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ताजनगरी में दिल दहला देने वाली हत्या,महिला की सिर कुचल कर हत्या;लाश के पास बैठी रो रही थी बच्ची, मंजर देख सहमे लोग


आगरा : ताजनगरी के एतमादुद्दौला क्षेत्र के यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने से हड़कंप मच गया. शव का सिर कुचला हुआ था और उसके पास एक मासूम बैठे रो रही थी. 

राहगीरों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. महिला के शव की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है. मासूम भी कुछ नहीं बता पा रही है. पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

पुलिस के मुताबिक, गुरुवार दोपहर करीब तीन बजे राहगीरों ने एतमादुद्दौला थाना पुलिस को सूचना दी कि यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास झाड़ियों में एक महिला का शव पड़ा है. शव के पास एक बच्ची बैठी रो रही है. आशंका है कि महिला और बच्ची को ट्रेन से फेंका गया है. 

जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस जब रेलवे लाइन के पास झाड़ियों में पहुंची तो महिला की लाश पड़ी थी. महिला के सिर से खून निकल रहा था. आशंका है कि महिला की सिर कुचल कर हत्या की गई है. उसके पास बैठी रही बच्ची की उम्र करीब एक साल है.

एसीपी छत्ता हेमंत कुमार ने बताया कि, यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला है. महिला के शव के पास मासूम बच्ची बैठी रो रही है. महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

महिला की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां पर महिला कैसे और किसके पास पहुंची, उसकी हत्या किसने की जानकारी की जा रही है.

रसोई का बजट बढ़ेगा! आटा-चावल-दाल होंगे महंगे,आम ग्राहकों के लिए इतने बढ़ेंगे दाम


नयी दिल्ली : फरवरी में केंद्र सरकार ने 29 प्रति किलो के हिसाब से 5 किलो और 10 किलो पैक में चावल बेचने की शुरुआत की थी पर अब इनकी कीमतों को बढ़ाने की तैयारी कर ली गई है।

त्योहारी सीजन में अब आपकी रसोई का बजट भी बढ़ने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से जो सस्ता आटा, चावल, दाल मिल रहे थे, उनके दाम बढ़ाने की तैयारी हो गई है. 

केंद्र सरकार की ओर से रियायती दरों पर खाने-पीने के उत्पाद मुहैया कराए जा रहे थे. सरकार के मंत्रिस्तरीय पैनल ने उनके दाम बढ़ने के लिए चर्चा कर ली है और अब जब जल्द ही बढ़े हुए दाम पर इनकी बिक्री शुरू की जाएगी. 

नहीं मिलेगा सस्ता आटा-चावल-दाल

आम लोगों के लिए ये बुरी खबर हो सकती है कि इस बार भारत आटा, चावल, दालें इन सब की बिक्री बढ़े हुए दामों पर की जाएगी. एक हफ्ते में इनकी बिक्री शुरू की जाएगी. हालांकि इसके लिए लोगों को ज्यादा दाम चुकाने होंगे.

जानें कौन से अनाज के लिए कितने दाम देने होंगे

10 किलो आटे के दाम 275 रुपये से बढ़कर 300 रुपये होंगे

10 किलो चावल के दाम 295 रुपये से बढ़कर 320 रुपये होंगे

1 किलो चने की दाल के दाम 60 रुपये से बढ़कर 70 रुपये प्रति किलो होंगे।

इस बार क्या होगा खास

एक खबर के मुताबिक भारत दाल (मूंग) के लिए 107 रुपये प्रति किलो के रेट रखे जा सकते हैं और भारत दाल (मसूर) को इस बार सस्ते खाद्य उत्पादों की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. इसके लिए 89 रुपये प्रति 10 ग्राम के लिए रेट तय किया जा सकता है.

कब से शुरू हुई है भारत आटे-दाल-चावल बेचने की शुरुआत

फरवरी में केंद्र सरकार ने 29 प्रति किलो के हिसाब से 5 किलो और 10 किलो पैक में चावल बेचने की शुरुआत की थी. 275 रुपये प्रति 10 किलो के बैग में भारत आटे को बेचने की शुरुआत नवंबर 2023 में की गई थी. हालांकि जून में इनकी बिक्री को बंद कर दिया गया था।

सूत्रों से क्या अहम जानकारी मिली

सरकारी सूत्रों के मुताबिक दरअसल सरकार इस समय स्टॉक में रखे गए चावल को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बांटना चाहती है. एक तरफ तो सरकार चावल की सब्सिडी पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहती है, वहीं स्टॉक में रखे चावल की बड़ी सप्लाई को भी एडजस्ट करना चाहती है. 

वहीं साल 2024-25 मार्केटिंग ईयर के लिए भी ताजा सरकारी खरीद चालू हो चुकी है. इसके चलते अगले छह महीने में वेयरहाउस को खाली करने का दबाव होगा जिससे नई चावल और गेहूं की फसल को रखने के लिए जगह बन सके।

सरकार ने पहले ही चावल की बिक्री साप्ताहिक ई-ऑक्शन के जरिए करनी शुरू कर रखी है जिसके चलते इस वित्त वर्ष में एक लाख टन से ज्यादा की बिक्री या उठाव किया जा चुका है. इस तरह चावल के बढ़े हुए स्टॉक को भी प्रबंधित करने की कोशिश की जा रही है।

इसरो का पांचवां चंद्रमा मिशन: लूपेक्स से चांद के ध्रुवीय इलाके की खोज

नई दिल्ली:- अपने पिछलों मिशनों में चांद फतह कर चुका इसरो अब चंद्रमा पर और बड़े स्केल पर मिशन की तैयारी में है। इसी दिशा में इसरो के महत्वाकांक्षी लूपेक्स मिशन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग की मंजूरी मिल चुकी है। लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन या लूपेक्स को इसरो जापानी अंतरिक्ष एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ पूरा करेगा।

गौरतलब है कि यह इसरो का पांचवां चंद्रमा मिशन होगा। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब इसरो चंद्रयान 4 की तैयारियों में लगा हुआ है। इस बीच पांचवें मिशन की भी मंजूरी मिल गई है। अब इस मिशन को कैबिनेट से मंजूरी दी जानी है। इसके बाद मिशन का रास्ता साफ हो जाएगा।

चंद्रयान मिशन की सीरीज पर काम कर रहा इसरो

इसरो का कहना है कि वह चंद्रयान मिशन की एक पूरी सीरीज बनाना चाहता है, जिससे ऐसी क्षमता विकसित की जा सके कि भविष्य में इंसानों को सफलतापूर्वक चांद पर ले जाया और वापस लाया जा सके। बात करें लूपेक्स मिशन के तो इसके तहत इसरो लैंडर का विकास करेगा, जबकि जापान की एजेंसी जाक्सा रोवर बनाएगी।

यह रोवर अपने साथ इसरो और जाक्सा के उपकरणों के साथ-साथ नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के उपकरण भी साथ लेकर जाएगा।

मिशन के माध्यम से चंद्रमा पर स्थायी गतिविधियों के लिए आधार बनाने के उद्देश्य से ध्रुवीय इलाके की खोज की संभावना का भी पता लगाया जाएगा। साथ ही चांद की सतह पर जल संसाधन की मौजूदगी को लेकर भी जानकारी हासिल की जाएगी।

आज का इतिहास:2006 में गूगल ने की थी यू-ट्यूब के अधिग्रहण की घोषणा,जानिए 9 अक्टूबर से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाएं


 

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 9 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। 2006 में गूगल ने यू-ट्यूब के अधिग्रहण की घोषणा की थी।

 2009 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सेटेलाइट (एलसीआरओएसएस) को प्रक्षेपित किया था। 

2007 में 9 अक्टूबर के दिन ही चीन ने भारत पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया था। 

2008 में 9 अक्टूबर के दिन ही सेंट्रल गवर्मेंट ने तेल को माफिया से बचाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी।

2007 में आज ही के दिन चीन ने भारत पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

2006 में 9 अक्टूबर को ही गूगल ने यू-ट्यूब के अधिग्रहण की घोषणा की थी।

2005 में आज ही के दिन यूरोपीय उपग्रह ‘क्रायोसेट’ का प्रक्षेपण विफल हुआ था।

1998 में 9 अक्टूबर को ही पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने इस्लामी शरीयत कानून को देश के सर्वाच्च कानून के रूप में अनुमोदित किया था।

1991 में आज ही के दिन लंदन के रॉयल अलबर्ट हॉल में जापान से बाहर पहली सूमो रेसलिंग प्रतियोगिता हुई थी।

1976 में 9 अक्टूबर को ही इंटरनेशनल डायरेक्ट डायलिंग सेवा की बंबई (अब मुंबई) और लंदन के बीच शुरू हुई थी।

1962 में आज ही के दिन अफ्रीकी देश युगांडा गणतंत्र बना था।

1946 में आज ही के दिन वर्जीनिया के पीट्सबर्ग में पहले इलेक्ट्रिक कंबल की बिक्री हुई थी।

1930 में 9 अक्टूबर को ही अमेरिका में पहली महिला पायलट लॉरा इंगल्स अकेले उड़ान को पूरा करके कैलिफोर्निया के ग्लेनडेल में उतरी थी।

1920 में आज ही के दिन अलीगढ़ का एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में रूपांतरित हुआ था।

1914 में 9 अक्टूबर के दिन ही प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की सेना ने बेल्जियम के एंटवर्प पर कब्जा किया था।

1874 में आज ही के दिन ही स्विट्जरलैंड के बर्न में वर्ल्ड पोस्टल यूनियन की स्थापना की गई थी।

1865 में 9 अक्टूबर को ही अमेरिका के पेंसिलवेनिया में तेल के लिए भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई थी।

1855 में आज ही के दिन अमेरिकी आविष्कारक इसहाक सिंगर ने सिलाई मशीन मोटर का पेटेंट कराया था।

9 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1945 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान का जन्म हुआ था।

1940 में 9 अक्टूबर के दिन ही गीतकार और संगीतकार जॉन लेनन का जन्म हुआ था।

1873 में आज ही के दिन भारत सरकार के गृह विभाग के कार्यवाहक सचिव विलियम एस मारिस का जन्म हुआ था।

1826 में 9 अक्टूबर के दिन ही हिंदी साहित्य के इतिहास से जुड़े सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजा लक्ष्मण सिंह का जन्म हुआ था।

9 अक्टूबर को हुए निधन

2015 में आज ही के दिन ही हिंदी सिनेमा के संगीतकार और गायक रवीन्द्र जैन का निधन हुआ था।

2006 में 9 अक्टूबर को ही भारतीय राजनेता कांशीराम का निधन हुआ था।

1988 में आज ही के दिन पंजाब के स्वतंत्रता सेनानी सैफ़ुद्दीन किचलू का निधन हुआ था।

हार्ट अटैक से फिर एक मौत पुणे के गरबा किंग के नाम से मशहूर अशोक माली की गरबा खेलने के दौरान हुई मौत


नई दिल्ली : देश में अचानक हार्ट अटैक आने और उससे होने वाली मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला वीडियो पुणे से वायरल हो रहा है, जहां गरबा किंग के नाम से मशहूर शख्स गरबा खेलते समय अचानक जमीन पर गिर पड़े और मौके पर ही मौत हो गई।

जिस वक्त यह घटना हुई, उस वक्त वह अपने बेटे के साथ गरबा खेल रहे थे। मृतक शख्स का नाम अशोक माली है और वह पुणे में गरबा किंग के नाम से भी मशहूर थे। 

पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अचानक असहज महसूस करते हैं और जमीन पर गिर जाते हैं।

आज का इतिहास:1932 में आज ही के दिन हुई थी ‘भारतीय वायुसेना दिवस’ मनाने की शुरुआत

नयी दिल्ली : 8 अक्टूबर का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारतीय वायु सेना दिवस हर साल 8 अक्टूबर को मनाया जाता है। 1932 में स्थापित, भारतीय वायु सेना भारतीय सशस्त्र बलों की वायु सेना है और इसे यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स के लिए सहायक बल के रूप में पेश किया गया था। पहली IAF उड़ान अप्रैल 1933 में अस्तित्व में आई।

2004 में आज ही के दिन केन्या के पर्यावरणविद वांगरी मथाई को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

2004 में 8 अक्टूबर के दिन ही भारतीय गेहूं पर मौनसेंटो का पेटेन्ट रद हुआ था।

2003 में आज ही के दिन ईरान की शिरीन इबादी को नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी।

2003 में 8 अक्टूबर के दिन ही टोक्यो में आयोजित मिस इंटरनेशनल प्रतियोगिता में मिस वेनेजुएला गोजेदोर एजुआ ने खिताब जीता था।

2002 में आज ही के दिन पाकिस्तान ने शाहीन मिसाइल का दोबारा टेस्ट किया था।

2000 में 8 अक्टूबर के दिन ही वोजोस्लाव कोस्तुनिका यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति बने थे।

1998 में आज ही के दिन भारत फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन का सदस्य बना था।

1996 में 8 अक्टूबर के दिन ही कनाडा की राजधानी ओटावा में आयोजित सम्मेलन में लगभग 50 देश बारूदी सुरंगों पर विश्वव्यापी प्रतिबंध लगाने पर सहमत हुए थे।

1970 में आज ही के दिन सोवियत संघ के लेखक एलैकजेंडर सोल्जनित्सन को नोबेल पुरस्कार मिला था।

1932 में 8 अक्टूबर के दिन ही भारतीय वायुसेना का गठन हुआ था।

8 अक्टूबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1926 में 8 अक्टूबर के दिन ही बाॅलीवुड अभिनेता राजकुमार का जन्म हुआ था।

1844 में आज ही के दिन प्रसिद्ध वकील, न्यायाधीश और नेता बदरुद्दीन तैयब जी का जन्म हुआ था।

8 अक्टूबर को हुए निधन

1936 में आज ही के दिन हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का निधन हुआ था।

1979 में 8 अक्टूबर के दिन ही संपूर्ण क्रांति के प्रणेता और स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण का निधन हुआ था।

1990 में आज ही के दिन भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी कमलापति त्रिपाठी का निधन हुआ था।

8 अक्टूबर को प्रमुख उत्सव

भारतीय वायु सेना दिवस।

बेंगलुरु में कैंसिल ऑर्डर का केक खाने से पांच साल के बच्चे की मौत,माता पिता ICU में भर्ती

बेंगलुरु में बर्थडे केक खाने की वजह से एक 5 साल के बच्चे की मौत हो गई है। शहर के भुवनेश्वरी नगर इलाके में बर्थडे केक खाने के चलते बच्चे की मौत के साथ-साथ उसके पेरेंट्स भी आईसीयू में भर्ती हैं। उसके माता-पिता दोनों की हालत गंभीर है।

जानकारी के मुताबिक बच्चे के पेरेंट्स किम्स अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टरों और प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक बच्चे की जान जाने के पीछे का कारण फूड प्वॉइजनिंग है। हालांकि, माता-पिता की हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। आइये जानते हैं क्या था पूरा मामला? 

क्या था मामला?

 

दरअसल, बच्चे के पिता बलराज फूड डिलीवरी कंपनी Swiggy में काम करते हैं। एक कस्टमर द्वारा केक का ऑर्डर कैंसल किए जाने पर वे केक को अपने घर ले आए। इसके बाद उन्होंने और उनके बीवी-बच्चे ने केक काटा और खाया। जिसके बाद से उन्हें उल्टी और पेट में दर्द की समस्या होने लगी थी। बलराज ने बताया कि केक के साथ-साथ उन्होंने पापड़ और कुछ अन्य फूड्स भी खाए थे। यह सभी चीजें खाकर वे सभी सो गए। सुबह उठने के बाद करीब 10 बजे वे अस्पताल पहुंचे लेकिन बच्चे (धीरज) की तब तक मौत हो चुकी थी। हालांकि, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चे की मौत की असल वजह पता चल पाएगी। 

मौत की वजह बताई जा रही है फूड प्वॉइजनिंग

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बलराज के परिवार ने फ्रिज में रखा बासी खाना खाया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ी थी। रिपोर्ट्स की मानें तो खाना कुछ दिनों पुराना भी था। इस मामले को लेकर जांच शुरु कर दी गई है, पुलिस को फूड प्वॉइजनिंग का अंदेशा हो रहा है। 

फूड प्वॉइजनिंग के लक्षण (Food Poisoning Symptoms)

फूड प्वॉइजनिंग होने पर उल्टी होने के साथ ही डायरिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 

फूड प्वॉइजनिंग होने पर पेट में दर्द होने के साथ जी मचलाने जैसी समस्या भी हो सकती है। 

ऐसे में बुखार और सिर में दर्द होता है। 

फूड प्वॉइजनिंग होने पर आपको कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। ।

ऐसे में कई बार आंखों से धुंधला भी दिखाई देता है।

वायुसेना दिवस विशेष: भारतीय वायुसेना की 92वीं वर्षगांठ पर जानें इसका इतिहास

आज, 8 अक्टूबर को, पूरे देश में भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जा रहा है। यह दिन 1932 में भारतीय वायुसेना की स्थापना की याद में मनाया जाता है, जब वायुसेना ने पहली बार भारतीय आसमान में अपने पंख फैलाए और एक नई शक्ति के रूप में उभरी।

भारतीय वायुसेना (IAF) का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और भारतीय सीमाओं की रक्षा करना है। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) भारतीय सशस्त्र बलों में से एक महत्वपूर्ण अंग है। भारतीय वायु सेना का देश की सुरक्षा में बड़ा योगदान है। देश की वायु सेना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित की गई थी और आज यह एक अत्याधुनिक और शक्तिशाली वायुसेना बन चुकी है। 

भारतीय वायुसेना दिवस देश के वीर जवानों के साहस और बलिदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन न केवल वायु सेना की उपलब्धियों को मनाने का समय होता है, बल्कि समाज के लिए उनके बलिदान और योगदान को सम्मानित करने का भी है।

भारतीय वायुसेना की युद्धों में भूमिका

भारतीय वायुसेना ने 1965, 1971 और कारगिल युद्धों में अपनी ताकत और क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया है। इसके पास परमाणु शक्ति से लैस युद्ध विमान भी हैं, जो देश की आकाशीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वायुसेना दिवस कब और क्यों मनाते हैं?

हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन वायु सेना की उपलब्धियों को याद करने और वायु सेना में शामिल उन वीर जवानों के साहस को नमन करने का अवसर होता है, जो देश के लिए जान कुर्बान करने में भी पीछे नहीं हटते। इस साल वायुसेना दिवस की 92 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

वायु सेना दिवस का इतिहास

भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को अविभाजित भारत में ब्रिटिश शासन के अधीन की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध में भी भारतीय वायुसेना ने हिस्सा लिया था, जिसके लिए किंग जॉर्ज VI ने इसे 'रॉयल' का प्रीफिक्स दिया था। लेकिन भारत की आजादी के बाद जब देश गणराज्य बना, तब यह प्रीफिक्स हटा दिया गया।

वायु सेना दिवस 2024 की थीम

भारतीय वायुसेना दिवस 2024 की थीम "भारतीय वायुसेना - सक्षम, सशक्त, आत्मनिर्भर" रखी गई है। हर साल यह दिन जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वायु सेना के योगदान को समझना और सराहना करना होता है।

भारतीय वायुसेना की उपलब्धियां

स्वतंत्रता के बाद से भारतीय वायुसेना ने कुल पाँच युद्ध लड़े, जिनमें चार पाकिस्तान के साथ और एक चीन के साथ हुआ। 1948, 1965, 1971 और 1999 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चीन के साथ 1962 के युद्ध में भी वायु सेना ने अपना पराक्रम दिखाया। इसके अलावा, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी प्रमुख घटनाओं में भी भारतीय वायुसेना का योगदान अहम रहा है।

हिंदी साहित्य के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की आज पुण्यतिथि जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें


नयी दिल्ली : कथा सम्राट प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी के लमही गांव में हुआ था। पिता ने नाम रखा धनपत राय। चाचा ने नवाब राय। लिखने की शुरुआत उर्दू से की बाद में हिन्दी में लिखने लगे।

शुरुआती सालों में वो नवाब राय नाम से लिखते हैं लेकिन अंग्रेज सरकार द्वारा “सोजे वतन” कहानी संग्रह जब्त किए जाने के बाद वो प्रेमचंद नाम से लिखने लगे। आठ अक्टूबर 1936 को बनारस में ही उनका निधन हुआ। गोदान, गबन, कर्मभूमि, सेवा सदन जैसे अमर उपन्यास और ईदगाह, ठाकुर का कुआं, बड़े भाई, पूस की रात जैसी सैकड़ों कहानियां लिखने वाले प्रेमचंद अपने समय से आज तक हिन्दी-उर्दू उपन्यासकार माने जाते हैं। 

उनके बारे में सैकड़ों शोध प्रबंध और दर्जों संस्मरण लिखे गए होंगे लेकिन वो व्यक्ति के रूप में कैसे थे ये सबसे मार्मिक तरीके से उनकी पत्नी शिवरानी देवी के लिखे से सामने आता है। शिवरानी देवी प्रेमचंद की दूसरी पत्नी थीं। वो बाल विधवा थीं।

पहली पत्नी से प्रेमचंद के संबंध मधुर नहीं थे लेकिन शिवरानी देवी सही मायनों में जीवनसंगिनी थीं। 1944 में शिवरानी देवी ने प्रेमचंद से जुड़ी अपनी यादों को “प्रेमचंद घर में” नामक किताब में सहेजा। पेश है उसी किताब का एक हिस्सा जिससे पता चलता है कि प्रेमचंद कई बार शिवरानी देवी के मनचाहे भावों पर भी कहानी लिख दिया करते थे। नीचे पढ़िए स्वयं शिवरानी देवी ने क्या लिखा है।

शिवरानी देवी की पुस्तक “प्रेमचंद घर में” का अंश

उन दिनों मैं अकेली महोबे में रहती थी। वे जब दौरे पर रहते तो मेरे साथ ही सारा समय काटते और अपनी रचनाएँ सुनाते। अंग्रेजी अखबार पढ़ते तो उसका अनुवाद मुझे सुनाते।

 उनकी कहानियों को सुनते-सुनते मेरी भी रुचि साहित्य की ओर हुई। जब वे घर पर होते, तब मैं कुछ पढ़ने के लिए उनसे आग्रह करती। सुबह का समय लिखने के लिए वे नियत रखते। दौरे पर भी वे सुबह ही लिखते। बाद को मुआइना करने जाते। इसी तरह मुझे उनके साहित्यिक जीवन के साथ सहयोग करने का अवसर मिलता। जब वे दौरे पर होते, तब मैं दिन भर किताबें पढ़ती रहती। इस तरह साहित्य में मेरा प्रवेश हुआ।

उनके घर रहने पर मुझे पढ़ने की आवश्यकता न प्रतीत होती। मुझे भी इच्छा होती कि मैं कहानी लिखूँ।

हालाँकि मेरा ज्ञान नाममात्र को भी न था, पर मैं इसी कोशिश में रहती कि किसी तरह मैं कोई कहानी लिखूँ। उनकी तरह तो क्या लिखती। मैं लिख-लिखकर फाड़ देती। और उन्हें दिखाती भी नहीं थी। हाँ, जब उनपर कोई आलोचना निकलती तो मुझे उसे सुनाते। उनकी अच्छी आलोचना प्रिय लगती। काफी देर तक यह खुशी रहती। मुझे यह जानकार गर्व होता कि मेरे पति पर यह आलोचना निकली है। जब कभी उनकी कोई कड़ी आलोचना निकलती, तब भी वे उसे बड़े चाव से पढ़ते। मुझे तो बहुत बुरा लगता।

मैं इसी तरह कहानियाँ लिखती और फाड़कर फेंक देती। बाद में गृहस्थी में पड़कर कुछ दिनों के लिए मेरा लिखना छूट गया। हाँ, कभी कोई भाव मन में आता तो उनसे कहती, इस पर आप कोई कहानी लिख लें। वे जरूर उस पर कहानी लिखते। कई वर्षों के बाद, 1913 के लगभग, उन्होंने हिन्दी में कहानियाँ लिखना शुरू किया। किसी कहानी का अनुवाद हिन्दी में करते, किसी का उर्दू में। मेरी पहली ‘साहस’ नाम की कहानी चाँद में छपी। मैंने वह कहानी उन्हें नहीं दिखाई। चाँद में आपने देखा। ऊपर आकर मुझसे बोले – अच्छा, अब आप भी कहानी-लेखिका बन गईं ? बोले – यह कहानी आफिस में मैंने देखी। आफिसवाले पढ़-पढ़कर खूब हँसते रहे। कइयों ने मुझ पर संदेह किया। तब से जो कुछ मैं लिखती, उन्हें दिखा देती। हाँ, यह खयाल मुझे जरूर रहता कि कहीं मेरी कहानी उनके अनुकरण पर तो नहीं जा रही हो। क्योंकि मैं लोकापवाद को डरती थी। 

एक बार गोरखपुर में डा. एनी बेसेंट की लिखी हुई एक किताब आप लाए। मैंने वह किताब पढ़ने के लिए माँगी। आप बोले – तुम्हारी समझ में नहीं आएगी। मैं बोली – क्यों नहीं आएगी ? मुझे दीजिए तो सही। उसे मैं छः महीने तक पढ़ती रही। रामायण की तरह उसका पाठ करती रही। उसके एक-एक शब्द को मुझे ध्यान में चढ़ा लेना था। क्योंकि उन्होंने कहा था कि यह तुम्हारी समझ में नहीं आएगी। मैं उस किताब को खतम कर चुकी तो उनके हाथ में देते हुए बोली – अच्छा, आप इसके बारे में मुझसे पूछिए। मैं इसे पूरा पढ़ गई। आप हँसते हुए बोले – अच्छा !

मैं बोली – आपको बहुत काम रहते भी तो हैं। फिर बेकार आदमी जिस किसी चीज के पीछे पड़ेगा, वही पूरा कर देगा।

मेरी कहानियों का अनुवाद अगर किसी और भाषा में होता तो आपको बड़ी प्रसन्नता होती। हाँ, उस समय हम दोनों को बुरा लगता, जब दोनों से कहानियाँ माँगी जातीं। या जब कभी रात को प्लाट ढूँढ़ने के कारण मुझे नींद न आती, तब वे कहते – तुमने क्या अपने लिए एक बला मोल ले ली। आराम से रहती थीं, अब फिजूल की एक झंझट खरीद ली। मैं कहती – आपने नहीं बला मोल ले ली ! मैं तो कभी-कभी लिखती हूँ। आपने तो अपना पेशा बना रखा है। आप बोलते – तो उसकी नकल तुम क्यों करने लगीं? मैं कहती – हमारी इच्छा ! मैं भी मजबूर हूँ। आदमी अपने भावों को कहाँ रखे? किस्मत का खेल कभी नहीं जाना जा सकता। बात यह है कि वे होते तो आज और बात होती। लिखना-पढ़ना तो उनका काम ही था। मैं यह लिख नहीं रही हूँ, बल्कि शांति पाने का एक बहाना ढूंढ रखा है।

सच्चाई:कनाडा में नौकरी का 'खौफनाक' सच; वेटर और नौकर बनने के लिए कतार में खड़े हजारों भारतीय


नयी दिल्ली :- हर साल लाखों भारतीय विदेश में पढ़ाई करने का सपना लेकर कनाडा जाते हैं। इनमें से ज्यादा नौजवान वहां नौकरी करके पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला करके जाते हैं, लेकिन कनाडा में नौकरी तलाश करना आसान काम नहीं है।सपने देखने का हक सभी को है, लेकिन इस सपने की हकीकत कुछ और ही है।

जी हां, सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसे देखकर और मामले के बारे में जानकर आप कहेंगे कि वाकई सपनों से बाहर की दुनिया बेहद अलग है। 

वायरल वीडियो में हजारों भारतीय छात्रों को कनाडा में रेस्टोरेंट के बाहर वेटर की नौकरी के लिए कतार में खड़े दिखाया गया है। करीब 3000 भारतीय इस नौकरी के लिए आए।

वेटर और सर्विस स्टाफ की नौकरी चाहिए

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वायरल वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नामक अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो पोस्ट को कैप्शन दिया गया है कि सुंदर सपनों के साथ भारत छोड़कर कनाडा जाने वाले छात्रों को गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है! कनाडा के तंदूरी फ्लेम रेस्टोरेंट के बाहर छात्रों की लंबी कतार लगी है।

इनमें ज्यादातर भारतीय हैं, जो बेसब्री से नौकरी के लिए इंटरव्यू का इंतजार कर रहे हैं। 

वे लोग रेस्टोरेंट में वेटर और सर्विस स्टाफ की जॉब के लिए इंटरव्यू देने आए हैं। लाइन में लगे अगमवीर सिंह ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि दोपहर 12 बजे के आसपास आया था और लाइन बहुत लंबी थी। इंटरनेट पर अप्लाई किया था। लोग यहां यूं ही आ रहे हैं। लगता नहीं कि यहां नौकरियों की कोई गुंजाइश है।

वीडियो पर कमेंट भी निराश करने वाले आए

एक अन्य युवक ने कहा कि यह बहुत बुरा है। हर कोई नौकरी की तलाश में है और किसी को भी ठीक से नौकरी नहीं मिल रही है। कई दोस्तों के पास अभी नौकरी नहीं है और वे 2-3 साल से यहां हैं। 

वहीं इस फुटेज के वायरल होने के बाद इस पर लोगों की टिप्पणियां भी आ रही हैं। एक X यूजर ने कमेंट किया कि यह उन लोगों के लिए कठोर वास्तविकता है, जो सोचते हैं कि कनाडा दूध और शहद की भूमि है।

एक अन्य यूजर ने लिखा कि इतने सारे छात्रों को ऐसी विकट परिस्थिति में देखना निराशाजनक है। एक यूजर ने टिप्पणी की कि शायद यही समय है कि भावी छात्र अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और ऐसा कदम उठाने से पहले 2 बार सोचें। एक यूजर ने सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि इतने सारे युवाओं को नौकरी खोजने के लिए संघर्ष करते देखना दिल दहला देने वाला है।