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योगी सरकार का फैसला अब एक चिप में होगी सभी जानकारी…UP में अब बनेगा स्मार्ट कार्ड RC
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डेस्क:–उत्तर प्रदेश में वाहन खरीदने वालों को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बदले स्मार्ट कार्ड मिलेगा, जिसमें माइक्रो चिप लगी होगी. इस चिप में वाहन से जुड़ी सभी जानकारी होगी. स्मार्ट कार्ड आरसी से लोगों को अब कागजों का पुलिंदा नहीं होगा. आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.

उत्तर प्रदेश में अब वाहन मालिकों को आरसी जैसे तमाम कागजों का पुलिंदा नहीं रखना पड़ेगा क्योंकि योगी सरकार ने इसके लिए बड़ा फैसला लिया है. वाहन मालिकों को अब स्मार्ट कार्ड मिलेगा, जिसमें चीप लगी होगी. इस चिप में वाहन से जुड़ी सभी जानकारी होगी. परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मंगलवार को इसकी घोषणा की.

दयाशंकर सिंह ने कहा कि ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बदले एक स्मार्ट कार्ड जारी करेगा. माइक्रो चिप वाले स्मार्ट कार्ड में सभी तरह के डाटा स्टोर रहेंगे. यह कार्ड पेन ड्राइव की तरह काम करेगा. इसे आसानी से एक्सेस किया जा सकेगा. चेकिंग में आसानी होगी. डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी. इससे कागजी आरसी से छुटकारा मिलेगा.

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि स्मार्ट कार्ड आरसी में दो तरह का डेटा होगा. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन की तारीख, मालिक का नाम जैसे डिटेल्स कार्ड पर होंगे, जबकि माइक्रोचिप में चालान, यातायात उल्लंघन, परमिट जैसे सभी डिटेल्स होंगे.

स्मार्ट कार्ड आरसी से कागज के गीले होने, फटने या खोने जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी. ट्रैफिक चेकिंग के दौरान स्मार्ट कार्ड को स्कैन कर पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी. आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) से जुड़ी अन्य अनियमितताओं की शिकायतें मिलती थीं, जिन पर अब अंकुश लगेगा. सरकार की योजना होली से पहले इस पहल को लागू करने की है.

*स्मार्ट कार्ड RC के फायदे*

कागजों का पुलिंदा नहीं रखना पड़ेगा

RC के भीगने, कट जाने-फट जाने की परेशानी नहीं होगी

माइक्रो चिप में स्मार्ट कार्ड आरसी का डेटा स्टोर रहेगा

भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी

आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं काटने होंगे
वृंदावन में चंदन के रथ पर निकलेंगे भगवान रंगनाथ, 17 मार्च से शुरू होने जा रहा मेला, जानें कब क्या होगा कार्यक्रम?
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डेस्क:–वृंदावन के रंगनाथ मंदिर प्रबंधक ने बताया कि रथ मेला का दिव्य महोत्सव का समापन 26 मार्च को अद्वितीय पुष्पक विमान से होगा. उसके बाद स्वर्ण स्तंभ पर विराजित भगवान के प्रमुख वाहन गरुण जी को वेद मंत्रों से विदाई दी जाती है. इस उत्सव के दौरान प्रसिद्ध होली 22 मार्च को होगी. वहीं, 24 मार्च को बड़ी आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा.

श्री कृष्ण नगरी मथुरा में मौजूद दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित रंगनाथ मंदिर का विश्व प्रसिद्ध रथ का मेला 17 मार्च से शुरू होने जा रहा है. इस पावन मौके पर भगवान गोदा रंगनाथ रथ में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे. यह परंपरा पिछले 175 वर्षों से निभाई जा रही है. यह दर्शन साल में एक बार मेले के अवसर पर ही होते हैं. इस अवसर पर भगवान गोदा रंगनाथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में प्रत्येक दिन अलग-अलग सवारियां निकाली जाएंगी.

मेले के दौरान 10 दिन तक लगातार सुबह-शाम सवारियां निकाली जाती हैं. मान्यता है कि दक्षिण शैली पर होली का कार्यक्रम आयोजित नहीं होता है, लेकिन ब्रज के वृंदावन में स्थापित दक्षिण शैली के मंदिर पर होली धूमधाम से मनाई जाती है. इस वर्ष मंदिर पर होली 22 मार्च को मनाई जाएगी. मेले को लेकर मंदिर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं. मंगलवार को मंदिर प्रबंधक ने इसकी जानकारी साझा की. आइए जानते हैं कब और कैसे मनाया जाएगा रथ का मेला.

*10 दिन तक चलेगा रथ का मेला*

वृंदावन में श्री रामानुज संप्रदाय के प्रसिद्ध दिव्यदेश श्री रंगनाथ मंदिर का दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव 17 मार्च से शुरू होगा. यह कार्यक्रम विविध धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ वैदिक परंपरानुसार आयोजित किया जा रहा है. ब्रज के अनूठे उत्सव को लेकर मंदिर प्रबंधन द्वारा दिव्याकर्षक तैयारियां की जा रही हैं. इस संबंध में मंगलवार को मंदिर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में स्वामी रघुनाथ आचार्य ने बताया कि यह श्री रामानुज संप्रदाय की श्री वैष्णवीय परंपरा के प्रमुख दिव्यदेश श्री रंगनाथ मंदिर है.

उन्होंने बताया कि यहां वैसे तो प्रतिदिन मंगल उत्सवों की श्रंखला अनवरत रूप से जारी रहती है, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख ब्रह्मोत्सव है. ब्रह्मोत्सव का शुभारंभ अंकुरारोपण, देव आह्वान, ध्वजारोहण से होता है, जिसमें दक्षिण भारतीय वेदपाठी विद्वान वेदमंत्रो से आव्हान करते हैं.

*23 मार्च को होंगे दर्शन*

मंदिर के प्रबंधक श्री कृष्णन ने बताया कि 17 मार्च को मेला शुरू होगा. इस दिन सुबह काल ठाकुर रंगनाथ भगवान स्वर्ण निर्मित पूर्ण कोठी में विराजित होकर भक्तो को कृतार्थ करेंगे. इसी क्रम में ठाकुर गोदारंगमन्नार भगवान प्रतिदिन स्वर्ण रजत निर्मित वाहन सूर्यप्रभा, चंद्रप्रभा, गरुण, हनुमान, पालकी, सिंह, अश्व, सिंहशार्दुल पर विराजित होकर दर्शन देते हैं. मंदिर की CEO अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि मुख्य आकर्षण विशालकाय चंदन निर्मित रथ है, जिसमें 23 मार्च को ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान विराजित होकर भक्तो को कृतार्थ करेंगे.

विश्वजीत कदम ने बजट को बताया धोखा, सरकार पर साधा निशाना
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डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को वित्त मंत्री अजित पवार ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें कृषि, सड़क परियोजनाओं, परिवहन, उद्योग, युवाओं और महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए। इस बजट को पेश करते हुए पवार ने राज्य की विकास योजनाओं का खाका प्रस्तुत किया, लेकिन बजट के पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम ने बजट को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे राज्य की जनता को धोखा देने वाला करार दिया।

कांग्रेस विधायक ने कहा कि सरकार ने बजट में लोगों को फंसाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों और महिलाओं के लिए कुछ ठोस योजनाओं का जिक्र नहीं किया गया, जबकि चुनाव के समय सरकार ने महिलाओं के लिए 2100 रुपये देने का वादा किया था। कदम ने सवाल उठाया कि चुनाव के दौरान जो वादे किए गए थे, उनका कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया और बजट में 1500 रुपये की राशि की बात की गई, जो पहले की तुलना में बहुत कम है।

कांग्रेस विधायक ने राज्य सरकार के बजट पर यह भी सवाल उठाया कि इस बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि राज्य सरकार का वास्तविक राजस्व करीब 5 लाख करोड़ रुपये है। इस अंतर को लेकर कदम ने कहा कि यह कैसे पूरा होगा और सरकार किस तरह से अपनी योजनाओं को लागू करेगी, इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने केवल चुनावी लाभ के लिए ऐसे वादे किए थे, जिनका अंततः कोई पालन नहीं किया जाएगा।

कदम ने यह भी कहा कि सरकार ने जो घोषणाएं की हैं, वे महज चुनावी प्रचार के लिए थीं और उन्हें पूरा करना असंभव होगा। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी और महिलाओं और किसानों को जो राहत देने की बात की गई थी, वह भी सिर्फ एक झूठी घोषणा साबित होगी। विश्वजीत कदम का यह आरोप था कि राज्य की जनता को केवल चुनावी फायदे के लिए फंसाया गया है और बजट में उनकी असल समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब यह देखना होगा कि विपक्ष का रुख इस बजट को लेकर आगे किस दिशा में रहेगा।
तीन साल के बच्चे का अपहरण, प्रेमी के साथ रहने के लिए महिला ने रची साजिश,मह‍िला गिरफ्तार
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डेस्क:–महाराष्ट्र के मांडवी थाना पुलिस को तीन साल के बच्चे के अपहरण मामले में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अपहरण के मामले में बिहार के नालंदा जिले से पुलिस द्वारा एक महिला को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इसके पास से बच्चे को बरामद किया है। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। मांडवी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय हजारे ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पास तीन साल के बच्चे के अपहरण की शिकायत आई थी। शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता नबीउल्लाह हमीदुल्लाह चौधरी (38) ने बताया कि 18 फरवरी को 2025 को उसकी रिश्तेदार (साले की पत्नी) उसके बच्चे को बाहर खेलने के लिए ले गई थी। लेकिन, बच्चे के साथ वह नहीं लौटी।

पुलिस को मिली शिकायत पर मांडवी पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद एक टीम बनाकर महिला की तलाश की गई। सीसीटीवी फुटेज से भी पता चला कि बच्चे को महिला ले जा रही है। पुलिस की जांच में पता चला कि महिला बिहार के नालंदा जिले में छिपी हुई है। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और महिला को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के अनुसार, महिला शादीशुदा है और उसके पहले से तीन बच्चे हैं। लेकिन, नालंदा जिले के सरमेरा निवासी एक युवक के साथ उसका लंबे समय से प्रेम संबंध था। प्रेमी के साथ नई जीवन की शुरुआत करने के लिए वह अपने तीन बच्चों के बारे में नहीं बताना चाहती थी। चूंकि दोनों में उम्र का फासला काफी ज्यादा था। महिला 36 साल की थी और युवक 18 साल का था। प्रेमी के साथ हर हाल में रहने के लिए उसने बच्चे के अपहरण की साजिश रची। उसने प्रेमी को विश्वास दिला दिया है कि यह बच्चा उसी का है और उसके साथ उसके गांव में रहने लगी। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो उसने यही जवाब दिया कि वह बच्चे की मां है। पुलिस ने बच्चे को उनके माता-पिता को सौंप दिया है।
होली पर मौलाना गोरा की अपील, नजदीकी मस्जिदों में ही अदा करें जुमे की नमाज
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डेस्क:–उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध देवबंदी उलमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने होली के दिन मुसलमानों से अपने नजदीक की मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करने की अपील की है। मौलाना कारी इसहाक गोरा ने वीडियो बयान में कहा कि हमारा देश अनेक-अनेक धर्म के मानने वालों का मुल्क है। इस मुल्क की खूबसूरती ये कि यहां पर तमाम मजहब के लोग अपनी मजहबी आजादी के अनुसार अपने त्योहारों को खुशी से मनाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दारुल उलूम देवबंद ने भी तमाम तबकों खासकर मुसलमानों से होली के दिन संयम और अमन बनाए रखने की अपील की है। मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि होली के दिन सभी मुसलमान अपनी नजदीकी मस्जिदों में ही जुमे की नमाज अदा करें और उसके बाद घरों में रहकर इबादत करें। गैरजरूरी तौर पर बाहर निकलने से बचें और किसी भी फितने या गलतफहमी का कारण न बनें।

मौलाना गोरा ने कहा कि मुसलमानों को अपने अखलाक और आमाल से इस्लामी तालीमात का बेहतरीन नमूना पेश करना चाहिए। दारुल उलूम ने सभी मुसलमानों से शरीयत के दायरे में रहते हुए अमन और भाईचारे को कायम रखने की गुजारिश की है, ताकि समाज में शांति बनी रहे और हर शख्स अपने दीन व आमाल पर सुकून से अमल कर सके।

कैसे बदलता है सड़क का नाम? तुगलक लेन को विवेकानंद मार्ग करने की चर्चा, BJP नेता ने बदली नेमप्लेट
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डेस्क:–दिल्ली की सड़क का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है. जानिए, कैसे बदला जाता है सड़क का नाम, क्या है पूरी प्रक्रिया.

नजफगढ़ को नाहरगढ़ और मोहम्मदपुर को माधवपुर करने के प्रस्ताव के बाद अब दिल्ली की सड़क का नाम बदनने की चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा है तुगलक लेन की. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. हालांकि, इसके साथ तुगलक लेन भी लिखा है.इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है.

हालांकि, इसको लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. इस बीच आइए जान लेते हैं कि किसी भी सड़क का नमा कैसे बदला जाता है, क्या होती है इसकी प्रक्रिया और नियम.

*तो तुगलक लेन बनेगा स्वामी विवेकानंद मार्ग?*

सड़कों का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है, इसे दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं. किसी भी रोड का नाम बदलने की मांग कोई भी इंसान, संगठन या सरकारी निकाय कर सकता है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार करना होगा उसे सम्बंधित नगर पालिका या अथॉरिटी को देना होगा जिसके तहत वो सड़क आती है. दिल्ली में यह प्रस्ताव NDMC या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के पास जमा करना होगा.

NDMC के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के केंद्रीय और महत्वपूर्ण क्षेत्र आते हैं. इसमें संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थानों वाली लुटियंस दिल्ली आती है.

*कैसे आगे बढ़ता है नाम बदलने का प्रस्ताव?*

अगर तुगलक लेन का नाम बदलने का प्रस्ताव NDMC तक पहुंचता है तो पहले काउंसिल में इसकी चर्चा होगी. काउंसिल में 14 सदस्य होते हैं. 13 मेम्बर और 1 चेयरपर्सन. अगर सहमति बनती है तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. हालांकि, नाम बदलेगा या नहीं, यह इस बात पर भी निर्भर होता है कि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व कितना है. इस आधार पर काउंसिल मुहर लगाती है.

सम्बंधित नगरपालिका या प्राधिकरण से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजा जाएगा. इस विभाग की रोड नेमिंग अथॉरिटी नाम बदलने की मंजूरी पर फैसला लेगी. इसके बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. मंजूरी के बाद आदेश जारी होता है. इसे पोस्टमास्टर जनरल दिल्ली को भेजा जाएगा. इस तरह डाक सेवाओं में इस बदले हुए नाम को अपडेट किया जाएगा. फिर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित करके हमेशा के लिए इसका नाम बदल जाएगा. इस तरह पर इस पर कानूनी रूप से मुहर लग जाती है.

*किसके पास कौन सी जिम्मेदारी?*

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में नई दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र हैं. इसमें लुटियंस जोन भी आता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) के पास दिल्ली के अधिकांश हिस्से हैं. वहीं, दिल्ली छावनी परिषद के पास कैंट एरिया है.

*क्या बोले BJP सांसद डॉ. दिनेश शर्मा?*

इस पूरे मामले में भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है, गूगल पर इस सड़क का नाम स्वामी विवेकानंद मार्ग के रूप में दर्ज है. उनका कहना है, जब कर्मचारियों ने मुझसे पूछा कि नेमप्लेट पर सड़क का नाम क्या लिखना है तो मैंने कहा आसपास जो नाम लिखा है वो लिख दो. आसपास के वरिष्ठ लोगों की नेमप्लेट में स्वामी विवेकानंद मार्ग और तुगलक लेन दोनों ही लिखा था. इसलिए नेमप्लेट में वही लिखा गया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा, किसी भी सड़क का नाम बदलने का अधिकार सांसद के पास नहीं होता, यह मैं जानता हूं. 11 सालों तक मैं खुद महापौर रहा हूं.

कौन थी वह औरंगजेब की हिंदू पत्नी जो सती होना चाहती थी?क्रूर मुगल बादशाह ने कितनी शादियां की आईए जानते हैं
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डेस्क:–मुगलों के सबसे कट्टर और क्रूर बादशाह औरंगजेब की पत्नियों के किस्से भी दिलचस्प हैं. औरंगजेब की एक हिन्दू बेगम ऐसी थी जो सती होना चाहती थी. औरंगजेब के जीवन में एक ऐसी महिला भी आई जिसकी खूबसूरती देखते ही वो बेहोश हो गया. अब सवाल यह भी है क्या औरंगजेब की बेगम भी उसकी तरह क्रूर थीं.

भारतीय इतिहास का सबसे विवादित मुगल बादशाह औरंगजेब एक बार फिर विवादों में है. इस बार कुछ राजनीतिज्ञ अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए औरंगजेब के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे पहले फिल्म छावा के चलते औरंगजेब लगातार सुर्खियां बटोरता रहा है. आइए जान लेते हैं कि कट्टर सुन्नी माने जाने वाले औरंगजेब की कितनी पत्नियां थीं और उनकी क्या भूमिका थी?

*अत्याचारी बादशाह के रूप में पहचान*

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि औरंगजेब इस्लामिक कानून में पूरे देश को ढालकर सब लोगों को मुसलमान बनाना चाहता था. वहीं कुछ का मानना है कि वह एक महत्वाकांक्षी बादशाह था. उसने जो कुछ किया, वह केवल सत्ता के लिए था. यहां तक कि अपने पिता को कैद कर लिया. सिंहासन के लिए भाइयों का कत्ल करवा दिया. हालांकि, इतिहासकार इस बात से भी इनकार नहीं करते कि औरंगजेब के शासनकाल में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ा था. तीर्थयात्रा पर जाने वाले हिन्दुओं पर जजिया कर, मंदिरों का विध्वंस, सिख गुरुओं की हत्या, छत्रपति संभाजी की हत्या जैसी उसके अत्याचार की तमाम कहानियां प्रचलित हैं.

*औरंगजेब की पत्नियों के नाम*

इतिहासकारों की मानें तो औरंगजेब की तीन पत्नियां थीं. उनके नाम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम और औरंगाबादी महल बताए जाते हैं. दिलरास बानो बेगम को औरंगजेब की मुख्य पत्नी बताया जाता है. इनके अलावा इतिहास की किताबें इस बात का भी जिक्र करती हैं कि औरंगजेब की पत्नियों में दो हिन्दू थीं. इनमें एक थीं नवाब बाई और दूसरी उदैपुरी.औरंगजेब और हीराबाई उर्फ जैनाबादी की मुलाकात मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हुई थी, जिसे दिलरास बेगम के नाम से जाना गया.

*बादशाह संग सती होना चाहती थीं उदैपुरी*

बताया जाता है कि औरंगजेब चाहे जितना क्रूर था, उदैपुरी उसे बेहद प्यार करती थीं. इस हद तक वह औरंगजेब से मोहब्बत करती थीं कि उसके साथ सती होने तक की बात करती थीं. औरंगजेब ने स्वयं अपने बेटे को लिखी एक चिट्ठी में अपनी इस हिंदू पत्नी की इच्छा का खुलासा किया था. हालांकि औरंगजेब की मौत के बाद उदैयपुरी सती तो नहीं हो पाई थीं पर उसी साल कुछ ही महीने बाद उदैपुरी का भी निधन हो गया था.

बिलीमोरिया के रुक्काते आलमगीरी का अंग्रेजी अनुवाद किया गया है, जिसे लेटर्स ऑफ औरंगजेब के नाम से जाना जाता है. इसमें औरंगजेब के इस पत्र का भी जिक्र है. इतिहासकार मानते हैं कि साल 1667 में उदैपुरी ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसे कामबख्श के नाम से जाना जाता है. औरंगजेब 50 साल का हो गया था, तब उदैपुरी जवान थीं. इसीलिए उसके प्रेम और खूबसूरती के चलते औरंगजेब कई बार कामबख्श की गलतियों को भी माफ कर देता था. कामबख्श शराबी था और शासन के कामों में उसका मन नहीं लगता था. इससे वह कई ऐसी भूल करता था, जो औरंगजेब की नाराजगी का कारण बनती थीं पर मां उदैपुरी के कारण हर बार कामबख्श बच जाता था.

*पत्नियों के हिन्दू होने पर विवाद*

औरंगजेब की दो पत्नियों के हिन्दू होने का मसला निर्विवाद नहीं है. कामबख्श की मां उदैपुरी को कुछ लोग तब ईसाई मानते थे. कुछ लोग उसे औरंगजेब की दासी भी बताते हैं. बताया जाता है कि वह जॉर्जिया की निवासी थी जिसको दारा ने खरीदा था. दारा की हत्या के बाद औरंगजेब ने उदैपुरी को अपने पास रख लिया था. हालांकि, इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने अपनी किताब हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में लिखा है कि उदैपुरी न केवल औरंगजेब की पत्नी थी, बल्कि वह एक राजपूत महिला थीं.

*औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी*

औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी है, जिसमें वह एक दासी को देखते ही बेहोश हो गया था. औरंगजेब को दक्कन का गवर्नर बनाया गया था. इसके लिए वह औरंगाबाद जा रहा था. रास्ते में उसकी मौसी सुहेला बानो का घर बुरहानपुर में पड़ता था. उसके मौसा मीर खलील खान-ए-जमान थे. उनसे मिलने के लिए औरंगजेब बुरहानपुर में रुक गया था. वहीं पर औरंगजेब ने अपनी मौसी की एक दासी को देखा तो देखता ही रह गया और बेहोश हो गया.

उस दासी का नाम हीराबाई उर्फ जैनाबादी बताया जाता है. कहा जाता है कि हीराबाई को औरंगजेब ने अपनी मौसी की मिन्नत कर हासिल कर लिया था. वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि औरंगजेब ने अपने हरम से चित्राबाई को देकर हीराबाई को लिया था. हीरा बाई की मौत का साल 1654 बताया जाता है और संभावना जताई जाती है कि उसे ही नवाब बाई कहा जाता था.

*तानाशाही का नहीं मिलता कहीं उल्लेख*

जहां तक मुगल काल में बेगमों के सत्ता-शासन में हस्तक्षेप की बात है तो जहांगीर के शासनकाल में नूरजहां और शाहजहां के शासनकाल में मुमताज महल का काफी दखल था. अब बादशाह की पत्नी होने पर जाहिर है कि कम से कम महल के भीतर तो औरंगजेब की बेगमों का भी दखल रहा ही होगा पर इनकी तानाशाही को लेकर किसी तरह का कोई जिक्र नहीं मिलता है. इसी कारण तो उदैपुरी अपने बेटे कामबख्श की गलतियों को क्रूर माने जाने वाले औरंगजेब से बख्शवा लेती थी.




आईए जानते हैं किसान का बेटा अंतरिक्ष पर जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना?
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डेस्क:–अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के पहले इंसान यूरी गागरिन के पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी.

आज भले ही अंतरिक्ष पर्यटन तक का सपना साकार हो रहा है पर हमेशा से ऐसा नहीं था. कठोर प्रशिक्षण, परीक्षा के अलावा भाग्य साथ दे तो ही अंतरिक्ष की उड़ान भरी जा सकती थी. ऐसे में भला पहले अंतरिक्ष यात्री की उड़ान कितनी कठिन रही होगी, वह भी तब जब एक डेयरी किसान के घर जन्म लेकर यूरी गागरिन इस मुकाम तक पहुंचे थे. नौ मार्च को रूस में जन्मा किसान का यह बेटा अंतरिक्ष जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना, आइए जान लेते हैं.

यूरी गागरिन के अंतरिक्ष यात्री बनने की कहानी उनके संघर्ष और जुनून को बयां करती है. 9 मार्च 1934 को तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) में यूरी एलेक्सेयेविच गागरिन का जन्म हुआ था. स्मोलेनेस्क ओब्लास्ट के क्लूशिनो गांव निवासी अपने माता-पिता की चार संतानों में वह तीसरे थे. उनके पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी. बताया जाता है कि जब उनका गांव फिर से रूस के अधिकार में आया तब उनको काफी समय अस्पताल में रहना पड़ा.

यह साल 1946 की बात है, यूरी का परिवार ग्जात्स्क चला गया, जहां उनकी आगे की पढ़ाई हुई. स्कूल में यूरी को गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक विमान के पायलट रह चुके थे. उनके चलते यूरी की रुचि हवाई जहाजों में जगने लगी. उसी बीच उनके गांव में एक फाइटर प्लेन क्रैश हो गया, तो उनकी उत्सुकता और भी बढ़ गई. इसी रुचि के चलते यूरी अपने स्कूल के समूह में शामिल किए गए, जिसने हवाई जहाज के मॉडल बनाए थे.

*इस तरह से यूरी बने पायलट*

यूरी केवल 16 साल के थे, तभी उनको मॉस्को के पास स्थित ल्यूबर्तस्ते के स्टील प्लांट में फाउंड्रीमैन के रूप में अप्रेन्टिस मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी. इसी दौरान उन्होंने सोवियत एयर कैडेट के रूप में एक स्थानीय फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण भी लिया. इस प्रशिक्षण के दौरान यूरी ने बाइपोलर और योकवलोव याव-18 को उड़ाना सीख लिया था. साल 1955 में यूरी गागरिन ने ओरेनबर्ग स्थित चेकालोवस्की हायर एयरफोर्स पायलट स्कूल में दाखिला ले लिया. इसके अगले ही साल मिग-15 उड़ाने के लिए प्रशिक्षण में शामिल हुए. इस दौरान उनको दो बार नाकाम होने पर प्रशिक्षण से बाहर भी होने का डर सताने लगा. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और प्रशिक्षकों की मदद से अंतत: उन्हें सफलता मिल ही गई और 1957 में उन्होंने अकेले विमान में उड़ान भरना शुरू कर दिया.

*अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए चुने गए*

मिग-15 की सफल उड़ान के बाद साल 1957 में ही यूरी को सोवियत संघ की एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट का पद मिल गया. उन्होंने 166 घंटे, 47 मिनट तक उड़ान का अनुभव भी हासिल कर लिया. इसके बाद उनको नार्वे की सीमा के पास तैनाती मिली. इसके दो साल बाद ही रूस के लूना-3 की उड़ान को सफलता मिली तो यूपी की रुचि अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में जगने लगी. यह देखकर उनको सोवियत स्पेस प्रोग्राम के लिए चुन लिया गया. साल 1959 में गागरिन को सीनियर लेफ्टिनेंट बना दिया गया. चिकित्सा और अन्य कठिन परीक्षणों के बाद उनको वास्तोक प्रोग्राम के लिए चुना गया. इसके लिए यूरी उम्र, वजन और ऊंचाई जैसे कई मानदंडों पर एकदम खरे उतरे थे. उनके समेत कुल 29 पायलट चुने गए थे, जबकि कुल 154 पायलट इसकी दौड़ में शामिल थे. फिर शीर्ष 20 पायलटों का चुनाव हुए, जिनमें यूपी गागरिन भी शामिल थे. इन सभी पायलटों को एक ओलंपिक खिलाड़ी की तरह कठोर प्रशिक्षण दिया गया.

*साल 1961 में भरी थी सफलता की ऊंची उड़ान*


सभी प्रशिक्षण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 12 अप्रैल 1961 को यूपी गागरिन ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी और ऐसा करने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए. उन्होंने कजाख्स्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से वास्तोक-1 अंतरिक्ष यान के जरिए सफलता की ऊंची उड़ान भरी थी. पहले पांच चरण के इंजनों ने उनके यान को दूसरे चरण में पहुंचाया था. फिर कोर इंजन ने यूरी के यान को उपकक्षीय प्रक्षेपण पथ पर पहुंचा दिया. इसके बाद के अगले उच्च चरण में यान अपनी कक्षा में पहुंच गया और 108 मिनट तक अंतरिक्ष में रह कर चक्कर काटने के बाद वापस आ गया. इस तरह से यूरी गागरिन अंतरिक्ष से पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले इंसान बन गए.

इस सेटिंग्‍स को कर लो ऑन और Instagram पर हमेशा अपलोड होंगी HD फोटो-वीडियो
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डेस्क:–Instagram का जमाना है! आधी दुनिया इसी में बिजी है। या तो रील्‍स बनाई जा रही हैं या देखी जा रही हैं। बस में, ट्रेन में, मेट्रो में, रोड पर, दुकान के बाहर, गाड़ी चलाते टाइम भी लोग रील्‍स देखने से नहीं चूक रहे। रील्‍स बनाने वाले भी कम नहीं, जहां मौका मिला, कैमरा ऑन करके शुरू हो जाते हैं। जो खाते हैं उसकी रील बनाते हैं, जहां घूमने जाते हैं उसकी रील बनाते हैं। बच्‍चों से लेकर बड़े सभी रील्‍स में फुदकते दिखाई देते हैं। लेकिन सुई अटक जाती है जब अपलोड करनी होती हैं रील्‍स। कई लोग फुल एचडी वीडियो में शूट करते हैं, लेकिन अपलोडिंग के बाद रील्‍स में वो क्‍वॉल‍िटी नहीं आती, जैसी चाहिए। लोगों के फोटो-वीडियो, HD में अपलोड नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि Instagram आपकी फोटो और वीडियो के साइज को कम कर देता है। यह तब ठीक है, जब आपको तेजी से चीजें अपलोड करनी हैं या डेटा बचाना है, लेकिन अगर आपके फोन में धड़ल्‍ले से और ढेर सारा इंटरनेट है तो फ‍िर आपको हमेशा HD में फोटो-वीडियो इंस्टाग्राम पर अपलोड करने चाहिए। इसके लिए आपको इंस्टग्राम ऐप की सेटिंग्‍स में कुछ बदलाव करना होगा। हम सिंपल स्‍टेप्‍स में आपको यह समझा रहे हैं।

*Instagram में कैसे अपलोड करें HD फोटो-वीडियो*

सबसे पहले अपने फोन में इंस्टाग्राम ऐप ओपन करें।

इसके बाद प्रोफाइल आइकन पर टैप करें।

इसके बाद थ्री लाइन ऑप्शन पर टैप करें।

जब आप नीचे की तरफ स्क्रॉल करेंगे, तो वहां Data uses and Media Quality दिखेगा,

वहां टैप करने पर आपको तीन ऑप्शन नजर आएंगे।

अगर आप चाहते हैं कि हमेशा Highest Quality में
फोटो और वीडियो अपलोड हों, तो Highest Quality के पास दिखने वाले मोटे से डॉट पर क्लिक करके उसे ऑन कर दें। फ‍िर आपके इंस्टाग्राम पर हमेशा हाई क्वॉलिटी फोटो और वीडियो अपलोड होंगी।

*Instagram पर HD फोटो-वीडियो अपलोड करते वक्‍त इन बातों का रखें ख्‍याल*


अपने कैमरे या फोन में हाई क्वॉलिटी रेजोल्यूशन में फोटो और वीडियो को रिकॉर्ड करना चाहिए। जितने ज्यादा पिक्सल होंगे, फोटो और वीडियो उतनी है अच्छी होगी। कम से कम 1080 पिक्सल रेजॉल्यूशन पर वीडियो होनी चाहिए। 1080p यानी फुलHD अच्छा है। हालांकि 4K को ज्यादा अच्छा माना जाता है। हमेशा वीडियो को 30fps या 60fps पर रिकॉर्ड करना चाहिए।

स्क्वॉयर फोटो के लिए 1080x1080 पिक्सल को अच्छा माना जाता है, जबकि पोर्टेट के लिए 1080 पिक्सल और 1350 पिक्सल अच्छा होता है। स्टोरीज का रेश्यो 9:16 होना चाहिए। इसके लिए 1080x1920 पिक्सल रेजॉल्यूशन अच्छा होता है।

फोटो के लिए JPEG का उपयोग करें। वीडियो के लिए MP4 प्रचलित फॉर्मेट है।

वीडियो क्वॉलिटी में बिटरेट अहम होता है। हाई बिटरेट का मतलब है कि वीडियो प्रति सेकंड ज्यादा डेटा का उपयोग करता है। हमेशा 1080p वीडियो के लिए कम से कम 5-10 Mbps बिटरेट टारगेट रखें।

फोटो और वीडियो को इंस्टाग्राम पर अपलोड करने के लिए अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट होना चाहिए। अपने फोटो और वीडियो सीधे अपने फोन या कंप्यूटर के कैमरा रोल या फाइल सिस्टम से अपलोड करें।
महिलाओं के साथ अपराध करने वालों के खिलाफ होनी चाह‍िए सख्त कार्रवाई : अमृता फडणवीस
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डेस्क:–महाराष्ट्र में अपराधों, खासकर महिलाओं के खिलाफ बढ़ती घटनाओं को लेकर विपक्ष लगातार महायुति सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है और कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।

हाल ही में पुणे में एक बस में महिला के साथ बलात्कार की घटना सामने आई, जिसने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के विवादास्पद बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया।

इस बयान के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार अपराध रोकने में विफल हो रही है और महिलाओं की सुरक्षा पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

हालांकि, महायुति सरकार का दावा है कि कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिर भी, विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है।

बता दे कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर जब सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

दरअसल, 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नागपुर पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और मैं इस अवसर पर सभी महिलाओं और पुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। आज मैं नागपुर नगर निगम द्वारा आयोजित महिला उद्योग मिलन में शामिल होने आई हूं। मेरा मानना है कि यह एक बेहतरीन मंच है, जहां घरेलू उत्पाद बनाने वाली महिलाएं अपने काम को प्रदर्शित कर सकती हैं।

बता दें कि देशभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। देशभर में आयोजित इन कार्यक्रमों में अच्छा कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर महिलाओं का मानना है कि महिलाओं के सम्मान में इस दिन देशभर में कार्यक्रम होते हैं। लेकिन, सम्मान देने के लिए कोई एक दिन नहीं होना चाहिए। आप साल के 365 दिन महिलाओं का सम्मान करे। इससे महिलाओं को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर वह भी समाज में चल सकेंगी।