बिहार: लोग इन्हें कहते हैं ‘ गॉड ऑफ बर्ड्स"… इन्होंने बचाई सैकड़ों पक्षियों की जान
पक्षियों की चहचहाहट भला किसे पसंद नहीं होती है. जब वह आपस में चहचहाते हैं, तो आसपास का इलाका गुलजार हो जाता है, लेकिन इन बेजुबानों को भी परेशानी होती है. इनकी भी तबीयत खराब होती है. इन्हें भी सर्दी और गर्मी लगती है. बरसात में यह भी परेशान होते हैं. इनके ऊपर भी वातावरण का असर होता है. लेकिन इस भागदौड़ की दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या उंगली पर गिनी जा सकती है, जो इन पक्षियों का ख्याल रखते हैं. पटना में एनआइटी क्लब इन परिंदों का ख्याल रखता है. लोग इन्हें गॉड ऑफ वर्ड्स भी कहते हैं.
इस क्लब का नाम साइंस एंड एनवायरनमेंटल क्लब है. इस क्लब के इंचार्ज एनआइटी पटना के फैकल्टी प्रोफेसर अनुराग सहाय हैं. प्रोफेसर सहाय बताते हैं, इस क्लब को शुरू करने का उद्देश्य समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी करना है.इस क्लब के मेंबर विक्रम पाटिल बताते है कि हमारा फोकस मुख्य रूप से गौरैया को बचाने को लेकर होता है. क्योंकि गौरैया तेजी से लुप्त होने वाली पक्षियों की श्रेणी में है.
विलुप्त हो रही गौरैया
पहले भारी संख्या में गौरैया दिखाई देती थी, लेकिन अब गौरैया बहुत ही कम दिखाई देती है. हालांकि, इसके अलावा हम लोग हैरॉन, गिद्ध, तोता को बचाने की पहल करते हैं. गर्मी में जब यह सारे पशु पक्षी परेशान रहते हैं, तो क्लब के मेंबर उनका रेस्क्यू करते हैं. विक्रम बताते हैं, गौरैया को संरक्षित करने के लिए क्लब के तरफ से कई जगहों पर घोंसले लगाए गए हैं. समय-समय पर क्लब की ओर से विशेष मीटिंग बुलाई जाती है, जिसमें क्लब के सभी मेंबरों को रेस्क्यू से संबंधित विषय की जानकारी दी जाती है.
दिखाई जाती है डॉक्यूमेंट्री
इसके अलावा हम लोग क्लब के मेंबर के साथ मिलकर के डॉक्यूमेंट्री भी दिखाते हैं. विक्रम कहते हैं, गर्मी के मौसम में हमारे संस्थान के आसपास और संस्थान के अंदर कई पक्षी डिहाइड्रेशन की वजह से बेहोश होकर के गिर गए थे. हमारे क्लब के मेंबर उन पक्षियों को लेकर के चले आते थे. हमारी उन पक्षियों को बचाने की पहल रहती है. सबसे बड़ी बात यह है कि अगर किसी पक्षी को रेस्क्यू किया जाता है, तो इनमें कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे हम किसी भी पक्षी को सीधे हाथ से नहीं पकड़ सकते हैं.
वन विभाग को देते है सूचना
अब तक 35 से भी ज्यादा बड़े पक्षियों को हम लोगों ने रेस्क्यू किया है. छोटे पक्षियों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है. इनमें हैरॉन, ब्लैक काइट्स, ईगल, पैरेट, पिजन शामिल है. हालांकि, विक्रम यह भी बताते हैं कि रेस्क्यू करने के बाद हम लोग वन विभाग को इसकी सूचना देते हैं. उसके बाद वन विभाग की टीम आकर इन पक्षियों को लेकर के चली जाती है. हमारी पूरी कोशिश यह होती है कि हम जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी पक्षियों को रेस्क्यू करके उन्हें तात्कालिक लाभ पहुंचा सके.
संस्थान में लगाये गये हैं घोंसले
इस क्लब की तरफ से पक्षियों के लिए घोंसले भी लगाए जाते हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के पटना कैंपस में ही इस क्लब की ओर से पूरे कैंपस में बड़ी संख्या में घोसले लगाए गए हैं. उद्देश्य केवल यही होता है कि इन पक्षियों को रहने के लिए एक सुरक्षित ठिकाना मिल सके. इस क्लब के सदस्य न केवल इन घोसले को लगाते हैं बल्कि उसके रखरखाव पर भी विशेष ध्यान रखते हैं. पक्षियों को रहने में किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसका विशेष ख्याल रखा जाता है.
2022 में शुरुआत
इस ग्रुप के सदस्य और एनआइटी पटना के स्टूडेंट बताते हैं कि साल 2022 में इस ग्रुप की शुरुआत की गई थी. वह बताते हैं कि एनआइटी पटना में एक क्लब बनाया गया था. चूंकि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, पटना में विभिन्न कार्यों को करने के लिए क्लब भी हैं, जिसमें स्टूडेंट और फैकल्टी भी शामिल होते हैं. साथ ही साथ अगर बाहर के लोग भी इसके सदस्य बनना चाहे, तो उस ग्रुप में शामिल हो सकते हैं.
लिया जाता है इंट्रोडक्शन
यह क्लब सामाजिक हित को लेकर के काम करता है. इस क्लब में शामिल सदस्य बीटेक के छात्र हैं. जिन्होंनें वालंटियर के रूप में इसे ज्वाइन किया हुआ है. हालांकि, इस क्लब में शामिल होने के पहले एक इंट्रोडक्शन भी लिया जाता है, जिसमें एक इंटरव्यू लिया जाता है. उसमें सफल होने के बाद क्लब में एंट्री मिलती है. विक्रम बताते हैं कि इस क्लब में जो सीनियर सदस्य होते हैं, उनका क्लास खत्म हो जाता है और वह पास आउट हो जाते हैं, तो वह क्लब को छोड़ देते हैं.
हर साल बनते है 100 सदस्य
उसके बाद नए सद्सयों को क्लब में मौका मिलता है. हालांकि, कई पुराने सदस्य अभी भी इस क्लब से जुड़े हुए हैं. साल में करीब 100 लोग इस क्लब को ज्वाइन करते हैं. यानी एक वक्त में इस क्लब में कम से कम 100 लोग रहते हैं. विक्रम कहते हैं, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के छात्र होने के कारण हम हमारे ऊपर कुछ नियम भी लागू करते हैं. हम लोग ज्यादातर अपने संस्थान के आसपास के इलाकों में जाकर के पक्षियों को रेस्क्यू करने के साथ उनको बचाने की पहल करते हैं.
अन्य सामाजिक कार्यों में भी रूचि
क्लब के प्रोफेसर इंचार्ज अनुराग सहायक बताते हैं कि इस क्लब ने न केवल पक्षियों को बचाने की पहल की है. बल्कि वह पर्यावरण को लेकर भी अपने दायित्व को निभा रहा है. इस कैंपस के अलावा अन्य दूसरी जगहों पर 500 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं. इसके अलावा बिहटा में एनआईटी पटना का जो नया कैंपस बनाकर तैयार हुआ है, वहां पर भी इस क्लब के मार्फत बड़ी संख्या में पेड़ लगाए गए हैं.
Nov 16 2024, 14:41