सरायकेला : एकादशी पर उपवास रखने से साधक के कष्टों का निवारण होता है। हिंदू धर्म में सभी एकादशियां अपना विशेष महत्व रखती हैं।
मोक्षदा एकादशी आज
सनातन धर्म के अनुसार : हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत रखा जाता है, यह सभी भगवान विष्णु को समर्पित है। एकादशी पर उपवास रखने से साधक के कष्टों का निवारण होता है। हिंदू धर्म में सभी एकादशियां अपना विशेष महत्व रखती हैं,
हालांकि इनमें मोक्षदा को सबसे खास माना गया है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखते हैं, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से साधक के धन धान्य में वृद्धि होती हैं। शास्त्रों में मोक्षदा को 'मौना एकादशी' या 'मौन अग्यारस' भी कहते हैं, यह तिथि पितरों की पूजा के लिए भी श्रेष्ठ होती है। इस दिन दान-दक्षिणा देने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
इस साल आज के दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
इस दिन वारीयन योग बन रहा है, जो शाम 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। मोक्षदा एकादशी की तिथि ।
पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 दिसंबर प्रातः 3 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसका समापन 12 दिसंबर को रात्रि 1 बजकर 9 मिनट पर है। मोक्षदा एकादशी का पारण समय ।
व्रत के अगले दिन पारण किया जाता है. जिसके अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण गुरुवार 12 दिसंबर को किया जाएगा. व्रत पारण का समय सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदा एकादशी को भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा करने से पापों का नाश तो होता ही है साथ ही संतान प्राप्ति की कामना, धन प्राप्ति की कामना या फिर विवाह की मनोकामना आदि पूर्ण होती हैं. इस दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है.मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है,
उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है. मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि ।
मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर में दीप जलाएं और एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें, इसके बाद भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें और उसके बाद श्रीहरि को पीले वस्त्र अर्पित करें. भगवान विष्णु को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं और उसके बाद पीला भोग अर्पित करें।
एकादशी व्रत की कथा सुनें और विष्णु सहस्रनाम मंत्र का पाठ करें एकादशी के दिन न करें ये काम ।
एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है। तो चावल से बनी कोई भी चीज न खाएं। एकादशी के दिन प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा और अन्य तामसिक चीजों से दूरी बना रखें। एकादशी के दिन किसी के लिए अपशब्द का प्रयोग न करें और न ही किसी की निंदा करें। एकादशी के दिन दिन में सोना नहीं चाहिए।
Dec 11 2024, 20:07