एकता का भाव सभी में होना चाहिए, "बंटोगे तो कटोगे" जुमला सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं, केरल के राज्यपाल का विचार, जानिए क्या बोले महामहिम
खान आशु
भोपाल। केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ प्रदेश की यात्रा पर आए हुए थे। इस दौरान कुछ सरकारी और कई निजी कार्यक्रमों में उन्होंने शिरकत की। भोपाल में सोमवार को एक खास मुलाकात के दौरान कहा कि एकता का भाव सभी में होना चाहिए। हम सभी को एक होने की आवश्यकता है। "बंटोगे तो कटोगे" जुमला सिर्फ हिंदुओं धर्म, जाति या वर्ग विशेष के लिए नहीं है, बल्कि इसमें छिपी भावनाओं को समझने और आत्मसात करने की जरूरत है।
राज्यपाल मोहम्मद आरिफ ने कहा कि "बंटोगे तो कटोगे", को एक सियासी जामा पहना दिया गया है और एकता के इस पाठ को नफरत फ़ैलाने और बांटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि इस देश की संस्कृति एकता, अखंडता, सद्भाव और सौहाद्र की रही है। कुछ सियासी मफ़ाद पूरा करने की चाहत में लोगों ने इसके गलत अर्थ निकाल लिए और इन्हीं को एक समुदाय विशेष में पसार कर बांटने की तरफ बढ़ गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि नफरत और बंटवारे के नाम पर कई बरस देश पर सियासत की जाती रही। सत्ता सुख उठाया जाता रहा, लेकिन अब इस देश का हर व्यक्ति शिक्षित भी और समझदार भी, वह अब इन सियासी हथकंडों को बेहतर समझने भी लगा है और इस कॉकस से बाहर निकलने को आतुर एवं छटपटाया हुआ भी है।
कोई डरा हुआ नहीं...
एक सवाल के जवाब में मोहम्मद आरिफ ने कहा कि देश के हालात दिनों दिन बेहतरी की तरफ बढ़ रहे हैं। यहां किसी को कोई परेशानी नहीं है और न ही कोई किसी से डरा हुआ है। अपने देश में, अपने लोगों के बीच किसी को किसी डर या खौफ हो सकता है। यह डर और डर की बातें सियासी जुमलों की तरह फैलाई जाती हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। समय के साथ इनकी सच्चाई और हकीकत सामने आ जाएगी।
कौन हैं मोहम्मद आरिफ
मोहम्मद आरिफ केरल के राज्यपाल हैं। संघ विचारधारा से जुड़े आरिफ का नाम उप राष्ट्रपति के रूप में भी उछला था। लेकिन बाद में बदले समीकरण के बीच यह पद किसी और के हिस्से चला गया था। हालांकि इस कयास को जातिगत समीकरण से भी जोड़ा गया था लेकिन इसके जवाब में इस दलील को रखा गया था कि इस तरह का भेदभाव किया जाता तो डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को देश के प्रथम नागरिक होने का सम्मान न मिला होता।
Nov 12 2024, 20:09