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रेलवे किराया में बड़ी कटौती: 1 जनवरी 2025 से लागू होगा नया किराया, जानें क्या होंगे फायदे और किन ट्रेनों पर लागू होगा यह नियम

पैसेंजर और लोकल ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है. रेलवे बोर्ड ने पैसेंजर और लोकल ट्रेन के किराए में एक तिहाई की कमी करने का फैसला लिया है. इस बदलाव के साथ ही नजदीक रेलवे स्टेशनों का टिकट 10 रुपए का हो जाएगा. यह किराया डेमू, मेमू और पैसेंजर ट्रेनों पर लागू होगा.

मीडिया में छपी रिपोर्टों के मुताबिक, पैसेंजर और लोकल ट्रेनों में नया किराया 1 जनवरी 2025 से लागू होगा. रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, बीते सप्ताह 167 पैसेंजर ट्रेनों के किराया कम करने के आदेश जारी किए गए थे. कोविड के बाद यह कदम उठाए गए हैं. जानकारी के मुताबिक, कुछ पैसेंजर और लोकर ट्रेनों के किराए पहले ही कम किए जा चुके हैं. बाकी सभी पैसेंजर, डेमू और मेमू ट्रेनों के किराया भी अब कम कर दिया जाएगा. यह कमी तीन गुणा तक की होगी.

चार साल बाद रेलवे किराए में आएगी कमी

रेलवे ने 2020 में कोविड महामारी के दौरान पैसेंजर ट्रेनों को मेल एक्सप्रेस में चलाने का आदेश दिया था. इस बीच उनका किराया बढ़ा दिया था, जो न्यूनतम किराया 10 रुपए था उसे बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया था. हालात सामान्य होने पर इसमें कमी लाई गई और कुछ रेलवे रूट पर किराया भी कम किया गया था. चार साल के बाद रेलवे बोर्ड फिर से सभी लोकल और पैसेंजर ट्रेनों के किराए में कमी कर रहा है

यात्रियों की संख्या में होगी बढ़ोत्तरी

पैसेंजर और लोकल ट्रेनों के किराया कम होने से रेलवे यात्रियों के सफर में आसानी होगी. उन्हें पहले नजदीकी रेलवे स्टेशन के किए 30 रुपए देने पड़ते थे, जबकि इसी जगह ऑटो या अन्य सवारियों से जाने पर उनके केवल 10 रुपए खर्च हुआ करते थे. रेलवे का एक तिहाई किराया कम होने से 30 वाला टिकट फिर से 10 रुपए का हो जाएगा. इससे पैसेंजर और लोकल ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों में बढ़ोत्तरी होगी.

गोरखपुर में 12वीं के छात्र ने की मां की हत्या, सांइटिस्ट पिता ने बेटे के खिलाफ दर्ज कराया केस

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र से एक सनसनीखेज हत्या का मामला सामने आया है, जहां एक साइंटिस्ट ने अपना मकान बनवाया था. घर में उनकी पत्नी और नाबालिग बेटा रहता था. 3 दिसंबर को जब पत्नी से फोन पर बात नहीं हो पा रही थी, तो साइंटिस्ट आठ दिसंबर को चेन्नई से घर पहुंचे, लेकिन घर पर ताला बंद मिला. उनका बेटा बाहर घूम रहा था. ताला खोलकर अंदर गए तो पत्नी का शव देख सन्न हो गए.

जब बेटे से मां के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि फर्श पर गिरने से मां की मौत हो गई लेकिन जब पुलिस ने जांच पड़ताल के दौरान कड़ी से कड़ी जोड़ी तो सच्चाई सामने आ गई. बेटे ने मां को धक्का दिया और उनका सिर दीवार से लगा था, जिससे उनकी मौत हो गई. उसके बाद घर में बाहर से ताला बंद कर इधर-उधर घूम रहा था. इसके बाद साइंटिस्ट ने अपने नाबालिग बेटे के खिलाफ पुलिस से लिखित शिकायत की.

वैज्ञानिक ने पुलिस को क्या बताया?

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र चेन्नई में वैज्ञानिक राममिलन ने पुलिस को बताया कि वह कुशीनगर के रहने वाले हैं. करीब 4 साल पहले पिपराइच थाना क्षेत्र के जंगल धुषण स्थित सुशांत सिटी में जमीन लेकर मकान बनवाया था. उस मकान में उनकी पत्नी अपने नाबालिक बेटे के साथ रहती थी. बेटा मोहित 12वीं में पढ़ता है, जबकि बेटी ऋचा MBBS की पढ़ाई लखनऊ से कर रही है. राममिलन ने पुलिस को आगे बताया कि मैं चेन्नई में रहता हूं. रोज से पत्नी से बात करता हूं. 2 दिसंबर की शाम को उनसे बात हुई और फिर तीन दिसंबर को सुबह भी मेरी बात पत्नी से हुई, लेकिन शाम के समय उनका फोन बंद आ रहा था.

फर्श पर पड़ा था महिला का शव

इसके बाद मैंने 6 दिसंबर तक फोन मिलाया लेकिन बात नहीं हो पाई. ऐसे में मैंने अपनी साली ज्ञानती को भेजा तो घर पर ताला बंद था. बेटा मोहल्ले के एक मंदिर पर बैठा हुआ था. उसने जब बेटे से उसकी मां के बारे में पूछा तो उसने कोई सही जवाब नहीं दिया. बताया कि वह बाजार गई हैं. बाद में मेरी साली ने बताया कि कुछ गड़बड़ लग रही है. मैं 8 दिसंबर को फ्लाइट से गोरखपुर आ गया. घर में ताला बंद था, बेटे को ढूंढा और उसके साथ घर आया तो पत्नी फर्श पर गिरी पड़ी थी. उनकी सांस नहीं चल रही थी.

पिता ने बेटे को बताया नादान

बेटे से पूछा तो उसने रोते हुए बताया कि मैं 3 दिसंबर को देर तक सो गया था. दिन में 3:30 बजे जगा तो मम्मी को बुलाया लेकिन वह नहीं आईं तो मैं किचन में गया. वह फर्श पर गिरी पड़ी थी और उनके सिर से खून बह रहा था. मैं डर गया और ताला बंद कर बाहर चला गया. शाम को आया तो उनकी सांस नहीं चल रही थी. इसलिए मैं डर की वजह से बाहर ही रहा. अंदर नहीं आया. मैं किसी को कुछ बता भी नहीं पा रहा था. साइंटिस्ट ने पुलिस को बताया कि मेरा बेटा नादान है, इसलिए वह घबरा गया और उसे सच्चाई पता नहीं है. किसी ने मेरी पत्नी की हत्या कर दी है, गिरने से उनकी मौत नहीं हुई है. मेरा बेटा जब घर से बाहर गया हो तो हो सकता है. उसी समय कोई आया हो और हत्या करके चला गया हो.

घर पर दो जगह पड़ा मिला खून

इसके बाद पुलिस ने घर में लगे तीन सीसीटीवी कैमरे को खंगाला तो कोई आदमी बाहर से आता हुआ नहीं दिखा. पहले बेटे पर हत्या की आशंका जब पुलिस ने जताई तो साइंटिस्ट ने एक सिरे से उसे खारिज कर दिया और कहा कि मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता. वह अपनी मां से बहुत प्यार करता था. बेटे ने बताया था की मां की मौत 4 दिन पहले हुई है, लेकिन जब शव का पोस्टमार्टम करवाया गया तो रिपोर्ट में आया कि हत्या कम से कम 6 दिन पहले हुई होगी. ऐसे में पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की. घर को देखा तो किचन में ही नहीं दो जगह और भी खून पड़ा था.

बेटे-पिता से दो घंटे की पूछताछ

पुलिस का कहना था कि अगर किसी की गिरने से मौत होती है तो खून एक ही जगह गिरना चाहिए और इतना ज्यादा खून नहीं होना चाहिए. यहां पर घर में तीन जगह खून मिला है. इसका मतलब हत्या कर शव को घसीटा गया है. पुलिस ने बेटे के कमरे की तलाशी ली तो उसके बेड के नीचे से 500,200 और 100 के बहुत सारे नोट मिले. पुलिस ने साइंटिस्ट और उसके बेटे को पिपराइच थाने में बुलाकर दो घंटे तक पूछताछ की.

बेटे ने ही की मां की हत्या

काफी पूछताछ के बाद बेटे ने सच उगल दिया और कहा कि मां मेरी पढ़ाई को लेकर बहुत चिंता करती थी. उन्होंने मेरे मना करने के बाद भी इंटर में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ सब्जेक्ट दिलवा दिया था. एक दिसंबर को मम्मी स्कूल गई थीं और मेरी शिकायत की थी. स्कूल में प्रिंसिपल ने सबके सामने मुझे काफी डांट फटकार लगाई. दो दिसंबर को स्कूल गया तो दोस्तों ने मेरा काफी मजाक उड़ाया. फिर अगले दिन मैं स्कूल नहीं जाना चाह रहा था. मैं बार-बार मना कर रहा था, लेकिन वह नहीं मान रही थीं. इसी बीच मैंने उन्हें दीवार पर धक्का दे दिया, जिससे उनका सिर फट गया और खून निकलने लगा. उसके बाद मैं मकान में ताला बंद कर घूमने चला गया. वापस आया तो मां की सांस नहीं चल रही थी.

साइंटिस्ट का रो-रोकर बुरा हाल

उसने आगे बताया कि उसने मां के की अलमारी में रखे पैसे निकाले और उन्हीं से खाना खाया, जब मां के शव से बदबू आने लगी तो अगरबत्ती जलाई. वह रात को अपनी मां के शव के साथ ही सोता था. अब अपनी पत्नी की मौत और बेटे की इस हरकत से साइंटिस्ट का रो-रोकर बुरा हाल है. पुलिस ने बताया कि वैज्ञानिक ने बेटे के खिलाफ केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

जम्मू कश्मीर में रोहिंग्याओं पर सियासी बवाल, मिलने पहुंची संयुक्त राष्ट्र की टीम

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी अधिकार एजेंसी UNHCR (United Nations High Commissioner for Refugees) की टीम ने मंगलवार को जम्मू के करयानी तालाब में रोहिंग्या बस्ती का दौरा किया. ये दौरा ऐसे समय में हुआ है जब जम्मू कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों की ओर से गैर कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है.

सुरक्षा एजेंसियों के इस अभियान का कई संगठनो ने विरोध भी किया है और अब इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने भी दखल दे दिया है. संयुक्त राष्ट्र के दो अधिकारियों ने रोहिंग्याओं से मुलाकात की, इन अधिकारियों में एक भारतीय और एक जापानी नागरिक थे. खबर है कि आज फिर से UNHRC की टीम रोहिंग्याओं से मुलाकात कर सकती है.

इससे पहले मार्च में UNHRC के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने रोहिंग्याओं को कठुआ स्थानांतरित किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के कठुआ का दौरा किया था.

गैर कानूनी तरीके से रहने का आरोप

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 158 रोहिंग्या शरणार्थी ने गैर कानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर के आधार कार्ड बनवाए हैं. इसके अलावा यह भी जानकारी सामने आई है की सुरक्षा एजेंसियों ने 4 ऐसे NGO की पहचान की है जो रोहिंग्याओं को जम्मू कश्मीर में मदद कर रहे हैं.

बिजली पानी का काटा कनेक्शन

बता दें कि जम्मू के नरवाल इलाके में रह रहे रोहिंग्या की जनगणना के बाद उनके बिजली पानी के कनेक्शन काट दिए गए थे. जिसके बाद इस पर सियासत तेज हो गई है और इसको कुछ लोगों ने मानव अधिकारों के विरुद्ध बताया था. कई खबरें ऐसी भी जिनमें देश विरोधी गतिविधियों में रोहिंग्या के होने की बात कही गई है, जिसके चलते सुरक्षा एजेंसियां इन बस्तियों पर नजर बनाए हुए हैं.

UNHRC की टीम के दौरे का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर UN चुप है लेकिन जम्मू कश्मीर में गैर कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए UNHCR की टीम जम्मू पहुंची हैं.

सोशल मीडिया का बच्चों पर बुरा असर: ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन, क्या भारत में भी होना चाहिए?

अपने मोबाइल और अपने लैपटॉप के साथ अपने कमरे में ही बिजी टीएनएजर आजकल महानगरों के पेरेंट्स के लिए चिंता की बात बने हुए हैं. ऐसे में दूर देश ऑस्ट्रेलिया से उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन की ख़बर से हिंदुस्तानी पैरेंट्स भी उत्साहित है बच्चों में स्क्रीन टाइम के लिए आई ग्लोबल अवेयरनेस बताती है मामला सीरियस है. जानिए कैसे?

15 साल की लड़की घर में पेंटिंग बनाती और अंग्रेजी गाने सुनती थी. घर वालों को अंग्रेजी आती नहीं थी लेकिन बेटी के व्यवहार में उन्हें कभी कुछ असामान्य नहीं लगा. अलार्म तो तब बजा जब उसने बिना वजह खुद को नुकसान पहुचांने की कोशिश की. ऐसा दो तीन बार और हुआ. परिवार ने साइकॉलजिस्ट की मदद ली. मालूम चला वो जो गाने सुनती है, वो डिप्रेशन से भरे हैं और वो जो तस्वीरे बनाती हैं, वो हिंसा से भरी हैं. गाने के लिरिक्स एडल्ट और पेंटिंग खून-खराबे से भरी. उनके पेरेंट्स को पता ही नहीं था कि बच्ची सोशल मीडिया पर एक्टिव है और वहीं का वर्चुअल तनाव वो अपने सिर पर लिए बैठी है.

ये केस साइबर सेफ्टी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी के पास आया था. वो बताते हैं, टीएनएजर बच्चों के ऐसे कई मामले उनके पास आते हैं जहां सोशल मीडिया की वजह बच्चा एकदम बदल गया है.

टीएनएजर बच्चों पर सोशल मीडिया का असर

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी एक और केस का जिक्र करते हैं. 16 साल के दसवीं में पढ़ने वाले बच्चे ने अपनी टीचर की फेक प्रोफाइल बनाकर उनकी ऑब्जेक्शनेबल ऑफ सीन फोटो एडिट करके सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए. स्कूल के बच्चों को पता था, लेकिन ना तो किसी फैकल्टी को पता था और ना ही उस बच्चे के पेरेंट्स को. खोजबीन करके जब मामला खुला तो पेरेंट्स भी हैरत में थे कि उन्हें लगता था, बच्चा लैपटॉप पर पढ़ाई कर रहा है.

ऐसे ही एक बच्ची हाफ स्क्रीन पर क्लास खोल के दूसरी तरफ चैटिंग करती थी. घरवालों को बहुत दिन बाद पता चला कि वो पढ़ाई नहीं करती थी बल्कि चैटिंग करती थी. मुकेश चौधरी कहते हैं, कई बार सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहने से कुछ चीजें आपको ऐसी दिख जाती है, जो हिट कर जाती हैं. बच्चों को समझ में नहीं आता कि वो सही है या फिर गलत. वो उसे फॉलो करने लगते हैं.

कम उम्र में सोशल मीडिया के नुकसान

हमने साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी, साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल, मनोचिकित्सक समीर मल्होत्रा और शिक्षाविद अनुराधा जोशी से लेकर तमाम अभिभावकों से भी बात की और सब सोशल मीडिया के जो नुकसान देख रहे हैं वो शरीर और मन दोनों पर असर कर रहा है.

फिजिकल प्रॉब्लम

स्लीप साइकल डिस्टर्ब-डॉक्टर भी रिकमेंड करते हैं कि सोने के कुछ घंटे पहले तक आपको मोबाइल नहीं चलाना है. फोन से निकलने वाली ब्लू रे खतरा हैं. अगर बच्चे रात में ठीक से सोते नहीं हैं तो उनको सुबह उठने में भी दिक्कत होती है. अगर उनका कोई एग्जाम है तो उस पर भी असर पड़ता है.

पोस्चर पेन- जब आप बहुत देर तक सिर झुकाकर या बैठकर फोन देखते हैं तो बॉडी का पोस्चर बिगड़ता है. रीढ़ की हड्डी से लेकर सर्वाइकल पेन तक की संभावना बनती है.

कम उम्र में चश्मा-अगर बच्चा ज्यादा समय सोशल मीडिया पर इन्वेस्ट करेगा तो उसकी आंखों पर अभी असर पड़ेगा. इसकी वजह से बहुत कम उम्र में बच्चों के चश्मे भी लग रहे हैं.

एक्स्ट्रा एक्टिविटीज पर असर- कई घंटे लगातार फ़ोन चलाने की वजह से बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो रही है. सोशल मीडिया की वजह से एक्स्ट्रा-करिकुलम एक्टिविटीज में बच्चों की भागीदारी कम हो गई है.

स्टंट वीडियो बना खतरा- बच्चे सोशल मीडिया पर स्टंट करते लोगों के वीडियो देख खुद भी वही करते हैं, इसमें चोट लगने का खतरा होता है.

नशे की प्रवृत्ति– पहले 16 से 18 साल तक के बच्चे नशे करते थे लेकिन अब 9 से 10 साल के बच्चे भी कई तरह के नशे करने लगे हैं. नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है.

दिमाग पर इम्पैक्ट- मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन्स में थर्मल और मैग्नेटिक रेडिएशन होता है, जिसका बच्चों के दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है. उससे सिर दर्द की भी समस्या होती है और हार्मोनल इंबैलेंस भी रहता है.

सेल्फ हार्म: बच्चे सेल्फ हार्म भी करने लगे हैं और अगर आप उनको फोन नहीं देंगे तो वो पेरेंट्स के अगेंस्ट बहुत एग्रेसिव हो जाते हैं.

मेंटल प्रॉब्लम

डिप्रेशन-मोबाइल के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से डिप्रेशन, सुसाइडल थॉट और बिहेवियर में कई तरह से बदलाव आ रहे हैं.

फोकस में कमी-बहुत ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल करने से बच्चों का फोकस भी कम हुआ है. ये बात कई रिसर्च भी सामने आई है.

लर्निंग एबिलिटी पर असर-बच्चे बहुत ज्यादा फ़ोन चलाने की वजह से लर्निंग एबिलिटी और आत्मनियंत्रण खो रहे हैं. जिसकी वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं.

एग्रेशन– सोशल मीडिया पर लाइक डिस्लाइक के प्रेशर में बच्चों के अंदर बढ़ते तनाव ने उन्हें चिड़चिड़ा और आक्रामक बना दिया है और बच्चों में अपराधी बनने की भी प्रबल संभावना रहती है.

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन

आस्ट्रेलिया में सरकार ने 16 साल के कम बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बैन कर दिया है. इसके पीछे का कारण है कि बच्चों की मेंटल हेल्थ ठीक रहे. सोशल मीडिया के एडिक्शन, साइबर बुलिंग और हानिकारक कंटेंट से बच्चे बहुत प्रभावित होते हैं. इस नियम के अनुसार, बच्चों को इंस्टाग्राम, टिक टॉक और स्नेपचैट जैसे प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने और उन्हें एक्सप्लोर करने की इजाजत नहीं होगी.

भारतीय बच्चे और सोशल मीडिया

Sentiment की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 13 साल से 17 साल तक के करीब 93 परसेंट बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. अमेरिका में 4 करोड़ बच्चों में से 3 करोड़ 70 लाख बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. एक व्यक्ति करीब सोशल मीडिया पर प्रति दिन 1 घंटा और 40 मिनट बिताते हैं.

International Journal of Pediatric Research की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 87.82% बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें से 81.14% बच्चे व्हाट्सएप, 54.94% बच्चे फेसबुक, 10.5% बच्चे ट्विटर, 70.61% बच्चे यूट्यूब, 65.34% ईमेल और 9% बच्चे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम का इस्तेमाल करते हैं.

भारत में क्या कोई कानून है?

भारत में बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर कोई अलग से कानून नहीं बनाया गया है. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA) 2023 में कुछ नियम बनाए गए हैं. DPDPA की धारा 9 में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के डेटा को संभालने के लिये 3 शर्तें बताई गई हैं. जिसमें किसी बच्चे की प्रोफाइल बनाने के लिए कंपनी को माता-पिता या अभिभावक से सहमति लेनी होती है. इसके साथ बच्चों के कल्याण, उनपर निगरानी और उन्हें किस तरह के विज्ञापन दिखें, इस पर ध्यान भी देना है.

भारत में भी होना चाहिए बैन?

मुकेश चौधरी कहते हैं, दुनिया ने इससे पहले ब्लू व्हेल जैसा गेम देखा है, जिसमें बच्चे कई तरह के टास्क पूरे करते-करते अपनी जान तक दे देते थे. ये सब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ही आया है. पेरेंट्स अपनी लाइफ स्टाइल में बिज़ी हैं जो बिनी किसी रिस्ट्रिक्शन के बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं. ऐसी कोई पॉलिसी भी बच्चों के लिए नहीं बनाई गई है कि बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं.अनरिस्ट्रिक्टेड मोबाइल हाथ में होने से बच्चे के हाथ से क्या बटन दब रहा है और उसके सामने कैसे वीडियो आ रहे हैं, इस तरह के कंटेंट को भी रेगुलेट करने के लिए कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं है. अगर कोई नियम बने भी हैं तो कोई उन्हें फॉलो नहीं करता है.

साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट डॉ पवन दुग्गल कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में जो बैन हुआ है, इसका उद्देश्य सही है लेकिन ये बहुत ज्यादा enforcement नहीं होगा क्योंकि आपने शेर के मुंह में खून लगा दिया है. उसे वापस लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा. भारत में इस तरह की चीज संभव ही नहीं उसके पीछे का कारण है कि भारत में 18 साल से कम बच्चे को नाबालिग माना जाता है और नाबालिग में इतनी क्षमता नहीं है कि वो किसी भी कानून के अंदर आ सके. किसी एप को बैन करें तो उससे उसका ट्रैफिक और बढ़ जाता है. जो ऑस्ट्रेलिया में हुआ वो भारत में नहीं हो सकता अगर होगा तोबहुत ज्यादा विरोध होगा. ये भारतीय संविधान के कानून का उल्लंघन होगा. आप बच्चे ही क्यों ना हो लेकिन आपके मौलिक अधिकार तो हैं. आज जीवन जीने के मौलिक अधिकार में आपका राइट टू एक्सेस इंटरनेट तो है ही. वह कहते हैं भारत ऑस्ट्रेलिया से अलग है, वहां से भारत का संविधान भी अलग है. यहां का लीगल फ्रेमवर्क अलग है इसलिए यहां पर इस तरह की चीज संभव नहीं है. अगर ऐसा होता भी है तो उसे अदालतों में कई तरह की चुनौती का सामना करना ही पड़ेगा.

क्रीम लगाने पर नहीं हुआ गोरा, अब कंपनी भरेगी 15 लाख

कई बार लोग गोरा होने होने के लिए क्रीम खरीदते हैं. कुछ क्रीम किसी के चेहरे पर असर दिखा देती है, तो कुछ नहीं दिखाती लेकिन एक शख्स ने गोरा होने के लिए 79 रुपये की क्रीम खरीदी. उसने एक दिन में दो बार अपने चेहरे पर क्रीम लगाई, लेकिन वह गोरा नहीं हुआ तो उसने कंपनी की शिकायत कर दी. उसने कहा कि क्रीम का विज्ञापन गुमराह करने वाला है. अब कंपनी को 15 लाख रुपये देने पड़ेंगे.

दिल्ली के जिला उपभोक्ता फोरम ने इमामी लिमिटेड पर ये 15 लाख का जुर्माना लगाया है. आयोग ने कंपनी पर ये जुर्माना भ्रामक विज्ञापन के चलते लगाया है. दरअसल इमामी लिमिटेड के खिलाफ एक शख्स ने शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन भ्रामक है. उसने साल 2013 में 79 रुपये की फेयर एंड हैंडसम क्रीम खरीदी थी. उसने निर्देशों के मुताबिक क्रीम को यूज किया लेकिन इसके बावजूद उसे अपनी स्किन में कोई बदलाव नजर नहीं आया, तो उसने शिकायत कर दी.

क्रीम लगाई गोरापन नहीं आया

शिकायत करने वाले शख्स ने कहा कि प्रोडक्ट की पैकेजिंग और लेबल पर दिए गए निर्देशों के मुताबिक क्रीम का इस्तेमाल किया गया तेजी से चमकने वाले गोरेपन के लिए दिन में दो बार चेहरे और गर्दन पर क्रीम का यूज किया, लेकिन स्किन पर गोरापन नहीं आया. इस पर कंपनी की ओर से कहा गया कि शिकायत करने वाला शख्स ये बताने में असमर्थ था कि उसने निर्देशों के मुताबिक क्रीम का यूज किया

प्रोडक्ट की बिक्री के लिए किया

आयोग की ओर से कहा गया कि कंपनी के प्रोडक्ट की पैकेजिंग और लेबल पर इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि ये किस शख्स के लिए है और किस के लिए नहीं. प्रोडक्ट पर लिखा गया “बीमार व्यक्ति के लिए नहीं” का क्या मतलब था. कंपनी जानती थी प्रोडेक्ट पर लिखे गए निर्देश अधूरे हैं और बाकी चीजों की वजह से स्किन में बदलाव नहीं होगा. इससे गुमराह करने वाला विज्ञापन साबित होता है कि प्रोडक्ट की बिक्री के लिए ऐसा किया गया.

दिल्ली में बनेगा नया मेट्रो कॉरिडोर, इंडिया गेट से इंद्रप्रस्थ स्टेशन तक होगा कनेक्शन

सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट याेजना के तहत कई निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, इसी के तहत अब सरकार अब दिल्ली में लोगों की ट्रेवल कनेक्टिविटी के लिए एक नए मेट्रो कॉरीडोर के निर्माण को लेकर तैयारी कर रही है.सरकार दिल्ली में इंडिया गेट, नॉर्थ, साउथ ब्लॉक को इंद्रप्रस्थ स्टेशन को जोड़कर एक मेट्रो कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम कर रही है.

सूत्रों के अनुसार आवास और शहरी मंत्रालय 7 किलोमीटर लंबा अंडरग्राउंड मेट्रो कॉरिडोर बनाने की तैयारी में है. जिसके लिए सरकार की तरफ से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को इस प्रस्तावित कॉरिडोर को एनालाइज करने के लिए कहा गया है.इस कॉरिडोर के प्रस्ताव को अगले साल के शुरूआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल सकती है.

साउथ ब्लॉक तक जाएगी मेेेेेट्रो

योजना के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि ये प्रस्तावित लाइन कर्तव्य पथ से उत्तर और साउथ ब्लॉक तक जाएगी. जहां सेंट्रल विस्टा के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत एक म्यूजियम प्रस्तावित है. सूत्रों की मानें तो इस कॉरिडोर के बनने से दिल्ली में भीड़ कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि कर्तव्य पथ के रिडेवलपमेंट के बाद से विजीटर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

जनरल सेंट्रल सेक्रेटेरियट के तहत 10 नए ऑफिसों भवनों का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें कई मंत्रालय भी होंगे. 10 भवनों में से तीन का काम अभी चल रहा है. सूत्रों के अनुसार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में एक म्यूजियम बनाने का भी प्रस्ताव है. मेट्रो कॉरिडोर के चालू होने से हजारो लोगों को इसका लाभ मिलेगा. लोगों की कनेक्टिविटी आसान होगी.

यहां बनेंगे नए स्टेशन

इस नए मेट्रो कॉरीडोर के मेट्रो स्टेशन भारत मंडपम, इंडिया गेट और उत्तर और दक्षिण ब्लॉक जैसी जगहों पर बनाए जाएंगे. ताकि जहां लोगों की ज्यादा भीड मौजूद है वहां से उनका ट्रेवल करना आसान हो. सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट के तहत नई संसद और उपराष्ट्रपति एन्क्लेव का निर्माण किया गया है, जबकि राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर की दूरी (कर्तव्य पथ) को भी नया रूप दिया गया है.

WhatsApp की ग्रुप चैट में खुलेगी पोल, फेसबुक-इंस्टा की तरह ऑनलाइन-ऑफलाइन का लगेगा पता

वॉट्सऐप अपने यूजर्स के लिए एक से बढ़कर एक बेहतरीन फीचर्स लेकर आता रहता है. हाल में वॉट्सऐप के बीटा वर्जन पर एक नया फीचर देखा गया है जो कि यूजर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा. ये वॉटस्ऐप का ऑनलाइन काउंटर है. इस फीचर के जरिए यूजर्स को पता चल सकेगा, कि ग्रुप के कितने मेंबर ऑनलाइन हैं और कितने ऑफलाइन हैं. इसके लिए इंडिविजुअल चैट्स में जाकर ऑनलाइन स्टेट्स चेक नहीं करना पड़ेगा. ये फीचर कब और कैसे एक्टिव होगा इसकी पूरी डिटेल्स यहां पढ़ें.

वॉट्सऐप का ऑनलाइन काउंटर फीचर

ये नया फीचर आपको ग्रुप के नाम के नीचे ही सभी ऑनलाइन मेंबर के बारे में दिखा देगा कि वो ऑनलाइन है या नहीं. वॉट्सऐप का ये नया फीचर WABetaInfo ने गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद वॉट्सऐप बीटा फॉर एंड्रॉयड 2.24.25.30 पर दिखा है. WABetaInfo ने इस बात की जानकरी X पोस्ट में भी शेयर की है.

नया फीचर

अब आप शेयर किए गए स्क्रीनशॉट में ग्रुप के नाम के नीचे ऑनलाइन मेंबर की संख्या को देख आसानी से देख सकते हैं. इस पहले आप केवल ग्रुप चैट के टॉप बार में ग्रुप मेंबर्स का नाम और करेंट ऐक्टिविटी ही शो होती थी. नए अपडेट में वॉट्सऐप ने इसे रिप्लेस कर दिया है, अब आप ये चेक देख सकेंगे कि ग्रुप के कितने मेंबर्स का वॉट्सऐप ओपन है और ऑनलाइन हैं. ध्यान दें कि ये फीचर फिलहाल अपने टेस्टिंग फेज में हैं जल्द ही इन्हें यूजर्स के लिए लॉन्च किया जा सकता है.

वॉट्सऐप पर आने वाला है ये फीचर

ऊपर बताए गए फीचर के अलावा वॉट्सऐप एक और फीचर पर काम कर रहा है. जल्द ही ये मोर फीचर को शुरू करने वाला है इसमें यूजर्स दूसरे प्लेटफॉर्म्स से आसानी से कनेक्ट हो सकेंगे. वॉट्सऐप का कंटेंट इंस्टाग्राम-फेसबुक ही नहीं दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी शेयर कर सकेंगे.

बरेली में बड़ा रेल हादसा टला, ट्रैकमैन की सूझबूझ से बची आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस, पटरी में मिली थी एक इंच की दरार*

बरेली जिले में इज्जतनगर और भोजीपुरा स्टेशन के बीच एक बड़ा रेल हादसा टल गया. घटना इज्जतनगर रेलवे स्टेशन और भोजीपुरा के बीच क्रॉसिंग संख्या-236 एबी पर हुई. रेलवे पेट्रोलिंग कर्मचारी को सुबह के करीब चार बजे पेट्रोलिंग करते समय ट्रैक पर दरार मिली. कुछ ही देर में आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस इसी ट्रैक से गुजरने वाली थी. रेलवे पेट्रोलिंग कर्मचारी की नजर दरार पर पड़ी और उन्होंने तुरंत सुबह चार बजे टूटी पटरी की सूचना दी और आगरा फोर्ट एक्सप्रेस को रोका गया.

सप्ताह में तीन-तीन दिन (अप-डाउन) आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस का संचालन होता है. रविवार रात 8:53 बजे आगरा फोर्ट से चलने के बाद यह ट्रेन सोमवार तड़के 4:04 बजे इज्जतनगर पहुंची थी. पटरी से आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 15055) थोड़ी ही देर में गुजरने वाली थी. इज्जतनगर-भोजीपुरा के बीच रेलवे क्रॉसिंग संख्या 236 बी के पास ट्रैकमैन प्रेमपाल और हरि बाबू पेट्रोलिंग कर रहे थे. पेट्रोलिंग कर्मचारियों ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कंट्रोल रूम को सूचना दी और गाड़ी रोकी गई.

45 मिनट में ठीक कर दी गई पटरी

पटरी में करीब एक इंच की दरार पाई गई थी. अगर ट्रेन यहां से गुजर जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था. रेलवे प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्रेन को इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर रोका और मौके पर पहुंचे इंजीनियरों ने 45 मिनट के भीतर पटरी की मरम्मत की. इसके बाद 15055 आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस को इज्जतनगर से धीमी गति (20 किमी प्रति घंटे) पर रवाना किया गया.

पटरी में दरार के पीछे क्या कारण था?

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ठंड के मौसम में रेलवे पटरियों में सिकुड़न होती है, जिससे फ्रैक्चर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. इस कारण सर्दियों में पेट्रोलिंग की आवश्यकता बढ़ जाती है. अगर समय रहते टूटी हुई पटरी का पता नहीं चलता तो यह एक बड़ी दुर्घटना में बदल सकता था. सभी रेलवे सेक्शन में पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है.

दरार वाली जगह तेजी से गुजरती हैं ट्रेनें

ट्रैक फैक्चर वाली जगह में ट्रेनों की औसतन रफ्तार 60-70 किमी प्रति घंटे की रहती है. अगर फ्रैक्चर के समय आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस यहां से गुजरती तो बहुत ही बड़ा हादसा हो सकता था. फिलहाल इंजीनियरिंग टीम ने रेलवे क्रॉसिंग संख्या 236 बी के पास 20 किमी प्रति घंटा का अस्थाई कॉशन दे दिया है.

अडानी ग्रुप ने राजस्थान में किया 7.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान, राज्य की आर्थिक स्थिति में होगा सुधार

अडानी ग्रुप अक्सर चर्चा के केंद्र में रहते है. एक बार फिर अडानी ग्रुप ने राजस्थान में 7.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है. 7.5 लाख करोड़ एक बड़ी रकम होती है. ऐसे में राजस्थान के लिए यह अच्छी खबर है. यह घोषणा जयपुर में हुए “राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट” में की गई. इस शिखर सम्मेलन से पहले राजस्थान सरकार ने 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों (MOU) पर साइन किए हैं. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि निवेश राजस्थान के व्यापारिक माहौल में विश्वास और बढ़ावा देने का प्रमाण है.

अडानी ग्रुप के Managing Director करण अडानी ने क्या कहा ?

अडानी ग्रुप के Managing Director करण अडानी ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले दस सालों में एक शानदार आर्थिक यात्रा तय की है. उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ के नेता के तौर पर पहचाना जा रहा है.

करण अडानी ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकासशील देशों के लिए एक नई दिशा तय की है, जो दुनिया भर में सम्मान और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है. उन्होंने कहा कि भारत अब अधिक से अधिक देशों के लिए एक मॉडल बन चुका है.

क्या है राजस्थान सरकार का लक्ष्य?

राजस्थान में इस समय कई क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान सरकार का लक्ष्य है कि राज्य को निवेशकों के लिए एक बेहतर माहौल और यहां के लोगों के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा करना है. इस निवेश से राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है. यह राजस्थान को देश और दुनिया में एक मजबूत व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा.

राजस्थान के दौसा में बड़ा हादसा: 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरा 5 साल का बच्चा, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

राजस्थान के दौसा जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. नांगल राजावतान थाना क्षेत्र के कालीखाड़ गांव में 150 फीट गहरे बोरवेल में एक पांच साल का बच्चा गिर गया है. बच्चे के रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को भी बुलाया गया है. पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं. बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन सप्लाई को शुरू की गई है.

ये घटना दौसा जिले के नांगल राजावतान थाना क्षेत्र के कालीखांड गांव की है. जानकारी के मुताबिक, गांव का ही रहने वाला पांच साल का बच्चा आर्यन बोरवेल में गिर गया. बच्चे के बोरेवेल में गिरने की जानकारी जैसे ही गांव में फैली तो हड़कंप मच गया. परिवार वाले चीख-पुकार मचाने लगे.

NDRF-SDRF रेस्क्यू में जुटी

इसी बीच गांव के लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय थाना पुलिस को दी. सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई और आला अधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होने पर जिले से पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी NDRF और SDRF टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.

150 फीट की गहराई में गिरा मासूम आर्यन

जानकारी के मुताबिक, पांच साल का मासूम 150 फीट की गहराई पर है, जिसे बचाने का काम जारी है. बोरवेल के पास सुरंग बनाने के लिए खुदाई की जा रही है. बच्चे को निकालने के लिए रेस्क्यू टीम मौके मौजूद है. इसके अलावा घटनास्थल पर नांगल राजावतान पुलिस, पापड़दा थाना पुलिस के अधिकारी मौजूद हैं. मौके पर दौसा विधायक दिन दयाल बैरवा भी मौजूद हैं.

3 साल पहले बोरवेल को खोदा गया था

बोरवेल के पास सुरंग बनाई जा रही है, जिसमें आधा दर्जन JCB और आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर की मदद ली जा रही है. करीब 15 फीट तक खुदाई की जा चुकी है और लगातार काम जारी है. बताया जा रहा है कि जिस बोरवेल में आर्यन गिरा है, वह तीन साल पहले खोदा गया था. इसके बाद इस पर ध्यान नहीं दिया गया और ऐसे ही छोड़ दिया गया.