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गुरुग्राम के चिंटल्स पैराडिसो कॉम्प्लेक्स की सभी 9 टावरों को ढहाया जाएगा, निर्माण में गंभीर खामियां पाई गईं


गुरुग्राम :- दिल्ली से सटे गुरुग्राम के चिंटल्स पैराडिसो कॉम्प्लेक्स की सभी नौ टावरों को ढहाया जाएगा। शायद भारत में यह पहला मामला है, जहां एक पूरी रेज़िडेंशियल परियोजना के सभी भवनों को निर्माण की खामियों के कारण गिराया जा रहा है।

2010 के शुरुआत में इन 532 फ्लैटों की कीमत 75 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच थी। 2010 के मध्य तक लोग इन घरों में रहने लगे थे। लेकिन एक दशक से भी कम समय में एक बड़ी दुर्घटना हुई। इससे निर्माण में गंभीर खामियां सामने आईं। 

9 दिसंबर, 2024 को चिंटल्स पैराडिसो के आखिरी टावर को रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया गया। इससे 34 महीने लंबी प्रक्रिया का अंत हुआ, जो फरवरी 2022 में शुरू हुई थी। अब सभी 18 मंजिला इमारतों को गिराया जाएगा। फ्लैट खरीदारों को बिल्डर से वैकल्पिक व्यवस्था मिलेगी या फिर वे एक स्वीकार्य ऑफर का इंतजार कर रहे हैं।

चिंटल्स पैराडिसो कॉम्प्लेक्स

420 परिवार रह रहे थे

10 फरवरी, 2022 को गुरुग्राम के सेक्टर 109 में स्थित चिंटल्स पैराडिसो कॉम्प्लेक्स में लगभग 420 परिवार रह रहे थे। टावर डी की छठी मंजिल पर कोई नहीं रह रहा था।

लेकिन निवासियों ने दावा किया कि अपार्टमेंट में कुछ मरम्मत का काम चल रहा था। शाम को, लिविंग रूम का फर्श अचानक ढह गया। नीचे वाली मंजिल पर रहने वाला परिवार घर पर नहीं था, जब छत नीचे गिरी। गिरे हुए मलबे के वजन से पांचवीं मंजिल पर स्थित लिविंग रूम का फर्श भी ढह गया। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक दूसरी मंजिल तक के सभी लिविंग रूम के फर्श ढहकर पहली मंजिल के अपार्टमेंट पर नहीं गिर गए।

दो महिलाओं की मौत

दूसरी मंजिल के एक निवासी यथार्थ भारद्वाज ने उस समय हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि भागने से पहले उसने बस एक ज़ोरदार आवाज़ सुनी थी। एक पल के लिए, मुझे लगा कि लिफ्ट गिर गई है। मेरी दादी ने मुझे समय रहते बालकनी में खींच लिया, वरना मैं भी मलबे में दब जाता। भारद्वाज की मां उन दो महिलाओं में शामिल थीं, जो मलबे में फंसकर मर गईं। कॉम्प्लेक्स के डेवलपर के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। इसके बाद परिसर में कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन हुए, जहां निवासियों ने डेवलपर पर बालकनियों के झुकने जैसी चिंताओं पर समय पर प्रतिक्रिया न देने का आरोप लगाया।

सीबीआई को सौंपा केस

कुछ दिनों बाद चिंटल्स के निदेशकों, ठेकेदार भयाना बिल्डर्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियरों और परियोजना के वास्तुकार के खिलाफ राज्य के नगर और ग्रामीण नियोजन विभाग द्वारा एक नई शिकायत दर्ज की गई। सभी पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जालसाजी और हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम, 1975 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। कुछ महीनों बाद, हरियाणा सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने का फैसला किया, जिसने मामले को अपने हाथ में ले लिया।

टावर डी को खाली कराया गया

टावर डी को फरवरी 2022 में हादसे के तुरंत बाद खाली करा लिया गया था। राज्य प्रशासन ने टावरों की संरचनात्मक सुरक्षा का आकलन करने के लिए आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों के एक पैनल को बुलाया। समिति को यह पता लगाने के लिए कहा गया था कि बिल्डिंग के ढहने का कारण क्या था। इसके लिए कौन सी एजेंसी जिम्मेदार थी। इमारतें रहने के लिए सुरक्षित हैं या नहीं और क्या उपाय किए जाने चाहिए।

रिपोर्ट में चिंताजनक तथ्य सामने आया

आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट में एक चिंताजनक तथ्य सामने आया। इमारत के लिए इस्तेमाल किया गया कंक्रीट खराब गुणवत्ता का था और यह निर्माण प्रक्रिया में 'क्लोराइड' या लवण के आश्चर्यजनक रूप से उच्च प्रतिशत के कारण था। हानिरहित लगने के बावजूद, निर्माण प्रक्रिया में क्लोराइड की उच्च उपस्थिति का मतलब था कंक्रीट की ताकत कम थी। यह जंग या घिसावट के लिए अधिक प्रवण था और निर्माण प्रक्रिया में उपयोग किए गए स्टील बार कमजोर हो गए थे।

चार्जशीट में बताई गई ये बात

सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में बताया गया है कि क्या गलत हुआ था। राष्ट्रीय एजेंसी ने कहा कि परियोजना का सिविल ठेकेदार भयाना बिल्डर्स सामग्रियों की गुणवत्ता, कारीगरी और पानी की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार था। पानी में क्लोराइड की उच्च मात्रा पाई गई जिससे इमारत कमजोर हो गई।

सीबीआई ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि अगस्त 2011 में पैराडिसो साइट पर एक आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) प्लांट लगाया गया था और सितंबर 2012 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी के उपचार के लिए एक केमिकल डोजिंग प्लांट स्थापित किया गया था, जिसका उपयोग निर्माण के लिए किया जाता था।

रहने के लायक नहीं टावर नहीं हो 

एजेंसी ने चार्जशीट में कहा कि दिन के निर्माण के दौरान आरओ प्लांट का नियमित रूप से उपयोग नहीं किया जाता था और रात के निर्माण कार्य के दौरान कभी भी उपयोग नहीं किया जाता था। एजेंसी ने यह भी कहा कि डोजिंग प्लांट लगाए जाने के बाद पानी के शुद्धिकरण के लिए आरओ प्लांट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया गया था। 

आईआईटी-दिल्ली की रिपोर्ट स्पष्ट थी कि जिस टावर में हादसा हुआ था, वह रहने के लायक नहीं था। बड़ी समस्या यह थी कि अब केवल टावर डी ही चिंता का विषय नहीं था। यह परिसर की हर इमारत थी।

अन्य टावरों की भी रिपोर्ट आई

अगले महीनों में अन्य टावरों की रिपोर्टें आईं, लेकिन इसके बारे में अनिवार्यता की हवा थी क्योंकि परिसर में एक के बाद एक टावर में समान दोष पाए गए। धीरे-धीरे उनमें से हर एक को रहने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। जहां आईआईटी -दिल्ली समिति ने इमारतों के एक सेट को रहने के लिए अनुपयुक्त माना, वहीं केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) के विश्लेषण और रिपोर्टों ने दूसरों को निर्जन घोषित कर दिया। टावर बी के अपने आकलन में सीबीआरआई ने नोट किया कि जंग इतनी अधिक थी कि बहुत अधिक मरम्मत की आवश्यकता होगी।

टावर को ध्वस्त करने की सिफारिश की गई

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि आवश्यक रेट्रोफिट के बाद भी, चूंकि संरचना में उच्च स्तर का क्लोराइड उच्च कार्बोनेशन के साथ मौजूद है, इसलिए संरचनात्मक तत्वों का तेजी से बिगड़ना अपरिहार्य है। इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि संरचना अपनी वर्तमान स्थिति में निवास के लिए सुरक्षित नहीं है और कई हस्तक्षेपों के साथ भी इच्छित डिजाइन जीवन में रहने के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय रूप से सुरक्षित नहीं बनाई जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इमारत मरम्मत से परे थी और एकमात्र व्यवहार्य समाधान के रूप में विध्वंस की सिफारिश की गई थी।

निवासियों को खरीद का विकल्प दिया

डेवलपर चिंटल्स कॉन्डोमिनियम का पुनर्निर्माण करना चाहता था और उसने सोसाइटी के सभी टावरों को तत्काल खाली करने की मांग की थी। राज्य के अधिकारियों को लिखे अपने पत्र में कंपनी ने संभावित आपदाओं को रोकने के लिए विध्वंस की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रशासन ने पहले छह टावरों- डी, ई, एफ, जी, एच और जे पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया था। अप्रैल 2024 में असुरक्षित घोषित होने के बाद उनके विध्वंस का आदेश दिया था। कंपनी ने उन निवासियों को खरीद का विकल्प दिया है जिन्होंने धनवापसी मांगी थी।

288 परिवारों में से 265 को बसाया जा चुका

खरीद उनके फ्लैटों के वर्तमान बाजार मूल्य के साथ-साथ प्रशासन के सहयोग से निर्धारित दरों के आधार पर आंतरिक लागतों पर आधारित है। दिसंबर 2024 तक टावर डी, ई, एफ, जी, एच और जे पूरी तरह से खाली हो गए थे और 100 से अधिक परिवार टावर ए, बी और सी में थे। जिला प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर टावर डी, ई, एफ, जी, एच और जे को असुरक्षित घोषित कर दिया है और विध्वंस का आदेश दिया है। परियोजना के चरण-1 (टावर डी, ई, एफ, जी और एच) के 288 परिवारों में से 265 को बसाया जा चुका है जबकि शेष को बसाने की प्रक्रिया चल रही है।

रिपोर्ट मिलने में देरी के कारण विरोध किया*

चरण 2 (टावर ए, बी, सी और जे) के निवासियों ने इमारतों को रहने के लिए उपयुक्त न मानने वाली रिपोर्ट मिलने में देरी के कारण विरोध किया। नतीजतन, चिंटल्स ने कहा है कि वह परियोजना का चरणों में पुनर्निर्माण करेगा ताकि चरण-1 टावरों के खरीदारों को जल्द ही अपने फ्लैट मिल सकें। जहां तक डेवलपर के खिलाफ दायर मामलों का सवाल है, दोनों मृतक व्यक्तियों के परिवारों ने समझौता कर लिया है। हालांकि, चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत में आपराधिक मामला कार्यवाही जारी है। सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक मामला भी पहले ही निपटाया जा चुका है, जिसमें शीर्ष अदालत ने बिल्डर को उन फ्लैट खरीदारों को वैकल्पिक आवास का किराया देने का निर्देश दिया है, जो अपने घरों के पुनर्निर्माण के लिए खाली करने के लिए सहमत हैं।

पुण्यतिथि विशेष: जानिए कौन थे डॉ. शांति स्वरूप भटनागर, जिनके नाम पर दिया जाता है प्रतिष्ठित पुरस्कार

नयी दिल्ली : हर साल विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को डॉ. शांति स्वरूप भटनागर पुरुस्कार दिया जाता है. PM Modi ने शुक्रवार को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की सालाना बैठक को संबोधित किया.

इस दौरान उन्होंने इस लंबे सफर में वैज्ञानिकों के कई शानदार कामों का जिक्र किया. साथ ही कोरोना के समय में देश में जिस तरह से रिसर्च का काम हुआ है, पीएम ने उसकी सराहना की.

लेकिन पीएम के इस लंबे संबोधन के दौरान उन्होंने एक ऐसे शख्स का जिक्र किया, जिसके बिना भारत की हर खोज का बड़ा हिस्सा अधूरा है.

 दरअसल, हम बात कर रहे हैं भारत के महान वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर की, जिनका पीएम ने जिक्र किया है।

इस वैज्ञानिक के नाम पर मिलते हैं पुरस्कार

हर साल विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जाता है. भटनागर का जन्म 21 फरवरी 1894 को हुआ था, जिन्हें भारत की शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है. उन्होंने भारत के रिसर्च में बड़ा योगदान किया है.

बचपन में ही पिता को खोया

भारत की इस महान प्रतिभा का जन्म पंजाब के भेड़ा गांव में हुआ था. यह जगह अब पाकिस्तान में है. शांति भटनागर महज आठ महीने के ही थे जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया. इसके बाद उनकी परवरिश उनके इंजीनियर नाना ने की. नाना की संगत में ही शांति स्वरुप की विज्ञान और प्रोद्यौगिकी में दिलचस्पी जगी. वे खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और खोजों में लग गए.

वैज्ञानिक ही नहीं कवि हृदय भी

शांति स्वरूप ने 1911 में लाहौर के दयाल सिंह कॉलेज में दाखिला ले लिया. इस दौरान पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने उर्दू और हिंदी में लेखन कार्य किया. 

उन्होंने उर्दू में ‘करामाती’ नामक एक नाटक लिखा. इस नाटक के अंग्रेजी अनुवाद ने उन्हें ‘सरस्वती स्टेज सोसाइटी’ का साल 1912 का ‘सर्वश्रेष्ठ नाटक’ पुरस्कार और पदक दिलवाया.

शांति स्वरुप भटनागर ने 1913 में पंजाब यूनिवर्सिटी से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की. इसके बाद उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया. यहां से उन्होंने 1916 में बीएससी और फिर एमएससी की परीक्षा पास की.

फिर शांतिस्वरूप भटनागर को विदेश में पढने के लिए ‘दयाल सिंह ट्रस्ट’ से छात्रवृति मिली और वे अमेरिका के लिए रवाना हो गए लेकिन पहुंच नहीं पाए. इसकी वजह यह थी कि उन्हें लंदन से अमेरिका जाने वाले जहाज़ पर सीट नहीं मिल सकी. वे लंदन में ही रुक गए.

बीएचयू में बने प्रफेसर

अगस्त 1921 में शांति स्वरूप लंदन से पढ़ाई करके भारत वापस आए. यहां वे नए-नए स्थापित हुए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक (प्रोफेसर) नियुक्त हो गए और तीन साल तक अध्यापन कार्य किया. बाद में वे पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़ गए और एक अध्यापक के रूप में उन्होंने कुल 19 साल तक शिक्षा जगत की सेवा की.

कई संस्थाओं के जन्मदाता*

डॉ भटनागर को ‘भारत की शोध प्रयोगशालाओं का जनक’ कहा जाता है. उन्होंने भारत में कई बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनआरडीसी) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना के लिए भी उन्हें याद किया जाता है.

डॉ भटनागर ने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, इनमें मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान भी शामिल है. 

भारत में विज्ञान के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उनके देहांत के बाद सीएसआईआर ने उनकी स्मृति में उनके नाम पर पुरस्कार की घोषणा की. यह पुरस्कार हर क्षेत्र के कुशल वैज्ञानिकों को दिया जाता है. रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शांति स्वरूप भटनागर को ब्रिटिश सरकार ने भी सम्मानित किया. 

1943 में वे मशहूर रॉयल सोसायटी के फेलो भी चुने गए.

शांति स्वरूप भटनागर तेज दिमाग वैज्ञानिक होने के साथ एक कोमल ह्रदय कवि भी थे. हिंदी और उर्दू के बेहतरीन जानकार इस दिग्गज ने अपने नाटकों और कहानियों के लिए कॉलेज के समय में अनेक पुरस्कार भी जीते. लेकिन बतौर लेखक उनकी ख्याति कॉलेज परिसर से आगे नहीं जा पाई.

डॉ. शांति स्वरूप ने बीएचयू का कुलगीत भी लिखा था जो हिंदी कविता का बेहतरीन उदाहरण है. यह अलग बात है कि शायद इस विश्वविद्यालय के ही कई छात्र इस बात को न जानते हों.

दिल्ली पुलिस का बड़ा एक्शन: हिंदू युवती से शादी कर भारत में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए को किया गिरफ्तार

दक्षिणी दिल्ली:- दक्षिणी पश्चिमी जिला पुलिस ने एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को पकड़ा है। आरोपित बंगाल की सीमा से भारत में घुसा था। फिर भारतीय मूल की हिंदू युवती से शादी कर देश में अवैध रूप से रह रहा था।

पुलिस ने उसे एफआरआरओ आफिस को सौंप दिया है।

पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि सरोजनी नगर थाना पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के मामले में एक आरोपित को गिरफ्तार किया था। उसकी पहचान मोहम्मद अख्तर शेख के रूप में हुई। 

वह सरोजनी नगर में एक

निर्माण स्थल पर मजदूर के तौर पर काम कर रहा था। पुलिस पूछताछ में अख्तर ने बताया कि वह मूलरूप से बंगाल का रहने वाला है। इस मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। फिर वह जमानत लेने के बाद फरार हो गया। पुलिस ने अख्तर द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर उसके पते का सत्यापन किया।

इस दौरान पता चला कि उसने पुलिस को फर्जी दस्तावेज दिए थे। जब पुलिस संबंधित पते पर पहुंची तो वह गलत था। इसके बाद पुलिस ने शातिर की तलाश शुरू कर दी और उसे 30 दिसंबर को रेलवे स्टेशन सरोजिनी से पकड़ लिया।

पुलिस ने अख्तर से सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह मूलरूप से बांग्लादेश मदारगंज, कोचाघाटा का रहने वाला है। पुलिस ने उसे आगे की कार्रवाई के लिए एफआरआरओ को सौंप दिया।

आरोपित ने भारत में घुसपैठ कर हिंदू युवती से की शादी

अख्तर वर्ष 2004 में अवैध रूप से बंगाल की सीमा से भारत में घुसा था। इसके बाद उसने 2012 में एक हिंदू युवती से शादी कर ली और बंगाल में ही रहने लगा। ताकि उस पर कोई शक न कर सके। फिर दिल्ली आ गया।

यहां पर निर्माण साइट पर काम करने लगा। पुलिस को उसके पास कोई वैध पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज नहीं मिले हैं। पुलिस ने उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत केस दर्ज किया है।

वाराणसी में नए साल का जश्न: अस्सी घाट पर 2100 दीपों से स्वागत, विशेष गंगा आरती देख उमड़े श्रद्धालु


वाराणसी : नए साल के जश्न के लिए काशी तैयार है। मंगलवार की शाम अस्सी घाट पर गंगा आरती देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। वहीं 2100 दीपों से नए साल का स्वागत किया गया। 

काशी में अस्सी घाट पर गंगा आरती

नए साल की पूर्व संध्या और साल 2024 के आखिरी दिन मंगलवार की शाम काशी में विशेष गंगा आरती का आयोजन हुआ। 

इस दौरान दशाश्वमेध घाट व अस्सी घाट समेत प्रमुख घाटों पर गंगा आरती देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। गंगा आरती देख सभी श्रद्धालु भावुक हो उठे। इस दौरान मां गंगा की आरती की गूंज से पूरा घाट भक्तिभाव में डूबा।

अस्सी घाट पर साल के आखिरी दिन 31 दिसंबर की गंगा आरती में सैलानियों की भारी भीड़ देखने को मिली। गंगा आरती देखने के साथ ही पर्यटकों ने विभिन्न व्यंजनों का लुत्फ उठाया। साथ ही युवाओं ने सेल्फी लेकर इस पल को यादगार बनाया।

दुनिया में नया साल की शुरुआत, न्यूजीलैंड में आतिशबाजी के साथ मनाया गया जश्न

नई दिल्ली : न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टॉवर। यहां कुछ इस अंदाज में नए साल का स्वागत किया गया।

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टॉवर। यहां कुछ इस अंदाज में नए साल का स्वागत किया गया।

दुनिया में नए साल की एंट्री हो गई है। न्यूजीलैंड की घड़ियों में 12 बज चुके हैं और साल 2025 का जश्न शुरू हो गया है। न्यूजीलैंड में भारत से साढ़े 7 घंटे पहले, जबकि अमेरिका में साढ़े 9 घंटे बाद नया साल आता है। इस तरह पूरी दुनिया में नया साल आने की जर्नी 19 घंटों तक जारी रहती है।

दुनियाभर में अलग-अलग टाइम जोन के कारण 41 देश ऐसे हैं जो भारत से पहले नए साल का स्वागत करते हैं। इनमें किरिबाती, समोआ और टोंगा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, म्यांमार, जापान इंडोनेशिया, बांग्लादेश, नेपाल आदि देश हैं।

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड स्काई टॉवर में नये साल के जश्न पर आतिशबाजी 

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड स्काई टॉवर में नये साल के जश्न पर आतिशबाजी

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में नए साल का स्वागत करने के लिए जुटे लोग।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में नए साल का स्वागत करने के लिए जुटे लोग।

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी हार्बर पर 31 दिसंबर को रात 9 बजे नए साल के स्वागत में आतिशबाजी हुई।

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी हार्बर पर 31 दिसंबर को रात 9 बजे नए साल के स्वागत में आतिशबाजी हुई।

भारतीय समयानुसार कौन सा देश कब मनाएगा नया साल...

नए साल पर जानिए अलग-अलग देशों में अलग-अलग टाइम की साइंस और न्यू ईयर मनाने के 6 अजीबो-गरीब रिवाज...

पृथ्वी के सूरज का एक चक्कर पूरा करने से साल बदलता है। वहीं, अपनी धुरी पर पूरा चक्कर लगाने पर दिन और रातें होती हैं। 

पृथ्वी के अपनी धुरी पर लगातार घूमते रहने की वजह से कहीं सुबह, कहीं दोपहर तो कहीं पर रात होती है। यही वजह है कि दुनिया के लगभग हर देश को अलग-अलग टाइम जोन में बांट दिया गया है।

टाइम जोन की जरूरत क्यों पड़ी?

 घड़ी का आविष्कार 16वीं सदी में हुआ, लेकिन 18वीं सदी तक इसे सूरज की पोजिशन के मुताबिक सेट किया जाता था। जब सूरज सिर पर होता था, तभी घड़ी में 12 बजा दिए जाते थे।

शुरुआत में अलग-अलग देशों के अलग-अलग समय से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन बाद में रेल से लोग कुछ ही घंटे में एक देश से दूसरे देश पहुंचने लगे। देशों के अलग-अलग टाइम से लोगों को ट्रेन के समय का हिसाब रखने में दिक्कतें आईं। जैसे कोई शख्स अगर सुबह 8 बजे स्टेशन से निकलता, तो 5 घंटे बाद, जिस देश पहुंचता वहां कुछ और समय होता।

ऐसे में कनाडाई रेलवे के इंजीनियर सर सैनफोर्ड फ्लेमिंग ने इस समस्या का सबसे पहले हल निकाला। दरअसल 1876 में अलग टाइम की वजह से उनकी ट्रेन छूट गई थी। इस वजह से उन्हें दुनिया के अलग-अलग इलाके में अलग-अलग टाइम जोन बनाने का आइडिया आया।

उन्होंने दुनिया को 24 टाइम जोन में बांटने की बात कही। धरती हर 24 घंटे में 360 डिग्री घूमती है। यानी हर घंटे में 15 डिग्री, जिसे एक टाइमजोन की दूरी माना गया। इससे पूरी दुनिया में 24 समान दूरी वाले टाइम बने। एक डिग्री की वैल्यू 4 मिनट है। यानी आपका देश अगर GMT से 60 डिग्री की दूरी पर है तो 60X4= 240 मिनट, यानी टाइमजोन में 4 घंटे का अंतर होगा।

हालांकि, टाइमजोन बनाने के बाद भी यह दिक्कत थी कि 24 टाइमजोन को बांटते समय दुनिया का सेंटर किसे माना जाए। इसी को तय करने के लिए 1884 में इंटरनेशनल प्राइम मेरिडियन सम्मेलन बुलाया गया। इसमें इंग्लैंड के ग्रीनविच को प्राइम मेरिडियन चुना गया। इसे मैप में 0 डिग्री पर रखा गया।

ब्रिटेन से साढ़े 5 घंटे आगे भारत का समय फिलहाल पूरी दुनिया का टाइमजोन GMT, यानी ग्रीनविच मीन टाइम से ही मैच किया जाता है। जो देश ग्रीनविच से पूर्व दिशा में हैं, वहां का टाइम ब्रिटेन से आगे और पश्चिम होने पर पीछे हो जाता है। जैसे भारत का टाइम ब्रिटेन के टाइम से साढ़े पांच घंटे आगे चलता है वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन के पश्चिम में होने के कारण ब्रिटेन के टाइम से 5 घंटे पीछे है।

ब्रिटेन से सबसे ज्यादा पूर्व में ओशिनिया महाद्वीप के देश हैं। 

इसमें न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और किरिबाती शामिल हैं। इसलिए नया साल सबसे पहले इन्हीं देशों में मनाया जाएगा। शुरूआत न्यूजीलैंड से होगी, क्योंकि ये सबसे ज्यादा पूर्व में है।

जहां सबसे पहले 12 बजेंगे और नए साल का स्वागत होगा। जब न्यूजीलैंड में नया साल शुरू होगा, तब भारत में 31 दिसंबर को शाम के 4.30 बजे होंगे। यानी भारत में न्यूजीलैंड से साढ़े 7 घंटे बाद नए साल की एंट्री होगी, जबकि अमेरिका तक नया साल आने में 19 घंटे लगेंगे। 

वहां भारतीय समयानुसार 1 जनवरी को सुबह साढ़े 10 बजे 31 दिसंबर के 12 बजेंगे।

ग्रीनविच को ही GMT क्यों चुना गया? ग्रीनविच में काफी लंबे समय से खगोलीय घटनाओं का अध्ययन किया जाता था। इसलिए ब्रिटेन ने इस जगह को ही टाइमजोन का केंद्र बनाया। तब ब्रिटेन दुनिया का सबसे ताकतवर देश हुआ करता था। व्यापार में भी काफी आगे था और दुनिया के ज्यादातर इलाके पर इसका कब्जा था। समुद्री व्यापार में शामिल ज्यादातर जहाज ब्रिटेन के समय का ही इस्तेमाल करते थे।

दुनिया के साथ नया साल क्यों नहीं मनाता चीन? चीन दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां 1 जनवरी को नए साल का जश्न नहीं मनाया जाता। दरअसल, चीन उन देशों में से है जो सोलर कैलेंडर के बदले लूनीसोलर कैलेंडर के हिसाब से चलता है।

लूनीसोलर कैलैंडर में 12 महीने होते हैं और हर महीने में चांद द्वारा पृथ्वी का एक चक्कर होने पर महीना पूरा माना जाता है। चांद, पृथ्वी का एक चक्कर 29 दिन और कुछ घंटों में पूरा करता है।

चीन में 12वें महीने के 30वें दिन नए साल का जश्न मनाया जाता है। इसे चीन में दानियन संशी कहा जाता है। इस साल चीन में 29 जनवरी को नया साल मनाया जाएगा। इस दौरान लोग एक-दूसरे को लाल रंग के कार्ड देते हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान पूर्वजों की पूजा और परिवार के साथ डिनर, ड्रैगन और लॉयन डांस का आयोजन भी किया जाता है।

इस फेस्टिवल को चीन ही नहीं, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और मंगोलिया जैसे बड़े देश भी अलग-अलग परंपराओं के साथ सेलिब्रेट करते हैं।

दुनिया भर में नया साल मनाने के अजीबोगरीब तरीके...

31 दिसंबर को घड़ी में रात के 12 बजते ही, पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही साल की शुरुआत क्यों होती है? इसकी वजह रोम साम्राज्य के तानाशाह जूलियस सीजर को माना जाता है।

सीजर ने भ्रष्टाचारी नेताओं को सबक सिखाने के लिए 2066 साल पहले कैलेंडर में बदलाव किए थे। इसके बाद से पूरी दुनिया ने 1 जनवरी को नया साल मनाना शुरू कर दिया।

आखिर ऐसा क्या हुआ था कि सीजर को कैलेंडर बदलना पड़ा, सबसे पहले नया साल कब मना...

आखिर 1 जनवरी को ही नया साल क्यों मनाया जाता है? 2637 साल पहले यानी 673 ईसा पूर्व की बात है। रोम में नूमा पोंपिलस नाम का राजा हुआ करता था। उसने रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए मार्च की जगह जनवरी से नया साल मनाने का फैसला किया। इससे पहले रोम में नए साल की शुरुआत 25 मार्च से होती थी।

नूमा पोंपिलस का तर्क था कि जनवरी महीने का नाम रोम में नई शुरुआत करने के देवता जानूस के नाम पर पड़ा है। वहीं, मार्च महीने का नाम रोम में युद्धों के देवता मार्स के नाम पर रखा गया है। इसीलिए नए साल की शुरुआत भी मार्च के बजाय जनवरी में होनी चाहिए।

नूमा पोंपिलस के जारी कैलेंडर में एक साल में 310 दिन और सिर्फ 10 महीने होते थे। उस समय एक सप्ताह में 8 दिन थे। हालांकि 2175 साल पहले यानी 153 ईसा पूर्व तक जनवरी में नया साल मनाया जरूर जाता था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी।

नूमा पोंपिलस के 607 साल बाद रोम में राजशाही को उखाड़ कर फेंक दिया गया। साम्राज्य का सारा दारोमदार रोमन रिपब्लिक के पास आ गया। कुछ साल सत्ता में रहने के बाद रिपब्लिक के नेता भ्रष्टाचारी होने लगे। रोम साम्राज्य में मची उथल-पुथल का फायदा उठा कर रोमन आर्मी के जनरल जूलियस सीजर ने सारी कमान अपने हाथों में ले ली।

इसके बाद उसने नेताओं को सबक सिखाना शुरू किया। दरअसल, रिपब्लिक के नेता ज्यादा वक्त तक सत्ता में रहने के लिए और चुनावों में धांधली के लिए कैलेंडर में अपनी मर्जी के मुताबिक बदलाव करने लगे थे। वो कैलेंडर में अपनी मर्जी से कभी दिनों को बढ़ा देते तो कभी कम कर देते थे।

इसका समाधान निकालने के लिए जूलियस सीजर ने कैलेंडर ही बदल डाला। 46 ईसा पूर्व में रोम साम्राज्य के तानाशाह जूलियस सीजर ने एक नया कैलेंडर जारी किया।

जूलियस सीजर को खगोलविदों ने बताया कि पृथ्वी को सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं। इसके बाद सीजर ने रोमन कैलेंडर को 310 दिन से बढ़ाकर 365 दिन कर दिया। साथ ही सीजर ने फरवरी के महीने को 29 दिन करने का फैसला किया, जिससे हर 4 साल में बढ़ने वाला एक दिन भी एडजस्ट हो सके। अगले साल यानी 45 ईसा पूर्व से 1 जनवरी के दिन नया साल मनाया जाने लगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को दी 2.5 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता

वाशिंगटन :- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को यूक्रेन के लिए 2.5 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सुरक्षा सहायता की घोषणा की. उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम हफ्तों में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले कीव को सैन्य सहायता बढ़ाने का फैसला किया.

बाइडेन ने एक बयान में कहा, "मेरे निर्देश पर, संयुक्त राज्य अमेरिका मेरे कार्यकाल के बाकी बचे दिन में युद्ध में यूक्रेन की स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा."

अमेरिकी राष्ट्रपति के ऐलान में 1.25 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता और 1.22 बिलियन डॉलर का 'यूक्रेन सुरक्षा सहायता पहल पैकेज' शामिल है, जो बाइडेन के कार्यकाल का अंतिम यूएसएआई पैकेज है.

यूएसएआई के तहत सैन्य उपकरण अमेरिकी स्टॉक से प्राप्त करने के बजाय रक्षा उद्योग या साझेदारों से खरीदे जाते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें युद्ध के मैदान में पहुंचने में महीनों या वर्षों का समय लग सकता है।

इससे पहले 18 दिसंबर को ब्रिटिश रक्षा सचिव जॉन हीली ने घोषणा की थी कि यूके ने नौसेना के ड्रोन, वायु रक्षा प्रणाली और तोपखाने सहित नए सहायता पैकेज के साथ यूक्रेन को अपना सैन्य समर्थन बढ़ा दिया है।

हीली ने एक इंटरव्यू में कहा कि ब्रिटेन के नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय सैन्य अभियान ऑपरेशन इंटरफ्लेक्स के तहत यूक्रेनी सैनिकों के लिए प्रशिक्षण 2025 में भी जारी रहेगा.

ब्रिटिश रक्षा सचिव ने कहा, कीव के लिए ब्रिटेन का समर्थन 'अडिग' है और ब्रिटेन हमेशा 'पुतिन को जीतने से रोकने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा.' जुलाई में, नई लेबर सरकार ने 2030-2031 तक यूक्रेन को प्रति वर्ष 3 बिलियन पाउंड की सैन्य सहायता देने का संकल्प लिया था. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को तीन वर्ष पूरे होने वाले हैं।

स्पेशलिस्ट ऑफिसर के पदों पर निकाली भर्ती, इंटरव्यू से होगा सेलेक्शन


नई दिल्ली:- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने स्पेशलिस्ट ऑफिसर के पदों पर भर्ती निकाली है। बैंक ने एसओ इन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी भर्ती से जुड़ा नोटिफिकेशन आधिकारिक वेबसाइट पर centralbankofindia. co.in पर रिलीज किया है। इसके मुताबिक, कुल 62 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। 

इन पदों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 12 जनवरी, 2025 तक अप्लाई कर सकते हैं। अंतिम तिथि बीतने के बाद कोई भी फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाएंगे। 

जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, कुल पदों में डेटा साइंटिस्ट के 2, डेटा-आर्किटेक्ट/क्लाउड आर्किटेक्ट/डिजाइनर/मॉडलर के 2 पद और एमएल ऑप्स इंजीनियर के भी 2 पदों पर ही निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, जनरल एआई एक्सपर्ट्स में 2 एसईओ विशेषज्ञ 1 पद और ग्राफिक डिजाइनर एंड वीडियो एडिटर के भी 1 पद पर ही नियुक्ति की जाएगी। 

वहीं, इन पदों पर उम्मीदवारों का सेलेक्शन इंटरव्यू के माध्यम से किया जाएगा। साक्षात्कार जनवरी के चौथे सप्ताह में आयोजित किए जा सकते हैं। हालांकि, सटीक तारीख की जांच करने के लिए उम्मीदवारों को ऑफिशियल वेबसाइट पर नजर रखनी होगी।  

इस वैकेंसी के लिए आवेदन करने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को बतौर आवेदन शुल्क 750 रुपये प्लस जीएसटी देनी होगी। वहीं एससी और एसटी कैटेगिरी के अभ्यर्थियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। उम्मीदवारों की सहूलियत के लिए नीचे आसान स्टेप्स दिए गए हैं, जिनको फॉलो करके अभ्यर्थी आसानी से आवेदन कर सकते हैं। 

एसओ भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट centralbankofindia.co.in पर जाना होगा। अब,होमपेज पर पेज के टॉप पर दिखाई दे रहे “भर्ती” सेक्शन पर क्लिक करें। यहां “एसओ अधिकारियों की भर्ती” पर क्लिक करें। साइन-अप" बटन पर क्लिक करें और मूल विवरण प्रदान करने के बाद पंजीकरण और पासवर्ड प्राप्त करें। अब, “ऑनलाइन आवेदन करें” लिंक पर क्लिक करें और पंजीकरण संख्या और पासवर्ड के साथ लॉगिन करें। सभी विवरण भरें। आवेदन शुल्क का भुगतान करें और आवश्यकतानुसार दस्तावेज़ अपलोड करें।सबमिट करने से पहले एक बार आवेदन पत्र को अच्छी तरह से क्रास चेक कर लें। इसके बाद भरे हुए आवेदन पत्र को जमा कर दें। अब भविष्य के लिए प्रिंटआउ ट लेकर रख लें। 

स्पेशलिस्ट ऑफिसर के पदों पर निकाली भर्ती, इंटरव्यू से होगा सेलेक्शन

नई दिल्ली:- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने स्पेशलिस्ट ऑफिसर के पदों पर भर्ती निकाली है। बैंक ने एसओ इन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी भर्ती से जुड़ा नोटिफिकेशन आधिकारिक वेबसाइट पर centralbankofindia. co.in पर रिलीज किया है। इसके मुताबिक, कुल 62 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। 

इन पदों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 12 जनवरी, 2025 तक अप्लाई कर सकते हैं। अंतिम तिथि बीतने के बाद कोई भी फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाएंगे। 

जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, कुल पदों में डेटा साइंटिस्ट के 2, डेटा-आर्किटेक्ट/क्लाउड आर्किटेक्ट/डिजाइनर/मॉडलर के 2 पद और एमएल ऑप्स इंजीनियर के भी 2 पदों पर ही निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, जनरल एआई एक्सपर्ट्स में 2 एसईओ विशेषज्ञ 1 पद और ग्राफिक डिजाइनर एंड वीडियो एडिटर के भी 1 पद पर ही नियुक्ति की जाएगी। 

वहीं, इन पदों पर उम्मीदवारों का सेलेक्शन इंटरव्यू के माध्यम से किया जाएगा। साक्षात्कार जनवरी के चौथे सप्ताह में आयोजित किए जा सकते हैं। हालांकि, सटीक तारीख की जांच करने के लिए उम्मीदवारों को ऑफिशियल वेबसाइट पर नजर रखनी होगी।  

इस वैकेंसी के लिए आवेदन करने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को बतौर आवेदन शुल्क 750 रुपये प्लस जीएसटी देनी होगी। वहीं एससी और एसटी कैटेगिरी के अभ्यर्थियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। उम्मीदवारों की सहूलियत के लिए नीचे आसान स्टेप्स दिए गए हैं, जिनको फॉलो करके अभ्यर्थी आसानी से आवेदन कर सकते हैं। 

एसओ भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट centralbankofindia.co.in पर जाना होगा। अब,होमपेज पर पेज के टॉप पर दिखाई दे रहे “भर्ती” सेक्शन पर क्लिक करें। यहां “एसओ अधिकारियों की भर्ती” पर क्लिक करें। साइन-अप" बटन पर क्लिक करें और मूल विवरण प्रदान करने के बाद पंजीकरण और पासवर्ड प्राप्त करें। अब, “ऑनलाइन आवेदन करें” लिंक पर क्लिक करें और पंजीकरण संख्या और पासवर्ड के साथ लॉगिन करें। सभी विवरण भरें। आवेदन शुल्क का भुगतान करें और आवश्यकतानुसार दस्तावेज़ अपलोड करें।सबमिट करने से पहले एक बार आवेदन पत्र को अच्छी तरह से क्रास चेक कर लें। इसके बाद भरे हुए आवेदन पत्र को जमा कर दें। अब भविष्य के लिए प्रिंटआउ ट लेकर रख लें। 

आज ही के दिन मनाया जाता है ईसाइयों का पवित्र त्योहार क्रिसमिस

 

नयी दिल्ली : 25 दिसंबर का दिन दुनिया भर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसे ईसाई परंपरा में ईसाइयों का पवित्र त्योहार क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। 

25 दिसंबर को मनाया जाने वाला क्रिसमस लोगों के बीच शांति, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है, जो एकता और करुणा को बढ़ावा देता है। इस दिन को चर्च सेवाओं, पारिवारिक समारोहों और दान के कार्यों सहित उत्सव परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

25 दिसंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2002 में आज ही के दिन चीन और बांग्लादेश के बीच रक्षा समझौता हुआ था। 

1962 में 25 दिसंबर के दिन ही सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया था। 

2008 में आज ही के दिन भारत के द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये चन्द्रयान-1 के 11 में से एक पेलोडर्स ने चन्द्रमा की नई तस्वीर भेजी थी।

2005 में 25 दिसंबर को ही मारीशस में 400 वर्ष पूर्व विलुप्त ‘डोडो’ पक्षी का दो हज़ार वर्ष पुराना अवशेष मिला था।

2002 में आज ही के दिन चीन और बांग्लादेश के बीच रक्षा समझौता हुआ था।

1998 में 25 दिसंबर के दिन ही रूस एवं बेलारूस द्वारा एक संयुक्त संघ बनाए जाने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।

1974 में आज ही के दिन राेम जा रहे एयर इंडिया के विमान बोइंग 747 का अपहरण हुआ था।

1962 में 25 दिसंबर के दिन ही सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया था।

1947 में आज ही के दिन पाकिस्तानी सेना ने झनगड़ को कब्जे में ले लिया था।

1946 में 25 दिसंबर के दिन ही ताइवान में संविधान को अंगीकार किया गया था।

1924 में आज ही के दिन पहला अखिल भारतीय कम्युनिस्ट कांफ्रेस कानपुर में संपन्न हुआ था।

1892 में 25 दिसंबर के दिन ही स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य स्थित चट्टान पर तीन दिन तक साधना की थी।

25 दिसंबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1944 में आज ही के दिन फ़िल्म निर्देशक मणि कौल का जन्म हुआ था।

1926 में 25 दिसंबर के दिन ही हिन्दी साहित्यकार धर्मवीर भारती का जन्म हुआ था।

1925 में आज ही के दिन प्रसिद्ध चित्रकार सतीश गुजराल का जन्म हुआ था।

1924 में 25 दिसंबर के दिन ही भारत के 10वें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था।

1919 में आज ही के दिन प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद का जन्म हुआ था।

1872 में 25 दिसंबर के दिन ही संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड पंडित गंगानाथ झा का जन्म हुआ था।

1861 में आज ही के दिन राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और एक बड़े समाज सुधारक मदनमोहन मालवीय का जन्म हुआ था।

25 दिसंबर को हुए निधन

2015 में आज ही के दिन भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री साधना का निधन हुआ था।

1994 में 25 दिसंबर के दिन ही भारत के भू.पू. राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह का निधन हुआ था।

1977 में आज ही के दिन हालीवुड के प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता चार्ली चैपलिन का निधन हुआ था।

1972 में 25 दिसंबर के दिन ही भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजागोपालाचारी का निधन हुआ था।

1959 में आज ही के दिन भारतीय अभिनेता प्रेम अदीब का निधन हुआ था।

25 दिसंबर के महत्वपूर्ण अवसर

क्रिसमस।

झारखंड में JPSC और JSSC की परीक्षाए CBT के माध्यम से होगी, सीएम ने कहा समय भी बचेगा और गड़बड़ियां भी नहीं होगी

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड में JPSC और JSSC के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों की परीक्षाएं अब ऑनलाइन मोड में ली जा सकती है। इसके लिए सरकार की तरफ से JPSC और JSCC को विचार करने को कहा गया है। सीएम हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ बैठक में इस बात की चर्चा की और कहा कि ऑनलाइन मोड में प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की तैयारी करे।

 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि झारखंड में आने वाले दिनों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में नियुक्तियों को लेकर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में गड़बड़ियों की गुंजाइश न हो, इस दिशा में ऑनलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने की दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है।

 उन्होंने कहा कि कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी ) माध्यम से परीक्षा लेने पर काफी हद तक पेपर लीक जैसे मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही इस माध्यम में परीक्षा लेने पर परेशानियों के साथ समय की भी बचत होगी।

JSSC CGL परीक्षा के विवादों और शिकायतों की निष्पक्षता के साथ जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपे

JSSC CGL परीक्षा 2023 से जुड़े मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा दिए जांच के आदेश पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्देश के अनुसार उसी के मुताबिक पूरी निष्पक्षता के साथ जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपे। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान परीक्षा आयोजन के दौरान हुई गड़बड़ियों तथा मिली शिकायतों और परीक्षा परिणाम के बाद हुए विवाद एवं हंगामें की भी जांच हो। 

इसमें जो भी दोषी हों, उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।