बुढ़नपुर में गूँजी शौर्य गाथा—वीर शहीदों के बलिदान को नमन, राष्ट्रधर्म और एकता पर आचार्य शान्तनु जी का प्रखर वक्तव्य
आजमगढ़ जिले के बुढ़नपुर नगर पंचायत में देर शाम आयोजित “शौर्य गाथा कार्यक्रम” में देशभक्ति और राष्ट्रगौरव की अद्भुत छटा देखने को मिली। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पहुँचे आचार्य शान्तनु जी महाराज ने हजारों लोगों के बीच स्वतंत्रता संग्राम के वीर अमर शहीदों—भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत राय सहित अनेक क्रांतिकारियों के अतुलनीय बलिदान को याद किया। मंच से संबोधित करते हुए आचार्य शान्तनु जी महाराज ने कहा कि देश आज जिन महान ऊँचाइयों पर खड़ा है, उसकी नींव इन महापुरुषों के त्याग, तपस्या और बलिदान से मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास केवल पढ़ने की चीज नहीं, बल्कि आत्मा में बसाने योग्य प्रेरणा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू संस्कृति पर विस्तृत चर्चाआचार्य जी ने हिंदू संस्कृति की रक्षा और राष्ट्रनिर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ ने देशभर में समाज को संगठित करने और सांस्कृतिक मूल्यों को जीवित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्रभावना को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को कई बार गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसके कारण कई पीढ़ियाँ अपने वास्तविक गौरव से वंचित रह गईं।“देशहित सर्वोपरि”—आचार्य का संदेशअपने वक्तव्य में आचार्य शान्तनु जी महाराज ने कहा कि देशहित से बड़ा कोई धर्म नहीं। राष्ट्र के प्रति निष्ठा और स्वाभिमान ही प्रत्येक नागरिक की पहली जिम्मेदारी है। समाज और देश को कमजोर करने वाली प्रवृत्तियों से सतर्क रहने का संदेश देते हुए उन्होंने सामाजिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता पर बल दिया। गणमान्यों की रही उपस्थिति, उमड़ा जनसैलाब कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद राजभर, अभिषेक सिंह, विक्रम बहादुर सिंह, जयनाथ सिंह, पशुपति नाथ सिंह, रुद्र प्रकाश शर्मा, महेश सिंह, रिशू सिंह सहित क्षेत्र के कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे। नगर पंचायत परिसर जनसेवा, राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक गौरव के नारे से देर रात तक गूँजता रहा। शौर्य गाथा कार्यक्रम ने बुढ़नपुर में न केवल स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को पुनर्जीवित किया, बल्कि लोगों में राष्ट्र प्रेम, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता की नई अलख भी जगाई।
Dec 11 2025, 11:20
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