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ऐसे खरीद सकते हैं अपनी पसंद का Jio नंबर, घर बैठे ऐसे करें ऑर्डर

जियो का फैंसी नंबर लेना चाहते हैं तो आप ये काम घर बैठे कर सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. आप MyJio ऐप या जियो की वेबसाइट के जरिए अपना काम कर सकते हैं. इसके अलावा, आप गूगल के जरिए भी अपने लिए जियो का फैंसी नंबर ऑर्डर कर सकते हैं. यहां हम आपको इसका पूरा प्रोसेस बता रहे हैं. आप ऑनलाइन कैसे अप्लाई कर सकते हैं. इससे आपका काम मिनटों में बन जाएगा.

Jio Choice Number क्या है?

जियो चॉइस नंबर स्कीम के जरिए आप केवल 499 रुपये खर्च कर अपने मोबाइल नंबर के आखिरी 4-6 नंबर खुद सलेक्ट कर सकते हैं. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि आप अपनी पसंद के नंबर डालेंगे तो ये जरूरी नहीं है कि वो अवेलेबल भी हों. कभी कभी आपकी पसंद के नंबर अवेलेबल नहीं होते हैं. जियो आपके पिन कोड के हिसाब से ऑप्शन्स देता है. ये मौका केवल JioPlus पोस्टपेड यूजर्स को ही मिलता है. इसमें आपको एक नया सिम कार्ड भी मिलता है. अपनी पसंद का नंबर हसिल करने के लिए नीचे दिए गए प्रोसेस को फॉलो करें.

फैंसी नंबर लेने का ऑनलाइन प्रोसेस

इसके लिए आपको सबसे पहले, जियो की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. इसके बाद सेल्फ केयर ऑप्शन पर क्लिक करें. यहां पर चॉइस नंबर ऑप्शन सलेक्ट करें. फिलहाल आप जो नंबर इस्तेमाल कर रहे हैं वो मोबाइल नंबर डालें. आपके नंबर पर एक वेरिफिकेशन ओटीपी आएगा. ओटीपी भरने के बाद अपनी पसंद के 4 या 6 नंबर डालें. ये करने के बाद, जो पर्सनल डिटेल्स मांगी गई हैं वो सब ध्यान से भरें. पेमेंट करें और बुकिंग कन्फर्म करें. आपको एक कोड मिलेगा. कोड सेव करलें. इसके बाद एजेंट को सिम डिलीवरी का समय दें. कुछ वीआईपी नंबर्स के लिए आपको एक्स्ट्रा चार्ज भी देना पड़ सकता है. बुकिंग के दौरान अपना प्लान टाइप भी जरूर भरें, जिसमें आप प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों सलेक्ट कर सकते हैं.

ओडिशा में अंधविश्वास की भयावहता: 1 महीने के बच्चे को 40 बार लोहे की गर्म छड़ से दागा,सुनकर कांप जाएगी रूह

ओडिशा के नबरंगपुर जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां इलाज के नाम पर एक महीने के बच्चे को लोहे की गर्म छड़ से करीब 40 बार दागा गया. इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अंध विश्वास के चलते परिजनों ने ही बच्चे को 40 बार लोहे की छड़ से दाग दिया. घटना की जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी.

जानकारी के मुताबिक मामला बच्चा नबरंगपुर जिले के चंदाहांडी खंड के गंभरीगुडा पंचायत के फुंडेलपाड़ा गांव का है. दरअसल, बच्चे को 10 दिन पहले फीवर आया था और वो लगातार रो रहा था. परिवार के लोगों का मानना था कि बच्चे पर किसी बुरी आत्मा का साया है. जिससे बच्चे को बचाने के लिए परिवार के ही लोगों ने उसे लोहे की गर्म छड़ से दाग दिया.

बच्चे के सिर- पेट का दागा

नबरंगपुर के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) डॉ. संतोष कुमार पांडा अस्पताल पहुंचे. उन्होंने परिजनों से बातकर बच्चे का हालचाल जाना. पांडा ने कहा कि शिशु के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे के पेट और सिर पर करीब 30 से 40 निशान हैं. घटना को अंधविश्वास की वजह से अंजाम दिया गया. परिवार के सदस्यों का मानना था कि अगर बच्चे को लोहे की गर्म छड़ से दागा जाएगा तो उसकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी.

अस्पताल में चल रहा इलाज

उन्होंने बताया कि लोहे की गर्म छड़ से दागने के बाद जब बच्चे की हालत गंभीर हो गई तो उसे उमरकोट अस्पताल में भर्ती कराया गया. सीडीएमओ ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में इस तरह की प्रथाओं का लंबे समय से चलन है. स्वास्थ्य विभाग ने चंदाहांडी खंड पर ध्यान केंद्रित करने और लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है जिससे बच्चों को लोहे की गर्म छड़ से दागने के बजाय उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया जाए.

कब और किसने दी दुनिया में सबसे पहले अजान, कैसे हुई थी शुरुआत?

अजान… जिसे सुनकर मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. पूरे दिन में पांच बार मस्जिदों से अजान दी जाती है, जो नमाजियों को नमाज के लिए एक संकेत का काम करती है. क्या आप जानते हैं अजान सबसे पहले कब और किसने दी? चलिए इसके बारे में जानते हैं, लेकिन इसे जानने से पहले इस्लाम की कुछ जरूरी बातों को समझते हैं…

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस्लाम मजहब का आखिरी पैंगबर माना जाता है. पैंगबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म अरब देश के मक्का शहर में 20 अप्रैल 571 ईस्वी को हुआ था.

उन्हें पैगंबर होने की जानकारी 40 साल की उम्र में तब हुई जब वे हिरा पहाड़ की एक गार में अल्लाह की इबादत कर रहे थे. उसी बीच फरिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने उन्हें अल्लाह का पैगाम देते हुए इस्लाम के आखिरी पैगंबर होने की जानकारी दी.

अल्लाह से तोहफे में मिली पांच वक्त की नमाज

पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का के लोगों को इसके बारे में बताया, जिसे सुनकर वह उनके दुश्मन बन गए. जब हजरत मोहम्मद साहब को पैगंबर बने 11 साल हुए तभी उनके साथ एक ऐसा वाक्या हुआ जिससे न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली, बल्कि पूरे इस्लाम की हिस्ट्री का सुनहरा दौर शुरू हो गया. उस रात पैगंबर मोहम्मद साहब मेराज के सफर (यहां पढ़ें) के लिए निकले. इस सफर में उनकी सात आसमानों की सैर करते हुए अल्लाह से मुलाकात हुई. इस मुलाकात के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब को तोहफे में पांच वक्त की नमाज मिली. इस घटना के बाद हर मुसलमान पर नमाज पढ़ना अनिवार्य हो गया. यह इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है.

पहले कैसे बुलाते थे नमाज के लिए?

अल्लाह से तोहफे में नमाज मिलने के बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने मुसलमानों को इसे पढ़ने का आदेश दिया. उस दौर में मक्का में बहुत कम मुसलमान हुए थे और वहां के गैर मुस्लिमों से उनकी जान पर खतरा रहता था. इस बीच जमाअत के साथ नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान एक दूसरे को एक दूसरे के जरिए से बुला लिया करते थे. लेकिन नमाज के लिए बुलाने का कोई खास आगाज करने का तरीका नहीं था. इसके ठीक एक साल बाद पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से मदीना हिजरत कर गए.

जमाअत के लिए जोर से पुकारा जाता था

मदीना में लोगों को इस्लाम के बारे में बताया और लोग बड़ी संख्या में मुसलमान होने लगे. इस्लामिक स्कॉलर गुलाम रसूल देहलवी ने बताया कि पहले वहां मस्जिदे कुबा फिर उसके बाद नमाज के लिए मस्जिदे नबवी बनाई गई. हिजरी दो साल के बाद मुसलमानों की तादाद बढ़ने लगी और जमाअत की नमाज के लिए अस्सलातुल जामिया यानी नमाज के लिए सब जमा हैं’ कहकर जोर से पुकार किया जाता था. जो इस ऐलान को सुनता था वह जमाअत की नमाज में शामिल हो जाता था.

कैसे बुलाएं नमाजी? मिले कई सुझाव

गुलाम रसूल देहलवी हदीस की किताब बुखारी शरीफ का हवाला देते हुए कहते हैं कि मुसलमानों की बढ़ती तादात से नमाजियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा. अब मुसलमानों को नमाज के लिए बुलाने का कोई तरीका ढूंढना पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और साहबियों को जरूरी लगने लगा. इसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने तमाम साहबियों के साथ इस्लाह और मशवरा शुरू कर दिया. इनमें से किसी ने यहूदियों की तरह बिगुल फूंकने की पेशकश की, तो किसी ने ईसाइयों की तरह घंटा बजाने, तो किसी ने आतिश परस्तों की तरह मोमबत्ती जलाकर नमाज के लिए बुलाने की पेशकश की. पैगंबर मोहम्मद साहब को इनमे से किसी की राय पसंद नहीं आई.

इस तरह मिला अजान का मशविरा

उसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने इसके लिए अच्छी राय के लिए वक्त का इंतजार किया. इस पर अल्लाह की तरफ से कोई अच्छा सुझाव या तरीका का कोई हुक्म आ जाए, जिसके लिए वे इंतजार करने लगे. कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन सहाबी अब्दुल्ला इब्ने जैद रजियल्लाहु अन्हु, पैगंबर हजरत मोहम्मद के पास आए और कहा कि उन्होंने कल एक खूबसूरत ख्वाब देखा. जिसमें एक शख्स उन्हें अजान के अल्फाज सिखा रहा था और फिर उसने मुझे मशवरा दिया कि इसी अल्फाज से लोगों को नमाजों के लिए बुलाया करो. उन्होंने पैगंबर साहब को अजान के वह अल्फाज सुनाए जो उन्होंने ख्वाब में सीखे थे.

सबसे पहले हजरत बिलाल ने दी अजान

पैगंबर मोहम्मद साहब को अजान का यह अंदाज काफी पसंद आया और इसे उन्होंने इसे अब्दुल्ला इब्ने ज़ैद (र.अ) को अजान के यह अल्फाज हजरत बिलाल रजियल्लाहु अन्हु को सिखाने को कहा.इसके बाद नमाज का वक्त होते ही हजरत बिलाल (र.अ.) खड़े हुए और नमाज के लिए बुलंद आवाज में अजान दी. उनकी अजान की आवाज मदीना शरीफ में गूंज उठी और लोग सुनकर मस्जिदे नबवी की तरफ तेज रफ्तार से चलते-दौड़ते आने लगे.

और इस तरह लग गई मुहर

उसके बाद हजरत उमर इब्ने खत्ताब (र.अ.) भी आ गए और उन्होंने पैगंबर मोहम्मद साहब से कहा कि उन्हें भी यह अजान एक फरिश्ते ने कल रात ख्वाब में आकर सिखाया था. यह सुनने के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इतिमीनान हुआ और इस अजान को नमाज के लिए बुलाने और पुकारने के लिए हमेशा के लिए कंफर्म कर दिया.

15 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भूना, फूलन देवी से भी भिड़ गई… कौन थी दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन, जिसकी हुई अब मौत?

किसी समय चंबल की घाटी में आतंक मचाने वाली कुख्यात दस्यु सुंदरी कुसमा नाइन की इलाज के दौरान मौत हो गई. वह इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी. पूर्व डकैत कुसमा नाइन ने उपचार के दौरान लखनऊ पीजीआई में आखिरी सांस ली. एक महीने पहले तबियत खराब होने पर उसे इटावा जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. प्राथमिक उपचार के बाद कुसमा को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी रैफर किया गया. डॉक्टरों की टीम ने उसको लखनऊ पीजीआई रेफर कर दिया, जहां उसका लगातार उपचार चल रहा था.

करीब एक महीने इलाज चलने के बाद लखनऊ पीजीआई में कुसमा ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. इटावा जिला जेल अधीक्षक ने मौत की पुष्टि करते हुए बताया है कि कुशमा इटावा जिला जेल में लंबे समय से बंद थी. बीमारी के चलते उसको उपचार के लिए भेजा गया, लेकिन बीते शनिवार को उसकी लखनऊ पीजीआई में मौत हो गई.

20 साल से थी जेल में

कुसमा नाइन इटावा जेल में करीब 20 वर्ष से आजीवन की सजा काट रही थी. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर जून 2004 समर्पण कर दिया था. भिंड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के समक्ष गिरोह के सभी सदस्यों ने बिना शर्त समर्पण किया था. गिरोह ने उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक और मध्य प्रदेश में 35 अपराध किए थे.

UP और MP पुलिस ने किया था इनाम घोषित

कुसमा नाइन पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 20 हजार और मध्य प्रदेश ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था. कानपुर निवासी फक्कड़ की सहयोगी कुसमा नाइन जालौन जिले के सिरसाकलार की रहने वाली है. समर्पण करने वाले गिरोह के अन्य सदस्यों में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, भूरे सिंह यादव और मनोज मिश्रा, कानपुर का कमलेश निषाद और जालौन का भगवान सिंह बघेल शामिल रहे, जिसके बाद से वह इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी।

फूलन देवी ने 22 लोगों को भूना

मई 1981 में फूलन देवी, डाकू लालाराम और श्रीराम से अपने गैंग रेप का बदला लेने के लिए बेहमई गांव गई. दोनों वहां नहीं मिलते, लेकिन फिर भी फूलन ने 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा करके गोली मार दी थी. इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. इस कांड के बाद लालाराम और उसकी माशूका बन चुकी कुसुमा बदला लेने के लिए उतावले होने लगे थे. उधर, बेहमई कांड के एक साल बाद यानी साल 1982 में फूलन आत्मसमर्पण कर देती है. इस बीच लालाराम और कुसुमा का गैंग एक्टिव रहता है.

कुसुमा ने लिया बदला, 15 लोगों को मारा

साल 1984 में कुसुमा, फूलन देवी के बेहमई कांड का बदला लेती है. फूलन के दुश्मन लालाराम के प्रेम में डूबी कुसुमा अपनी गैंग के साथ औरैया के अस्ता गांव पहुंचती है. गांव में 15 मल्लाहों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी गई और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया. 1996 में इटावा जिले के भरेह इलाके में कुसुमा नाइन ने संतोष और राजबहादुर नाम के मल्लाहों की आंखें निकाल ली थीं और उन्हें जिन्दा छोड़ दिया था. कुसुमा की क्रूरता के कारण डकैत उसे यमुना-चंबल की शेरनी कह कर बुलाने लगे थे.

कुसुमा जिन लोगों का अपहरण करती उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी. चूल्हे में लगी जलती हुई लकड़ी को निकाल कर उनके बदन को जलाती थी. जंजीरों से बांध कर उन्हें हंटर से मारा करती थी. कुसुम नाइन की मौत की खबर सुनकर गांव में लोगों से खुशी जताई है.

मेवाड़ में जलाई जाती है 2 मंजिल की होलिका, एक महीने पहले से शुरू हो जाती है तैयारी

14 मार्च को भारत में होली का त्योहार मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले 13 फरवरी को होलिका दहन किया जाता है. ऐसे में राजस्थान के पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा में श्रीनाथजी की होलिका दहन को बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. हर साल की तरह इस साल भी इस होलिका दहन को बनाने के लिए 100 से ज्यादा महिला श्रमिक कांटे लाने का काम कर रही हैं. ये होलिका लगभग दो मंजिला इमारत जितनी ऊंची बनेगी. इस होलिका दहन को देखने के लिए बाहर से भी दर्शनार्थी आते हैं.

ये पूरे मेवाड़ की सबसे बड़ी होलिका दहन होती है. होली के जलने के बाद लगभग 50 से 60 फीट ऊंची लपटें उठती हैं, जिससे पूरा शहर प्रकाशित हो जाता है और रोशनी ही रोशनी नजर आती है. इसे कई काटों की गठरियों से बनाया जाता है. ये लगभग दो मंजिला भवन जितनी ऊंची होती है. तहसील रोड स्थित होली मंगरा पर होलिका अब अपना आकार लेने लगी है. इसके निर्माण में लगे श्रमिक और कांटों की गठरिया लाने वाली महिलाएं लगातार काम कर रही हैं.

100 ज्यादा महिलाएं करती हैं काम

आधी होलिका का निर्माण हो चुका है, जिसे 12 दिनों में पूरा कर दिया जाएगा. कार्य करने वाले श्रमिक प्रभु लाल माली ने बताया कि वह कई सालों से इसी तरह हर साल इस होलिका का निर्माण करते आ रहे हैं. इस कार्य में 15 से 20 दिन का समय लगता है. इसलिए महीनेभर पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. करीब 15 लोग इस काम में लगते हैं और 100 से ज्यादा महिला श्रमिक कांटे लाने का कार्य करती हैं.

1000 से ज्यादा कांटों की गठरियां

पूरी बनाने पर यह होलिका दहन 40 फीट के व्यास में करीबी 30 से 35 फीट ऊंची होती है. इसमें एक हजार से 1300 कांटो की मथारियां लगती हैं. वहीं महिला श्रमिक मांगीबाई ने बताया कि 100 से ज्यादा महिलाएं नाथुवास स्थित श्रीनाथजी के बीड़े से कांटे लाने का कार्य करती हैं. इस साल भी लगभग 1000 से ज्यादा कांटों की गठरियों से इसका निर्माण किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर- सदन का सत्र शुरू होने से पहले किस प्रस्वात को लेकर अड़ी महबूबा मुफ्ती, विधायको से क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी के विधायकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि 13 जुलाई के संबंध में उनका प्रस्ताव, विधानसभा सत्र में पारित होने वाला पहला प्रस्ताव हो. महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने प्रस्ताव रखा है कि 13 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में माना जाए और इस दिन एक बार फिर से घाटी में सभी को छुट्टी दी जाए.

महबूबा मुफ्ती ने अपने विधायकों से कहा है कि जम्मू-कश्मीर को जब राज्य का स्तर मिला हुआ था तब राज्य में 13 जुलाई को सार्वजनिक छुट्टी हुआ करती थी, लेकिन 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को रद्द कर दिया गया और इसकी स्थिति को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया, इसी के बाद प्रशासन ने आधिकारिक स्मरणोत्सव 13 जुलाई को समाप्त कर दिया है.

महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सत्र सोमवार से शुरू होने वाला है. इस सत्र के दौरान ही महबूबा मुफ्ती की पार्टी इस प्रस्ताव को पेश करने की मंशा बना रही है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी के विधायकों से कहा, 13 जुलाई का दिन कश्मीर में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है. यह 1931 का वह दिन है जब डोगरा महाराजा की राजशाही के दमनकारी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 22 कश्मीरी शहीद हो गए थे. इन शहीदों को औपनिवेशिक शासन के खिलाफ उनके प्रतिरोध के लिए याद किया जाता है, जो कश्मीरियों के लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का प्रतीक है.

मुफ्ती ने कहा कि छुट्टी रद्द करने के फैसले से “व्यापक आक्रोश फैल गया है और इसे क्षेत्र की राजनीतिक कहानी को बदलने के व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जाता है. इस दिन की मान्यता बहाल करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि यह कश्मीरियों के लिए गहरा प्रतीकात्मक महत्व रखता है.

NC ने क्या कहा?

सदन में 90 सदस्य हैं और इन में पीडीपी के तीन विधायक हैं, जिनमें से एक ने 13 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश की बहाली की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया है.

सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने पीडीपी के कदम को “स्क्रिप्टेड ड्रामा” करार दिया है. सादिक ने बताया कि जब पीडीपी ने बीजेपी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई और महबूबा मुफ्ती सीएम थीं, तो “उनके गठबंधन के कैबिनेट सहयोगियों ने एक बार भी 13 जुलाई के शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं दी. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, हम उन सभी छुट्टियों को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिन्हें पीडीपी-बीजेपी सरकार और उसके बाद (यूटी) प्रशासन ने लोगों की सहमति के बिना खत्म कर दिया था. और हम जल्द ही ऐसा करेंगे.

चमोली ग्लेशियर हादसा: 60 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 8 की मौत, सेना ने बचाईं 46 जिंदगियां

उत्तराखंड के माणा में ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन में दबे लोगों के बचाने के लिए 60 घंटे से चला रेस्क्यू ऑपरेशन रविवार की शाम को समाप्त हो गया. इस हादसे में आठ मजदूरों की जान चली गई, जबकि 46 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. राहत एवं बचाव कार्य में सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित कई एजेंसियों के 200 से अधिक लोग लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए थे. रविवार की शाम को ग्लेशियर में दब कर फंसे एक मृत श्रमिक को निकाला गया. उसके बाद ऑपरेशन पूरा होने का ऐलान किया गया

बता दें कि माणा में श्रमिक निर्माण कार्य में जुटे हुए थे. उसी समय अचानक ऊपर से ग्लेशियर का पहाड़ उन पर टूट पड़ा और इससे कई मजदूर उसमें दब गए. सेना की ओर से पहले कहा गया था कि कुल 55 श्रमिक दब गए थे, लेकिन बाद में दबने वाले श्रमिकों की संख्या 54 बताई गई.

60 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन

इस घटना की सूचना मिलते ही पूरा प्रशासन हरकत आया और बचाव कार्य शुरू किया गया. शुरू में रास्ते बाधित होने और बारिश के कारण राहत कार्य में दिक्कत आई, लेकिन बाद में आधुनिक उपकरणों की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन तेज किया गया.

सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारतीय सेना और एनडीआरएफ के समन्वय में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के नेतृत्व में चमोली के माना में तीन दिवसीय उच्च जोखिम वाला बचाव अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो गया है.

आखिरी लापता मजदूर देहरादून का है रहने वाला

भारी बर्फबारी, अत्यधिक ठंड (दिन में भी -12 डिग्री सेल्सियस से -15 डिग्री सेल्सियस) और चुनौतीपूर्ण इलाके के बावजूद, बचाव दल ने खोजी कुत्तों, हाथ में पकड़े जाने वाले थर्मल इमेजर और उन्नत बचाव तकनीकों का उपयोग करके लोगों की जान बचाने के लिए अथक प्रयास किया.

मृत पाया गया आखिरी लापता मजदूर देहरादून के क्लेमेंट टाउन इलाके का 43 वर्षीय अरविंद कुमार सिंह था. अधिकारियों ने बताया कि रविवार को जिन अन्य लोगों के शव निकाले गए, उनकी पहचान उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर के अनिल कुमार (21), उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के अशोक (28) और हिमाचल प्रदेश के ऊना के हरमेश के रूप में हुई है. शवों को हेलीकॉप्टर से ज्योतिर्मठ लाया गया, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम किया जा रहा है.

रेस्क्यू ऑपरेशन में थर्मल इमेजिंग तकनीक का भी हुआ इस्तेमाल

अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए हेलीकॉप्टर, खोजी कुत्तों और थर्मल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया. पहले दो दिनों तक खराब मौसम के बीच बचाव अभियान करीब 60 घंटे तक चला. हालांकि, रविवार को मौसम काफी हद तक साफ रहा।

सेंट्रल कमांड के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा बचाव अभियान की निगरानी के लिए हिमस्खलन स्थल पर मौजूद रहे.

इससे पहले रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव अभियान की जानकारी लेने के लिए उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का दौरा किया.

ऑपरेशन की मुख्य विशेषताएं:

46 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया और उनका इलाज चल रहा है.

8 लोग हताहत हुए, जिनमें से अंतिम शव आज बरामद किया गया.

ऑपरेशन चरम मौसम की स्थिति में किया गया.

खोजी कुत्तों और थर्मल इमेजिंग तकनीक ने फंसे हुए लोगों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

आईटीबीपी हिमवीरों ने सेना और एनडीआरएफ कर्मियों के साथ मिलकर पूरे ऑपरेशन के दौरान असाधारण साहस, समन्वय और लचीलापन दिखाया, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अधिकतम लोगों की जान बचाई जा सकी.

यह सफल मिशन आईटीबीपी और अन्य बलों की जीवन की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई. यहां तक ​​कि सबसे कठिन वातावरण में भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा.

गुजरात दौरे के दूसरे दिन सोमनाथ मंदिर पहुंचे PM मोदी, विधि-विधान से की महादेव की पूजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय दौरे पर अपने गृह राज्य गुजरात में हैं. वे कल ही गुजरात पहुंचे थे. वहीं, अपने दौरे के दूसरे दिन रविवार को पीएम मोदी ने सौराष्ट्र नगर स्थित प्राचीन श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन किए. जहां उन्होंने सोमनाथ मंदिर में पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की. उन्होंने सोमनाथ महादेव का जलाभिषेक भी किया.

सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पीएम मोदी श्री सोमनाथ ट्रस्ट की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. जो इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थल का प्रबंधन करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. इसके बाद वे सोमनाथ से सासन के लिए रवाना होंगे. जहां वह एनबीडब्ल्यूएल की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. पीएम मोदी आज रात सासन के सिंह सदन में रात्रि विश्राम करेंगे.

पीएम मोदी ने सुबह वंतारा का किया दौरा

इससे पहले सुबह पीएम मोदी ने गुजरात के जामनगर जिले में पशु बचाव, संरक्षण और पुनर्वास केंद्र वंतारा का दौरा किया. तीन हजार एकड़ में फैला वंतारा रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी के परिसर में स्थित है. यह वन्यजीवों के कल्याण के लिए समर्पित एक बचाव केंद्र है. यह दुर्व्यवहार और शोषण से बचाए गए जानवरों को अभयारण्य, पुनर्वास और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर शनिवार शाम को गुजरात के जामनगर पहुंचे थे. उन्होंने रात्रि विश्राम जामनगर सर्किट हाउस में किया था. वहीं, आज रात पीएम मोदी सासन जो गिर राष्ट्रीय उद्यान का मुख्यालय है, के सिंह सदन में ही रुकेंगे. कल यानी 3 मार्च को सासन गिर नेशनल पार्क सहित जंगल सफारी का लुत्फ उठाएंगे. उसके बाद पीएम मोदी राजकोट हवाई अड्डे से फिर वापस दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

जूनियर इंजीनियर के पद पर निकली सरकारी नौकरी, 8 मार्च से शुरू होंगे आवेदन

जम्मू और कश्मीर सेवा चयन बोर्ड यानी जेकेएसएसबी (JKSSB) ने जूनियर इंजीनियर के कई पदों पर भर्तियां निकाली हैं, जिसके लिए आवेदन मांगे गए हैं. इच्छुक और योग्य योग्य उम्मीदवार जेकेएसएसबी की ऑफिशियल वेबसाइट jkssb.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस भर्ती अभियान के तहत कुल 292 पदों पर भर्तियां की जाएंगी. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 8 मार्च से शुरू होगी और 7 अप्रैल 2025 को खत्म होगी. जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड परीक्षा की डेट और एग्जाम सेंटर की घोषणा बाद में करेगा.

वैकेंसी डिटेल्स

जेएंडके पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड: 92 पद

जम्मू विद्युत वितरण निगम लिमिटेड: 60 पद

कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड: 129 पद

जेएंडके पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड: 11 पद

पात्रता मानदंड क्या हैं?

शैक्षणिक योग्यता- जो भी उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके पास बैचलर डिग्री या एएमआईई (सेकण्ड ए&बी) इंडिया या इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा या समकक्ष डिग्री होनी चाहिए.

उम्र सीमा- सामान्य कैटेगरी के उम्मीदवार और सरकारी कर्मचारियों की अधिकतम उम्र सीमा 40 साल और ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, एससी, एसटी के लिए 43 साल होनी चाहिए. वहीं, एक्स सर्विसमैन के लिए अधिकतम उम्र सीमा 48 साल मांगी गई है.

आवेदन शुल्क कितना है?

सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 600 रुपये है, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति-1, अनुसूचित जनजाति-2, ईडब्ल्यूएस और पीडब्ल्यूबीडी कैटेगरी के उम्मीदवारों को आवेदन शुल्क के रूप में 500 रुपये का भुगतान करना होगा. शुल्क का भुगतान नेट बैंकिंग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से किया जा सकता है.

चयन प्रक्रिया क्या है?

इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शामिल होगा. परीक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप के बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे. प्रश्न सिर्फ अंग्रेजी भाषा में होंगे. ध्यान रहे, प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक-चौथाई अंक निगेटिव मार्किंग के तौर पर काटे भी जाएंगे. इसलिए उम्मीदवार सोच समझ कर ही प्रश्नों के उत्तर देंगे.

लिखित परीक्षा के बाद उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा. इसके लिए चुने गए उम्मीदवारों को ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स के साथ-साथ प्रत्येक डॉक्यूमेंट/सर्टिफिकेट/ऑनलाइन आवेदन पत्र की एक सेल्फ अटेस्टेड कॉपी के साथ डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए आना होगा.

अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार जेकेएसएसबी की आधिकारिक वेबसाइट jkssb.nic.in देख सकते हैं.

दृश्यम फिल्म जैसी कहानी: गुजरात में महिला की हत्या, आरोपी ने पुलिस को किया गुमराह

गुजरात के जूनागढ़ जिले में एक रहस्यमयी हत्या की खबर सामने आई है. पुलिस ने एक महिला का कंकाल बरामद किया है. हत्या बिल्कुल दृश्यम फिल्म की तर्ज पर अंजाम दी गई थी. आरोपी ने पुलिस को लंबे समय तक गुमराह किया. मृतक महिला की पहचान 35 वर्षीय दया सवलिया के रूप में हुई है. दया सवलिया जनवरी 2024 से लापता थीं. घटना का मुख्य संदिग्ध 28 वर्षीय हार्दिक सुखाड़िया बताया जा रहा है, जो लंबे समय तक पुलिस को गुमराह करता रहा था.

दया सवलिया जूनागढ़ जिले के विसावदर तालुका के रूपावटी गांव की निवासी थीं, जो 2 जनवरी 2024 से लापता थीं. कुछ दिन बाद उनके पति ने पुलिस में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट के अनुसार, दया अपने घर से नकदी और आभूषण लेकर निकली थीं, जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चला. दंपति का 11 साल का एक बेटा भी है.

पुलिस ने किया आरोपी का पर्दाफाश

पुलिस जांच में सामने आया कि दया सवलिया का हार्दिक सुखाड़िया के साथ विवाहेतर संबंध था. शुरुआत में पुलिस को शक था कि हार्दिक इस मामले में शामिल हो सकता है, लेकिन हार्दिक ने पुलिस को गुमराह किया कि दया किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग गई है. पर्याप्त सबूतों के अभाव में पुलिस हार्दिक पर कार्रवाई नहीं कर सकी. कुछ समय बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस को नए सबूत मिले जिनके आधार पर आरोपी हार्दिक से दुबारा सख्ती से पूछताछ की गई. इस बार आरोपी ने अपना अपराध कबूल कर लिया.

पूरा मामला दृश्यम फिल्म जैसा है. 27 फरवरी को पुलिस ने आरोपी को वारदात स्थल पर ले जाकर जांच की, जहां एक कुएं से दया सवलिया के कंकाल के अवशेष बरामद हुए. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. 13 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने इस केस को सॉल्व किया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस इस घटना की आगे की कार्रवाई कर रही है.

शादी के दबाव से परेशान होकर की हत्या

जांच में सामने आया कि दया सवलिया आरोपी हार्दिक सुखाड़िया से शादी करना चाहती थी. हार्दिक इसके लिए तैयार नहीं था. इस कारण आरोपी ने पीड़ित दया से छुटकारा पाने की योजना बनाई. 3 जनवरी 2024 को हार्दिक ने दया को अमरेली जिले के हडाला गांव के बाहरी इलाके में बुलाया. आरोपी ने पीड़ित दया के सिर पर बड़े पत्थर से वार किया जिससे उसकी मौत हो गई. फिर आरोपी ने शव को एक कुएं में फेंक दिया.