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देश सुरक्षित तो धर्म सुरक्षित”, वाराणसी में सीएम योगी का नया नारा
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* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शनिवार को वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम में आयोजित विहंगम योग संत समाज की स्थापना के शताब्दी समारोह महोत्सव में शामिल हुए। यहां, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब एक नया नारा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर हमारा देश सुरक्षित है तो हमारा धर्म भी सुरक्षित है, अगर हमारा धर्म सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित हैं। वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर में शताब्दी महोत्सव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, हर काम देश के नाम होना चाहिए, हमारा कोई व्यक्तिगत अस्तित्व नहीं है। स्वर्वेद मंदिर के विहंगम योग के शताब्दी वर्ष समारोह में जब मुख्यमंत्री ने मंच संभाला तो धर्म और सनातन पर वक्तव्य दिया। सीएम ने मंच से कहा कि बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर आयोजित इस कार्यक्रम के मौके पर सभी का अभिनंदन करता हूं। विहंगम योग संत-समाज दिव्य और भव्य मंदिर बनाकर कोटि-कोटि श्रद्धालुजन को भारत की योग-परंपरा और आध्यात्मिक धारा के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। इस पुण्य अवसर पर सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की स्मृतियों को नमन एवं जन-जागरण के इस वृहद अभियान हेतु विहंगम योग संत-समाज तथा इससे जुड़े सभी श्रद्धालुओं एवं भक्तजन का हार्दिक अभिनंदन। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि हर काम देश के नाम होना चाहिए, देश सुरक्षित है तो धर्म भी सुरक्षित है। धर्म सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित हैं, इसलिए जो भी कार्य हो, वह व्यक्ति, समाज, मत-मजहब के दायरे से ऊपर उठकर सनातन धर्म के मूल्यों के अनुरूप भारत की वैदिक-आध्यात्मिक परंपरा का अनुसरण करते हुए देश के नाम होना चाहिए। भारतीयता और सनातन सबको जोड़ने की ताकत रखता है। योगी ने आगे कहा कि पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के नाते दस वर्षों में पीएम ने काशी को चमका दिया। दुनिया का सबसे बड़ा स्नान घाट नमो घाट, जहां हेलीपैड भी है, वो घाट काशी में है। काशी में देव मंदिर जितने भी हैं उनका कायाकल्प हुआ है। काशी में सड़क, रेल या वायुसेवा की कनेक्टिविटी हो, 2014 के पहले जो थी उससे सौ गुना ज्यादा बेहतर हुई है। एक और कनेक्टिविटी के तहत काशी से हल्दिया के बीच जलमार्ग का उपयोग कर लोग यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं। स्वास्थ्य हो या शिक्षा अथवा विकास हर क्षेत्र में काशी चमक रही है। यूपी के सीएम ने कहा कि यूपी भी पीएम मोदी के मार्ग दर्शन में आगे बढ़ रहा है। यहां विकास भी है तो विरासत का सम्मान भी है। योग को देश के अंदर वैश्विक मंच पर ले जाने का श्रेय पीएम को जाता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है। यह वर्ष हमारे लिए महत्वपूर्ण है। 22 जनवरी 2024 को रामलला अयोध्या में विराजमान हुए । पीएम ने जिस भव्य स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन एक वर्ष पहले किया था उसके शताब्दी समारोह के साथ जुड़ने का अवसर मुझे प्राप्त हो रहा है। लाखों की संख्या में लोग आए हैं, सबकुछ अपने आप चल रहा है। विज्ञान की पद्धति पर पंडाल लगाए गए। हमारा आध्यात्म लकीर का फकीर नहीं तकनीक और विज्ञान को अपनाकर काम कर रहे हैं। यही भारतीयता है यही सनातन है। यहा सद्गुरू सदाफलदेव जी महाराज की स्मृतियों को नमन करता हूं। ट्रस्ट से जुड़े सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद देता हूं। यह दृश्य पच्चीस हजार यज्ञ का विहंगम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है।
महाराष्ट्र में अब मंत्रालय के बंटवारे को लेकर फंस गया पेंच, गृह मंत्रालय को लेकर हो रही खींचतान!

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। विधानसभा चुनाव के बाद महायुति की सरकार बन चुकी है। सीएम और दो डिप्टी सीएम ने शपथ भी ले ली है। इसके बाद अब सबकी नजरें इस महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी हुई हैं। मंत्रिमंडल को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने के बीच खबरें आ रही हैं कि सीएम पद पर एकमत होने के बाद गृह विभाग को लेकर अब भी महायुति में जंग जारी है।शिवसेवा कई बार साफ तौर पर कह चुकी है कि उसे गृह विभाग चाहिए, लेकिन भाजपा उसे अपने पास ही रखना चाहती है।

पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शिवसेना नेता उदय सामंत ने मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं और उन्हें सभी राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार है। जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायकों को मंजूर होगा। मंत्रिमंडल के बंटवारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय सामंत ने कहा कि किसे मंत्री बनाया जाएगा और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री का निर्णय होगा। उन्होंने आगे कहा, "सीएम दोनों डिप्टी सीएम के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे। यह कौन कह रहा है कि हमें गृह मंत्रालय चाहिए? सीएम और डिप्टी सीए विभागों पर फैसला करेंगे।"

क्या है विभागों का गणित

बता दें कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 43 है। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित 21, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

किस पार्टी के खाते में कौन सा विभाग

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास गृह, विधि एवं न्याय, गृहमंत्री निर्माण, ऊर्जा, राज शिष्टाचार, सिंचाई, ग्राम विकास, पर्यटन, राजस्व, कौशल विकास, सामान्य प्रशासन और आदिवासी विभाग रह सकते हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे) को शहरी विकास, आबकारी, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, माइनिंग, जल आपूर्ति, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्यूडी विभाग दिए जा सकते हैं। इसके अलावा एनसीपी (अजित पवार) को वित्त एवं नियोजन, खाद्य एवं आपूर्ति, एफडीए, कृषि, महिला एवं बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और मदद एवं पुनर्वास विभाग मिल सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया जा सकता है। वहीं अजित पवार वित्त विभाग मांग रहे हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस गृह के साथ वित्त विभाग भी रखना चाहते हैं। इस विभाग पर अजित पवार से चर्चा होगी। इसके बदले बीजेपी अजित पवार को ऊर्जा या हाउसिंग विभाग देना चाहती है। इसके अलावा शहरी विकास, राजस्व, आदिवासी, कृषि, ग्राम विकास, मेडिकल एजुकेशन, महिला एवं बाल विकास विभाग पर अभी चर्चा जारी है। कुछ विभाग आपस में ऐक्सचेंज किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार में कैसा था हाल?

दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।

डिप्टी सीएम बनते ही अजित पवार को बड़ी राहत, आयकर विभाग लौटाएगा करोड़ों की प्रॉपर्टी

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महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ लेने के दूसरे दिन ही अजित पवार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।दिल्ली की बेनामी ट्रिब्यूलन कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में अजित पवार की सीज की हुई संपत्तियों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अटैचमेंट से मुक्त कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद आयकर विभाग की तरफ से जब्त संपत्ति लौटा दी जाएगी। तीन साल पहले जांच के बाद अजित पवार, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार और बेटे पार्थ पवार की संपत्ति आयकर विभाग ने अटैच कर ली थी।

साल 2021 में आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति के मामले में अजित पवार, उनके बेटे पार्थ पवार और पत्नी सुमित्रा पवार की संपत्ति सीज की थी। इनकम टैक्स विभाग ने रेड के बादस्पार्कलिंग सॉइल, गुरु कमोडिटीज, फायर पावर एग्री फार्म और निबोध ट्रेडिंग कंपनी से संबंधित उनकीसंपत्तियां जब्त कर थी, जिसे रिलीज किया गया है। इनकम टैक्स के अधिकारियों ने बेनामी संपत्ति रोकथाम अधिनियम के तहत एक हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की थी। आयकर विभाग ने कई कंपनियों पर छापे मारे जिसमें ऐसे दस्तावेज बरामद हुए जो कथित तौर पर बेनामी पाए गए। आयकर विभाग ने इन संपत्तियों का स्वामित्व कथित तौर पर अजित पवार और उनके परिवार से जुड़े होने का दावा किया। हालांकि, न्यायाधिकरण ने इन दावों को खारिज कर दिया और कहा कि इसके पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

इसमें यह भी कहा गया कि विचाराधीन संपत्तियों के लिए सभी भुगतान वैध माध्यमों से किए गए थे। ट्रिब्यूनल ने आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है कि अजित पवार, सुनेत्रा पवार और पार्थ पवार ने बेनामी संपत्तियां खरीदने के लिए राशि ट्रांसफर किया।

संजय राउत ने कसा तंज

वहीं, इस मामले पर शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, "अजित पवार बीजेपी के साथ आए, तो सब वाशिंग मशीन से साफ हो गया। बीजेपी से हाथ मिलाइए तो सब साफ हो जाता है।" नवाब मलिक को क्लीन चिट मिल गई। बीजेपी के साथ में जाते ही सब आरोप खत्म हो गए। सब वाशिंग मशीन में धुल गए। इस देश में क्या हो रहा है।

बता दें कि महाराष्ट्र में एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व में महायुति की सरकार बनी है। भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जबकि उनके साथ अजित पवार और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।अजित पवार ने 5 दिसंबर को राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके दूसरे दिन अजित पवार को कोर्ट से राहत मिल गई।

सैम पित्रोदा का लैपटॉप और मोबाइल हैक, कांग्रेस नेता को हैकर्स ने धमकाया

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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में मेरे सर्वर को बार-बार हैक किया गया है। मेरे लैपटॉप, स्मार्टफोन और सर्वर को हैक कर उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। हैकर्स ने उनसे हजारों डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती मांगी है। सैम पित्रोदा ने एएनआई को मेल करके यह जानकारी दी। यह घटना शनिवार को सामने आई। हैकरों ने धमकी दी है कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो उनकी छवि खराब की जाएगी।

हैकर्स ने दी छवि खराब करने की धमकी

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने न्यूज एजेंसी एएनआई को ईमेल में बताया कि मैं आपका ध्यान एक गंभीर मुद्दे पर केंद्रित करना चाहता हूं। मेरा लैपटॉप, स्मार्टफोन और सर्वर हैक हो गया है। पिछले कई हफ्तों से मुझे इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। हैकर्स ने मुझे धमकी दी है कि अगर मैंने उन्हें क्रिप्टोकरंसी के रूप में ढेर सारे पैसे नहीं दिए, तो वो मेरी छवि बर्बाद कर देंगे। सैम पित्रोदा ने बताया कि हैकर्स ने धमकी देते हुए करोड़ों रुपयों की मांग की है। उनका कहना है कि अगर मैंने उन्हें पैसे नहीं दिए तो वो मेरे खिलाफ फेक न्यूज फैलाएंगे और मेरी छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

पित्रोदा ने दी चेतावनी

सैम पित्रोदा ने आगे कहा कि अगर आपको मुझसे जुड़ा कोई भी ईमेल या मैसेज मिलता है, तो उस पर क्लिक न करें। ये हैकर्स की चाल हो सकती है। किसी भी लिंक पर क्लिक करके कोई चीज डाउनलोड करने की कोशिश न करें। इस लिंक में वायरस हो सकता है। इससे आपका डिवाइस भी हैक हो सकता है।

कौन हैं सैम पित्रोदा?

सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. यूपीए सरकार में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे हैं। वह एक बिजनेसमैन भी हैं। अमेरिका में कई कंपनियां भी चलाते हैं। सैम पित्रोदा साल 2005 से 2009 तक भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन रहे हैं। टेलीकॉम सेक्टर में पित्रोदा का अहम योगदान है। साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आमंत्रण पर उन्होंने टेलीकॉम के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स’ की स्थापना की थी। पित्रोदा अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। पिछले साल उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया था, जिससे देश में सियासी भूचाल आ गया था। उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान में हर कोई मंदिर की बात करता है लेकिन कोई बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी चीजों पर बात नहीं करता। राम मंदिर, हनुमान मंदिर के निर्माण से क्या कोई रोजगार मिलेगा।

दुनिया में फिर दिखा भारत का दमः विश्व ध्यान दिवस के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में सभी देशों ने लगाई मुहर

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वैश्विक स्तर पर एक बार फिर भारत का कद बढ़ा है।संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के एक सह-प्रायोजित प्रस्ताव पर एकमत से मुहर लगी है। प्रस्ताव में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया गया है। सभी देशों ने प्रस्ताव को स्वीकारते हुए एकमत से वोटिंग की। अब पूरी दुनिया में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाया जाएगा।

भारत के साथ लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा उन देशों के मुख्य समूह के सदस्य थे जिन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व ध्यान दिवस’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को शुक्रवार को सर्वसम्मति से पारित करने में अहम भूमिका निभाई। इन्हीं देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव को लेकर सभी जानकारियां साथी देशों के सामने रखीं। लिक्टेन्सटाइन की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के पटल पर रखे गए इस प्रस्ताव को बांग्लादेश, बल्गेरिया, बुरुंडी, द डॉमिनिकन रिपब्लिक, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्लोवेनिया की तरफ से सह-प्रायोजित किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘व्यापक कल्याण और आंतरिक परिवर्तन का दिन! मुझे खुशी है कि भारत ने कोर समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाए जाने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया।’’ उन्होंने कहा कि समग्र मानव कल्याण के लिए भारत का नेतृत्व ‘‘हमारे सभ्यतागत सिद्धांत-वसुधैव कुटुम्बकम’’ पर आधारित है।

21 दिसंबर शीत संक्रांति

यूएन में भारत के राजदूत ने कहा कि 21 दिसंबर शीत संक्रांति का दिन है और भारतीय परंपरा के अनुसार यह दिन 'उत्तरायण' की शुरुआत का दिन है, जो कि साल के शुभ दिनों में से है, खासकर आंतरिक विचारों और ध्यान लगाने के लिए।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ठीक छह महीने बाद ध्यान दिवस

विश्व ध्यान दिवस के साथ एक खास बात यह जुड़ी है कि यह 21 जून को पड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ठीक छह महीने बाद मनाया जाएगा। विश्व ध्यान दिवस से उलट योग दिवस ग्रीष्म संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस तथ्य का जिक्र करते हुए हरीश ने कहा कि 2014 में भी भारत ने नेतृत्व करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर घोषित करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब एक दशक बाद विश्व योग दिवस पूरी दुनिया में आम लोगों के लिए योग को उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाने का वैश्विक आंदोलन बन गया है।

सीरिया के हालात गंभीर, भारत ने जताई चिंता, देर रात जारी की एडवाइजारी, दी ये सलाह

#indiaadvisoryovergravesituationinsyria

सीरिया में इन दिनों जंग की वजह से हालात बहुत खराब हैं।यहां में बिगड़ती हालत पर भारत सरकार चिंतित है। इसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है।भारत सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से पूरी तरह बचें।विदेश मंत्रालय की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा की गई है।

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में वर्तमान में सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की है। इसके अलावा सलाह दी गई है कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, वे अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें।

एमरजेंसी नंबर और ईमेल आईडी जारी

सोशल मीडिया एक्स पर विदेश मंत्रालय ने पोस्ट किया, "सीरिया के हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों को सीरिया की यात्रा तक तक न करने की सलाह दी जाती है, जब तक इस बारे में फिर से सूचना नहीं दी जाती। सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों को सलाह है कि वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहे। दमिश्क में भारतीय दूतावास की इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर +963993385793 पर संपर्क किया जा सकता है। यही नंबर व्हाट्स एप पर भी उपलब्ध है। इस नंबर से सभी जरूरी सूचनाएं जारी की जा रही हैं। पर आप ईमेल भी कर सकते हैं। अभी जो लोग सीरिया में हैं वो जल्द से जल्द वहां से लौटने की कोशिश करें और जब तक ऐसा नहीं हो पाता अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें।"

सीरिया में क्यों जारी है जंग?

सीरिया इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है, रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद शासन खुद को विद्रोही समूहों और मिलिशिया से घिरा हुआ पा रहा है। इन समूहों को तुर्की का सपोर्ट है। विद्रोही बलों ने पिछले हफ़्ते सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के मकसद से तेज़ गति से हमला किया है।

विद्रोही समूहों का आक्रमण इतना तेज है कि सीरिया का दूसरा शहर अलेप्पो और हमा पहले ही राष्ट्रपति के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। 2011 के गृह युद्ध के बाद पहली बार सीरिया में ऐसा हमला हुआ।

बसर अल असद की सरकार सीरिया में पिछले पांच दशक से सत्ता में है और पहली बार उनकी सरकार पतन होने की कगार पर है। अगर विद्रोहियों ने सीरिया के प्रमुख शहर होम्स पर कब्जा कर लिया तो इससे राजधानी दमिश्क में सत्ता की सीट भूमध्यसागरीय तट से कट जाएगी। दरअसल, इसे बसर अल असद का प्रमुख गढ़ माना जाता है।

पश्चिमी देशों के विरोध के बीच ईरान का बड़ा कदम, लॉन्च किया सबसे भारी स्पेस पेलोड, अमेरिका-इजराइल की बढ़ेगी परेशानी!

#iran_claims_successful_launch_into_space

इजरायल के साथ चल रहे भारी तनाव के बीच ईरान ने अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण कर अपने दुश्मनों को बड़ी चुनौती दे दी है। ईरान ने अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया है।ईरान ने अपना सबसे भारी अंतरिक्ष पेलोड सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। ये ईरान के नवीनतम प्रक्षेपण कार्यक्रम का हिस्सा है। जिसकी पश्चिमी देश लगातार आलोचना करते आ रहे हैं।पश्चिमी देशों का आरोप है कि इस कार्यक्रम से तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा मिल रहा है। बता दें कि ईरान का यह बहुत गुप्त प्रक्षेपण कार्यक्रम था। प्रक्षेपण सफल होने के बाद ईरान की ओर से इसकी जानकारी साझा की गई।

अमेरिका और पश्चिम की ओर से बार-बार कहा गया है कि ईरान के इन लॉन्च का परमाणु मिसाइल बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। ईरान के इस लॉन्च का समय इसलिए भी खास है क्योंकि फिलहाल उसकी इजरायल और अमेरिका से तनातनी चरम पर है। ईरान की ओर से इस प्रक्षेपण की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल के जारी युद्ध तथा लेबनान में कमजोर युद्ध विराम समझौते के कारण पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है।

ईरान ने उपग्रह ले जाने में सक्षम अपने सिमोर्ग व्हीकल के जरिए यह लॉन्च किया। इससे पहले इस व्हीकल से की गई लॉन्च की कई कोशिशें नाकामयाब रही हैं। यह प्रक्षेपण ईरान के सेमनान प्रांत में स्थित इमाम खुमैनी स्पेसपोर्ट से किया गया। ईरान ने सिमोर्ग का पेलोड का वजन पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा रखा है।

300 किलोग्राम वजन वाले इस पेलोड में फख्र-1 टेलीकम्युनिकेशन सैटेलाइट और समन-1 स्पेस टग शामिल हैं। समन-1 एक ऑर्बिटल ट्रांसमिशन सिस्टम है। यह लॉन्च शुक्रवार को घरेलू स्तर पर विकसित सैटेलाइट कैरियर से सफलता के साथ किया गया है। ये पेलोड सैटेलाइट्स को निचली कक्षाओं से ऊपरी कक्षाओं में ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह लॉन्च सैटेलाइट्स को ऊपरी कक्षाओं में स्थानांतरित करने की दिशा में एक ऑपरेशनल कदम है। इस सिस्टम को पहली बार फरवरी 2017 में एक समारोह में पेश किया गया था और इसका परीक्षण 2022 में किया गया था।

बता दें कि ईरान हाल के कुछ सालों में अपनी सैन्य ताकतों को बढ़ाने पर काम कर रहा है। ईरान ने हाल के वर्षों में 15 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च की है। जिनमें से कुछ सैटेलाइट रूस के सहयोग से सैटेलाइट लांच की गई हैं। आधिकारिक तौर पर ईरान इन लॉन्च का मकसद कृषि और रिसर्च जैसे नागरिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कहता है, हालांकि पश्चिमी विशेषज्ञ इसके पीछे छिपे एक व्यवस्थित सैन्य प्रयास होने का दावा करते हैं।

अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बार-बार ईरान को ऐसे लॉन्च के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका तर्क है कि सैटेलाइट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को बैलिस्टिक मिसाइलों पर लागू किया जा सकता है। ये मिसाइलें परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हो सकती हैं। ईरान इस बात से इनकार करता है कि वह परमाणु हथियार चाहता है। उसने लगातार कहा है कि उसके सैटेलाइट और रॉकेट लॉन्च नागरिक और रक्षा एप्लीकेशन पर केंद्रित हैं।

आमिर खान ने शाहरुख खान के ऑस्कर पर दिए बयान से जताई असहमति, जानें क्या कहा

आमिर खान की ‘लगान’ की गिनती इंडिया की बेहतरीन फिल्मों में होती है. 2001 में आई इस फिल्म ने अच्छा बिजनेस भी किया था. फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट फॉरेन लेैंग्वेज केटेगरी में नॉमिनेट भी किया गया था. लेकिन एक बार एक पुराने इंटरव्यू में शाहरुख खान ने ऑस्कर में इंडियन फिल्मों के नॉमिनेशन पर एक बात कही थी, जिसका अब सालों बाद आमिर खान ने जवाब दिया है और शाहरुख के बयान से असहमति जताई है.

आमिर खान ने ऑस्कर की प्रोसेस को लेकर कहा कि यह बहुत कठिन होता है. बीबीस एशियन नेटवर्क के साथ बातचीत में आमिर ने कहा, “लोग भूल जाते हैं कि शायद यह सबसे मुश्किल केटेगरी होती है, क्योंकि जब आप बेहतरीन फिल्म के लिए कॉम्पिटीशन में होते हैं तो आप लिमिटेड फिल्मों के साथ फाइट कर रहे होते हैं. लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर बेस्ट फिल्म के लिए आपको हर एक देश की फिल्म के साथ कम्पीट करना होता है. आप एक ऐसे क्षेत्र में जाते हैं, जहां 80 और फिल्में हैं. अब उन 80 फिल्मों के बीच में नॉमिनेट होना बहुत कठिन है.”

लगान के ऑस्कर में जाने पर क्या बोले थे शाहरुख खान?

शाहरुख ने लगान के नॉमिनेट होने पर कहा था, “‘लगान’ एक आर्ट और कॉमर्शियल फिल्मों का कॉम्बिनेशन है. वो शानदार तरीके से बनाई गई फिल्म है. लेकिन हमें भारतीय फिल्मों के फॉर्मेट को बदलना होगा. शाहरुख ने ये भी कहा था कि अगर मुझे आपकी पार्टी में बुलाया जाता है, तो मुझे उस तरह से ड्रेसअप होना पड़ेगा जो आप बताएंगे. मैं ढाई घंटे और पांच गाने का अपना कोड नहीं पहन सकता हूं.”

आमिर खान ने क्या दिया जवाब?

इसपर आमिर खान ने जवाब देते हुए कहा, “नहीं मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं, क्योंकि ‘लगान’ तीन घंटे और 42 मिनट की फिल्म थी और इसमें छह गाने थे. यह नॉमिनेट हो गई थी. नॉमिनेट होने के लिए मेंबर्स को वास्तव में आपकी फिल्म पसंद आनी होगी और लगान इस बात को साबित करती है. ‘लगान’ साबित करती है कि ये लंबी फिल्म है और साथ ही साथ इसमें छह गाने हैं.”

ये फिल्में जा चुकी हैं ऑस्कर में

ऑस्कर में जाने वाली भारतीय फिल्मों की बात करें तो लगान के अलावा ‘मदर इंडिया’, ‘सलाम बॉम्बे’ भी ऑस्कर में जा चुकी हैं. साल 2022 में रिलीज हुई फिल्म ‘आरआरआर’ ने गाने ‘नाटू-नाटू’ के गाने ने ऑस्कर अवॉर्ड जीता भी है. साथ ही शॉर्ट फिल्म केटेगरी में ‘एलिफेंट व्हिस्पर्स’ भी ये अवॉर्ड जीत चुकी है.

चीन के पैंतरे आजमा रहा बांग्लादेश, भारत की जासूसी पर उतरा! सीमा के पास तैनात किया खतरनाक ड्रोन

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भारत के साथ तल्ख होते संबंधों के बीच बांग्लादेश “चीन” के पैंतरे आजमा रहा है। भारत विरोधी गतिविधियों को हवा दे रही बांग्लादेश की सरकार ने भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। पड़ोसी देश अब खुफिया जानकारी भी जुटाने की कोशिश में लग गया है। भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच बांग्‍लादेश की सेना ने पश्चिम बंगाल से लगती सीमा पर अपना बायरकतार टीबी-2 किलर ड्रोन तैनात किया है। बांग्‍लादेशी सेना की इस तैनाती से इलाके में तनाव बढ़ गया है। यह पूरा इलाका भारत के चिकन नेक के करीब है और बेहद संवेदनशील माना जाता है।

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर भारतीयों में बेहद गुस्सा है। भारत सरकार भी इन घटनाओं पर आपत्ति जता रही है और मोहम्मद यूनुस सरकार के सामने अपनी नाराजगी भी दर्ज करा चुकी है। जिसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। हालांकि, बांग्लादेश ने रिश्तों को बेहतर करने के बजाए भारत विरोधी रूख तो तेज कर दिया है।

बांग्‍लादेश सरकार ने भारत के खिलाफ नई सिरे से तनाव को बढ़ाते हुए पश्चिम बंगाल में चिकेन नेक एरिया के पास टर्किश ड्रोन तैनात कर दिए हैं। ये ड्रोन अनमैन्ड एरियल व्हीकल बायरकतार टीबी 2 हैं और बांग्लादेश ने इसी साल तुर्की से ऐसे 12 ड्रोन खरीदे हैं।

बांग्लादेश के डिफेंस टेक्नोलॉजी के अनुसार तुर्की से लिए गए 12 बायरकतार टीबी2 में से 6 ऑपरेशनल हैं। रक्षा मामलों की वेबसाइट आईटीआरडब्‍ल्‍यू ने टीबी 2 ड्रोन के भारतीय सीमा के पास तैनाती की जानकारी दी है। रक्षा मामलों की वेबसाइट आईटीआरडब्ल्यू और इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इन ड्रोन को सर्विलांस और इंटेलीजेंस के लिए बांग्लादेश की 67वीं सेना ऑपरेट कर रही है।

तुर्की का टीबी-2 ड्रोन काफी शक्तिशाली है जो हमला करने के अलावा जासूसी करने में भी माहिर है। बांग्‍लादेशी सेना की इस तैनाती से भारत के साथ जमीन के साथ-साथ हवा में भी तनाव बढ़ गया है।

तुर्की के इस किलर ड्रोन को बांग्‍लादेश के अलावा भारत के दो अन्‍य पड़ोसियों पाकिस्‍तान और मालदीव ने भी खरीदा है। पाकिस्‍तान ने हाल ही में अपनी स्‍वदेशी बुरक एयर टु सरफेस मिसाइल को बायरकतार टीबी 2 ड्रोन में फिट किया है। इस ड्रोन को दुनिया के 33 से ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर रहे हैं और यूक्रेन से लेकर आर्मीनिया अजरबैजान की लड़ाई में इस हमलावर ड्रोन ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। इसके बाद बांग्‍लादेश की सेना ने भी तुर्की से इस टीबी 2 ड्रोन के लिए समझौता किया था। जब यह समझौता हुआ था, उस समय शेख हसीना ही बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री थीं जो अभी भारत में शरण लिए हुए हैं।

भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक शेख हसीना के सत्‍ता से हटने के बाद बांग्‍लादेश में जिस तरह आतंकियों को जेल से रिहा किया गया है और पाकिस्तान, बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत विरोधी कट्टरपंथियों के साथ खड़ा हुआ है।भारतीय खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि बांग्लादेश से सामरिक स्तर पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन यदि वहां ऐसी अराजकता चलती रही और जमात के हाथों में क्षमता रही तो बांग्लादेश फिर से टेरर हब बन सकता है. खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट्स के मुताबिक बांग्लादेश की लड़खड़ाती स्थिति का फायदा उठाकर पाकिस्तान और उसकी सरपरस्‍ती में चल रहे आतंकी संगठन भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने की कोशिश कर रहे हैं।

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए