पुस्तक समीक्षा,सत्य की खोज है मंडलीय गजेटियर खंड-2
चंदौली / लखनऊ। प्रदेश के मुरादाबाद मंडल ने गज़ेटियर का प्रकाशन कर इतिहास रचने का काम किया है। वर्ष 2023 में गजेटियर के प्रकाशन के बाद मंडलायुक्त आञ्जनेय कुमार सिंह को लगा कि मंडल के सभी जिलों की पूरी जानकारी इसमें समाहित नहीं हो सकी है। परिणामस्वरूप सितंबर 2024 में गजेटियर का दूसरा खंड प्रकाशित किया गया, जिसका पूरा श्रेय मंडलायुक्त को जाता है।
गज़ेटियर किसी क्षेत्र-विशेष की भौगोलिक संरचना, इतिहास, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति एवं सांस्कृतिक विरासत का विवरण प्रस्तुत करता है। मुरादाबाद मंडलीय गज़ेटियर के लेखन में यही उद्देश्य निहित था। हालांकि गज़ेटियर की स्थापित परम्परा में अल्प परिवर्तन करते हुए मंडलीय गज़ेटियर में जन-कल्याणकारी योजनाओं एवं विकासपरक परियोजनाओं को सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया।
वर्ष 2023 में प्रकाशित मुरादाबाद मंडलीय गज़ेटियर का प्रथम खण्ड इन उद्देश्यों की ओर प्रथम कदम था। विभिन्न कठिनाइयों एवं समय-सीमाओं के कारण मंडलीय गज़ेटियर का प्रथम खण्ड मुरादाबाद मण्डल क्षेत्र के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं को विस्तार पूर्वक समाहित नहीं कर सका था। मण्डलीय गज़ेटियर के प्रथम खण्ड ने वस्तुतः पारदर्शी, समदर्शी एवं समस्पर्शी प्रशासन के विभिन्न आयामों एवं योजनाओं सम्बन्धी आंकड़ों के संकलन का स्वरूप धारण किया।
मण्डलीय गज़ेटियर के प्रथम खण्ड की सीमाओं ने गज़ेटियर के द्वितीय खण्ड को जन्म दिया। गज़ेटियर के द्वितीय खण्ड में मुरादाबाद मण्डल क्षेत्र के ऐतिहासिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयामों को मात्र दर्ज भर करने का नहीं, अपितु मान्यताओं एवं कहानियों के धागों में उलझे, धुंधलाते एवं विलुप्त हो रहे सत्य को खोजने का प्रयास किया गया है।
सत्य की इस खोज से ही यह ज्ञात हुआ है कि भारतवर्ष को अपना नाम देने वाले राजा भरत का जन्म स्थल ऋषि कण्व आश्रम बिजनौर के मण्डावर क्षेत्र में स्थित था। कालांतर में मण्डावर बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था जिसका उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक में किया है। धर्म-ग्रंथों के अनुसार सम्भल वह स्थल है जहां भगवान कल्कि अवतरित होंगे। अबुल फज़ल ने 'आइन-ए-अकबरी' में सम्भल स्थित भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिर, 'हरि मंदिर' का उल्लेख किया है। हालांकि मुरादाबाद गज़ेटियर (1911) के अनुसार हरि मंदिर अस्तित्व में नहीं था, अपितु मंदिर का स्थान एक मस्जिद ने ले लिया था।
विभिन्न प्रचलित मान्यताओं को टटोलने के दौरान स्थलों की प्राचीनता के सम्बन्ध में नए मत स्पष्ट हुए। रामपुर के भमरौआ ग्राम स्थित श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर को नवाब शासकों द्वारा निर्मित बताया जाता है। रामपुर रियासत गज़ेटियर (1911) एवं रज़ा लाइब्रेरी में संग्रहित दस्तावेज़ यह संकेत करते हैं कि मंदिर नवाब काल से अधिक प्राचीन है। मान्यताओं एवं तथ्यों का यह उलझाव रामपुर स्थित तूती के मकबरे के संदर्भ में रहस्यमयी कहानियों में गूंथ कर सामने आता है। इन कहानियों को सुलझाने के प्रयास में उद्घाटित होता है नवाब सरदार दुल्हन (तूती बेगम) का जीवन, जिनकी रामपुर रियासत में साहित्य एवं संगीत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है एवं जो रामपुर की एकमात्र बेगम हैं जिनका मक़बरा अस्तित्व में है।
कहानी एक अन्य व्यक्ति की भी विशिष्ट है। विशिष्ट इसलिए क्योंकि वह परस्पर विरोधी मानवीय संवेदनाओं एवं जटिल सामाजिक संरचनाओं को प्रतिबिम्बित करती है। सुल्ताना डाकू एक डाकू था परंतु उसकी कहानी जिम कॉर्बेट को अपनी पुस्तक में उसके विषय में संवेदनशील ढंग से लिखने हेतु विवश कर देती है। सुल्ताना डाकू का जीवन समाज के शोषक एवं शोषित वर्गों के परस्पर सम्बन्धों के एक विलक्षण आयाम की ओर संकेत करता है जो ब्रिटिश शासन द्वारा लागू क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के रूप में परिलक्षित हुआ। इस क्रम में गज़ेटियर के द्वितीय खण्ड में उन जातियों/जनजातियों/समुदायों का विवरण भी शामिल किया गया है जिन्हें क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट में शामिल किया गया था।
संस्कृति और अतीत की खोज की यह यात्रा कण्व आश्रम की तलाश में मालिन नदी से शुरू हुई थी। नदियों के अस्तित्व के चिन्ह महत्त्वपूर्ण इसलिए भी हैं क्योंकि नदियां प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र-बिंदु रही हैं। इस क्रम में पुराने गज़ेटियर्स में दर्ज मण्डल में प्रवाहित होने वाली विभिन्न छोटी-बड़ी नदियों के प्रवाह का वर्तमान परिस्थिति से मिलान करने का प्रयास किया गया है। इस उपक्रम में मण्डल की नदियों एवं झीलों आदि जलाशयों में एक शताब्दी से अधिक समय के दौरान हुए परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित हुआ है जो भविष्य की कार्य-योजना के लिए महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।
मण्डल में प्रचलित विभिन्न हस्तशिल्प एवं उद्योगों के उद्भव की खोज शताब्दियों पीछे के समय की ओर ले जाती है। इस क्रम में यह ज्ञात हुआ है कि शताब्दियों के प्रवाह में कई विशेष हस्तशिल्प विलुप्त भी हो गये हैं जैसे रामपुर का विशिष्ट कॉटन कपड़ा - खेस। गज़ेटियर में मण्डल से जुड़े विभिन्न व्यक्तियों के योगदान को स्थान दिया गया है। इस विषय के दो पहलू हैं - एक, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की स्मृति संजोना एवं दूसरा, उनके विचारों के विश्लेषण का प्रयास, उदाहरणार्थ : रामपुर के मौलाना मोहम्मद अली जौहर की पत्नी अमजदी बेगम 'पाकिस्तान प्रस्ताव' के समय मुस्लिम लीग की वर्किंग कमेटी की सदस्य थीं। यदि मौलाना मोहम्मद अली जौहर 1940 तक जीवित रहते तो पाकिस्तान के सम्बन्ध में उनका क्या मत होता?
मण्डलीय गज़ेटियर का द्वितीय खण्ड वस्तुतः मण्डल के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक अस्तित्व से सम्बन्धित बहुआयामी प्रश्नों के उत्तरों की खोज की यात्रा है।
Nov 08 2024, 19:44