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राज्यसभा में जयराम रमेश पर क्यों भड़क गईं निर्मला सीतारमण, बोलीं-लिखित में माफी मांगें
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* संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के अवसर संसद में संविधान पर चर्चा कराई जा रही है। पिछले हफ्ते लोकसभा में 2 दिन तक संविधान पर चर्चा हुई थी। राज्यसभा में आज और कल संविधान पर चर्चा होगी और पीएम मोदी मंगलवार को जवाब देंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में संविधान पर चर्चा बहस की शुरुआत की। *संविधान लागू होने के साल भर में बोलने की आजादी छीनी- सीतारमण* राज्‍यसभा में अपनी बात रखते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तत्‍कालीन पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि जब संविधान लागू हुआ, देश में एक अंतरिम सरकार थी। यह सरकार ने संविधान लागू होने के एक साल के अंदर ही संविधान का पहला संशोधन लेकर आई। इस संशोधन की मदद से लोगों की बोलने की आजादी को छीना गया। निर्मला सीतारमण ने राज्‍यसभा में कहा कि साल 1949 में काग्रेस पार्टी ने उस जमाने के बड़े बॉलीवुड स्‍टार बलराज सहानी और मजरूह सुलतानपुरी को जेल में डाल दिया था। उनका कसूर बस इतना था कि दोनों ने एक कविता सुनाई थी, इस कविता में नेहरू की अलोचना की गई थी। दोनों ने इसके लिए कांग्रेस से माफी मांगने से मना कर दिया था। जिसके कारण उन्‍हें जेल जाना पड़ा था। ऐसे लोग हमारे सामने संविधान पर खतरा होने की बात कर रहे हैं। *अभिव्यक्ति की आजादी कम करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड-सीतारमण* केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी को कम करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं था। साल 1975 में माइकल एडवर्ड्स की लिखी गई राजनीतिक जीवनी “नेहरू” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने “किस्सा कुर्सी का” नामक एक फिल्म (1975) पर भी बैन लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे। सीतारमण ने आगे कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उन्होंने अपना संविधान लिख लिया था, लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है। इस सबके बावजूद हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें कई संशोधन हुए हैं। *जयराम रमेश पर भड़कीं सीतारमण* निर्मला सीतारमण राज्‍यसभा में अपनी बात रख रही थी। इसी बीच इमरजेंसी को लेकर जयराम रमेश ने इंदिरा गांधी का बचाव करने का प्रयास किया। दरअसल, जयराम रमेश ने यह तो कहा कि इंदिरा गांधी ने 42 संशोधन को हटाने में साथ दिया लेकिन वो यह बताना भूल गए कि यह संशोधन मोरारजी देसाई लेकर आए थे। अपने भाषण के दौरान निर्मला जीएसटी का जिक्र कर रही थीं इसी दौरान रमेश ने उन्हें झूठ बोलने वाला कहा। इस आरोप पर निर्मला भड़क गईं। निर्मला ने कहा कि रमेश मेरे ऊपर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। जो मैंने कभी नहीं बोला है। सीतारमण ने कहा कि मैं बुरा नहीं मानूंगी कि अगर जयराम रमेश एक और बार मुझे झूठा कहेंगे। लेकिन रिकॉर्ड सब बता देंगे। जयराम रमेश कुछ संशोधन लाना चाहते थे लेकिन डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने निजी तौर पर उन्‍हें कहा कि आप ऐसा ना करें। क्‍योंकि इसे लेकर जीएसटी काउंसिल में एक सहमति बनी है। सीतारमण ने जयराम की ओर इशारा करते हुए कहा कि सर मैं झूठ नहीं बोल रही हूं। रिकॉर्ड्स झूठ नहीं बोलते हैं। अब मुझे झूठा बोलने की जल्‍दबाजी में मत रहे। वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे झूठा बोलना ये साफ करता है कि कांग्रेस के खून में झूठ बोलना है। किसी को मुझे झूठा बोलने पर कोर्ट तक जान पड़ा था और वहां सॉरी बोलना पड़ा था। जब मैं रक्षा मंत्री थी। वो केवल पीएम मोदी को चोर नहीं कह रहे थे बल्कि मेरे ऊपर भी झूठ बोलने का आरोप लगा रहे थे। कौन थे वो? हालांकि, निर्मला ने साथ ही कहा कि सदन में बोले गए बातों को कोर्ट तक नहीं ले जाया जा सकता है। लेकिन मैं रमेश से माफी की मांग करती हूं।
हमने नहीं नरसिम्हा राव ने की थी शुरुआत”, विदेश नीति में बदलाव की जरूरत पर क्या बोले एस जयशंकर?
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* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बदलते परिदृश्य में विदेश नीति में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि विदेश नीति में बदलाव को राजनीतिक हमले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। आईसीसी में इंडियाज वर्ल्ड पत्रिका के विमोचन के बाद आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने विदेश नीति मामलों के विशेषज्ञ सी. राजा मोहन के साथ परिचर्चा के दौरान ये बातें कहीं। 'इंडियाज व‌र्ल्ड' मैगजीन की शुरुआत के अवसर पर जयशंकर ने कहा कि ऐसे चार बड़े कारक हैं, जिनके कारण भारत में लोगों को स्वयं से पूछना चाहिए कि विदेश नीति में कौन से परिवर्तन आवश्यक हैं। एक बदलाव तो ऐसा है, जिसके बारे में उन्हें शनिवार को बात करने का मौका मिला था। डॉ. अरविंद पनगढि़या की पुस्तक के विमोचन समारोह में जयशंकर ने कहा था, 'नेहरू विकास मॉडल ने नेहरू की विदेश नीति को जन्म दिया और हम विदेश में इसे सही करना चाहते हैं, जैसे देश में इस मॉडल के परिणामों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब हम विदेश नीति में बदलाव की बात करते हैं और अगर नेहरू के बाद की बात होती है तो इसे राजनीतिक हमले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति में बदलाव के लिए नरेन्द्र मोदी की जरूरत नहीं थी। नरसिम्हा राव ने इसकी शुरुआत की थी। एस जयशंकर ने कहा कई सालों तक हमारे पास नेहरू विकास मॉडल था। नेहरू विकास मॉडल ने नेहरूवादी विदेश नीति तैयार की। यह सिर्फ हमारे देश में क्या हो रहा था, इस बारे में नहीं था, 1940, 50, 60 और 70 के दशक में एक अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य था, जो द्विध्रुवीय था। फिर एकध्रुवीय परिदृश्य था। पिछले 25 वर्षों में बहुत तीव्र वैश्वीकरण, देशों के बीच बहुत मजबूत अंतर-निर्भरता देखी है इसलिए एक तरह से एक-दूसरे के प्रति राज्यों के संबंध और व्यवहार में भी बदलाव आया है। अगर कोई प्रौद्योगिकी के प्रभाव को देखता है, जैसे- विदेश नीति पर प्रौद्योगिकी, राज्य की क्षमता पर प्रौद्योगिकी और हमारे दैनिक जीवन पर प्रौद्योगिकी, तो वह भी बदल गया है इसलिए यदि घरेलू मॉडल बदल गया है। अगर परिदृश्य बदल गया है, राज्यों के व्यवहार पैटर्न बदल गए हैं और विदेश नीति के उपकरण बदल गए हैं तो विदेश नीति एक जैसी कैसे रह सकती है। विदेश मंत्री ने कहा, 'इसलिए मुझे लगता है कि हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है। हमें इस देश में व्यावहारिक होने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि डिजिटल युग की बदलती जरूरतों के अनुसार विदेश नीति अपनाने की जरूरत है। डिजिटल युग मौलिक रूप से विनिर्माण युग से अलग है, क्योंकि यह वैश्विक साझेदारी बनाने और अपने डाटा के साथ दूसरों पर भरोसा करने जैसी नई चुनौतियां पेश करता है।
देश में किशोर अपराधियों की बढ़ती संख्या, राजधानी में गैंग्स के निशाने पर है युवा*

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खुद का “अनुयायी” बनाने, जल्दी पैसा कमाने का तरीका और रील और रियल लाइफ गैंगस्टर से “प्रेरणा” लेने की वजह से हाल के दिनों में नाबालिगों द्वारा किए जाने वाले जघन्य अपराधों की संख्या में उछाल आया है। ऐसे कई मामलों में, पकड़े जाने पर किशोरों को सुधार गृह भेज दिया जाता है, जहाँ उनकी काउंसलिंग की जाती है और उन्हें सुधार गतिविधियों में शामिल किया जाता है। बाल परामर्शदाताओं के अनुसार, इनमें से अधिकांश किशोर गैंगस्टरों से प्रेरित होते हैं और शिक्षा की पर्याप्त पहुँच के बिना वंचित परिवारों से आते हैं। इन नाबालिगों से अब तक की पूछताछ से पता चला है कि वे टूटे-फूटे परिवारों से आते हैं, जहाँ कोई भी उनके आचरण पर ध्यान नहीं देता है, जिसके कारण वे बुरी संगत में पड़ जाते हैं और आसानी से पैसे कमाने या शक्तिशाली महसूस करने के लिए अपराध करना शुरू कर देते हैं। हालाँकि, जैसा कि नाबालिग अपराधियों से जुड़े अपराधों की श्रृंखला से पता चलता है, पुलिस के अनुसार, 3 अक्टूबर को, दो किशोर दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में एक स्वास्थ्य सुविधा में घुसे और कथित तौर पर बदला लेने के लिए एक 54 वर्षीय यूनानी चिकित्सक की गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले महीने, पांच किशोरों पर दक्षिण दिल्ली में गिरोह की प्रतिद्वंद्विता के कारण दो लड़कों को चाकू मारने का आरोप है। मई में, डकैती और हत्या के प्रयास के पूर्व आपराधिक मामलों में शामिल चार अन्य नाबालिगों ने कथित तौर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से कई बार चाकू मारा, क्योंकि पीड़ित ने पहले उनमें से एक को धमकी दी थी। क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नाबालिग अब छोटे-मोटे अपराधों तक सीमित नहीं हैं और अब वे बड़े अपराध करने में भी “नियमित” हैं, जिसमें पूर्व नियोजित गोलीबारी भी शामिल है। *प्रमुख अपराध* पुलिस के एक अध्ययन में पाया गया कि जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच 259 नाबालिग हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार, डकैती और जबरन वसूली की घटनाओं में शामिल थे। अकेले 2022 में, 3,002 नाबालिगों के कई अपराधों में शामिल होने की सूचना मिली, जिनमें 152 हत्याएं शामिल हैं। 2021 में, नाबालिगों की संख्या 3,317 थी और हत्याएं 125 थीं। इस साल मई में, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में एक पुराने विवाद को लेकर 35 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर 23 से अधिक बार चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई, जबकि राहगीर और स्थानीय लोग देखते रह गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जांच में पता चला है कि पिछले साल जून में 16 साल की उम्र के दो नाबालिगों ने लूट की असफल कोशिश में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक कैब ड्राइवर का गला रेत दिया था। दोनों को किशोर न्याय बोर्ड ने दो महीने के लिए सुधार गृह भेज दिया था। उन्हें कुछ ही हफ़्तों में रिहा कर दिया गया और बाद में दिसंबर में हथियार रखने के आरोप में पकड़ा गया। पिछले नवंबर में, जिले में राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भयानक किशोर अपराध हुए। सीसीटीवी कैमरे में कैद, एक 17 वर्षीय लड़के को 350 रुपये की लूट के लिए 18 वर्षीय व्यक्ति पर कम से कम 50 बार चाकू से वार करते देखा गया। कथित अपराध के बाद, किशोर को नाचते हुए और हत्या का जश्न मनाते हुए देखा गया। *गैंग वॉर* पुलिस का कहना है कि व्यक्तिगत उद्देश्यों और छोटे-मोटे अपराधों के अलावा, किशोर अपराध में वृद्धि एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है जहां कुख्यात गिरोह अब नाबालिगों की “सक्रिय रूप से” भर्ती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भी ऐसे गिरोह हैं जो पूरी तरह से नाबालिगों द्वारा चलाए जा रहे हैं। गैंगवार का एक मामला पिछले महीने सामने आया था, जब दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार में 16 वर्षीय लड़के और उसके दोस्त को करीब 17 साल की उम्र के पांच लड़कों ने 13 बार चाकू घोंप दिया था। राकेश पावरिया (पूर्व डीसीपी क्राइम) ने बताया कि आरोपी हरि किशन गैंग (टिगरी में स्थित) के हैं, जिसका सरगना 45 वर्षीय किशन तिहाड़ जेल में बंद है। जांचकर्ताओं का मानना है कि शहर में कई गिरोह "ट्रिगर-फ्रेंडली नाबालिगों" द्वारा चलाए जा रहे हैं, जिन्हें कानून का डर नहीं है। दिल्ली में कम से कम चार गिरोह हैं, जिन्हें छोटे समूहों के अलावा नाबालिगों द्वारा चलाया जा रहा है, जो स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। एक बाल परामर्शदाता, ने कहा, “अपराध में लिप्त बच्चे गैंगस्टरों से बहुत प्रेरित होते हैं। अपराध करने वाले अधिकांश किशोर कम आय वाले पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पास शिक्षा तक पहुंच नहीं है और अगर है भी, तो माता-पिता उनके कामों पर ध्यान नहीं देते क्योंकि वे आजीविका कमाने में व्यस्त रहते हैं।” *सक्रिय भर्ती* पिछले महीने, पुलिस ने तेवतिया गिरोह के एक गुर्गे, 20 वर्षीय हनी रावत को गिरफ्तार किया, जिसने कथित तौर पर दक्षिण दिल्ली में एक व्यवसायी के घर के बाहर आधा दर्जन गोलियां चलाईं। डीसीपी (क्राइम) संजय सैन के नेतृत्व में एक टीम ने रावत को गिरफ्तार किया। ऐसे मामलों में, जहाँ बड़े नाम शामिल होते हैं, नाबालिग पैसे या कोई अन्य वित्तीय प्रलोभन नहीं माँगते हैं वे प्रसिद्धि चाहते हैं। शुरुआत में, उन्हें रेकी के लिए ले जाया जाता है। कुछ समय बाद, गैंगस्टर उन्हें डकैती, जबरन वसूली, गोलीबारी और हत्या के लिए सौंप देते हैं।" पुलिस ने बताया कि गिरोह के किशोर इंस्टाग्राम पर नए फोन, बाइक और गैजेट्स का "दिखावा" करना पसंद करते हैं।
नेहरू से जुड़े जो पेपर सोनिया गांधी के पास वो लौटाएं, पीएम मेमोरियल की राहुल गांधी को चिट्ठी
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* प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी ने मांग की है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के निजी पत्र, जो सोनिया गांधी ने लिए थे, उन्हें वापस किया जाए। संग्रहालय ने इसे लेकर राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है। ये पत्र साल 2008 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में सोनिया गांधी ने मंगवाए थे। प्रधानमंत्री संग्रहालय के सदस्य रिजवान कादरी की तरफ से राहुल गांधी को 10 दिसंबर को यह पत्र लिखा गया।रिजवान कादरी ने राहुल गांधी से नेहरू से जुड़े दस्तावेजों को लौटाने की गुजारिश की है। नेहरू से जुड़े कुछ जरूरी कागजात सोनिया गांधी के पास हैं जिन्हें उन्होंने 2008 में मंगवा लिया था। ये वे दस्तावेज हैं जो मेमोरियल को दान किए गए थे। इनमें नेहरू के एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी हस्तियों के साथ हुए पत्राचार हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मेमोरियल के वर्तमान सदस्यों में से एक ने कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर उन महत्वपूर्ण दस्तावेजों को वापस देने में मदद मांगी है। इस पत्र में कादरी ने राहुल गांधी से अपील की कि वे सोनिया गांधी को दिए गए पत्रों, फोटो प्रति और डिजिटल प्रति को वापस करें। इससे पहले संग्रहालय द्वारा सितंबर में भी सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा गया था। कादरी ने लेटर लिखकर कहा है कि 2008 में तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष ने ‘दान किए गए’ दस्तावेजों का कुछ हिस्सा वापस लेने के लिए अपना प्रतिनिधि भेजा था। राहुल गांधी से सहयोग की मांग करते हुए कादरी ने अपने पत्र में कहा, ‘जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड’ ने 1971 में जवाहरलाल नेहरू के निजी कागजात पीएमएमएल को ट्रांसफर किए थे। ये दस्तावेज भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर की बेहद अमूल्य जानकारी देते हैं। एनएमएमएल सोसायटी (अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय, या पीएमएमएल) ने इस साल फरवरी में अपनी पिछली वार्षिक आम बैठक के दौरान इस पर चर्चा की थी। कादरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली पीएमएमएल सोसाइटी के 29 सदस्यों में से एक हैं। पंडित नेहरू के ये निजी पत्र बेहद ऐतिहासिक माने जाते हैं। पहले ये पत्र जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल के पास थे, जिन्हें साल 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को दिए गए। अब इसी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के रूप में जाना जाता है। जिन पत्रों की मांग की गई है, उनमें पंडित नेहरू और एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, बाबू जगजीवन राम और गोविंद वल्लभ पंत आदि महान विभूतियों के बीच हुई बातचीत पर आधारित हैं।
संविधान पर आज राज्यसभा में होगी चर्चा, सदन में हंगामे के आसार, 'एक देश, एक चुनाव' बिल टला
#rajya_sabha_debate_on_constitution
* संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा पूरी होने के बाद अब सभी की निगाहें उच्च सदन पर हैं। राज्‍यसभा में दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत आज होने जा रही है। राज्यसभा में आज और 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा होनी है। इससे पहले दो दिनों तक लोकसभा में इसपर चर्चा हो चुकी है। दो दिनों तक चलने वाली इस चर्चा की शुरुआत बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। पहले इसकी शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा करने वाले थे, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर होने की वजह से क्रम में बदलाव करना पड़ा है। विपक्ष की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जु खरेगे चर्चा की शुरू कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को चर्चा में हिस्सा लेंगे। *पक्ष-विपक्ष से ये नेता करेंगे चर्चा* बीजेपी के तरफ से राज्यसभा में संविधान पर बोलने वाले नेताओं में हरदीप पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेंद्र नागर, घनश्याम तिवारी और बृजलाल का नाम भी शामिल है। बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसदों को दोनों दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से संविधान पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुकुल वासनिक और अभिषेक मनु सिंघवी बोलेंगे। माना जा रहा है कि आज और कल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होने वाली है, जहां विपक्ष सभापति के खिलाफ आक्रामक है। *लोकसभा में संविधान पर जबरदस्त बहस* इससे पहले लोकसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा पर जबरदस्त चर्चा हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन कोई बड़ा व्यवधान या स्थगन नहीं हुआ। पिछले सप्ताह कांग्रेस और बीजेपी में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से कथित संबंधों और अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्यसभा में चर्चा अलग स्तर पर हो सकती है। विपक्ष के एक नेता ने कहा कि जिस तरह जॉर्ज सोरोस, अडानी और उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के विपक्ष के नोटिस जैसे मुद्दों पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस हुई, उससे यह संभव है कि ये मुद्दे संविधान पर चर्चा के दौरान भी शामिल हो सकते हैं। *'एक देश,एक चुनाव' टला* वहीं, 'एक देश, एक चुनाव' से जुड़े विधेयकों को लोकसभा में पेश करने का काम सरकार ने वित्तीय कामकाज पूरा होने के बाद तक के लिए टाल दिया है। पहले संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किए गए थे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सोमवार को सूचीबद्ध पहले दौर की अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन से पारित करने के बाद उक्त विधेयकों को पेश किया जा सकता है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी संशोधित कार्यसूची में सोमवार के एजेंडे में दोनों विधेयक शामिल नहीं हैं। हालांकि लोकसभा स्पीकर की अनुमति से अनुपूरक कार्यसूची के माध्यम से सरकार अंतिम समय में भी हमेशा ही विधायी एजेंडा जोड़ सकती है।कार्यवाही के नियमों के अनुसार 'एक देश, एक चुनाव' को अमल में लाने से जुड़े दोनों विधेयकों की प्रतियां पिछले सप्ताह ही लोकसभा सदस्यों में वितरित कर दी गई थीं।
तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन, अमेरिका के अस्पताल में ली अंतिम सांस
#zakir_hussain_death
* तबला उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उस्ताद जाकिर हुसैन ने सैन फ्रांसिस्को के एक हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। हुसैन को हृदय संबंधी समस्याओं के बाद अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जाकिर हुसैन अमेरिका में रह रहे थे। उन्हें रक्तचाप की समस्या थी। साल 2023 में ही उन्हें संगीत जगत में अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। परिवार के मुताबिक, इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण होने वाली जटिलताओं की वजह से जाकिर हुसैन का सोमवार तड़के निधन हो गया। जाकिर हुसैन पिछले दो हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे।परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा। जाकिर हुसैन को अपने करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार मिले हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में मिले थे। छह दशक लंबे अपने करियर में संगीतकार जाकिर हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उस्ताद जाकिर हुसैन को संगीत विरासत में मिली. उनके पिता पहले से ही देश के मशहूर तबलावादकों में से एक थे. वे देश-विदेश में बड़े-बड़े कॉन्सर्ट किया करते थे. जब बेटा हुआ तो डेढ़ दिन के जाकिर के कानों में पिता ने ताल गा दी. बस फिर क्या था, संगीत का परिवार मिला, पिता का आशीर्वाद मिला और वहीं से जाकिर के उस्ताद बनने का आधार तय हो गया. उस समय डेढ़ दिन के जाकिर को दिया आशीर्वाद उनके बेटे को तबले की दुनिया का सबसे बड़ा उस्ताद बना देगा इसका अंदाजा तो खुद उस्ताद अल्लाह राखा को भी नहीं होगा.
MP कांग्रेस का बड़ा विधानसभा घेराव, 50,000 से ज्यादा कार्यकर्ता करेंगे प्रदर्शन, जानिए क्या है मुद्दा

डेस्क: मध्य प्रदेश विधानसभा का पहला सत्र 16 दिसंबर को शुरू होने जा रहा है। इस मौके पर कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा घेराव का ऐलान किया है। कांग्रेस ने इस घेराव में प्रदेश भर से 50,000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जुटाने का फैसला किया है। कांग्रेस इस विधानसभा घेराव के जरिए नेताओं की एकजुट और कार्यकर्ताओं के बीच अपनी ताकत का प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस का विधानसभा घेराव सोमवार को शीतकालीन सत्र के दौरान होगा, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक और कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के घर हुई बैठक में इस आयोजन की रूपरेखा तय की गई थी। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बताया कि पार्टी के सभी विधायकों और जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे हजारों की संख्या में वाहनों के साथ भोपाल पहुंचे।

कांग्रेस का घेराव भोपाल के जवाहर चौक इलाके से शुरू होगा, जहां एक बड़ी जनसभा होगी। इसके बाद कार्यकर्ता पैदल मार्च करते हुए रंग महल चौराहा, रोशनपुरा चौराहा होते हुए विधानसभा घेराव करेंगे। इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना की मांग उठाएगी और इसे आंदोलन का रूप देने की कोशिश करेगी। कांग्रेस इस मुद्दे को अब गांव-गांव तक लेकर जाने की योजना बना रही है।

कांग्रेस का यह विधानसभा घेराव प्रदेश में बढ़ते दलित अत्याचार, अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर होने जा रहा है। इसके अलावा विधानसभा सत्र में कांग्रेस, बीजेपी के चुनाव के दौरान किए गए वादे को लेकर भी उसे घेरने का अभियान बना रही है। इनमें प्रमुख वादा है 'लाडली बहन योजना' के तहत हर महिला को 3000 रुपये प्रति माह की राशि दी जाए। इसके अलावा 2 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा, गेहूं का MSP 2700 रुपये, धान का MSP 3100 रुपये और सोयाबीन के दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा शामिल है। कांग्रेस बीजेपी से यह भी मांग करेगी कि सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज के बारे में श्वेत पत्र जारी किया जाए।

इस घेराव को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, "संकल्प पत्र में किए गए वादों से लेकर लाडली बहिनों तक के वादे पूरे नहीं हुए हैं। मैं सभी से निवेदन करता हूं कि इस गूंगी-बहरी सरकार को अपनी आवाज सुनानी चाहिए, ताकि प्रधानमंत्री से लेकर कृषि मंत्री तक यह जान सकें कि वादे पूरे नहीं हुए हैं। इस घेराव में सभी का हिस्सा बनना जरूरी है, ताकि यह हक की लड़ाई सरकार की नींद को जगा सके।"

कॉमेडियन सुनील पाल के किडनैपर को लगी गोली, भागने की फिराक में था आरोपी, मुठभेड़ में हुआ घायल

डेस्क: कॉमेडियन सुनील पाल के किडनैपर को गोली लगने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि लालकुर्ती पुलिस से मुठभेड़ के दौरान किडनैपर अर्जुन कर्णवाल के पैर में गोली लग गई। मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल के लिए ले जाते समय किडनैपर अर्जुन कर्णवाल पुलिस की जीप से कूद गया और भागने लगा। इस दौरान किडनैपर ने दारोगा की पिस्टल छीन ली और पुलिस पार्टी पर फायरिंग शुरू कर दी।

पुलिस टीम ने भी आरोपी पर फायरिंग की, जिसमें किडनैपर अर्जुन कर्णवाल को गोली लग गई। बता दें कि कॉमेडियन सुनील पाल का किडनैप कर आरोपी ने वसूली की थी। पुलिस ने कल रात ही किडनैपर अर्जुन कर्णवाल को गिरफ्तार किया था। मुठभेड़ के बाद घायल किडनैपर को लेकर पुलिस अस्पताल पहुंची, जहां उसे भर्ती किया गया है। डॉक्टरों की टीम किडनैपर का इलाज कर रही है।

दरअसल, कॉमेडियन सुनील पाल का किडनैपर अर्जुन कर्णवाल गिरफ्तारी के बाद सब इंस्पेक्टर की पिस्टल छीन कर भागने की फिराक में था। इस दौरान पुलिस की टीम ने भी फायरिंग करनी शुरू कर दी। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में आरोपी किडनैपर घायल हो गया। प्राथमिक उपचार के लिए पुलिस की टीम उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंची।

अर्जुन पर आरोप है कि उसने अपने साथी लवी के साथ मिलकर सुनील पाल से 8 लाख की फिरौती वसूली थी। फिरौती की रकम से मेरठ के नामी-गिरामी ज्वेलरी शोरूम से आभूषण खरीदे। फिरौती की रकम 4 अकाउंट से सीधे आभूषण व्यापारियों के खाते में आनलाइन ट्रांसफर करवाई गई। अर्जुन और लवी की खरीदारी करते हुए तस्वीरें सीसीटीवी में कैद हो गईं। पुलिस सीसीटीवी के आधार पर आरोपियों को तलाश कर रही थी। वहीं सुनील पाल की तरफ से मुम्बई पुलिस से शिकायत करते हुए रिपोर्ट दर्ज करवाई गई, जो अब मेरठ में ट्रांसफर हो चुकी है।

मेरठ पुलिस ने बिजनौर के रहने वाले अर्जुन कर्णवाल को सुनील पाल के अपहरण और उनसे फिरौती वसूली के मामले में गिरफ्तार किया। उसके पास से 2.25 लाख रूपये, स्कार्पियो गाड़ी और मोबाइल भी बरामद किया गया है। मेरठ एसएसपी विपिन ताडा के मुताबिक अर्जुन को गिरफ्तारी के बाद मेडिकल के लिए जिला अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन वह रास्ते में मौका पाकर दारोगा की पिस्टल छीनकर भागने लगा। पुलिस ने पीछा करते हुए उसे पकड़ने की कोशिश की। इस दौरान मुठभेड़ हुई, जिसमें अर्जुन के पैर में गोली लग गई है। घायल का अस्पताल में उपचार चल रहा है। पुलिस को अभी इस मामले में अर्जुन के साथी लवी की तलाश है, जिसके लिए बिजनौर और मेरठ में दबिश दी जा रही है।

उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने संभल में 46 वर्ष पहले नरसंहार किया था', सीएम योगी का बड़ा बयान

डेस्क : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 वर्ष पहले संभल में नरसंहार किया था? इस पर चर्चा क्यों नहीं होती है?

सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या में आने वाला जनमानस प्रफुल्लित है। संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों-रात प्रशासन ने बना दिया? क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों-रात आ गई?

सीएम योगी ने कहा कि आज जब अयोध्या प्रफुल्लित है तब संविधान में चोरी से सेक्यूलर शब्द डालने वाले लोग आज अपने घर में बैठकर शोक मना रहे हैं। उन्हें परेशानी है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कैसे हो गया? अयोध्या इतनी भव्य और दिव्य कैसे हो गई? उन्हें परेशानी है कि काशी विश्वनाथ का कायाकल्प कैसे हो गया?

इससे पहले कल मुंबई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुंबई में विश्व हिंदू आर्थिक मंच (डब्ल्यूएचईएफ) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी सरकार में श्रमिकों के सम्मान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का निर्माण करनेवाले मजदूरों को सम्मान किया। वहीं ताजमहल बनानेवाले श्रमिकों को हाथ काट दिए गए थे।

योगी आदित्यनाथ ने कहा, "आपने देखा होगा कि 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का निर्माण करने वाले श्रमिकों को कैसे सम्मान दे रहे थे। एक तरफ जहां पीएम उन पर फूल बरसा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ, इससे पहले की स्थिति ऐसी थी कि ताजमहल का निर्माण करने वाले श्रमिकों के हाथ काट दिए गए थे।" उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इतिहास में वस्त्र उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के भी हाथ काट दिए गए थे, जिससे एक पूरी परंपरा और विरासत नष्ट हो गई।

सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता जाने के बाद अमेरिका का बड़ा बयान, कहा 'सीधे संपर्क में हैं विद्रोही'


डेस्क: अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिकी अधिकारी सीरियाई विद्रोही समूह के साथ सीधे संपर्क में हैं। सीरिया में पिछले दिनों विद्रोही समूह ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को अपदस्थ कर दिया था। हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों ने विद्रोही समूह को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। ब्लिंकन पहले ऐसे अमेरिकी नेता हैं जिन्होंने जो बाइडेन प्रशासन और विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के बीच संपर्क की सार्वजनिक रूप से पुष्टि की है। एचटीएस ने विपक्षी समूहों के गठबंधन का नेतृत्व किया था जिसने हाल ही में असद को सत्ता से बेदखल कर दिया था। जॉर्डन के अकाबा में संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने संपर्कों के विवरण पर चर्चा नहीं की, लेकिन कहा कि अमेरिका के लिए समूह को उसके आचरण और बदलाव के काल में शासन को लेकर संदेश देना जरूरी है। ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हां, हम एचटीएस और अन्य पक्षों के संपर्क में हैं। सीरियाई लोगों के लिए हमारा संदेश यह है, हम चाहते हैं कि वो सफल हों और हम ऐसा करने में उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं।’’ एक समय अल-कायदा से संबद्ध रहे एचटीएस को 2018 से अमेरिकी विदेश विभाग ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। इसके तहत संगठन और उससे जुड़े लोगों पर कई प्रतिबंध हैं। हालाकि, प्रतिबंध के तहत कानूनी रूप से अमेरिकी अधिकारियों के निर्दिष्ट समूहों के साथ संवाद पर रोक नहीं है। एचटीएस ने दमिश्क पर कब्जा करने के बाद सीरिया में सुरक्षा स्थापित करने और सत्ता परिवर्तन शुरू करने के लिए काम किया है तथा जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की है। विद्रोही नेताओं का कहना है कि समूह ने अपने अतीत को पीछे छोड़ दिया है और आतंक से नाता तोड़ लिया है।