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ईमेल के जरिए एएमयू को धमकी, 2 लाख रुपये की फिरौती की मांग

डेस्क:–उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को ईमेल के ज़रिए बम से उड़ाने की धमकी मिली, जिसके बाद विश्वविद्यालय अधिकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने तुरंत कार्रवाई की। ईमेल भेजने वाले ने 2 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी है। बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल से पूरे परिसर में गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। सर्किल ऑफिसर अभय कुमार पांडे ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पुलिस को धमकी के बारे में सचेत किया, जिसके बाद ईमेल की उत्पत्ति की जांच के लिए बम निरोधक इकाई, डॉग स्क्वायड और साइबर टीमों को तैनात किया गया।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बम की धमकी वाले मेल के बारे में पुलिस को सूचित किया। जिसके बाद परिसर में बम निरोधक इकाई और डॉग स्क्वायड को तुरंत तैनात किया गया और परिसर में सभी अलग-अलग जगहों की पुलिस ने गहन तलाशी ली। साइबर टीमें ईमेल की उत्पत्ति की भी जांच कर रही हैं। परिसर के प्रमुख क्षेत्रों की तलाशी अभियान में अभी तक कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है।

एएमयू प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने आश्वासन दिया कि अधिकारी छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। हमने बम की धमकी वाले मेल के बारे में पुलिस को सूचित कर दिया है और जांच जारी है। फिलहाल, हमें ईमेल भेजने वाले की पहचान नहीं पता है। ईमेल में 2 लाख रुपये की फिरौती की मांग भी की गई है। पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों और कर्मचारियों को सुरक्षित रखने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जबकि मामले की जांच चल रही है। अधिकारियों ने छात्रों और शिक्षकों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत पुलिस को सूचना देने को कहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले के लिए आमंत्रित किए दिग्गज कलाकार
डेस्क:–महाकुंभ 2025 मेला का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में होगा। महाकुंभ मेले से पहले कवि कुमार विश्वास ने तीन दिवसीय कार्यक्रम 'अपने अपने राम' का समापन किया, जिसमें कार्यक्रम में शामिल हुए कई मेहमानों ने उनकी खूब तारीफ की। इस दौरान कवि कुमार विश्वास ने कुंभ की तारीफ करते हुए लोगों को औऱ खासकर युवा पीढ़ी से महाकुंभ में बड़ी संख्या में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, महाकुंभ एक बहुत ही ऐतिहासिक, समृद्ध त्योहार है। मैं युवाओं से बड़ी संख्या में महाकुंभ में भाग लेने का आग्रह करता हूं।

कवि कुमार विश्वास के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रसार भारती बोर्ड के अध्यक्ष नवनीत सहगल और प्रयागराज की पूर्व मेयर अभिलाषा गुप्ता भी मौजूद थीं। अभिलाषा गुप्ता ने बताया कि दूसरे दिन लोगों ने राम में अपनी आस्था जताई। कुमार विश्वास का जादू देखने को मिला, कोई भी खुद को रोक नहीं सका और हमें न चाहते हुए भी गेट बंद करने पड़े और हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कोई भी राम के नाम से अछूता न रहे और फिर भीड़ नियंत्रण में थी। हर कोई राम की कहानी सुनना चाहता है और कुमार विश्वास इसे जिस तरह से सुनाते हैं, वह दिल को छू लेने वाला है।"

उत्तर प्रदेश सरकार ने शंकर महादेवन, मोहित चौहान, शान और कैलाश खेर सहित प्रसिद्ध कलाकारों को महाकुंभ मेला 2025 में प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। यह भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोकप्रिय कलाकार शामिल होंगे। उत्सव की शुरुआत पहले दिन महादेवन के प्रदर्शन से होगी। जबकि अंतिम दिन मोहित चौहान अपने भावपूर्ण संगीत के साथ कार्यक्रम का समापन करेंगे।
एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या, बेड के अंदर छुपाए गए शव

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक ही परिवार के पांच सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई।

पुलिस के मुताबिक, कुछ शवों को बेड के अंदर छिपाया गया था, जिससे हत्याकांड की निर्ममता और भी ज्यादा चौंकाने वाली हो गई। हत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है, लेकिन पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।

इस जघन्य अपराध से स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश का माहौल है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और अपराधियों की तलाश शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही दोषियों को पकड़कर मामले का खुलासा किया जाएगा।

इस हत्याकांड ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भयावह वारदात

बता दे कि यह घटना मेरठ के लिसाड़ी गेट के सोहेल गार्डन के पास की है। यहां पर घर के अंदर पति-पत्नी और उनकी तीन बेटियों की लाश मिली है। जानकारी के मुताबिक मृतक मोइन पेशे से राजमिस्त्री था। मोइन और उसकी पत्नी साथ के तीन बेटियों की मौत हो गई।

डॉग स्क्वॉड से हत्या के सुराग ढूंढने की कोशिश

पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है। हत्या की जानकारी होते ही मौके पर पुलिस की टीम पहुंची। घटनास्‍थल पर फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया और डॉग स्क्वॉड से हत्या के सुराग ढूंढने की कोशिश की जा रही है। आसपास के सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला जा रहा है।

बच्चों की लाशों को बेड के अंदर छुपा दिया

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों में मोइन, उसकी पत्नी आसमा, तीन बच्चे अफ्सा (8), अजीजा (4), अदीबा (1) शामिल हैं। सभी के शव एक ही कमरे में मिले, साथ ही बच्चों की लाशों को बेड के अंदर छुपा दिया गया था।

इलाके में सनसनी

हत्या की वारदात का पता तब चला, जब मृतक मोइन का भाई सलीम गुरुवार शाम को घर पहुंचा। जब सलीम अपनी पत्नी के साथ पहुंचा, तो दरवाजा अंदर से बंद मिला, इसके बाद पड़ोसियों से बात करने पर पता चला कि बुधवार से कोई दिखाई नहीं दे रहा। जबरदस्ती दरवाजा तोड़कर अंदर जाने पर सभी दंग रह गए। पूरा पर‍िवार मृत म‍िला। एक ही परिवार के सभी सदस्यों की हत्या के बाद इलाके में सनसनी फैली गई। इस घटना से सभी लोग दंग हैं।
मियावाकी तकनीक से प्रयागराज में 56,000 वर्ग मीटर घना जंगल तैयार

डेस्क:–संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि महाकुंभ 2025 की तैयारी में, प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर घने जंगल विकसित किए गए हैं, ताकि शहर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध हवा और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में कई ऑक्सीजन बैंक स्थापित करने के लिए जापानी मियावाकी तकनीक का उपयोग किया है, जो अब हरे-भरे जंगलों में बदल गए हैं। इन प्रयासों ने न केवल हरियाली को बढ़ाया है बल्कि वायु गुणवत्ता में सुधार करने में भी योगदान दिया है, जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रयागराज नगर निगम आयुक्त, चंद्र मोहन गर्ग ने कहा कि वे मियावाकी तकनीक का उपयोग करके शहर के कई हिस्सों में घने जंगल बना रहे हैं। निगम ने पिछले दो वर्षों में शहर में 10 से अधिक स्थानों पर 55,800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पौधे लगाए हैं। सबसे बड़ा पौधारोपण नैनी औद्योगिक क्षेत्र में किया गया है, जिसमें 63 प्रजातियों के करीब 1.2 लाख पौधे लगाए गए हैं, जबकि शहर के सबसे बड़े कूड़ा डंपिंग यार्ड की सफाई के बाद बसवार में 27 विभिन्न प्रजातियों के 27,000 पौधे लगाए गए हैं। यह परियोजना न केवल औद्योगिक कचरे से छुटकारा पाने में मदद कर रही है, बल्कि धूल, गंदगी और दुर्गंध को भी कम कर रही है। इसके अतिरिक्त, यह शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार कर रही है।

मियावाकी जंगलों के कई लाभ हैं, जैसे वायु और जल प्रदूषण को कम करना, मिट्टी के कटाव को रोकना और जैव विविधता को बढ़ाना। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ एनबी सिंह के अनुसार, इस पद्धति का उपयोग करके घने जंगलों का तेजी से विकास गर्मियों के दौरान दिन और रात के तापमान के अंतर को कम करने में मदद करता है इसके अतिरिक्त, इस तकनीक के माध्यम से विकसित बड़े जंगल तापमान को 4 से 7 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ मिलते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विपक्षी दलों पर किया तीखा हमला

डेस्क:–महाकुंभ-2025 में विपक्षी पार्टियों के भ्रष्टाचार पर आरोप को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बुधवार को विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रही हैं। चौधरी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भ्रष्टाचारियों को हर जगह भ्रष्टाचार ही नजर आता है। हमें लगता है कि उन लोगों में भारत का डीएनए ही नहीं है।"

महाकुंभ में जो भी संत आएं, वो अपने साथ एक साथी को वापस लेकर जाएं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा नेता ने कहा कि अखिलेश यादव को कुंभ के बारे में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें हज यात्रा करनी चाहिए। मैं तो यह कहूंगा कि वो पहले हज यात्रा पर जाएं और वहां से वापस आकर मदरसों पर अपने बयान दें, तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

संभल में समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा मिले दस्तावेजों को डीएम के गलत बताने पर लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि सपा को केवल वक्फ बोर्ड, मदरसे और नमाजी नजर आते हैं। इसके अलावा कुछ नजर नहीं आता। उनको समझना चाहिए कि यह हिंदुस्तान की धरती है और वक्फ बोर्ड कल-परसो का है, जिसको सभी अच्छे से जानते हैं। जहां महादेव की तपोस्थली हो, महादेव और सनातन धर्म की आस्था के मंदिर हो, वहां पर वक्फ बोर्ड का क्या मतलब है?

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बहुत से दस्तावेज सामने आए हैं, जो 2014 में राम मंदिर नाम से दर्ज थे, लेकिन उनको कटवाकर वक्फ बोर्ड और कब्रिस्तान के नाम दर्ज किया गया। ऐसे कई सारे उदाहरण हैं।
सुरक्षा देखते हुए प्रशासन ने 12 प्रकार के स्पेशल सुरक्षा ऑपरेशन शुरू

डेस्क:–महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ नगर पुलिस प्रशासन ने 12 प्रकार के स्पेशल सुरक्षा ऑपरेशन शुरू किए हैं। इन ऑपरेशन का उद्देश्य मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ नगर में आने वाले एक-एक श्रद्धालु की सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो। 'ऑपरेशन स्वीप' के तहत संदिग्ध व्यक्तियों और वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए लगातार जांच की जा रही है। जबकि, 'ऑपरेशन पहचान' के माध्यम से मेला क्षेत्र में रह रहे लोगों का सत्यापन किया जा रहा है।

इन सभी सुरक्षा उपायों का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करना और मेला क्षेत्र को किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचाना है। महाकुंभ नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी के अनुसार, ''महाकुंभ नगर में देश-विदेश से आने वाले लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। यहां एक-एक श्रद्धालु की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ नगर में 12 प्रकार के सुरक्षा ऑपरेशन अनवरत चलाए जा रहे हैं। संदिग्ध गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जा रही है। ऐसे लोगों के पकड़े जाने पर सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।'' प्रशासन ने इस पूरे अभियान को अनवरत चलाने का निर्णय लिया है, ताकि श्रद्धालुओं की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो सके।

*इस तरह चलाए जा रहे ऑपरेशन :-*

1. ऑपरेशन स्वीप :- संदिग्ध व्यक्ति और वस्तुओं की चेकिंग।

2. ऑपरेशन पहचान :- मेला क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों का सत्यापन।

3. ऑपरेशन इंटरसेप्ट :- रैंडम और सरप्राइज चेकिंग।

4. ऑपरेशन सील :- जिले की सीमा को सील किया जाना।

5. ऑपरेशन एमवी :- प्रमुख चौराहों पर यातायात नियमों की चेकिंग।

6. ऑपरेशन चक्रव्यूह :- प्रवेश-निकास के समस्त मार्गों पर चेकिंग।

7. ऑपरेशन कवच :- मुख्य चौराहों पर संदिग्ध व्यक्तियों की चेकिंग।

8. ऑपरेशन बॉक्स :- पार्किंग स्थलों पर चेकिंग।

9. ऑपरेशन महावीरजी :- प्रमुख स्थलों व पांटून पुल के दोनों सिरों पर जांच।

10. ऑपरेशन विराट :- प्रमुख पंडालों और शिविरों की चेकिंग।

11. ऑपरेशन संगम :- स्नान घाटों एवं सर्कुलेटिंग एरिया में चेकिंग।

12. ऑपरेशन बाजार :- बाजारों और प्रदर्शनी के साथ दुकानों की चेकिंग।
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आगाज, जानें बार-बार क्यों होता है इसे लेकर विवाद?

डेस्क:–तमिलनाडु में जल्लीकट्टू शुरु हो चुका है। जल्लीकट्टू परंपरा तमिलनाडु के पोंगल पर्व से जुड़ा एक आयोजन है। इसमें बैलों की दौड़ लगवाई जाती है और उनपर नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है। पोंगल के तीसरे दिन यानी मट्टू पोंगल के दिन यह खेल आयोजित किया जाता है।इसके साथ ही हमेशा विवादों में भी रहा है।

साल 2025 का पहला जल्लीकट्टू तमिलनाडु में शुरू हो चुका है। बैलों और इंसानों के बीच ताकत और साहस की इस अनोखी भिड़ंत पोंगल के त्योहार के समय शुरु होती है। तमिलनाडु की इस प्राचीन परंपरा में बैलों को भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है, और जो खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर इन्हें काबू कर लेता है, वही विजेता कहलाता है।

लेकिन यह खेल सिर्फ रोमांच का नहीं, बल्कि विवादों का भी पर्याय है। पशु अधिकार संगठनों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बावजूद, जल्लीकट्टू आज भी तमिल संस्कृति और पोंगल उत्सव की धड़कन बना हुआ है। तो क्या इस बार यह खेल विवादों से बच पाएगा, या एक बार फिर चर्चाओं का केंद्र बनेगा? आइए जानते हैं,

जल्लीकट्टू दो शब्दों से मिलकर बना है और तमिल के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है. जली यानी सिक्का और कट्टू यानी बांधना। रिवाज के मुताबिक इंसानों और बैलों के बीच होने वाले इस खेल में इन नुकीले सींगों पर सिक्कों की एक छोटी से थैली बांधी जाती है। बैलों को काबू करने वाले को ही विजेता माना जाता है। इसमें बैल इंसान को और इंसान बैल को ललकारता है। पहले एक-एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है। जो गांव इनमें से जो भी बैल को चंद सेकेंड के लिए भी रोकने में कामयाब हो जाता है। उसे ही विजेता मान लेते हैं। अगर कोई बैल को 15 मीटर के दायरे में काबू नहीं कर पाता तो बैल को विजेता घोषित कर दिया जाता है।

तमिलनाडु के लोग सांड या बैल को भगवान शिव का वाहन मानते हैं। प्राचीन काल में वे सांड के सिंग में सोने चांदी के सिक्के एक पोटली में बांध देते थे। पहले जो पुरुष बैल को काबू कर लेता था उसे महिला अपना पति चुनती थी. सोने-चांदी का सिक्का उसे गिफ्ट में मिलता था। इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। तमिलनाडु में पोंगल त्योहार के तीसरे दिन बैलों की पूजा के बाद जल्लीकट्टू का आयोजन होता है। मगर ये हमेशा विवादों में रहा है. इस पर राजनीति भी खूब हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि इस खेल में बैलों के साथ ज्यादती की जाती है।इंसानों की भी जान जाती है. लिहाजा इस पर रोक लगनी चाहिए।

साल 2006 में मद्रास हाई कोर्ट ने इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने का फैसला सुनाया. हालांकि, 2017 में तमिलनाडु में भारी विरोध प्रदर्शनों के चलते राज्य सरकार ने इस खेल पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया और इसके नियमों में कुछ बदलाव किए।इसके बावजूद, कुछ पशु अधिकार संगठनों ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने तर्क दिया कि यह खेल सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि इसका संबंध राज्य की सांस्कृतिक परंपरा, इतिहास, और धार्मिक मान्यताओं से है. वर्ष 2023 में, जस्टिस के.एम। जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने जल्लीकट्टू से जुड़े तमिलनाडु सरकार के नियमों को वैध ठहराया। कोर्ट ने माना कि जब राज्य सरकार इस खेल को अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानती है, तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। फैसले में यह भी कहा गया कि 2017 में संशोधित पशु क्रूरता निवारण अधिनियम खेल में जानवरों के प्रति होने वाली क्रूरता को काफी हद तक नियंत्रित करता है।
कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर पड़ा असर ,10 जनवरी तक इस रूट की कई ट्रेनें  कैंसिल
डेस्क:–कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर असर पड़ा है लेकिन सबसे ज्यादा बिहार से सफर करने वाले यात्रियों पर इसका असर पड़ रहा है। बिहार से से जाने वाली कई ट्रेनों को 10 जनवरी तक रेलवे ने कैंसिल कर दिया है। आप यहां कैंसिल ट्रेनों की जानकारी ले सकते हैं।

उत्तर भारत में कोहरा और ठंड कहर बरपा रहे हैं। कोहरे के चलते विजिबिलिटी जीरो हो रही है। इसके अलावा रोजाना कई ट्रेनों का शेड्यूल भी गड़बड़ा रहा है। ऐसे में अगर आप भी कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है। दरअसल, कोहरे के कारण भारतीय रेलवे की कई ट्रेनें 10 जनवरी तक कैंसिल कर दी गई हैं। अगर आपकी भी 10 जनवरी तक कोई टिकट है तो एक बार स्टेशन जाने से पहले यहां कैंसिल ट्रेनों की लिस्ट जरूर चेक कर लें।

वैसे तो कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर असर पड़ा है लेकिन सबसे ज्यादा बिहार से सफर करने वाले यात्रियों पर इसका असर पड़ रहा है। बिहार से से जाने वाली कई ट्रेनों को 10 जनवरी तक रेलवे ने कैंसिल कर दिया है। यहां हमने आपको कैंसिल हुई ट्रेनों की लिस्ट बताई है…

*ये ट्रेनें 10 जनवरी तक हुईं कैंसिल*

गाड़ी नंबर 55074 बढ़नी-गोरखपुर अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी तक कैंसिल है

,गाड़ी नंबर 55073 गोरखपुर-बढ़नी अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55056 गोरखपुर-छपरा अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55055 छपरा-गोरखपुर अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55036 गोरखपुर कैंट-सीवान अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55035 सीवान-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55038 थावे-सीवान अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55037 सीवान-थावे अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55098 गोरखपुर कैंट-नरकटियागंज अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है ।

गाड़ी नंबर 55097 नरकटियागंज-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55048 गोरखपुर कैंट-नरकटियागंज अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55047 नरकटियागंज-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

अगर ट्रेन कैंसिल हो जाती है, तो यात्रियों को ऑटोमैटिक प्रोसेस से पूरा रिफ़ंड मिल जाता है। वहीं, अगर आपने खुद अपने कारणों से ट्रेन का टिकट कैंसिल किया है तो आपको कुछ चार्ज देना पड़ सकता है।
तिब्बत, नेपाल, बांग्लादेश और भारत में मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके
डेस्क:–तिब्बत, नेपाल, बांग्लादेश और भारत में मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैंं।भूकंप का केंद्र तिब्बत और नेपाल था, जिसने उत्तर भारत के कई शहरों को अपनी चपैट में लिया।

तिब्बत और नेपाल में मंगलवार का सूरज भूकंप के झटकों के साथ निकला। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के कई हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिनका केंद्र तिब्बत था। जहां 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया है।

भूकंप सुबह करीब 6:52 बजे आया।नेपाल के काठमांडू, धाडिंग, सिंधुपालचौक, कावरे, मकवानपुर और कई अन्य जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं उत्तर भारत के भी कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि भारत से अभी किसी हताहत की खबर नहीं है।

चीन भूकंप नेटवर्क केंद्र की ओर से जारी एक अलग सूचना के मुताबिक भूकंप गहराई 10 किलोमीटर थी।

इन दिनों दिल्ली NCR में भूकंप लगातार आ रहे हैं। हमारी पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं. कभी-कभी इनके बीच टकराव या घर्षण होता है।जिसके कारण हमें भूकंप का अनुभव होता है। भूकंप की तीव्रता से बड़े विनाश का खतरा बना रहता है।
चीन में फैल रहा कोविड जैसा वायरस HMPV ने अब भारत में दे दी दस्तक

डेस्क:–चीन में फैल रहा कोविड जैसा वायरस HMPV ने अब भारत में दस्तक दे दी है। इसके तीन मामले फिलहाल रिपोर्ट किए गए हैं। इस वायरस के बारे में कहा जाता है कि ये पहली बार इंसानों में साल 2001 में पाया गया था मगर कई शोध बताते हैं कि ये वायरस 200 से 400 साल पुराना है। पहले ये पक्षियों को संक्रमित करता है और अब इंसानों के लिए खतरा बन गया है।

चीन में कोरोना जैसे लक्षण दिखाने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) अब भारत पहुंच चुका है।सोमवार को तीन महीने की बच्ची इस वायरस से संक्रमित पाई गई। इससे पहले आठ महीने के बच्चे में भी इसका संक्रमण मिला था। इसके बाद गुजरात में भी एक केस रिपोर्ट किया गाया है. छोटे बच्चों, खासकर 2 साल से कम उम्र के, पर इस वायरस का ज्यादा असर देखा जा रहा है।

लेकिन ये कोई नया वायरस नहीं है. अमेरिकी सरकार की सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (सीडीसी) के अनुसार इंसानों मे इसकी खोज साल 2001 में हुई, यानी इस साल पता चला कि ये वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है । लेकिन क्या आपको मालूम है यह वायरस 200-400 सालों से हमारे आस-पास मौजूद है? पहले यह केवल चिड़ियों को प्रभावित करता था। तो सवाल उठता है, कैसे एक ‘चिड़ियों का वायरस’ इंसानों तक पहुंचा और अब उन्हें बीमार कर रहा है?

साइंस डाइरेक्ट के मुताबिक ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) यह दिखाता है कि इंसानों और जानवरों के बीच सांस से जुड़ी बीमारियों का पहुंचना कोई नई बात नहीं है। भले ही इस वायरस को पहली बार 2001 में इंसानों में पहचाना गया था मगर वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि यह 200-400 साल पहले चिड़ियों से इंसानों में आया था. उस समय इसे एवियन मेटान्यूमोवायरस कहा जाता था।

लेकिन तब से लेकर अब तक ये वायरस खुद को बार-बार बदलता रहा है और इसने खुद को इंसानी शरीर के लिए ऐसा ढाल लिया है कि अब यह केवल इंसानों को ही प्रभावित करता है। fचिड़ियों को नहीं. इसकी “एडजस्टमेंट” इतनी परफेक्ट हो गई कि दुनिया के लगभग हर इंसान को 5 साल की उम्र तक यह वायरस अपनी चपेट में ले चुका होता है।

हमारे शरीर की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) एंटीबॉडीज़ और टी सेल्स पर निर्भर करती है. लेकिन HMPV बड़ी चालाकी से हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता हैमत4 यह टी सेल्स में प्रोग्राम्ड सेल डेथ रिसेप्टर्स को बढ़ाकर इम्यून रिस्पॉन्स को धीमा कर देता है।

इस वायरस के खिलाफ हमारी इम्यूनिटी हमेशा नहीं रहती. यही कारण है कि यह बार-बार हल्के इंफेक्शन का कारण बन सकता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में यह मामूली होता है. 2024 भी चीन में इसके फैलने की खबर आई थी. साल 2023 में नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में भी इस वायरस का पता चला था।

इस वायरस का अभी तक कोई ऐसा वैरिएंट देखने को नहीं मिला है, जो कोरोना की तरह विस्फोटक अंदाज में फैलता है। ये वायरस सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है।