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खजनी में कंम्पयूटर सेंटर का ताला तोड़ कर लाखों की चोरी

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र के डोंड़ों सतुआभार चौराहे पर बीती रात अज्ञात चोरों ने कम्प्यूटर जनसेवा केंद्र की दुकान का ताला तोड़कर कम्प्यूटर, लैपटॉप, इन्वर्टर और बैटरी आदि समेत लाखों रुपए के कीमती सामान उठा ले गए।सबेरे अपनी दुकान पर पहुंचे छोटेलाल पासवान पुत्र नंगई पासवान को घटना की जानकारी हुई। घटना की सूचना 112 पुलिस को दिए जाने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना की छानबीन शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में आए दिन चोरी की घटनाएं हो रही हैं, ठंड ने दस्तक दे दी है ऐसे में रात में गहरी नींद में सो रहे लोगों के लिए चोरी की घटनाओं से बचने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। वहीं पीड़ित छोटेलाल में बताया कि मित्रों और सहयोगियों से कर्ज़ लेकर मंहगे कम्प्यूटर लैपटॉप खरीद कर डोंड़ों चौराहे पर सुयश कंम्पयूटर सेंटर के नाम से जनसेवा केंद्र और दुकान खोली थी चोर सब कुछ उठा ले गए और अब मेरे लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बताया कि केस दर्ज कर लिया गया है जल्दी ही खुलासा कर लिया जाएगा।

पुरुष नसबंदी पखवाड़ा शुरू, 28 नवम्बर से होगा सेवा प्रदायगी चरण का आगाज

गोरखपुर ।में पुरुष नसबंदी पखवाड़े का गुरुवार से आगाज हो गया और यह चार दिसम्बर तक चलेगा। इसका मोबिलाईजेशन चरण 27 नवम्बर तक चलाया जाएगा और इस दौरान योग्य दंपति को परिवार नियोजन के सभी साधनों की जानकारी देकर इच्छुक पुरुष को नसबंदी के लिए तैयार किया जाएगा। इसके बाद 28 नवम्बर से सेवा प्रदायगी चरण शुरू होगा, जिसमें अभियान चला कर पुरुष नसबंदी की सुविधा प्रदान की जाएगी। प्रथम चरण में ’’आज ही शुरूआत करें, पति-पत्नी मिल कर परिवार नियोजन की बात करें ’’ जैसे स्लोगन की मदद से लोगों को परिवार नियोजन की महत्ता समझाई जा रही है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी ने बताया कि सारथी वाहन, सास बहू बेटा सम्मेलन और घर घर सम्पर्क कर मोबिलाईजेशन चरण के दौरान दंपति को परिवार नियोजन की महत्ता बताई जाएगी। खासतौर से पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तार से जानकारी देने का निर्देश है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा दंपति को संदेश दिया जा रहा है कि पुरुष नसबंदी एक स्थायी गर्भनिरोधक साधन है। यह बिना चीरा और टांके के होने वाली दस मिनट की सरल प्रक्रिया है। इसे करवाने के आधे घंटे बाद व्यक्ति घर जा सकता है। पुरुष नसबंदी आसान और सुरक्षित है और इसे करवाने के बाद सब कुछ पहले जैसा ही हो जाता है।

डॉ चौधरी ने बताया कि वर्ष 2020 से 2023 तक पखवाड़े के दौरान 50 पुरुषों ने नसबंदी को अपनाया। इस दौरान ढेर सारे पुरुषों ने परिवार नियोजन के लिए कंडोम का विकल्प चुना और करीब साढ़े बारह लाख कंडोम सरकारी खर्चे पर वितरित किये गये। परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसे सुनिश्चित करवाने के लिए ही यह पखवाड़ा मनाया जाता है। इस बार भी ‘’स्वस्थ मां स्वस्थ बच्चा, जब पति का हो परिवार नियोजन में योगदान अच्छा’’ और ‘’पति होने का फर्ज निभाऊंगा, स्वस्थ, सुखी परिवार के लिए परिवार नियोजन की जिम्मेदारी मैं भी उठाऊंगा’’ जैसे स्लोगन्स के जरिये पुरुषों की भागीदारी की महत्ता समझाई जा रही है। नसबंदी की सुविधा प्राप्त करने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सम्पर्क कर सकते है।

मिलती है प्रोत्साहन राशि

एसीएमओ आरसीएच डॉ चौधरी ने बताया कि नसबंदी करवाने वाले पुरुषों को तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दी जाती है। साथ ही उन्हें कुछ सावधानियों के बारे में भी बताया जाता है। जैसे पुरुष नसबंदी के बाद भी कंडोम का इस्तेमाल तब तक करना है, जब तक कि जांच द्वारा स्पष्ट न हो जाए कि पहले के शुक्राणु समाप्त हो गये हैं। नसबंदी के तीन माह बाद सरकारी अस्पताल से शुक्राणु जांच करवाने के बाद इसका प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।

गीता वाटिका के सौजन्य से निशुल्क कैंसर जांच शिविर का हुआ आयोजन

गोरखपुर। भारत के सुदूर ग्रामीण इलाको में आम लोगों को अपने को कैंसर के चिकित्सक को दिखाना बहुत मुश्किल होता है। हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर, का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रभावी कैंसर निदान और उपचार सेवाएं सभी के लिए सुलभ हों। इसमें न केवल उन्नत कैंसर केंद्रों की स्थापना शामिल है, बल्कि इन सुविधाओं की पहुंच वंचित क्षेत्रों तक बढ़ाने के लिए एक ठोस प्रयास भी शामिल है। 

इन्हीं मुश्किलों को दूर करने के लिए उपरोक्त अस्पताल द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी- बस्ती के सहयोग से मुख्य सड़क से काफी दूर *प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चिलवनिया, बस्ती के प्रांगण में नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में दिखाने आए 93 मरीजों की कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं की जांच की। सहायक चिकित्सक डॉ. राकेश श्रीवास्तव की मदद से उनमें कैंसर संबंधित लक्षण की जांच कर उचित परामर्श देकर उन्हें निशुल्क दवाई भी दी। कैंसर के प्रकार एवं उनके लक्षण के दुर्दांत रोग कैंसर के विषय में मरीजों एवं उनके परिजनों को प्रशिक्षण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी गई।  

कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं और आए सभी लोगों को बुलाकर कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इन्हें बताया गया कि लगातार खांसी में खून आना, आंत्र की आदतों में बदलाव, मल में खून आना, अस्पष्टीकृत एनीमिया (कम रक्त गणना), स्तन में गांठ या स्तन से स्राव, अंडकोष में गांठें पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून आना, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक गला बैठना, लगातार गांठें या सूजी हुई ग्रंथियां, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक मस्से या तिल में स्पष्ट परिवर्तन, बड़े तिल या बहुरंगी तिल जिनके किनारे अनियमित हों या जिनमें खून बह रहा हो, अपच या निगलने में कठिनाई, असामान्य योनि से रक्तस्राव या स्राव, अप्रत्याशित वजन घटना, रात को पसीना आना, या बुखार, मुंह में ठीक न होने वाले घाव या मसूड़ों, जीभ, या टॉन्सिल पर लगातार सफेद या लाल धब्बे, गंभीर असहनीय सिरदर्द जो सामान्य से अलग महसूस हो, अधिक समय तक पीठ दर्द, पेल्विक दर्द, सूजन, या अपच कैंसर का संकेत हो सकता है । 

स्तन कैंसर बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी के साथ-साथ सामर्थ्य की कमी और शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण अभी भी 50% से 70% मरीज उन्नत चरण में मौजूद हैं। भारत में मौखिक कैंसर की उच्च घटना पान (तंबाकू के साथ या बिना) चबाने, धूम्रपान और शराब के उच्च प्रसार के कारण है। ग्रामीण भारत में कैंसर के इस उच्च प्रसार का कारण लोगों में जागरूकता की कमी, स्वयं की उपेक्षा और देर से प्रस्तुति, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं की जागरूकता की कमी और प्रारंभिक निदान के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, वैकल्पिक प्रणालियों और नीम-हकीमों का प्रचलन है। ग्रामीण क्षेत्रों में, कई लोग कैंसर को संक्रामक संक्रामक रोग मानते हैं और इसे परिवार के लिए वर्जित मानते हैं जिससे अलगाव होता है।

 कैंसर केंद्र से निवास की दूरी भी कैंसर रोगियों में देर से प्रस्तुति और खराब जीवित रहने के लिए जिम्मेदार है। ग्रामीण इलाकों में युवाओं के बीच तंबाकू की लत आग में घी डालने का काम करती है, जो भारतीय आबादी में मौखिक घातकता के प्रमुख कारण के लिए जिम्मेदार है। इसलिए धूम्रपान, तम्बाकू और शराब का सेवन कतई नहीं करना चाहिए। कैंसर होने के थोड़े से भी शक होने पर तुरंत कैंसर के चिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए ताकि पता लगकर अगर कैंसर हो तो उसका तुरंत एवं उचित इलाज हो सके।सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका आदि वितरित किया गया ताकि वे लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।

शिविर में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अजीत कुमार कुशवाहा, अजय श्रीवास्तव, अश्विनी मिश्रा, सत्यवती तिवारी, नारद मुनि, कोतवाल, सुनील मिश्रा, रामसूरत सिंह, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य विशेष उल्लेखनीय योगदान रहा।

शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की कविताओं को प्रकाशित करेगा अंग्रेजी विभाग

गोरखपुर। शब्द एंड स्टैंजा कविता संग्रह में होंगी हिंदी एवं अंग्रेजी में कविताएँ अध्यक्ष के साथ शोधार्थियों की बैठक में जमा की गई प्रविष्टियां

अंग्रेजी विभाग ने एक नई और अनूठी पहल करते हुए विभाग के शोधार्थियों और स्नातकोत्तर छात्रों की काव्यात्मक रचनाओं पर आधारित पुस्तक शब्द एंड स्टैंजा: वॉइसेज आॅफ बडिंग पोएट्स फ्रॉम द इंग्लिश डिपार्टमेंट के प्रकाशन का निर्णय लिया है। यह पुस्तक छात्रों द्वारा रचित कविताओं का एक संकलन है, जिसमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कविताएं शामिल होंगी।

विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि इस पुस्तक का उद्देश्य छात्रों की छिपी हुई साहित्यिक प्रतिभा को उजागर करना है। अब तक 25 से अधिक छात्रों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की हैं, जो सामाजिक मुद्दों और विविध विषयों पर आधारित हैं। इन रचनाओं की गुणवत्ता को सराहा गया है।

प्रो. शुक्ला ने कहा, यह पुस्तक छात्रों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय मंच प्रदान करेगी और उनकी काव्य प्रतिभा को एक नई पहचान देगी। इसे जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा और विश्वविद्यालय की कुलपति के कर-कमलों द्वारा विमोचित किया जाएगा। उन्होंने बताया की अभी तक चालीस कविताएँ प्राप्त हो चुकी हैं ।

कुलपति प्रो पूनम टंडन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक न केवल छात्रों की सृजनशीलता को प्रोत्साहित करेगी बल्कि उनके भीतर साहित्यिक अभिव्यक्ति के प्रति आत्मविश्वास भी बढ़ाएगी। ऐसे प्रयास छात्रों के सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर साबित होते हैं।

प्रो शुक्ला नें बताया कि यह पहल न केवल उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहन देगी बल्कि साहित्य के क्षेत्र में विभाग की अग्रणी भूमिका को भी रेखांकित करेगी।

गौरतलब है कि अंग्रेजी विभाग हर महीने अपनी पत्रिका साहित्य विमर्श का भी प्रकाशन करता है, जिसमें छात्रों की रचनात्मक अभिव्यक्तियां प्रकाशित होती हैं। बैठक में श्रेया पांडे, नितेश सिंह, अंकित पाठक, आयुषी कुशवाहा, हर्षिता, रोहिणी सिंह, ऋचा पल्लवी, सौरभ, जगदंबा, नंदिनी, अंबिका, स्मृति, सुरभि, अंजलि, राजेश आदि उपस्थित रहे।

108 सामूहिक विवाह कार्यक्रम स्थल का अधिकारियों ने लिया जायजा

गोरखपुर। गोला क्षेत्र के मां समय डरारी मंदिर पर आयोजित पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व भारत सरकार के पूर्व रक्षा मंत्री स्व मुलायम सिंह यादव के जन्म दिन पर आयोजित 108 कन्याओं का सामूहिक विवाह का आयोजन के तहत 108 जोड़े विवाह बंधन में बंधेंगे। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। फिजिकल ग्राउंड परिसर में 22 नवंबर यानी शुक्रवार को सामूहिक विवाह समारोह होगा। कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक स्तर से सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।

 एसडीएम गोला राजू कुमार और थानाध्यक्ष गोला वेद प्रकाश शर्मा ने फिजिकल ग्राउंड पहुंचकर कार्यक्रम की व्यवस्थाओं, साज सज्जा और साफ-सफाई का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान एसडीएम गोला ने कहा कि कार्यक्रम में खाने की गुणवत्ता और साफ - सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। कार्यक्रम के दौरान भोजन समय से प्रारंभ कराया जाए। पीने के पानी के टैंकर और वाहन खड़े कराने की समुचित व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। 

आयोजक दुर्गेश मदन यादव व दुर्गा प्रसाद यादव ने बताया कि 108 जोड़ों का विवाह उनके धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार क्षेत्र के सम्मानित लोगों की उपस्थिति में सम्पन्न कराया जाएगा।

अभाविप केंद्रीय कार्यसमिति बैठक हुई सम्पन्न, अधिवेशन को सकुशल सम्पन्न कराने पर की गई चर्चा

गोरखपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एक-दिवसीय केंद्रीय कार्यसमिति बैठक गोरखपुर में सम्पन्न हुई। बैठक की शुरुआत राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में माँ सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया, तत्पश्चात केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने सामूहिक वंदे मातरम गायन किया।

अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक कल बृहस्पतिवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित की जाएगी। अभाविप द्वारा महेश्वर से पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होलकर के त्रिशताब्दी वर्ष पर निकाली गई मानवंदना यात्रा प्रयागराज, अयोध्या से होते हुए अधिवेशन स्थल पर पहुंचेगी। यात्रा के माध्यम से लोकमाता द्वारा भारतीय सांस्कृतिक विशिष्टता के पुनरुत्थान हेतु किए गए प्रयासों को जनसामान्य तक पहुंचाया जाएगा। कल राष्ट्रीय अधिवेशन के निमित्त प्रदर्शित किए जाने वाली प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया जाएगा।

इस एकदिवसीय केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक में शिक्षा, समाज से जुड़े विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। साथ ही अभाविप के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रस्तुत किए जाने वाले कुल पांच प्रस्तावों पर विमर्श हुआ। शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता व शुल्क वृद्धि, मिलावटी खाद्य पदार्थों की समस्या, अन्तरराष्ट्रीय मंच पर भारत का बढ़ता प्रभाव, मणिपुर हिंसा जैसे विषयों पर कुल पांच प्रस्तावों पर इस केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक में संवाद हुआ। ये पांच प्रस्ताव 22-24 नवंबर के मध्य राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित किए जाएंगे।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही ने कहा कि गोरखपुर शौर्य की भूमि है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गोरखपुर के शूरवीरों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गोरखपुर का राजनैतिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। नाथ पंथ का देश में सामाजिक समरसता के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था को सस्ती व सुलभ बनाने के लिए प्रभावी प्रयास की आवश्यकता है। शिक्षा को सर्वसमावेशी व सुलभ होगी तो देश का सामान्य से सामान्य विद्यार्थी बेहतर कर सकेगा। अभाविप की यह केंद्रीय कार्यसमिति बैठक सकारात्मक बदलाव को दिशा दिखाने वाली है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता देश के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु कार्य कर रहे हैं। देश की युवा शक्ति आशाओं से युक्त है, यह युवा शक्ति भारत में सकारात्मक बदलाव की वाहक बनेगी। मणिपुर राज्य में शांति व्यवस्था बहाल करने हेतु केंद्र एवं राज्य सरकार को संयुक्त रूप से शीघ्रता से प्रयास करने होंगे। गोरखपुर वैचारिक केन्द्र के रूप में अनेक अवसरों पर देश का मार्ग प्रशस्त करने वाला रहा है, विद्यार्थी परिषद का गोरखपुर राष्ट्रीय अधिवेशन देश के विद्यार्थियों के नेतृत्व में भारत केन्द्रित वैचारिकी द्वारा बदलाव का वाहक बनेगा।

विश्व COPD दिवस पर जागरूकता अभियान: पर्यावरण प्रदूषण और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर की गई चर्चा

गोरखपुर। विश्व COPD दिवस के अवसर पर पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के ओपीडी लाउंज में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मरीजों और उनके परिजनों को क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), इसके कारणों, लक्षणों और भारत में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के खतरों के बारे में जानकारी दी गई।

COPD क्या है?

COPD फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है जो सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसके मुख्य कारण बताए:

धूम्रपान: सक्रिय धूम्रपान के साथ-साथ परोक्ष धूम्रपान भी फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक है।

घरेलू धुएं का संपर्क: ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी, गोबर के उपले या कोयले के इस्तेमाल से खाना पकाने पर उत्पन्न धुआं, खासकर महिलाओं के लिए, खतरनाक साबित होता है।

पोस्ट-इंफेक्टिव COPD: टीबी जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारियों से उबरने के बाद भी कई लोगों को दीर्घकालिक सांस की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

लक्षणों को पहचानें

मरीजों को COPD के मुख्य लक्षणों के बारे में बताया गया:

लंबे समय से चल रही खांसी जो ठीक नहीं होती।

लगातार सांस फूलना, खासकर किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान।

छाती में भारीपन या जकड़न महसूस होना।

प्रमुख बिंदु

कार्यक्रम में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख, डॉ. सुबोध कुमार ने COPD के उपचार और इनहेलर के सही उपयोग के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि इनहेलर थेरेपी लक्षणों को नियंत्रित करने और फेफड़ों के कार्य को सुधारने में बेहद प्रभावी है।

डॉ. देवेश प्रताप सिंह (सहायक प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसिन) ने उपस्थित लोगों को COPD के लक्षणों की पहचान करने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी और सलाह दी कि किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉ. आनंद मोहन दीक्षित (प्रोफेसर, CMFM) ने जनता को पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण से बचने के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, मास्क पहनना, पेड़ लगाना और प्रदूषण के चरम समय में बाहर न जाना जैसे उपाय जरूरी हैं।

पर्यावरण प्रदूषण का फेफड़ों पर प्रभाव:

भारत में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित किया गया। प्रदूषण से होने वाले जोखिम जैसे COPD, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।

इस जागरूकता कार्यक्रम में निम्नलिखित डॉक्टर उपस्थित रहे:

डॉ. सुबोध कुमार (प्रोफेसर और प्रमुख, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)

डॉ. देवेश प्रताप सिंह (सहायक प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. अमन कुमार (सीनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)

डॉ. आदित्य नाग (सीनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. अभिषेक शर्मा (जूनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. दुर्गेश (जूनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. आनंद मोहन दीक्षित (प्रोफेसर, CMFM)

डॉ. शशांक शेखर (सहायक प्रोफेसर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), निदेशक की प्रशंसा कार्यक्रम की सराहना करते हुए डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स गोरखपुर, ने इस जागरूकता अभियान के लिए सभी डॉक्टरों को बधाई दी और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब सभागार में मीडिया कर्मियों के लिए लगाया गया निशुल्क नेत्र जांच शिविर

गोरखपुर। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में खबरों को लेकर पत्रकार बंधु तमाम तरह की खबरों के लिए दिन - रात लगे रहते हैं जिससे वह अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दे पाते हैं और उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता जाता है। पत्रकारों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के अध्यक्ष मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी और उपाध्यक्ष कुंदन उपाध्याय के सौजन्य से शास्त्री चौक स्थित गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के स्वर्गीय अरविंद शुक्ला सभागार में सेंटर फॉर साइट आंखों का अस्पताल मुगलहा चौराहा, मेडिकल कॉलेज रोड द्वारा नि:शुल्क नेत्र जांच, ब्लड प्रेशर और शुगर जांच शिविर का आयोजन किया गया।

प्रेस क्लब अध्यक्ष ने बताया कि आज लगभग 300 से ज्यादा पत्रकार बंधुओ की जांच हुई है। पत्रकार बंधुओ की सुविधा के लिए आगे भी इस तरह के आयोजन प्रेस क्लब के में आयोजित होगी। आपको बता दें की निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर में पत्रकार बंधुओ के परिवार जनों का भी जांच होगा। जिन लोगों को जांच करना हो वह प्रेस क्लब में जांच के दौरान प्राप्त हुए रजिस्ट्रेशन कार्ड को लेकर सेंटर फॉर साइट आंखों का अस्पताल मुगलहा चौराहा में जाकर परिवार के अन्य सदस्यों का जांच निशुल्क कर सकते हैं। इस दौरान काफी संख्या में मीडिया कर्मी मौजूद रहे।

विश्व सीओपीडी दिवस पर निकाली गई जागरूकता रैली

गोरखपुर। बुधवार को सीओपीडी दिवस के अवसर पर एक जन जागरूकता रैली चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर नदीम अर्शद के नेतृत्व में बेतियाहाता से निकाली गई। डॉक्टर नदीम अर्शद ने बताया कि "अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जाने" की थीम के साथ इस वर्ष सीओपीडी दिवस मनाया जा रहा है।

क्रोनिक आॅबसट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक काम और उपचार योग्य बीमारी है जो सांस फूलने लगातार बलगम और खांसी का कारण बनती है। दुनिया भर में इस समय सीओपीडी मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और आग आबादी में विशेष रूप से कम संसाधन वाले देशों में अत्यधिक प्रचलित है। यह अनुमान है कि हर साल दुनिया भर में 30 लाख लोग सीओपीडी के कारण भरते है। दुनिया में बढ़ती उम्र की आबादी और तंबाकू के धुएं जैसे जोखिम वाले कारकों के लगातार संपर्क में रहने के कारण यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

तंबाकू के धुएं और सॉस के जरिए शरीर में जाने वाले अगा जहरीले कणों और गैसों के संपर्क में आना सीओपीडी के लिए मुख्य जोखिम कारक है, हालाँकि हाल यो शोध से संकेत मिलता है कि सीओपीडी आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम कारकों के संयोजन से होता है जो जीवन भर घटित होते हैं, गर्भ में शुरू होते है एवं बचपन और किशोरावस्था के दौरान जारी रहते हैं। विश्व सीओपीडी दिवस एक वार्षिक वैश्विक पहल है जो क्रॉनिक आॅब्सट्रक्टिव। लंग डिजीज के लिए वैश्विक पहल (गोल्ड) द्वारा संचालित है एवं फोरम आॅफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज (एफआईआरएस) का सदस्य है। विश्व सीओपीडी दिवस का लक्ष्य दुनिया मर में सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढाना तथा इसके लिए नई जानकारी और नवीन चिकित्सीय रणनीति प्रस्तुत करना है।

23 वा विश्व सीओपीडी दिवस 20 नवंबर 2024 को मनाया गया। इस वर्ष के विषय का उद्देश्य फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने के महत्व को उजागर करना है, जिसे स्पाइरोमेट्री के नाम से भी जाना जाता है। यद्यपि स्पिरोमेट्री सीओपीडी के निदान के लिए एक आवश्यक उपकरण है, यह जीवन भर स्वास्थ्य का सूचक भी है। हमारे फेफड़े गर्भ से लेकर युवावस्था तक बढ़ते रहते हैं। इस पूरी अवधि के दौरान हम वायु प्रदूषण और श्वसन संक्रमण जैसे खतरों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो फेफड़ों के विकास में बाधा डाल सकते हैं और आगे चलकर जीवन में दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारी विकसित होने का जोखिम बढ़ा सकते हैं। दुर्भाग्यवश, लक्षण विकसित होने से पहले ही फेफड़ों की अधिकांश कार्यक्षमता नष्ट हो सकती है।

फेफड़ों की कार्यक्षमता न केवल फेफड़ों के स्वास्थ्य का, बल्कि हमारे समग्र स्वास्थ्य का भी सूचक है। फेफड़ों की कार्यक्षमता में मामूली कमी भी श्वसन और गैर श्वसन कारणों से मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ी है। स्पाइरोमेट्री द्वारा जीवन भर फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने से शीघ्र निदान और शीघ्र चिकित्सीय हस्तक्षेप के अवसर मिल सकते हैं।सीओपीडी के बोझ को कम करने और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में पहल की जा रही है, जिसमें धूम्रपान निषेध कार्यक्रम, इनडोर और आउटडोर वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई, साथ ही बचपन में होने वाले नुकसानदेह कारकों की जांच शामिल है। यद्यपि सीओपीडी के लिए कोई वर्तमान में इलाज नहीं है, लेकिन इसे रोकने और जीवन की गुणवता में सुधार लाने के लिए कार्रवाई कहीं भी, विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों द्वारा, अनेक प्रकार की परिस्थितियों में की जा सकती है। नियोक्ता सुरक्षित श्वास वातावरण के लिए प्रयास कर सकते हैं, नागरिक वायु स्वच्छता के अच्छे संरक्षक हो सकते हैं, और मरीज और परिवार दोनों ही अधिक शोध और देखभाल तक बेहतर पहुंच का समर्थन करने में मदद कर सकते हैं।

इसमें आवश्यक दवाएं, नियमित स्पिरोमेट्री जांच और दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों के लिए टेलीहेल्थ एक्सेस जैसे अन्य उपचार शामिल है। इसके अलावा, प्रदाता और नीति निमार्ता स्पाइरोमेट्री तक पहुंच में सुधार लाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं और जीवन के सभी चरणों में एक सामान्य स्वास्थ्य सूचक के रूप में इसके उपयोग का समर्थन कर सकते हैं। यह न केवल श्वसन रोगों के निदान के लिए बल्कि एक सामान्य स्वास्थ्य सूचक के रूप में भी महत्वपूर्ण है।

बाइक जा रहे भाई बहन सड़क हादसे में घायल

खजनी गोरखपुर।इलाके में हरनहीं के पास लिंक एक्सप्रेस वे पर चढ़ कर उनौला खास गांव और खैराटी गांव के पास सड़क पर पहले से खड़ी पिकअप में बाइक सवार ने अनियंत्रित होकर पीछे से ही टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार शिवम् 17 वर्ष और उसकी बहन करिश्मा 22 वर्ष दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।

दोनों भाई बहन पिता सुरेन्द्र निषाद निवासी ग्राम ब्रम्हसारी बेलघाट गोरखपुर आज अपनी बाइक से हरपुर बुदहट की ओर से अपनी रिश्तेदारी से लौट रहे थे। हरनहीं में लिंक एक्सप्रेस-वे पर चढ़ गए भाई शिवम तेज गति से अपनी बाइक कन्ट्रोल नहीं कर पाया और सामने खड़ी पिकअप से जा भिड़ा। हादसे में घायल दोनों भाई बहन को जिला अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची 112 वैन से ही उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।