भारतीय सेना की ताकत और बढ़ेगी, आर्मी को मिलेंगे और के9 वज्र-टी आर्टिलरी गन, 7600 करोड़ की डील
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भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा होने वाला है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को L&T के साथ 7,629 करोड़ रुपये का करार किया है। इसके तहत 100 और के-9 वज्र-टी सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रैक्ड गन सिस्टम खरीदे जाएँगे। इन तोपों को चीन से लगी सीमा पर ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ये तोपें 28-38 किमी तक मार कर सकती हैं। ये पहले से मौजूद 100 के-9 वज्र-टी तोपों के अलावा होंगी।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में शुक्रवार को कंपनी के प्रतिनिधियों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।मंत्रालय के बयान में कहा गया है, के-9 वज्र-टी की खरीद देश के तोपखाने के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगी और भारतीय थलसेना की संचालन तैयारियों को बढ़ाएगी। यह बहुउद्देशीय तोप, किसी भी रास्ते पर चलने की अपनी क्षमता के साथ, भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। साथ ही सटीकता के साथ गहरी मारक क्षमता को बढ़ाएगी।
अगले 4-5 सालों में सेना में शामिल हो जाएंगी नई तोपें
नई तोपें अगले चार-पांच सालों में सेना में शामिल हो जाएंगी। इनमें कई नई तकनीकें होंगी। ये ज्यादा दूर तक, ज्यादा सटीक और तेजी से गोले दाग सकेंगी। ये बेहद ठंडे मौसम में भी काम कर सकेंगी।
दुश्मन के ठिकानों को मार गिराने में सक्षम
यह लंबी दूरी पर सटीक और घातक मारक क्षमता के जरिए गहराई तक वार करने में सक्षम होगी। यह ऊंचाई वाले इलाकों में माइनस डिग्री तापमान पर भी पूरी क्षमता से फायरिंग करने और सेना की जरूरत के मुताबिक सभी तरह के ऑपरेशन करने में सक्षम है।यह शून्य से कम तापमान में भी काम कर सकती है जिससे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इसका इस्तेमाल हो सकता है। यह परियोजना मेक इन इंडिया योजना के तहत चार साल की अवधि में 9 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
जानिए इसकी खासियतें
• दक्षिण कोरियाई हॉवित्जर के-9 थंडर का भारतीय संस्करण हैं के-9 वज्र स्वचालित तोप
• 38 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-9 जीरो रेडियस पर चारों तरफ घूमकर करती है वार
• 155 एमएम/52 कैलिबर की 50 टन वजनी तोप से फेंका जाता है 47 किलो का गोला
• 15 सेकंड के अंदर 3 गोले दागने की है क्षमता, सड़क और रेगिस्तान में बराबर संचालन क्षमता
मेक इन इंडिया से निर्माण, 80 फीसदी स्वदेशी
• दक्षिण कोरियाई कंपनी हान्वा टेकविन ने दी तकनीक, एलएंडटी ने किया निर्माण
• मई, 2017 में रक्षा मंत्रालय ने वैश्विक बोली के जरिये दिया था एलएंडटी को ऑर्डर
• 4500 करोड़ रुपये में 100 के-9 वज्र निर्मित करने का दिया गया था ऑर्डर
• गुजरात के हजीरा में इसके लिए जनवरी, 2018 में शुरू की गई निर्माण इकाई
• नवंबर, 2018 में भारतीय सेना में शामिल की गई थी पहली के-9 वज्र हॉवित्जर
• 80 फीसदी स्वदेशी कार्य पैकेज के निर्माण में 1000 एमएसएमई कंपनियों ने बनाए पुर्जे
• 13000 से ज्यादा पुर्जे हर तोप के लिए चार राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक व तमिलनाडु में बनाए गए
Dec 23 2024, 11:20
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