व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान का गायब होना: सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलें

#constitution_missing_on_white_house_website

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर अमेरिकी संविधान का पृष्ठ अचानक गायब हो गया, जिससे सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलों का दौर शुरू हो गया। यह घटना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पदभार ग्रहण के बाद घटी, और सोशल मीडिया पर इसे लेकर गंभीर सवाल उठे। इस लेख में हम इस घटना के कारणों, चिंताओं और इसके राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

1. संविधान का गायब होना और प्रतिक्रिया


व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर अमेरिकी संविधान का पृष्ठ अब "404 - पृष्ठ नहीं मिला" त्रुटि के रूप में दिखाई दे रहा है। यह स्थिति यूज़र्स के लिए अप्रत्याशित थी और सोशल मीडिया पर चर्चा का कारण बनी। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे संयोग माना, जबकि अन्य ने इसे ट्रम्प प्रशासन के संविधान के प्रति दृष्टिकोण से जोड़ा।

2. सोशल मीडिया पर अटकलें


इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गईं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे ट्रम्प प्रशासन का संविधान को कमजोर करने का संकेत माना, जबकि अन्य ने इसे एक तकनीकी गलती बताया। व्हाइट हाउस ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, जिससे और भी संदेह उत्पन्न हुआ है।

3. संविधान के प्रति बढ़ती चिंताएँ


व्हाइट हाउस से संविधान का गायब होना राष्ट्रपति ट्रम्प के संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है। जर्मन राजदूत एंड्रियास माइकलिस ने चेतावनी दी थी कि ट्रम्प के कदम संविधान और लोकतांत्रिक जाँच प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं।

4. ट्रम्प का कार्यकारी आदेश


राष्ट्रपति ट्रम्प ने जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसे कई आलोचकों ने असंवैधानिक करार दिया। इस आदेश के बाद, डेमोक्रेटिक राज्यों ने कानूनी कार्रवाई की। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।

5. संविधान के खिलाफ उठती आवाज़ें


ट्रम्प के प्रशासन ने संविधान की कुछ धारा-धाराओं को चुनौती दी है। उनके कार्यकारी आदेश और अन्य निर्णयों को संविधान के खिलाफ माना गया है। व्हाइट हाउस की वेबसाइट से संविधान का गायब होना इस दिशा में एक और कदम हो सकता है।

6. संविधान के प्रति ट्रम्प का दृष्टिकोण


ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से संविधान को लेकर सवाल उठते रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि ट्रम्प इसे कमजोर करने का प्रयास कर सकते हैं। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान का गायब होना इस बात का संकेत हो सकता है कि ट्रम्प प्रशासन संविधान को लेकर अपने दृष्टिकोण में बदलाव कर सकता है।



व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान के गायब होने की घटना ने ट्रम्प प्रशासन के संविधान के प्रति दृष्टिकोण पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद उठ रही चिंताएँ यह दर्शाती हैं कि नागरिकों को संविधान और लोकतांत्रिक ढांचे की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता हो सकती है। यह देखना जरूरी होगा कि व्हाइट हाउस इस पर क्या स्पष्टीकरण देता है।

संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार, मुआवजे से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
#supreme_court_says_right_to_property_a_constitutional_right
* सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और कानून के अनुसार पर्याप्त मुआवजे का भुगतान किए बिना किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति नहीं ली जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु-मैसूरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान कही। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम, 1978 के कारण संपत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त कर दिया गया, हालांकि यह एक कल्याणकारी राज्य में एक मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना हुआ है।अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से केवल कानून के अधिकार के तहत ही वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के नवंबर 2022 के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दिया गया, जो बेंगलुरु-मैसूर इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट (बीएमआईसीपी) के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित था।सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 2003 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की भूमि का कब्जा ले लिया गया। बेंच ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के बदले कोई मुआवजा नहीं मिला। यह देरी राज्य और केआईएडीबी के अधिकारियों के सुस्तीपूर्ण रवैये के कारण हुई। *जानें क्या है मामला* जनवरी 2003 में, प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने एक अधिसूचना जारी की थी और नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पाया कि प्रोजेक्ट के लिए लोगों की जमीन पर कब्जा किया गया और उन्हें इस के लिए मुआवजा भी नहीं दिया गया। बिना मुआवजे के लोगों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा पिछले 22 साल से इन जमीन मलिकों ने कई बार अदालत के दरवाजे खटखटाए। बेंच ने कहा कि अवमानना कार्यवाही में नोटिस जारी होने के बाद ही, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (एसएलएओ) ने 22 अप्रैल, 2019 को अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य का निर्धारण करने के लिए 2011 में प्रचलित दिशानिर्देश मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा निर्धारित किया गया था। *मुआवजे में देरी पर कड़ी टिप्पणी* साथ ही कोर्ट ने कहा, अगर साल 2003 के बाजार मूल्य के तहत लोगों को मुआवजा देने की इजाजत दी गई तो यह न्याय का मजाक उड़ाने और अनुच्छेद 300-ए के तहत संवैधानिक प्रावधानों का मजाक बनाने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अदालत की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (SLAO) को निर्देश दिया कि वो 22 अप्रैल 2019 के बाजार मूल्य के हिसाब से लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा दें।
संविधान की वजह से ही आज मैं बात कर पा रहा… मन की बात कार्यक्रम में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 117वें एपिसोड का प्रसारण किया गया. इस कार्यक्रम में उन्होंने संविधान, किसान, कैंसर और AI जैसे मुद्दों पर चर्चा की है. पीएम मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट की तरह है. उन्होंने कहा कि अगर आज में आपसे बात कर पा रहा हूं तो ये संविधान की बदौलत है.

हाल ही में संसद सत्र के दौरान संविधान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने थी. कांग्रेस आरोप लगा रही थी कि बीजेपी ने संविधान का अपमान किया है. तो वहीं बीजेपी कांग्रेस को भी घेरने की कोशिश में लगी हुई थी. मामला इतना बढ़ गया कि संसद सत्र में धक्का-मुक्की तक देखने को मिली. जिसमें 2 सांसद भी घायल हो गए. ऐसे में पीएम मोदी के संविधान पर चर्चा करने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

पीएम मोदी ने अपनी बात की शुरुआत तो वैसे नए साल की शुभकामनाओं से की लेकिन उन्होंने कहा कि नए साल के साथ ही हमारे संविधान को लागू हुए पूरे 75 साल हो जाएंगे, ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है.

हर तरीके से कसौटी पर खरा उतरा संविधान- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 2025 बस अब तो आ ही गया है. 2025 में 26 जनवरी को संविधान लागू हुए 75 साल पूरे हो रहे हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात हैं. पीएम मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट है. हमारा मार्गदर्शक है. संविधान की वजह से ही आज में आपसे बात कर पा रहा हूं.संविधान निर्माताओं ने हमें जो सौंपा है वो हर तरीके से कसौटी पर खरा उतरा है.

संविधान से जोड़ने के लिए बनाई गई एक वेबसाइट

उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट भी बनाई गई है. इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं, अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इससे आप संविधान के बारे में सवाल भी पूछ सकते हैं. मन की बात के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस वेबसाइट पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें.

संविधान समय की हर कसौटी पर खरा उतरा', मन की बात कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

डेस्क : पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में अपना संबोधन दे रहे हैं। उन्होंने संविधान दिवस और महाकुंभ का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2025 में 26 जनवरी को देश में संविधान को लागू हुए 75 साल होने जा रहे हैं जो हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वह समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है। संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट है और हमारा मार्गदर्शक है।

उन्होंने कहा कि संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट भी बनाई गई है। इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं। अलग-अलग भाषाओं में संविधान को पढ़ने के साथ ही संविधान से जुड़े सवाल भी पूछ सकते हैं। पीएम मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया वे इस वेबसाइट को जरूर देखें और इसका हिस्सा बनें।

पीएम मोदी ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी विशेषता केवल इसकी विशालता में नहीं है बल्कि इसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराए, सैकड़ों संप्रदाय, अनेक अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बन सकता है। कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है। कोई बड़ा छोटा नहीं होता है। अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा।

संविधान पर आज राज्यसभा में होगी चर्चा, सदन में हंगामे के आसार, 'एक देश, एक चुनाव' बिल टला
#rajya_sabha_debate_on_constitution
* संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा पूरी होने के बाद अब सभी की निगाहें उच्च सदन पर हैं। राज्‍यसभा में दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत आज होने जा रही है। राज्यसभा में आज और 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा होनी है। इससे पहले दो दिनों तक लोकसभा में इसपर चर्चा हो चुकी है। दो दिनों तक चलने वाली इस चर्चा की शुरुआत बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। पहले इसकी शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा करने वाले थे, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर होने की वजह से क्रम में बदलाव करना पड़ा है। विपक्ष की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जु खरेगे चर्चा की शुरू कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को चर्चा में हिस्सा लेंगे। *पक्ष-विपक्ष से ये नेता करेंगे चर्चा* बीजेपी के तरफ से राज्यसभा में संविधान पर बोलने वाले नेताओं में हरदीप पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेंद्र नागर, घनश्याम तिवारी और बृजलाल का नाम भी शामिल है। बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसदों को दोनों दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से संविधान पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुकुल वासनिक और अभिषेक मनु सिंघवी बोलेंगे। माना जा रहा है कि आज और कल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होने वाली है, जहां विपक्ष सभापति के खिलाफ आक्रामक है। *लोकसभा में संविधान पर जबरदस्त बहस* इससे पहले लोकसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा पर जबरदस्त चर्चा हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन कोई बड़ा व्यवधान या स्थगन नहीं हुआ। पिछले सप्ताह कांग्रेस और बीजेपी में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से कथित संबंधों और अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्यसभा में चर्चा अलग स्तर पर हो सकती है। विपक्ष के एक नेता ने कहा कि जिस तरह जॉर्ज सोरोस, अडानी और उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के विपक्ष के नोटिस जैसे मुद्दों पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस हुई, उससे यह संभव है कि ये मुद्दे संविधान पर चर्चा के दौरान भी शामिल हो सकते हैं। *'एक देश,एक चुनाव' टला* वहीं, 'एक देश, एक चुनाव' से जुड़े विधेयकों को लोकसभा में पेश करने का काम सरकार ने वित्तीय कामकाज पूरा होने के बाद तक के लिए टाल दिया है। पहले संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किए गए थे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सोमवार को सूचीबद्ध पहले दौर की अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन से पारित करने के बाद उक्त विधेयकों को पेश किया जा सकता है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी संशोधित कार्यसूची में सोमवार के एजेंडे में दोनों विधेयक शामिल नहीं हैं। हालांकि लोकसभा स्पीकर की अनुमति से अनुपूरक कार्यसूची के माध्यम से सरकार अंतिम समय में भी हमेशा ही विधायी एजेंडा जोड़ सकती है।कार्यवाही के नियमों के अनुसार 'एक देश, एक चुनाव' को अमल में लाने से जुड़े दोनों विधेयकों की प्रतियां पिछले सप्ताह ही लोकसभा सदस्यों में वितरित कर दी गई थीं।
लोकसभा में आज शाम पीएम मोदी का संबोधन, संविधान पर चर्चा का देंगे जवाब

#parliament_winter_session_pm_modi_reply_to_debate_on_constitution

देश में संविधान के 75 साल पूरे होने पर संसद में चर्चा हो रही है। संविधान पर चर्चा के दौरान आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देंगे। पीएम मोदी से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी लोकसभा में बोलेंगे। प्रधानमंत्री का भाषण शाम चार बजे के करीब होगा, जबकि राहुल गांधी का संबोधन करीब दो बजे के आसपास होगा।

लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है। लोकसभा में 13 दिसंबर से दो दिवसीय संविधान पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को इस चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपने-अपने भाषण दिए। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में संविधान के एतिहासिक महत्व और देश के शासन को आकार देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि ये देश भय से नहीं चल सकता।

राजनाथ सिंह करीब एक घंटे से ज्यादा वक्त तक भाषण दिया था। संविधान पर चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं है बल्कि यह देश की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। संविधान से हमें सरकार चुनने का अधिकार मिला। संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्जा दिया। संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए। हमारा संविधान सर्व सक्षम है। संविधान निर्माण से जुड़े महापुरुषों को नमन करता हूं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।

राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर वार

अपने भाषण में रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के संविधान का निर्माण केवल एक विशेष राजनीतिक दल ने नहीं किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन किया गया।कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जब देश के पीएम थे,तो उस समय लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के वक्त 7 बार संविधान में बदलाव किया गया।

प्रियंका गांधी ने सत्ता पक्ष पर किया पलटवार

वहीं, लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा।लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण, सत्ता पक्ष पर भड़कीं, जानें क्या कहा

#priyankagandhispeechonconstitutioninlok_sabha

लोकसभा में संविधान पर चर्चा जारी है। संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहला भाषण दिया। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा। संसद में दिए अपने पहले ही भाषण में वाड्रा महफिल लूट ली गईं। विपक्षी सदस्यों ने भाषण के दौरान बार-बार मेजें थपथपाई।

संविधान केवल दस्तावेज नहीं...-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत हजारों साल पुरानी संवाद और चर्चा की परंपरा वाला देश है। हमारी संस्कृति में वाद-विवाद और संवाद की गहरी जड़ें हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समाजों में भी दिखाई देती हैं। इसी परंपरा से प्रेरित होकर हमारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। यह आंदोलन लोकतांत्रिक था, जिसमें हर वर्ग ने हिस्सा लिया। इसी संघर्ष से उभरी एक सामूहिक आवाज, जिसने हमारे संविधान का रूप लिया। यह संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह न्याय, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं का दीपक है।

उन्नाव, हाथरस की घटनाओं का किया उल्लेख

प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सब के बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण बाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया, उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।

संविधान रूपी सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया-प्रियंका गांधी

लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

पंडित नेहरू का नाम लेकर सत्ता पक्ष को घेरा

प्रियंका गांधी ने कहा कि 'आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। सत्ता पक्ष ने भी इसका जिक्र इसलिए किया ताकि आम चुनाव के ऐसे नतीजे आए। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई तो सत्ता पक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई। संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। भूमि सुधार किया, जिनका नाम लेने से आप झिझकते हैं, उन्होंने (पंडित नेहरू) ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों , भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अडानी के नाम पर सरकार को घेरा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रिंका गांधी ने कहा कि पहले संसद चलती थी कि लोगों की उम्मीद होती थी कि संसद मुद्दों पर चर्चा करेगी, कोई आर्थिक नीति बनेगी तो उनकी भलाई होगी। आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।

ईडी-सीबीआई और आईटी की जिक्र

सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए देश की एकता को भी ताक पर रखा जा रहा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं, लेकिन संविधान कहता है कि देश एक है और एक ही रहेगा। जहां खुला संवाद और अभिव्यक्ति का कवच होता था, वहां इन्होंने भय का माहौल पैदा किया। इस देश की जनता ने निडर होकर देश की सत्ता को ललकारा, उन्हें चेतावनी दी, उनसे जवाब मांगा। इस देश के घर-घर, गली-मोहल्ले और न्यायपालिका में चर्चाएं कभी बंद नहीं हुईं, लेकिन आज जनता को सच बोलने से डराया-धमकाया जाता है। सभी का मुंह बंद कराया जाता है, किसी पर ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर फर्जी मुकदमे लगाए जाते हैं।

देश भय से नहीं चल सकता-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।

लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा, प्रियंका गांधी विपक्षी खेमे से करेंगी बहस की शुरुआत, संसद में होगा पहला भाषण

#priyankagandhispeechinloksabhaonconstitutionparliamentsession

देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 16 दिसंबर को बहस की शुरुआत करेंगे। 17 को पीएम मोदी राज्यसभा में बहस का जवाब देंगे। लोकसभा के एजेंडे के अनुसार, संविधान पर विशेष चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा की शुरुआत कर सकती हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे बहस शुरू करेंगे।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला भाषण

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा आज यानी 13 दिसंबर को पहली बार संसद में बोलेंगी और विपक्षी खेमे से बहस की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी का यह लोकसभा में पहला भाषण होगा। इस दौरान संभावना है कि वो संविधान को लेकर हो रही चर्चा में कई अहम मुद्दे उठाएंगी। प्रियंका गांधी से पहले संभावना थी कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू करेंगे, लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं। प्रियंका गांधी ने भी वायनाड के उपचुनाव में कई बार संविधान का मुद्दा उठाया है, इसी के बाद आज पहली बार होगा जब वो लोकसभा में संविधान को लेकर बात करेंगी।

प्रधानमंत्री ने की रणनीतिक बैठक

दो दिवसीय बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। शाह ने इससे पूर्व संसद स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

भाजपा व कांग्रेस ने जारी किया तीन लाइन का व्हिप

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए ‘तीन लाइन व्हिप’ नोटिस जारी किया है। इसमें उनसे 13 व 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने सभी सदस्यों से सदन में उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।

एनडीए के ये सांसद चर्चा में लेंगे हिस्‍सा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 12 सांसदों के संविधान पर चर्चा में भाग लेने की खबर सामने आ रही है। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, एलजेपी से शांभवी चौधरी, आरएलडी से राजकुमार सांगवान, एचएएम से जीतन राम मांझी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल और जेडीयू से राजीव रंजन सिंह चर्चा में हिस्‍सा ले सकते हैं।

विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद

कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद बहस में शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी और शशि थरूर हो सकते हैं। डीएमके की ओर से टीआर बालू और ए राजा, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और मोहुआ मोइत्रा बहस में भाग ले सकती हैं।

अब कांग्रेस के कार्यक्रम में अचानक बंद हुआ राहुल गांधी का माइक, संविधान रक्षा पर बोल रहे थे नेता प्रतिपक्ष

#rahulgandhionconstitutiondayspeechmikeshutdown

संविधान दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने तालकटोरा स्टेडियम में एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया था।इस कार्यक्रम को राहुल गांधी संबोधित कर रहे थे। लेकिन संबोधन के बीच में ही उनका माइक बंद हो गया। उनका माइक काफी देर तक बंद रहा। लेकिन जब उनका माइक ठीक हुआ तो उन्होंने कहा कि जितना माइक बंद करना है कर लो मैं फिर भी बोलूंगा। बता दें कि राहुल गांधी कई बार संसद में उनका माइक बंद करने का आरोप लगा चुके हैं। अब खुद उनकी ही पार्टी के कार्यक्रम में माइक बंद होने पर राहुल गांधी भी मुस्कुराते दिखाई दिए।

तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी दलितों और जाति जनगणना की बात कर रहे थे, तभी वहां लाइट चली गई। कुछ देर इंतजार करने के बाद लाइट आने पर राहुल गांधी ने कहा कि ये कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन हमें चुप नहीं करा सकते हैं, मुझे जो बोलना है वो बोलूंगा।उन्होंने कहा कि इस देश में जो भी दलितों और पिछड़ों की बात करता है, उसका माइक इसी तरह से बंद हो जाता है।

मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो...-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो वो रोज जो करते हैं उसे वैसा नहीं करते। इसको किताब का फॉर्म दे रखा है, मगर ये महज किताब नहीं है। हिंदुस्तान की 21 वीं सदी में सोशल एंपावरमेंट की सोच इसी संविधान के अंदर है। इसमें अंबेडकर, फुले, विवेकानंद, बुद्ध आदि जैसे महान विचारकों की सोच आपको मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्या इसमें लिखा है क्या कि किसी के साथ हिंसा करनी चाहिए? क्या किसी को डराने ये हिंदुस्तान का सत्य है और अहिंसा का रास्ता दिखाती है।

जातीय जनगणना की मांग दोहराई

कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग फिर दोहराई। कुछ दिनो पहले तेलंगाना में कास्ट सेंसेस का काम शुरू किया. पहली बार कास्ट सेंसेस को जनता की एक्सरसाइज बना दिया. इसमें लाखों दलित पिछड़े सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। आने वाले समय में जहां भी हमारी सरकार आएगी वहां पर हम जाति जनगणना कराएंगे। अगर हिंदुस्तान में 15 प्रतिशत दलित, 8 प्रतिशत आदिवासी, 10 प्रतिशत अल्पसंख्यक से जुड़ी जनसंख्या है। लेकिन पिछड़े वर्ग के कितने लोग इसमें शामिल हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग 50 प्रतिशत तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को जोड़ लें तो 90 प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं वर्गों से आती है।

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా చంద్రబాబు లోకేష్ శుభాకాంక్షలు

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు, విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు (75th Constitution, Day celebrations) ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ వేడుకలను వైభవంగా నిర్వహించాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వం (AP Govt.,) నిర్ణయించింది. 1949 నవంబరు 26వ తేదీన కానిస్టిట్యుయెంట్ అసెంబ్లీ ఆఫ్ ఇండియా కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియాను అడాప్ట్ చేసుకుంది. 1950 నవంబరు 26 నుండి భారత రాజ్యాంగం (Constitution of India) అమలులోకి వచ్చింది. అమలులోకి వచ్చి నవంబర్ 26వ తేదికి 75 వసంతాలు పూర్తి అవుతున్న సందర్భంగా రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ఘనంగా నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు (CM Chandrababu), విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ (Minister Lokesh) ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

ఈ సందర్బంగా సీఎం చంద్రబాబు మాట్లాడుతూ.. ‘‘భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ నిర్వహించుకునే 'రాజ్యాంగ దినోత్సవం' సందర్భంగా ప్రజలకు నా శుభాకాంక్షలు. డాక్టర్ బాబా సాహెబ్ అంబేద్కర్ నేతృత్వంలో మనం రూపొందించుకున్న భారత రాజ్యాంగం, ప్రపంచ ప్రజాస్వామ్య దేశాలకే దిక్సూచి అనడంలో సందేహం లేదు. భారతదేశంలో ఎన్నో మతాలు, కులాలు, జాతులు కలిసి మనుగడ సాగిస్తున్నాయంటే అది మన రాజ్యాంగం గొప్పతనమే. అంతటి మహత్తరమైన రాజ్యాంగాన్ని మనకు అందించిన డాక్టర్ అంబేద్కర్ మనకు ప్రాత:స్మరణీయుడు. రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా ఆ మహనీయుడికి నా ఘన నివాళి అర్పిస్తున్నాను. రాజ్యాంగ స్ఫూర్తితో ప్రజాస్వామ్యాన్ని కాపాడుకుంటూ సమానత్వంతో కూడిన అభివృద్ధి సాధించడమే లక్ష్యంగా పురోగమిస్తామని రాష్ట్ర ప్రజలకు హామీ ఇస్తున్నాను’’ అని వ్యాఖ్యానించారు.

ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు ఉదయం 11.30 గంటలకు సచివాలయానికి వస్తారు.11.30 గంటలకు సచివాలయంలోని 5వ బ్లాక్‌లో రాజ్యాంగ దినోత్సవంలో పాల్గొంటారు.12.30 గంటలకు ఐటీ పాలసీపై సమీక్ష నిర్వహిస్తారు. సాయంత్రం 6 గంటలకు జీ.ఎస్.డబ్ల్యూ.ఎస్ డిపార్ట్ మెంట్‌పై సమీక్ష జరుపుతారు.

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా మంత్రి నారా లోకేష్ అందరికీ శుభాకాంక్షలు తెలిపారు. ప్రపంచంలోనే అతిపెద్ద ప్రజాస్వామ్యం ఉన్న మనదేశంలో భిన్నత్వంలో ఏకత్వమని, ప్రజల హక్కుల పరిరక్షణ, ప్రజాస్వామ్యస్ఫూర్తిని కాపాడడంలో భారత రాజ్యాంగందే కీలక పాత్ర అని వ్యాఖ్యానించారు. రాజ్యాంగం అమలులోకి వచ్చి 75వ వసంతంలోకి అడుగు పెడుతున్న శుభ సందర్భంలో రాజ్యాంగ నిర్మాతలైన డాక్టర్ బీఆర్ అంబేద్కర్, న్యాయ కోవిదులు, రాజ్యాంగ నిపుణులు, స్వాతంత్య్ర సమరయోధుల సేవలను స్మరించుకోవడం మన కర్తవ్యమని అన్నారు. వచ్చే విద్యా సంవత్సరం నుంచి కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియా ఫర్ చిల్డ్రన్ పేరుతో ప్రత్యేకంగా ఒక పుస్తకం రూపొందించి అందించబోతున్నామని చెప్పారు. ప్రాథమిక హక్కులు, ఇతర అంశాల గురించి విద్యార్థి దశ నుండే సులభంగా అర్ధం అయ్యేలా చెయ్యడమే ఈ పుస్తకం లక్ష్యమని మంత్రి లోకేష్ వెల్లడించారు.

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान का गायब होना: सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलें

#constitution_missing_on_white_house_website

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर अमेरिकी संविधान का पृष्ठ अचानक गायब हो गया, जिससे सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलों का दौर शुरू हो गया। यह घटना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पदभार ग्रहण के बाद घटी, और सोशल मीडिया पर इसे लेकर गंभीर सवाल उठे। इस लेख में हम इस घटना के कारणों, चिंताओं और इसके राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

1. संविधान का गायब होना और प्रतिक्रिया


व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर अमेरिकी संविधान का पृष्ठ अब "404 - पृष्ठ नहीं मिला" त्रुटि के रूप में दिखाई दे रहा है। यह स्थिति यूज़र्स के लिए अप्रत्याशित थी और सोशल मीडिया पर चर्चा का कारण बनी। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे संयोग माना, जबकि अन्य ने इसे ट्रम्प प्रशासन के संविधान के प्रति दृष्टिकोण से जोड़ा।

2. सोशल मीडिया पर अटकलें


इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गईं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे ट्रम्प प्रशासन का संविधान को कमजोर करने का संकेत माना, जबकि अन्य ने इसे एक तकनीकी गलती बताया। व्हाइट हाउस ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, जिससे और भी संदेह उत्पन्न हुआ है।

3. संविधान के प्रति बढ़ती चिंताएँ


व्हाइट हाउस से संविधान का गायब होना राष्ट्रपति ट्रम्प के संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है। जर्मन राजदूत एंड्रियास माइकलिस ने चेतावनी दी थी कि ट्रम्प के कदम संविधान और लोकतांत्रिक जाँच प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं।

4. ट्रम्प का कार्यकारी आदेश


राष्ट्रपति ट्रम्प ने जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसे कई आलोचकों ने असंवैधानिक करार दिया। इस आदेश के बाद, डेमोक्रेटिक राज्यों ने कानूनी कार्रवाई की। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।

5. संविधान के खिलाफ उठती आवाज़ें


ट्रम्प के प्रशासन ने संविधान की कुछ धारा-धाराओं को चुनौती दी है। उनके कार्यकारी आदेश और अन्य निर्णयों को संविधान के खिलाफ माना गया है। व्हाइट हाउस की वेबसाइट से संविधान का गायब होना इस दिशा में एक और कदम हो सकता है।

6. संविधान के प्रति ट्रम्प का दृष्टिकोण


ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से संविधान को लेकर सवाल उठते रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि ट्रम्प इसे कमजोर करने का प्रयास कर सकते हैं। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान का गायब होना इस बात का संकेत हो सकता है कि ट्रम्प प्रशासन संविधान को लेकर अपने दृष्टिकोण में बदलाव कर सकता है।



व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर संविधान के गायब होने की घटना ने ट्रम्प प्रशासन के संविधान के प्रति दृष्टिकोण पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद उठ रही चिंताएँ यह दर्शाती हैं कि नागरिकों को संविधान और लोकतांत्रिक ढांचे की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता हो सकती है। यह देखना जरूरी होगा कि व्हाइट हाउस इस पर क्या स्पष्टीकरण देता है।

संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार, मुआवजे से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
#supreme_court_says_right_to_property_a_constitutional_right
* सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और कानून के अनुसार पर्याप्त मुआवजे का भुगतान किए बिना किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति नहीं ली जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु-मैसूरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान कही। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम, 1978 के कारण संपत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त कर दिया गया, हालांकि यह एक कल्याणकारी राज्य में एक मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना हुआ है।अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से केवल कानून के अधिकार के तहत ही वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के नवंबर 2022 के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दिया गया, जो बेंगलुरु-मैसूर इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट (बीएमआईसीपी) के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित था।सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 2003 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की भूमि का कब्जा ले लिया गया। बेंच ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के बदले कोई मुआवजा नहीं मिला। यह देरी राज्य और केआईएडीबी के अधिकारियों के सुस्तीपूर्ण रवैये के कारण हुई। *जानें क्या है मामला* जनवरी 2003 में, प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने एक अधिसूचना जारी की थी और नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पाया कि प्रोजेक्ट के लिए लोगों की जमीन पर कब्जा किया गया और उन्हें इस के लिए मुआवजा भी नहीं दिया गया। बिना मुआवजे के लोगों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा पिछले 22 साल से इन जमीन मलिकों ने कई बार अदालत के दरवाजे खटखटाए। बेंच ने कहा कि अवमानना कार्यवाही में नोटिस जारी होने के बाद ही, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (एसएलएओ) ने 22 अप्रैल, 2019 को अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य का निर्धारण करने के लिए 2011 में प्रचलित दिशानिर्देश मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा निर्धारित किया गया था। *मुआवजे में देरी पर कड़ी टिप्पणी* साथ ही कोर्ट ने कहा, अगर साल 2003 के बाजार मूल्य के तहत लोगों को मुआवजा देने की इजाजत दी गई तो यह न्याय का मजाक उड़ाने और अनुच्छेद 300-ए के तहत संवैधानिक प्रावधानों का मजाक बनाने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अदालत की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (SLAO) को निर्देश दिया कि वो 22 अप्रैल 2019 के बाजार मूल्य के हिसाब से लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा दें।
संविधान की वजह से ही आज मैं बात कर पा रहा… मन की बात कार्यक्रम में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 117वें एपिसोड का प्रसारण किया गया. इस कार्यक्रम में उन्होंने संविधान, किसान, कैंसर और AI जैसे मुद्दों पर चर्चा की है. पीएम मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट की तरह है. उन्होंने कहा कि अगर आज में आपसे बात कर पा रहा हूं तो ये संविधान की बदौलत है.

हाल ही में संसद सत्र के दौरान संविधान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने थी. कांग्रेस आरोप लगा रही थी कि बीजेपी ने संविधान का अपमान किया है. तो वहीं बीजेपी कांग्रेस को भी घेरने की कोशिश में लगी हुई थी. मामला इतना बढ़ गया कि संसद सत्र में धक्का-मुक्की तक देखने को मिली. जिसमें 2 सांसद भी घायल हो गए. ऐसे में पीएम मोदी के संविधान पर चर्चा करने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

पीएम मोदी ने अपनी बात की शुरुआत तो वैसे नए साल की शुभकामनाओं से की लेकिन उन्होंने कहा कि नए साल के साथ ही हमारे संविधान को लागू हुए पूरे 75 साल हो जाएंगे, ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है.

हर तरीके से कसौटी पर खरा उतरा संविधान- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 2025 बस अब तो आ ही गया है. 2025 में 26 जनवरी को संविधान लागू हुए 75 साल पूरे हो रहे हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात हैं. पीएम मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट है. हमारा मार्गदर्शक है. संविधान की वजह से ही आज में आपसे बात कर पा रहा हूं.संविधान निर्माताओं ने हमें जो सौंपा है वो हर तरीके से कसौटी पर खरा उतरा है.

संविधान से जोड़ने के लिए बनाई गई एक वेबसाइट

उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट भी बनाई गई है. इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं, अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इससे आप संविधान के बारे में सवाल भी पूछ सकते हैं. मन की बात के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस वेबसाइट पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें.

संविधान समय की हर कसौटी पर खरा उतरा', मन की बात कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

डेस्क : पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में अपना संबोधन दे रहे हैं। उन्होंने संविधान दिवस और महाकुंभ का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2025 में 26 जनवरी को देश में संविधान को लागू हुए 75 साल होने जा रहे हैं जो हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वह समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है। संविधान हमारे लिए गाइडिंग लाइट है और हमारा मार्गदर्शक है।

उन्होंने कहा कि संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट भी बनाई गई है। इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं। अलग-अलग भाषाओं में संविधान को पढ़ने के साथ ही संविधान से जुड़े सवाल भी पूछ सकते हैं। पीएम मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया वे इस वेबसाइट को जरूर देखें और इसका हिस्सा बनें।

पीएम मोदी ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी विशेषता केवल इसकी विशालता में नहीं है बल्कि इसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराए, सैकड़ों संप्रदाय, अनेक अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बन सकता है। कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है। कोई बड़ा छोटा नहीं होता है। अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा।

संविधान पर आज राज्यसभा में होगी चर्चा, सदन में हंगामे के आसार, 'एक देश, एक चुनाव' बिल टला
#rajya_sabha_debate_on_constitution
* संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा पूरी होने के बाद अब सभी की निगाहें उच्च सदन पर हैं। राज्‍यसभा में दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत आज होने जा रही है। राज्यसभा में आज और 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा होनी है। इससे पहले दो दिनों तक लोकसभा में इसपर चर्चा हो चुकी है। दो दिनों तक चलने वाली इस चर्चा की शुरुआत बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। पहले इसकी शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा करने वाले थे, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर होने की वजह से क्रम में बदलाव करना पड़ा है। विपक्ष की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जु खरेगे चर्चा की शुरू कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को चर्चा में हिस्सा लेंगे। *पक्ष-विपक्ष से ये नेता करेंगे चर्चा* बीजेपी के तरफ से राज्यसभा में संविधान पर बोलने वाले नेताओं में हरदीप पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेंद्र नागर, घनश्याम तिवारी और बृजलाल का नाम भी शामिल है। बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसदों को दोनों दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से संविधान पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुकुल वासनिक और अभिषेक मनु सिंघवी बोलेंगे। माना जा रहा है कि आज और कल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होने वाली है, जहां विपक्ष सभापति के खिलाफ आक्रामक है। *लोकसभा में संविधान पर जबरदस्त बहस* इससे पहले लोकसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा पर जबरदस्त चर्चा हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन कोई बड़ा व्यवधान या स्थगन नहीं हुआ। पिछले सप्ताह कांग्रेस और बीजेपी में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से कथित संबंधों और अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्यसभा में चर्चा अलग स्तर पर हो सकती है। विपक्ष के एक नेता ने कहा कि जिस तरह जॉर्ज सोरोस, अडानी और उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के विपक्ष के नोटिस जैसे मुद्दों पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस हुई, उससे यह संभव है कि ये मुद्दे संविधान पर चर्चा के दौरान भी शामिल हो सकते हैं। *'एक देश,एक चुनाव' टला* वहीं, 'एक देश, एक चुनाव' से जुड़े विधेयकों को लोकसभा में पेश करने का काम सरकार ने वित्तीय कामकाज पूरा होने के बाद तक के लिए टाल दिया है। पहले संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किए गए थे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सोमवार को सूचीबद्ध पहले दौर की अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन से पारित करने के बाद उक्त विधेयकों को पेश किया जा सकता है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी संशोधित कार्यसूची में सोमवार के एजेंडे में दोनों विधेयक शामिल नहीं हैं। हालांकि लोकसभा स्पीकर की अनुमति से अनुपूरक कार्यसूची के माध्यम से सरकार अंतिम समय में भी हमेशा ही विधायी एजेंडा जोड़ सकती है।कार्यवाही के नियमों के अनुसार 'एक देश, एक चुनाव' को अमल में लाने से जुड़े दोनों विधेयकों की प्रतियां पिछले सप्ताह ही लोकसभा सदस्यों में वितरित कर दी गई थीं।
लोकसभा में आज शाम पीएम मोदी का संबोधन, संविधान पर चर्चा का देंगे जवाब

#parliament_winter_session_pm_modi_reply_to_debate_on_constitution

देश में संविधान के 75 साल पूरे होने पर संसद में चर्चा हो रही है। संविधान पर चर्चा के दौरान आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देंगे। पीएम मोदी से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी लोकसभा में बोलेंगे। प्रधानमंत्री का भाषण शाम चार बजे के करीब होगा, जबकि राहुल गांधी का संबोधन करीब दो बजे के आसपास होगा।

लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है। लोकसभा में 13 दिसंबर से दो दिवसीय संविधान पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को इस चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपने-अपने भाषण दिए। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में संविधान के एतिहासिक महत्व और देश के शासन को आकार देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि ये देश भय से नहीं चल सकता।

राजनाथ सिंह करीब एक घंटे से ज्यादा वक्त तक भाषण दिया था। संविधान पर चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं है बल्कि यह देश की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। संविधान से हमें सरकार चुनने का अधिकार मिला। संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्जा दिया। संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए। हमारा संविधान सर्व सक्षम है। संविधान निर्माण से जुड़े महापुरुषों को नमन करता हूं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।

राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर वार

अपने भाषण में रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के संविधान का निर्माण केवल एक विशेष राजनीतिक दल ने नहीं किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन किया गया।कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जब देश के पीएम थे,तो उस समय लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के वक्त 7 बार संविधान में बदलाव किया गया।

प्रियंका गांधी ने सत्ता पक्ष पर किया पलटवार

वहीं, लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा।लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण, सत्ता पक्ष पर भड़कीं, जानें क्या कहा

#priyankagandhispeechonconstitutioninlok_sabha

लोकसभा में संविधान पर चर्चा जारी है। संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहला भाषण दिया। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा। संसद में दिए अपने पहले ही भाषण में वाड्रा महफिल लूट ली गईं। विपक्षी सदस्यों ने भाषण के दौरान बार-बार मेजें थपथपाई।

संविधान केवल दस्तावेज नहीं...-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत हजारों साल पुरानी संवाद और चर्चा की परंपरा वाला देश है। हमारी संस्कृति में वाद-विवाद और संवाद की गहरी जड़ें हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समाजों में भी दिखाई देती हैं। इसी परंपरा से प्रेरित होकर हमारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। यह आंदोलन लोकतांत्रिक था, जिसमें हर वर्ग ने हिस्सा लिया। इसी संघर्ष से उभरी एक सामूहिक आवाज, जिसने हमारे संविधान का रूप लिया। यह संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह न्याय, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं का दीपक है।

उन्नाव, हाथरस की घटनाओं का किया उल्लेख

प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सब के बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण बाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया, उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।

संविधान रूपी सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया-प्रियंका गांधी

लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

पंडित नेहरू का नाम लेकर सत्ता पक्ष को घेरा

प्रियंका गांधी ने कहा कि 'आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। सत्ता पक्ष ने भी इसका जिक्र इसलिए किया ताकि आम चुनाव के ऐसे नतीजे आए। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई तो सत्ता पक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई। संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। भूमि सुधार किया, जिनका नाम लेने से आप झिझकते हैं, उन्होंने (पंडित नेहरू) ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों , भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अडानी के नाम पर सरकार को घेरा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रिंका गांधी ने कहा कि पहले संसद चलती थी कि लोगों की उम्मीद होती थी कि संसद मुद्दों पर चर्चा करेगी, कोई आर्थिक नीति बनेगी तो उनकी भलाई होगी। आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।

ईडी-सीबीआई और आईटी की जिक्र

सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए देश की एकता को भी ताक पर रखा जा रहा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं, लेकिन संविधान कहता है कि देश एक है और एक ही रहेगा। जहां खुला संवाद और अभिव्यक्ति का कवच होता था, वहां इन्होंने भय का माहौल पैदा किया। इस देश की जनता ने निडर होकर देश की सत्ता को ललकारा, उन्हें चेतावनी दी, उनसे जवाब मांगा। इस देश के घर-घर, गली-मोहल्ले और न्यायपालिका में चर्चाएं कभी बंद नहीं हुईं, लेकिन आज जनता को सच बोलने से डराया-धमकाया जाता है। सभी का मुंह बंद कराया जाता है, किसी पर ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर फर्जी मुकदमे लगाए जाते हैं।

देश भय से नहीं चल सकता-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।

लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा, प्रियंका गांधी विपक्षी खेमे से करेंगी बहस की शुरुआत, संसद में होगा पहला भाषण

#priyankagandhispeechinloksabhaonconstitutionparliamentsession

देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 16 दिसंबर को बहस की शुरुआत करेंगे। 17 को पीएम मोदी राज्यसभा में बहस का जवाब देंगे। लोकसभा के एजेंडे के अनुसार, संविधान पर विशेष चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा की शुरुआत कर सकती हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे बहस शुरू करेंगे।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला भाषण

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा आज यानी 13 दिसंबर को पहली बार संसद में बोलेंगी और विपक्षी खेमे से बहस की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी का यह लोकसभा में पहला भाषण होगा। इस दौरान संभावना है कि वो संविधान को लेकर हो रही चर्चा में कई अहम मुद्दे उठाएंगी। प्रियंका गांधी से पहले संभावना थी कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू करेंगे, लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं। प्रियंका गांधी ने भी वायनाड के उपचुनाव में कई बार संविधान का मुद्दा उठाया है, इसी के बाद आज पहली बार होगा जब वो लोकसभा में संविधान को लेकर बात करेंगी।

प्रधानमंत्री ने की रणनीतिक बैठक

दो दिवसीय बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। शाह ने इससे पूर्व संसद स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

भाजपा व कांग्रेस ने जारी किया तीन लाइन का व्हिप

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए ‘तीन लाइन व्हिप’ नोटिस जारी किया है। इसमें उनसे 13 व 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने सभी सदस्यों से सदन में उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।

एनडीए के ये सांसद चर्चा में लेंगे हिस्‍सा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 12 सांसदों के संविधान पर चर्चा में भाग लेने की खबर सामने आ रही है। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, एलजेपी से शांभवी चौधरी, आरएलडी से राजकुमार सांगवान, एचएएम से जीतन राम मांझी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल और जेडीयू से राजीव रंजन सिंह चर्चा में हिस्‍सा ले सकते हैं।

विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद

कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद बहस में शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी और शशि थरूर हो सकते हैं। डीएमके की ओर से टीआर बालू और ए राजा, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और मोहुआ मोइत्रा बहस में भाग ले सकती हैं।

अब कांग्रेस के कार्यक्रम में अचानक बंद हुआ राहुल गांधी का माइक, संविधान रक्षा पर बोल रहे थे नेता प्रतिपक्ष

#rahulgandhionconstitutiondayspeechmikeshutdown

संविधान दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने तालकटोरा स्टेडियम में एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया था।इस कार्यक्रम को राहुल गांधी संबोधित कर रहे थे। लेकिन संबोधन के बीच में ही उनका माइक बंद हो गया। उनका माइक काफी देर तक बंद रहा। लेकिन जब उनका माइक ठीक हुआ तो उन्होंने कहा कि जितना माइक बंद करना है कर लो मैं फिर भी बोलूंगा। बता दें कि राहुल गांधी कई बार संसद में उनका माइक बंद करने का आरोप लगा चुके हैं। अब खुद उनकी ही पार्टी के कार्यक्रम में माइक बंद होने पर राहुल गांधी भी मुस्कुराते दिखाई दिए।

तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी दलितों और जाति जनगणना की बात कर रहे थे, तभी वहां लाइट चली गई। कुछ देर इंतजार करने के बाद लाइट आने पर राहुल गांधी ने कहा कि ये कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन हमें चुप नहीं करा सकते हैं, मुझे जो बोलना है वो बोलूंगा।उन्होंने कहा कि इस देश में जो भी दलितों और पिछड़ों की बात करता है, उसका माइक इसी तरह से बंद हो जाता है।

मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो...-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो वो रोज जो करते हैं उसे वैसा नहीं करते। इसको किताब का फॉर्म दे रखा है, मगर ये महज किताब नहीं है। हिंदुस्तान की 21 वीं सदी में सोशल एंपावरमेंट की सोच इसी संविधान के अंदर है। इसमें अंबेडकर, फुले, विवेकानंद, बुद्ध आदि जैसे महान विचारकों की सोच आपको मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्या इसमें लिखा है क्या कि किसी के साथ हिंसा करनी चाहिए? क्या किसी को डराने ये हिंदुस्तान का सत्य है और अहिंसा का रास्ता दिखाती है।

जातीय जनगणना की मांग दोहराई

कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग फिर दोहराई। कुछ दिनो पहले तेलंगाना में कास्ट सेंसेस का काम शुरू किया. पहली बार कास्ट सेंसेस को जनता की एक्सरसाइज बना दिया. इसमें लाखों दलित पिछड़े सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। आने वाले समय में जहां भी हमारी सरकार आएगी वहां पर हम जाति जनगणना कराएंगे। अगर हिंदुस्तान में 15 प्रतिशत दलित, 8 प्रतिशत आदिवासी, 10 प्रतिशत अल्पसंख्यक से जुड़ी जनसंख्या है। लेकिन पिछड़े वर्ग के कितने लोग इसमें शामिल हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग 50 प्रतिशत तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को जोड़ लें तो 90 प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं वर्गों से आती है।

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా చంద్రబాబు లోకేష్ శుభాకాంక్షలు

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు, విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు (75th Constitution, Day celebrations) ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ వేడుకలను వైభవంగా నిర్వహించాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వం (AP Govt.,) నిర్ణయించింది. 1949 నవంబరు 26వ తేదీన కానిస్టిట్యుయెంట్ అసెంబ్లీ ఆఫ్ ఇండియా కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియాను అడాప్ట్ చేసుకుంది. 1950 నవంబరు 26 నుండి భారత రాజ్యాంగం (Constitution of India) అమలులోకి వచ్చింది. అమలులోకి వచ్చి నవంబర్ 26వ తేదికి 75 వసంతాలు పూర్తి అవుతున్న సందర్భంగా రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ఘనంగా నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు (CM Chandrababu), విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ (Minister Lokesh) ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

ఈ సందర్బంగా సీఎం చంద్రబాబు మాట్లాడుతూ.. ‘‘భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ నిర్వహించుకునే 'రాజ్యాంగ దినోత్సవం' సందర్భంగా ప్రజలకు నా శుభాకాంక్షలు. డాక్టర్ బాబా సాహెబ్ అంబేద్కర్ నేతృత్వంలో మనం రూపొందించుకున్న భారత రాజ్యాంగం, ప్రపంచ ప్రజాస్వామ్య దేశాలకే దిక్సూచి అనడంలో సందేహం లేదు. భారతదేశంలో ఎన్నో మతాలు, కులాలు, జాతులు కలిసి మనుగడ సాగిస్తున్నాయంటే అది మన రాజ్యాంగం గొప్పతనమే. అంతటి మహత్తరమైన రాజ్యాంగాన్ని మనకు అందించిన డాక్టర్ అంబేద్కర్ మనకు ప్రాత:స్మరణీయుడు. రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా ఆ మహనీయుడికి నా ఘన నివాళి అర్పిస్తున్నాను. రాజ్యాంగ స్ఫూర్తితో ప్రజాస్వామ్యాన్ని కాపాడుకుంటూ సమానత్వంతో కూడిన అభివృద్ధి సాధించడమే లక్ష్యంగా పురోగమిస్తామని రాష్ట్ర ప్రజలకు హామీ ఇస్తున్నాను’’ అని వ్యాఖ్యానించారు.

ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు ఉదయం 11.30 గంటలకు సచివాలయానికి వస్తారు.11.30 గంటలకు సచివాలయంలోని 5వ బ్లాక్‌లో రాజ్యాంగ దినోత్సవంలో పాల్గొంటారు.12.30 గంటలకు ఐటీ పాలసీపై సమీక్ష నిర్వహిస్తారు. సాయంత్రం 6 గంటలకు జీ.ఎస్.డబ్ల్యూ.ఎస్ డిపార్ట్ మెంట్‌పై సమీక్ష జరుపుతారు.

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా మంత్రి నారా లోకేష్ అందరికీ శుభాకాంక్షలు తెలిపారు. ప్రపంచంలోనే అతిపెద్ద ప్రజాస్వామ్యం ఉన్న మనదేశంలో భిన్నత్వంలో ఏకత్వమని, ప్రజల హక్కుల పరిరక్షణ, ప్రజాస్వామ్యస్ఫూర్తిని కాపాడడంలో భారత రాజ్యాంగందే కీలక పాత్ర అని వ్యాఖ్యానించారు. రాజ్యాంగం అమలులోకి వచ్చి 75వ వసంతంలోకి అడుగు పెడుతున్న శుభ సందర్భంలో రాజ్యాంగ నిర్మాతలైన డాక్టర్ బీఆర్ అంబేద్కర్, న్యాయ కోవిదులు, రాజ్యాంగ నిపుణులు, స్వాతంత్య్ర సమరయోధుల సేవలను స్మరించుకోవడం మన కర్తవ్యమని అన్నారు. వచ్చే విద్యా సంవత్సరం నుంచి కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియా ఫర్ చిల్డ్రన్ పేరుతో ప్రత్యేకంగా ఒక పుస్తకం రూపొందించి అందించబోతున్నామని చెప్పారు. ప్రాథమిక హక్కులు, ఇతర అంశాల గురించి విద్యార్థి దశ నుండే సులభంగా అర్ధం అయ్యేలా చెయ్యడమే ఈ పుస్తకం లక్ష్యమని మంత్రి లోకేష్ వెల్లడించారు.