगला कदम क्या होना चाहिए।

कब और कैसे हमला करेगा इजराइल?

ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के बाद इजरायल अब जवाबी तैयारी कर रहा है। रविवार को इजराइल की वॉर कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में पीएम नेतन्याहु, रक्षा मंत्री गैलेंट, कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंज इस बात पर तो एकमत रहे कि ईरान को करारा जवाब दिया जाएगा।

यरूशलम पोस्ट की खबर के अनुसार, इजरायल की वार कैबिनेट के सदस्य और बिना पोर्टपोलियो वाले मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। एक वीडियो बयान में कहा कि इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का तुरंत जवाब नहीं देगा। गैंट्स ने कहा, ईरान के खिलाफ हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और अपने हिसाब से सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे। गैंट्ज से हमले को नाकाम करने को एक रणनीतिक उपलब्धि बताया जिसका इजरायल को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लाभ उठाना चाहिए।

बता दें कि वॉर कैबिनेट ने अटैक और डिफेंस के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ईरान पर इजराइल कब हमला करेगा? सीधा हमला करेगा या कुछ और तरकीब अपनाएगा। उधर, इजराइल के जवाबी हमले को लेकर ईरान अलर्ट पर है।

अमेरिका ने किया आगाह

बता दें कि अमेरिका के मनाही के बावजूद इजराइल ने ईरान के हमले का जवाब देने का फैसला किया है। दरअसल, ईरानी के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइली पीएम नेतन्याहू से बात की। इस दौरान बाइडेन ने इजराइल को सुरक्षा का भरोसा दिया।इजरायल को आगाह किया है कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल की अगली कार्रवाई में साथ नहीं देगा। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। ईरान के हमले को विफल कर दिया गया है। इजराइल की जीत हुई है। इसलिए ईरानी धरती पर सीधा सैन्य हमला करके इस और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।

मिडिल ईस्ट में जंग की आहट

इजरायल के सामने मुश्किल यह है कि एक तरफ उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उससे शांति की अपील कर रहा है, तो वहीं इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई हार्डलाइनर हैं जो ईरान पर मजबूती से हमला किए जाने पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गविर ने ईरान पर हमले में देरी को खोखला पश्चिमी विचार कहा है। तेल अवीव के नेताओं के बयानों से साफ है कि ईरान को इजरायल जवाब देगा। इसका मतलब है कि इजरायल का अगला कदम मध्य पूर्व में जंग शुरू कर देगा।

ईरान का पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक, आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त, इस्लामाबाद ने की कड़ी निंदा

#iranmissilesattackinpakistan

पाकिस्तान आतंकियों का पनाहगाह बना हुआ है। हालांकि, पाकिस्तान इन आरोपों का हमेशा बचाव करता है। ईरान ने जैश अल-अदल आतंकवादी समूह से जुड़े दो आतंकी ठिकानों पर बमबारी कर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। ईरान ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी संगठनों के कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है। ईरानी मीडिया के अनुसार ईरान के आईआरजीसी ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जैश-अल-अदल के दो आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर नष्ट कर दिया। इसमें 2 बच्चों की मौत हुई है और 3 बच्चियों के घायल होने की भी खबर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमले तुरबत और पंचकूर में स्थित आतंकवादी कैंपों पर किए गए। ये आतंकवादी कैंप बलूचिस्तान से 122 किलोमीटर पाकिस्तान की सीमा में हैं। ईरान ने मंगलवार देर रात इन आतंकी कैंपों पर कई रॉकेट हमले किए।रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी समूह ने पहले पाकिस्तान के साथ सीमा क्षेत्र में ईरानी सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। ईरान के सरकारी मीडिया कहा कि आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया गया।

इस्लामाबाद में कड़ी निंदा की

पाकिस्तान ने दावा किया है कि ईरान के अकारण हमले में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हुई हैं।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमलों की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान में कहा कि पाकिस्तान ईरान द्वारा उसके हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कड़ी निंदा करता है, जिसमें दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं। बयान में कहा गया है कि यह पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

ईरान के दूतावास को किया तलब

अपने हवाई क्षेत्र के अकारण उल्लंघन को पाकिस्तान ने अवैध कृत्य बताते हुए कहा कि उसने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष इसका कड़ा विरोध किया है और इस्लामाबाद ने इस घटना पर ईरान के दूतावास को भी तलब किया है

एक दिन पहले इराक-सीरिया पर भी हमला

इससे एक दिन पहले ईरान के विशिष्ट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से इराक और सीरिया में लक्ष्यों पर मिसाइल गिराई गई थीं। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इराक के उत्तरी शहर एरिबल के पास स्थित इस्राइल की मोसाद एजेंसी पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। साथ ही गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। आंतकी समूहों आईएस की सभाओं को तबाह करने के लिए भी ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। हमले के कारण चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए, जिन्हें पास के ही अस्पताल में ले जाया गया है।