कैसे बदलता है सड़क का नाम? तुगलक लेन को विवेकानंद मार्ग करने की चर्चा, BJP नेता ने बदली नेमप्लेट
डेस्क:–दिल्ली की सड़क का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है. जानिए, कैसे बदला जाता है सड़क का नाम, क्या है पूरी प्रक्रिया.
नजफगढ़ को नाहरगढ़ और मोहम्मदपुर को माधवपुर करने के प्रस्ताव के बाद अब दिल्ली की सड़क का नाम बदनने की चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा है तुगलक लेन की. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. हालांकि, इसके साथ तुगलक लेन भी लिखा है.इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है.
हालांकि, इसको लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. इस बीच आइए जान लेते हैं कि किसी भी सड़क का नमा कैसे बदला जाता है, क्या होती है इसकी प्रक्रिया और नियम.
*तो तुगलक लेन बनेगा स्वामी विवेकानंद मार्ग?*
सड़कों का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है, इसे दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं. किसी भी रोड का नाम बदलने की मांग कोई भी इंसान, संगठन या सरकारी निकाय कर सकता है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार करना होगा उसे सम्बंधित नगर पालिका या अथॉरिटी को देना होगा जिसके तहत वो सड़क आती है. दिल्ली में यह प्रस्ताव NDMC या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के पास जमा करना होगा.
NDMC के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के केंद्रीय और महत्वपूर्ण क्षेत्र आते हैं. इसमें संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थानों वाली लुटियंस दिल्ली आती है.
*कैसे आगे बढ़ता है नाम बदलने का प्रस्ताव?*
अगर तुगलक लेन का नाम बदलने का प्रस्ताव NDMC तक पहुंचता है तो पहले काउंसिल में इसकी चर्चा होगी. काउंसिल में 14 सदस्य होते हैं. 13 मेम्बर और 1 चेयरपर्सन. अगर सहमति बनती है तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. हालांकि, नाम बदलेगा या नहीं, यह इस बात पर भी निर्भर होता है कि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व कितना है. इस आधार पर काउंसिल मुहर लगाती है.
सम्बंधित नगरपालिका या प्राधिकरण से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजा जाएगा. इस विभाग की रोड नेमिंग अथॉरिटी नाम बदलने की मंजूरी पर फैसला लेगी. इसके बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. मंजूरी के बाद आदेश जारी होता है. इसे पोस्टमास्टर जनरल दिल्ली को भेजा जाएगा. इस तरह डाक सेवाओं में इस बदले हुए नाम को अपडेट किया जाएगा. फिर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित करके हमेशा के लिए इसका नाम बदल जाएगा. इस तरह पर इस पर कानूनी रूप से मुहर लग जाती है.
*किसके पास कौन सी जिम्मेदारी?*
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में नई दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र हैं. इसमें लुटियंस जोन भी आता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) के पास दिल्ली के अधिकांश हिस्से हैं. वहीं, दिल्ली छावनी परिषद के पास कैंट एरिया है.
*क्या बोले BJP सांसद डॉ. दिनेश शर्मा?*
इस पूरे मामले में भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है, गूगल पर इस सड़क का नाम स्वामी विवेकानंद मार्ग के रूप में दर्ज है. उनका कहना है, जब कर्मचारियों ने मुझसे पूछा कि नेमप्लेट पर सड़क का नाम क्या लिखना है तो मैंने कहा आसपास जो नाम लिखा है वो लिख दो. आसपास के वरिष्ठ लोगों की नेमप्लेट में स्वामी विवेकानंद मार्ग और तुगलक लेन दोनों ही लिखा था. इसलिए नेमप्लेट में वही लिखा गया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा, किसी भी सड़क का नाम बदलने का अधिकार सांसद के पास नहीं होता, यह मैं जानता हूं. 11 सालों तक मैं खुद महापौर रहा हूं.
Mar 10 2025, 21:29