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गिरिडीह सीट (4th Round)
गिरिडीह सीट से बीजेपी के निर्भय शाहाबादी जेएमएम के सुदिव्य कुमार से 6050 वोटों से आगे।
#निर्भय शाहाबादी, बीजेपी - 19473
#सुदिव्य कुमार, जेएमएम - 13423
जानिये गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा के मतगणना के 2nd राउंड का परिणाम
गांडेय विधान सभा
मतगणना रिपोर्ट 2st राउंड
गांडेय विधान सभा
मतगणना रिपोर्ट 2st राउंड
गांडेय विधान सभा
अपने आकर्षक सजावट के लिए जाने जाने वाली राजधनवार का राजा छठ घाट इस बार भी चर्चा में, घाट पर पहुंची वंदे भारत सुपर एक्सप्रेस!
गिरिडीह : अपने आकर्षक सजावट के लिए जाने जाने वाली राजधनवार का राजा छठ घाट इस बार भी चर्चा में है. इस बार यहां काफी आकर्षक तरीके से सजावट की गई है.
घाट पर ही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का स्टॉपेज करवा दिया गया है. इस वातानुकूलित ट्रेन में भक्त चल रहे हैं और सूर्य देव की आराधना करने पहुंच रहे हैं.
दरअसल राजा घाट में लगभग 60 लाख रुपए के लागत से वंदे भारत ट्रेननुमा स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है. इस निर्माण कार्य में 100 से अधिक कारीगर लगे हैं. पश्चिम बंगाल से आए कारीगरों ने न सिर्फ घाट पर वंदे भारत ट्रेन बनाया है बल्कि काल्पनिक सूर्य मंदिर बनाया गया है. वहीं आकर्षक गेट बनाया गया है तो लंका दहन का भी चित्रण किया गया है।
यहां सजावट समेत मेला की व्यवस्था में अहम योगदान देने वाले अनूप सोंथालिया, अध्यक्ष जय प्रकाश गुप्ता, पत्रकार अरविन्द कुमार समेत अन्य ने बताया कि तीन दशक से अधिक समय से यहां पर आकर्षक तरीके से सजावट की जाती है. अनूप ने बताया कि यहां तीन दिनों का मेला लगता है जिसमें हर रोज हजारों की भीड़ उमड़ती है.
धनवार के राजा घाट की सजावट
सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
वहीं यहां पर सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के साथ एसपी बिमल कुमार भी लगातार यहां की व्यवस्था की जानकारी लेते रहे. धनवार थाना प्रभारी सतेंद्र कुमार पाल ने बताया कि सुरक्षा का इंतजाम पूर्व की तरह से इस बार भी की गई है. यहां सादे लिबास में भी जवानों को तैनात किया गया है. कहा कि मेला में शरारती तत्व पर पैनी नजर रहेगी।
गिरिडीह के प्रवासी मजदूर की ग्वालियर में बिजली करेंट लगने से हुई मौत
गिरिडीह। झारखंड के प्रवासी मजदूरों की मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। इस क्रम में गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत लुतियानो के मजदूर की ग्वालियर में मंगलवार को करंट लगने से मौत हो गयी। मौत के बाद परिजनों ने उनके अंतिम दर्शन के लिए सरकार से गुहार लगाई है।
सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत निवासी सुखदेव के 20 वर्षीय पुत्र अर्जुन कुमार की ग्वालियर में आकस्मिक मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव वाले भी शोक में हैं। मृतक अर्जुन कुमार टाइल्स मार्बल का काम करता था।
इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकंदर अली ने संवेदना प्रकट की है। उन्होंने सरकार से ग्वालियर से शव लाने की अपील की। कहा कि झारखंड के नौजवानों की मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई लोगों की मौत हो चुकी है।
आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति
नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।
एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।
इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।
सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।
पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य
पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।
इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया।
इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।
नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है।
डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।
निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं।
अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी।
एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।
निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।
डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।
भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते
भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:
वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।
3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।
4. भारत रत्न सम्मान:
अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।
5. कवि और लेखक:
अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।
6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:
वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।
7. स्वास्थ्य और निधन:
अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।
Nov 23 2024, 11:11