इस बार भी सामान्य ही होगी मानसून की बारिश प्रशांत महासागर में ला- नीना की स्थिति अत्यंत कमजोर बहुत छोटी अवधि तक ही टिके रहने की संभावना
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी सूचना है कि ला- नीना के असर का डर खत्म हो गया है। प्रशांत महासागर के सतह पर इसकी स्थिति अत्यंत कमजोर है और अवधि बहुत छोटी रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्य अप्रैल तक यह सामान्य स्थिति में आ जाएगा, जिसे मानसूनी बारिश के लिए अच्छा माना जाता है। अभी जो संकेत है, उसके अनुसार मानसून का पहला चरण कमजोर नहीं होने जा रहा है। दूसरे चरण के मानसून का अध्ययन किया जा रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग आईएमडी द्वारा अप्रैल के दूसरे हफ्ते में मानसून के आगमन और स्थिति का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। फिलहाल आईएमडी ने अप्रैल से जून के मौसम, तापमान,लू और बारिश का पुर्वानुमान जारी किया है। साथ ही ला - नीला के अंत और असर का भी आकलन किया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अप्रैल से जून के बीच देश के अधिकतर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। हालांकि इस दौरान उत्तर - पश्चिमी के पहाड़ों एवं कुछ अन्य क्षेत्रों के न्यूनतम में ज्यादा वृद्धि नहीं होगी, लेकिन अधिकतम तापमान में वृद्धि संभव है। हीट वेव ( लू) को लेकर भी अलर्ट जारी किया है। उत्तर - पश्चिमी के मैदानी भाग, मध्य भारत एवं मध्य - पूर्वी क्षेत्र राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के कई इलाकों में गर्म हवाएं चल सकती है। जिसकी अवधि दो से छह दिनों तक हो सकती है। यह अवधि 10 दिनों तक हो सकती है। बारिश की स्थिति के भी सामान्य रहने की संभावना है। लगभग 88 से 112 फीसदी के बीच बारिश हो सकती है। इसलिए जहां-जहां बारिश होगी, वहां के लोगों को लू से राहत मिलेगी। देश के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश से का खतरा भी बना रह सकता है। आईएमडी के मुताबिक, वैश्विक जलवायु परिवर्तन के चलते भारत में तीन महीनों के दौरान तापमान की स्थिति असामान्य रही है।
इस बार सामान्य से अधिक लू भी कर सकती हैं लोगों को परेशान, उत्तर भारत में अप्रैल से ही गर्म हवाएं
2024 में भारत में भीषण गर्मी पड़ी थी। इस दौरान 536 लू के दिन रिकॉर्ड किए गए थे










Apr 02 2025, 10:23
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