अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तर प्रदेश में संस्कृति और योग का अनूठा संगम
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प्रदेशभर में योग, वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान और सांस्कृतिक आयोजनों की धूम
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग एवं अधीनस्थ संस्थानों द्वारा 16 से 21 जून तक प्रदेशव्यापी विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला आरंभ की गई है। यह आयोजन योग, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों के समन्वय से प्रदेश में समग्र चेतना और संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक अभिनव पहल है।
संस्कृति विभाग के अनुसार, योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि भारत की गहन सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत स्वरूप है, जिसे उत्तर प्रदेश की पावन भूमि- काशी, अयोध्या, चित्रकूट और प्रयागराज- ने सदियों से पोषित किया है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के संगीत, नाटक, ललित कला, पुस्तकालय और संग्रहालय संस्थान एकजुट होकर योग के जनजागरण अभियान को सशक्त स्वरूप दे रहे हैं।
लखनऊ में पंचदिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में 17 जून को वृक्षारोपण और 'योग विज्ञान' विषयक परिचर्चा से पंचदिवसीय आयोजन का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में चंदन, पारिजात, आँवला आदि औषधीय पौधों का रोपण किया गया। योगाचार्य कृष्णदत्त मिश्रा और डॉ. अरुण बरारी ने योग एवं पर्यावरण की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। 19 जून को प्रातः 6 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क में 'प्रकृति के सानिध्य में योग' विषय पर खुला योग सत्र आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 20 जून को सामूहिक पदयात्रा का आयोजन होगा।
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की भागीदारी
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा 16 जून को विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया जिसमें कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने स्वयं भाग लिया। 17–18 जून को 'ज्ञान और अनुभव का संगम: योग' विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया।
आगामी कार्यक्रमों में 19 जून को 'विरासत से विकास में योग की भूमिका' पर परिचर्चा, वृक्ष-वनस्पति प्रदर्शनी, और योग प्रतियोगिताएँ होंगी। 20 जून को 'योग मैराथन', सूर्य नमस्कार प्रशिक्षण, और गर्भवती महिलाओं के लिए पारिवारिक संवाद जैसे विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं। 21 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टैंडर्ड योग प्रोटोकॉल के अंतर्गत सामूहिक योगाभ्यास का सीधा प्रसारण होगा।
अन्य संस्थानों की विशेष भागीदारी
राज्य ललित कला अकादमी, राज्य संग्रहालय, कथक केंद्र, उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र (वाराणसी), राज्य पुस्तकालय, और राज्य अभिलेखागार सहित कई संस्थान योग पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनियाँ, योग अभ्यास सत्र, पोस्टर प्रतियोगिताएं और जनजागरूकता अभियान आयोजित कर रहे हैं। संस्कृति विभाग की इस पहल का उद्देश्य योग के सार्वभौमिक संदेश को जन-जन तक पहुँचाना, स्वस्थ समाज का निर्माण करना और भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं को नई पीढ़ी से जोड़ना है। यह आयोजन योग को केवल शारीरिक व्यायाम न मानकर आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
Jun 18 2025, 18:46