करीब तीन दशक से हाजीपुर में होता है रामलीला मंचन का आयोजन
अयोध्या । सोहावल विकास खंड में हाजीपुर गांव में रामलीला समिति के तत्वावधान में आयोजित होने वाली रामलीला का मंचन अनवरत जारी है । जिसके कारण सभी दर्शक काफी तारीफ करते है और मंत्र मुग्ध हो रहे है । आचार्य पंडित आनंद तिवारी ने बताया कि हाजीपुर गांव में करीब 28 वर्षो से दुगार्पूजा और रामलीला मंचन अनवरत होता आ रहा है डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि लीला के प्रथम दृष्य में राम अपनी कुटिया में वापस आते हैं। वहां सीता को न पाकर राम को अनिष्ट की आशंका हो जाती है। राम विलाप करते हुये सीता जी को खोजते है।
इसी दौरान उन्हें गंभीर रूप से घायल पक्षीराज जटायु दिखते है। वह उन्हें बताते हैं कि रावण नाम का राक्षस सीता जी का हरण कर दक्षिण दिशा की तरफ गया है। राम दक्षिण दिशा की तरफ बढ़ जाते है। रास्तें में रामभक्त शबरी से उनकी मुलाकात होती है। शबरी के मीठे बेर राम को बहुत भाते हैं, लेकिन लक्ष्मण बेर नहीं खाते। राम दक्षिण दिषा की तरफ लगातार आगे बढ़ते जाते है। श्रश्यमूक पर्वत के समीप राम-लक्ष्मण को आता देख वानर राज सुग्रीव सशंकित हो जाते है। वह अपने प्रमुख सेनापति हनुमान को राम-लक्ष्मण का भेद जाननें के लिये भेजते है। परम बलशाली होनें के साथ ही हनुमान बुद्धिमान भी थे।
वह राम-लक्ष्मण से अनेंकों सवाल कर यह जानने की कोशिश करते हैं कि आप देखनें में तो राजसी लग रहे हो, लेकिन इस तरह जंगलों में क्यों भटक रहे हो? आपके चेहरे पर जर्दी क्यों छायी है? आप तपस्वी भी लग रहे हो और आपनें शस्त्र भी धारे हुये हैं ? राम-लक्ष्मण हनुमान को अपनी पूरी राम कहानी सुनाते है। जैसे ही हनुमान को यह पता लगता है कि यह दोनों राजकुमार तो उनके अनादि देव राम-लक्ष्मण हैं, हनुमान उनके चरणों में गिर जाते है।
प्रभु और भक्त का महामिलन हो जाता है। हनुमान की आंखों से प्रेम की अश्रुधारा बह निकलती है। वह भक्ति में तल्लीन हो मगन हो जाते हैं, अपनी सुधबुध खोकर झूमनें लगते है। राम-हनुमान के इस महामिलन से तो मानों सबके बिगड़े काम बन जाते है। हनुमान अपनें कंधों पर बैठाकर राम-लक्ष्मण को श्रश्यमूक पर्वत पर ले जाते है। राम-सुग्रीव की मित्रता हो जाती है। राम के कहने पर सुग्रीव बाली को ललकारता है। राम जब तीर चलाने को धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते है तो दोनो की एक जैसी शक्ल देखकर हैरान हो जाते है। बाली सुग्रीव की खासी मरम्मत करता है। सुग्रीव जैसे-तैसे भागकर वापस पहुंचता है।
राम इस बार उसके गले में माला पहनाकर दुबारा बाली को ललकारनें भेजते है और इस बार बाली का वध कर देते है। सुग्रीव को किश्किन्धा का राजा घोषित कर दिया जाता है। वर्षा ऋतु बीतनें के बाद राम व सुग्रीव वानर दलों को चारो दिशाओ में भेजते है। दक्षिण की तरफ हनुमान व अंगद सहित सबसे मजबूत वानर दल को रवाना करने के साथ ही आज की लीला को विराम दे दिया गया है। आज राम की भूमिका में निखिल सिंह, हनुमान की भूमिका में आनंद तिवारी लक्ष्मण की भूमिका में शिवम सिंह जटायु की भूमिका में शिवकुमार सुग्रीव की भूमिका में विनय सिंह बाली की भूमिका में अश्वनी सिंह अंगद की भूमिका में अर्जुन सिंह इस दौरान कमेटी के सदस्य रामकृपाल तिवारी मनीष सिंह अनीश आनंद तिवारी सत्य भूषण सिंह और पूर्व प्रधान सिकंदर सिंह गौरी शंकर अनुराग सिंह शानू, वीर सिंह अर्जुन सिंह नंदू सिंह निखिल सिंह शिवम सिंह उमंग सिंह रिशु सिंह गंगा बक्श सिंह दिलीप सिंह पप्पू सिंह सचिन सिंह आदि सहित भारी संख्या में लोगो की मौजूदगी रहती है ।
इस अवसर पर अनुराग सिंह शानू ने बताया कि हाजीपुर गांव की इस प्राचीन रामलीला में भक्ति भाव पूर्वक ग्रामीणों की भारी संख्या में मौजूदगी रहती है। इस अवसर पर माता दुर्गा जी का विधि विधान पूर्वक पूजन किया करके प्रसाद वितरण होता है । उसके बाद रामलीला मंचन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमे भारी संख्या में स्थानीय और सुदूर इलाकों से लोगो की मौजूदगी रहती है। अनुराग सिंह शानू ने बताया कि 11 अक्तूबर को रायबरेली की प्रख्यात आल्हा गायक काजल सिंह का हाजीपुर गांव में इसी जगह पर आगमन होगा । उन्होंने बताया कि काजल सिंह द्वारा आल्हा गायन कार्यक्रम की सभी तैयारी पूरी कर ली है। आल्हा कार्यक्रम के आयोजक पूर्व प्रधान सिकंदर सिंह के नेतृत्व में पूरी टीम जुटी हुई है।
Oct 09 2024, 20:14