आजमगढ़:- फसल सुरक्षा के लिए कारगर डंडा बनेगा सर्फ और अंडा, केवीके वैज्ञानिक डॉ रणधीर नायक का दावा नुस्खे का दिखता है असर
वी कुमार यदुवंशी
नीम की खली और तीन किलो ईंट भट्ठे की राख नीलगायों की दुश्मन
आजमगढ़। समस्या तो हर क्षेत्र में दिखती है, लेकिन उसका निदान भी खोजने की जरूरत है। कुछ इसी तरह का समाधान खोजा है कृषि वैज्ञानिक ने। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक डॉ. रणधीर नायक ने इसके लिए कई तरह के नुस्खे ईजाद किए हैं। इसमें सबसे आसान तरीका सर्फ के घोल में अंडे मिलाकर छिड़काव करने का है।
डॉ. नायक ने बताया कि मुर्गी के पांच अंडे और 50 ग्राम सस्ते वाशिंग पाउडर से करीब 15 लीटर पानी में घोल बनाएं और खड़ी फसल में झाड़ू या डिब्बे से इसका सीधे छिड़काव कर दें। स्प्रे मशीन से छिड़काव करना हो तो घोल को सूती कपड़े से छान लें। गर्मी व सर्दी के दौरान महीने में एक बार और बारिश में जरूरत के मुताबिक यह छिड़काव किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक का दावा है कि अंडों की विशेष गंध से नीलगाय और अन्य पशु फसलों से दूर रहते हैं।
इनसेट---------
फसलों के आसपास भी नहीं फटकती हैं नीलगाय
आजमगढ़। नीलगाय से फसल बचाने के लिए प्रति बीघे तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंट भटठे की राख का पाउडर बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। इससे फसल को भी फायदा होगा, क्योंकि नीम की खली से फसलों को अल्प मात्रा में नाइट्रोजन की भी आपूर्ति होती है और यह फसल में लगने वाले कीट-पतंगों व रोगों से भी बचाता है। इसी तरह से भट्ठे की राख से फसलों को अल्प मात्रा में सल्फर मिलता है, जिससे फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके छिड़काव के बाद यदि नीलगाय फसल को चरती हैं, तो उनके मुंह में छाले पड़ जाते हैं और दांत भी खट्टे हो जाते हैं। एक ऐसे अनुभव के बाद नीलगाय फसलों के आसपास भी नहीं फटकती हैैं। नीम की गंध के कारण भी जानवर फसलों से दूर रहते हैं। इसका प्रयोग नर्सरी, सब्जी, दलहन, तिलहन व खाद्यान्न की फसलों पर पाक्षिक या महीने में एक बार किया जा सकता है।
इनसेट--------
धतुरे और मदार की पत्ती संग लाल मिर्च का बीज भी दुश्मन
आजमगढ़। कृषि वैज्ञानिक डॉ. रणधीर नायक के मुताबिक नीलगायों से फसल बचाने के लिए घरेलू दवाओं का प्रयोग काफी कारगर हो सकता है। वह बताते हैैं कि पांच लीटर गोमूत्र, 2.5 किलो बकाइन या नीम की पत्ती, एक किलो धतूरे की पत्ती, एक किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज, 250 ग्राम लहसुन, 250 ग्राम पत्ते वाली सुर्ती का डंठल, एक किलो नीलगाय के मल को मिट्टी के घड़े में रखें। हल्का सा पानी मिलाएं और घड़े का मुंह बंद कर दें। 25 दिन बाद घड़े का मुंह खोलकर इसे ठीक से मिला लें। इसके बाद पांच लीटर दवा व 95 लीटर पानी मिलाकर प्रति बीघे के हिसाब से प्रयोग करें। यह दवा सभी तरह की फसलों में उपयोग की जा सकती है।
Nov 09 2024, 18:34