इसकी “आंखों” से 8000 किमी दूर भी दुश्मन नहीं बच पाएगा, भारत अपने दोस्त से खरीद रहा ऐसी रडार
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भारत के लिए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। इसे देखते हुए एयर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसी क्रम में रूस से वोरोनिश रडार खरीदने जा रहा है। बहुत अधिक दूरी तक खतरों की पहचान करने की क्षमता के चलते यह समय रहते वायु सेना को हमले के बारे में सचेत कर देगा। इससे भारत की निगरानी क्षमता भी बढ़ेगी।
भारत ने वोरोनिश रडार सिस्टम को खरीदने के लिए रूस के साथ बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है। भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 4 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर रूस के साथ सहमति हो गई है।भारत कर्नाटक में चालकेरे के अंदर बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रडार लगाने जा रहा है।यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पूरे पाकिस्तान और चीन तक निगरानी करने में माहिर है। कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक सूंघने की ताकत की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार विभिन्न वेबबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस वजह से यह विभिन्न भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रूसी रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है।
कैसे काम करता है वोरोनिश रडार?
वोरोनिश रडार रूस की लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है। इसे अल्माज-एंटे कंपनी ने विकसित किया है, जो एस-400 मिसाइल प्रणाली के लिए भी जानी जाती है। वोरोनिश रडार की पहचान प्रणाली विशेष रूप से रडार तरंगों के माध्यम से काम करती है। इसकी तकनीक लंबी दूरी पर हवा और अंतरिक्ष में गतिविधियों का पता लगाती है। यह रडार अत्यधिक संवेदनशील है और 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है। इसकी मॉड्यूलर संरचना इसे किसी भी समय आंशिक रूप से चालू करने की अनुमति देती है, जिससे इसे जल्दी से कार्य में लाया जा सकता है
एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी
रूस के मुताबिक यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी कर सकता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट की वस्तुओं को भी ट्रैक कर सकता है। इस एडवांस रडार से चीन, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर सहित महत्वपूर्ण इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाकर भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
8 hours ago