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2023 में वीजा अवधी खत्म होने के बाद रुकने वालों में भारतीय सबसे आगे, यूएस संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ निर्वासन अभियान शुरू किया है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। इस बीच अमेरिका में वीजा पर रह रहे भारतीय छात्रों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2023 में 7,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुके है। यह जानकारी सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज की जेसिका एम वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को दी।

एफ-1 और एम-1 वीजा धारक तय समय से अधिक रुकते हैं

‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम. वॉन ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

तय अवधि से ज्यादा रुकने वालों में भारतीय सबसे ज्यादा

वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को ये भी बताया कि ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत जैसे देशों में हजारों लोग अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहते हैं और भारत से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, करीब 7,000 से भी ज्यादा। उन्होंने इसके अलावा अमेरिका की आव्रजन नीतियों में सुधार की आवश्यकता की बात की, जिसमें एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों में सुधार की भी सिफारिश की गई है।

बता दें कि एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।

31 जनवरी से शुरू हो रहा बजट सत्र, हंगामे के आसार, शाह-राहुल और भागवत के बयानों पर तकरार तय

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संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है। इस बार भी सत्र हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। 1 फरवरी को बजट पेश होने के बाद संसद को दोनों सदनों में कुल 62 विधेयक पेश किए जाने की तैयारी है। इनमें वक्फ संसोधन और एक राष्ट्र, एक चुनाव जैसे विधेयक भी शामिल हो सकते हैं जिनके जरिए मोदी सरकार अपना दम दिखाएगी तो विपक्ष भी पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगा।

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से प्रारंभ होगा और यह 4 अप्रैल तक प्रस्तावित है। संसद के बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को पार्लियामेंट के जॉइंट सेशन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। अगले दिन 1 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी। सोमवार से लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू हो जाएगी।

इन मुद्दों पर हंगामे के आसार

संसद के शीतकालीन सत्र में हुए हंगामे की चर्चा अब तक हो रही है। इसके चलते सरकार बजट सत्र को लेकर आशंकित है। कांग्रेस समेत विपक्ष संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह का बयान, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयानों पर बीजेपी को घेर सकता है। वहीं लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को स्टेट ऑफ इंडिया से लड़ाई वाले बयान पर उनको घेरने की रणनीति बन गई है। दोनों ही पक्षों ने अपने तेवर दिखाकर संकेत दे दिए हैं कि कोई किसी से कम नहीं रहने वाला है, ऐसे में बजट सत्र हंगामेदार हो सकता है।

सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक

वहीं, संसद को सुचारू चलाने के लिए सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार के विधायी एजेंडे के बारे में जानकारी दी गई। वहीं, विपक्ष से उन मुद्दों के बारे में जानकारी ली गई, जो वे संसद में सत्र के दौरान उठाने वाले हैं।

जगदंबिका पाल ने ओम बिरला को सौंपी वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट, बजट सत्र में संसद में की जाएगी पेश

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वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने गुरुवार को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी। इस दौरान जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे सहित अन्य भाजपा सांसद मौजूद रहे। विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया।जेपीसी ने एक दिन पहले ही ड्रॉफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई।

समिति ने बुधवार को 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था, जिसमें बीजेपी के सदस्यों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया है। वहीं विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। इस समिति की रिपोर्ट को विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। विपक्षी पार्टी के सदस्यों का आरोप है कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा।

बजट सत्र में पेश की जाएगी रिपोर्ट

जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान पेश करेगी। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। सेंट्रल बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है।

8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के जेपीसी को भेज दिया गया था। वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय जेपीसी की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी

जेपीसी में हंगामे के बाद निलंबित हुए थे 10 मेंबर्स

जेपीसी की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों के कारण ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को संसद में जल्दी पेश करने पर जोर दे रही है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की कार्यवाही एक तमाशा बन गई है। समिति ने बनर्जी-ओवैसी सहित 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया।

पानी में जहर' वाले बयान पर अरविंद केजरीवाल को नोटिस, चुनाव आयोग ने मांगे सबूत

दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार हो रही बयानबाजी से चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। इसी बीच 'यमुना के पानी में जहर' वाले अपने बयान को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल मुश्किल में पड़ते हुए नजर आ रहे हैं। अरविंद केजरीवाल को चुनाव आयोग ने शो कॉज नोटिस भेजा है। आयोग ने केजरीवाल से उनके द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में सबूत देने को कहा है। इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल कोई ठोस तथ्य और जवाब नहीं देते तो उनके खिलाफ आदेश पारित किया जाएगा। जिसके तहत अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यमुना जल प्रदूषण के बारे में अपने बयानों के संबंध में चुनाव आयोग के नोटिस पर जवाब दिया था। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पत्र लिखकर चुनाव आयोग को सफाई दी। हालांकि, इसमें उन्होंने भाजपा और हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में जहर घोलने के अपने आरोपों का कोई प्रमाण नहीं दिया। न ही दिल्ली के लोगों के विरुद्ध छेड़े गए जैविक युद्ध से जुड़े आरोपों पर कोई सफाई दी।

“दो राज्यों के बीच युद्ध कराने जैसा”

केजरीवाल के जवाब से असंतुष्ट चुनाव आयोग ने आप संयोजक को फिर से जवाब दिया है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से कहा कि वे यमुना में बढ़े हुए अमोनिया के मुद्दों को सामूहिक नरसंहार के साथ यमुना में जहर डालने के गंभीर आरोपों के साथ न मिलाएं। इसे दो देशों के बीच युद्ध की कार्रवाई के समान माना जा रहा है।

चुनाव आयोग ने क्या-क्या कहा?

चुनाव आयोग ने केजरीवाल को यह समझाने का एक और मौका दिया है कि दो समूहों के बीच शत्रुता, सार्वजनिक अव्यवस्था और अशांति को बढ़ावा देने वाले उनके गंभीर आरोपों के लिए कार्रवाई क्यों ना की जाए। इसी के साथ केजरीवाल से चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा है कि उन्हें शुक्रवार सुबह 11 बजे तक किस तरह दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी “जहर” का पता लगा रहे हैं। इंजीनियर कैसे काम कर रहे हैं, इन सब चीजों की जानकारी भी शेयर करने के लिए कहा गया है। ऐसा न करने पर, इन चीजों की जानकारी शेयर न करने पर आयोग इस मामले में उचित निर्णय लेने के लिए आजाद होगा।

जहरीले पानी के आरोप पर चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल से पांच सवाल पूछे हैः-

1. पहला सवाल है किस तरह का जहर हरियाणा सरकार की तरफ से यमुना मेंमिलाया गया?

2. दूसरा, सबूत दे मात्रा, प्रकृति और जहर को डिटेक्ट करने के जिससे जनसंहार हो सकता था?

3. तीसरा, लोकेशन बताएं जहां जहर को पाया गया?

4. चौथा, जल बोर्ड के किस इंजीनियर ने जहर को पाया और कैसे और कहां?

5. पांचवां, किस मेथोडोलॉजी का इस्तेमाल जहरीले पानी को दिल्ली में आने से रोकने के लिए किया गया?

दरअसल, आप संयोजक ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार ने यमुना के पानी को जहरीला कर दिया है।केजरीवाल ने दावा किया था कि अगर दिल्ली जल बोर्ड ने जहर नहीं पकड़ा होता, तो सामूहिक नरसंहार हो सकता था। केजरीवाल ने बुधवार को अपने दावे पर चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब दिया था कि हरियाणा सरकार यमुना में “जहर मिला रही है”, और कहा कि हाल के दिनों में बीजेपी शासित राज्य से हासिल कच्चा पानी लोगों के लिए उनके स्वास्थ्य के लिए “काफी दूषित और बेहद जहरीला” है. चुनाव आयोग को 14 पेज के जवाब में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर लोगों को ऐसे “जहरीले पानी” का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई, तो इससे गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा होगा और लोगों की मृत्यु हो जाएगी।

डोनाल्ड ट्रम्प की योजना: ग्वांतानामो सैन्य जेल को प्रवासी निरोध केंद्र के रूप में बदलने का प्रस्ताव

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वे पेंटागन और होमलैंड सुरक्षा विभाग से ग्वांतानामो खाड़ी में नौसैनिक अड्डे पर एक ऐसी सुविधा बनाने की जांच करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, जिसमें 30,000 से अधिक अवैध प्रवासियों को रखा जा सकता है। "उनमें से कुछ इतने बुरे हैं कि हम उन देशों पर भी भरोसा नहीं करते कि वे उन्हें पकड़ेंगे, क्योंकि हम नहीं चाहते कि वे वापस आएं, इसलिए हम उन्हें ग्वांतानामो भेजने जा रहे हैं," ट्रम्प ने बुधवार को लैकेन रिले अधिनियम पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, जिसमें अपराधों के आरोपी अनधिकृत प्रवासियों को हिरासत में रखने की आवश्यकता है।

ट्रम्प ने कहा कि ग्वांतानामो प्रयास प्रवासियों को हिरासत में रखने की अमेरिकी क्षमता को दोगुना कर सकता है। इसका संकेत उनके होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने दिया, जिन्होंने पहले फॉक्स न्यूज को बताया था कि प्रशासन क्यूबा के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित जेल सुविधा में प्रवासियों को भेजने पर विचार कर रहा है। यह आव्रजन नीति के व्यापक बदलाव का हिस्सा है, जिसमें प्रशासन न्यूयॉर्क, शिकागो और डेनवर में गंभीर अपराधों के दोषी लोगों की हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियाँ कर रहा है। लेकिन ट्रंप ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े निर्वासन की भी कसम खाई है, दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की, प्रवर्तन में सहायता के लिए हजारों अतिरिक्त सैनिकों को आदेश दिया ।

प्रशासन ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा अमेरिका में पहले से मौजूद 600,000 वेनेजुएला के लोगों के लिए अस्थायी संरक्षित स्थिति के विस्तार को रद्द कर दिया। TPS के 18 महीने के विस्तार ने वेनेजुएला के प्रवासियों को उनके देश वापस भेजे जाने से बचाया होगा और उन्हें अमेरिका में कानूनी रूप से काम करने की अनुमति दी होगी। बिडेन प्रशासन ने पद छोड़ने से कुछ दिन पहले विस्तार की घोषणा की। "हमने इसे रोक दिया," नोएम ने फॉक्स न्यूज पर कहा। "हमने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के भीतर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए कि हम उनके द्वारा हमारे हाथ बांधने के लिए किए गए कामों का पालन नहीं करने जा रहे हैं।"

पिछले कई वर्षों में, वेनेजुएला के लोग बिना किसी अनुमति के अमेरिका-मेक्सिको सीमा पार करके शरण मांगने वाले प्रवासियों के सबसे बड़े समूहों में से एक हैं। हालांकि दक्षिण अमेरिकी देश के लिए टीपीएस कार्यक्रम को शुरू में व्यापक समर्थन मिला था, लेकिन बाद में यह रिपब्लिकन के निशाने पर आ गया, जिन्होंने तर्क दिया कि इसे बहुत उदारता से प्रदान किया गया है और यह प्रवासियों को आकर्षित करने का काम करता है।

फ्लोरिडा, टेक्सास और न्यूयॉर्क में टीपीएस वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी आबादी है, जिनमें से लगभग आधे कुल प्राप्तकर्ता वेनेजुएला से आते हैं। मियामी स्थित गैर-लाभकारी संस्था रईस वेनेज़ोलानास की पेट्रीसिया एंड्रेड टीपीएस धारकों को अन्य वीजा और वैकल्पिक आव्रजन विकल्पों के लिए आवेदन करने की सलाह दे रही हैं। उन्होंने कहा, "टीपीएस प्राप्त करने वाले कई लोगों ने पहले ही शरण या अप्रवासी वीजा का विकल्प चुना है, लेकिन अन्य अभी भी इन नए वीजा का इंतजार कर रहे हैं।" "ये वे लोग हैं जिनके बारे में हमें चिंता है।"

बांग्लादेश में क्या कर रहा है जॉज सोरोस का बेटा? 'भारत के दुश्मन' के साथ दिखे मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भारत के दुश्मनों के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। अब भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए कुख्यात जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को साथ देखा गया है। बुधवार को जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने ढाका में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। एलेक्स सोरोस अपने पिता जॉर्ज सोरोस के एनजीओ द ओपन सोसायटी फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। बता दें कि सेरोस ने यूनुस सरकार को आर्थिक मदद देने का वादा किया है।जॉर्ज सोरोस ने बांग्लादेश को तब मदद का भरोसा दिया है, जब अमेरिका ने अपने हाथ खींच लिए हैं।

ढाका में हुई मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस ने कहा, कि सोरोस और ओपन सोसायटी फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बिनैफर नौरोजी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में सुधार के लिए अंतरिम सरकार के एजेंडे को अपना समर्थन दिया है।

मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, कि "ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के नेतृत्व ने बुधवार को मुख्य अंतरिम सलाहकार से मुलाकात की और देश की इकोनॉमी के फिर से निर्माण, गबन की गई संपत्तियों का पता लगाने, गलत सूचनाओं से निपटने और महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू करने के बांग्लादेश की कोशिशों पर चर्चा की है।" वहीं, इस मुलाकात के बाद बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि बैठक में आर्थिक सुधार, मीडिया की आजादी, संपत्ति की वसूली, नये साइबर सुरक्षा कानून और रोहिंग्या संकट पर बात की गई है।

बांग्‍लादेश की सरकार के साथ जॉर्ज सोरोस का रिश्ता चिंता पैदा करता है। शेख हसीना ने इसी ओर इशारा क‍िया था, जब उन्‍होंने कहा था क‍ि कुछ गोरे लोगों के साथ वे तालमेल नहीं बिठा पाईं, जो बांग्‍लादेश को नोचना चाहते थे। इनमें से कई ऐसे थे, जिन्‍होंने बांग्‍लादेश को कमजोर क‍िया। हालांकि, तब शेख हसीना ने क‍िसी का नाम नहीं ल‍िया था।

जब पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें उन्हें देश से भागना पड़ा था, उसके बाद से ही आशंका जताई जा रही थी, कि इस प्रदर्शन के पीछे एक टूलकिट गैंग काम कर रही है। एक्‍सपर्ट ने तब माना था क‍ि अमेर‍िकी डेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी सदस्‍यों, जॉर्ज सोरोस और ढाका में बीआरएसी यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच एक साठगांठ बन गई है। सब जानते हैं क‍ि इस यूनिवर्सिटी को ओपन सोसाइटी का नेटवर्क फंड करता है। वही ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, जिसके चेयरमैन जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्‍स सोरोस हैं। पिछले साल जब ढाका में विरोध प्रदर्शन चरम पर थे, तब यह खुलकर सामने आ गया था। क्‍योंक‍ि तब 22 अमेर‍िकी सीनेटरों ने अमेर‍िकी विदेश मंत्री एंटनी ब्‍ल‍िंकन को पत्र लिखकर शेख हसीना सरकार के ख‍िलाफ कार्रवाई करने को कहा था। इन सीनेटरों में से एक इल्हान उमर भी थे, जो अमेरिकी कांग्रेस में सोरोस कैंप के कट्टर मेंबर थे।

वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद सत्ता में आए जब मोहम्मद यूनुस ने पिछले साल अक्टूबर में यूनाइटेड नेशंस के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा की थी, उस वक्त उन्होंने न्यूयॉर्क में जॉर्ज सोरोस से भी मुलाकात की थी। यानि, पिछले चार महीनों के बीच सोरोस परिवार के साथ मोहम्मद यूनुस की दूसरी मुलाकात है।

अहमद अल-शरा बने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति, बशर असद को सत्ता से किया था बेदखल

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सीरिया में 50 वर्षों के असद शासन का अंत हो चुका है। पिछले साल दिसंबर में विद्रोहियों ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया। इसके बाद यहां बशर अल-असल की सरकार गिर गई। जिसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम ने यहां सत्ता संभाली। इस गुट के नेता अहमद अल-शरा हैं। जिन्हें 29 जनवरी को देश का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और उन्हें विधायिका बनाने का दायित्व सौंपा गया।

बुधवार को देश के अंतरिम राष्ट्रपति की नियुक्त के संबंध में सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता ने जानकारी दी। सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता कर्नल हसन अब्दुल गनी ने कहा कि अहमद अल-शरा इस्लामी पूर्व विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेता हैं। उन्हें देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। शरा के इसी गुट ने पिछले महीने असद को सत्ता से बेदखल करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।

बता दें कि अहमद अल-शरा के सत्ता में आने के बाद देश में 2012 के संविधान को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा असद सरकार की संसद को भंग कर दिया गया है। नई अस्थायी विधान परिषद का गठन किया जाएगा। शरा ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश में शांति स्थापित करना, संस्थानों का पुनर्निर्माण करना और एक स्थिर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा।

अहमद अल-शरा पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाने जाते थे। अल-शरा का जन्म 1982 में दमिश्क में हुआ। वह कुछ वक्त सऊदी अरब में रहे। यहां उनके पिता काम करते थे। इसके बाद उनकी परवरिश सीरिया में ही हुई। विद्रोही गुट में शामिल होने से पहले अहमद अल-शरा ने डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ी। साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ। उन्होंने अल नुसरा फ्रंट बनाई. ये अल कायदा की ब्रांच है। इसी को बाद में हयात तहरीर अल-शाम नाम पड़ा। अमेरिका ने अल-शरा को कई सालों तक आतंकवादी करार दिया। उन पर उसने 10 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा। उन्होंने साल 2016 में अलकायदा से अपने आपको अलग कर लिया और एचटीएस को बढ़ाया। उन्होंने इसे राष्ट्रवादी फोर्स करार दिया। हाल के सालों में अल-शरा ने अपनी पगड़ी बदलकर सैनिक वर्दी पहन ली और अल्पसंख्यकों के साथ औरतों के हकों को महफूज करने की बात कही।

असद परिवार के करीब 50 वर्षीय शासन को सिर्फ 10 दिनों में विद्रोहियों ने हमला बोलकर खत्म कर दिया और अब राजनीतिक कैदियों को आजाद कराने के लिए जेलों व सुरक्षा सुविधाओं में तोड़फोड़ की। असद के पांच दशकों के कार्यकाल में सीरिया को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, तुर्किये और सऊदी अरब जैसे कई बड़े देशों से विरोध झेलना पड़ा। जबकि रूस, इराक, मिस्र, लेबनान और ईरान ने असद का भरपूर साथ दिया।

वॉशिंगटन डीसी में बड़ा हादसा, सेना के हेलीकॉप्टर से टकराया यात्री विमान, 60 लोग थे सवार

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अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास बड़ा विमान हादसा हो गया है। हादसे के बाद विमान पोटोमैक नदी में गिर गया। विमान में 60 लोग सवार थे। जानकारी के मुताबिक, हादसा एक हेलीकॉप्टर से प्लेन के टकराने की वजह से हुआ। क्रैश के बाद यात्रियों से भरा विमान और हेलीकॉप्‍टर दोनों पोटोमैक नदी में गिर जा गिरे। नदी से दो शव निकाले गए हैं। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हादसे के बाद से रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के पास ये हादसा हुआ। वॉशिंगटन के रोनाल्ड रिगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ये हादसा हुआ है। यह विमान कंसास सिटी से वॉशिंगटन जा रहा था। लैंडिंग के दौरान यह हेलीकॉप्टर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।अमेरिकन एयरलाइंस ने पुष्टि की कि विमान में 60 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सवार थे। समाचार एजेंसी एएफपी ने अमेरिकी सेना के हवाले से बताया कि ब्लैक हॉक सिकोरस्की एच-60 नामक हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे।

जहां पर मौजूद थे ट्रंप, वहां से कुछ दूर पर विमान हादसा

व्हाइट हाउस से एयरपोर्ट के बीच एयर डिस्टेंस तीन किलोमीटर से भी कम है। जिस समय यह हादसा हुआ, ट्रंप उस समय व्हाइट हाउस में मौजूद थे। यह हादसा है या साजिश, फिलहाल इसका पता नहीं चला है। मिलिट्री हेलीकॉप्टर के अचानक आने से कई सवाल उठे हैं।

राहत एवं बचाव कार्य जारी

इस बीच अमेरिकी गृह मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्य के लिए तटरक्षक बल सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है। संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने बताया कि यह टक्कर पूर्वी मानक समयानुसार रात लगभग नौ बजे हुई, जब कंसास के विचिटा से उड़ान भरने वाला एक क्षेत्रीय विमान हवाई अड्डे के रनवे पर पहुंचते समय एक सैन्य ‘ब्लैकहॉक’ हेलीकॉप्टर से टकरा गया।

कनाडाई जांच एजेंसी ने कहा- निज्‍जर की हत्‍या में भारत क हाथ नहीं, ट्रूडो के आरोपों को किया खारिज

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कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उन्हें के देश की जेंसी ने बड़ा झटका दिया है। विदेशी हस्तक्षेप पर कनाडा सरकार की तरफ से गठित मैरी जोसी हॉग आयोग ने भारत को बेदाग करार दिया है। कनाडा की जांच आयुक्त मैरी-जोसे हॉग ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों का खंडन किया है।

हॉग आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर गलत सूचनाएं फैलाईं। हालांकि इसमें यह भी साफ कर दिया गया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों के संबंध को साबित करने को लेकर कोई ठोस लिंक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संदिग्ध भारतीय संलिप्तता के बारे में पीएम ट्रूडो की घोषणा के बाद चलाए गए गलत सूचना अभियान के मामले में हो सकता है। हालांकि, फिर भी किसी विदेशी संलिप्तता का कोई प्रमाणिक संबंध साबित नहीं हो सका। बता दें कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

123 पन्नों की रिपोर्ट में, छह भारतीय राजनयिकों को निष्काषित किए जाने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 'अक्तूबर 2024 में, कनाडा ने भारत सरकार से जुड़े एजेंटों द्वारा कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान की प्रतिक्रिया में छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को निष्काषित कर दिया।' हालांकि, भारत ने भी इसके जवाब में छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया और अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की घोषणा की।

वहीं, इस रिपोर्ट में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान को कनाडा के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत ने चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को चुपचाप पैसे से मदद की है। इसके लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल हुआ है।

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत के हस्तक्षेप संबंधी बातों को पूरी तरह से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, हकीकत यह है कि कनाडा भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने नवंबर 2023 में देश की संसद में आरोप लगाया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय राजनयिक समेत कई लोग शामिल थे। ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास इससे जुड़े सबूत भी हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था।

प्रलय के और करीब पहुंची दुनिया डूम्सडे क्लाॅक में नया समय सेट आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट किया गया

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

परमाणु वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लाॅक ( प्रयल की घड़ी) को न‌ए सिरे से सटे किया। इस साल इसे आधी रात से 89 सेकंड पहले किया गया है। यह पिछले साल से एक सेकंड कम है। यह घड़ी अब तक के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब पहुंच गई है। यानी हम दुनिया की तबाही के और पास पहुंच गए हैं। आधी रात ( 12 बजे) को प्रतीकात्मक रुपए से प्रयल का समय माना गया है। जब पृथ्वी इंसानों के रहने लायक नहीं रहेंगी और सर्वनाश हो जाएगा।

बुलेटिन आफ द एटाॅमिक साइंटिस्ट के अनुसार, 78 साल पहले 1947 में वैज्ञानिकों ने यह घड़ी बनाई थी। इस अनोखी घड़ी को प्रलय घड़ी कहा जाता है। यह प्रतीकात्मक प्रयास था कि मानवता दुनिया को नष्ट करने के कितने करीब है। यूक्रेन पर रुसी हमले, परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका,गाजा में इस्त्राइल - हमास के संघर्ष और जलवायु संकट के चलते पिछले दो सालों के लिए घड़ी को आधी रात से 90 सेकंड वाले सेट किया गया था। बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डेनियल होल्ज ने बताया कि हमने घड़ी को आधी रात के करीब सेट किया है क्योंकि हम परमाणु जोखिम, जलवायु परिवर्तन,जैविक खतरों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( एआई) जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों समेत वैश्विक चुनौतियों पर प्रर्याप्त, सकारात्मक प्रगति नहीं देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं,वे अपने शस्त्रागार के भंडार और भूमिका को बढ़ा रहे हैं। ऐसे हथियारों में सैकड़ों अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं जो सभ्यता को क‌ई बार नष्ट कर कर सकते हैं।

ये हैं प्रलय घड़ी

बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट की स्थापना वैज्ञानिकों के एक समूह ने की थी। इन्होंने मैनहट्टन प्रोजेक्ट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बस के विकास का कोड नाम था। मूल रूप से संगठन की कल्पना परमाणु खतरों को मापने के लिए की गई थी, लेकिन 2007 में इसने अपनी गणना में जलवायु परिवर्तन को शामिल करने का फैसला लिया। पिछले 78 सालों में, मानव जाति संपूर्ण विनाश के कितने करीब है,इस हिसाब से घड़ी का समय बदलता रहा है। कुछ वर्षों में समय बदल जाता है और कुछ वर्षों में नहीं बदलता।

पहली बार आइंस्टीन ने 1948 में किया था स्थापित

प्रयल घड़ी हर साल बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के विशेषज्ञों के इसके प्रायोजकों के बोर्ड के परामर्श से तय की जाती है। इसे पहली बार दिसंबर 1948 में अल्बर्ट आइंस्टीन की ओर से स्थापित किया गया था। बोर्ड में वर्तमान में नौ नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल हैं।

घड़ी सटीक है

यह घड़ी कोई वास्तविक घंटी नहीं है। बल्कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का सांकेतिक सकते हैं,जो हमें बताता है हम मानव - निर्मित आपदा के कितने करीब है।