मां दुर्गा पूजा की अनोखी परंपरा, शक्ति की भक्ति में जवान करते हैं शस्त्रों की पूजा
मां को फायरिंग कर दी जाती है सलामी, जाने क्या है इसका महत्व
रिपोर्टर जयंत कुमार
रांची,, शारदीय नवरात्र में 9 दिन 9 अलग अलग देवियों की पूजा की जाती है। आज नवमी है इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। वैसे तो पूरा देश मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहता है। लेकिन रांची के जैप-1 में माता दुर्गा की पूजा की अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
यहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित नहीं की जाती, बल्कि कलश में ही उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान, सुरक्षा बलों की ओर से मां को बंदूक से सलामी दी जाती है। इस मौके पर जैप वन के कमांडेंट राकेश रंजन ने बताया कि नौ कन्याओं के पूजन के बाद मां को सलामी दी जाती है तत्पश्चात बली की परंपरा है।
रांची के डोरंडा स्थित जैप 1 परिसर में शक्ति की भक्ति के साथ शस्त्र पूजा की जाती है। जैप के जवान संदीप लिंब ने बताया कि 1880 से आरम्भ हुई यह परंपरा आज भी इस रीति रिवाज से गोरखा के जवान मां की आराधना करते चले आ रहे। यहां नेपाली परंपरा के मुताबिक, मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित नहीं की जाती, नौ दिन नौ रूपों की पूजा कर वहीं नवमी के मौके पर हथियारों की पूजा भी की जाती है ताकि हथियार कभी भी मौके पर धोखा न दे। इस दौरान, सुरक्षा बलों की ओर से मां को बंदूक से सलामी दी जाती है।
रांची में गोरखा जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में बेहद खास होती है। बता दे कि यहां नवरात्रि की पूजा 1880 में तत्कालीन गोरखा ब्रिगेड के द्वारा शुरू की गई। 1911 में बिहार के अस्तित्व में आने पर यह बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) कहलाने लगा। झारखंड राज्य की स्थापना के बाद बीएमपी का नाम बदलकर झारखंड आर्म्ड फोर्स हो गया।
इसके बाद भी शक्ति पूजा का क्रम वही रीति रिवाज के साथ आज भी जारी है। हथियारों के पूजा के पीछे इनका मानना है कि दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा ना दे और सटीक चले, इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं।
Oct 15 2024, 15:32