शांति ड्रैगन की फितरत नहीं! अब ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने का ऐलान, भारत के लिए हो सकता है खतरनाक
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चीन दुनिया का सबसे विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्सांगपो पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। तिब्बत से निकलते ही यारलुंग जांग्बो नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, जो दक्षिण में भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्य से होती हुई बांग्लादेश की ओर बहती है। चीन पहले ही इस नदी के ऊपरी तल में हाइड्रोपावर जेनरेशन की शुरुआत कर चुका है, जो कि तिब्बत के पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट चीन के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चीन के कार्बन पीकिंग और कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्यों को पूरा करने के साथ साथ इंजीनियरिंग जैसी इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित करने और तिब्बत में नौकरियों के अवसर पैदा करने में यह प्रोजेक्ट मदद करेगा। यारलुंग जांग्बो का एक भाग 50 किमी (31 मील) की छोटी सी दूरी में 2,000 मीटर (6,561 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो विशाल हाइड्रोपावर क्षमता के साथ-साथ इंजीनियरिंग के लिए कठिन चुनौतियां भी पेश करता है।
भारत के लिए कैसे खतरनाक
चीन तिब्बत की जिस लंबी नदी को यारलुंग त्सांगपो नदी कहता है, उसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस विशालकाय बांध को हथियार की तरह इस्तेमाल करके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है। लगभग 2900 किमी लंबी ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आने से पहले तिब्बत के पठार से होकर गुजरती है। जो कि तिब्बत में धरती की सबसे गहरी खाई बनाती है। जिसे तिब्बती बौद्ध भिक्षु बहुत पवित्र मानते हैं।
धरती की स्पीड को प्रभावित कर रहा चीन का बांध
वहीं अभी बिजली पैदा करने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहे जाने वाला चीन थ्री जॉर्ज हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। चीन के हुबई प्रांत में स्थित थ्री जॉर्ज बांध यांगजी नदी पर बनाया गया है।थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है।










Dec 26 2024, 18:47
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