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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आप ने जारी की दूसरी सूची, मनीष सिसोदिया कीक सीट बदली, अवध ओझा को भी मिला टिकट

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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। लिस्ट में भी कई नेताओं के टिकट कटे हैं तो कई की सीटों को बदल दिया गया है। जिनके सीट बदले गए हैं उसमें सबसे बड़ा नाम मनीष सिसोदिया का है। हाल ही में शिक्षक से नेता बने अवध ओझा को आप ने मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज से टिकट दिया है। वहीं, मनीष सिसोदिया की सीट बदलकर उन्हें जंगपुरा से टिकट दिया गया है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। हालांकि, राजनीतिक दल चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं। इसी क्रम में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी ने आज सोमवार को अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 20 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया। आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अब तक पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदल दी गई है और पार्टी ने उन्हें जंगपुरा सीट से मैदान में उतारा है। पटपड़गंज सीट से अवध ओझा को मैदान में उतारा गया है।

विधायक हाजी यूनूस का टिकट कटा

सिसोदिया के अलावा आप ने मुस्तफाबाद से आदिल अहमद खान को टिकट दिया है। जबकि मादीपुर सीट से राखी बिड़लान, जनकपुरी से प्रवीण कुमार, शाहदरा से पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी, गांधीनगर से नवीन चौधरी को उतारा गया है। हालांकि मौजूदा विधायक हाजी यूनूस का टिकट काट दिया गया।

पहली लिस्ट में कटे 3 विधायकों के टिकट

पिछले महीने 21 नवंबर को आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में 11 लोगों को टिकट दिया था, जिसमें 3 वर्तमान विधायकों के टिकट काट दिए गए। साथ ही पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस से आप में आए 6 नेताओं को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया।

बीजेपी से आए 3 नेताओं को मिला टिकट

पहली लिस्ट में बड़े नामों में पूर्व विधायक ब्रह्म सिंह तंवर, बीबी त्यागी और अनिल झा का नाम शामिल था। ये तीनों पिछले दिनों बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। इनके अलावा वीर सिंह धींगान, सुमेश शौकीन और जुबैर चौधरी को भी टिकट दिया गया. ये तीनों पहले कांग्रेस में थे, बाद में आप में आ गए। छतरपुर सीट से ब्रह्म सिंह मैदान में उतारा गया, तो लक्ष्मी नगर सीट से बीबी त्यागी अपनी किस्मत आजमाएंगे। पिछले चुनाव में वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इसी तरह मटियाला सीट से आप ने मौजूदा विधायक गुलाब सिंह का टिकट काटकर उनकी जगह कांग्रेस से पार्टी में आए पूर्व विधायक सुमेश शौकीन को मौका दिया है।

एकनाथ शिंदे की डिमांड ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किल, एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय देने पर नहीं हो रही राजी

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन तो हो गया है, लेकिन अब मंत्रालय के बंटवारें पर पेंच फंसा हुआ है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीतने के बाद महायुति गठबंधन में पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दिनों तक विवाद चला था और अब मंत्रालयों पर खूब खींचतान हो रही है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे पहले मुख्यमंत्री पद पर अड़े हुए थे। अब उन्होंने गृह मंत्रालय की मांग पकड़ ली है। हालांकि, भाजपा इसे देने को तैयार नहीं है।अब खबर है कि भाजपा ने शिंदे को गृह मंत्रालय की जगह 3 अन्य मंत्रालयों में से चुनने का विकल्प दिया है।

भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। दो दिन पहले देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार के साथ एकनाथ शिंदे ने उप-मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया है। शनिवार को महाराष्‍ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों ने विधायक पद की शपथ भी ले ली है। वहीं महाराष्‍ट्र सरकार के गठन के बाद मंत्रालय के बंटवारे और महत्वपूर्ण मंत्री पदों को लेकर जंग तेज हो चुकी है।सरकार के गठन के पहले से एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय की मांग कर रहे हैं वहीं उपमुख्‍यमंत्री बनने के बाद उन्‍होंने एक बार फिर भाजपा के सामने गृह मंत्रालय की डिमांड रख दी है। जिसने भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है।

शिंदे की मांग के आगे बीजेपी झुकने को तैयार नहीं

मुख्यमंत्री बनने के बाद से देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी फ्रंटफुट पर खेल रही है। सत्ता की बागडोर ही नहीं बल्कि सियासी पावर को भी बीजेपी अपने हाथ में रखना चाहती है। शिवसेना की गृह मंत्रालय की मांग के आगे बीजेपी झुकने को तैयार नहीं है।ऐसे में बीजेपी ने शिंदे खेमा को गृह के बजाय राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग में से चुनने का विकल्प दिया है।भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "भाजपा ने अपने गठबंधन सहयोगी शिवसेना को साफ कर दिया है कि वह गृह मंत्रालय नहीं दे सकती।"भाजपा ने पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजीत पवार को वित्त और योजना विभाग देने का वादा किया है।

शिवसेना कर रही शिंदे के पक्ष में वकालत

शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय देने का दबाव बनाया जा रहा है। गुलाबराव पाटिल, संजय शिरसाट, भरत गुगवले समेत कई शिवेसना नेता शिंदे को गृह मंत्री बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन इस पर बीजेपी तैयार नहीं है। देवेंद्र फडणवीस ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में सरकार है, केंद्रीय गृह मंत्रालय बीजेपी (अमित शाह) के पास है। ऐसे में गृह मंत्रालय का पद सत्ता की बागडोर संभालने वाली पार्टी के पास होने से समन्वय आसान हो जाता है।

किन मंत्रालयों पर फंसा है पेंच?

महायुति में गृह मंत्रालय को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। भाजपा और शिंदे सेना इस पर दावेदारी कर रहे हैं।इसके अलावा वित्त, शहरी विकास, राजस्व, आवास, सिंचाई और सामान्य प्रशासन जैसे मंत्रालयों को लेकर भी मतभेद है। पिछले मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों ने जीत दर्ज की थी, इस वजह से सहमति बनाना और मुश्किल हो गया है।

कैसा हो सकता है मंत्रिमंडल?

रिपोर्ट के मुताबिक, महायुति में मंत्रिमंडल को लेकर 6 विधायक पर एक मंत्री पद का फार्मूला तय हुआ है। इसके तहत भाजपा को 20 से 22, शिंदे गुट को 12 और अजित गुट को 9 से 10 मंत्री पद मिल सकते हैं।मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि 16 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।9 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र खत्म होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।

सीरिया में तख्तापलट, जान बचाकर भागे राष्ट्रपति बशर असद ने रूस में शरण ली, जानें अचानक कैसे हुआ सबकुछ

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सीरिया में 24 साल लंबे बशर अल-असद शासन का अंत हो गया है। हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के कमांडर अबु मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में विद्रोहियों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति बशर देश छोड़कर भाग गए हैं। करीब 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध में विद्रोहियों ने आखिरकार सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सीरियाई सेना को हथियार डालने का निर्देश भी दिया। इस बीच कई सालों के बाद विद्रोही समूह के शीर्ष कमांडर और एचटीएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने सीरिया में कदम रखा। बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल किए जाने के कुछ ही देर बाद अबू जुलानी राजधानी दमिश्क पहुंचे।

दमिश्क पर कब्जे के करीब एक घंटे बाद सरकारी टीवी पर विद्रोहियों के समूह का बयान प्रसारित किया गया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति बशर को सत्ता से उखाड़ फेंका गया है और जेल से कैदियों को रिहा कर दिया गया है। अनस सलखादी नामक विद्रोही कमांडर ने सरकारी टीवी पर अल्पसंख्यकों को भरोसा दिया कि किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा। उसने कहा, सीरिया सभी के लिए है, कोई अपवाद नहीं। हम लोगों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा असद परिवार ने किया।

असद का पतन इस्लामी राष्ट्र की जीत-जुलानी

विद्रोहियों के दमिश्क में दाखिल होने के बाद पहली बार उनका नेता अल-जुलानी सामने आया है। विद्रोहियों ने अपने टेलीग्राम चैनल पर अबू मोहम्मद अल-जुलानी के सीरिया पहुंचने का एक वीडियो शेयर किया। इसमें जुलानी कई सालों के बाद दमिश्क पहुंचकर धरती पर माथा टेकटे नजर आए। जोलानी एक खेत में घुटनों के बल बैठकर सीरिया की धरती को नमन करते नजर आए। वह दमिश्क में उमय्यद मस्जिद गए और असद के सत्ता के पतन को इस्लामी राष्ट्र की जीत बताया। मस्जिद के बाहर जमा सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए उसने कहा कि असद ने सीरिया को ईरान के लालच का मैदान बना दिया था। उसने कहा कि इस महान विजय के बाद पूरे क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।

असद ने सीरिया से भागकर मास्‍को में ली शरण

इधर देश से बागने के बाद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद सीरिया से भागकर मास्‍को पहुंचे हैं। रूसी सरकारी मीडिया एजेंसियों ने क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अपदस्थ सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार मास्को में है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि असद और उनके परिवार को रूस ने शरण दे दी है। रूस के राष्‍ट्रपत‍ि पुत‍िन से उनके गहरे रिश्ते रहे हैं। पुत‍िन ने कई बार उन्‍हें संकटों से बचाया है।

11 दिन में ही हाथ से निकल सत्ता

सीरिया में करीब डेढ़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध खत्‍म हो गया है। हालांकि, 2013 में सख्ती से विद्रोह को दबाने वाले राष्ट्रपति बशर के हाथ से सत्ता इस बार मात्र 11 दिन में ही निकल गई। विद्रोही लड़ाकों ने 27 नवंबर के बाद से हमले तेज कर दिए थे। 27 नवंबर को, विपक्षी लड़ाकों के गठबंधन ने सरकार समर्थक बलों के खिलाफ एक बड़ा हमला किया। पहला हमला विपक्ष के कब्जे वाले इदलिब और पड़ोसी अलेप्पो के गवर्नरेट के बीच अग्रिम मोर्चों पर किया गया। तीन दिन बाद, विपक्षी लड़ाकों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्ज़ा कर लिया।

विद्रोहियों में कौन-कौन से गुट शामिल

ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ़ एग्रेशन नाम का यह हमला हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में कई सशस्त्र सीरियाई विपक्षी समूहों द्वारा लड़ा गया था और सहयोगी तुर्की समर्थित गुटों द्वारा समर्थित था। अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में एचटीएस सबसे बड़ा और सबसे संगठित है, जिसने इस हमले से पहले कई सालों तक इदलिब के गवर्नरेट पर शासन किया था। ऑपरेशन में भाग लेने वाले अन्य समूह नेशनल फ्रंट फॉर लिबरेशन, अहरार अल-शाम, जैश अल-इज़्ज़ा और नूर अल-दीन अल-ज़ेंकी मूवमेंट थे, साथ ही तुर्की समर्थित गुट जो सीरियाई राष्ट्रीय सेना के छत्र के अंतर्गत आते हैं।

जानें किस संस्था से जुड़ी हैं सोनिया गांधी, भारत विरोधी कर रहे फंडिंग, जानें क्या है पूरी विवाद?

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भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि सोनिया गांधी जिस संस्था से जुड़ी हैं उसे जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन ने वित्तीय मदद की है। बीजेपी का कहना है कि सोनिया और जॉर्ज सोरोस का यह जुड़ाव भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दिखाता है। साथ ही दोनों का यह जुड़ाव भारत के विकास को रोकने और बाधित करने के संयुक्त उद्देश्य को भी दिखाता है। इसके अलावा भाजपा ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) को लेकर राहुल गांधी को भी घेरा है।

भाजपा ने दावा किया कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सह-अध्यक्ष के तौर पर फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक (एफडीएल-एपी) फाउंडेशन से जुड़ी हैं। यह ऐसा संगठन है जो अलग कश्मीर का समर्थन करता है। यही नहीं, इसे हंगरी मूल के अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से पैसा मिलता है। बीजेपी के एक्स पर ये भी आरोप लगाए गए हैं कि इस संगठन को जॉर्ज सोरोस की संस्था से फंडिंग मिलती है और सोनिया गांधी इस संस्था की सह-अध्यक्ष हैं।

भाजपा की तरफ से रविवार को एक के बाद एक कई सोशल मीडिया पोस्ट जारी करके कहा गया सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दर्शाता है। पार्टी के मुताबिक, सोनिया के राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के कारण जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी हुई, जो भारतीय संगठनों पर विदेशी वित्तपोषण के प्रभाव को दर्शाता है।

भाजपा ने कहा, सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव के अलावा ऐसे संबंधों के राजनीतिक प्रभाव को जाहिर करता है। बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी की राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के दौरान जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ पार्टनरशिप हुई थी। सोरोस द्वारा वित्त पोषित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी ने राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया था।

भाजपा ने यह भी कहा कि अडानी पर राहुल गांधी के हमलों का जॉर्ज सोरोस की फंडिंग से चलने वाले खोजी पत्रकारों के कथित मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी पर सीधा प्रसारण किया गया, जबकि अडानी की आलोचना के लिए राहुल भी इसका (ओसीसीआरपी) इस्तेमाल स्रोत के तौर पर करते हैं। यह सब भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के उनके प्रयासों को उजागर करता है। पार्टी ने यह भी कहा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर पूर्व में सार्वजनिक तौर पर जॉर्ज सोरोस को अपना पुराना मित्र बता चुके हैं।

अमेरिका ने आरोपों को किया खारिज

भाजपा ने यह आरोप ऐसे समय लगाए हैं जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने इन आरोपों को खारिज किया था कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से वित्तपोषित संगठन और वाशिंगटन की सरकारी संस्थाओं से जुड़े तत्व भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में शामिल हैं। अमेरिका के बयान के बाद शशि थरूर ने कहा कि भाजपा न तो लोकतंत्र को समझती है और न ही कूटनीति को। वे तुच्छ राजनीति में इतने अंधे हो गए हैं कि वे लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस और जीवंत स्वतंत्र नागरिक समाज संगठनों के महत्व को भूल जाते हैं। यह हमलावर व्यवहार भारत के लिए शर्म की बात है।

क्या है ओएसएफ

क्या है Open Society Foundations Open Society Foundations (ओएसएफ) की बात करें तो इस संस्था का पहले Open Society Institute नाम था। यह अमेरीकी संस्था है जिसे बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस ने स्थापित किया। यह संस्था दुनियाभर के सिविल सोसाइटी ग्रुप की वित्तीय मदद करती है। संस्था न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वतंत्र मीडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए दुनियाभर की सोसाइटीज की वित्तीय मदद करती है।

कौन हैं जॉर्ज सोरोस

वहीं ओएसएफ के फाउंडर जॉर्ज सोरोस की बात करें तो वह कश्मीर और गौतम अडानी को लेकर दिए गए बयान की वजह से पहले भी चर्चा में रह चुके हैं। जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को बुडापेस्ट हंगरी में हुआ उनका मूल नाम जॉर्ज श्वार्ट्ज था, लेकिन उनके परिवार ने यहूदी विरोधी माहौल से बचने के लिए अपना नाम बदलकर "सोरोस" रख लिया। जॉर्ज का बचपन नाजी जर्मनी के अत्याचारों के बीच गुजरा। उनके परिवार ने नाजियों से बचने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और विभिन्न स्थानों पर छिपकर जीवन यापन किया। जॉर्ज सोरोस ने अपना करियर वित्तीय संस्थानों में शुरू किया। 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट नामक अपनी हेज फंड कंपनी की स्थापना की। उनकी कंपनी ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वे दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में से एक बने। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापन जॉर्ज सोरोस ने 1979 में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की। यह संगठन मानवाधिकारों, लोकतंत्र, शिक्षा, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है। सोरोस ने इस फाउंडेशन को अब तक 32 बिलियन डॉलर से अधिक दान दिए हैं।

विवादों से नाता

सोरोस का कई विवादों से भी नाता रहा है। उनपर आरोप है कि वह सत्ता परिवर्तन और राजनीति को धनबल से प्रभावित करते हैं। उन्हें बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने के लिए जाना जाता है। उनपर आरोप है कि ब्रिटिश मुद्रा पाउंड को शॉर्ट करके उन्होंने 1 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया। 29 जून 2023 को सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर थी। सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक रहे हैं। उन्होंने 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार राष्ट्रपवाद को आगे बढ़ा रही है, यह भारत के लिए सबसे बड़ा झटका है।

दिल्ली में स्कूलों को फिर बम से उड़ाने की धमकी, कई स्कूल हुए बंद

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देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर स्कूलों को धमकी मिली है। दिल्ली के चालीस से अधिक स्‍कूलों में फिर से बम से उड़ाने की धमकी मिली है। धमकी को ईमेल के जरिए भेजा गया है। 8 दिसंबर को रात करीब 11:38 बजे मेल आया। मेल भेजने वाले ने तीस हजार डॉलर मांगा है।धमकी भरे ईमेल मिलने के बाद स्कूलों ने बच्चों को वापस घर भेज दिया है। कई स्कूल बंद हो गए हैं। बम की धमकी के बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस जानकारी दी गई है।

जिन स्कूलों के बम से उड़ाने की धमकी दी गई है, इनमें आरके पुरम, पश्चिम विहार और मयूर विहार फेज-1 स्थित स्कूल शामिल हैं।इस बार ब्रिटिश स्कूल, सलवान स्कूल, माडर्न स्कूल, कैंब्रिज स्कूल,डीएवी स्कूल, डीपीएस और जीडी गोयनका समेत 40 स्कूल शामिल है। दिल्ली अग्निशमन विभाग को सुबह करीब 7 बजे इस घटना की जानकारी दी गई। हालंकि बाद में पुलिस ने इस ईमेल को फर्जी बताया।

ईमेल करने वाले ने मांगे पैसे

दिल्ली पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को दिल्ली के कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली। जिसमें डीपीएस आर के पूरम और पश्चिम विहार के जीडी गोयनका स्कूल, मदर मैरी स्कूल, ब्रिटिश स्कूल, सलवान पब्लिक स्कूल, कैम्ब्रिज स्कूल समेत कई स्कूल शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने कहा कि आज 40 से ज्यादा स्कूलों को ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली है। मेल में लिखा है कि मैंने इमारतों के अंदर कई बम लगाए हैं। बम छोटे हैं और बहुत अच्छी तरह से छिपाए गए हैं। इससे इमारत को ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन बमों के फटने से कई लोग घायल हो जाएंगे। अगर मुझे 30,000 डॉलर नहीं मिले तो मैं बम विस्फोट कर दूंगा।

पहले भी मिल चुकी है धमकी

यह ताजा घटना एक महीने से भी अधिक समय बाद हुई है, जब दिल्ली के दो और हैदराबाद के एक स्कूल सहित देश भर के कई सीआरपीएफ स्कूलों को ई-मेल के जरिए बम की धमकी मिली थी। तमिलनाडु के एक सीआरपीएफ स्कूल को 21 अक्टूबर की रात को सबसे पहले धमकी मिली थी, जिसके बाद देश के सभी संबद्ध स्कूलों को अलर्ट भेजा गया था। हालांकि, यह धमकी एक धोखा साबित हुई। 20 अक्टूबर को, दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक सीआरपीएफ स्कूल की दीवार में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ, जिससे आस-पास की दुकानें और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और इमारत की दीवार में भी छेद हो गया। इसके परिणामस्वरूप किसी के हताहत होने या घायल होने की कोई खबर नहीं आई।

झूठी धमकियों की संख्या में बढ़ोतरी

संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा था कि एयरलाइनों को मिलने वाली झूठी धमकियों की संख्या 2023 में 122 से बढ़कर 2024 में 994 हो गई है, जो 714.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। जून में एयरलाइनों को 666 बम धमकियों वाली कॉल मिली हैं। जून में ऐसी 122 धमकियां मिल चुकी हैं। वहीं, सितंबर और अक्टूबर 2023 में 15 धमकियों वाली कॉल दर्ज की गई थी।

हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया गया तो...", मौलाना मदनी ने सरकारों को दी चेतावनी, वक्फ संपत्तियों को लेकर भी बोले

डेस्क: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने किशनगंज के लहरा चौक पर हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए सरकारों को चेतावनी दी कि वे सांप्रदायिक तत्वों और उनके एजेंडे को संरक्षण देना बंद करें। उन्होंने कहा कि सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा।

मौलाना मदनी ने सभा में सरकारों के प्रति कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि विशेष वर्गों का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को अपमानित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, खासकर मुसलमानों के खिलाफ। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें इन प्रयासों को न सिर्फ संक्षरण दे रही हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रही हैं। मौलाना मदनी ने कहा, "किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय और निष्पक्षता सबसे महत्वपूर्ण है, बिना इसके देश में कानून व्यवस्था और अपराधमुक्त समाज का निर्माण संभव नहीं है।"

वक्फ अधिनियम पर खास तौर पर चिंता जाहिर करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि यह वक्फ एक धार्मिक मामला है और मुसलमान अपनी संपत्तियां अल्लाह की खुशी के लिए वक्फ करते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एसजीपीसी की तरह किया जाए और वक्फ पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के प्रयासों का विरोध किया। मौलाना मदनी ने मुसलमानों से अपील की कि वे धैर्य और रणनीति के साथ समाजिक सुधार में अपनी भूमिका निभाएं और आंतरिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि हमेशा अंधेरा नहीं रहता, एक दिन सवेरा भी होगा।

मौलाना मदनी ने कहा कि परीक्षा मोमिन के लिए आवश्यक कार्य है और इस परीक्षा में धैर्य एवं मजबूती से डटे रहना मोमिन की कामियाबी की निशानी है। इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक बुराईयों जैसे दहेज प्रथा को छोड़ने की भी सलाह दी और कहा कि मुस्लिम समुदाय को हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इस दौरान अपने भाषण में उन्होंने कहा कि अगर हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया गया तो हम संविधान के दायरे में आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे।

सभा में वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों, इस्लामी मदरसों और पैगंबर मोहम्मद के सम्मान की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। विशेष रूप से वक्फ संशोधन बिल के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों से मांग की गई कि वे इसे विरोध करें। सभा में मस्जिदों के खिलाफ चल रहे सांप्रदायिक अभियान पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और पूजास्थलों के विशेष संरक्षण अधिनियम, 1991 के तहत सभी मामलों को समेकित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक संविधान पीठ का गठन करने की अपील की गई। सभा में भाग लेने वालों ने अदालत से अपील की कि अनुच्छेद 142 और 139ए के तहत इस मामले पर जल्द से जल्द निर्णय दिया जाए, ताकि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इसके साथ ही इस्लामी मदरसों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार को रोकने की भी मांग की गई। सभा में सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ किसी भी प्रकार की गुस्ताखी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की गई और इसे वैश्विक अपराध घोषित करने की मांग की गई। सभा में मुसलानों से अपील की गई कि वह अपनी आस्था पर मजबूती से डटे रहें और पैगंबर मोहम्मद के सम्मान की रक्षा के लिए हर कानूनी और लोकतांत्रिक तरीका अपनाएं। इस दौरान देश में बढ़ते हुए इस्लामोफोबिया और नफरत की कड़ी निंदा की गई। सभा ने सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारियों द्वारा भड़काऊ बयान और सीमांचल में नफरती रैली को देश की अखंडता के लिए खतरा बताया। सभा में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अन्य प्रमुख नेताओं सहित किशनगंज के कांग्रेस सांसद जावेद आलम और विधायक मौलाना सऊद असरार समेत कई अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी ने दिया विवादित बयान, कहा- 'हिंदुत्व नफरत का दर्शन है, यह एक बीमारी है'


डेस्क: पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हिंदुत्व को लेकर विवादित बयान दिया है। उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि हिंदुत्व नफरत का दर्शन है। इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, 'हिंदुत्व और हिंदू धर्म में बहुत अंतर है। हिंदुत्व नफरत का दर्शन है जिसे वीर सावरकर ने 1940 के दशक में भारत में फैलाया था। जिसका उद्देश्य हिंदुओं का आधिपत्य स्थापित करना था और दर्शन यह था कि भारत हिंदुओं का है और हिंदुओं के लिए है।' उन्होंने कहा कि इस्लाम की तरह हिंदू धर्म भी एक ऐसा धर्म है जो धर्मनिरपेक्षता, प्रेम और करुणा को बढ़ावा देता है। इसलिए, हमें जानबूझकर इसे विकृत नहीं करना चाहिए। 'जय श्री राम' का नारा 'रामराज्य' के बारे में नहीं है, बल्कि इसे लिंचिंग से जोड़ा जा रहा है। यह बहुत शर्मनाक है कि हिंदू धर्म को विकृत किया जा रहा है। मैंने हिंदुत्व की आलोचना की क्योंकि यह एक बीमारी है। इल्तिजा मुफ्ती के बयान की जम्मू बीजेपी ने अलोचना की है। जम्मू बीजेपी के नेता रविंदर रैना ने कहा, 'PDP नेता ने बहुत अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं लेकिन अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।' हालही में भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के नेताओं ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। दरअसल महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश के हालातों की तुलना भारत से की थी, जिसे लेकर भाजपा ने विरोध जताया था और कार्रवाई की मांग की थी। इसके अलावा भाजपा के नेताओं ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा आतंकवादी संबंधों को लेकर दो सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का स्वागत किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहनी चाहिए।
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी ने दिया विवादित बयान, कहा- 'हिंदुत्व नफरत का दर्शन है, यह एक बीमारी है'

डेस्क: पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हिंदुत्व को लेकर विवादित बयान दिया है। उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि हिंदुत्व नफरत का दर्शन है।

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, 'हिंदुत्व और हिंदू धर्म में बहुत अंतर है। हिंदुत्व नफरत का दर्शन है जिसे वीर सावरकर ने 1940 के दशक में भारत में फैलाया था। जिसका उद्देश्य हिंदुओं का आधिपत्य स्थापित करना था और दर्शन यह था कि भारत हिंदुओं का है और हिंदुओं के लिए है।'

उन्होंने कहा कि इस्लाम की तरह हिंदू धर्म भी एक ऐसा धर्म है जो धर्मनिरपेक्षता, प्रेम और करुणा को बढ़ावा देता है। इसलिए, हमें जानबूझकर इसे विकृत नहीं करना चाहिए। 'जय श्री राम' का नारा 'रामराज्य' के बारे में नहीं है, बल्कि इसे लिंचिंग से जोड़ा जा रहा है। यह बहुत शर्मनाक है कि हिंदू धर्म को विकृत किया जा रहा है। मैंने हिंदुत्व की आलोचना की क्योंकि यह एक बीमारी है।

इल्तिजा मुफ्ती के बयान की जम्मू बीजेपी ने अलोचना की है। जम्मू बीजेपी के नेता रविंदर रैना ने कहा, 'PDP नेता ने बहुत अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं लेकिन अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।'

हालही में भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के नेताओं ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। दरअसल महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश के हालातों की तुलना भारत से की थी, जिसे लेकर भाजपा ने विरोध जताया था और कार्रवाई की मांग की थी। इसके अलावा भाजपा के नेताओं ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा आतंकवादी संबंधों को लेकर दो सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का स्वागत किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहनी चाहिए।

BCI ने एडवोकेट संजीव नासियार को उपाध्यक्ष पद से हटाने के दिए निर्देश, CBI से कराई जाएगी यह जांच

डेस्क: दिल्ली बार काउंसिल में एडवोकेट संजीव नासियार उपाध्यक्ष पद पर तैनात थे मगर उन्हें तत्काल रूप से उनके पद से हटाने के निर्देश दे दिए गए हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने यह निर्देश दिया है। इतना ही नहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसके अलावा बार काउंसिल के सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि वो केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI से संजीव नासियार की LLB ऑनर्स की डिग्री की प्रामाणिकता और साथ ही संबंधित अभिलेखों के संभावित जालसाजी की जांच कराए। आपको बता दें कि संजीव नासियार AAP के कानूनू प्रकोष्ठ हैं जिन्हें अब इस जांच का सामना करना पड़ेगा।

आपको बता दें कि 7 दिसंबर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की एक बैठक हुई। इसके बाद BCI ने यह निर्देश दिया है। निर्देश में BCI ने लिखा, '7 दिसंबर को हुई बैठक में देव अहिल्याबाई विश्वविद्याल, इंदौर द्वारा दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष संजीव नासियार को जारी की गई LLB की डिग्री में अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने का फैसला लिया है। यह निर्णय 3 सितंबर 2024 के संकल्प के अनुसार गठित एक उप समिति द्वारा की गई जांच और रिट याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों के जवाब में लिया गया है।'

BCI द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, 'एक जांच में संजीव नासियार की डिग्री से जुड़े अभिलेखों में जरूरी और साफ विसंगतियां पाई गई हैं। PMB गुजराती आर्ट्स एंड लॉ कॉलेज, इंदौर के निरीक्षण में पता चला है कि कॉलेज को संबंधित अवधि के दौरान LLB ऑनर्स संचलित करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था।'

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का विमान क्रैश? अचानक रडार से गायब हुआ था प्लेन

डेस्क: सीरिया में जारी राजनीतिक संकट के बीच बड़ी खबर सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का विमान क्रैश हो गया है। कहा जा रहा है कि उनका विमान आसमान में 500 मीटर ऊपर क्रैश हुआ, जिसका मलबा भी बरामद हो गया। क्रैश होने से पहले विमान रडार से गायब हो गया था।

बताया जा रहा है कि बशर अल-असदअपने परिवार के साथ देश छोड़कर जा रहे थे तभी विमान क्रैश हो गया। इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि विद्रोहियों ने असद के विमान को मार गिराया है।

सीरिया में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। विद्रोहियों ने सीरिया के तीन बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है, इनमें अलेप्पो, होम्स और दारा शहर शामिल हैं। विद्रोहियों ने होम्स में बनी राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता की प्रतिमा को भी तोड़ दिया। सीरिया की सेना शहरों, कस्बों और गांवों में लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है।

इस बीच सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी जलाली ने कहा है कि वह शासन शांतिपूर्ण तरीके से विपक्ष को सौंपने को तैयार हैं। जलाली ने कहा, ‘‘मैं अपने आवास पर ही हूं और कहीं नहीं गया हूं और यह इसलिए क्योंकि मुझे अपने देश से प्रेम है।’’ उन्होंने कहा कि वह काम करने के लिए अपने कार्यालय जाएंगे साथ ही उन्होंने सीरियाई नागरिकों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाने का आग्रह किया है।

सीरिया के विद्रोही गुट ‘जिहादी हयात तहरीर अल-शाम’ समूह (एचटीएस) प्रमुख अबु मोहम्मद अल-गोलानी ने सीरिया से ‘सीएनएन’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि हमले का मकसद असद की सरकार को सत्ता से बेदखल करना है। अब सीरिया में तख्तापलट के आसार नजर भी आ रहे हैं।