संयुक्त राष्ट्र पर विदेश मंत्री जयशंकर का तंज, बोले- यह पुरानी कंपनी की तरह...*
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दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत आज इस हालत में पहुंच गई है कि इसकी उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं। आज दुनिया के दो मुहाने पर युद्ध लड़े जा रहे हैं। कभी ऐसे ही हालातों के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया था। आज एक बार फिर वैसे ही हालात उत्पन्न हो गए हैं, तो उसके अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने परोक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर कटाक्ष किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को एक पुरानी कंपनी बताया और यह भी कहा कि आज इसकी प्रासंगिकता नहीं बची है। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहा है जिससे देशों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने पर मजबूर होना पड़ा है। जयशंकर ने कहा, “चूंकि यह एक आर्थिक सम्मेलन है, इसलिए मैं आपको एक व्यावसायिक उत्तर देता हूं। जयशंकर ने यूएन की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक पुरानी कंपनी की तरह है जो बाजार के साथ पूरी तरह से नहीं चल पा रही है, लेकिन जगह घेरे हुए है। जब कंपनी दुनिया से पिछड़ जाती है तो स्टार्टअप और इनोवेशन शुरू होते हैं। अलग-अलग लोग, अपनी-अपनी चीजें करना शुरू कर देते हैं। *युद्ध के हालात के बीच यूएन को बताया दर्शक* एस जयशंकर ने आगे कहा कि दुनिया में दो बहुत ही गंभीर संघर्ष चल रहे हैं। और इन पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका क्या है? विदेश मंत्री ने कहा, 'निश्चित रूप से एक दर्शक की।' जयशंकर ने कहा, आखिरकार संयुक्त राष्ट्र तो है, लेकिन यह काम करने में बहुत कमजोर है, हालांकि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय खिलाड़ी है, लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर आगे नहीं आता है, तो देश अपने-अपने तरीके खोज लेते हैं। *कोविड के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर क्या कहा?* कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने इसके सीमित योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, संभवतः हमारे जीवन में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह कोविड थी। जरा सोचें कि कोविड में संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया, मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है। कोविड के दौरान भी देखा, देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया या कोवैक्स जैसी पहल सामने आई, जिसके पीछे देशों का ग्रुप था। *संयुक्त राष्ट्र अब एकमात्र रास्ता नहीं-जयशंकर* विदेश मंत्री ने कहा, आजकल जब बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आप पाएंगे कि देशों के समूह एक साथ आकर कहते हैं कि, आइए इस पर सहमत हो जाएं और इसे करें। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन एक गैर-यूएन स्पेस भी तेजी से विकसित हो रहा है, जो एक्टिव स्पेस है।विदेश मंत्री ने जयशंकर ने आगे कहा कि हालांकि अभी संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व बना है। मगर यह अब वैश्विक समस्याओं पर देशों के सहयोग के लिए एकमात्र रास्ता नहीं है।
Oct 07 2024, 16:01