कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

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पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

*क्या होगा भारत के 'दुश्मन' ट्रूडो का सियासी भविष्य? ट्रंप के सत्ता में आते ही एलन मस्क ने की भविष्यवाणी

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भारत और कनाडा के बीच इन दिनों तनाव चल रहा है। आए दिन कनाडा की तरफ से भारत विरोधी एजेंडा सेट किया जा रहा है। इस बीच अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के साथ कनाडा की मुश्किलें बढ़ने की चर्चा हो रही। इसका संकेत खुद डोनाल्ड ट्रंप के दोस्त एलन मस्क ने दिया है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने अगले साल होने वाले चुनाव में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की है।

अमेरिका के उद्योगपति एलन मस्क ने भारत से पंगा लेने वाले ट्रूडो का पत्ता साफ होने का दावा किया है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भविष्यवाणी की है कि कनाडा में 20 अक्टूबर 2025 में होने वाले चुनाव में जस्टिन ट्रूडो का डाउनफॉल होगा। 

दरअसल, एलन मस्क सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक्टिव रहते हैं। इसी के चलते एक यूजर ने उन्हें टैग करके लिखा, कनाडा को ट्रूडो से छुटकारा पाने के लिए हमें आपकी मदद चाहिए। इस पोस्ट के जवाब में एलन मस्क ने लिखा, आगामी चुनाव में वो सत्ता से चले जाएंगे।

कनाडा में 2025 में होने वाले चुनाव जस्टिन ट्रूडो के लिए काफी अहम है। दरअसल, ट्रूडो साल 2013 से लिबरल पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में यह चुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी। 

मस्क की टिप्पणी संभवतः ट्रूडो की वर्तमान अल्पसंख्यक सरकार की स्थिति से उपजी है, जो उन्हें सत्ता खोने के लिए अधिक संवेदनशील बनाती है। चुनाव में ट्रूडो की लिबरल पार्टी का मुकाबला पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी और जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी सहित अन्य प्रमुख पार्टियों से होगा। ब्लॉक क्यूबेकॉइस और ग्रीन पार्टी भी सीटों के लिए होड़ में होंगी।

भारत से किस बात की 'दुश्मनी' निभा रहे ट्रूडो?

बता दें कि पिछले कई महीनों से भारत के प्रति जस्टिन ट्रूडो का व्यवहार किसी दुश्मन के जैसा है। आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप कनाडा द्वारा भारत के माथे मढ़ने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी बढ़ी है। ताजा मामले में भारत ने गुरुवार को कहा कि कनाडा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनकी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के प्रेस कॉन्फ्रेंस के प्रसारण के कुछ घंटों बाद एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया प्रतिष्ठान को ब्लॉक कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘ऑस्ट्रेलिया टुडे’ के सोशल मीडिया हैंडल और कुछ पेजों को ब्लॉक करने की कनाडा के एक्शन से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति पाखंड की बू आती है।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था?

जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?

भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।।

नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?

भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे।

कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो।

चीन की बढ़ेगी मुश्किल

ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो।

चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी।

पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक

भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?

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कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है।

नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।

क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है।

डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?

जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा।

भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?

कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

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पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

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कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

Khomane Agro: Revolutionizing FMCG and Agro Industries with Tradition and Innovation

Pune, Maharashtra[DATE] – Khomane Agro, a rising star in the Indian FMCG and Agro industries, is making waves with its unique blend of tradition and innovation. Founded in 2022, the company is committed to delivering premium products while empowering farmers and bolstering India's agricultural economy.

Championing Sustainable Practices and Farmer Partnerships

Khomane Agro stands out for its dedication to quality, sustainability, and collaboration. They have forged partnerships with over 10,000 farmers across India, championing organic and fresh ingredient sourcing. The company actively works with visionary farmers who share their passion for innovation and experimentation in crop management practices. This approach ensures not only the highest quality ingredients but also supports sustainable farming methods.

A Fusion of Tradition and Modernity

Khomane Agro isn't just about revolutionizing agricultural practices; they're also redefining the way consumers experience traditional Indian flavors. Their product range offers a delightful fusion of time-tested recipes and modern convenience:

  • Chutneys
  • Masalas
  • Snacks
  • Jaggery
  • Pre-Mixes
  • Cold-Pressed Oils
  • Spices

Spreading the Taste of India

Khomane Agro's success story isn't limited to India. They have established a presence in Canada through their partner Flint Food, making their authentic Indian flavors accessible to a wider audience. With over 200 distributors across Maharashtra alone, Khomane Agro is a leading player in the regional market, and their reach continues to expand.

Contact Information:

Website (India): www.khomaneagro.com 

Website (Canada): http://flintfood.ca/ 

Mobile: 8767306068 

Email:

Canada's Parliament holds a moment of silence in the memory of Khalistani terrorist Hardeep Singh Nijjar on his death anniversary..
Even Pakistan hesitates from doing such activities openly but Canada... Is it officially a terr0rist country?

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स्टडी के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में आई भारी गिरावट, जानें मोहभंग के पीछे की वजह

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भारत और कनाडा के संबंध पहले जैसे नहीं है। निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद से भारत-कनाडा के राजनयिक संबंध तल्ख हो गए हैं।कुछ महीनों पहले दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों में अभी भी सुधार नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास का असर कई सेक्टर्स में दिख रहा है। दोनों देशों के बीच संबंधों में बढ़ती दूरी भारतीय स्टूडेंट्स का रुख भी बदल गया है।पहले हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए कनाडा जाते थे। पर जब से भारत और कनाडा के बीच विवाद हुआ है, तब से पढ़ने के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या में कमी हो गई है।

कनाडा जा कर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 86% तक की कमी आई है।पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच 1 लाख 8 हजार से ज्यादा भारतीय बच्चों को स्टडी परमिट दिया गया। वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के बीच सिर्फ 14, 910 भारतीय बच्चों ने स्टडी परमिट के लिए आवेदन किया। इस तरह छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक गिरावट

कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा- कनाडा की तरफ से भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले स्टडी परमिटों की संख्या में तेजी से गिरावट आई। 2023 की आखिरी तिमाही में ये गिरावट 86 फीसदी तक चली गई। कनाडा में सिख आतंकी की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच हुए राजनयिक विवाद के चलते कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया है। यह संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।

भारत-कनाडा के रिश्ते प्रभावित हुए

मंत्री मार्क मिलर ने कहा, भारत के साथ हमारे रिश्ते प्रभावित हुए हैं और उसके चलते नए आवेदनों को मंजूरी देने की क्षमता भी हमारी आधी ही रह गई है। अब कनाडा के 21 अधिकारी ही भारत में काम कर रहे हैं। भारत का स्टाफ कनाडा में पहले से ही कम था। डिप्लोमैट्स नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को कनाडा में पढ़ाई से जुड़ी कई जानकारियां नहीं मिल पाईं। बता दें कि 18 सितंबर 2023 को कनाडा ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने आरोप को खारिज करते हुए 41 कनाडाई डिप्लोमैट्स को वापस जाने के लिए कहा था। 20 अक्टूबर को कनाडा ने अपने 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को भारत से हटा दिया था।

भारतीय छात्रों के जाने से भरता रहा है कनाडा का खजाना

बता दें कि 2022 में कनाडा जाने वाले कुल छात्रों में 41 फीसदी भारतीय (2,25,835 छात्र) थे। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के जाने से कनाडा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। अनुमान के मुताबिक सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर यानी 16.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होती है। भारतीय राशि में इतनी रकम 13.64 खरब रुपये होती है।

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत पर आरोप लगाया था। वहीं भारत ने इस आरोप को बेबुनियाद और बेतुका बताया था। इसी के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पड़ गई थी।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

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पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

*क्या होगा भारत के 'दुश्मन' ट्रूडो का सियासी भविष्य? ट्रंप के सत्ता में आते ही एलन मस्क ने की भविष्यवाणी

#elonmuskoncanadaspmtrudeauspolitical_future 

भारत और कनाडा के बीच इन दिनों तनाव चल रहा है। आए दिन कनाडा की तरफ से भारत विरोधी एजेंडा सेट किया जा रहा है। इस बीच अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के साथ कनाडा की मुश्किलें बढ़ने की चर्चा हो रही। इसका संकेत खुद डोनाल्ड ट्रंप के दोस्त एलन मस्क ने दिया है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने अगले साल होने वाले चुनाव में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की है।

अमेरिका के उद्योगपति एलन मस्क ने भारत से पंगा लेने वाले ट्रूडो का पत्ता साफ होने का दावा किया है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भविष्यवाणी की है कि कनाडा में 20 अक्टूबर 2025 में होने वाले चुनाव में जस्टिन ट्रूडो का डाउनफॉल होगा। 

दरअसल, एलन मस्क सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक्टिव रहते हैं। इसी के चलते एक यूजर ने उन्हें टैग करके लिखा, कनाडा को ट्रूडो से छुटकारा पाने के लिए हमें आपकी मदद चाहिए। इस पोस्ट के जवाब में एलन मस्क ने लिखा, आगामी चुनाव में वो सत्ता से चले जाएंगे।

कनाडा में 2025 में होने वाले चुनाव जस्टिन ट्रूडो के लिए काफी अहम है। दरअसल, ट्रूडो साल 2013 से लिबरल पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में यह चुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी। 

मस्क की टिप्पणी संभवतः ट्रूडो की वर्तमान अल्पसंख्यक सरकार की स्थिति से उपजी है, जो उन्हें सत्ता खोने के लिए अधिक संवेदनशील बनाती है। चुनाव में ट्रूडो की लिबरल पार्टी का मुकाबला पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी और जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी सहित अन्य प्रमुख पार्टियों से होगा। ब्लॉक क्यूबेकॉइस और ग्रीन पार्टी भी सीटों के लिए होड़ में होंगी।

भारत से किस बात की 'दुश्मनी' निभा रहे ट्रूडो?

बता दें कि पिछले कई महीनों से भारत के प्रति जस्टिन ट्रूडो का व्यवहार किसी दुश्मन के जैसा है। आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप कनाडा द्वारा भारत के माथे मढ़ने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी बढ़ी है। ताजा मामले में भारत ने गुरुवार को कहा कि कनाडा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनकी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के प्रेस कॉन्फ्रेंस के प्रसारण के कुछ घंटों बाद एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया प्रतिष्ठान को ब्लॉक कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘ऑस्ट्रेलिया टुडे’ के सोशल मीडिया हैंडल और कुछ पेजों को ब्लॉक करने की कनाडा के एक्शन से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति पाखंड की बू आती है।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था?

जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?

भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।।

नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?

भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे।

कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो।

चीन की बढ़ेगी मुश्किल

ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो।

चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी।

पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक

भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?

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कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है।

नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।

क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है।

डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?

जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा।

भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?

कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

#canadajustintrudeaugovtcuttingimmigrationby_20-percent

पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

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Walmart Canada

कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

Khomane Agro: Revolutionizing FMCG and Agro Industries with Tradition and Innovation

Pune, Maharashtra[DATE] – Khomane Agro, a rising star in the Indian FMCG and Agro industries, is making waves with its unique blend of tradition and innovation. Founded in 2022, the company is committed to delivering premium products while empowering farmers and bolstering India's agricultural economy.

Championing Sustainable Practices and Farmer Partnerships

Khomane Agro stands out for its dedication to quality, sustainability, and collaboration. They have forged partnerships with over 10,000 farmers across India, championing organic and fresh ingredient sourcing. The company actively works with visionary farmers who share their passion for innovation and experimentation in crop management practices. This approach ensures not only the highest quality ingredients but also supports sustainable farming methods.

A Fusion of Tradition and Modernity

Khomane Agro isn't just about revolutionizing agricultural practices; they're also redefining the way consumers experience traditional Indian flavors. Their product range offers a delightful fusion of time-tested recipes and modern convenience:

  • Chutneys
  • Masalas
  • Snacks
  • Jaggery
  • Pre-Mixes
  • Cold-Pressed Oils
  • Spices

Spreading the Taste of India

Khomane Agro's success story isn't limited to India. They have established a presence in Canada through their partner Flint Food, making their authentic Indian flavors accessible to a wider audience. With over 200 distributors across Maharashtra alone, Khomane Agro is a leading player in the regional market, and their reach continues to expand.

Contact Information:

Website (India): www.khomaneagro.com 

Website (Canada): http://flintfood.ca/ 

Mobile: 8767306068 

Email:

Canada's Parliament holds a moment of silence in the memory of Khalistani terrorist Hardeep Singh Nijjar on his death anniversary..
Even Pakistan hesitates from doing such activities openly but Canada... Is it officially a terr0rist country?

Even Pakistan hesitates from doing such activities openly but Canada... Is it officially a terr0rist country?

स्टडी के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में आई भारी गिरावट, जानें मोहभंग के पीछे की वजह

#indianstudentsskippingcanadaamidpoliticalrow

भारत और कनाडा के संबंध पहले जैसे नहीं है। निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद से भारत-कनाडा के राजनयिक संबंध तल्ख हो गए हैं।कुछ महीनों पहले दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों में अभी भी सुधार नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास का असर कई सेक्टर्स में दिख रहा है। दोनों देशों के बीच संबंधों में बढ़ती दूरी भारतीय स्टूडेंट्स का रुख भी बदल गया है।पहले हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए कनाडा जाते थे। पर जब से भारत और कनाडा के बीच विवाद हुआ है, तब से पढ़ने के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या में कमी हो गई है।

कनाडा जा कर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 86% तक की कमी आई है।पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच 1 लाख 8 हजार से ज्यादा भारतीय बच्चों को स्टडी परमिट दिया गया। वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के बीच सिर्फ 14, 910 भारतीय बच्चों ने स्टडी परमिट के लिए आवेदन किया। इस तरह छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक गिरावट

कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा- कनाडा की तरफ से भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले स्टडी परमिटों की संख्या में तेजी से गिरावट आई। 2023 की आखिरी तिमाही में ये गिरावट 86 फीसदी तक चली गई। कनाडा में सिख आतंकी की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच हुए राजनयिक विवाद के चलते कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया है। यह संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।

भारत-कनाडा के रिश्ते प्रभावित हुए

मंत्री मार्क मिलर ने कहा, भारत के साथ हमारे रिश्ते प्रभावित हुए हैं और उसके चलते नए आवेदनों को मंजूरी देने की क्षमता भी हमारी आधी ही रह गई है। अब कनाडा के 21 अधिकारी ही भारत में काम कर रहे हैं। भारत का स्टाफ कनाडा में पहले से ही कम था। डिप्लोमैट्स नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को कनाडा में पढ़ाई से जुड़ी कई जानकारियां नहीं मिल पाईं। बता दें कि 18 सितंबर 2023 को कनाडा ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने आरोप को खारिज करते हुए 41 कनाडाई डिप्लोमैट्स को वापस जाने के लिए कहा था। 20 अक्टूबर को कनाडा ने अपने 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को भारत से हटा दिया था।

भारतीय छात्रों के जाने से भरता रहा है कनाडा का खजाना

बता दें कि 2022 में कनाडा जाने वाले कुल छात्रों में 41 फीसदी भारतीय (2,25,835 छात्र) थे। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के जाने से कनाडा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। अनुमान के मुताबिक सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर यानी 16.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होती है। भारतीय राशि में इतनी रकम 13.64 खरब रुपये होती है।

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत पर आरोप लगाया था। वहीं भारत ने इस आरोप को बेबुनियाद और बेतुका बताया था। इसी के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पड़ गई थी।