*साहित्य : "अवनि से अम्बर तक" एक गहन आत्मकथात्मक रचना है, जो एक संकल्पशील आत्मा की यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है*
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मीरजापुर। अक्सर लोग हालात और परेशानी को बेड़ियां बनाकर सबकुछ भाग्य भरोसे बैठ जाते हैं और कहते सुने जाते हैं कि क्या करें भाग्य में यही लिखा था। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक गंभीर बीमारी की जकड़ में आने के बाद भी संदीप कुमार शुक्ल ने अपनी परेशानी बीमारी को बंधन नहीं बनाया, बल्कि समाज को दशा और दिशा प्रदान करने के क्रम में स्वआत्मलोकन करते हुए 'अवनि से अंबर तक' पुस्तक का लेखन कर ग्रामीण परिवेश, पारिवारिक जीवन, शहरी आबो-हवा को रेखांकित कर अपने जीवन सफर का बड़े ही खूबसूरत ढंग से वर्णन किया है। यह पुस्तक न केवल समाज के उन लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करती है जो जरा सी भी उंचाई पाते ही अपनों को यहां तक की अपने नैतिक मूल्यों को भी भूल बैठते हैं।
पेशे से शिक्षक संदीप कुमार
"अवनि से अम्बर" (तल तक चलता चल) संदीप कुमार शुक्ल द्वारा लिखित एक गहन आत्मकथात्मक रचना है, जो केवल एक व्यक्ति की जीवनयात्रा का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक संकल्पशील आत्मा की यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। लेखक ने अपने जीवन के साठ वर्षों के अनुभवों को शब्दों में इस प्रकार पिरोया है कि यह पुस्तक एक प्रेरणा स्रोत के रूप में उभरती है।
पुस्तक की विषयवस्तु लेखक के बचपन से लेकर उनकी सेवानिवृत्ति तक की जीवन-यात्रा को समेटे हुए है। इसमें ग्रामीण परिवेश, पारिवारिक संघर्ष, शिक्षा प्राप्ति की कठिनाइयाँ, सामाजिक जागरूकता, और शिक्षकीय जीवन की घटनाओं का सिलसिलेवार उल्लेख किया गया है। लेखक न केवल अपने निजी और सांसारिक जीवन के अनुभव साझा करते हैं, बल्कि प्रत्येक पाठक को यह महसूस कराते हैं कि 'संघर्ष से ही सफलता की राह बनती है।
गौरतलब हो कि अवनि से अंबर तक पुस्तक के लेखक
संदीप कुमार शुक्ल मिर्ज़ापुर नगर के निवासी तथा राजकीय हाईस्कूल रामपुर वासिद अली लालगंज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रहें हैं। उनकी इस पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए साहित्य पत्रकारिता तथा शिक्षा विभाग से नाता रखने वाले उच्चाधिकारियों ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए संदीप कुमार शुक्ल के लेखन शैली और उनके विचारों को सराहा है।
Aug 03 2025, 17:42