राहुल गांधी मेरे बेहद पास आकर चिल्लाने लगे”,बीजेपी महिला सांसद कोन्याक का दावा, सभापति से की शिकायत

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संसद में हुई धक्का-मुक्की में बीजेपी के दो सांसद घायल हुए हैं। ये मामला यहीं थमता नहीं दिख रहा है।अब नागालैंड की महिला सांसद ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाया है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने उनके साथ बदसलूकी की है। बीजेपी की नागालैंड से सांसद एस फैनोंग कोन्याक ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से शिकायत की है कि राहुल गांधी ने उनके साथ मिसविहेब किया है।

संविधान निर्माता बी आर आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर संसद परिसर में विपक्ष और सत्ताधारी एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हुई। बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी घायल हो गए। पार्टी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर सारंगी को धक्का देने का आरोप लगाया। इस धक्का-मुक्की में भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। अब बीजेपी की राज्यसभा सदस्य एस फैनोंग कोन्याक ने दावा किया कि वह राहुल गांधी के अचानक पास आने और चिल्लाने से असहज महसूस कर रही थीं।

कोन्याक ने सदन में सभापति जगदीप धनखड़ को घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया, विपक्ष के नेता राहुल गांधी करीब आए, मुझे यह पसंद नहीं आया और उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया। आज जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए। मैंने सभापति से भी शिकायत की है। बीजेपी की राज्यसभा सांसद एस फैनोंग कोन्याक ने सभापति को भेजे अपने शिकायती पत्र में कहा, विपक्षी नेता राहुल गांधी ने मेरी गरिमा और आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा, मैं सदन में सुरक्षा की मांग करती हूं।

धनखड़ को लिखे पत्र में बीजेपी सांसद ने लिखा, "मैं, एस. फागनोन कोन्याक, संसद सदस्य (राज्यसभा) माननीय डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की और से किए गए अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही थी। मैं अपने हाथ में एक तख्ती लेकर मकर द्वार की सीढ़ी के ठीक नीचे खड़ी थी। सुरक्षा कर्मियों ने अन्य दलों के माननीय सांसदों के प्रवेश के लिए प्रवेश द्वार पर एक रास्ता बना रखा था। अचानक, विपक्ष के नेता राहुल गांधी अन्य पार्टी सदस्यों के साथ मेरे सामने आ गए, जबकि उनके लिए एक रास्ता बनाया गया था। उन्होंने ऊंची आवाज में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी शारीरिक निकटता इतनी करीब थी कि एक महिला सदस्य होने के नाते मुझे बेहद असहज महसूस हुआय़ मैं भारी मन से और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की निंदा करते हुए एक तरफ हट गई, लेकिन मुझे लगा कि किसी भी संसद सदस्य को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं नागालैंड के एसटी समुदाय से हूं और मैं एक महिला सदस्य हूं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मेरी गरिमा और आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई है। इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी सुरक्षा चाहती हूं।"

इससे पहले राज्यसभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा तथा केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर संसद के प्रवेश द्वार पर बीजेपी की महिला सांसदों के खिलाफ बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। इसके बाद सदन में हंगामा हो गया और हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ गई।

संसद में एक बार के स्थगन के बाद 2 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, बीजेपी की ओर से राहुल गांधी के कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया गया। बीजेपी ने इसके लिए उनसे और कांग्रेस से सदन तथा पूरे देश से माफी की मांग की।

संसद परिसर में धक्का मुक्की, पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर घायल सांसदों से की बात

डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में बड़ा हंगामा हुआ है। भाजपा ने राहुल गांधी पर दो सांसदों को धक्का देकर घायल करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार जारी है। भाजपा ने पार्लियामेंट थाने में इस घटना को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में चोट लगने के बाद भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।

बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, "राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया जिसके बाद मैं नीचे गिर गया। मैं सीढ़ियों के पास खड़ा था जब राहुल गांधी आए और एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया। RML अस्पतपाल के अधिकारी संजय शुक्ला ने कहा है- "हमारे यहाँ दो सांसद आए थे। दोनों को सर में चोट लगी थी और उनका बीपी हाई था। प्रताप सारंगी की उम्र ज्यादा है। उनको इस उम्र में ये चोट ठीक नहीं।"

भाजपा सांसद शिवराज सिंह चौहान ने भी अस्पताल में घायल सासंदों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "...प्रताप चंद्र सारंगी जी को देखकर मन पीढ़ा से भर गया है। संसद के इतिहास का ये काला दिन है। मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दी गई। राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो गुंडागर्दी की है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता..अब वे ऐसी गुंडागर्दी करेंगे...ऐसा आचरण आज तक भारत की संस्कृति इतिहास में देखा नहीं गया..उनके लिए एक पाठशाला में ट्रेनिंग देनी चाहिए कि लोकतंत्र में आचरण कैसा होता है...हम इस गुंडागर्दी की निंदा करते हैं।"

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "मैं विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा आज किए गए कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश करना चाहता हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "हमारे 2 सांसदों को गंभीर चोटें लगी हैं। 4-5 सांसदों ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। मकर द्वार पर आज BJP-NDA सांसदों ने पहली बार प्रदर्शन किया। इनको(विपक्ष) लगा ये उनकी जागीर है... वे भीड़ को चीरते हुए आए। विपक्ष के नेता को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-NDA सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था...राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है।
रवीद्रनाथ महतो फिर बने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष


रांची : सर्वसम्मति से हुआ निर्वाचन अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रविन्द्र नाथ महतो एक बार फिर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।

आज मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया।

अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री Hemant Soren ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

कुल सात प्रस्ताव रबींद्रनाथ महतो को निर्वाचित करने के लिए आए। अन्य प्रस्तावों में मंत्री राधा कृष्ण किशोर, सुरेश पासवान, अरूप चटर्जी, बाबूलाल मरांडी, सरयू राय और जयराम कुमार महतो द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव शामिल थे, जिनका समर्थन विभिन्न विधायकों ने किया।

सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद BJP के प्रदेश अध्यक्ष और धनवार के विधायक Babulal Marandi और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रबींद्रनाथ महतो को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें पदभार ग्रहण कराया।

बताते चलें यह लगातार दूसरी बार है जब रबींद्रनाथ महतो झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं।

धान खरीदी को लेकर BJP का कांग्रेस पर तीखा हमला, शिव रतन शर्मा बोले- छत्तीसगढ़ में हो रही रिकॉर्ड धान खरीदी, कांग्रेसी कर रहे झूठी बयानबाजी
रायपुर-  राजधानी रायपुर के रजबंधा मैदान स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP) जिला कार्यालय एकात्म परिसर में आज प्रथम चरण की संगठन बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान बैठक से जुड़ी जानकारी साझा की, इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के द्वारा धान खरीदी को लेकर दिए जा रहे बयानों पर तीखा हमला किया।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेता झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेताओं द्वारा धान खरीदी में गड़बड़ी और बारदाना की कमी को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी शुरू में बारदाना की कमी की बात कही थी, लेकिन अब वह कह रहे है कि स्थिति में सुधार हो चुका है।” शर्मा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान खरीदी की जा रही है, और विपक्षी दलों का काम सिर्फ भ्रम फैलाना है।
रायपुर में पहले 16 मंडल थे, अब होंगे 20
रायपुर में बीजेपी की प्रथम चरण की संगठन बैठक को प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने बताया कि आज की बैठक में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाग लिया। शिव रतन शर्मा ने बताया कि संगठन पर्व के तहत रायपुर में 2 लाख की जगह 3 लाख सदस्य बनाए गए हैं और 3600 सक्रिय सदस्य बने हैं। उन्होंने कहा, “रायपुर में 16 मंडल थे, अब 20 मंडल होंगे। सभी मंडल के चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
PWD विभाग के निर्माण कार्य पर ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, ग्रामवासियों को मिला कांग्रेस का समर्थन
रायपुर-   राजधानी के ग्राम सांकरा में मनमाने तरीके से निर्माण करने के खिलाफ जनाक्रोश का मामला सामने आया है. ग्रामवासियों ने गांव से लगे हाईवे के डिवाइडर को रातों-रात बंद करने के कारण आज PWD विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया है. आज दोपहर 12 बजे से गांव और रोड के किनारे व्यवसाय करने वाले लोगों ने रिंग रोड नंबर-3 को बंद कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के समर्थन में पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और अनीता योगेंद्र शर्मा भी पहुंची. दोनों ने राजनीतिक कारणों से षड्यंत्रपूर्वक रास्ते को बंद करने का आरोप लगाया ताकि जनता को परेशानी झेलनी पड़े. विरोध के दौरान मौके पर अधिकारियों को जानकारी देकर बुलाया गया. सभी ने मिलकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर रास्ता खोलने की मांग की और जल्द डिवाइडर नहीं तोड़ने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्र के विधायक अनुज शर्मा ने ग्रामीणों को समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है.

इस मौके पर पूर्व विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा और विकास उपाध्याय भी पहुंचे. पूर्व संसद ने शासन प्रशासन पर चोरी छिपे निर्माण कर जनता की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गांव वाले निर्माण से भयभीत भी है और आक्रोशित भी. न सिर्फ डिवाइडर को बंद किया गया बल्कि ढाई फीट के नाली के किनारे भी दीवार बनाया जा रहा है. तीन किमी का रास्ता तय करने के बजाय लोग दीवार कूदकर आने की कोशिश करेंगे और सड़क हादसे का शिकार होंगे.

वहीं पूर्व विधायक उपाध्याय ने पूरे मामले में बीजेपी को आरोपी ठहराया है. उन्होंने कहा कि कैटल कैचर के नाम पर ये पूरा निर्माण अधिकारी कर रहे है. 12 साल से यह रास्ता बना हुआ है, लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन BJP के नेता अपनी हिस्सेदारी और आपसी दुश्मनी में गांव और यहां व्यापार करने वाले लोगों का नुकसान कर रहे है. इन्होंने गौठानों को बंद कर दिया, गायों की व्यवस्था नहीं कर सके और अब कैटल कैचर के नाम पर जनता की सहूलियत के साथ खिलवाड़ कर रहे.

क्या कह रहे अधिकारी

पूर्व विधायक ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश इसे बनाने के लिए बताया जा रहा है, लेकिन आदेश की कॉपी अधिकारी अब तक प्रस्तुत नहीं कर सके हैं. वहीं अधिकारियों का कहना था कि हाल ही में निर्माण हुए डिवाइडर का ग्रामवासी विरोध कर रहे हैं, काम बंद करने की मांग कर रहे है. कलेक्टर को जानकारी दी जाएगी फिर आगे की कार्रवाई होगी.

धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने लोगों को दिया आश्वासन

इस पूरे विरोध के दौरान हाईवे से गुजर रहे विधायक अनुज शर्मा ने भी मौजूद लोगों से मुलाक़ात की. उन्होंने सभी की मांग सुनकर अधिकारियों को निर्माण रोक जानकारी इकट्ठे करके कलेक्टर को देने कहा.

जेसीबी से तोड़ेंगे दीवार, पीडब्ल्यूडी ऑफिस का करेंगे घेराव

वहीं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा है, यदि जल्द से जल्द डिवाइडर तोड़ा नहीं गया तो पूर्व सांसद योगेन्द्र अनीता शर्मा के नेतृत्व में जेसीबी से इस दीवार को तोड़ दिया जाएगा, चक्का जाम किया जाएगा और PWD कार्यालय का घेराव भी किया जाएगा.

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री चुना जाना: बीजेपी के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (CM) के रूप में *देवेंद्र फडणवीस* को चुनने का निर्णय कई रणनीतिक और राजनीतिक कारणों से लिया गया है। यहां वे मुख्य कारण हैं, जो उनके चयन को प्रभावित करते हैं:

1.*सिद्ध नेतृत्व और अनुभव*

देवेंद्र फडणवीस पहले भी 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और उनके कार्यकाल को प्रशासन और अवसंरचना विकास के कई पहलों के लिए सराहा गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे के प्रति गहरी समझ ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया। उनका अनुभव पार्टी के लिए निरंतरता की प्रतीक था।

2. *मजबूत चुनावी समर्थन*

फडणवीस को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मजबूत समर्थन प्राप्त है, खासकर विदर्भ (उनका गृह क्षेत्र) में, जो बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र है। उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से युवाओं में, और एक विकासशील नेता के रूप में उनकी छवि ने उन्हें बीजेपी के लिए आकर्षक उम्मीदवार बना दिया, ताकि राज्य में पार्टी का प्रभाव बनाए रखा जा सके।

3. *स्थिरता और रणनीतिक गठबंधन*

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति अक्सर उतार-चढ़ाव वाली रही है, और 2019 विधानसभा चुनावों के बाद एक जटिल शक्ति-साझाकरण व्यवस्था की आवश्यकता थी। जबकि शिवसेना पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थी, दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर असहमति के कारण गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी को छोटे दलों जैसे एनसीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ मिलकर सरकार बनाने की आवश्यकता पड़ी। इस स्थिति में, फडणवीस का नेतृत्व राज्य में स्थिरता बनाए रखने और गठबंधन सरकार की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

4. *पार्टी के मूल वोट बैंक को आकर्षित करना*

फडणवीस का मुख्यमंत्री के रूप में चयन बीजेपी के प्रयासों के साथ मेल खाता था, जो अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखना चाहती थी, जिसमें शहरी मध्यवर्ग, व्यवसायी समुदाय और मराठा और ओबीसी समुदाय शामिल हैं। महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में ब्राह्मण समुदाय की भूमिका को देखते हुए फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था, ताकि वह जातीय समीकरणों को संतुलित कर सके और व्यापक समर्थन सुनिश्चित कर सके।

5. *महाराष्ट्र के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण*

फडणवीस को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिनके पास महाराष्ट्र के भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण है, खासकर अवसंरचना, औद्योगिक विकास और कृषि सुधारों के क्षेत्रों में। मुंबई मेट्रो, मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट और समृद्धि महामार्ग (एक्सप्रेसवे) जैसी मेगा परियोजनाओं के लिए उनका उत्साह उन्हें शहरी और ग्रामीण विकास दोनों के लिए एक पहचाना हुआ चेहरा बनाता है। अवसंरचना और विकास पर उनका जोर बीजेपी के व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के अनुरूप था।
फडणवीस को बीजेपी के प्रति निष्ठावान और मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाला नेता माना जाता है। पार्टी और उसके विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्थिर विकल्प बना दिया, खासकर उस राज्य में जहां बीजेपी को गठबंधन की गतिशीलताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करनी थी। पार्टी के भीतर संघर्षों को सुलझाने और पार्टी कार्यों को संभालने में उनकी दक्षता ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद नेता बना दिया।

7. *केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन*

फडणवीस को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मजबूत समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से। उनके महाराष्ट्र में जटिल राजनीतिक स्थितियों को संभालने और गठबंधनों को प्रबंधित करने की क्षमता ने यह सुनिश्चित किया कि फडणवीस बीजेपी के लिए शीर्ष पद के लिए प्राथमिक उम्मीदवार बने रहें।

8. *राष्ट्रीय दृष्टिकोण*

राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने का तरीका था। महाराष्ट्र में एक प्रमुख नेता के रूप में, फडणवीस को ऐसे नेता के रूप में देखा गया जो राज्य में क्षेत्रीय दलों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, विशेष रूप से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा। उनका चयन पार्टी की व्यापक रणनीति के तहत किया गया था, जो महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करना और मोदी-शाह की जोड़ी के तहत मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहती थी।

कुल मिलाकर, देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुने जाने का कारण उनका अनुभव, नेतृत्व क्षमता, चुनावी समर्थन, और बीजेपी के राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों के साथ उनका मेल था। उनका चयन पार्टी को एक जटिल राजनीतिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने में मदद करने के साथ-साथ राज्य में अपनी शासन नीति जारी रखने में सहायक साबित हुआ।
ప్రధాని మోదీ సమక్షంలో మహారాష్ట్ర సీఎంగా ఫడ్నవీస్ ప్రమాణ స్వీకారం

ఎట్టకేలకు, మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బీజేపీ సీనియర్ నేత దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ గురువారం సాయంత్రం ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ, ఆంధ్రప్రదేశ్ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు తదితర నాయకులు హాజరయ్యారు. బాలీవుడ్ స్టార్స్, బిజినెస్ టైకూన్స్ కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు.

ముంబైలోని ఆజాద్ మైదానంలో గురువారం జరిగిన భారీ కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ మూడోసారి మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ తో పాటు పలువురు ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు చేపట్టడం ఫడ్నవీస్ కు ఇది మూడోసారి.

ఆజాద్ మైదానంలో జరిగిన కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ముఖ్యమంత్రిగా శివసేన చీఫ్ ఏక్ నాథ్ షిండే, ఎన్సీపీ నేత అజిత్ పవార్ కూడా మహారాష్ట్ర ఉప ముఖ్యమంత్రులుగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఇతర మంత్రులు ఎప్పుడు ప్రమాణ స్వీకారం చేస్తారనే ప్రశ్నకు బీజేపీ (bjp) నేత సుధీర్ ముంగంటివార్ సమాధానమిస్తూ.. అసెంబ్లీ శీతాకాల సమావేశాలు ప్రారంభానికి ముందే కొత్త మంత్రివర్గం ఏర్పాటు అవుతుందన్నారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో ఘన విజయం సాధించిన మహాయుతి కూటమిలోని పార్టీల మధ్య రెండు వారాల తీవ్ర చర్చల తర్వాత కొత్త ప్రభుత్వ ఏర్పాటు జరిగింది. ఇటీవలి మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో మిత్రపక్షాలైన శివసేన, ఎన్సీపీలతో కలిసి బీజేపీ నేతృత్వంలోని మహాకూటమికి 230 సీట్లు సాధించింది. బీజేపీ ఒంటరిగా 132 సీట్లు గెలుచుకుంది.

మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా దేవేంద్ర ఫడణవీస్ ప్రమాణ స్వీకారానికి పలువురు సినీ, రాజకీయ, వ్యాపార, క్రీడా రంగ ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. వారిలో పలువరు కేంద్ర మంత్రులు, ఏపీ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు, బిహార్ సీఎం నితీశ్ కుమార్, పలువురు బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల ముఖ్యమంత్రులు ఉన్నారు. అలాగే, బాలీవుడ్ నుంచి షారూఖ్ ఖాన్, సల్మాన్ ఖాన్, సంజయ్ దత్, మాధురి దీక్షిత్, క్రికెటర్ సచిన్ టెండూల్కర్, ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త కుమార మంగళం బిర్లా కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు. ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త, రిలయన్స్ అధినేత ముకేశ్ అంబానీ సకుటుంబ సపరివారంగా హాజరయ్యారు. అలాగే, ఈ కార్యక్రమానికి సుమారు 40 వేల మంది బీజేపీ మద్దతుదారులు, మతపెద్దలు హాజరయ్యారు.

రెండుసార్లు ముఖ్యమంత్రిగా పనిచేసిన ఫడ్నవీస్ రెండోసారి 2014 నుంచి 2019 వరకు బీజేపీ-శివసేన ప్రభుత్వానికి నాయకత్వం వహించారు. 2019 ఎన్నికల తరువాత, ఉద్ధవ్ ఠాక్రే నేతృత్వంలోని శివసేన సిఎం పదవి కోసం బిజెపితో సంబంధాలు తెంచుకున్నప్పుడు, ఫడ్నవీస్ తిరిగి అజిత్ పవార్ మద్ధతుతో సీఎంగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. అయితే ఎన్సీపీ ఎమ్మెల్యేల నుంచి తగినంత మద్దతు పొందడంలో అజిత్ పవార్ విఫలం కావడంతో ఈ ప్రభుత్వం కేవలం 72 గంటలు మాత్రమే కొనసాగింది. అనంతరం, శివసేనలో చీలిక రావడంతో షిండే నేతృత్వంలోని మహాయుతి ప్రభుత్వంలో ఫడ్నవీస్ డిప్యూటీ సీఎం అయ్యారు.

विनेश फोगाट ने किसानों के ‘दिल्ली कूच’ का किया समर्थन, सरकार से पूछे कई तीखे सवाल


डेस्क: कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट भी किसान आंदोलन के समर्थन में मजबूती से उतर आई हैं। हरियाणा के जींद जिले की जुलाना सीट से विधायक विनेश फोगाट ने 6 दिसंबर को प्रस्तावित ‘दिल्ली कूच’ के लिए किसानों का समर्थन किया है। फोगाट ने कहा है कि यह सिर्फ प्रदर्शन नहीं बल्कि अन्याय के खिलाफ आंदोलन है। उन्होने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि किसान इस बार चुप नहीं बैठेंगे क्योंकि वे अडिग हैं और आंदोलन अभी भी जारी है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर किसानों की MSP की मांग को अनसुना क्यों किया जा रहा है।

X पर अपनी पोस्ट में विनेश फोगाट ने कहा, ‘पिछले 9 महीने से किसान हमारे देश का सड़कों पर है। भारतीय जनता पार्टी मानी हुई मांगों को क्यों पूरा नहीं कर रही है? भारत के किसानों का संघर्ष केवल उनकी आजीविका का नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के भविष्य का सवाल है। फसल का मूल्य तय करने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के बिना हमारे अन्नदाता हर साल घाटे और कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।’ कांग्रेस विधायक ने BJP को चेतावनी देते हुए कहा कि अब किसान चुप नहीं बैठने वाले हैं क्योंकि वे अडिग हैं इसलिए आंदोलन जारी है।

अपनी पोस्ट में विनेश फोगाट ने कहा, ‘6 दिसंबर को लाखों किसान अपने हक और सम्मान की लड़ाई के लिए दिल्ली कूच करेंगे। यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ एक जनांदोलन है।’ उन्होंने पोस्ट में केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार से पूछा, ‘कर्ज से दबे किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?, एमएसपी की मांग क्यों अनसुनी की जा रही है?, अन्नदाता आज भी मेहनत का दाम क्यों नहीं पा रहे हैं?’ कांग्रेस नेता ने किसानों को समर्थन देने के साथ जनता से भी इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सम्मान और हक की लड़ाई है।
समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

राहुल गांधी मेरे बेहद पास आकर चिल्लाने लगे”,बीजेपी महिला सांसद कोन्याक का दावा, सभापति से की शिकायत

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संसद में हुई धक्का-मुक्की में बीजेपी के दो सांसद घायल हुए हैं। ये मामला यहीं थमता नहीं दिख रहा है।अब नागालैंड की महिला सांसद ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाया है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने उनके साथ बदसलूकी की है। बीजेपी की नागालैंड से सांसद एस फैनोंग कोन्याक ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से शिकायत की है कि राहुल गांधी ने उनके साथ मिसविहेब किया है।

संविधान निर्माता बी आर आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर संसद परिसर में विपक्ष और सत्ताधारी एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हुई। बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी घायल हो गए। पार्टी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर सारंगी को धक्का देने का आरोप लगाया। इस धक्का-मुक्की में भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। अब बीजेपी की राज्यसभा सदस्य एस फैनोंग कोन्याक ने दावा किया कि वह राहुल गांधी के अचानक पास आने और चिल्लाने से असहज महसूस कर रही थीं।

कोन्याक ने सदन में सभापति जगदीप धनखड़ को घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया, विपक्ष के नेता राहुल गांधी करीब आए, मुझे यह पसंद नहीं आया और उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया। आज जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए। मैंने सभापति से भी शिकायत की है। बीजेपी की राज्यसभा सांसद एस फैनोंग कोन्याक ने सभापति को भेजे अपने शिकायती पत्र में कहा, विपक्षी नेता राहुल गांधी ने मेरी गरिमा और आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा, मैं सदन में सुरक्षा की मांग करती हूं।

धनखड़ को लिखे पत्र में बीजेपी सांसद ने लिखा, "मैं, एस. फागनोन कोन्याक, संसद सदस्य (राज्यसभा) माननीय डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की और से किए गए अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही थी। मैं अपने हाथ में एक तख्ती लेकर मकर द्वार की सीढ़ी के ठीक नीचे खड़ी थी। सुरक्षा कर्मियों ने अन्य दलों के माननीय सांसदों के प्रवेश के लिए प्रवेश द्वार पर एक रास्ता बना रखा था। अचानक, विपक्ष के नेता राहुल गांधी अन्य पार्टी सदस्यों के साथ मेरे सामने आ गए, जबकि उनके लिए एक रास्ता बनाया गया था। उन्होंने ऊंची आवाज में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी शारीरिक निकटता इतनी करीब थी कि एक महिला सदस्य होने के नाते मुझे बेहद असहज महसूस हुआय़ मैं भारी मन से और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की निंदा करते हुए एक तरफ हट गई, लेकिन मुझे लगा कि किसी भी संसद सदस्य को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं नागालैंड के एसटी समुदाय से हूं और मैं एक महिला सदस्य हूं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मेरी गरिमा और आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई है। इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी सुरक्षा चाहती हूं।"

इससे पहले राज्यसभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा तथा केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर संसद के प्रवेश द्वार पर बीजेपी की महिला सांसदों के खिलाफ बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। इसके बाद सदन में हंगामा हो गया और हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ गई।

संसद में एक बार के स्थगन के बाद 2 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, बीजेपी की ओर से राहुल गांधी के कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया गया। बीजेपी ने इसके लिए उनसे और कांग्रेस से सदन तथा पूरे देश से माफी की मांग की।

संसद परिसर में धक्का मुक्की, पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर घायल सांसदों से की बात

डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में बड़ा हंगामा हुआ है। भाजपा ने राहुल गांधी पर दो सांसदों को धक्का देकर घायल करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार जारी है। भाजपा ने पार्लियामेंट थाने में इस घटना को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में चोट लगने के बाद भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।

बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, "राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया जिसके बाद मैं नीचे गिर गया। मैं सीढ़ियों के पास खड़ा था जब राहुल गांधी आए और एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया। RML अस्पतपाल के अधिकारी संजय शुक्ला ने कहा है- "हमारे यहाँ दो सांसद आए थे। दोनों को सर में चोट लगी थी और उनका बीपी हाई था। प्रताप सारंगी की उम्र ज्यादा है। उनको इस उम्र में ये चोट ठीक नहीं।"

भाजपा सांसद शिवराज सिंह चौहान ने भी अस्पताल में घायल सासंदों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "...प्रताप चंद्र सारंगी जी को देखकर मन पीढ़ा से भर गया है। संसद के इतिहास का ये काला दिन है। मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दी गई। राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो गुंडागर्दी की है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता..अब वे ऐसी गुंडागर्दी करेंगे...ऐसा आचरण आज तक भारत की संस्कृति इतिहास में देखा नहीं गया..उनके लिए एक पाठशाला में ट्रेनिंग देनी चाहिए कि लोकतंत्र में आचरण कैसा होता है...हम इस गुंडागर्दी की निंदा करते हैं।"

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "मैं विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा आज किए गए कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश करना चाहता हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "हमारे 2 सांसदों को गंभीर चोटें लगी हैं। 4-5 सांसदों ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। मकर द्वार पर आज BJP-NDA सांसदों ने पहली बार प्रदर्शन किया। इनको(विपक्ष) लगा ये उनकी जागीर है... वे भीड़ को चीरते हुए आए। विपक्ष के नेता को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-NDA सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था...राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है।
रवीद्रनाथ महतो फिर बने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष


रांची : सर्वसम्मति से हुआ निर्वाचन अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रविन्द्र नाथ महतो एक बार फिर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।

आज मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया।

अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री Hemant Soren ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

कुल सात प्रस्ताव रबींद्रनाथ महतो को निर्वाचित करने के लिए आए। अन्य प्रस्तावों में मंत्री राधा कृष्ण किशोर, सुरेश पासवान, अरूप चटर्जी, बाबूलाल मरांडी, सरयू राय और जयराम कुमार महतो द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव शामिल थे, जिनका समर्थन विभिन्न विधायकों ने किया।

सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद BJP के प्रदेश अध्यक्ष और धनवार के विधायक Babulal Marandi और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रबींद्रनाथ महतो को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें पदभार ग्रहण कराया।

बताते चलें यह लगातार दूसरी बार है जब रबींद्रनाथ महतो झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं।

धान खरीदी को लेकर BJP का कांग्रेस पर तीखा हमला, शिव रतन शर्मा बोले- छत्तीसगढ़ में हो रही रिकॉर्ड धान खरीदी, कांग्रेसी कर रहे झूठी बयानबाजी
रायपुर-  राजधानी रायपुर के रजबंधा मैदान स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP) जिला कार्यालय एकात्म परिसर में आज प्रथम चरण की संगठन बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान बैठक से जुड़ी जानकारी साझा की, इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के द्वारा धान खरीदी को लेकर दिए जा रहे बयानों पर तीखा हमला किया।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेता झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेताओं द्वारा धान खरीदी में गड़बड़ी और बारदाना की कमी को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी शुरू में बारदाना की कमी की बात कही थी, लेकिन अब वह कह रहे है कि स्थिति में सुधार हो चुका है।” शर्मा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान खरीदी की जा रही है, और विपक्षी दलों का काम सिर्फ भ्रम फैलाना है।
रायपुर में पहले 16 मंडल थे, अब होंगे 20
रायपुर में बीजेपी की प्रथम चरण की संगठन बैठक को प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने बताया कि आज की बैठक में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाग लिया। शिव रतन शर्मा ने बताया कि संगठन पर्व के तहत रायपुर में 2 लाख की जगह 3 लाख सदस्य बनाए गए हैं और 3600 सक्रिय सदस्य बने हैं। उन्होंने कहा, “रायपुर में 16 मंडल थे, अब 20 मंडल होंगे। सभी मंडल के चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
PWD विभाग के निर्माण कार्य पर ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, ग्रामवासियों को मिला कांग्रेस का समर्थन
रायपुर-   राजधानी के ग्राम सांकरा में मनमाने तरीके से निर्माण करने के खिलाफ जनाक्रोश का मामला सामने आया है. ग्रामवासियों ने गांव से लगे हाईवे के डिवाइडर को रातों-रात बंद करने के कारण आज PWD विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया है. आज दोपहर 12 बजे से गांव और रोड के किनारे व्यवसाय करने वाले लोगों ने रिंग रोड नंबर-3 को बंद कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के समर्थन में पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और अनीता योगेंद्र शर्मा भी पहुंची. दोनों ने राजनीतिक कारणों से षड्यंत्रपूर्वक रास्ते को बंद करने का आरोप लगाया ताकि जनता को परेशानी झेलनी पड़े. विरोध के दौरान मौके पर अधिकारियों को जानकारी देकर बुलाया गया. सभी ने मिलकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर रास्ता खोलने की मांग की और जल्द डिवाइडर नहीं तोड़ने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्र के विधायक अनुज शर्मा ने ग्रामीणों को समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है.

इस मौके पर पूर्व विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा और विकास उपाध्याय भी पहुंचे. पूर्व संसद ने शासन प्रशासन पर चोरी छिपे निर्माण कर जनता की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गांव वाले निर्माण से भयभीत भी है और आक्रोशित भी. न सिर्फ डिवाइडर को बंद किया गया बल्कि ढाई फीट के नाली के किनारे भी दीवार बनाया जा रहा है. तीन किमी का रास्ता तय करने के बजाय लोग दीवार कूदकर आने की कोशिश करेंगे और सड़क हादसे का शिकार होंगे.

वहीं पूर्व विधायक उपाध्याय ने पूरे मामले में बीजेपी को आरोपी ठहराया है. उन्होंने कहा कि कैटल कैचर के नाम पर ये पूरा निर्माण अधिकारी कर रहे है. 12 साल से यह रास्ता बना हुआ है, लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन BJP के नेता अपनी हिस्सेदारी और आपसी दुश्मनी में गांव और यहां व्यापार करने वाले लोगों का नुकसान कर रहे है. इन्होंने गौठानों को बंद कर दिया, गायों की व्यवस्था नहीं कर सके और अब कैटल कैचर के नाम पर जनता की सहूलियत के साथ खिलवाड़ कर रहे.

क्या कह रहे अधिकारी

पूर्व विधायक ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश इसे बनाने के लिए बताया जा रहा है, लेकिन आदेश की कॉपी अधिकारी अब तक प्रस्तुत नहीं कर सके हैं. वहीं अधिकारियों का कहना था कि हाल ही में निर्माण हुए डिवाइडर का ग्रामवासी विरोध कर रहे हैं, काम बंद करने की मांग कर रहे है. कलेक्टर को जानकारी दी जाएगी फिर आगे की कार्रवाई होगी.

धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने लोगों को दिया आश्वासन

इस पूरे विरोध के दौरान हाईवे से गुजर रहे विधायक अनुज शर्मा ने भी मौजूद लोगों से मुलाक़ात की. उन्होंने सभी की मांग सुनकर अधिकारियों को निर्माण रोक जानकारी इकट्ठे करके कलेक्टर को देने कहा.

जेसीबी से तोड़ेंगे दीवार, पीडब्ल्यूडी ऑफिस का करेंगे घेराव

वहीं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा है, यदि जल्द से जल्द डिवाइडर तोड़ा नहीं गया तो पूर्व सांसद योगेन्द्र अनीता शर्मा के नेतृत्व में जेसीबी से इस दीवार को तोड़ दिया जाएगा, चक्का जाम किया जाएगा और PWD कार्यालय का घेराव भी किया जाएगा.

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

#when3mpofbjpenterinloksabhawith1crorecash

राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री चुना जाना: बीजेपी के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (CM) के रूप में *देवेंद्र फडणवीस* को चुनने का निर्णय कई रणनीतिक और राजनीतिक कारणों से लिया गया है। यहां वे मुख्य कारण हैं, जो उनके चयन को प्रभावित करते हैं:

1.*सिद्ध नेतृत्व और अनुभव*

देवेंद्र फडणवीस पहले भी 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और उनके कार्यकाल को प्रशासन और अवसंरचना विकास के कई पहलों के लिए सराहा गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे के प्रति गहरी समझ ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया। उनका अनुभव पार्टी के लिए निरंतरता की प्रतीक था।

2. *मजबूत चुनावी समर्थन*

फडणवीस को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मजबूत समर्थन प्राप्त है, खासकर विदर्भ (उनका गृह क्षेत्र) में, जो बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र है। उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से युवाओं में, और एक विकासशील नेता के रूप में उनकी छवि ने उन्हें बीजेपी के लिए आकर्षक उम्मीदवार बना दिया, ताकि राज्य में पार्टी का प्रभाव बनाए रखा जा सके।

3. *स्थिरता और रणनीतिक गठबंधन*

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति अक्सर उतार-चढ़ाव वाली रही है, और 2019 विधानसभा चुनावों के बाद एक जटिल शक्ति-साझाकरण व्यवस्था की आवश्यकता थी। जबकि शिवसेना पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थी, दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर असहमति के कारण गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी को छोटे दलों जैसे एनसीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ मिलकर सरकार बनाने की आवश्यकता पड़ी। इस स्थिति में, फडणवीस का नेतृत्व राज्य में स्थिरता बनाए रखने और गठबंधन सरकार की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

4. *पार्टी के मूल वोट बैंक को आकर्षित करना*

फडणवीस का मुख्यमंत्री के रूप में चयन बीजेपी के प्रयासों के साथ मेल खाता था, जो अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखना चाहती थी, जिसमें शहरी मध्यवर्ग, व्यवसायी समुदाय और मराठा और ओबीसी समुदाय शामिल हैं। महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में ब्राह्मण समुदाय की भूमिका को देखते हुए फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था, ताकि वह जातीय समीकरणों को संतुलित कर सके और व्यापक समर्थन सुनिश्चित कर सके।

5. *महाराष्ट्र के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण*

फडणवीस को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिनके पास महाराष्ट्र के भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण है, खासकर अवसंरचना, औद्योगिक विकास और कृषि सुधारों के क्षेत्रों में। मुंबई मेट्रो, मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट और समृद्धि महामार्ग (एक्सप्रेसवे) जैसी मेगा परियोजनाओं के लिए उनका उत्साह उन्हें शहरी और ग्रामीण विकास दोनों के लिए एक पहचाना हुआ चेहरा बनाता है। अवसंरचना और विकास पर उनका जोर बीजेपी के व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के अनुरूप था।
फडणवीस को बीजेपी के प्रति निष्ठावान और मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाला नेता माना जाता है। पार्टी और उसके विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्थिर विकल्प बना दिया, खासकर उस राज्य में जहां बीजेपी को गठबंधन की गतिशीलताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करनी थी। पार्टी के भीतर संघर्षों को सुलझाने और पार्टी कार्यों को संभालने में उनकी दक्षता ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद नेता बना दिया।

7. *केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन*

फडणवीस को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मजबूत समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से। उनके महाराष्ट्र में जटिल राजनीतिक स्थितियों को संभालने और गठबंधनों को प्रबंधित करने की क्षमता ने यह सुनिश्चित किया कि फडणवीस बीजेपी के लिए शीर्ष पद के लिए प्राथमिक उम्मीदवार बने रहें।

8. *राष्ट्रीय दृष्टिकोण*

राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने का तरीका था। महाराष्ट्र में एक प्रमुख नेता के रूप में, फडणवीस को ऐसे नेता के रूप में देखा गया जो राज्य में क्षेत्रीय दलों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, विशेष रूप से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा। उनका चयन पार्टी की व्यापक रणनीति के तहत किया गया था, जो महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करना और मोदी-शाह की जोड़ी के तहत मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहती थी।

कुल मिलाकर, देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुने जाने का कारण उनका अनुभव, नेतृत्व क्षमता, चुनावी समर्थन, और बीजेपी के राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों के साथ उनका मेल था। उनका चयन पार्टी को एक जटिल राजनीतिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने में मदद करने के साथ-साथ राज्य में अपनी शासन नीति जारी रखने में सहायक साबित हुआ।
ప్రధాని మోదీ సమక్షంలో మహారాష్ట్ర సీఎంగా ఫడ్నవీస్ ప్రమాణ స్వీకారం

ఎట్టకేలకు, మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బీజేపీ సీనియర్ నేత దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ గురువారం సాయంత్రం ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ, ఆంధ్రప్రదేశ్ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు తదితర నాయకులు హాజరయ్యారు. బాలీవుడ్ స్టార్స్, బిజినెస్ టైకూన్స్ కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు.

ముంబైలోని ఆజాద్ మైదానంలో గురువారం జరిగిన భారీ కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ మూడోసారి మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ తో పాటు పలువురు ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు చేపట్టడం ఫడ్నవీస్ కు ఇది మూడోసారి.

ఆజాద్ మైదానంలో జరిగిన కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ముఖ్యమంత్రిగా శివసేన చీఫ్ ఏక్ నాథ్ షిండే, ఎన్సీపీ నేత అజిత్ పవార్ కూడా మహారాష్ట్ర ఉప ముఖ్యమంత్రులుగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఇతర మంత్రులు ఎప్పుడు ప్రమాణ స్వీకారం చేస్తారనే ప్రశ్నకు బీజేపీ (bjp) నేత సుధీర్ ముంగంటివార్ సమాధానమిస్తూ.. అసెంబ్లీ శీతాకాల సమావేశాలు ప్రారంభానికి ముందే కొత్త మంత్రివర్గం ఏర్పాటు అవుతుందన్నారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో ఘన విజయం సాధించిన మహాయుతి కూటమిలోని పార్టీల మధ్య రెండు వారాల తీవ్ర చర్చల తర్వాత కొత్త ప్రభుత్వ ఏర్పాటు జరిగింది. ఇటీవలి మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో మిత్రపక్షాలైన శివసేన, ఎన్సీపీలతో కలిసి బీజేపీ నేతృత్వంలోని మహాకూటమికి 230 సీట్లు సాధించింది. బీజేపీ ఒంటరిగా 132 సీట్లు గెలుచుకుంది.

మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా దేవేంద్ర ఫడణవీస్ ప్రమాణ స్వీకారానికి పలువురు సినీ, రాజకీయ, వ్యాపార, క్రీడా రంగ ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. వారిలో పలువరు కేంద్ర మంత్రులు, ఏపీ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు, బిహార్ సీఎం నితీశ్ కుమార్, పలువురు బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల ముఖ్యమంత్రులు ఉన్నారు. అలాగే, బాలీవుడ్ నుంచి షారూఖ్ ఖాన్, సల్మాన్ ఖాన్, సంజయ్ దత్, మాధురి దీక్షిత్, క్రికెటర్ సచిన్ టెండూల్కర్, ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త కుమార మంగళం బిర్లా కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు. ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త, రిలయన్స్ అధినేత ముకేశ్ అంబానీ సకుటుంబ సపరివారంగా హాజరయ్యారు. అలాగే, ఈ కార్యక్రమానికి సుమారు 40 వేల మంది బీజేపీ మద్దతుదారులు, మతపెద్దలు హాజరయ్యారు.

రెండుసార్లు ముఖ్యమంత్రిగా పనిచేసిన ఫడ్నవీస్ రెండోసారి 2014 నుంచి 2019 వరకు బీజేపీ-శివసేన ప్రభుత్వానికి నాయకత్వం వహించారు. 2019 ఎన్నికల తరువాత, ఉద్ధవ్ ఠాక్రే నేతృత్వంలోని శివసేన సిఎం పదవి కోసం బిజెపితో సంబంధాలు తెంచుకున్నప్పుడు, ఫడ్నవీస్ తిరిగి అజిత్ పవార్ మద్ధతుతో సీఎంగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. అయితే ఎన్సీపీ ఎమ్మెల్యేల నుంచి తగినంత మద్దతు పొందడంలో అజిత్ పవార్ విఫలం కావడంతో ఈ ప్రభుత్వం కేవలం 72 గంటలు మాత్రమే కొనసాగింది. అనంతరం, శివసేనలో చీలిక రావడంతో షిండే నేతృత్వంలోని మహాయుతి ప్రభుత్వంలో ఫడ్నవీస్ డిప్యూటీ సీఎం అయ్యారు.

विनेश फोगाट ने किसानों के ‘दिल्ली कूच’ का किया समर्थन, सरकार से पूछे कई तीखे सवाल


डेस्क: कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट भी किसान आंदोलन के समर्थन में मजबूती से उतर आई हैं। हरियाणा के जींद जिले की जुलाना सीट से विधायक विनेश फोगाट ने 6 दिसंबर को प्रस्तावित ‘दिल्ली कूच’ के लिए किसानों का समर्थन किया है। फोगाट ने कहा है कि यह सिर्फ प्रदर्शन नहीं बल्कि अन्याय के खिलाफ आंदोलन है। उन्होने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि किसान इस बार चुप नहीं बैठेंगे क्योंकि वे अडिग हैं और आंदोलन अभी भी जारी है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर किसानों की MSP की मांग को अनसुना क्यों किया जा रहा है।

X पर अपनी पोस्ट में विनेश फोगाट ने कहा, ‘पिछले 9 महीने से किसान हमारे देश का सड़कों पर है। भारतीय जनता पार्टी मानी हुई मांगों को क्यों पूरा नहीं कर रही है? भारत के किसानों का संघर्ष केवल उनकी आजीविका का नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के भविष्य का सवाल है। फसल का मूल्य तय करने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के बिना हमारे अन्नदाता हर साल घाटे और कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।’ कांग्रेस विधायक ने BJP को चेतावनी देते हुए कहा कि अब किसान चुप नहीं बैठने वाले हैं क्योंकि वे अडिग हैं इसलिए आंदोलन जारी है।

अपनी पोस्ट में विनेश फोगाट ने कहा, ‘6 दिसंबर को लाखों किसान अपने हक और सम्मान की लड़ाई के लिए दिल्ली कूच करेंगे। यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ एक जनांदोलन है।’ उन्होंने पोस्ट में केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार से पूछा, ‘कर्ज से दबे किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?, एमएसपी की मांग क्यों अनसुनी की जा रही है?, अन्नदाता आज भी मेहनत का दाम क्यों नहीं पा रहे हैं?’ कांग्रेस नेता ने किसानों को समर्थन देने के साथ जनता से भी इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सम्मान और हक की लड़ाई है।
समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।