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बेटी का बर्थ डे मनाकर घर से निकले युवक की मिली लाश, हत्या या दुर्घटना जांच में जुटी पुलिस

गिरिडीह - बिहार के बॉर्डर पर एक युवक की लाश मिली है. इससे सनसनी फैल गई है. पुलिस जांच में जुटी है.

बेटी का बर्थ डे मनाकर घर से निकले युवक की मिली लाश

गिरिडीहः अपनी बेटी का बर्थडे मनाने के बाद घर से निकले युवक की लाश मिली है, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. युवक की लाश जमुआ- देवघर मुख्य मार्ग पर देवरी थाना क्षेत्र के पथराटांड के पास सड़क के किनारे मिली है. शव से महज ढाई मीटर की दूरी पर उसकी बाइक भी पड़ी हुई मिली है. मृतक युवक की पहचान बिहार के चकाई थाना क्षेत्र के घुटिया गांव निवासी कारू राम के 21वर्षीय पुत्र अजय कुमार के रूप में हुई है.

मंगलवार की सुबह शव पर लोगों की नजर पड़ी जिसके बाद पुलिस और परिजनों को खबर दी गई. घटना की सूचना पर देवरी थाना के सब इंस्पेक्टर उपेंद्र यादव मौके पर पहुंचे और लाश को कब्जे में लेकर छानबीन शुरू की. घटनास्थल पर मौजूद मृतक के परिजनों का कहना है कि सोमवार की रात को अजय अपनी पुत्री का बर्थडे मना रहा था. बर्थडे मनाने के बाद देर रात को अजय घर से यह कह कर निकला कि वह मकडीहा जा रहा है.

मंगलवार की सुबह उन्हें यह जानकारी मिली कि अजय की लाश सड़क के किनारे पड़ी हुई है. इधर अजय की मौत को लेकर सस्पेंस बरकरार है. कुछ लोग इसे दुर्घटना बता रहे हैं तो कुछ लोग हत्या की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. देवरी थाना के सब इंस्पेक्टर उपेंद्र यादव का कहना है कि अभी लाश को कब्जे में लिया गया है, शब का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा उसके बाद ही या साफ होगा कि अजय की मौत कैसे हुई है.

सरायकेला: खरकाई नदी से सटे जंगल में एक युवती की हत्या में शामिल लोगों की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा नेता ने दिया धरना


सरायकेला जिले के आरआईटी थाना अंतर्गत मीरूडीह सीतारामपुर की रहने वाली आदिवासी युवती संजना हांसदा की गत बुधवार की रात सरायकेला थाना अंतर्गत राजननगर मार्ग पर स्थित राधा स्वामी सत्संग के पीछे खरकाई नदी से सटे जंगल में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

 चार दिनों बाद परिजनों ने शव की पहचान की. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. मगर परिजन इससे संतुष्ट नहीं है. परिजनों का आरोप है कि युवती की हत्या में और लोग शामिल हैं जिन्हें पुलिस बचा रही है.

मंगलवार को भाजपा नेता रमेश हांसदा के नेतृत्व में सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. आक्रोशित लोगों ने सरायकेला- टाटा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. 

समाचार भेजे जाने तक धरना- प्रदर्शन जारी था. भाजपा नेता रमेश हांसदा ने बताया कि जब तक पीड़िता को इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि घटना स्थल से पुलिस ने जो सामान जब्त किया है उसके अनुसार घटना में एक से अधिक लोगों के होने की संभावना जताई जा रही है.

निष्पक्ष जांच को लेकर सरायकेला- टाटा मार्ग किया जाम

बुधवार की रात सरायकेला थाना अंतर्गत राजननगर मार्ग पर स्थित राधा स्वामी सत्संग के पीछे खरकाई नदी से सटे जंगलों में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. चार दिनों बाद परिजनों ने शव की पहचान की उसके बाद पुलिस हरकत में आई और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन परिजन इससे संतुष्ट नहीं है.

 परिजनों का यह है आरोप

परिजनों का आरोप है कि युवती की हत्या में और लोग भी शामिल हैं, जिन्हें पुलिस बचा रही है. जिसको विरोध में आज बीजेपी नेता रमेश हांसदा के नेतृत्व में सैकड़ो लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. आक्रोशित लोगों ने सरायकेला- टाटा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया है.

झारखंड की ट्रेजरी से निकाले गए 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिलने का मामला गरमाया, बाबूलाल मरांडी ने कहां सरकार इसका हिसाब दे

झारखण्ड डेस्क 

रांची, झारखंड की ट्रेजरी से निकाले गए 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ट्रेजरी से 2,812 करोड़ गायब होने को लेकर भाजपा नेता और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि 2800 करोड़ से ज्यादा रुपये कहां गायब हो गए, यह सरकार को बताना चाहिए। ऐसी लापरवाही नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि शायद इन लोगों ने अपनी तिजोरी भर ली है, कहां क्या किया है यह जांच का विषय है। सरकार को जनता को बताना चाहिए पैसा कहां गया है। पैसा जनता का होता है, यह जनता का पैसा है। अगर पैसा इधर से उधर होता है, गायब होता है, उसका हिसाब नहीं मिलता है तो उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार को बताना चाहिए कि पैसा कहां गया?

बता दें कि इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर कहा, झारखंड सरकार के खजाने से 2,812 करोड़ रुपये के गबन का गंभीर मामला सामने आया है। यह राशि पिछले कई सालों में एसी-डीसी बिल के तहत एडवांस के रूप में निकाली गई, लेकिन अब तक इसका कोई हिसाब नहीं दिया गया। महालेखाकार (सीएडी) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 4,937 करोड़ रुपये के डीसी बिल लंबित हैं, जिनमें से सिर्फ 1,698 करोड़ रुपये का समायोजन हुआ है।

उन्होंने आगे कहा, रिपोर्ट के अनुसार, विशेष रूप से ग्रामीण विकास विभाग से 411 करोड़ रुपये अन्य विभागों ने निकाले, जिसका कोई हिसाब नहीं। नियमों के अनुसार, एडवांस में निकाली गई राशि का उपयोग और हिसाब एक महीने के भीतर देना अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकार के कई विभाग इस प्रक्रिया को सालों से नजरअंदाज कर रहे हैं। मार्च 2023 में गठित उच्चस्तरीय समिति ने इस मुद्दे की समीक्षा की थी, लेकिन इसके बाद भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। गबन का यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि वित्तीय पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठाता है।

नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकराई, मची अफरातफरी



झारखण्ड डेस्क 

गढ़वा। बड़ी खबर झारखंड के गढ़वा जिले से आई है, झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकरा गया। इसमें 3 गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद अफरातफरी मच गयी।

दुर्घटना भवनाथपुर-श्री बंशीधरनगर मुख्य पथ पर वन डिपो के पास हुई। विधायक अनंत प्रताप देव एक दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा-पाठ करने के लिए केतार मंदिर जा रहे थे। गनीमत यह रही कि दुर्घटना में किसी को चोट नहीं आई

साहिबगंज तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक को गोली मार कर कर दी हत्या


झारखण्ड डेस्क 

बड़ी खबर झारखंड के साहिबगंज से आई है, जहां तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक शालिग्राम मंडल को गोली मार दी। घायल शालिग्राम को आनन-फानन में राजमहल अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजमहल मेन रोड के लालवन बाइपास के पास सोमवार को नकाबपोश अपराधियों ने लगभग 10:45 बजे मंडल कोच बस और गंगोत्री फिलिंग स्टेशन बभनगामा के मालिक शालिग्राम मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी।

राजमहल थाना क्षेत्र दलाही गांव निवासी शालिग्राम मंडल रोज की तरह तीनपहाड़ अस्थायी बस स्टैंड गए। उसके बाद अपने गंगोत्री फिलिग स्टेशन बभनगामा से लाखों रुपए नगद लेकर भारतीय स्टेट बैंक पररिया के लिये निकल गए। जैसे ही वह लालवन बाईपास पार किये, दो नकाबपोश अपराधियों ने उनको साइड से सटा कर गोली मार दी, जिससे वह वहीं गिर गए।

गोली लगने के बाद शालिग्राम मंडल के आसपास लोग जमा हो गए। कुछ देर बाद तीनपहाड़ थाना का गश्ती दल भी पहुंच गया। घायल शालिग्राम मंडल को उठा कर इलाज के लिये अनुमंडल अस्पताल राजमहल ले जाया गया। जहां इलाज कर रहे चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

घटना के बाद बरहरवा एसडीपीओ नितिन खण्डेलवाल, तीनपहाड़ थाना प्रभारी मो. शाहरुख, राधानगर थाना प्रभारी नितेश पांडे, तालझारी थाना प्रभारी अमर कुमार मिंज, राजमहल थाना प्रभारी गुलाम सरवर पुलिस बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और मामले की जांच की आसपास के लोगों से पूछताछ की।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा


झारखण्ड डेस्क 

झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है.

नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया।

झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे।

चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण

कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा।

कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी

चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी।

क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब 

राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं।

ये 1840 में ले जाये गए असम

1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए।

अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा

* झारखण्ड डेस्क झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है. नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया। झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे। *चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण* कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा। *कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी* चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी। *क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब* राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं। *ये 1840 में ले जाये गए असम* 1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए। अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।
प्रो.डॉ.दीपक कुमार सेन को मिला उत्कृष्ट बासभूमि पुरस्कार

धनबाद : मुर्शिदाबाद जिला के बहरामपुर,रबिंद्र भवन में बासभूमि पत्रिका द्वाराआयोजित कार्यक्रम में प्रो. डॉ.डी. के .सेन संपादक शिल्पीअनन्या को उत्कृष्ट बंगला पत्रिका के लिए प्रतिष्ठित बासभूमि पुरस्कार दिया गया।

बांसभूमि पत्रिका के संपादक अरूप चंद्र प्रख्यात इतिहासकार शोधकर्ता लेखक और कवि है।बाश भूमि पत्रिका 45 वर्ष से प्रकाशित हो रहा है।उनके द्वारा पिछले 16 वर्ष से पूरे देश से बंगला भाषा में उत्क्रिस्ट कार्य के लिए लेखक,कवि, शोधकर्ता चित्रकार और उत्कृष्ट पत्रिका के संपादक को चुना जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है।

यह हर्ष और खुशी की बात है कि इस बार झारखंड धनबाद से प्रकाशित होने वाला त्रैमासिक बंगला पत्रिका शिल्पे अनन्या के संपादक को दिया गया ।इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के लेखक और कवियों को भी सम्मानित किया गया।इस अवसर पर उपस्थित डॉ.काशी नाथ चटर्जी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारत ज्ञान विज्ञान समिति सह परामर्शी शिल्पे अनन्या को अरूप चंद्र के लिखित पुस्तक देकर सम्मानित किया गया।

लातेहार में कोयला साइडिंग के पास अपराधियों का तांडव, कोयला लदे दो वाहनों को किया आग के हवाले


लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र में स्थित कुसमाही रेलवे कोल साइडिंग के पास कल रविवार की रात अपराधियों ने खूब उत्पात मचाया।

इस दौरान अपराधियों ने दो कोयला लदे वाहनों को आग के हवाले कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही बालूमाथ पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई है।

फायरिंग कर ड्राइवर को रोका

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, अपराधी बालूमाथ थाना क्षेत्र के मकईयाटांड़ पहुंचे और वहां दो कोयला लदे वाहनों को रोका।

उन्होंने पहले एक वाहन को आग के हवाले कर दिया। जब दूसरे वाहन का ड्राइवर भागने की कोशिश करने लगा, तो अपराधियों ने फायरिंग कर उसे रोक लिया.इसके बाद ड्राइवर को वाहन से उतारकर दूसरे वाहन में भी आग लगा दी।

पीड़ित ड्राइवर साबिर अंसारी ने बताया कि वह तुबेद से कोयला लेकर कुसमाही साइडिंग आ रहा था। रास्ते में चार अपराधियों ने उसकी गाड़ी को रोका।

उन्होंने पहले उसका मोबाइल छीन लिया और फिर पेट्रोल डालकर वाहन में आग लगा दी। अपराधियों ने साबिर को मौके से भागने को कहा। जाते-जाते अपराधी एक पर्चा भी फेंक गए।

इस घटना के बाद से इलाके के लोगों में भय का माहौल है। मुख्य सड़क के किनारे हुई इस वारदात ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जो फहीम खान के साथ रहेगा, उसे ठोकेंगे; धनबाद में नसीम पर फायरिंग के बाद प्रिंस का ऑडियो वायरल


धनबाद : गैग्स ऑफ वासेपुर के गैंगस्टर फहीम खान के भाई नसीम खान उर्फ सानो को रविवार की शाम भूली मोड़ ऑटो स्टैंड के पास बाइक सवार दो हमलावरों ने गोली मारने का प्रयास किया। गोली पिस्टल में फंस गई और नसीम बाल-बाल बच गए।

मिस फायर होने के बाद बाइक से दोनों हमलावर दो राउंड फायरिंग करते हुए वासेपुर की तरफ भाग गए।

प्रिंस खान ने लिया गोलीकांड का जिम्मा

गोली चलाने का आरोप वासेपुर के कुख्यात प्रिंस खान के गुर्गों पर लगा है। प्रिंस ने दुबई से ऑडियो जारी करते हुए गोलीकांड का जिम्मा लिया है। बैंक मोड़ व भूली पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले की छानबीन की। नसीम ने पुलिस को बताया कि रविवार की शाम हर दिन की तरह वह भूली मोड़ ऑटो स्टैंड पर बैठे थे। वह वासेपुर कमर मखदुमी रोड स्थित अपने घर की तरफ जाने के लिए बाइक से निकले ही थे कि दो बाइक सवारों ने उन पर पीछे से गोली चलाने की कोशिश की।

सारिक चला रहा था बाइक, शाहिद ने सटा कर चलाई गोली

नसीम ने बताया कि वह बाइक से धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जा रहे थे। रास्ते में अब्दुल हक कॉम्पलेक्स के पास काली रंग की बाइक पर सवार होकर आए हमलावरों ने उन्हें गोली मारने की कोशिश की। उन्हें कुछ आभास हुआ। वह पीछे मुड़े तो देखा कि भूली ट्रेनिंग स्कूल जामिया नगर निवासी सारिक बाइक चला रहा था। पीछे वासेपुर नीचे मुहल्ला निवासी शाहिद रजा हाथ में पिस्टल लिए हुए बैठा था। शाहिद ने जान मारने की नीयत से मुझ पर गोली चलाई, लेकिन मिस फायर हो गया। वह बाइक से उतरे और दोनों पर पत्थर फेंकते हुए शोर मचाने लगे। भागते-भागते दोनों ने दो राउंड फायरिंग की। शाहिद और सारिक अभी हाल ही में जेल से बाहर आए हैं।

पुलिस कर रही सीसीटीवी फुटेज की जांच

घटना की जानकारी पाकर डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर नौशाद आलम, बैंक मोड़ थाना प्रभारी लव कुमार, भूली ओपी प्रभारी अभिनव कुमार मौके पर पहुंचे। पुलिस नसीम को साथ लेकर थाना आई। पूछताछ के बाद उन्हें वापस घर छोड़ दिया। पुलिस घटना के सत्यापन में जुटी है।

इकबाल हमलाकांड में गवाही नहीं देने की मिल रही थी धमकी

नसीम खान ने पुलिस को बताया कि नन्हे हत्याकांड और भतीजा यानी फहीम के पुत्र इकबाल खान पर हुई फायरिंग मामले में वह मुख्य गवाह हैं। उन्हें कोर्ट में गवाही देने से रोका जा रहा था। जब वे नहीं माने तो उनकी हत्या की साजिश रची गई। नसीम का आरोप है कि प्रिंस खान, उसके भाई बंटी खान, गोडविन खान और गोपी खान तथा नीचे मुहल्ला में रहने वाला अफरीदी रजा के कहने पर उन पर हमला किया गया ताकि मैं कोर्ट में गवाही न दे सकूं। आरोपियों पर बैंक मोड़ थाना में केस कर लिया गया है।

फहीम को ठेकेदारों से कराता था बात, इसलिए मारी गोली...

हमले के बाद वायरल ऑडियो में प्रिंस खान कह रहा है कि वह दुबई से बोल रहा है। फहीम के भाई पर जो गोली चली है, उसकी जिम्मेवारी हम लेते हैं। नसीम बार-बार फहीम को जेल से अस्पताल जाने पर फोन से ठेकेदारों को धमकी दिलवाता है। जो ठेकेदार फहीम को पैसा देगा, उसको मार देंगे। आज ट्रैक्टर आ गया, इसलिए बच गया। दोबारा नहीं बचेगा। फहीम का पूरा नस्ल खत्म कर देंगे। प्रिंस अपने मामा फहीम और नसीम खान को इससे पहले भी धमकी दे चुका है। वह ऑडियो व वीडियो वायरल कर इकबाल को भी धमकियां देते रहता है।

फायरिंग में जेल जा चुके हैं सारिक, अफरीदी व शाहिद

प्रिंस खान के इशारे पर गोली चलाने आधा दर्जन मामलों में सारिक, शाहिद और अफरीदी आरोपी रहे हैं। कार सेंटर के मालिक पर फायरिंग में सारिक ने ही हथियार छोटू को दिया था। प्रिंस खान के लिए शूटरों को हथियार और रुपए पहुंचने में भी उसका नाम सामने आता रहा हैं। वहीं अफरीदी और सारिक ने मिल कर मटकुरिया के मार्डन टायर शोरूम पर भी हमला किया था। अप्सरा ड्रेसेज के मालिक के घर और लाला हत्याकांड के आरोपी डबलू अंसारी पर गोलीबारी में भी दोनों के नाम सामने आए थे। हाउसिंग कॉलोनी के आरईओ ठेकेदार रामनरेश सिंह के घर पर फायरिंग में सारिक और अफरीदी रजा जेल जा चुके हैं। वहीं शाहिद रजा पप्पू मंडल के घर के बाहर फायरिंग में जेल गया था।