/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz मिशन दिल्ली' के लिए बीजेपी का माइक्रोमैनेजमेंट, ऐसे हर सीट पर वोट बढ़ाने का है प्लान India
मिशन दिल्ली' के लिए बीजेपी का माइक्रोमैनेजमेंट, ऐसे हर सीट पर वोट बढ़ाने का है प्लान

#bjp_micromanagement_for_delhi_election

दिल्ली में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले ने राष्ट्रीय राजधानी के सियासी परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। जैसे जैसे चुनावी तारीख नजदीक आ रही बीजेपी और आक्रामक होती जा रही है। अपने प्रचार अभियान के आखिरी दिनों में उसे धार देने के लिए बीजेपी ने दिल्ली में विशाल रैलियां कराने का खाका खींच लिया है। इसके तहत पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, मनोहर लाल खट्टर और नितिन गडकरी सहित तमाम पार्टी नेता दिल्ली में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगेगे। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और नेता भी अभियान में शामिल होंगे।

बीजेपी ने दिल्ली फतह करने के लिए लक्ष्य भी तय कर लिया है। हर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 20 हजार वोट बढ़ाना, हर बूथ पर पचास प्रतिशत वोट हासिल करना और हर बूथ पर पिछली बार की तुलना में अधिक वोट डलवाना। इन तीनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बीजेपी ने बूथ दर बूथ, वोटर लिस्ट दर वोटर लिस्ट माइक्रोमैनेजमेंट की एक रणनीति तैयार की है।बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। हर बूथ का विश्लेषण कर क्षेत्रवार ब्यौरा तैयार किया गया है।

बीजेपी पिछले कई महीनों से मतदाता सूचियों को खंगाल रही है। हर बूथ के मतदाताओं का डेटा तैयार किया गया। नए वोटर जुड़वाए गए और फर्जी वोटर हटवाए गए। ऐसे मतदाताओं की सूची बनाई गई जो अब उस बूथ के क्षेत्र में नहीं रहते लेकिन वोटर लिस्ट में उनका नाम है। कोविड के समय दिल्ली से अपने गांवों में चले गए मतदाताओं से संपर्क किया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि मतदान के लिए दिल्ली आएं और बीजेपी को वोट दें। ऐसे वोटरों की सूची भी तैयार की गई है, जो किसी दूसरे कारण से दिल्ली से बाहर चले गए लेकिन उनका वोट अब भी दिल्ली में ही है। उन्हें भी पांच फरवरी को वोट डालने के लिए दिल्ली आने के लिए तैयार किया जा रहा है।

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से बसे पूर्वांचलियों और उत्तराखंड से आकर बसे पहाड़ियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। पूर्वांचल से बीजेपी नेताओं को लेकर पूर्वांचली मतदाताओं के बीच प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी इसका समन्वय देख रहे हैं। बीजेपी पूर्वांचलियों का दिल जीतना चाहती है। वह आप के इस प्रचार का भी जवाब देना चाहती है कि बीजेपी ने पूर्वांचलियों को बड़ी संख्या में टिकट नहीं दिया।

बीजेपी ने राज्यवार मतदाताओं की सूची भी तैयार की। हर बूथ के वोटरों की सोशल प्रोफाइल भी खंगाली गई। उदाहरण के तौर पर यह पता लगाया गया कि वह मूलत दिल्ली निवास है या किसी अन्य राज्य से दिल्ली में आकर बसा है। अगर बाहर से आकर बसा है तो जहां से आया, वहां के स्थानीय बीजेपी नेताओं को उस वोटर से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने को कहा गया ताकि स्थानीय संबंधों का लाभ उठा कर उसे बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए मनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर करीब तीन लाख मतदाता तेलुगु भाषी हैं। उनसे संपर्क स्थापित करने की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश के बीजेपी और टीडीपी नेताओं को दी गई है। इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात जैसे राज्यों के दिल्ली में रह रहे लोगों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए वहां के बीजेपी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।

शरद पवार के बगल में थी कुर्सी, नेमप्लेट हटाकर दूर बैठे अजित, फिर बंद कमरे में की सीक्रेट मीटिंग, माजरा क्या है?

#ajit_pawar_avoids_sitting_next_to_sharad_pawar

महाराष्ट्र की सियासत कब किस करवट ले ले, ये कहना मुश्किल है। इस दौरान अक्सर सबसे बड़ा सवाल और सबसे ज्यादा अटकलें “पवार परिवार” को लेकर होती है। सवाल और अंदेशा “पवार परिवार” के एक होने को लेकर होती रहती हैं। कभी शरद पावर और अजीत पवार में नजदीकियां देखी जाती है तो कभी ये दूर दिखने लगते हैं। ऐसा ही एक वाक्या वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में नजर आया। जहां दोनों नेताओं के बीच दूरियां नजर आईं। हालांकि उससे पहले अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बंद कमरे में मुलाकात भी की। यह मीटिंग वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के परिसर में ही हुई।

शरद पवार और उनके भतीजे शरद पवार दोनों वार्षिक आम सभा की बैठक के लिए वहां गए थे। एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में दोनों नेताओं ने भाग लिया। हालांकि, कार्यक्रम में डिप्टीसीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के बगल में बैठने से किनारा कर लिया और मंच पर कुछ दूरी पर बैठे नजर आए। शुरुआती व्यवस्था के मुताबिक, दोनों को एक-दूसरे के बगल में बैठना था, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने अपनी नेमप्लेट एक कुर्सी दूर कर दी, जिससे राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल उनके बीच बैठ गए।

अजित पवार से जब मीडिया ने शरद पवार के बगल में बैठने के बजाय सहकारिता मंत्री के बगल में बैठने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बाबासाहेब पवार साहब से बात करना चाहते थे। इसीलिए मैंने बैठने की व्यवस्था बदलने के लिए कहा है। मैं उनसे (शरद पवार से) कभी भी बात कर सकता हूं। मैं एक कुर्सी दूर भी बैठूं तो मेरी आवाज इतनी तेज होगी कि दूर बैठा कोई भी व्यक्ति सुन सकता है। उनकी आवाज काफी तेज है और पहली दो लाइनों में बैठे लोग उन्हें सुन सकते हैं।

इसके ठीक बाद एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार और एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल सहित अन्य नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। वीएसआई के चेयरमैन शरद पवार कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ अपने केबिन में थे। तभी वीएसआई के ट्रस्टी अजित पवार अंदर आए। इसके बाद वे और उनके चाचा कुछ बेहद करीबी सहयोगियों की मौजूदगी में करीब आधे घंटे तक उनसे मिले और फिर बैठक में चले गए। यह स्पष्ट नहीं है कि उनके बीच क्या बातचीत हुई।

पिछले कुछ सालों से उपमुख्यमंत्री वीएसआई की बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं अपनी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाने में व्यस्त था। बाद में अजित पवार ने कहा कि चर्चा चीनी उद्योग और वीएसआई से जुड़े मुद्दों पर हुई। उन्होंने कहा, चूंकि उद्योग को राज्य सरकार के सहकारिता, राज्य उत्पाद शुल्क, कृषि और ऊर्जा विभागों से निपटना पड़ता है, इसलिए हमने उनके मुद्दों पर चर्चा की। वीएसआई के बारे में मेरे कुछ विचार थे, जिन्हें मैंने उन्हें बता दिया।

बजट से पहले हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा

#halwaceremonybeforeunionbudget_2025

वित्त मंत्रालय की ओर से केंद्रीय बजट पेश होने से ठीक पहले एक हलवा समारोह का आयोजन किया जाता है। हलवा समारोह के जरिए यह संकेत दिया जाता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू गया है। केंद्रीय बजट 2025 से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन आज हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है।

बजट से पहले हलवा समारोह (हलवा सेरेमनी) का आयोजन केंद्रीय वित्त मंत्री उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक में होता है। बजट तैयार करने की "लॉक-इन" प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसे आयोजित करने की परंपरा है। इस दौरान वित्त मंत्रालय की रसोई में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है, जिसे वित्तमंत्री खुद अपने हाथों से बजट तैयार करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसती हैं।

वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील

हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती।

हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई

बजट सत्र से पहले हलवा सेरेनमी की कई तस्वीरें और वीडियो आपने देखी ही होंगी। एक बड़ी सी टेबल पर बड़ी कढ़ाई रखी होती, जिसमें हलवा होता है। इस दौरान वित्तमंत्री के साथ मंत्रालय के बड़े अधिकारी और कर्मचारी वहां मौजूद रहते हैं, जो हलवा खाने के बाद बजट की छपाई का काम शुरू करते हैं। बजट की छपाई शुरू होने से वित्तमंत्री के बजट भाषण तक ये अधिकारी व कर्मचारी मंत्रालय में ही रहते हैं। यह प्रक्रिया काफी गोपनीय होती है।

बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा

अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है।

कब से चल रही ये परंपरा?

हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।

मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार का बड़ा फैसला, उज्जैन समेत इन 17 शहरों में शराबबंदी

#liquor_ban_announced_in_17_cities_of_madhya_pradesh

मध्‍य प्रदेश सरकार की ‘डेस्टिनेशन कैबिनेट मीटिंग’ में बड़ा फैसला ले ही लिया गया। देवी अहिल्या बाई की‎ 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में‎ खरगोन के महेश्वर में‎ हुई इस कैबिनेट बैठक में शराबबंदी पर यह निर्णय लिया गया। इसके तहत अब राज्‍य के 17 शहरों में शराबबंदी कर दी गर्द है। ये सभी 17 धार्मिक नगर हैं, जहां अब शराब की ब्रिक्री नहीं की जाएगी।

कैबिनेट की बैठक वंदे मातरम गान के साथ शुरू हुई। कैबिनेट बैठक लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर को समर्पित की गई है। मुख्यमंत्री के सामने टेबल पर अहिल्या माता की मूर्ति रखी गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शराबबंदी की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए पहले चरण में 17 धार्मिक नगरों को चुना गया है। इनमें नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्रों में शराब की दुकानें बंद कर दी जाएंगी, और इन दुकानों को दूसरी जगह शिफ्ट भी नहीं किया जाएगा। यह निर्णय हमेशा के लिए शराबबंदी के लिए लिया गया है। इन 17 धार्मिक नगरों में एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

मोहन यादव सरकार ने मध्य प्रदेश के 17 शहरों में शराबबंदी का फैसला किया। इन शहरों में उज्जैन, ओंकारेश्वर, मैहर, खजुराहो, महेश्वर, ओरछा, सांची, नलखेड़ा, सलकनपुर, जबलपुर, मंदसौर आदि जिलों का नाम शामिल है। मुख्यमंत्री ने बताया कि उज्जैन नगर निगम क्षेत्र की सीमा में पूरी तरह से शराब की दुकानें बंद रहेंगी। इसके अलावा, दतिया नगर पालिका क्षेत्र, पन्ना नगर पालिका क्षेत्र, मंडला नगर पालिका, मुलताई नगर पालिका, मंदसौर नगर पालिका, महैर नगर पालिका, ओंकारेश्वर नगर परिषद, महेश्वर नगर परिषद, मंडलेश्वर नगर परिषद, ओरछा नगर परिषद, चित्रकूट नगर परिषद, और अमरकंटक नगर परिषद में भी शराबबंदी लागू रहेगी। ये सभी स्थल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं। इसके बाद, ग्राम पंचायत क्षेत्रों में सलकनपुर, बरमान, लिंगा, बरमानर्खुद, कुंडलपुर और बांदकपुर में भी शराब बंदी लागू की जाएगी। साथ ही, मां नर्मदा के दोनों तटों के पांच किलोमीटर क्षेत्र में शराबबंदी की नीति को भी जारी रखा जाएगा।

इससे पहले कैबिनेट की बैठक के पहले डॉक्टर मोहन यादव मंत्रिमंडल के सदस्यों ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की राजगद्दी के दर्शन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके बाद नर्मदा के घाट पहुंचकर पूजा अर्चना की गई।इस दौरान प्रदेश की सुख शांति और समृद्धि की कामना मंत्री परिषद के सदस्यों द्वारा की गई।

क्या IUML सांसद ने मंदिर में खाया नॉनवेज, बीजेपी नेता अन्नामलाई के आरोपों के बाद दोनों आमने-सामने

#biryani-controversyintamilnadu

तमिलनाडु में बिरयानी खाने को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के लोकसभा सांसद के नवसकानी और तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई एक दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने सांसद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मदुरै में तिरुपरंगुनराम सुब्रमण्यम स्वामी हिल जिसको हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, वहां जाकर मांसाहारी खाना (बिरयानी) खाया।

एक बयान में अन्नामलाई ने कहा कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बरकरार रखी जानी चाहिए। भगवान मुरुगन के छह निवासों में से पहला, थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में हाल के घटनाक्रम अवांछनीय हैं। खासकर सांसद नवाज कानी की हरकतें बेहद निंदनीय हैं। थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी पहाड़ी, जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है, पर एक समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन करने का उनका कृत्य न केवल एक गंभीर गलती है, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव भड़कने की भी संभावना है।

IUML सांसद को बर्खास्त करने की मांग

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन का सेवन करने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता और रामनाथपुरम के सांसद नवास कानी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मौजूदा सांसद, जिसने भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का पालन करने की शपथ ली है। उस स्थान पर जाने और मांसाहारी खाने का फैसला किया है, जो हजारों वर्षों से हिंदू समुदाय के लिए पवित्र रहा है। उन्होंने कहा कि यह तमिलनाडु की राजनीति का हाल है। राज्य में जो कुछ हो रहा है उस पर तुष्टिकरण की राजनीति हावी हो गई है। इस सांसद को बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है।

IUML सांसद ने पेश की सफाई

बीजेपी के आरोप पर अब लोकसभा सांसद के नवसकानी ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा, मदुरै में उसी पहाड़ी पर सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर है वहां पर एक सिकंदर दरगाह भी है। मैं उसी दरगाह में गया था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। मैं सिर्फ लोगों से बातचीत करने, उनकी समस्याओं के बारे में जानने के लिए दरगाह में गया था। उन्होंने दरगाह के बारे में बात करते हुए कहा, दरगाह में न सिर्फ मुस्लिम बल्कि सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं। वहां कई वर्षों तक बकरे और मुर्गों की बलि दी जाती रही है। लोग पहाड़ी के नीचे रहते हैं और बकरी और मुर्गों को पालते हैं, इसके बाद लोग पहाड़ी पर जाकर बकरियों और मुर्गियों की बलि देते हैं और फिर खाना पकाया जाता है और वहीं खाया जाता है। उन्होंने आगे कहा, दरगाह वक्फ बोर्ड के अंदर आती है, इसलिए वो यह समझने के लिए वहां गए थे कि दरगाह पर आने वाले लोगों को असुविधा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा, दरगाह के पीछे काशी विश्वनाथ मंदिर है।

बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश- नवसकानी

सांसद ने अन्नामलाई पर झूठे दावे फैलाने का आरोप लगाया। नवसकानी ने कहा, अन्नामलाई झूठ फैला रहे हैं। बीजेपी राजनीति के लिए ऐसा कर रही है। वे ऐसा दर्शाने की कोशिश करते हैं कि हम मंदिर परिसर में बिरयानी खाते हैं, लेकिन वो अपना मकसद हासिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा, बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होगा

ट्रंप ने किम जोंग उन से मुलाकात की इच्छा जताई, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह को स्मार्ट

#trumpsayshewillreachouttonorthkoreakimjong

अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप एक्टिव मोड में हैं। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए कई बड़े ऐलान किए। उसके बाद उन्होंने ग्लोबल लीडर्स से भी बात की। एक तरफ रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध रोकने की सलाह दी तो ईरान को चेतावनी दी। इस बीच उन्होंने नॉर्थ कोरिया के लीडर किम जोंग उन को स्मार्ट बताते हुए उनसे मिलने की भी इच्छा जताई है।

किम धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हैं-ट्रंप

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने दक्षिण कोरियाई नेता किम जोंग के बारे में बात की। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में बातचीत के दौरान जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उत्तर कोरियाई नेता के साथ किम जोंग के साथ संबंध पर सवाल किए तो उन्होंने उन्हें स्मार्ट आदमी बताते हुए कहा कि वह उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग से संपर्क करने वाले है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने किम के साथ अच्छा संबंध स्थापित किया है और किम धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हैं।

ट्रंप खुद चलकर प्योंगयोंग गए थे

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी किम जोंग उन से मुलाकात की थी। 2017 से 2021 तक अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने किम के साथ एक असामान्य कूटनीतिक संबंध स्थापित किया था, जिसमें न सिर्फ किम से मुलाकात की, बल्कि यह भी कहा कि दोनों ‘प्यार में पड़ गए हैं।’ हालांकि, उनके विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्वीकार किया था कि ये प्रयास उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए एक स्थायी समझौते तक पहुंचने में विफल रहा।

नॉर्थ कोरिया से संबंध सुधारना नहीं आसान!

उत्तर कोरिया को अमेरिका सबसे बड़े दुश्मनों से एक माना जाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद ये दुश्मनी और गहरी हो गई है, क्योंकि उत्तर कोरिया ने खुले तौर पर इस युद्ध में रूस का साथ दिया है। ऐसे में ट्रंप के लिए किम जोंग से रिश्ता बनाना आसान नहीं है। दरअसल साउथ कोरिया अमेरिका का करीबी सहयोगी है, लेकिन नॉर्थ कोरिया से उसके रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। अगर ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया से संबंध सुधारने की शुरुआत की तो साउथ कोरिया अमेरिका से नाराज हो सकता है।

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत पहुंचे, गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे

#indonesiapresidentprabowosubiantoarrivesinindiaforrepublic_day

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो राष्ट्र प्रमुख के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। सुबियांतो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली आए हैं। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का हवाई अड्डे पर विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने स्वागत किया।

राष्ट्रपति सुबियांतो की इस यात्रा के दौरान कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समझौते किए जाने की संभावना है। ये यात्रा भारत और इंडोनेशिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी। पिछले कुछ सालों में भारत और इंडोनेशिया के संबंधों में विशेष रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है।

गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले चौथे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति

वह गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले चौथे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति होंगे। इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे।इस अवसर पर इंडोनेशिया से 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ता कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेगा। ये पहली बार होगा जब इंडोनेशियाई मार्चिंग और बैंड दस्ता विदेश में राष्ट्रीय दिवस परेड में भाग लेगा।

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इंडोनेशिया से 162 सदस्यों वाला मार्चिंग दस्ता और 190 सदस्यों वाला बैंड दल भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होंगे। यह पहली बार है, जब इंडोनेशियाई दल किसी दूसरे देश के राष्ट्रीय परेड में भाग ले रहा है। यह दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य और सांस्कृतिक सहयोग का प्रतीक है।

ये समझौते हो सकते हैं

इंडोनेशिया भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदने का इच्छुक है। ऐसे में सुबियांतो की यात्रा के दौरान इस आशय की घोषणा हो सकती है। वे शनिवार को पीएम मोदी के साथ वार्ता भी करेंगे। उनकी यात्रा के बारे में जानकारी रखने वाले कुछ लोगों ने बताया कि वार्ता में रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, पर्यटन और द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की जाएगी।

भारत-इंडोनेशिया रिश्ते

पिछले कुछ वर्षों में भारत-इंडोनेशिया संबंधों में तेजी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया की यात्रा की थी, जिस दौरान भारत-इंडोनेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया। पिछले साल 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो से मुलाकात की थी।

वक्फ पर जेपीसी की बैठक में बवाल, बुलाना पड़ा मार्शल, ओवैसी-कल्याण समेत 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड

#parliamentary_panel_meet_on_waqf_begins_on_stormy

वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा के गठित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे में तीखी नोकझोंक हुई। देखते ही देखते बैठक में हंगामा शुरू हो गया। हालात काबू में न आते देख मार्शल बुलाए गए। जिसके बाद 10 सांसदों को समिति की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया और बैठक को 27 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब जेपीसी की बैठक में हंगामा हुआ हो। इससे पहले भी इस बैठक में विवाद हो चुके हैं।

बैठक में बिल पर क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा होगी और रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। मगर बैठक के पहले दिन ही इस पर जमकर हंगामा हो गया। वक्फ पर बनी जेपीसी में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा हंगामे के पीछे का मुख्य कारण समिति के सदस्यों की ये मांग थी कि रिपोर्ट एडॉप्ट की तारीख को 31 जनवरी किया जाए। समिति की रिपोर्ट तैयार करने से पहले क्लॉज दर क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा के लिए पहले 24 और 25 जनवरी की तारीख तय की गई थी। लेकिन कल गुरुवार की देर रात वो तिथि चेंज करके 27 जनवरी कर दी गई थी।

बताया जा रहा है कि कल्याण बनर्जी ने पूछा कि बैठक को इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया जा रहा है। इस पर निशिकांत दुबे ने आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल हैं।

समिति में विपक्षी दलों के सांसदों की ये मांग थी कि क्लॉज बाय क्लॉज के लिए बैठक 27 जनवरी की जगह 31 जनवरी कर दिया जाए। अरविंद सावंत ने कहा कि समय नहीं दिया, जल्दबाजी कर रहे हैं। 10 सदस्यों को आज भर के लिए सस्पेंड कर दिया है। हम 31 को क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा चाहते थे पर ये 27 जनवरी पर अड़े हैं।

सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने ट्रंप को दिया बड़ा ऑफर, 600 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान

#saudiintendstoinvestusd600billioninus

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटते ही सऊदी अरब ने अमेरिकी को खुश कर दिया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में 600 अरब डॉलर के निवेश और व्यापार करने की इच्छा जताई है। सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने जानकारी दी कि प्रिंस एमबीएस ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने की बधाई दी और उनसे फोन पर बातचीत की। इसके साथ ही इतना बड़ा ऑफर दे डाला। इसके साथ ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। दरअसल, इससे पहले जो बाइडन के राष्‍ट्रपति रहने के दौरान प्रिंस से उनके रिश्‍ते तल्‍ख बने हुए थे। दोनों के बीच मानवाधिकारों को सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्‍या को लेकर विवाद था।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को डोनाल्ड ट्रम्प से बातचीत कर उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने की बधाई दी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद विदेशी नेताओं में सबसे पहले प्रिंस सलमान से बातचीत हुई। क्राउन प्रिंस ने ट्रम्प से कहा कि सऊदी अरब, अमेरिका में अगले 4 साल में 600 बिलियन डॉलर (52 लाख करोड़) का निवेश करने को तैयार है। प्रिंस सलमान ने कहा कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो यह निवेश और बढ़ भी सकता है।

सऊदी प्रिंस ने ट्रंप से कहा कि उनका देश नए प्रशासन के सुधार से पैदा होने वाले अवसरों का फायदा उठाना चाहता है और भागीदारी तथा निवेश करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इन सुधारों से अप्रत्‍याशित समृद्धि आ सकती है। सऊदी एजेंसी ने यह नहीं बताया कि प्रिंस किन सुधारों की बात कर रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच बहुत करीबी संबंध रहे थे। ट्रंप और सऊदी प्रिंस पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते थे। साथ ही उनका इरादा आतंकवाद से मिलकर लड़ने का भी है।

सऊदी से हो सकती है ट्रंप की विदेश यात्रा की शुरुआत

अपने पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों की पहली यात्रा पर ब्रिटेन जाने की परंपरा तोड़ते हुए, सऊदी अरब की पहली यात्रा की थी। इस बार भी वह ऐसा कर सकते हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि वह फिर से पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का कर सकते हैं, लेकिन इसकी कीमत देनी होगी। ट्रंप की टिप्पणी के बाद सऊदी प्रिंस ने अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है।

पहली बार विदेश दौरे पर सऊदी गए थे ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा-मेक्सिको या फिर यूरोपीय देश की यात्रा करने की परंपरा है। पहली बार ट्रंप ने ही इस परंपरा को 2017 में तोड़ा था। ट्रम्प ने सोमवार को इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को इसलिए चुना था, क्योंकि वहां से सैकड़ों अरब डॉलर की बिजनेस डील हुई थी। तब सऊदी अरब 450 अरब डॉलर की कीमत के अमेरिकी सामान खरीदने पर राजी हुआ था, इसके बाद उन्होंने वहां का दौरा किया। मैं फिर से वहां का दौरा कर सकता हूं लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी सामान खरीदना होगा। अगर सऊदी 450 या फिर 500 अरब डॉलर की बिजनेस डील के लिए तैयार होता है, तो मैं फिर से वहां जाने के लिए तैयार हूं।

सऊदी अरब की निवेश योजना के संभावित पहलू

• अमेरिका में निवेश: सऊदी अरब ने अगले चार वर्षों में 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, और तकनीकी क्षेत्रों पर जोर दिया जाएगा। यह प्रस्ताव अमेरिका और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

• हथियार सौदे: सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हमेशा हथियार सौदे महत्वपूर्ण रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 450-500 अरब डॉलर के हथियार सौदे हुए थे। हालांकि, अब 600 अरब के निवेश में हथियार खरीदारी का हिस्सा बड़ा हो सकता है।

• मध्य पूर्व में स्थिरता: एमबीएस और ट्रंप दोनों पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते हैं। ये आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का इरादा भी इस साझेदारी को मजबूत करेगा।

ब्रिटेन में कंगना की 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग पर बवाल, खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म

#khalistaniscreateruckusinukagainstemergency_film

कंगना रनाउत की 'इमरजेंसी' को जहां पंजाब में बैन कर दिया गया है, वहीं इंग्लैंड में भी विरोध चल रहा है। ब्रिटेन में कंगना रनाउत की फिल्म "इमरजेंसी" के विरोध में खालिस्तानियों ने सिनेमा घरों में तांडव मचा दिया है। लंदन में कई जगह ‘इमरजेंसी’ दिखाई जा रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने फिल्म देख रहे दर्शकों को डराया और धमकी दी। मामले को लेकर विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन के गृह सचिव से दखल देने की मांग की है।

बॉब ब्लैकमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (ब्रिटिश संसद के निचले सदन) को बताया कि “अत्यंत विवादास्पद” फिल्म के प्रदर्शन को वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम, स्लो, स्टेन्स और मैनचेस्टर में भी इसी प्रकार बाधित किया गया। इसके परिणामस्वरूप ‘व्यू और सिनेवर्ल्ड’ ने ब्रिटेन में अपने कई सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने का निर्णय लिया है। व्यू और सिनेवर्ल्ड ब्रिटेन में कई सिनेमाघरों का संचालन करते हैं। ब्लैकमैन ने संसद को बताया, “रविवार को मेरे कई मतदाताओं ने हैरो व्यू सिनेमा में ‘इमरजेंसी’ फिल्म देखने के लिए टिकट लिये थे। फिल्म के प्रदर्शन के लगभग 30 या 40 मिनट बाद, नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादी घुस आए, दर्शकों को धमकाया और फिल्म को जबरन बंद करवा दिया।”

एसजीपीसी ने पंजाब में फिल्म के बैन के लिए सीएम को लिखा पत्र

वहीं, कंगना ने कहा कि उनका देश के प्रति प्यार उनकी इस फिल्म 'इमरजेंसी' से प्रदर्शित होता है। एक्ट्रेस ने वीडियो में कहा कि पंजाब के अलावा यूके और कनाडा में भी ऐसे ही हमले हुए हैं और यह आग कुछ छोटे-मोटे लोगों ने लगाई है। उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक लेटर लिखा। उन्होंने लेटर में 'इमरजेंसी' पर पंजाब में बैन लगाने की मांग की थी।

कंगना ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया

बता दें कि 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' को भारत के पंजाब में भी विरोध का सामना करना पड़ा था। देश में लागू इमरजेंसी (1975-77) पर बनी फिल्म में निर्देशन भी कंगना रनौत ने किया है। उन्होंने इस फिल्म में इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। पंजाब में फिल्म को लेकर हुए विरोध को लेकर कंगना रनौत का हाल ही में बयान सामने आया था। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर अभिनेत्री ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया था।

अभिनेत्री ने लिखा था, “यह कला और कलाकारों का उत्पीड़न है, पंजाब के कई शहरों से रिपोर्ट आ रही है कि ये लोग ‘इमरजेंसी’ को प्रदर्शित नहीं होने दे रहे हैं। मैं सभी धर्मों का बहुत सम्मान करती हूं और चंडीगढ़ में पढ़ने और पले-बढ़े होने के कारण मैंने सिख धर्म को बहुत करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह पूरी तरह से झूठ है और मेरी छवि को खराब करने और मेरी फिल्म को नुकसान पहुंचाने के लिए दुष्प्रचार है।"